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[[अथ सप्तदशप्रपाठके द्वितीयोऽर्धः]]

[[अथ एकादशः खण्डः]]

34_0578 पवस्व मधुमत्तम - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

५७८-१। वासिष्ठम्॥ वसिष्ठः ककुप्सोमः॥

पा꣤वा꣥॥ स्व꣡माधुमा। तामा꣢᳐ओ꣣ऽ२३४वा꣥। ई꣣ऽ२३४न्द्रा꣥। य꣢सो꣯मक्रतु वि꣡त्तमो꣢꣯म꣡दा꣢ऽ᳐३ः॥ ओ꣡इ। माहा꣢᳐ओ꣣ऽ२३४वा꣥॥ द्यु꣢क्ष꣡तमो꣢꣯म꣡दा꣣ऽ२३꣡४꣡५ः꣡॥

34_0578 पवस्व मधुमत्तम - 02 ...{Loading}...
लिखितम्

५७८-२। सफे द्वे॥ द्वयोर्देवाः ककुप् इन्द्रसोमौ॥

पा꣢ऽ᳐३४। वस्व꣥म꣤। धु꣥मत्ताऽ६माः꣥॥ आ꣡इन्द्राऽ᳒२᳒। यसो꣡माऽ᳒२᳒। क्रतु꣡वाइ त्ता꣢ऽ३मो꣤ऽ३। मा꣢ऽ३दाः꣢॥ म꣡हिद्युक्षाता꣢ऽ᳐३मो꣤ऽ३॥ मा꣢ऽ३४५दोऽ६"हा꣥इ॥

34_0578 पवस्व मधुमत्तम - 03 ...{Loading}...
लिखितम्

५७८-३।

प꣤व꣥स्वम꣤धु꣥मा꣯। इ꣤हा॥ त꣡मः। इन्द्रा꣯यसो꣯मक्रतुवित्त꣢मो꣡꣯माऽ२३दाः꣢। इ꣡हा꣢॥ महा꣡इद्यूऽ२३क्षा꣢। इ꣡हा꣢॥ तमो꣡꣯माऽ२३दा꣢ऽ३४३ः। ओ꣡ऽ२३४५इ॥ डा॥

34_0578 पवस्व मधुमत्तम - 04 ...{Loading}...
लिखितम्

५७८-४। वासिष्ठम्॥ वसिष्ठः ककुप्सोमेन्द्रौ॥

प꣤व꣥स्वमा꣤꣯। एऽ५। धु꣤मा॥ त꣡माः। इ꣢न्द्रा꣯यसोऽ᳐३। हा꣡। औ꣢ऽ᳐३हो꣢। मा꣡क्रातूवीऽ२३दा꣢ऽ᳐३। हा꣡। औ꣢ऽ᳐३हो꣢ऽ᳐३४। त꣣मो꣢ऽ᳐३४म꣣दाः꣢॥ म꣡हाये꣢ऽ᳐३॥ द्यू꣡ऽ२᳐क्षा꣣ऽ२३४औ꣥꣯हो꣯वा॥ त꣢मो꣯म꣡दा꣣ऽ२३꣡४꣡५ः꣡॥

34_0578 पवस्व मधुमत्तम - 05 ...{Loading}...
लिखितम्

५७८-५। सफम्॥ देवाः ककुप्सोमः॥

प꣢व꣡स्वा꣢ऽ᳐३म꣤धु꣥। म꣢त्ता꣣ऽ२३४माः꣥॥ इ꣢न्द्रा꣡꣯य꣢सो꣡माऽ᳒२᳒। क्रतु꣡वाइत्ता꣢ऽ᳐३ मो꣤ऽ३। मा꣢ऽ३᳐२३४दाः꣥॥ म꣢हा꣡इ॥ द्युक्षाता꣢ऽ᳐३मो꣤ऽ३। मा꣢ऽ᳐३४५दोऽ६"हा꣥इ॥

