०११ २

[[अथ एकादशप्रपाठके द्वितीयोऽर्धः]]

[[अथ अष्टम खण्डः]]

30_0419 आ ते - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

४१९-१। संजये द्वे॥ द्वयोरिन्द्रः पंक्तिरग्निः॥

आ꣡ऽ२३४। ते꣯अ꣥ग्नइधी꣯। मा꣤हा꣥इ॥ द्यु꣢मन्तंदे꣯वऽ३। आ꣡ऽ२३। ज꣢र꣣मा꣢। य꣡द्धास्या꣢ऽ३ता꣢ऽ३इ। पा꣡नीऽ२᳐या꣣ऽ२३४सी꣥। स꣢मि꣡द्दी꣰꣯ऽ२द꣡य। ताऽ२३इ। द्य꣢वि꣣या꣢॥ इ꣡षाꣳस्तो꣢ऽ३तॄ꣢ऽ३॥ भ्या꣡ऽ२३आ꣤ऽ३। भा꣢ऽ३४५रोऽ६"हा꣥इ॥

30_0419 आ ते - 02 ...{Loading}...
लिखितम्

४१९-२। संजयम्॥

आ꣣꣯ते꣤꣯अ꣥ग्नइधी꣯। मा꣢ऽ३हा꣤इ। द्यु꣥मन्ता꣢ऽ३न्दे꣤꣯व꣥अ꣤जर꣥म्॥ य꣣द्ध꣤स्या꣣꣯ते꣤꣯प꣣नी꣤꣯य꣥सी꣯। स꣤मि꣣द्दी꣤꣯द꣣य꣤ता꣥इ। हि꣭म्ऽ३(स्थि)हि꣢᳐म्। द्या꣣ऽ२३४वी꣥॥ इ꣡षꣳस्तो꣯तॄभ्या꣢ऽ३आ꣢॥ हि꣭म्ऽ३(स्थि)हि꣢म्ऽ३४३। भा꣢ऽ३४५रोऽ६"हा꣥इ॥

31_0420 आग्निं न - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

४२०-१। उत्सेधः॥ अंगिरसः पंक्तिरग्निः॥

हा꣢उ। औ᳐हो꣣ऽ२३४वा꣥। आ꣡꣯ग्निन्नस्ववृक्ति꣢भी꣣ऽ२३꣡४꣡५ः꣡॥ हा꣢उ। औ᳐हो꣣ऽ२३४वा꣥। हो꣡꣯ता꣢꣯रन्त्वा꣯वृणी꣯महे꣣ऽ२३꣡४꣡५꣡। हा꣢उ। औ᳐हो꣣ऽ२३४वा꣥। शी꣢꣯रं꣡पा꣢꣯वक꣡शो꣢꣯चिषम्। वि꣣वो꣢᳐मा꣣ऽ२३४दा꣥इ। हा꣢उ। औ᳐हो꣣ऽ२३४वा꣥। य꣢ज्ञा꣡इषु꣢स्ती꣯र्ण꣡ब꣢र्हिषा꣣ऽ२३꣡४꣡५꣡म्॥ हा꣢उ। औ᳐हो꣣ऽ२३४वा꣥॥ वि꣡वक्ष꣢से꣣ऽ२३꣡४꣡५꣡॥

31_0420 आग्निं न - 02 ...{Loading}...
लिखितम्

४२०-२। निषेधः॥ अंगिरसः पंक्तिरग्निः॥

आ꣥꣯ग्निन्नस्ववृक्तिभिर्हइहा꣯हाइ॥ हो꣡꣯ता꣢꣯रन्त्वा꣯वृणी꣯महइ꣡ह꣢इ꣡हा꣢ऽ३। हा꣢इ। शी꣯रं꣡पा꣢꣯वक꣡शो꣢꣯चिषमि꣡ह꣢इ꣡हा꣢ऽ३। हा꣢इ। वि꣣वो꣢᳐मा꣣ऽ२३४दा꣥इ॥ य꣢ज्ञा꣡इषु꣢स्ती꣯र्ण꣡ब꣢र्हिषमि꣡ह꣢इ꣡हा꣢ऽ३। हा꣢ऽ३इ॥ वा꣡ऽ२᳐इवा꣣ऽ२३४औ꣥꣯हो꣯वा॥ क्षा꣣ऽ२३४से꣥॥

