१६ १

[[अथ षोडशप्रपाठके प्रथमोऽर्धः]]

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लिखितम्

५४१-१। श्नौष्टानि त्रीणि॥ त्रयाणां श्नुष्टिस्त्रिष्टुप्सोमः॥

औ꣥꣯हो꣤हा꣥इ। अयो꣤हा꣥इ॥ प꣡वाऱपवस्वैऱनाऱव꣢सू꣡ऽ२३नी꣢। औ꣭ऽ३हो꣢इ᳐। इ꣣हा꣢। ई꣭ऽ३या꣢। माऱꣳश्चत्व꣡इन्दोऱसरसिप्र꣢धा꣡ऽ२३न्वा꣢। औ꣭ऽ३हो꣢इ᳐। इ꣣हा꣢। ई꣭ऽ३या꣢। ब्रध्न꣡श्चिद्यस्यवाऱतोऱन꣢जू꣡ऽ२३ती꣢म्॥ औ꣭ऽ३हो꣢इ᳐। इ꣣हा꣢। ई꣭ऽ३या꣢। पुरुमे꣡꣯धाऱ श्चित्तकवेऱन꣢रा꣡ऽ२३न्धा꣢त्॥ औ꣭ऽ३हो꣢इ᳐। इ꣣हा꣢। ई꣡ऽ२᳐। या꣣ऽ२३४। औ꣥꣯होऱवा॥ ए꣢ऽ᳐३। दी꣢꣯दि꣣ही꣢ऽ१॥ दी-१४। प-२२। मा-९॥ १ (थो) १०५०॥

55_0541 अया पवा - 02 ...{Loading}...
लिखितम्

५४१-२।अ꣥यो꣤हा꣥इ। पवो꣤हा꣥इ॥ प꣡वस्वैऱनाऱव꣢सू꣡ऽ२३नी꣢। इहोऱइयाऽ᳐३। ई꣭ऽ३या꣢॥ माऱꣳश्चत्व꣡इन्दोऱसरसिप्र꣢धा꣡ऽ२३न्वा꣢। इहोऱइयाऽ᳐३। ई꣭ऽ३या꣢॥ ब्रध्न꣡श्चिद्यस्य वाऱतोऱन꣢जू꣡ऽ२३ती꣢म्। इहोऱइयाऽ᳐३। ई꣭ऽ३या꣢॥ पुरुमे꣡꣯धाऱश्चित्तकवेऱन꣢रा꣡ऽ२३ न्धा꣢त्। इहोऱइयाऽ᳐३। ई꣡ऽ२᳐। या꣣ऽ२३४। औ꣥꣯होऱवा॥ ए꣢ऽ᳐३। दी꣢꣯द꣡या ऽ२३꣡४꣡५꣡त्॥

55_0541 अया पवा - 03 ...{Loading}...
लिखितम्

५४१-३।

हा꣢᳐ओ꣣ऽ२३४वा꣥।(द्विः)। हा꣢ऽ᳐३ओ꣡ऽ२३४वा꣥। हा꣢उवा। अया꣡꣯प꣢वा꣡꣯प꣢वस्वैऱ ना꣡꣯वसू꣢꣯नि। इ꣡ह꣢इ। हि꣡याऽ᳒२᳒। इ꣡हा꣢। इ꣡हा꣢॥ माꣳ꣯श्चत्व꣡इन्दो꣢꣯स꣡रसि꣢प्र꣡ध꣢न्व। इ꣡ह꣢इ। हि꣡याऽ᳒२᳒। इ꣡हा꣢। इ꣡हा꣢॥ ब्रध्न꣡श्चि꣢द्य꣡स्य꣢वा꣡꣯तो꣢꣯न꣡जू꣢꣯ति꣡म्। इह꣢इ। हि꣡याऽ᳒२᳒। इ꣡हा꣢। इ꣡हा꣢ऽ᳐३॥ हा꣢᳐ओ꣣ऽ२३४वा꣥।(द्विः)। हा꣢ऽ᳐३ओ꣡ऽ२३४वा꣥। हा꣢उवा। पुरुमे꣡꣯धा꣢꣯ श्चित्त꣡कवे꣢꣯न꣡रन्धा꣢꣯त्। इ꣡ह꣢इ। हि꣡याऽ᳒२᳒। इ꣡हा꣢॥ इ꣡हा꣣ऽ२३꣡४꣡५꣡॥ दी-१४। प-२८। मा-१५॥ ३ (दु) १०५२॥

