१४ १

[[अथ चतुर्दशप्रपाठके प्रथमोऽर्धः]]

[[अथ चतुर्थः खण्डः]]

11_0497 अचिक्रदद्वृषा हरिर्महान्मित्रो - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

४९७-१। वार्षाहरम्॥ वृषाहरिर्गायत्री सूर्यः॥

अ꣢चिक्रदाऽ३त्। आ꣡चिक्रदा꣢ऽ३त्। अ꣤चिक्रदाऽ५दे॥ वृ꣢षा꣯हराऽ३इ। वा꣡र्षा꣯हरा꣢ऽ३इ। वृ꣤षा꣯हराऽ५ए। म꣢हा꣯न्मित्राऽ३ः। मा꣡हा꣯न्मित्रा꣢ऽ३ः। म꣤हा꣯ न्मित्राऽ५ए॥ न꣢दर्शताऽ३ः। ना꣡दर्शता꣢ऽ३ः। न꣤दर्शताऽ५ए॥ सꣳ꣢सू꣯रिया ऽ३इ। साꣳ꣡सू꣯रिया꣢ऽ३इ। सꣳ꣤सू꣯रियाऽ५ए। ण꣢दिद्युताऽ३इ। णा꣡दिद्युता꣢ऽ३इ। ण꣤दाऽ५इद्युताउ॥ वा॥

12_0498 आ ते - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

४९८-१। वार्शाणि त्रीणि॥ त्रयाणां वृशोगायत्री सोमः॥

आ꣥꣯ते꣯दक्षाम्॥ म꣢यो꣡भू꣢ऽ३वा꣢म्। व꣡ह्नि꣢म। द्या꣡। वृ꣪णीऽ२᳐मा꣣ऽ२३४हा꣥इ॥ पा꣡न्तमा꣢ऽ३। ई꣭ऽ३या꣢॥ पुरू꣡ऽ२३। स्पॄ꣡ऽ२᳐हा꣣ऽ२३४औ꣥꣯हो꣯वा॥ ऊ꣢ऽ᳐३२᳐३४पा꣥॥

12_0498 आ ते - 02 ...{Loading}...
लिखितम्

४९८-२।

आ꣢ते᳐दा꣣ऽ२३४क्षा꣥म्। मा꣢यो᳐भू꣣ऽ२३४वा꣥म्॥ व꣣ह्नि꣤मद्या꣣꣯वृ꣤णी꣥꣯। म꣣होऽ २३४हा꣥इ॥ पा꣡न्ता꣢ऽ३मा꣢ऽ३। ई꣭ऽ३या꣢ऽ३॥ पू꣡ऽ२᳐रू꣣ऽ२३४औ꣥꣯हो꣯वा॥ स्पॄ꣣ऽ २३४हा꣥म्॥ दी-४। प-८। मा-५॥ ३ (दु) ९२०॥

12_0498 आ ते - 03 ...{Loading}...
लिखितम्

४९८-३।आ꣣꣯ते꣤꣯द꣣क्ष꣤म्म꣥यः। भु꣣वोऽ२३४हा꣥इ॥ व꣣ह्नि꣤मद्या꣣꣯वृ꣤णी꣥꣯। म꣣होऽ२३४हा꣥इ॥ पा꣡न्ता꣢ऽ१माऽ᳒२᳒॥ पू꣡रुस्पृ꣢हम्। इ꣡डाऽ२३भा꣢ऽ३४३। ओ꣡ऽ२३४५इ॥ डा॥

13_0499 अध्वर्यो अद्रिभिः - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

४९९-१। वैरूपे द्वे॥ द्वयोरिन्द्रो गायत्री सोमः॥

अ꣢ध्व꣡र्योऽ२३४आ꣥॥ द्रि꣢भा꣡इस्सू꣢ऽ३ता꣢ऽ३म्। सो꣡꣯माऽ२᳐म्पा꣣ऽ२३४वी꣥। त्रा꣡आ꣢ऽ१नायाऽ᳒२᳒॥ पु꣡नाऽ२३॥ ही꣯न्द्रा꣢ऽ३४औ꣥꣯हो꣯वा॥ य꣢पा꣡꣯त꣢वे꣣ऽ२३꣡४꣡५꣡॥