32_0421 महे नो - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

४२१-१। सत्यश्रवसः वाय्यस्य साम॥ सत्यश्रवाः पंक्तिरुषा॥ म꣣हा꣢ऽ३४इ। महे꣯नो꣥꣯अद्य꣤। बो꣥꣯धाऽ६या꣥॥ उ꣡षो꣢꣯रा꣯ये꣯। दिवि꣡त्माऽ२३ती꣢। य꣡थाची꣢ऽ३न्ना꣢ऽ३ः। आ꣡बो꣢᳐धा꣣ऽ२३४याः꣥। स꣡त्याश्रा꣢ऽ३वा꣢ऽ३। सि꣡वाऽ२᳐या꣣ऽ२३४या꣥इ॥ सु꣡जाता꣢ऽ३आ꣢ऽ३॥ श्वा꣡ऽ२३सू꣤ऽ३। ना꣢ऽ᳐३४५र्त्तोऽ६"हा꣥इ॥

33_0422 भद्रं नो - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

४२२-१। पौषम्॥ पूषा पंक्ति सोमः॥

भ꣢द्र꣡न्नोऽ२३अ꣤पिवा꣥꣯तया॥ म꣡नो꣰꣯ऽ२द꣡। क्षाम्। ऊत꣢क्रा꣣ऽ२३४तू꣥म्॥ आ꣡था꣢꣯ते꣯। सा꣡। ख्ये꣢꣯अ꣣न्ध꣢सा꣡ऽ२ः᳐। वि꣣वो꣢᳐मा꣣ऽ२३४दा꣥इ। र꣡णा꣰꣯ऽ२गा꣡꣯वा꣰꣯ऽ२न꣡य॥ वसाये꣢ऽ३॥ वा꣡ऽ२᳐इवा꣣ऽ२३४औ꣥꣯हो꣯वा॥ क्षा꣣ऽ२३४से꣥॥

34_0423 क्रत्वा महाम् - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

४२३-१। औषसम्॥ उषा पंक्तिरिन्द्रः॥

क्र꣥त्वा꣯महाꣳ꣯अनुष्वधाऽ६मे꣥॥ भी꣢꣯मआ꣯वा꣯वृऽ३ता꣡इशा꣢ऽ१वाऽ᳒२ः᳒। श्रिय꣡ऋष्वा꣢ऽ३ः। ऊ꣡पा꣢᳐का꣣ऽ२३४योः꣥। नि꣢शिप्री꣯हरिऽ३वा꣡न्दा꣢ऽ१धाऽ᳒२᳒इ॥ ह꣡स्तायो꣢ऽ३र्वा꣢ऽ३॥ ज्र꣢मो꣡ऽ२३४वा꣥। या꣤ऽ५सोऽ६"हा꣥इ॥

35_0424 स घा - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

४२४-१। लौशम्॥ लुशः पंक्तिरिन्द्रः॥

स꣣घा꣤꣯तं꣣वृष꣤ण꣥म्। र꣣था꣢ऽ३४औ꣣꣯हो꣤꣯वा꣥॥ आ꣡धिति꣢ष्ठा꣯। तिगो꣡वा꣢ऽ१इदाऽ᳒२᳒म्। यᳲपा꣡꣯त्रꣳ꣢हा꣡। रि꣪योऽ२᳐जा꣣ऽ२३४ना꣥म्। पू꣢꣯र्ण꣡मि। द्रा। चीके꣢᳐ता꣣ऽ२३४ती꣥॥ यो꣡꣯जानू꣢ऽ३वा꣢ऽ३इ॥ द्रा꣡ऽ२᳐ता꣣ऽ२३४औ꣥꣯हो꣯वा॥ हा꣣ऽ२३४री꣥॥

36_0425 अग्निं तम् - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

४२५-१। निषेधः॥ अंगिरसः पंक्तिरिन्द्रः॥

अ꣥ग्निंता꣢ऽ३म्म꣤न्ये꣥꣯यो꣤꣯वसूः꣥॥ अ꣢स्तं꣡यंया꣢ऽ३। ती꣡धे꣢᳐ना꣣ऽ२३४वाः꣥। अ꣢स्त꣡मर्वा꣢ऽ३। ता꣡आऽ२᳐शा꣣ऽ२३४वाः꣥। अ꣢स्त꣡न्नित्या꣢ऽ३। सो꣡꣯वाऽ२᳐जा꣣ऽ२३४इनाः꣥॥ इ꣡षाꣳस्तो꣢ऽ३तॄ꣢ऽ३४। हा꣣꣯होऽ२३४हा꣥॥ भ्या꣡ऽ२३आ꣤ऽ३। भा꣢ऽ३४५रोऽ६"हा꣥इ॥

