०७ २

[[अथ सप्तमप्रपाठके द्वितीयोऽर्धः]]

22_0264 यच्छक्रासि परावति - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

२६४-१। द्यौते द्वे॥ द्वैगते वा द्वयोः। द्वयोः द्विगत् बृहतीन्द्रः॥

य꣥च्छक्रा꣢ऽ३सी꣤प꣥रा꣤꣯वती꣥॥ या꣡दर्वा꣢꣯व। तिवा꣡र्त्रा꣢ऽ१हाऽ२᳐न्। अ꣣ता꣢ऽ३ः। हौ꣭ऽ३हो꣢ऽ३वा꣢। त्त्वा꣡꣯गी꣯र्भिर्द्युगदिन्द्राके꣢ऽ१शिभीऽ᳒२ः᳒॥ सु꣡ताऽ२३। वा꣡ऽ२ꣳ᳐आ꣣ऽ२३४औ꣥꣯हो꣯वा॥ ए꣢ऽ᳐३। वि꣡वा꣰꣯ऽ२सती꣣ऽ२३꣡४꣡५꣡॥

22_0264 यच्छक्रासि परावति - 02 ...{Loading}...
लिखितम्

२६४-२।

य꣤च्छ꣥क्रा꣤꣯सि꣥परा꣯व꣤ति꣥यदो꣤हाइ॥ र्वा꣢꣯वऽ३ता꣡इवृ꣪त्राहाऽ२३४न्। अ꣣ता꣢ऽ३४स्त्वा꣣꣯गा꣢इ। भा꣡इर्द्युग꣢दि। द्रा꣡के꣢ऽ१शिभीऽ᳒२ः᳒॥ सु꣡ताऽ२३॥ वा꣡ऽ२ꣳ᳐आ꣣ऽ२३४औ꣥꣯हो꣯वा॥ वि꣡वा꣰꣯ऽ२सती꣣ऽ२३꣡४꣡५꣡॥

23_0265 अभि वो - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

२६५-१। कार्तयशं कार्तवेशं वा॥ कृतयशा बृहतीन्द्रः॥

अ꣥भि꣤वो꣥꣯वी꣯र꣤मन्ध꣥साः꣤॥ म꣢दे꣯षूऽ३गा꣡याऽ᳒२᳒। गिरा꣡माहा꣢ऽ३। वी꣡चे꣢ता꣣ऽ२३४सा꣥म्॥ इ꣤न्द्र꣥न्ना꣯मा꣤॥ श्रू꣡त्यꣳशा꣢꣯का꣡ऽ२᳐इ। ना꣣ऽ२३४औ꣥꣯हो꣯वा॥ व꣢चो꣯उ꣡पा꣣ऽ२३꣡४꣡५꣡॥

24_0266 इन्द्र त्रिधातु - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

२६६-१। इन्द्रस्य शरणम्॥ इन्द्रो बृहतीन्द्रः॥

इ꣤न्द्रत्रिधाऽ५तुशर꣤णाम्॥ त्रि꣢व꣡रू꣯थꣳसु꣢व꣡स्तयाइ। छर्दिर्याऽ२३च्छा꣢। मा꣡घव꣢द्भ्यः। चा꣡म꣪ह्याऽ२३ञ्चा꣢॥ या꣯व꣡याऽ२३दी꣢॥ द्यू꣡मेऽ᳒२᳒भिया꣡। औ꣢ऽ᳐३हो꣤वा꣥। हो꣤ऽ५इ॥ डा॥