13_0499 अध्वर्यो अद्रिभिः - 02 ...{Loading}...
लिखितम्

४९९-२।

अ꣤ध्व꣥र्यौ꣯। हो꣤अद्री꣥॥ भि꣢स्सुत꣡म्। औ꣭ऽ३हो꣢ऽ३वा꣢ऽ३। सो꣡꣯माऽ२᳐ म्पा꣣ऽ२३४वी꣥। ओ꣡त्राआ꣢ऽ१नायाऽ᳒२᳒॥ पु꣡नाऽ२३॥ हा꣡ऽ२᳐इन्द्रा꣣ऽ२३४ औ꣥꣯हो꣯वा॥ य꣢पा꣡꣯त꣢वे꣣ऽ२३꣡४꣡५꣡॥

14_0500 तरत्स मन्दी - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

५००-१। तरन्तस्य साम॥ तरन्तो गायत्री सोमः॥

त꣥रत्समा॥ दी꣢꣯धा꣡वा꣢ऽ१ताऽ२३इ। धा꣡꣯राऽ२᳐सू꣣ऽ२३४ता꣥॥ स्य꣢आ꣡ऽ२३॥ धा꣡ऽ२᳐सा꣣ऽ२३४औ꣥꣯हो꣯वा॥ त꣡रत्समन्दी꣯धा꣢꣯वती꣣ऽ२३꣡४꣡५꣡॥

15_0501 आ पवस्व - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

५०१-१। सोमसाम॥ सोमा गायत्री सोमः॥

आ꣥꣯पवस्वा॥ स꣢हस्रि꣡णाम्। हुवाइ। हुवाऽ२३हो꣡॥ र꣢यिꣳसो꣡꣯मा। सु꣢वी꣯रि꣡याम्। हुवाइ। हुवाऽ२३हो꣡इ॥ अ꣢स्मे꣯श्र꣡वा। सि꣢धा꣯र꣡या। हुवाइ। हुवाऽ२३हो꣡ऽ२᳐। वा꣣ऽ२३४औ꣥꣯हो꣯वा॥ ऊ꣣ऽ२३४पा꣥॥ दी-७। प-१४। मा-७॥ ८ (झ्वै) ९२५॥

16_0502 अनु प्रत्नास - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

५०२-१। सूर्यसाम॥ सूर्यो गायत्री सोमः॥अ꣥नुप्रत्ना꣯सआ꣯याऽ६वाः꣥॥ प꣢द꣡न्नवी꣯यो꣯अक्रमूः॥ रुचाइज꣪ना॥ ता꣢ऽ३ सू꣢। हि꣡म्माये꣢ऽ३॥ रीऽ२३४या꣥म्॥ दी-४। प-६। मा-६॥ ९ (तू) ९२६॥

17_0503 अर्षा सोम - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

५०३-१। दार्ढच्युतानि त्रीणि॥ त्रयाणां दृढच्युतिर्गायत्री सोमः॥

अ꣢र्षा꣡॥ इहा। सो꣯मद्युमाऽ᳒२᳒त्तमा꣡। इहा॥ अ꣢भा꣡इ॥ इहा। द्रो꣯णा꣯निरोऽ᳒२᳒ रुवा꣡। इहा॥ सी꣢꣯दा꣡॥ इहा॥ यो꣯नौ꣯वनाऽ᳒२᳒इषुवा꣡॥ इहा꣢ऽ१॥

17_0503 अर्षा सोम - 02 ...{Loading}...
लिखितम्

५०३-२।

अ꣤र्षाहा꣥उ॥ सो꣡꣯मद्युमत्तमो꣯। भिद्रोऽ२३णा꣢। निरा꣡औ꣢ऽ३हो꣢। रू꣡वाऽ२३त्॥ सी꣯दा꣢उवा॥ यो꣡꣯नौवा꣢ऽ३ने꣢। हि꣡म्माये꣢ऽ३॥ षूऽ२३४वा꣥॥