37_0426 न तमंहो - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

४२६-१। अꣳहोमुचस्साम॥ अꣳहोमुचग्बृहती विश्वेदेवाः॥न꣤तमꣳहो꣥꣯न꣤दु꣥रित꣤म्। ईय꣥इ꣤याहा꣥इ॥ दा꣡इवा꣰꣯ऽ२सो꣯अ꣡ष्ट꣢म꣡र्तिय꣢मी꣡꣯। य꣢इ꣡याऽ२३हा꣢इ॥ सजो꣡꣯षसो꣢꣯य꣡मर्य꣢मा꣡꣯ई꣯। य꣢इ꣡याऽ२३हा꣢इ॥ मा꣡इत्रोनाया꣢ऽ३॥ ति꣡वाऽ२᳐रू꣣ऽ२३४५णाऽ६५६ः॥ अ꣡ति꣢द्वि꣡षा꣣ऽ२३꣡४꣡५ः꣡॥

[[अथ नवम खण्डः]]

38_0427 परि प्र - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

४२७-१। इन्द्रस्य संक्रमे द्वे॥ द्वयोरिन्द्रः पंक्तिरिन्द्रसोमौ॥

प꣤रि꣥प्र꣤ध꣥न्वा꣤॥ इ꣡न्द्रा꣯यसो꣯मास्वा꣢ऽ१दूऽ२३४ः। हा꣥इ॥ मि꣢त्रा꣡꣯या॥ पू꣢꣯ष्णे꣡꣯भाऽ२३४हा꣥इ॥ गा꣡ऽ२३४यो꣥ऽ६"हा꣥इ॥

38_0427 परि प्र - 02 ...{Loading}...
लिखितम्

४२७-२।

प꣤रि꣥प्र꣤ध꣥न्वा꣤॥ इ꣡न्द्रा꣯यसो꣯मा। ओ꣭ऽ३हा꣢᳐। ओ꣭ऽ३हा꣢᳐॥ स्वा꣯दु꣡र्मित्रा꣯या। ओ꣭ऽ३हा꣢᳐। ओ꣭ऽ३हा꣢᳐॥ पू꣣꣯ष्णा꣢ऽ३४औ꣥꣯हो꣯वा॥ भ꣢गाऽ३या꣡ऽ२३꣡४꣡५꣡॥

38_0427 परि प्र - 03 ...{Loading}...
लिखितम्

४२७-३। सौहविषाणि त्रीणि॥ (स्वर्निधनꣳसौहविषम्)। त्रयाणां सुहविः पंक्तिरिन्द्रसोमौ॥

प꣣री꣢ऽ३हो꣡इ। प्रधा꣣ऽ२३४न्वा꣥॥ इ꣣न्द्रा꣢ऽ३हो꣡। यसो꣣ऽ२३४मा꣥। स्वा꣣꣯दू꣢ऽ३र्हो꣡इ। मित्रा꣣ऽ२३४या꣥। पू꣣꣯ष्णे꣢ऽ३हो꣡इ। भगा꣣ऽ२३४या꣥॥ पू꣤꣯ष्णे꣣꣯भगा꣤꣯य꣥॥ पू꣣꣯ष्णे꣢ऽ३४३। हो꣢ऽ३४३इ। भा꣢ऽ३गा꣤ऽ५याऽ६५६॥ ए꣢ऽ᳐३। सु꣡वर्व꣢ते꣣ऽ२३꣡४꣡५꣡॥