56_0542 महत्तत्सोमो महिषश्चकारापाम् - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

५४२-१। आत्रम्॥ अत्रिस्त्रिष्टुप्सूर्यो विश्वेदेवा वा॥

म꣢हत्तत्सोऱमोऱमहिषश्चऽ᳐३का꣡राऽ᳒२᳒॥ अपांऱयद्गर्भोऱवृणीऱतऽ३दा꣡इवाऽ᳒२᳒न्॥ अदधाऱदिन्द्रेऱपवमाऱनऽ३ओ꣡जाऽ᳒२ः᳒॥ अजनयत्सूऱर्येऱऽ३ज्यो꣡ऽ२३। तिरिन्दा꣢उवा ऽ३॥ ए꣢ऽ᳐३। अ꣡जन꣢यत्सू꣡꣯र्ये꣢꣯ज्यो꣡꣯ति꣢रि꣡। दूऽ२३꣡४꣡५ः꣡॥

57_0543 असर्जि वक्वा - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

५४३-१। वासिष्ठम्॥ वसिष्ठस्त्रिष्टुप्सोमः॥

अ꣢सा꣡औ꣢ऽ३᳐हो꣢। जिवा꣡क्वाऽ᳒२᳒। र꣡थ्याइया꣢ऽ३४। था꣥꣯। जा꣣ऽ२३꣡४꣡५꣡उ॥ धि꣢या꣡औ꣢ऽ᳐३हो꣢। मनो꣡ताऽ᳒२᳒। प्र꣡थमामा꣢ऽ३४। नी꣥꣯। षा꣣ऽ२३꣡४꣡५꣡॥ द꣢शा꣡औ꣢ऽ᳐३ हो꣢। स्वसा꣡राऽ᳒२ः᳒। अ꣡धिसानो꣢ऽ३४। अ꣥। व्या꣣ऽ२३꣡४꣡५꣡इ॥ मृ꣢जा꣡औ꣢ऽ᳐३हो꣢। तिवा꣡ह्नीऽ᳒२᳒म्। स꣡दनाइषू꣢ऽ᳐३४। अच्छा꣥ऽ२उ। वाऽ३꣡४꣡५꣡॥ दी-२। प-२०। मा-११॥ ५ (ञ) १०५४॥

58_0544 अपामिवेदूर्मयस्तर्त्तुराणाः प्र - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

५४४-१। अपां साम॥ आपस्त्रिष्टुप्सोमः॥

अ꣥पा꣤꣯मि꣥वे꣤꣯दू꣥꣯र्म꣤य꣥स्तौ꣤꣯। होवाहा꣥इ॥ तु꣣रा꣢᳐णा꣣ऽ२३४ः। हा꣣꣯हो꣢इ। प्र꣡मनी꣢꣯। षाः꣡। ई꣢꣯रतेऽ᳐३। सो꣢म꣣म꣥। छा꣢ऽ३४। हा꣣꣯हो꣢इ॥ नमस्य꣡। ताइः। उपचा꣢ऽ३। य꣢न्ति꣣स꣥म्। चा꣢ऽ᳐३४। हा꣣꣯हो꣢इ॥ आ꣡च꣢वि। शा꣡। ति꣢युश꣣। ती꣢रु꣣ष꣥। ता꣢ऽ᳐३४म्। हा꣣꣯हा꣢ऽ३४। औ꣥꣯होऱवा॥ वा꣢ऽ᳐३हा꣡ऽ२३꣡४꣡५ः꣡॥ दी-१२। प-२४। मा-११॥ ६ (झ) १०५५॥

[[अथ अष्टमः खण्डः]]

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लिखितम्

५४५-१। प्रेङ्खौ द्वौ॥ नकुलोऽनुष्टुप्सोमः॥

पु꣥रोऱजिती॥ वो꣢अ᳐न्धा꣣ऽ२३४साः꣥। सु꣢ता꣡꣯यामा꣮ऽ२दयाऽ᳐३१उवाये꣢ऽ३। त्नाऽ२३४वे꣥॥ अ꣡पश्वाना꣮ऽ२ꣳश्नथाऽ३१उवाये꣢ऽ३। ष्टाऽ२३४ना꣥॥ स꣡खाऱयोदी꣮ ऽ२र्घजा᳐ऽ३१उवाये꣢ऽ३॥ ह्वीऽ२३४या꣥म्॥ दी-३। प-८। मा-६॥ ७ (डू) १०५६॥