17_0503 अर्षा सोम - 03 ...{Loading}...
लिखितम्

५०३-३।

अ꣣र्षा꣤꣯सो꣥꣯मद्युम। त꣣माः꣢᳐। अ꣣र्षा꣤꣯सो꣥꣯मा॥ द्यू꣡मत्त꣢मः। अ꣡भि꣢द्रो꣯णा꣡ऽ२३हा꣢। निरो꣡꣯रुव꣢त्॥ सा꣡इदन्यो꣢꣯ना꣡ऽ२३उहा꣢इ॥ वना꣡इषूऽ२᳐३वा꣢ऽ३४३। ओ꣡ऽ२३४५ इ॥ डा॥

18_0504 वृषा सोम - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

५०४-१। वृषकम्॥ इन्द्रो गायत्री सोमः॥

वृ꣥षा꣯सो꣯मा॥ द्यु꣢माऽ᳒२ꣳ᳒आ꣡साऽ᳒२᳒इ। वृ꣡षादेवा꣢ऽ३हा꣢ऽ३इ। वा꣡र्ष꣢व्रा꣣ऽ२३४ ताः꣥॥ वृ꣡षाधर्मा꣢ऽ३॥ ई꣭ऽ३या꣢॥ णा꣡इदध्रि꣢षे꣯। इ꣡डाऽ२३भा꣢ऽ३४३। ओ꣡ऽ २३४५इ॥ डा॥

19_0505 इषे पवस्व - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

५०५-१। ऐषम्॥ इषो गायत्री सोमः॥इ꣥षे꣯पवा॥ स्व꣢धा꣯रयौ꣯हो꣯वाऽ३हा꣢ऽ३४। औ꣥꣯हो꣯वा। मृ꣢ज्य꣡मा꣰꣯ऽ२नो꣯मनी꣯ षि꣡भिः꣢᳐॥ इ꣣न्दो꣢꣯रु꣣चा꣥꣯॥ अ꣢भिगौ꣯हो꣯वाऽ३हा꣢ऽ३४। औ꣥꣯हो꣯वा॥ उ꣡प्। इ꣢ही꣣ ऽ२३꣡४꣡५꣡॥

20_0506 मन्द्रया सोम - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

५०६-१। श्यावाश्वम्॥ श्यावाश्वो गायत्री सोमः॥

म꣥न्द्रया꣯सो॥ म꣢धा꣡꣯रया। वृषा꣯पाऽ२३वा꣢। स्वदा꣡इवाऽ२३यूः꣢॥ अ꣡व्या ऽ२३ः॥ वा꣡ऽ२᳐रा꣣ऽ२३४औ꣥꣯हो꣯वा॥ भि꣢रस्म꣣यू꣢ऽ१ः॥ दी-५। प-७। मा-५॥ १५ (फु) ९३२॥

21_0507 अया सोम - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

५०७-१। अयासोमीयम्॥ अयासोमो गायत्री सोमः॥

अ꣥या꣤ऽ३सो꣢ऽ३म꣤सुकृ꣥त्यया॥ म꣢हा꣡꣯न्त्सन्ना। भ्य꣪वाऽ२᳐र्द्धा꣣ऽ२३४थाः꣥॥ मा꣡न्दा꣢꣯नआ꣡ये꣢ऽ३त्। वृषा꣢ऽ३या꣤ऽ५"साऽ६५६इ॥

22_0508 अयं विचर्षणिर्हितः - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

५०८-१। आग्नेयम्॥ अग्निर्गायत्री सोमः॥

आ꣢᳐। औ꣣꣯हौ꣤꣯होवाहा꣥इ। अयंविचा॥ ष꣢णा꣡इर्हाइता꣢᳐। औ꣣꣯हौ꣤꣯होवाहा꣥इ॥ पवमा꣯नाः॥ स꣢चा꣡इताता꣢᳐। औ꣣꣯हौ꣤꣯होवाहा꣥इ॥ हिन्वा꣯नआ॥ पि꣢यौ꣭ऽ३हौ꣢ऽ३। ह꣤वोवा꣥। बॄ꣤ऽ५होऽ६"हा꣥इ॥ दी-८। प-१२। मा-९॥ १७ (ठो) ९३४॥