38_0427 परि प्र - 04 ...{Loading}...
लिखितम्

४२७-४।

हा꣢ऽ३हा꣢इ। परिप्रऽ३धा꣡न्वा꣢᳐। ए꣣ऽ२३४हि꣥या। हा꣢ऽ३हा꣢इ॥ हाऽ३हा꣢इ। इन्द्रा꣯यऽ३सो꣡मा꣢᳐। ए꣣ऽ२३४हि꣥या। हा꣢ऽ३हा꣢इ॥ हाऽ३हा꣢इ। स्वा꣯दुर्मिऽ३त्रा꣡या꣢᳐। ए꣣ऽ२३४हि꣥या। हा꣢ऽ३हा꣢इ॥ हाऽ३हा꣢इ। पू꣯ष्णे꣯भऽ३गा꣡या꣢᳐। ए꣣ऽ२३४हि꣥या। हा꣢ऽ३हा꣢ऽ३४३इ। ओ꣡ऽ२३४५इ॥ डा॥

38_0427 परि प्र - 05 ...{Loading}...
लिखितम्

४२७-५। वाङ्निधनꣳसौहविषम्॥

प꣤। र्येपारी꣥॥ प्र꣢ध꣡न्वा। होवा꣢ऽ३हो꣡इ। इन्द्रा꣯यसो꣯मा। होवा꣢ऽ३हो꣡इ। स्वा꣢꣯दु꣡र्मित्रा꣯या। होवा꣢ऽ३हो꣡ये꣢ऽ३। पू꣯ष्णौ꣢वा᳐ओ꣣ऽ२३४वा꣥। भ꣤गाऽ५याउ॥ वा॥

39_0428 पर्यू षु - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

४२८-१। बाकानि त्रीणि॥ त्रयाणां बकोऽनुष्टुप्सोमः॥

प꣢र्यू꣯षुप्रधन्वा꣯वा꣯जऽ३सा꣡। ताया꣢इ। ओ꣡इ। पारी꣢। ओ꣡इ। वृत्रा꣢꣯णि। स꣡क्षणिः। द्वाइष꣪स्ताराऽ᳒२᳒। धि꣡याऽ᳒२᳒इ। अ꣡र्णायाऽ᳒२ः᳒। नाऽ᳒२ः᳒। ई꣡꣯रासाऽ२३इ। ओ꣡ये꣢ऽ३। रसा꣢ऽ३४३इ। ओ꣡ऽ२३४५इ॥ डा॥

39_0428 पर्यू षु - 02 ...{Loading}...
लिखितम्

४२८-२।

प꣥र्यू꣯षू॥ प्र꣢ध꣡न्वा꣯वा꣢ऽ३। जा꣡सा꣢᳐ता꣣ऽ२३४या꣥इ। प꣢रिवृत्रा꣯णिसक्षणिः। द्वि꣡षास्ता꣢ऽ३रा꣢॥ धि꣡या꣯ऋणया꣢ऽ१ना꣢ऽ३ई꣢॥ हि꣡म्। रा꣢ऽ३४५सोऽ६"हा꣥इ॥

39_0428 पर्यू षु - 03 ...{Loading}...
लिखितम्

४२८-३।

प꣤। र्येपारी꣥॥ ऊ꣡꣯षुप्रधन्वा꣯वा꣯जसा꣯तये꣯परिवृत्रा꣯णिसक्षणिर्द्वाऽ२३इषाः꣢। ता꣡ऽ२३रा꣢॥ धि꣡या꣯ऋणया꣯नओवा꣢ऽ३ओ꣡ऽ२३४वा꣥॥ रा꣤ऽ५सोऽ६"हा꣥इ॥

40_0429 पवस्व सोम - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

४२९-१। धर्म सामनी द्वे॥ द्वयोः प्रजापतिः पंक्तिस्सोमः॥

प꣤व꣥स्वसो꣯मा꣤॥ मा꣡हा꣢꣯न्त्स꣡मुद्राः। पि꣢ता꣡꣯दे꣰꣯ऽ२वा꣡꣯नाऽ२३म्॥ वा꣡ऽ२᳐इश्वा꣣ऽ२३४औ꣥꣯हो꣯वा॥ भि꣢धा꣡꣯माऽ२३꣡४꣡५꣡॥

