इन्द्रो॒ मदा॑य वावृधे॒ शव॑से वृत्र॒हा नृभि॑।
तमिन्म॒हत्स्वा॒जिषू॒तेमर्भे॑ हवामहे॒ स वाजे॑षु॒ प्र नो॑ऽविषत्॥ १.०८१.०१
असि॒ हि वी॑र॒ सेन्योऽसि॒ भूरि॑ पराद॒दिः।
असि॑ द॒भ्रस्य॑ चिद्वृ॒धो यज॑मानाय शिक्षसि सुन्व॒ते भूरि॑ ते॒ वसु॑॥ १.०८१.०२
यदु॒दीर॑त आ॒जयो॑ धृ॒ष्णवे॑ धीयते॒ धना॑।
यु॒क्ष्वा म॑द॒च्युता॒ हरी॒ कं हन॒ कं वसौ॑ दधो॒ऽस्माँ इ॑न्द्र॒ वसौ॑ दधः॥ १.०८१.०३
क्रत्वा॑ म॒हाँ अ॑नुष्व॒धं भी॒म आ वा॑वृधे॒ शव॑।
श्रि॒य ऋ॒ष्व उ॑पा॒कयो॒र्नि शि॒प्री हरि॑वान्दधे॒ हस्त॑यो॒र्वज्र॑माय॒सम्॥ १.०८१.०४
आ प॑प्रौ॒ पार्थि॑वं॒ रजो॑ बद्ब॒धे रो॑च॒ना दि॒वि।
न त्वावाँ॑ इन्द्र॒ कश्च॒न न जा॒तो न ज॑निष्य॒तेऽति॒ विश्वं॑ ववक्षिथ॥ १.०८१.०५
यो अ॒र्यो म॑र्त॒भोज॑नं परा॒ददा॑ति दा॒शुषे॑।
इन्द्रो॑ अ॒स्मभ्यं॑ शिक्षतु॒ वि भ॑जा॒ भूरि॑ ते॒ वसु॑ भक्षी॒य तव॒ राध॑सः॥ १.०८१.०६
मदे॑मदे॒ हि नो॑ द॒दिर्यू॒था गवा॑मृजु॒क्रतु॑।
सं गृ॑भाय पु॒रू श॒तोभ॑याह॒स्त्या वसु॑ शिशी॒हि रा॒य आ भ॑र॥ १.०८१.०७
मा॒दय॑स्व सु॒ते सचा॒ शव॑से शूर॒ राध॑से।
वि॒द्मा हि त्वा॑ पुरू॒वसु॒मुप॒ कामा॑न्ससृ॒ज्महेऽथा॑ नोऽवि॒ता भ॑व॥ १.०८१.०८
ए॒ते त॑ इन्द्र ज॒न्तवो॒ विश्वं॑ पुष्यन्ति॒ वार्य॑म्। अ॒न्तर्हि ख्यो जना॑नाम॒र्यो वेदो॒ अदा॑शुषां॒ तेषां॑ नो॒ वेद॒ आ भ॑र॥ १.०८१.०९