23_0509 प्र न - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

५०९-१। आयास्ये द्वे॥ द्वयोरयास्यो गायत्री सोमः॥

प्र꣣न꣤इ꣥न्दो꣯ऐ꣯। ही꣢ऐ᳐ही꣣ऽ२३४या꣥॥ म꣢हे꣡꣯तुनऐऽ᳒२᳒ही꣡ऐऽ᳒२᳒ही꣭ऽ३या꣢। ऊ꣯र्मि꣡न्न बिभ्रदर्षसऐऽ᳒२᳒ही꣡ऐऽ᳒२᳒ही꣭ऽ३या꣢॥ अ꣡भाये꣢ऽ३॥ दा꣡ऽ२᳐इवा꣣ऽ२३४औ꣥꣯हो꣯वा॥ अ꣢या꣡꣯सि꣢या꣣ऽ२३꣡४꣡५ः꣡॥ दी-७। प-७। मा-१०॥ १८ (छौ) ९३५॥

23_0509 प्र न - 02 ...{Loading}...
लिखितम्

५०९-२।प्र꣣न꣤इ꣥न्दो꣯। इ꣢याऽ३४३ई꣢ऽ३४या꣥। म꣢हे꣡꣯तुनइयाऽ᳒२᳒ई꣭ऽ३या꣢। ऊ꣯र्मि꣡न्नबिभ्र दर्षसइयाऽ᳒२᳒ई꣭ऽ३या꣢। अ꣡भाये꣢ऽ३॥ दा꣡ऽ२᳐इवा꣣ऽ२३४औ꣥꣯हो꣯वा॥ ए꣢ऽ᳐३। अ꣢या꣡꣯ सि꣢या꣣ऽ२३꣡४꣡५ः꣡॥ दी-६। प-८। मा-९॥ १९ (गो) ९३६॥

24_0510 अपघ्नन्पवते मृधोऽप - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

५१०-१। भारद्वाजम्॥ भरद्वाजो गायत्री सोमेन्द्रौ॥

हो꣢ई꣣ऽ२३४या꣥।(द्विः)। इ꣤याहा꣥इ। अ꣢प꣡घ्नाऽ२३न्पा꣢ऽ३꣡४꣡५꣡॥ हो꣢ई꣣ऽ२३४ या꣥।(द्विः)। इ꣤याहा꣥इ। व꣢ता꣡इ। माऽ२᳐। धा꣣ऽ२३४। औ꣥꣯हो꣯वा॥ अ꣡पसो꣯मो꣰꣯ऽ२ अ꣡रा꣰꣯ऽ२व्णाऽ३꣡४꣡५ः꣡॥ हो꣢ई꣣ऽ२३४या꣥।(द्विः)। इ꣤याहा꣥इ। ग꣢च्छ꣡न्नाऽ२३ इन्द्रा꣢ऽ३꣡४꣡५꣡। हो꣢ई꣣ऽ२३४या꣥।(द्विः)। इ꣤याहा꣥इ। स्य꣢ना꣡इः। काऽ२᳐। ता꣣ऽ२३४। औ꣥꣯हो꣯वा॥ ई꣣ऽ२३꣡४꣡५꣡॥

[[अथ पञ्चमः खण्डः]]

25_0511 पुनानः सोम - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

५११-१। आयास्यम्॥ अयास्यो बृहती सोमः॥

पु꣥ना꣯नस्सो॥ मा꣡ऽ२᳐धा꣣ऽ२३४औ꣥꣯हो꣯वा। रा꣣ऽ२३४या꣥। अ꣢पो꣡꣯वसो꣢꣯नो꣯ अर्षसि॥ आ꣡꣯रात्ना꣢ऽ३धाः꣢। यो꣡꣯नाइमा꣢ऽ३र्त्ता꣢ऽ३। स्या꣡ऽ२᳐सा꣣ऽ२३४औ꣥꣯हो꣯वा। दा꣣ऽ२३४सी꣥॥ उ꣡त्सोदे꣢ऽ३वो꣢ऽ३॥ हा꣡ऽ२᳐इरा꣣ऽ२३४औ꣥꣯हो꣯वा॥ ण्या꣣ऽ२३४ याः꣥॥