25_0267 श्रायन्त इव - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

२६७-१। श्रायन्तीयम्॥ प्रजापति बृहतीन्द्रः॥ (सूर्यः)।श्रा꣥꣯यन्तइवसूऽ४राया꣥म्॥ वि꣡श्वाऽ᳒२᳒इदि꣡न्द्राऽ᳒२᳒। स्य꣡भाऽ᳒२᳒क्षा꣡ता। वासू꣯नि꣢जा꣯तो꣡꣯जनिमा꣢꣯। नियो꣡जा꣢ऽ१साऽ᳒२᳒॥ प्र꣡तिभा꣢꣯ग꣡न्नदी꣰꣯ऽ२धिमः। प्रा꣡ऽ२३ती꣢॥ भा꣡꣯गान्ना꣢ऽ३दा꣢। हि꣡म्। धि꣣मा꣢ऽ३ः। ओ꣡ऽ२३४वा꣥॥ हे꣣ऽ२३꣡४꣡५꣡॥

26_0268 न सीमदेव - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

२६८-१। वाम्रम् आक्षीलं वा॥ वाम्रो बृहतीन्द्रः॥

न꣣सी꣤꣯म꣣दे꣤꣯व꣥आ꣯। हा꣢ऽ३हा꣢ऽ३इ। पा꣡ऽ२३४। तत्पतोवा꣥॥ इ꣡षꣳहोऽ᳒२᳒इ। दी꣡꣯र्घाहोऽ᳒२᳒। यो꣡म꣪र्तायाऽ᳒२ः᳒। आ꣡इतग्वा꣢꣯चित्। यआ꣡इताशो꣢᳐। यु꣣या꣢उवाऽ३। ऊ꣢ऽ᳐३४पा꣥। ज꣡ताऽ᳒२᳒इ॥ आ꣡इन्द्रोऽ᳒२᳒हा꣡रीऽ᳒२᳒॥ युयो꣡ऽ२३। जा꣡ऽ२᳐ता꣣ऽ२३४औ꣥꣯हो꣯वा॥ ऊ꣢ऽ᳐३२᳐३४पा꣥॥

27_0269 आ नो - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

२६९-१। शाक्राणि वा वैयश्वानि वा त्रीणि॥ त्रयाणां वसिष्ठो बृहतीन्द्रः॥

आ꣤꣯नः꣥। ए꣤विश्वा꣥॥ सु꣢हा꣡व्याऽ᳒२᳒म्। आ꣡इन्द्रꣳस꣢म। त्सू꣡भू꣢ऽ१षाता꣢᳐। ऊ꣣ऽ२३४पा꣥। हा꣢ऽ३हा꣢इ। ब्र꣡ह्मा꣢꣯णिस꣡वना꣢꣯। नि꣣वृत्र꣢हा꣡न्॥ प꣢र꣡माऽ२३ज्याः꣢॥ आ꣡र्चा꣢ऽ३हा꣢इ॥ षमा꣡। औ꣢ऽ᳐३हो꣤वा꣥। हो꣤ऽ५इ॥ डा॥

27_0269 आ नो - 02 ...{Loading}...
लिखितम्

२६९-२।

आ꣥꣯नो꣯विश्वा꣯सुहा꣯हा꣤व्या꣥म्॥ इ꣡न्द्रꣳसमत्सुभू꣯षतो꣯। पब्राऽ२३ह्मा꣢। णिस꣡वना। नि꣢वृ꣡त्रहान्॥ प꣢र꣡माऽ२३ज्याः꣢। आ꣡र्चा꣢ऽ३हा꣢इ॥ षमा꣡। औ꣢ऽ᳐३हो꣤वा꣥। हो꣤ऽ५इ॥ डा॥

27_0269 आ नो - 03 ...{Loading}...
लिखितम्

२६९-३।

आ꣥꣯नो꣯विश्वा꣯सुहा꣤व्या꣥म्॥ इ꣢न्द्राम्। समत्सुभू꣯षत। उपा꣡ब्रा꣢ऽ१ह्माऽ᳒२᳒। णिसवना꣯निवृत्रहन्॥ परा꣡मा꣢ऽ१ज्याऽ᳒२ः᳒॥ ऋची꣡꣯षाऽ२३मा꣢ऽ३४३। ओ꣡ऽ२३४५इ॥ डा॥

28_0270 तवेदिन्द्रावमं वसु - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