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लिखितम्

५४५-२। वामदेवोऽनुष्टुप्सोमः॥

पु꣥रोऱजिती॥ वो꣢ऽ᳐३ओ꣡न्धा꣢ऽ३साः꣢। सू꣡ता꣢꣯यमाऽ᳒२᳒। ऊऽ᳒२᳒। हाऽ᳒२᳒इ। ऊ꣡ऽ२꣮। दाऽ३या꣡इत्ना꣢ऽ३वे꣢। आ꣡पश्वा꣢꣯नाऽ᳒२᳒म्। ऊऽ᳒२᳒। हाऽ᳒२᳒इ। ऊ꣡ऽ२꣮। श्नाऽ३ था꣡इष्टा꣢ऽ३ना꣢॥ सा꣡खा꣢꣯योऱदाऽ᳒२᳒इ। ऊऽ᳒२᳒। हाऽ᳒२᳒इ। ऊ꣡ऽ२३॥ घा꣡ऽ२᳐जा꣣ऽ२३४ औ꣥꣯हो꣯वा॥ ए꣢ऽ᳐३। ह्वि꣡याऽ२३꣡४꣡५꣡म्॥ दी-७। प-१९। मा-११॥ ८ (झे) १०५७॥

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लिखितम्

५४५-३। कार्तयशम्॥ कृतयशाऽनुष्टुप्सोमः॥

पु꣥रोऱहाऱहाउ॥ जा꣣ऽ२३४इती꣥। वो꣢꣯आ꣡औ꣢ऽ३हो꣢ऽ३। धा꣤साः꣥। सु꣢ता꣡औ꣢ऽ३ हो꣢ऽ३। या꣤मा꣥ऽ६। हा꣥उवा। द꣢यित्न꣡वे꣰꣯ऽ२। उ꣡पा꣢॥ अ꣡पश्वाऱनꣳश्नथा꣢ऽ१इ ष्टा꣢ऽ३ना꣢॥ सखा꣡औ꣢ऽ३हो꣢ऽ३। यो꣤दा꣥ऽ६। हा꣥उवा। घ꣢जिह्वि꣡यम्॥ उपा꣣ ऽ२३꣡४꣡५꣡॥

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लिखितम्

५४५-४। और्ध्वसद्मनम्॥ ऊर्ध्वसद्मानुष्टुप्सोमः॥

पु꣥रो꣤꣯जि꣥तीऱवोऱअ꣤न्ध꣥सः। उ꣤वाहा꣥इ॥ सु꣢ता꣡꣯यमा꣯दयित्नवउवाऽ२३हो꣡इ। अपश्वाऱनꣳश्नथिष्टनउवाऽ२३हो꣡इ॥ साखा꣢꣯योऱदा꣡इ॥ घाजि꣢ह्वा꣣ऽ२३४५याऽ६ ५६म्॥

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लिखितम्

५४५-५। श्यावाश्वम्॥ श्यावाश्वोऽनुष्टुप्सोमः॥

पु꣣रो꣢ऽ३१। जी꣢ऽ᳐३ती꣤। वोऱअ꣥। धा꣢ऽ᳐३सः꣤। एहिया꣥॥ सू꣡। ताऱयमाऱदा। यि꣢। त्न꣡वाऽ᳒२᳒इ। ए꣡꣯हियाऽ᳒२᳒। अपश्वा꣡꣯नाꣳश्ना꣢ऽ३थी꣤ऽ३॥ ष्टाऽ२३४ना꣥॥ ऐ꣢꣯हाऽ᳒२᳒इ। ए꣡꣯हियाऽ᳒२᳒। सखाऱयो꣡꣯दाइर्घा꣢ऽ३जी꣤ऽ३। ह्वा꣢ऽ३४५योऽ६"हा꣥इ॥

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लिखितम्

५४५-६। आन्धीगवम्॥ अन्धीगुरनुष्टुप्सोमः॥

पु꣥रोऱजितीऱवोऽ४न्धासाः꣥॥ सु꣢ता꣡꣯य। माऱदाऽ२३या꣢। हि꣡म्माऽ᳒२᳒१२। त्न꣡वेऱअपश्वाऱनꣳश्न꣢थिष्टन॥ सा꣡खा꣢ऽ३उवा꣢॥ योऽ᳒२᳒दी꣡। घाऽ२३जी꣢। ह्विया꣡म्। औऽ२३हो꣤वा꣥। हो꣤ऽ५इ॥ डा॥ दी-६। प-१२। मा-५॥ १२ (खु) १०६१॥