25_0511 पुनानः सोम - 02 ...{Loading}...
लिखितम्

५११-२। माण्डवम्॥ मण्डुर्बृहती सोमः॥

इ꣡याऽ᳒२᳒ई꣭ऽ३या꣢। पु꣡ना꣯नस्सोऽ२᳐। म꣣धा꣢᳐रा꣣ऽ२३४या꣥॥ अ꣢पो꣡꣯वसा꣯नो꣢꣯ अ꣡र्षाऽ२३सी꣢। आ꣡꣯रत्नधा꣯यो꣯निमृतस्य꣢सी꣡꣯दाऽ२३सी꣢॥ उ꣣त्सो꣯दे꣢꣯वो꣡ऽ२३॥ हा꣡ऽ२᳐ इरा꣣ऽ२३४औ꣥꣯हो꣯वा॥ ण्या꣢ऽ᳐३या꣡ऽ२३꣡४꣡५ः꣡॥ दी-१२। प-८। मा-५॥ २२ (जु) ९३९॥

25_0511 पुनानः सोम - 03 ...{Loading}...
लिखितम्

५११-३। अपदासम्॥ वसिष्ठो बृहती सोमः॥

पु꣥ना꣯न꣤स्सो꣥꣯मधा꣤꣯र꣥या꣤॥ अ꣢पो꣡꣯वसा꣢꣯नो꣯अर्ष। स्यो꣭ऽ३हा꣢। ओ꣭ऽ३हा꣢। आ꣡꣯रत्न꣢ धा꣡꣯यो꣯निमृ꣢त꣡स्य꣢सी꣯द। स्यो꣭ऽ३हा꣢। ओ꣭ऽ३हा꣢॥ उ꣡त्सोदा꣢ऽ१इवाऽ᳒२ः᳒। ओ꣭ऽ३हा꣢। ओ꣭ऽ३हा꣢॥ हिर꣡ण्याऽ२᳐३या꣢ऽ३४३ः। ओ꣡ऽ२३४५इ॥ डा॥

25_0511 पुनानः सोम - 04 ...{Loading}...
लिखितम्

५११-४। सोमसाम॥ सोमो बृहती सोमः॥

पु꣤ना꣯नस्सोऽ५मधा꣯र꣤या॥ आ꣡पोऽ᳒२᳒वा꣡साऽ᳒२᳒। नो꣯अ꣡र्षसी। आराऽ᳒२᳒त्ना꣡धाऽ᳒२ः᳒। यो꣯निमा꣡र्त्ताऽ᳒२᳒। स्यसी꣡꣯दसी॥ ऊत्सोऽ᳒२᳒दा꣡इवाऽ᳒२ः᳒॥ हिर꣡ण्याऽ२᳐३या꣢ऽ३४३ः। ओ꣡ऽ२३४५इ॥ डा॥ दी-५। प-१०। मा-६॥ २४ (मू) ९४१॥

25_0511 पुनानः सोम - 05 ...{Loading}...
लिखितम्

५११-५। ऐडमायास्यम्॥ अयास्यो बृहती सोमः॥

आ꣤इपु꣥ना꣤॥ ना꣡स्सो। म꣢धा꣡꣯रया। आपो꣯वसा꣢ऽ३१। नो꣢꣯अ꣡र्षसी। आरत्नधा꣢ऽ३१ः। यो꣯निमृता। स्य꣢सी꣡꣯दसी॥ ऊत्सोदेवा꣢ऽ३१ः। हि꣢र꣡ण्याऽ२᳐३ या꣢ऽ३४३ः। ओ꣡ऽ२३४५इ॥ डा॥ दी-५। प-१२। मा-६॥ २५ (फु) ९४२॥