२७०-१। प्रजापतेर्निधनकामम्॥ प्रजापतिर्बृहतीन्द्रः॥त꣤वे꣯दिन्द्राऽ५वमंव꣤सू॥ त्वं꣡पुष्य꣢सिमध्यम꣡म्। सात्रा꣢᳐वा꣣ऽ२३४इश्वा꣥। स्या꣡प꣢रम꣡स्य꣢रा꣯जसि॥ न꣡कि꣢ष्ट्वा꣣ऽ२३४गो꣥। षू꣡वृ꣪ण्वाऽ२३ता꣢इ। हो꣡वा꣢ऽ३हो꣡इ। हो। वा꣢꣯हाऽ३१उ"वाऽ२३꣡४꣡५꣡॥

29_0271 क्वेयथ क्वेदसि - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

२७१-१। इन्द्रस्य प्रियाणि त्रीणि, वसिष्ठस्य वा॥ त्रयाणां इन्द्रो बृहतीन्द्रः॥

क्वे꣥꣯यथा॥ कु꣢वे꣯द꣡साऽ᳒२᳒इ। औ꣡होऽ᳒२᳒। औ꣡꣯होइ। औ꣢ऽ३होऽ२३४वा꣥। पु꣢रुत्रा꣡꣯चाइत्। हि꣢ते꣯म꣡नाऽ᳒२ः᳒। औ꣡होऽ᳒२᳒। औ꣡꣯होइ। औ꣢ऽ३होऽ२३४वा꣥। अ꣢लर्षि꣡यू। ध्मा꣢꣯ख꣡जकॄऽ᳒२᳒त्। औ꣡होऽ᳒२᳒। औ꣡꣯होइ। औ꣢ऽ३होऽ२३४वा꣥। पु꣢रन्द꣡रा। प्र꣢गा꣯या꣡त्राऽ᳒२ः᳒। औ꣡होऽ᳒२᳒। औ꣡꣯होइ। औ꣢ऽ३होऽ२३४वा꣥॥ अ꣣गा꣢ऽ३। सा꣡ऽ२᳐इषू꣣ऽ२३४औ꣥꣯हो꣯वा॥ सु꣢शꣳ꣡साऽ२३꣡४꣡५ः꣡॥

29_0271 क्वेयथ क्वेदसि - 02 ...{Loading}...
लिखितम्

२७१-२।

कु꣤वा꣥कु꣤वा꣥॥ या꣡था। कु꣢वे꣯द꣡साइ। ऊवाइ। औ꣢ऽ३होऽ२३꣡४꣡५꣡। पु꣢रुत्रा꣡꣯चाइत्। हि꣢ते꣯म꣡नाः। ऊवाइ। औ꣢ऽ३होऽ२३꣡४꣡५꣡। अ꣢लर्षि꣡यू। ध्मा꣢꣯ख꣡जकॄत्। ऊवाइ। औ꣢ऽ३होऽ२३꣡४꣡५꣡॥ पु꣢रन्द꣡रा। प्र꣢गा꣯या꣡त्राः। ऊवाइ। औ꣢ऽ३होऽ२३꣡४꣡५꣡॥ अ꣣गा꣢ऽ३। सा꣡ऽ२᳐इषू꣣ऽ२३४औ꣥꣯हो꣯वा॥ सु꣢शाऽ३ꣳसा꣡ऽ२३꣡४꣡५ः꣡॥

29_0271 क्वेयथ क्वेदसि - 03 ...{Loading}...
लिखितम्

२७१-३।

क्वे꣢꣯यथकूऽ३वा꣡इदाऽ२३४सी꣥॥ पु꣡रुत्रा꣢꣯चित्। हिता꣡इमाऽ२३नाः꣢। आ꣡लर्षि꣢। युध्मा꣡खजकॄ꣢ऽ३त्। हा꣢उवा॥ पुर꣡न्दाऽ२३रा꣢। प्रगा꣯या꣡त्राऽ᳒२ः᳒॥ अगा꣡ऽ२३। सा꣡ऽ२᳐इषू꣣ऽ२३४औ꣥꣯हो꣯वा॥ प्सू꣣ऽ२३꣡४꣡५꣡॥

