०२९ दर्भमणिः

०२९ दर्भमणिः ...{Loading}...

Whitney subject
  1. Continuation of the foregoing.
VH anukramaṇī

दर्भमणिः।
१-९ ब्रह्मा। दर्भमाणिः। अनुष्टुप्।

Whitney anukramaṇī

[As 28. navakam.]

Whitney

Comment

This is a mere continuation of the preceding hymn, and it is hard to see why they are divided. They are found together in Pāipp. xiii. ⌊Ritual use under 28.⌋

Translations

Translated: Griffith, ii. 286.

Griffith

A charm for the destruction of enemies, continued from 28

०१ निक्ष दर्भ

विश्वास-प्रस्तुतिः ...{Loading}...

निक्ष॑ दर्भ स॒पत्ना॑न्मे॒ निक्ष॑ मे पृतनाय॒तः।
निक्ष॑ मे॒ सर्वा॑न्दु॒र्हार्दो॒ निक्ष॑ मे द्विष॒तो म॑णे ॥

०१ निक्ष दर्भ ...{Loading}...

Whitney
Translation
  1. Gore, O darbhá, my rivals; gore those that fight against me; gore
    all my enemies; gore my haters, O amulet.
Notes

Half the mss. accent in this verse nikṣá. The comm. follows the
dhātupāṭha in interpreting it to mean cumba ‘kiss’! ⌊He intends
rather the root cumb ‘harm,’ hiṅsāyām, not cumb, vaktrasaṁyoge.

Griffith

Pierce thou my rivals, Darbha, pierce the men who fain would fight with me. Pierce all who wish me evil, pierce the men who hate me,. Amulet!

पदपाठः

निक्ष॑। द॒र्भ॒। स॒ऽपत्ना॑न्। मे॒। निक्ष॑। मे॒। पृ॒त॒ना॒ऽय॒तः। निक्ष॑। मे॒। सर्वा॑न्। दुः॒ऽहार्दः॑। निक्ष॑। मे॒। द्वि॒ष॒तः। म॒णे॒। २९.१।

अधिमन्त्रम् (VC)
  • दर्भमणिः
  • ब्रह्मा
  • अनुष्टुप्
  • दर्भमणि सूक्त
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - विषयः

सेनापति के लक्षण का उपदेश –॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पदार्थः

पदार्थान्वयभाषाः - (दर्भ) हे दर्भ ! [शत्रुविदारक सेनापति] (मे) मेरे (सपत्नान्) वैरियों को (निक्ष) कोंच डाल, (मे) मेरे लिये (पृतनायतः) सेना चढ़ा लानेवालों को (निक्ष) कोंच डाल। (मे) मेरे (सर्वान्) सब (दुर्हार्दः) दुष्ट हृदयवालों को (निक्ष) कोंच डाल, (मणे) हे प्रशंसनीय ! (मे) मेरे (द्विषतः) वैरियों को (निक्ष) कोंच डाल ॥१॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - भावार्थः

भावार्थभाषाः - स्पष्ट है ॥१॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पादटिप्पनी

टिप्पणी: १−(निक्ष) णिक्ष चुम्बने, अत्र पीडने। पीडय ॥

०२ तृन्द्धि दर्भ

विश्वास-प्रस्तुतिः ...{Loading}...

तृ॒न्द्धि द॑र्भ स॒पत्ना॑न्मे तृ॒न्द्धि मे॑ पृतनाय॒तः।
तृ॒न्द्धि मे॒ सर्वा॑न्दु॒र्हार्दो॑ तृ॒न्द्धि मे॑ द्विष॒तो म॑णे ॥

०२ तृन्द्धि दर्भ ...{Loading}...

Whitney
Translation
  1. Bore, O darbhá, my rivals; bore those etc. etc.
Notes

The comm. glosses the verb with nāśaya.

Griffith

Split thou my rivals, Darbha, etc. (as in 1, with ‘split’ for ‘pierce’ throughout).