25_0511 पुनानः सोम - 06 ...{Loading}...
लिखितम्

५११-६। माण्डवम्॥ मण्डुर्बृहती सोमः॥

पु꣥ना꣯न꣤स्सो꣥꣯मधा꣤꣯र꣥या꣯। पो꣯वसो꣤वा꣥॥ नो꣡꣯अर्ष꣢सि। आ꣡꣯रत्न꣢। धा꣡उवाऽ२३। हो꣡वा꣢ऽ३हा꣢इ। यो꣡꣯निमृ꣢त꣡स्य꣢सी꣯दसि॥ उ꣡त्सो꣢꣯देऱ। वा꣡उवाऽ२३। हो꣡वा꣢ऽ३हा꣢इ॥ हिर꣡ण्याऽ२᳐३या꣢ऽ३४३ः। ओ꣡ऽ२३४५इ॥ डा॥ दी-११। प-१३। मा-७॥ २६ (गे) ९४३॥

25_0511 पुनानः सोम - 07 ...{Loading}...
लिखितम्

५११-७। उद्वत्प्राजापत्यम्॥ प्रजापतिर्बृहती सोमः॥

पु꣥ना꣯न꣤स्सो꣥꣯मधा꣤꣯। होऽ५रया꣤॥ अ꣢पो꣡꣯वसा꣯न꣢आ꣡होऽ᳒२᳒। षा꣡सीऽ᳒२᳒। आ꣡꣯रत्न धा꣯यो꣯निमृतस्य꣢सा꣡होऽ᳒२᳒इ। दा꣡सीऽ᳒२᳒। उ꣡त्साऽ᳒२᳒होऽ१इ। दाऽ२३इवो꣢ऽ३। हि꣢रो꣡ऽ २३४वा꣥। ण्या꣤ऽ५योऽ६"हा꣥इ॥ दी-८। प-१०। मा-५॥ २७ (णु) ९४४॥

25_0511 पुनानः सोम - 08 ...{Loading}...
लिखितम्

५११-८। त्रिणिधनमायास्यम्॥ अयास्यो बृहती सोमः॥

पु꣥ना꣯नस्सो꣯मधा꣯हा꣯उहो꣤वा꣥॥ रा꣡या꣢᳐आ꣣ऽ२३४पो꣥। व꣡साऽ२᳐। न꣣आ꣢ऽ३४५। षा꣣ऽ२३४सी꣥॥ आ꣡꣯रा꣢ऽ᳐३४। औ꣣꣯हो꣤꣯वा꣥॥ त्न꣡धा꣯यो꣯निमृताऽ२᳐। स्य꣣सा꣢ऽ३४५इ। दा꣣ऽ२३४सी꣥॥ उ꣡त्सा꣢ऽ३४। औ꣣꣯हो꣤꣯वा꣥॥ दा꣡इवोऽ२᳐। हि꣣रा꣢ऽ३४५॥ ण्या꣣ऽ २३४याः꣥॥

25_0511 पुनानः सोम - 09 ...{Loading}...
लिखितम्

५११-९। कण्वरथन्तम्॥ कण्वो बृहती सोमः॥

पू꣥꣯ना꣯न꣤स्सो꣥꣯मधा꣤꣯र꣥या꣤॥ अ꣢पो꣡꣯वसा। नो꣢ऽ३आ꣡र्षा꣢ऽ३सी꣢। आ꣯रत्नधा꣯यो꣯नि मृतस्यसी꣯दसा꣣ऽ२३४ऐ꣥꣯ही॥ उ꣢त्सो꣡꣯दाऽ२३४इवाः꣥॥ हि꣢राऽ३१उवाऽ२३॥ ए꣢ऽ᳐३। ण्य꣢य꣣आ꣢॥ दी-११। प-८। मा-६॥ २९ (गू) ९४६॥