30_0272 वयमेनमिदा ह्योपीपेमेह - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

२७२-१। ऐन्द्राणि वासिष्ठानि वा, त्रीणि॥ त्रयाणां वसिष्ठो बृहतीन्द्रः॥

व꣥यमे꣯नाम्॥ आ꣡ऽ२᳐इदा꣣ऽ२३४औ꣥꣯हो꣯वा। ही꣣ऽ२३४याः꣥। अ꣡पी꣯पे꣢꣯मे꣯ह꣡वज्रिणम्। तास्माऽ᳒२᳒ऊ꣡वाऽ᳒२᳒। द्य꣡सवनाइ। सूतं꣪भाराऽ᳒२᳒। आ꣯नू꣡꣯नाऽ२३म्भू꣢। षा꣡तश्रु꣢ते꣯। इ꣡डाऽ२३भा꣢ऽ३४३। ओ꣡ऽ२३४५इ॥ डा॥

30_0272 वयमेनमिदा ह्योपीपेमेह - 02 ...{Loading}...
लिखितम्

२७२-२।व꣥यमे꣯नाम्॥ इ꣡दाऽ᳒२᳒हा꣡याः। अ꣢पौ꣡꣯होइ। पे꣢꣯मौ꣡꣯होइ। इ꣣। हा꣢꣯व꣡ज्रिणाम्॥ त꣢स्मा꣯उ꣡वा। द्या꣢꣯स꣡वनाइ। सू꣢꣯तं꣡भरा॥ आ꣢꣯नौ꣡꣯हो। नं꣢भौ꣡꣯हो॥ षा꣢꣯त꣡श्रुता꣢ऽ३१उवाऽ२३॥ ऊ꣢ऽ᳐३४पा꣥॥

30_0272 वयमेनमिदा ह्योपीपेमेह - 03 ...{Loading}...
लिखितम्

२७२-३। इदावासिष्ठम्॥

व꣤य꣣मे꣤꣯न꣥मिदा꣯। हि꣣या꣢᳐ओ꣣ऽ२३४वा꣥। इ꣤याहा꣥इ॥ हु꣢वे꣡होऽ᳒२᳒इ। अ꣡पी꣯पे꣯मे꣯हाव꣪ज्रिणाऽ᳒२᳒म्। त꣡स्मा꣯उवद्यसवनाइ। सूतं꣪भाराऽ᳒२᳒। ई꣭ऽ३या꣢॥ आ꣯नू꣡꣯नाऽ२३४म्भू꣥॥ ष꣢ता꣡श्रूऽ२३४५ताऽ६५६इ॥ श्र꣢वऽ३सा꣡ऽ२३꣡४꣡५꣡इ॥

[[अथ पञ्चम खण्डः]]

31_0273 यो राजा - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

२७३-१। पौरुहन्मनम्॥ पुरुहन्मा विराट् बृहतीन्द्रः॥

यो꣥꣯रा꣯जा꣢ऽ३च꣤र्ष꣥णा꣤इना꣥म्॥ या꣡ता꣯र꣢थे꣯। भिरा꣡ध्रा꣢ऽ१इगूऽ᳒२ः᳒। ध्रा꣡इगूऽ᳒२ः᳒। वा꣡इश्वासा꣢ऽ३म्। त꣡रुता꣢ऽ३। त꣡रुता꣢ऽ३। पा꣡र्ता꣢᳐ना꣣ऽ२३४ना꣥म्॥ ज्या꣡इष्ठं꣢यो꣯वा꣡। त्राहा꣢᳐गा꣣ऽ२३४र्णा꣥इ॥ त्र꣤हाऽ५गृणाइ। हो꣤ऽ५इ॥ डा॥