40_0429 पवस्व सोम - 02 ...{Loading}...
लिखितम्

४२९-२। धर्मसाम॥

औ꣥꣯होऽ६वा꣥। औ꣢꣯होऽ३वा꣢। औ꣯हो꣡ऽ२᳐वा꣣ऽ२३४औ꣥꣯होऽ६वा꣥। प꣡वस्व꣢सो꣯म॥ महा꣡꣯न्त्समु꣢द्रः꣡॥ पि꣢ता꣡꣯दे꣰꣯ऽ२वा꣡꣯ना꣰꣯ऽ२म्॥ वि꣡श्वा꣢꣯भि꣡धा꣯माऽ२३४। औ꣥꣯होऽ६वा꣥॥ औ꣢꣯होऽ३वा꣢। औ꣯हो꣡ऽ२᳐वा꣣ऽ२३४औ꣥꣯होऽ६वा꣥॥ ए꣢ऽ᳐३। ध꣡र्माऽ२३꣡४꣡५꣡॥

41_0430 प वस्व - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

४३०-१। विधर्म सामनी द्वे॥ द्वयोः प्रजापतिः पंक्तिस्सोमः॥

ओ꣥꣯होऽ६वा꣥। ओ꣢꣯होऽ३वा꣢। ओ꣯हो꣡ऽ२᳐वा꣣ऽ२३४ओ꣥꣯होऽ६वा꣥। प꣡वस्व꣢सो꣯म॥ महे꣡꣯दक्षा꣢꣯य॥ अ꣡श्वो꣢꣯न꣡नि꣢क्तः꣡॥ वा꣰꣯ऽ२जी꣡꣯धना꣰꣯ऽ२᳐या꣣ऽ२३४। ओ꣥꣯होऽ६वा꣥॥ ओ꣢꣯होऽ३वा꣢। ओ꣯हो꣡ऽ२᳐वा꣣ऽ२३४ओ꣥꣯होऽ६वा꣥। ए꣢ऽ᳐३। वि꣡ध꣢र्मा꣣ऽ२३꣡४꣡५꣡॥

41_0430 प वस्व - 02 ...{Loading}...
लिखितम्

४३०-२। धनसाम॥

प꣤व꣥स्वसो꣯मा꣤॥ म꣢हे꣯दऽ३क्षा꣡याऽ᳒२᳒॥ अ꣡श्वो꣯ननिक्तोऽ२३॥ वा꣯जा꣢ऽ३४। औ꣥꣯हो꣯वा। ध꣢नाऽ३या꣡ऽ२३꣡४꣡५꣡॥

42_0431 इन्दु पविष्ट - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

४३१-१। भागम्॥ भगः पंक्तिस्सोमः॥

इ꣤न्दुᳲ꣥पविष्टा꣤। चा꣡ऽ२३रूः꣢। मदा꣯या꣡॥ अ꣢पा꣯मु꣡पाऽ२३स्था꣢ऽ३इ॥ का꣡ऽ२᳐वा꣣ऽ२३४औ꣥꣯हो꣯वा। भ꣢गाऽ३या꣡ऽ२३꣡४꣡५꣡॥

43_0432 अनु हि - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

४३२-१। वाजिनाँसाम॥ वाजिनोऽनुष्टुप्सोमः॥

अ꣤नु꣥। अनू꣤॥ हा꣡इत्वा꣢꣯सुतꣳ꣡सो꣢꣯मम꣡दा꣢꣯म꣣सि। मदा꣯म꣢सा꣡ये꣢ऽ३। महा꣢ऽ३४३इ। सा꣢ऽ३४मा꣥॥ र्य꣢रा꣡꣯ज्ये꣢꣯। वा꣡꣯जाꣳ꣢꣯अभि꣡पवमा꣢꣯न꣣। पवमा꣢꣯ना꣡॥ प्रागा꣢꣯हसा꣡। औ꣢ऽ३हो꣤वा꣥। हो꣤ऽ५इ॥ डा॥

44_0433 क ई - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

४३३-१। हिकम्॥ प्रजापतिः पंक्तिर्मरुतः॥

क꣤ई꣥꣯म्व्य꣤ऽ५क्ताः꣤॥ न꣢रस्सऽ३ना꣡इडाऽ᳒२ः᳒॥ रुद्र꣡स्यमर्याऽ२३ः॥ आ꣡ऽ२᳐था꣣ऽ२३४औ꣥꣯हो꣯वा॥ सु꣢वाऽ३श्वा꣡ऽ२३꣡४꣡५ः꣡॥