५११-१०। तिरश्चीन (द्वि) निधनमायास्यम्॥ अयास्यो बृहती सोमः॥

पु꣤ना꣯न꣣स्सो꣤꣯मधा꣣꣯र꣤या꣥꣯। ए꣢ऽ᳐३। औ꣢ऽ३हो꣤ऽ५वा॥ आ꣡पो꣢ऽ३। व꣡साऽ२᳐। न꣣आ꣢ऽ३४५। षा꣢ऽ३सीऽ᳒२᳒। आ꣡रत्न꣢धाः꣡। योनिमृ꣢ता꣡। स्यासा꣢ऽ३आ꣡। औ꣢ऽ३ हो꣤ऽ३। दाऽ२३४सी꣥॥ उ꣢त्सा꣡औ꣢ऽ३हो꣢॥ दा꣡इवोऽ२᳐। हि꣣रा꣢ऽ३४५॥ ण्या꣢ऽ३ या꣡ऽ२३꣡४꣡५ः꣡॥

५११-११। सदोविशीयम्॥ प्रजापतिर्बृहती सोमः॥

पु꣥ना꣯नस्सो꣯मधा꣯रया꣯ओ꣯हा꣯ओ꣯हाऽ६ए꣥। औ꣯हो꣯औ꣯होऽ६वा꣥॥ अ꣢पो꣡꣯वसा꣢꣯नो꣯अर्ष। स्यो꣭ऽ३हा꣢। ओ꣭ऽ३हा꣢ऽ३ए꣢। औ꣭ऽ३हो꣢इ। औ꣭ऽ३हो꣢ऽ३वा꣢। आ꣡꣯रत्न꣢धा꣡꣯यो꣯नि मृ꣢त꣡स्य꣢सी꣯द। स्यो꣭ऽ३हा꣢। ओ꣭ऽ३हा꣢ऽ३ए꣢। औ꣭ऽ३हो꣢इ। औ꣭ऽ३हो꣢ऽ३वा꣢॥ उ꣡त्सोदा꣢ऽ१इवाऽ᳒२ः᳒। ओ꣭ऽ३हा꣢। ओ꣭ऽ३हा꣢ऽ३ए꣢। औ꣭ऽ३हो꣢इ। औ꣭ऽ३हो꣢ऽ३वा꣢॥ हिर꣡। ण्याऽ२᳐या꣣ऽ२३४औ꣥꣯हो꣯वा॥ स꣢दो꣯वि꣡शा꣣ऽ२३꣡४꣡५ः꣡॥

५११-१२। स्ववासिनी द्वे॥ द्वयोर्जमदग्निर्बृहती सोमः॥

ओ꣡ऽ᳒२᳒होऽ१। वाओवा꣢। ओ꣡ऽ᳒२᳒होऽ१। वाओवा꣢। ओ꣡ऽ᳒२᳒होऽ१। वाओवा꣢ऽ३। ओ꣡ऽ२᳐वा꣣ऽ२३४औ꣥꣯हो꣯वा। पु꣢ना꣯न꣡स्सो꣢꣯मधा꣡꣯रया꣢꣯॥ पो꣡꣯वसा꣢꣯नो꣯अर्षसि। आ꣡꣯रत्न꣢धा꣡꣯यो꣯निमृ꣢त꣡स्य꣢सी꣯दसि॥ उ꣡त्सो꣢꣯दे꣯वाः꣡। ओऽ᳒२᳒होऽ१। वाओवा꣢। ओ꣡ऽ᳒२᳒ होऽ१। वाओवा꣢। ओ꣡ऽ᳒२᳒होऽ१। वाओवा꣢ऽ३। ओ꣡ऽ२᳐वा꣣ऽ२३४औ꣥꣯हो꣯वा॥ ए꣢ऽ᳐३। हि꣢रण्य꣡याऽ२३꣡४꣡५ः꣡॥ दी-१७। प-२०। मा-११॥ ३२ (ञ) ९४९॥