31_0273 यो राजा - 02 ...{Loading}...
लिखितम्

२७३-२।

यो꣣꣯रा꣯जा꣤꣯च꣥। ष꣣णा꣢ऽ३२३४इना꣥म्॥ या꣡꣯ता꣯रथे꣯भि꣢र꣡ध्राऽ२३इगूः꣢। वि꣡श्वा꣯सा꣯न्तरुता꣯पृतनाऽ२३ना꣢म्॥ ज्या꣡ऽ२३इष्ठा꣢म्॥ यो꣡वृत्र꣢हो꣡वा꣢ऽ३ओ꣡ऽ२३४वा꣥। गा꣤ऽ५र्णोऽ६"हा꣥इ॥

32_0274 यत इन्द्र - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

२७४-१। इन्द्रस्याभयङ्करम्॥ इन्द्रो बृहतीन्द्रः॥

य꣥तआ꣢ऽ३इन्द्रा꣤भ꣥या꣤꣯महा꣥इ॥ त꣡तो꣯नो꣯अभ꣢य꣡ङ्काऽ२३र्धी꣢। म꣡घवञ्छग्धितवतन्न꣢ऊ꣡꣯ताऽ२३या꣢इ॥ विद्वा꣡इषोऽ२३वी꣢॥ मा꣡र्द्धो꣯ज꣢हि। इ꣡डाऽ२३भा꣢ऽ३४३। ओ꣡ऽ२३४५इ॥ डा॥

33_0275 वास्तोष्पते ध्रुवा - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

२७५-१। कावषे द्वे॥ कवषो बृहतीन्द्रः॥ (वास्तोष्पतिः)।

वा꣥꣯स्तो꣯ष्पताइ॥ ध्रु꣢वा꣡। स्थूणा꣢᳐ओ꣣ऽ२३४वा꣥। अꣳ꣡सत्रꣳ꣢सो꣯म्या꣡꣯ना꣰꣯ऽ२म्। द्रप्सᳲ꣡पुरां꣯भे꣯त्ता꣯शश्वताऽ२३इना꣢म्॥ आ꣣ऽ२३४इन्द्राः꣥॥ मु꣡नी꣰꣯ऽ२। नाऽ३१उवाऽ२३॥ साऽ२३४खा꣥॥

33_0275 वास्तोष्पते ध्रुवा - 02 ...{Loading}...
लिखितम्

२७५-२।

वा꣣꣯स्तो꣤꣯ष्प꣥ते꣯ध्रुवा꣯। स्थू꣣꣯णा꣢ऽ३। आ꣡ऽ२३४। सत्रꣳ꣥सो꣯। म्या꣤꣯ना꣥म्॥ द्र꣢प्सᳲ꣡पुरां꣯भे꣯त्ता꣯शश्वताऽ२३इना꣢᳐म्॥ आ꣡ऽ२३इन्द्राः꣢॥ मु꣡नी꣰꣯ऽ२। नो꣡ऽ२३४वा꣥॥ सा꣣ऽ२३४खा꣥॥

34_0276 बण्महां असि - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

२७६-१। सूर्यसाम॥ सूर्यो बृहती सूर्यः॥

ब꣥ण्महाꣳ꣢ऽ३अ꣤सिसू꣥꣯र्या॥ बा꣡डा꣯दि꣢त्य। महाꣳ꣡आ꣢ऽ१साऽ२३४इ। मह꣣स्ते꣤꣯सतो꣣꣯म꣤हिमा꣣꣯प꣤नि꣥। ष्टा꣢ऽ३मा꣢॥ मह्ना꣡꣯दाऽ२३इवा꣢ऽ३॥ म꣢हो꣡ऽ२᳐३४वा꣥। आ꣤ऽ५सोऽ६"हा꣥इ॥