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लिखितम्

५४६-१। क्रौञ्चानि त्रीणि॥ त्रयाणां क्रुङनुष्टुप्पूषा भगोद्यावापृथिवी॥

अ꣢यंपू꣡꣯षौऱहो। रा꣢꣯यि꣡र्भगाः॥ सो꣢꣯मᳲपुनाऽ᳐३। नो꣡आ꣢ऽ३र्षा꣤ऽ५ताऽ६५६इ॥ प꣢तिर्वि꣡श्वौऱहो। स्या꣢꣯भू꣡꣯मनाः॥ वि꣢यख्यद्रोऽ᳐३। दा꣡सी꣢ऽ᳐३ऊ꣤ऽ५भा"ऽ६५६इ॥

02_0546 अयं पूषा - 02 ...{Loading}...
लिखितम्

५४६-२।

अ꣥यंपू꣯षा। अयंपूऱषा॥ र꣢यिर्भ꣡गाः। सो꣢꣯मᳲपू꣡नाऽ᳒२᳒। नो꣯अर्ष꣡ताइ। प꣢तिर्वा꣡इश्वाऽ᳒२᳒। ओ꣡स्याभू꣢ऽ१मानाऽ᳒२ः᳒॥ ओ꣡इवियख्याऽ२३द्रो꣢॥ दा꣡सीऱउ꣢भ। इ꣡डाऽ२३भा꣢ऽ३४३। ओ꣡ऽ२३४५इ॥ डा॥ दी-५। प-१२। मा-८॥ १४ (फै) १०६३॥

02_0546 अयं पूषा - 03 ...{Loading}...
लिखितम्

५४६-३। तृतीयं क्रौञ्चम्॥

अ꣤यं꣣पू꣤꣯षा꣥꣯। हो꣢। र꣣यि꣤र्भगा꣥ऽ६ए꣥॥ सो꣡माऽ᳒२ᳲ᳒पु꣡नाऽ२᳐। न꣣आ꣢ऽ३४५। षा꣣ऽ२३४ती꣥। प꣡तिर्विश्वस्य꣢भू꣡꣯मनः꣢॥ विय꣡ख्याऽ२३द्रो꣢॥ दसी꣡꣯ऊऽ२३ भा꣢ऽ३४३इ। ओ꣡ऽ२३४५इ॥ डा॥ दी-४। प-११। मा-६॥ १५ (तू) १०६४॥

03_0547 सुतासो मधुमत्तमाः - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

५४७-१। त्वाष्ट्री सामनी द्वे॥ द्वयोस्त्वाष्ट्र्योऽनुष्टुप्सोमेन्द्रौ॥

सु꣥ताऱसोऱमा॥ धु꣢माऽ᳐३त्त꣢माः। सो꣡꣯माइ꣢न्द्रा᳐ऽ३य꣢माऽ३। ए꣢ऽ᳐३। दि꣢न꣣आ꣢। प꣡वाइत्र꣢वऽ३न्तो꣢ऽ३। ए꣢ऽ᳐३। क्ष꣢र꣣न्ना꣢। दा꣡इवान्ग꣢च्छाऽ३न्तु꣢वऽ३ः। ए꣢ऽ᳐३॥ म꣢दा꣣꣯आ꣢॥

03_0547 सुतासो मधुमत्तमाः - 02 ...{Loading}...
लिखितम्

५४७-२। ऊर्ध्वेडंत्वाष्टी साम॥

सु꣥ता꣤꣯सो꣥꣯म꣤धु꣥मत्तमाः꣤॥ सो꣡माऽ᳒२᳒इ꣡न्द्राऽ२᳐। य꣣मा꣢ऽ३४५। दी꣣ऽ२३४नाः꣥। प꣢वि꣡त्रव꣢न्तोऱअक्षरन्॥ दे꣣꣯वाऱन्ग꣢च्छा꣡॥ तु꣢वो꣡꣯माऽ२३दा꣢ऽ३४३ः। ओ꣡ऽ२३४५इ॥ डा॥