44_0433 क ई - 02 ...{Loading}...
लिखितम्

४३३-२। विकम्॥ प्रजापतिः पंक्तिर्मरुतः॥

क꣣ई꣢ऽ३४३म्वि꣢य꣣क्ताः꣥꣯॥ न꣣रा꣢ऽ३४३स्स꣢नी꣣꣯डाः꣥꣯॥ रु꣢द्र꣡स्याम꣪र्याऽ२३ः॥ आ꣡ऽ२᳐था꣣ऽ२३४औ꣥꣯हो꣯वा॥ सु꣢वाऽ३श्वा꣡ऽ२३꣡४꣡५ः꣡॥

44_0433 क ई - 03 ...{Loading}...
लिखितम्

४३३-३। निकम्॥ प्रजापतिः पंक्तिर्मरुतः॥

का꣤ई꣥म्। वि꣡याऽ२३। ओ꣡वा꣢ऽ३। आ꣤क्ताः꣥॥ ना꣤राः꣥। स꣡नाऽ२३। ओ꣡वा꣢ऽ३। आ꣤इडाः꣥॥ रू꣤द्रा꣥। स्य꣡माऽ२३। ओ꣡वा꣢ऽ३। आ꣤र्याः꣥॥ आ꣤था꣥। सु꣡वाऽ२३। ओ꣡वा꣢ऽ३। आ꣤श्वाः꣥। हो꣤ऽ५इ॥ डा॥

45_0434 अग्ने तमद्याश्वम् - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

४३४-१। आश्वे द्वे॥ द्वयोरश्वः पंक्तिरग्निः॥

अ꣥ग्ने꣯तमा꣤द्या꣥॥ अ꣢श्वन्नस्तो꣡꣯माइः। क्र꣢तुन्नऽ३भा꣡द्राऽ᳒२᳒म्॥ हा꣡र्दि꣢स्पृशा꣡म्॥ ऋ꣢ध्या꣡ऽ२᳐मा꣣ऽ२३४औ꣥꣯हो꣯वा॥ त꣢ओ꣡꣯हा꣣ऽ२३꣡४꣡५꣡इः॥

45_0434 अग्ने तमद्याश्वम् - 02 ...{Loading}...
लिखितम्

४३४-२।

अ꣥ग्ने꣯। हो꣢ऽ३४३इ। त꣢म꣣द्य꣥॥ अ꣢श्वन्नस्तो꣡꣯माइः। क्र꣢तुन्नऽ३भा꣡द्राऽ᳒२᳒म्॥ हा꣡र्दा꣢ऽ३ओ꣡इ। स्पृश꣢म्॥ ऋध्या꣡ऽ२᳐मा꣣ऽ२३४औ꣥꣯हो꣯वा। त꣢ओ꣡꣯हा꣣ऽ२३꣡४꣡५꣡इः॥

46_0435 आविर्मर्या आ - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

४३५-१। वाजिनाꣳसाम॥ वाजिनः पुरउष्णिक् सविता॥

आ꣢꣯वि꣡र्माऽ२३४र्याः꣥॥ आ꣡꣯वा꣯जंवा꣯जिनो꣯अग्मान्। दे꣢꣯व꣡स्य꣢स॥ वितु꣡स्साऽ२३४वा꣥म्॥ स्व꣡र्गाꣳअ꣪र्वाऽ२३४५न्ताऽ६५६ः॥ ज꣡यताऽ२३꣡४꣡५꣡॥

47_0436 पवस्व सोम - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

४३६-१। पवित्रम्॥ आदित्याः पंक्तिस्सोमः॥

प꣤व꣥स्वसो꣯मा꣤॥ द्यु꣣म्नी꣢ऽ३४३सु꣢धा꣣꣯रः꣥। मा꣡हाꣳ꣢꣯अ꣡वी꣯नाम्॥ अनुपू꣢꣯॥ र्वि꣣यो꣢ऽ३४५इ॥ डा॥

[[अथ दशम खण्डः]]

01_0437 विश्वतोदावन्विश्वतो न - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