35_0277 अश्वी रथी - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

२७७-१। वैश्वदेवे आनूपे, वाध्र्यश्वे वा द्वे॥ आनूपो बृहतीन्द्रः॥

अ꣤श्वी꣥अ꣤श्वी꣥॥ र꣢थी꣯सुऽ३रू꣡पा꣢ऽ१ईऽ᳒२᳒त्। गो꣡माꣳ꣯य꣢दि। द्रा꣡ते꣢ऽ१साखाऽ᳒२᳒। श्वा꣡त्राऽ᳒२᳒भा꣡जाऽ᳒२᳒। व꣡यसा꣯सच꣢ते꣡꣯साऽ२३दा꣢॥ च꣡न्द्राइर्या꣢ऽ३ती꣢ऽ३॥ सा꣡ऽ२३भा꣤ऽ३म्। ऊ꣢ऽ३४५पोऽ६"हा꣥इ॥

35_0277 अश्वी रथी - 02 ...{Loading}...
लिखितम्

२७७-२।

अ꣥श्वी꣯रथी꣯सुरू꣯पाऽ६ई꣥त्॥ गो꣡꣯माꣳ꣯यदिन्द्रते꣯सखाउवाऽ२३हो꣡वाऽ२३हाऽ᳒२᳒ई꣡या। श्वा꣢꣯त्रा꣡꣯भा꣯जा꣯वयसा꣯सचते꣯सदाउवाऽ२३हो꣡वाऽ२३हाऽ᳒२᳒ई꣡या॥ चन्द्राइर्या꣢ऽ१तीऽ᳒२᳒॥ सा꣡भा꣯मु꣢प। इ꣡डाऽ२३भा꣢ऽ३४३। ओ꣡ऽ२३४५इ॥ डा॥

36_0278 यद्याव इन्द्र - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

२७८-१। वैरूपम्॥ विरूपो बृहतीन्द्रः॥ (सूर्यः)।

य꣢द्या꣡꣯वाऽ२३इ꣤न्द्रते꣥꣯शताम्॥ श꣢तं꣡भू꣯मी꣯रुतस्यूऽ᳒२ः᳒। न꣡त्वा꣯वज्रिन्त्सहस्रꣳसू꣯र्या꣯अनूऽ᳒२᳒॥ ना꣡जाऽ᳒२᳒ता꣡माऽ२३॥ ष्ट꣢रो꣡ऽ२३४वा꣥। दा꣤ऽ५सोऽ६"हा꣥इ॥

37_0279 यदिन्द्र प्रागपागुदग्न्यग्वा - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

२७९-१। नैपातिथे द्वे॥ द्वयोर्निपातिथिर्बृहतीन्द्रः॥

य꣤दि꣥न्द्रप्रा꣤꣯गपाक्॥ उ꣡दाक्। न्यग्वा꣯हू꣯य꣢से꣡꣯नृभाऽ᳒२᳒इः। सि꣡मा꣯पुरू꣯नृषू꣯तो꣯अ। सि꣢या꣡न꣪वाऽ᳒२᳒इ॥ आ꣡सीऽ᳒२᳒प्रा꣡शाऽ᳒२᳒॥ धतो꣡वा꣢ऽ३ओ꣡ऽ२᳐३४वा꣥। र्वा꣤ऽ५शोऽ६"हा꣥इ॥

37_0279 यदिन्द्र प्रागपागुदग्न्यग्वा - 02 ...{Loading}...
लिखितम्

२७९-२। नैपातिथम्॥

य꣥दिन्द्रप्रा꣯गपा꣯गुदाऽ६गे꣥॥ ना꣡यग्वा꣢꣯हू꣯। यसा꣡इनृभी꣢ऽ३ः। हा꣢᳐। औ꣣꣯होऽ२३४हा꣥। सि꣡मा꣰꣯ऽ२पुरू꣡꣯नृषू꣢꣯तो꣯अ꣡। सि꣢या꣡न꣪वेऽ२३। हा꣢᳐। औ꣣꣯होऽ२३४हा꣥॥ अ꣡साइप्राशा꣢ऽ३। हा꣢᳐। औ꣣꣯होऽ२३४हा꣥॥ धा꣡ऽ२᳐तू꣣ऽ२३४औ꣥꣯हो꣯वा॥ र्वा꣣ऽ२३४शे꣥॥