03_0547 सुतासो मधुमत्तमाः - 03 ...{Loading}...
लिखितम्

५४७-३। वासिष्ठम्॥ वसिष्ठोऽनुष्टुप्सोमेन्द्रौ॥

सु꣥ता꣤꣯सो꣥꣯म꣤धु꣥मत्तमाऱः। सो꣤꣯माइ꣥न्द्रा॥ य꣢मन्दि꣡नः। पावि꣪त्रावाऽ᳒२᳒। तो꣡꣯अक्ष꣢रन्॥ दा꣡इवाऱन्गच्छौ꣢वा᳐॥ तू꣣ऽ२३४वाः꣥। म꣢दा꣡। औ꣢ऽ३हो꣤वा꣥। हो꣤ऽ५इ॥ डा॥

03_0547 सुतासो मधुमत्तमाः - 04 ...{Loading}...
लिखितम्

५४७-४। आनिधनं त्वाष्ट्री साम॥ त्वाष्ट्र्योऽनुष्टुप्सोमेन्द्रौ॥

सु꣥ता꣤꣯सो꣥꣯म꣤धु꣥मत्तमाऱः। सो꣤꣯माहा꣥उ॥ इ꣢न्द्राऱऽ३या꣡म꣪न्दिनाऽ२ः᳐। इ꣣न्द्रा꣢ऽ३ हो꣡।

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लिखितम्

५४७-५। वासिष्ठम्॥ वसिष्ठोऽनुष्टोप्सोमेन्द्रौ॥

सु꣥ताऱसोऱमधुमत्तमाऽ६ए꣥॥ सो꣢꣯माऱइन्द्राऱऽ३या꣡म꣪न्दिनाऽ᳒२ः᳒। दा꣡इनाऽ᳒२ः᳒। पवित्रवऽ३न्तो꣡अ꣪क्षाराऽ᳒२᳒न्। क्षा꣡राऽ᳒२᳒न्। देऱवाऱन्गच्छऽ३न्तू꣡वो꣢ऽ१मादाऽ᳒२ः᳒। मा꣡दाऽ२ः᳐। दे꣣꣯वा꣢ऽ᳐३न्हो꣡इ। गच्छो꣣ऽ२३४हा꣥॥ तू꣡ऽ२᳐वा꣣ऽ२३४औ꣥꣯हो꣯वा॥ म꣢दा ऽ᳐३ई꣡ऽ२३꣡४꣡५꣡॥

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लिखितम्

५४७-६। त्वाष्ट्री सामनी द्वे॥ द्वयोस्त्वाष्ट्र्योऽनुष्टुप्सोमेन्द्रौ॥

सु꣡ताऱसोऱमा꣢ऽ३हा꣢᳐। धु꣣म꣢त्ता꣡माऽ᳒२ः᳒॥ सो꣡꣯माऱइन्द्रा꣢ऽ᳐३हा꣢᳐। य꣣म꣢न्दा꣡इनाऽ᳒२ः᳒॥ प꣡वित्रवा꣢ऽ३हा꣢᳐। तो꣣꣯अ꣢क्षा꣡राऽ᳒२᳒न्॥ दे꣡꣯वाऱन्गच्छा꣢ऽ३हा꣢᳐। तु꣣वो꣢ऽ३हो꣡ऽ२३४। वा꣥। मा꣤ऽ५दोऽ६"हा꣥इ॥ दी-७। प-१०। मा-७॥ २१ (ञे) १०७०॥

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लिखितम्

५४७-७। द्विरभ्यासं त्वाष्ट्री साम॥

सु꣥ताऱ। सो꣣꣯मा꣢ऽ᳐३। हा꣢ऽ᳐३हा꣢। धु꣣म꣢त्ता꣡माऽ२३४ः॥ सो꣯माः꣥꣯। इ꣣न्द्रा꣢ऽ᳐३। हा꣢ऽ᳐३हा꣢। य꣣म꣢न्दा꣡इनाऽ२३४ः॥ पवि꣥। त्र꣣वा꣢ऽ३। हा꣢ऽ᳐३हा꣢। तो꣣꣯अ꣢क्षा꣡रा ऽ२३४न्॥ देऱवा꣥꣯न्। ग꣣च्छा꣢ऽ᳐३। हा꣢ऽ᳐३हा꣢। तु꣣वो꣢ऽ᳐३हो꣡ऽ२३४॥ वा꣥। मा꣤ऽ५ दोऽ६"हा꣥इ॥