35_0579 अभि द्युम्नम् - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

५७९-१। ऐषिराणि चत्वारि॥ चतुर्णांमिषिरः ककुप्सोमः॥

अ꣢भा꣡इ। द्यु꣢म्ना᳐ऽ३म्बॄ꣤ऽ३ह꣢द्य꣣शः꣥॥ इ꣢षाः꣡। प꣢ते꣯दिदी꣯हिदेऽ᳐३वा꣤ऽ३ दे꣢꣯व꣣यु꣥म्॥ वि꣢को꣡। श꣢म्म॥ ध्य꣣मा꣢ऽ᳐३म्यू꣤ऽ५वा"ऽ६५६॥ दी-३। प-७। मा-४॥ ६ (ठी) ११६८॥

35_0579 अभि द्युम्नम् - 02 ...{Loading}...
लिखितम्

५७९-२।

अ꣥। भे꣤द्यूम्ना꣥म्॥ बृ꣢हा꣡द्या꣢ऽ१शाऽ᳒२ः᳒। इ꣡षास्पताइ। दीदी꣢᳐हा꣣ऽ२३४इदे꣥। व꣣दा꣢इ᳐वा꣣ऽ२३४यू꣥म्॥ वि꣢कौवा᳐ओ꣣ऽ२३४वा꣥॥ श꣡म्मध्य꣢माऽ३१उवाऽ२३॥ यूऽ२३४वा꣥॥ दी-नास्ति। प-९। मा-८॥ ७ (लै) ११६९॥

35_0579 अभि द्युम्नम् - 03 ...{Loading}...
लिखितम्

५७९-३।

अ꣥भि꣤द्यु꣥म्न꣤म्बृ꣥ह꣤त्। इहा॥ य꣡शः। इषस्पते꣯दिदी꣯हिदे꣯व꣢दे꣡꣯वाऽ२३यू꣢म्॥

35_0579 अभि द्युम्नम् - 04 ...{Loading}...
लिखितम्

५७९-४।

अ꣥भिद्युम्नंबॄऽ६ह꣥द्यशाः॥ इ꣢षस्प꣡ताइ। दि꣢दी꣯हि꣡दाइ। वा꣢꣯दे꣡꣯वयूम्। विको꣯ शम्मध्यमाऽ२३ꣳहो꣡इ। यूऽ२३४वा। ए꣥꣯हियाऽ६हा꣥। हो꣤ऽ५इ॥ डा॥

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लिखितम्

५८०-१। कार्णश्रवसानि त्रीणि॥ त्रयाणां कर्णश्रवा ककुबश्वः॥

आ꣥꣯सो꣯ता꣯पा॥ रा꣡ऽ२᳐इषा꣣ऽ२३४औ꣥꣯हो꣯वा। चा꣣ऽ२३४ता꣥। अ꣡श्व꣢न्न꣡स्तो꣯ मम꣢प्तु꣡रा꣰꣯ऽ२ꣳरजस्तु꣡रम्॥ ओये꣢ऽ३। वना꣢ऽ᳐३॥ ओ꣡ये꣢ऽ᳐३। प्रक्षा꣢ऽ᳐३४। औ꣥꣯हो꣯वा॥ उ꣢दप्रु꣡ता꣣ऽ२३꣡४꣡५꣡म्॥ दी-९। प-१०। मा-४॥ १० (नी) ११७२॥

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लिखितम्

५८०-२।

आ꣥꣯सो꣯ता꣯पा॥ रि꣢षि। च꣡ताऽ᳒२᳒। ऊऽ᳒२᳒। हाऽ᳒२᳒इ। ऊऽ᳒२᳒। अ꣡श्व꣢ न्न꣡स्तो꣯मम꣢। प्तु꣡राऽ᳒२᳒म्। ऊऽ᳒२᳒। हाऽ᳒२᳒इ। ऊऽ᳒२᳒। रज। स्तु꣡राऽ᳒२᳒म्। ऊऽ᳒२᳒। हाऽ᳒२᳒इ। ऊऽ᳒२᳒॥ वन। प्र꣡क्षाऽ᳒२᳒म्। ऊऽ᳒२᳒। हाऽ᳒२᳒इ। ऊ꣡ऽ२᳐॥ उ꣣द꣢। प्रू꣡ऽ२᳐ ता꣣ऽ२३४औ꣥꣯हो꣯वा॥ ऊ꣢ऽ᳐३२᳐३४पा꣥।