38_0280 कस्तमिन्द्र त्वा - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

२८०-१। कौमुदस्य बृहतः सामनी द्वे॥ द्वयोः कुमुदो बृहत् बृहतीन्द्रः॥

क꣥स्तमिन्द्रा॥ त्वा꣡ऽ᳒२᳒वा꣡साऽ᳒२᳒उ। आ꣡꣯मर्त्यो꣯दधर्षताइ। श्र꣢द्धा꣯हा꣡इतेऽ᳒२᳒। मा꣡घ꣢वन्पा꣡꣯। रियाइदा꣢ऽ१इवीऽ२᳐॥ वा꣣꣯जी꣢꣯वा꣡जाऽ᳒२᳒म्॥ सिषा꣡ऽ२३। सा꣡ऽ२᳐ता꣣ऽ२३४औ꣥꣯हो꣯वा॥ ऊ꣢ऽ᳐३२᳐३४पा꣥॥

38_0280 कस्तमिन्द्र त्वा - 02 ...{Loading}...
लिखितम्

२८०-२।

क꣣स्तमि꣤न्द्र꣥त्वा꣯। व꣣सा꣢ऽ३उ। आ꣡ऽ२३४। मर्त्यो꣥꣯दध। ष꣤ता꣥इ॥ श्र꣢द्धा꣯हा꣡इतेऽ᳒२᳒। मा꣡घ꣢वन्पा꣡꣯। रियाइ। दाइवा꣢᳐ओ꣣ऽ२३४वा꣥। ऊ꣣ऽ२३४पा꣥॥ वा꣣꣯जी꣢꣯वा꣡जाऽ᳒२᳒म्॥ सिषा꣡ऽ२३। सा꣡ऽ२᳐ता꣣ऽ२३४औ꣥꣯हो꣯वा॥ ऊ꣣ऽ२३४पा꣥॥

39_0281 इन्द्राग्नी अपादियम् - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

२८१-१। वाचस्साम॥ वाक् बृहती इन्द्राग्नी॥

इ꣥न्द्रा꣯ग्नी꣯अपा꣯दियाऽ६मे꣥॥ पू꣡꣯र्वागाऽ᳒२᳒त्। प꣡द्वताइभा꣢ऽ१याऽ᳒२ः᳒। हित्वा꣡꣯शिरो꣰꣯ऽ२जिह्व꣡या꣯रा꣯। राप꣪च्चाराऽ᳒२᳒त्॥ त्रिꣳश꣡त्पदा॥ नि꣢या꣡ऽ२३। क्रा꣡ऽ२᳐मा꣣ऽ२३४औ꣥꣯हो꣯वा॥ ऊ꣢ऽ᳐३२᳐३४पा꣥॥

40_0282 इन्द्र नेदीय - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

२८२-१। वाम्रे द्वे॥ द्वयोर्वम्रो बृहतीन्द्रः॥

इ꣤न्द्र꣥ने꣤꣯दी꣥꣯यए꣤꣯दि꣥। हा꣤इ। मि꣥त꣤मे꣥꣯। धा॥ भि꣢रू꣡꣯तिभिः॥ आ꣯शन्ताऽ२३मा꣢। श꣡न्तमा꣯भिर꣢भि꣡ष्टिभिः। आ꣯स्वाऽ२३पे꣢॥ स्वा꣡औ꣢ऽ३हो꣤ऽ३। पि꣢भि᳐रो꣣ऽ२३४५इ॥ डा॥

40_0282 इन्द्र नेदीय - 02 ...{Loading}...
लिखितम्

२८२-२।

इ꣤न्द्र꣥ने꣤꣯दी꣥꣯यए꣤꣯दि꣥। हा꣤इ। मि꣥त꣤मे꣥꣯। धा꣯। भिरू꣯ति꣤भाइः॥ आ꣢꣯श꣡न्तमशन्तमाऽ᳒२᳒भा꣡इः। आभि꣪ष्टिभिः॥ आ꣯स्वाऽ᳒२᳒पा꣡इस्वाऽ२३॥ हा꣤ऽ३। पि꣢भि᳐रो꣣ऽ२३४५इ॥ डा॥