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लिखितम्

५४७-८। वासिष्ठम्॥ वसिष्ठोऽनुष्टुप्सोमेन्द्रौ॥

सु꣥ताऱसो꣢ऽ३मा꣤धु꣥म꣤त्तमाः꣥॥ सो꣢꣯मा꣡꣯इ꣢न्द्रा꣡। य꣢मन्दि꣡नः। पावा꣢᳐ओ꣣ऽ२३४ वा꣥। त्र꣢वन्तोऱअक्षरन्॥ दे꣣꣯वाऱन्ग꣢च्छा꣡॥ तु꣢वो꣡꣯माऽ२३दा꣢ऽ३४३ः। ओ꣡ऽ२३४५ इ॥ डा॥

04_0548 सोमाः पवन्त - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

५४८-१। क्रौञ्चे द्वे॥ द्वयोः क्रुङनुष्टुप्सोमः॥

हा꣤उसोमाः꣥॥ प꣢वाऽ᳐३न्ता꣡इ꣪न्दावा꣢उ। वाऽ᳐३। हा꣢उवा। अस्म꣡भ्यङ्गाऱतूवि꣪त्तामा꣢उ। वाऽ᳐३। हा꣢उवा। मित्रा꣡꣯स्स्वाऱनाऱआरे꣢ऽ१पासा꣢उ। वाऽ᳐३। हा꣢उवाऽ३४॥ सुवा꣥꣯। धि꣣या꣢ऽ᳐३ः॥ सू꣡ऽ२३वा꣤ऽ३ः। वा꣢ऽ३४५इदोऽ६"हा꣥इ॥

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लिखितम्

५४८-२।

सो꣥꣯माऱᳲप꣣व꣢न्त꣣इ꣤न्द꣥वाः॥ अ꣢स्मा꣡भ्य꣢ङ्गा꣡। तु꣢वि꣣त्त꣢माः꣡। माइत्रा꣢᳐ओ꣣ऽ२३४ वा꣥। स्वा꣢꣯ना꣡꣯अरे꣢꣯प꣡सः꣢। सु꣣वाऱधि꣢याः꣡। सु꣢व꣡र्वाऽ२३इदा꣢ऽ३४३ः। ओ꣡ऽ२३४५इ॥ डा॥

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लिखितम्

५४९-१। सोम सामानि त्रीणि॥ त्रयाणां सोमोऽनुष्टुप्सोमः॥

अ꣥भीऱनोऱवा॥ जा꣡ऽ२᳐सा꣣ऽ२३४औ꣥꣯हो꣯वा। ता꣣ऽ२३४मा꣥म्। र꣢यि꣡मर्ष꣢शत स्पृ꣡ह꣢म्॥

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लिखितम्

५४९-२।

अ꣥भीऱनोऱवा॥ जा꣡सा꣯त꣢मम्। रयि꣡म। षाउवाऽ२३। हो꣡वा꣢ऽ३हा꣢इ। शतस्पृ꣡ह꣢म्। इ꣡न्दो꣰꣯ऽ२स। हा꣡उवाऽ२३। हो꣡वा꣢ऽ᳐३हा꣢। स्र꣡भर्णसम्॥ तुवाये꣢ऽ३॥ द्यू꣡ऽ२᳐म्ना꣣ऽ२३४औ꣥꣯हो꣯वा॥ वि꣢भाऱस꣡हा꣣ऽ२३꣡४꣡५꣡म्॥

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लिखितम्

५४९-३।

अ꣢भीऽ᳒२᳒हो꣡इ। नो꣢꣯वाऱजाऽ᳐३सा꣤ऽ३। हा꣢᳐ता꣣ऽ२३४मा꣥म्॥ र꣢यीऽ᳒२ꣳ᳒हो꣡इ। अ꣢र्षशाऽ᳐३ता꣤ऽ३। हा꣢᳐स्पॄ꣣ऽ२३४हा꣥म्॥ इ꣢न्दोऽ᳒२᳒हो꣡इ। स꣢हस्राऽ᳐३भा꣤ऽ३। हा꣢᳐र्णा꣣ ऽ२३४सा꣥म्॥ तु꣢वाऽ᳒२᳒हो꣡इ। द्यु꣢म्नंवीऽ३भा꣤ऽ३। हा꣢ऽ᳐३सा꣤ऽ५हा"ऽ६५६म्॥