36_0580 आ सोता - 03 ...{Loading}...
लिखितम्

५८०-३।

आ꣥꣯सो꣯ता꣯पा॥ रि꣡। षाइ। चता। अश्वान्नस्तो। माम꣢प्तू꣣ऽ२३४रा꣥म्। र꣣जा꣢᳐स्तू꣣ऽ२३४रा꣥म्॥ वनो꣤हाइ॥ प्रा꣡क्षामू꣢ऽ᳐३दा꣢। हि꣡म्माये꣢ऽ३॥ प्रूऽ२३४ ता꣥म्॥

36_0580 आ सोता - 04 ...{Loading}...
लिखितम्

५८०-४। वाचस्सामानि त्रीणि॥ त्रयाणां वाक्ककुबश्वः॥

आ꣥꣯सो꣯ता꣯पा꣯रीऽ६षि꣥ञ्चता॥ आ꣡श्वा꣢᳐ओ꣣ऽ२३४वा꣥। न꣡स्तो꣯मम꣢प्तु꣡रा꣰꣯ऽ२ꣳ रजस्तु꣡राऽ२३म्॥ हो꣡इ। वाना꣢᳐ओ꣣ऽ२३४वा꣥॥ प्र꣢क्ष꣡मुद꣢प्रु꣡ता꣣ऽ२३꣡४꣡५꣡म्॥

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लिखितम्

५८०-५।

आ꣣꣯सो꣢ऽ३४औ꣣꣯हो꣤꣯वा꣥॥ ता꣡꣯पराइषि꣪ञ्चाताऽ᳒२᳒। आ꣡श्वन्न꣢स्तो꣯। मा꣡म꣪प्तूरा ऽ२᳐म्। र꣣जा꣢᳐स्तू꣣ऽ२३४रा꣥म्॥ वनो꣤हाइ॥ प्रा꣡क्षमु꣢दाऽ३१उवाऽ२३॥ प्रूऽ२३४ ता꣥म्॥

36_0580 आ सोता - 06 ...{Loading}...
लिखितम्

५८०-६। वाचस्साम॥

आ꣣꣯सो꣤꣯ता꣥꣯पा। हो꣢᳐। रि꣣षि꣤ञ्चता꣥ऽ६ए꣥॥ आ꣡श्वन्न꣢स्तो꣯। मा꣡म꣪प्तूराऽ᳒२᳒म्। रा꣡जस्तु꣢रम्॥ वा꣡न꣪प्राक्षाऽ२३म्॥ ऊ꣡ऽ२३दा꣤ऽ३। प्रू꣢ऽ᳐३४५तोऽ६"हा꣥इ॥

37_0581 एतमु त्यम् - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

५८१-१। कौल्मलबर्हिषे द्वे॥ द्वयोः कुल्मलबर्हिः ककुप् वृषभः॥

ए꣤ता꣥म्॥ ऊ꣡त्याम्। म꣪दाऽ२᳐च्यू꣣ऽ२३४ता꣥म्। स꣢हा꣡स्रधा꣢। रां꣡वृषभा꣢ ऽ᳐३म्। दि꣡वोऽ२᳐दू꣣ऽ२३४हा꣥म्॥ वि꣡श्वाऽ᳒२᳒होऽ१इ। होइ॥ वाऽ२३सू꣢ऽ᳐३। ना꣡ऽ२᳐इबा꣣ऽ२३४औ꣥꣯हो꣯वा॥ भ्रा꣣ऽ२३४ता꣥म्॥

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लिखितम्

५८१-२।

ए꣤ता꣥मू꣤त्या꣥म्॥ म꣢दाऽ᳐३१उवाऽ२३। च्यूऽ२३४ता꣥म्।

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लिखितम्

५८१-३। सादन्तीयम्॥ (शङ्कु)। प्रजापतिः ककुप् वृषभः॥

ए꣥꣯त꣤मु꣥त्य꣤म्। एऽ५। म꣤दा॥ च्यु꣡ताम्। सहस्रधा꣯रंवृषभंदि꣢वो꣡꣯दूऽ२३ हा꣢म्॥ वा꣡इश्वाऽ᳒२᳒वा꣡सूऽ२३॥ नि꣢बो꣡ऽ२३४वा꣥। भ्रा꣤ऽ५तोऽ६"हा꣥इ॥