[[अथ षष्ठ खण्डः]]

41_0283 इत ऊती - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

२८३-१। प्रहितौ द्वौ, वासुके वा॥ द्वयोर्गौरीवितिर्बृहतीन्द्रः॥

इ꣥तऊ꣯ती॥ वो꣢ऽ३ओ꣡जा꣢ऽ३रा꣢म्। औ꣭ऽ३हो꣢ऽ३वा꣢। प्रहे꣯ता꣯रम꣡प्राही꣢ऽ३ता꣢म्। औ꣭ऽ३हो꣢ऽ३वा꣢। आ꣯शुञ्जे꣯ता꣯राऽ३ꣳहा꣡इता꣢ऽ३रा꣢म्। औ꣭ऽ३हो꣢ऽ३वा꣢॥ रथा꣡इतममतू꣯र्ताऽ२३४ न्तू꣥॥ ग्रि꣣या꣢ऽ३। वा꣡ऽ२᳐र्द्धा꣣ऽ२३४औ꣥꣯हो꣯वा॥ स्तु꣢षेऽ१॥

41_0283 इत ऊती - 02 ...{Loading}...
लिखितम्

२८३-२।इ꣥तऊ꣯ती꣯वो꣯अजाऽ६रा꣥म्॥ प्र꣢हे꣯ता꣡꣯रमप्रहितमुहुवाऽ२३हो꣡इ। आ꣢꣯शु꣡ञ्जे꣯ता꣯रꣳहाइता꣯रमुहुवाऽ२३हो꣡॥ र꣢थी꣯। त꣡माऽ२᳐म्। अ꣣तू꣢᳐र्ता꣣ऽ२३४न्तू꣥॥ ग्रि꣣या꣢ऽ३। वा꣡ऽ२᳐र्द्धा꣣ऽ२३४औ꣥꣯हो꣯वा॥ स्तौ꣢ऽ३षाऽ२३꣡४꣡५꣡इ॥

42_0284 मो षु - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

२८४-१। आत्रे द्वे॥ द्वयोरत्रिर्बृहतीन्द्रः॥

मो꣥꣯षुत्वा꣯वा॥ घा꣡ताऽ२३४५ः। चा꣣ऽ२३४ना꣥। आ꣢꣯रे꣡꣯अस्मन्निरी꣰꣯ऽ२रमन्। आ꣡रा꣢ऽ१त्ताद्वाऽ᳒२᳒। सा꣡ध꣪मादाऽ᳒२᳒म्। ना꣡आ꣯ग꣢हि॥ आ꣡इह꣪वासाऽ᳒२᳒न्॥ ऊ꣡पश्रु꣢धि। इ꣡डाऽ२३भा꣢ऽ३४३। ओ꣡ऽ२३४५इ॥ डा॥

42_0284 मो षु - 02 ...{Loading}...
लिखितम्

२८४-२।

मो꣥꣯षुत्वा꣯वा꣯घतश्चनाऽ६ए꣥॥ आ꣢꣯रे꣡꣯अस्मन्निरी꣯रमाऽ᳒२᳒न्। हाऽ᳒२᳒ऊ꣡ऊवाऽ᳒२᳒इ। ऊ।

आ꣢꣯रा꣡꣯त्ता꣯द्वा꣯सधमा꣯दाऽ᳒२᳒म्। हाऽ᳒२᳒ऊ꣡ऊवाऽ᳒२᳒इ। ऊऽ२꣮। नआ᳐गा꣣ऽ२३४ही꣥॥ आ꣡इह। वासौ꣢वाओ꣣ऽ२३४वा꣥॥ उ꣢प꣡श्रूऽ२३धा꣢ऽ३४३इ। ओ꣡ऽ२३४५इ॥ डा॥