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लिखितम्

५४९-४। क्रौञ्चम्॥ क्रुङनुष्टुप्सोमः॥

अ꣢भी꣡नोवा꣢ऽ३१२३४। जसा꣥꣯। त꣣मा꣢ऽ᳐३म्॥ र꣢यि꣡मर्षा꣢ऽ᳐३१२३४। शत꣥। स्पृ꣣हा꣢ऽ३म्॥ इ꣢न्दो꣡साहा꣢ऽ३१२३४। स्रभ꣥। ण꣣सा꣢ऽ३म्॥ तु꣢वा꣡इद्यूम्ना꣢ ऽ᳐३१२᳐३म्। वि꣤भाऽ५सहाउ॥ वा॥ दी-१। प-१२। मा-६॥ २९ (खू) १०७८॥

05_0549 अभी नो - 05 ...{Loading}...
लिखितम्

५४९-५। सोमसाम॥ सोमोऽनुष्टुप्सोमः॥

अ꣤भीऱनोऱवौऱहोऽ५जसाऱत꣤माम्॥ रयिमर्षौऱहोऽ५शतस्पृ꣤हाम्॥

06_0550 अभी नवन्ते - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

५५०-१। आङ्गिरसानि त्रीणि॥ त्रयाणामङ्गिरसोऽनुष्टुबिन्द्रः॥

आ꣣ऽ२३४भी꣥॥ ओ꣡इनवन्तआद्रू꣢ऽ१हाऽ᳒२ः᳒। ओ꣡इप्रियमिन्द्रस्यकामा꣢ऽ१ याऽ᳒२᳒म्॥ ओ꣡इवत्सन्नपूऱर्वआयू꣢ऽ१नीऽ᳒२᳒॥ ओ꣡इ। जाऱतꣳरिहन्तिमो꣢ऽ१२३४। वा꣥। ता꣤ऽ५रोऽ६"हा꣥इ॥ दी-२। प-८। मा-९॥ ३१ (जो) १०८०॥

06_0550 अभी नवन्ते - 02 ...{Loading}...
लिखितम्

५५०-२।

अ꣥भीऱ। न꣣वा꣢ऽ३२। त꣤आऽ५द्रुहाः॥ प्रि꣢यामिन्द्रा᳐ऽ३। स्या꣡का꣢᳐मा꣣ऽ२३४ या꣥म्। व꣢त्सन्नपूऽ᳐३। र्वा꣡आ꣢᳐यू꣣ऽ२३४नी꣥॥ जा꣡꣯ता꣢ऽ३ꣳहो꣡इ। रिहा꣢ऽ३हो꣡॥ ति꣢मा꣡꣯ताऽ२३रा꣢ऽ᳐३४३ः। ओ꣡ऽ२३४५इ॥ डा॥

06_0550 अभी नवन्ते - 03 ...{Loading}...
लिखितम्

५५०-३।

अ꣥भी꣤꣯न꣥वन्तेऱअद्रु꣤हः꣥। ओ꣤हाइ॥ प्रि꣥य꣤मिन्द्र꣥स्यका꣤꣯मि꣥यम्। ओ꣤हाइ॥ व꣥त्स꣤न्नपूऱर्व꣥आ꣤꣯यु꣥नि। औऱहो꣤वाहा꣥इ॥ जा꣡तꣳरिहौ꣢वा᳐। ती꣣ऽ२३४मा꣥। त꣢रा꣡। औ꣢ऽ᳐३हो꣤वा꣥। हो꣤ऽ५इ॥ डा॥ दी-६। प-१२। मा-८॥ ३३ (खै) १०८२॥