५११-१३।

ओ꣢ऽ᳐३। हो꣢ऽ१। वाओवा꣢ऽ३। ओ꣡ऽ२᳐वा꣣ऽ२३४औ꣥꣯हो꣯वा। पु꣢ना꣯न꣡स्सो꣢꣯म धा꣡꣯रया꣢꣯। पो꣡꣯वसा꣢꣯नो꣯अर्षसि॥ आ꣡꣯रत्न꣢धा꣡꣯यो꣯निमृ꣢त꣡स्य꣢सी꣯द। स्योऽ३। हो꣢ऽ१। वाओवा꣢ऽ३। ओ꣡ऽ२᳐वा꣣ऽ२३४औ꣥꣯हो꣯वा॥ उ꣡त्सो꣢꣯दे꣯वो꣡꣯हि꣢रण्ययः। इ꣡डाऽ२३ भा꣢ऽ३४३। ओ꣡ऽ२३४५इ॥ डा॥ दी-१८। प-१५। मा-७॥ ३३ (णे) ९५०॥

५११-१४। प्लवः॥ वसिष्ठो बृहती सोमः॥

हा꣢᳐। वोऽ३हा꣢। वोऽ३हा꣢ऽ३। हा꣢᳐। ओ꣣ऽ२३४वा꣥। हा꣢इ। पूना᳐ना꣣ऽ२३४ स्सो꣥। मा꣢धा᳐रा꣣ऽ२३४या꣥॥ आ꣢पो᳐वा꣣ऽ२३४सा꣥॥ नो꣢अ᳐र्षा꣣ऽ२३४सी꣥। आ꣢र᳐त्ना꣣ ऽ२३४धाः꣥। यो꣢नी᳐मा꣣ऽ२३४र्त्ता꣥। स्या꣢सी᳐दा꣣ऽ२३४सी꣥॥ ऊ꣢त्सो᳐ दा꣣ऽ२३४इवो꣥। हा꣢इर᳐ण्या꣣ऽ२३४याः꣥। हा꣢᳐। वोऽ३हा꣢। वोऽ३हा꣢ऽ३। हा꣢᳐। ओ꣣ऽ२३४वा꣥। हा꣢ऽ३४। औ꣥꣯हो꣯वा॥ ए꣢ऽ᳐३। अ꣡ति꣢वि꣡श्वा꣢꣯निदुरिता꣡꣯त꣢रे꣯मा꣣ऽ२३꣡४꣡५꣡॥ दी-५। प-२४। मा-६॥ ३४ (भू) ९५१॥

५११-१५। रौरवम्॥ रुरुर्बृहती सोमः॥

पु꣢ना꣯नस्सो꣯माऽ३धा꣡राऽ२३४या꣥॥ आ꣡पो꣯वसा꣯नो꣯अर्षस्या꣯रत्नधा꣯यो꣯निमृतस्य साऽ२᳐इद꣣सा꣢इ। ओ꣡हा꣢ऽ३उवा꣢॥ उ꣡त्सो꣯दे꣯वो꣯हिराऽ२३हा꣢इ। ओ꣡हा꣢ऽ३उवा꣢॥ ण्यया꣡। औ꣢ऽ३हो꣤वा꣥। हो꣤ऽ५इ॥ डा॥ दी-११। प-९। मा-७॥ ३५ (घे) ९५२॥

५११-१६। यौधाजयम्॥ युधाजिद्बृहती सोमः॥

पु꣣ना꣢ऽ३१। ना꣢ऽ᳐३स्सो꣤। म꣥। धा꣢᳐रा꣣ऽ२३४या꣥॥ आ꣡पो꣢ऽ३। व꣡साऽ२᳐। न꣣आ꣢ऽ३४५। षा꣣ऽ२३४सी꣥। आ꣢꣯रा꣡त्न꣢धाः꣡। यो꣢꣯। नि꣡मृताऽ२᳐। स्य꣣सा꣢ऽ३४५इ। दा꣣ऽ२३४सी꣥॥ उ꣢त्साऽ᳒२ः᳒॥ दा꣡इवोऽ२᳐। हि꣣रा꣢ऽ३४५। ण्या꣣ऽ२३४याः꣥॥