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लिखितम्

५८१-४। कौल्मलबर्हिषाणि त्रीणि॥ त्रयाणां कुल्मलबर्हिः ककुप् वृषभः॥

ए꣥꣯त꣤मु꣥त्य꣤म्। ओहाइ। म꣥दच्यु꣤त꣥म्। ओ꣤हाइ॥ सा꣢ह᳐स्रा꣣ऽ२३४धा꣥। र꣢वा᳐र्षा꣣ऽ२३४भा꣥म्। दि꣢वो꣯दुहमो꣣ऽ२३४हा꣥इ॥ वि꣡श्वाऽ᳒२᳒होऽ१इ॥ वाऽ२३सू꣢ऽ᳐३। ना꣡ऽ२᳐इबा꣣ऽ२३४औ꣥꣯हो꣯वा॥ भ्रा꣣ऽ२३४ता꣥म्॥ दी-४। प-११। मा-१०॥ १९ (तौ) ११८१॥

37_0581 एतमु त्यम् - 05 ...{Loading}...
लिखितम्

५८१-५।

ए꣥꣯तामु꣣त्य꣢म꣣दा꣤च्यु꣥ताम्॥ सा꣡हस्रधा꣢। रां꣡वृ꣪षाभाऽ᳒२᳒म्। दिवोऽ᳒२᳒। दु꣡हमोइ॥ विश्वा꣯वसू꣯निबाऽ२३हो꣡इ॥ भ्रात꣢माऽ३१उवाऽ२३॥ ऊ꣢ऽ᳐३२᳐३४पा꣥॥

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लिखितम्

५८१-६।

ए꣣꣯ता꣢ऽ३४म्। उत्यम्म꣥दा꣯। च्यू꣤ता꣥म्॥ स꣢ह꣡स्रधा꣯र꣰ऽ२म्वृ। षभ꣡म्। दिवोऽ२३१२३। दू꣡ऽ२३४हा꣥म्॥ वि꣡श्वा꣯वसू꣯निबा꣢ऽ᳐३ओ꣡ये꣢ऽ᳐३॥ भ्रा꣡ऽ२३४ ताम्। ए꣥꣯हियाऽ६हा꣥॥ हो꣤ऽ५इ॥ डा॥ दी-६। प-१२। मा-७॥ २१ (खे) ११८३॥

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लिखितम्

५८२-१। लोमनी द्वे॥ (दीर्घम्)। द्वयोर्भरद्वाजः ककुप् सोमः॥

सा꣤सू꣥॥ न्वे꣡꣯यो꣯वसूऽ२३ना꣢म्। यो꣡राऽ᳒२᳒या꣡माऽ᳒२᳒। ने꣯ता꣯यइ꣡डाऽ२३ना꣢म्॥ सो꣡ऽ२३माः꣢॥ य꣡स्सुक्षि꣢ता꣡ऽ२३४इनो꣥ऽ६"हा꣥इ॥ दी-४। प-६। मा-६॥ २२ (तू) ११८४॥

38_0582 स सुन्वे - 02 ...{Loading}...
लिखितम्

५८२-२।

स꣤सुहा꣥उ॥ न्वे꣡꣯यो꣯वसू꣯नाऽ२३ꣳहा꣢उ। यो꣡राऽ᳒२᳒या꣡माऽ᳒२᳒॥ ने꣯ता꣯यः॥ इ꣡डा꣯नाऽ२३ꣳहा꣢उ॥ सो꣡꣯मो꣯यस्सू꣢ऽ᳐३हा꣢उ॥ क्षि꣣ती꣢꣯ना꣡म्। औऽ२३हो꣤वा꣥। हो꣤ऽ५इ॥ डा॥