४३७-१। आभरे द्वे॥ द्वयोरिन्द्रः पंक्तिरिन्द्रः॥

वि꣥श्वतो꣯हाउ॥ दा꣢꣯वन्विश्व꣡तोनाः꣢। ओऽ३। हा꣢᳐। ओ꣣ऽ२३४हा꣥इ। आ꣢꣯। भरा꣯। भा꣡ऽ२३रा꣢॥ या꣡न्त्वा꣢꣯श꣡विष्ठ꣢मा꣡इ॥ माहा꣢᳐। औ꣣꣯होऽ२३४वा꣥॥ ऐ꣢꣯ही꣯यै꣣꣯ही꣢ऽ१॥

01_0437 विश्वतोदावन्विश्वतो न - 02 ...{Loading}...
लिखितम्

४३७-२।

वि꣤श्व꣥तो꣯दा꣯वन्विश्व꣤तो꣥꣯नआ꣤॥ भ꣢रा꣯। भा꣡ऽ२३रा꣢॥ या꣡न्त्वा꣢꣯श꣡विष्ठ꣢मा꣡इम꣢॥ हा꣡। औ꣢ऽ३हो꣤वा꣥। हो꣤ऽ५इ॥ डा॥

02_0438 एष ब्रह्मा - 01 ...{Loading}...
लिखितम्

४३८-१। वासुमन्दे द्वे॥ द्वयोर्वसुमन्दो गायत्रीन्द्रः॥ए꣤षाः꣥। ब्रा꣡ह्मा꣯य꣢आऽ३१उवाऽ२३। ए꣢ऽ३᳐। त्वि꣢य꣣आ꣢॥ आ꣡ऽ२३इन्द्राः꣢॥ ना꣡मश्रु꣢ताऽ३१उवाऽ२३॥ ए꣢ऽ᳐३। गृ꣢ण꣣आ꣢॥

02_0438 एष ब्रह्मा - 02 ...{Loading}...
लिखितम्

४३८-२।

ए꣤षा꣥ए꣤षाः꣥॥ ब्रा꣡ह्माऽ᳒२᳒ब्रा꣡ह्माऽ᳒२᳒। यऋ꣡त्वियोवा꣢। ओ꣡वा꣢। आ꣡इन्द्राऽ᳒२᳒आ꣡इन्द्राऽ᳒२ः᳒॥ ना꣡꣯मश्रुतोवा꣢। ओ꣡वा꣢। गृणा꣡। औ꣢ऽ३हो꣤वा꣥। हो꣤ऽ५इ॥ डा॥

02_0438 एष ब्रह्मा - 03 ...{Loading}...
लिखितम्

४३८-३। कावषाणि त्रीणि॥ त्रयाणां कवषो गायत्रीन्द्रः॥

ए꣤षाः꣥। ओ꣤। ओवा꣥। ब्र꣡ह्मा꣢꣯याः꣡। ऋ꣪त्वियाऽ᳒२ः᳒। आ꣡इन्द्रो꣢ऽ३हा꣢ऽ३इ॥ ना꣢ऽ३मा꣢॥ श्रू꣡ऽ२३तो꣢। गृणा꣡। औ꣢ऽ३हो꣤वा꣥। हो꣤ऽ५इ॥ डा॥

02_0438 एष ब्रह्मा - 04 ...{Loading}...
लिखितम्

४३८-४।

ओ꣭ऽ३हा꣢ऽ३४३। ओ꣢ऽ३४हा꣥। ए꣢꣯षा꣡ब्राह्मा꣢ऽ३४३। या꣢ऽ३४ः। ऋ꣥त्वियाः꣤॥ ओ꣭ऽ३हा꣢ऽ३४३। ओ꣢ऽ३४हा꣥। इ꣢न्द्रो꣡नामा꣢ऽ३४३। श्रू꣢ऽ३४। तो꣥꣯गृणा꣤इ। ओ꣭ऽ३हा꣢ऽ३४३॥ ओ꣢ऽ३४५हा"ऽ६५६॥ ए꣢ऽ᳐३। सु꣡वर्व꣢ते꣣ऽ२३꣡४꣡५꣡॥

02_0438 एष ब्रह्मा - 05 ...{Loading}...
लिखितम्

४३८-५।

ए꣢꣯षब्र꣡ह्मौ꣯हो॥ या꣢꣯ऋ꣡त्वियाः॥ इ꣢न्द्रो꣯ना꣡꣯मौ꣯हो॥ श्रू꣢꣯तो꣡꣯गृणा꣢ऽ३१उवाऽ२३॥ ऊ꣢ऽ३४पा꣥॥