07_0551 आ हर्यताय - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

५५१-१। गृत्समदस्य सूक्तानि चत्वारि॥ चतुर्णां गृत्समदो बृहती सोमः॥

आ꣣꣯हा꣢ऽ᳐३। ओ꣡ऽ२३४वा꣥॥ र्य꣢ता꣡꣯यधृ꣢ष्ण꣡वे꣰꣯ऽ२। ध꣣नू꣢ऽ३ः। ओ꣡ऽ२३४वा꣥॥

07_0551 आ हर्यताय - 02 ...{Loading}...
लिखितम्

५५१-२।

हा꣢ऽ३᳐हा꣢इ। आ꣡ह꣪र्यता꣢᳐। या꣣ऽ२३४धॄ꣥। हा꣢ऽ᳐३हा꣢ऽ३४। औ꣥꣯होऱवा। ष्णा꣣ऽ२३४वे꣥॥ हा꣢ऽ३᳐हा꣢इ। ध꣡नूष्टान्वा꣢᳐। ती꣣ऽ२३४पौ꣥। हा꣢ऽ᳐३हा꣢ऽ३४। औ꣥꣯होऱवा। सी꣣ऽ२३४या꣥म्॥ हा꣢ऽ३᳐हा꣢इ। शु꣡क्राऱवि꣢य। ता꣡अ꣪सुरा꣢᳐। या꣣ऽ२३४नी꣥। हा꣢ऽ᳐३हा꣢ऽ३४। औ꣥꣯होऱवा। णी꣣ऽ२३४जे꣥॥ हा꣢ऽ३᳐हा꣢इ। वि꣡पामाग्रा꣢इ᳐। मा꣣ऽ२३४ ही꣥। हा꣢ऽ᳐३हा꣢ऽ३४। औ꣥꣯होऱवा॥ यू꣣ऽ२३४वाः꣥॥ दी-९। प-२५। मा-८॥ ३५ (नै) १०८४॥

07_0551 आ हर्यताय - 03 ...{Loading}...
लिखितम्

५५१-३।

आ꣤꣯ह꣥र्यता꣤꣯य꣥धृष्ण꣤व꣥आ꣤॥ ध꣡नूष्टा꣢ऽ१न्वाऽ᳒२᳒। ति꣡पौꣳसा꣢ऽ१याऽ᳒२᳒म्। शु꣡क्राऱवि꣢य। ता꣡अ꣪सुरा꣢ऽ३। या꣡नीऽ२᳐र्णा꣣ऽ२३४इजा꣥इ॥ वि꣡पामा꣢ऽ१ग्राऽ᳒२᳒इ॥ ओ꣡इ। माऽ२३ही꣤ऽ३। यू꣢ऽ᳐३४५वोऽ६"हा꣥इ॥ दी-३। प-१०। मा-८॥ ३६ (णै) १०८५॥

07_0551 आ हर्यताय - 04 ...{Loading}...
लिखितम्

५५१-४।

आ꣣ऽ४ह꣥र्य। ता꣣ऽ४य꣥धृ। ष्णा꣢ऽ᳐३वे꣤। धनुष्ट꣥न्वा॥ ति꣢पौꣳ᳐सि꣣या꣢म्। शु꣡क्राऱवि꣢य। ता꣡अ꣪सुरा꣢᳐। य꣣ना꣢उवाऽ३। णीऽ२३४जे꣥॥ वा꣡इपा꣢ऽ᳐३ꣳहा꣢इ। आ꣡ग्रे꣢ऽ३हा꣢इ॥ मही꣡꣯यूऽ२३वा꣢ऽ३४३ः। ओ꣡ऽ२३४५इ॥ डा॥

08_0552 परि त्यंहर्यतंहरिम् - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

५५२-१। द्विरभ्यस्तमाकूपारम्॥ अकूपारोऽनुष्टुब्देवाः॥

प꣣रि꣤त्यꣳ꣣ह꣤र्यतꣳ꣣ह꣤रि꣥म्। पा꣡ऽ२३४। रित्यꣳहौऱहोऽ५र्यतꣳह꣤राइम्॥ ब꣤भ्रुं꣣पु꣤नन्तिवा꣣꣯रे꣤꣯ण꣥। बा꣡ऽ२३४। भ्रुम्पुनौऱहोऽ५न्तिवाऱरे꣤꣯णा॥ यो꣣꣯दे꣤꣯वा꣣꣯न्विश्वाꣳ꣤꣯ इ꣣त्प꣤रि꣥। यो꣡ऽ२३४। देऱवाऱन्वौऱहोऽ५श्वाऱꣳइत्प꣤राइ॥ म꣣दे꣤꣯नसह꣣गच्छ꣤ति꣥। मा꣡ऽ२३४। देऱनसौऱहोऽ५हग। छा꣤ऽ५तोऽ६"हा꣥इ॥

09_0553 प्र सुन्वानास्यान्धसो - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

५५३-१। वैरूपम्॥ विरूपोऽनुष्टुप्सोमः॥

प्र꣢सु꣡न्वाऽ२३ना꣤꣯यअ꣥न्धसाः॥ म꣡र्तः꣢। न꣡वाऽ२᳐। ष्ट꣣त꣢द्वा꣣ऽ२३४चाः꣥। अ꣢पश्वाऱनम꣣रा꣢᳐। धा꣣ऽ२३४सा꣥म्॥ हता꣡꣯माऽ२३ख꣢म्॥ न꣣भॄ꣢ऽ३गा꣤ऽ५वाऽ"६५६ः॥