38_0582 स सुन्वे - 03 ...{Loading}...
लिखितम्

५८२-३। सोमसामानि त्रीणि॥ त्रयाणां सोमः ककुप् सोमः॥

सः꣤। स्वेसासू꣥॥ न्वे꣡यो꣯व꣢साऽ३१उवाऽ२३। नाऽ२३꣡४꣡५꣡म्। यो꣡꣯रा꣰꣯ऽ२ या꣡꣯मा꣰꣯ऽ२ने꣯ता꣡꣯य꣢इ꣡डा꣰꣯ऽ२नाऽ᳐३म्॥ सो꣯मौ꣢वा᳐ओ꣣ऽ२३४वा꣥॥ य꣡स्सुक्षि꣢ताऽ३१ उवाये꣢ऽ३॥ नाऽ२३꣡४꣡५꣡म्॥ दी-९। प-८। मा-८॥ २४ (दै) ११८६॥

38_0582 स सुन्वे - 04 ...{Loading}...
लिखितम्

५८२-४।

स꣢सु꣡न्वेऽ२३यो꣤꣯वसू꣥꣯नाम्॥ यो꣢꣯रा꣡या꣢ऽ१माऽ२३ने꣢। ता꣯यइ꣡डाऽ२३४५ नाऽ६५६म्॥ सो꣡꣯मो꣰꣯ऽ२य꣡स्सुक्षि꣢ती꣯ना꣡म्। सो꣯माऽ२३꣡४꣡५ः꣡॥दी-८। प-५। मा-५॥ २५ (णु) ११८७॥

38_0582 स सुन्वे - 05 ...{Loading}...
लिखितम्

५८२-५।

स꣤सु꣥न्वे꣯याः꣯। ए꣤वासू꣥॥ नां꣢꣯यो꣡रा꣢ऽ१याऽ२३मा꣢। ने꣯ता꣯यइ꣡डाऽ२३ ना꣢ऽ३४म्॥ सो꣣꣯मा꣢ऽ३ः॥ य꣡स्सुक्षि꣢। ता꣡ऽ२३४५इ॥ ना꣣ऽ२३꣡४꣡५꣡म्॥

39_0583 त्व ह्या३ऽङ्ग - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

५८३-१। शैतोष्माणि चत्वारि॥ चतुर्णां शीतोष्मः ककुप् सोमः॥

त्वꣳ꣥हिया॥ ग꣢दाइवियपवमा꣯नजनिमा꣯नि᳐ऽ३द्यू꣡माऽ᳒२᳒। ता꣡माऽ᳒२ः᳒॥

39_0583 त्व ह्या३ऽङ्ग - 02 ...{Loading}...
लिखितम्

५८३-२।

त्वꣳ꣥हिया॥ ग꣢दा꣡इविय꣢। प꣡वमा꣢꣯न। हो꣡वा꣢ऽ᳐३हा꣢इ। जनि꣡माऽ२३ नी꣢ऽ३४। द्युम꣥। ता꣢ऽ᳐३माः꣢॥ अ꣡माऽ२३॥ ता꣡ऽ२᳐त्त्वा꣣ऽ२३४औ꣥꣯हो꣯वा॥ य꣢घोऽ᳐३ष꣡याऽ२३꣡४꣡५꣡न्॥

39_0583 त्व ह्या३ऽङ्ग - 03 ...{Loading}...
लिखितम्

५८३-३।

त्वꣳ꣤ह्य꣥ङ्गदा꣤॥ वि꣡य। पवमा꣯नजनिमा꣯निद्यु꣢म꣡त्ताऽ२३माः꣢॥ अमा꣡र्ता ऽ२३त्त्वा꣢ऽ᳐३॥ य꣢घो꣡ऽ२३४वा꣥। षा꣤ऽ५योऽ६"हा꣥इ॥ दी-२। प-६। मा-२॥ २९ (चा) ११९१॥

39_0583 त्व ह्या३ऽङ्ग - 04 ...{Loading}...
लिखितम्

५८३-४।

त्वꣳ꣥हो꣢ऽ᳐३अ꣤ङ्ग꣥दै꣤꣯विया꣥॥ प꣢व꣡माऽ᳒२᳒ना꣡। ज꣢नि꣡माऽ᳒२᳒ना꣡ये꣢ऽ᳐३४। द्युम꣥। ता꣢ऽ᳐३माः꣢॥ अ꣡मार्ता꣢ऽ᳐३त्त्वा꣢ऽ३॥ य꣢घो꣡ऽ२३४वा꣥। षा꣤ऽ५योऽ६"हा꣥इ॥

