ऋक्
37_0622 मन्ये वाम् ...{Loading}...
म꣡न्ये꣢ वां द्यावापृथिवी सु꣣भो꣡ज꣢सौ꣣ ये꣡ अप्र꣢꣯थेथा꣣म꣡मि꣢तम꣣भि꣡ योज꣢꣯नम्। स्यो꣣ने꣡ ते नो꣢꣯ मुञ्चत꣣म꣡ꣳह꣢सः ॥ 37:0622 ॥
साम
(रामानुजार्यः 1974 )
(गोपालार्यः 2015 )
हु([])वाइ॥त्रिः॥
रू([])पम्।
म([])न्येवाम्, द्यावा, पृधिवी,
सू([])उ।भो,जाआसा([])अ।
ये, अप्रथेता,म् अभितम् अभी([]),यो,जाआना([])अम्।
ध्या([])वा, पृदिवी, भवाअ([]),ता,अं, स्योओनाइ।
ते([]) नो, मुञ्चताअ([]),मां,हाआसा([])अहा।
हु([])वाइ॥त्रिः॥ रू([])पा।
अवा([])अअ। औहोवाअ।
ए([]),ए। रू([])पम्॥एवम् त्रिः॥ ॥७॥