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लिखितम्

५८४-१। गायत्रपार्श्वम्॥ देवाः ककुप् सोमः॥

ए꣤षाः꣥॥ स्या꣡धा꣯र꣢याऽ३१उवाऽ२३। सूऽ२३४ताः꣥। अ꣡व्या꣰꣯ऽ२वा꣡꣯रे꣯भिᳲ꣢ पवते꣯मदि꣡न्तमः꣢॥ क्री꣯डा꣡नू꣢ऽ१र्मीऽ२ः᳐॥ अ꣣पा꣢ऽ᳐३म्। हि꣡म्ऽ२३(स्थि) बा꣤ऽ३॥ आ꣡इवाऽ२३꣡४꣡५꣡॥ दी-६। प-८। मा-८॥ ३१ (गै) ११९३॥

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लिखितम्

५८४-२। सन्तनि॥ देवाः ककुप् यउस्रिया अभिव्रजन्तेति विष्टारपंक्तिः सोमः॥

ए꣤꣯षाहा꣥उ॥ स्या꣡धा꣯र꣢याऽ३१उवाऽ२३। सूऽ२३४ताः꣥। अ꣡व्या꣰꣯ऽ२वा꣡꣯रे꣯भिᳲ꣢ पवते꣯मदि꣡न्तमा꣣ऽ२३ः॥ क्री꣤꣯डन्हा꣥उ॥ ऊ꣡र्मिर꣢पाऽ३१उवाऽ२३॥ ईऽ२३४वा꣥॥ छू॥१॥ य꣡उस्रिया꣰꣯ऽ२अ꣡पिया꣯अन्तरश्मनी꣣ऽ२३॥ नि꣤र्गाहा꣥उ॥ आ꣡कृन्त꣢दा ऽ३१उवाऽ२३॥ जाऽ२३४सा꣥॥ झु॥२॥ अ꣢भि꣡व्रजन्तत्नि꣢षे꣯ग꣡व्यमश्विया꣣ ऽ२३म्॥ व꣤र्मीहा꣥उ॥ वा꣡धृष्ण꣢वाऽ३१उवाऽ२३॥ रूऽ२३४जा꣥॥ घि॥३॥

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लिखितम्

५८४-३। सोमसामानि त्रीणि॥ त्रयाणां सोमः ककुप्सोमः॥

ए꣢꣯ष꣡स्यधा꣯। राया꣢ऽ१सूताऽ२ः᳐॥ अ꣣व्या꣯वा꣢꣯रा꣡इ। भाइᳲपवते꣢꣯। म꣣दिन्त꣢माः꣡॥ क्री꣢꣯ड꣡न्नूऽ२३र्मी꣢ऽ३ः॥ आ꣡ऽ᳐२३पा꣤ऽ३म्। आ꣢ऽ᳐३४५इवोऽ६" हा꣥इ॥

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लिखितम्

५८४-४।

ए꣢꣯ष꣡स्या꣢ऽ᳐३धा꣤꣯रया꣥꣯सुताः॥ अ꣡व्याहोऽ᳒२᳒इ। वा꣡꣯रे꣯भिᳲपवते꣯मादि꣪न्तामाऽ᳒२ः᳒॥ क्री꣡꣯डाऽ᳒२᳒न्होऽ१इ। ऊऽ२३र्मीः꣢॥ अ꣣पा꣯मि꣢वा꣡। औ꣢ऽ᳐३हो꣤वा꣥। हो꣤ऽ५इ॥ डा॥

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लिखितम्

५८४-५।

ए꣤꣯षस्यधाऽ५रया꣯सु꣤ताः॥ अ꣢व्या꣡꣯वा꣢꣯रा꣡इ। भिᳲ꣢प꣣व꣢ता꣡ऽ२३इ। म꣢दि꣣न्तमाः꣢॥ क्री꣡꣯डन्नू꣯र्मिरपोवा꣢ऽ३ओ꣡ऽ२३४वा꣥॥ आ꣤ऽ५इवोऽ६"हा꣥इ॥ ओ꣡म्॥अथ आरण्यकगानम्॥