पदपाठः

तृ॒न्द्धि। द॒र्भ॒। स॒ऽपत्ना॑न्। मे॒। तृ॒न्द्धि। मे॒। पृ॒त॒ना॒ऽय॒तः। तृ॒न्द्धि। मे॒। सर्वा॑न्। दुः॒ऽहार्दः॑। तृ॒न्द्धि। मे॒। द्वि॒ष॒तः। म॒णे॒। २९.२।

अधिमन्त्रम् (VC)
  • दर्भमणिः
  • ब्रह्मा
  • अनुष्टुप्
  • दर्भमणि सूक्त
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - विषयः

सेनापति के लक्षण का उपदेश –॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पदार्थः

पदार्थान्वयभाषाः - (दर्भ) हे दर्भ ! [शत्रुविदारक सेनापति] (मे) मेरे (सपत्नान्) वैरियों को (तृन्द्धि) चीर डाल, (मे) मेरे लिये (पृतनायतः) सेना चढ़ा लानेवालों को (तृन्द्धि) चीर डाल। (मे) मेरे (सर्वान्) सब (दुर्हार्दः) दुष्ट हृदयवालों को (तृन्द्धि) चीर डाल, (मणे) हे प्रशंसनीय ! (मे) मेरे (द्विषतः) वैरियों को (तृन्द्धि) चीर डाल ॥२॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - भावार्थः

भावार्थभाषाः - स्पष्ट है ॥२॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पादटिप्पनी

टिप्पणी: २−(तृन्धि) उतृदिर् हिंसानादरयोः। विनाशय ॥

०३ रुन्द्धि दर्भ

विश्वास-प्रस्तुतिः ...{Loading}...

रु॒न्द्धि द॑र्भ स॒पत्ना॑न्मे रु॒न्द्धि मे॑ पृतनाय॒तः।
रु॒न्द्धि मे॒ सर्वा॑न्दु॒र्हार्दो॑ रु॒न्द्धि मे॑ द्विष॒तो म॑णे ॥

०३ रुन्द्धि दर्भ ...{Loading}...

Whitney
Translation
  1. Obstruct, O darbhá, my rivals; obstruct those etc. etc.
Notes

The comm. glosses the verb (after the dhātupāṭha) with āvṛṇu nirodhaṁ
kuru
. The Pet. Lex. ⌊s.v. 3 ru ‘zerschlagen’⌋ suggests reading
instead rudhí “according to mss.”; but rudhí is found in only one
ms., in a, while the same ms. has rundhí in b, c, d; rudhí
is accordingly only a careless misreading. Ppp. has bhaṅkti.

Griffith

Check thou, etc.

पदपाठः

रु॒न्द्धि। द॒र्भ॒। स॒ऽपत्ना॑न्। मे॒। रु॒न्द्धि। मे॒। पृ॒त॒ना॒ऽय॒तः। रु॒न्द्धि। मे॒। सर्वा॑न्। दुः॒ऽहार्दः॑। रु॒न्द्धि। मे॒। द्वि॒ष॒तः। म॒णे॒। २९.३।

अधिमन्त्रम् (VC)
  • दर्भमणिः
  • ब्रह्मा
  • अनुष्टुप्
  • दर्भमणि सूक्त
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - विषयः

सेनापति के लक्षण का उपदेश –॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पदार्थः

पदार्थान्वयभाषाः - (दर्भ) हे दर्भ ! [शत्रुविदारक सेनापति] (मे) मेरे (सपत्नान्) वैरियों को (रुन्द्धि) रोक दे, (मे) मेरे लिये (पृतनायतः) सेना चढ़ा लानेवालों को (रुन्द्धि) रोक दे। (मे) मेरे (सर्वान्) सब (दुर्हार्दः) दुष्ट हृदयवालों को (रुन्द्धि) रोक दे, (मणे) हे प्रशंसनीय ! (मे) मेरे (द्विषतः) वैरियों को (रुन्द्धि) रोक दे॥३॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - भावार्थः

भावार्थभाषाः - स्पष्ट है ॥३॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पादटिप्पनी

टिप्पणी: ३−(रुन्द्धि) रुधिर् आवरणे। आवृणु। निरोधं कुरु ॥

०४ मृण दर्भ

विश्वास-प्रस्तुतिः ...{Loading}...

मृ॒ण द॑र्भ स॒पत्ना॑न्मे मृ॒ण मे॑ पृतनाय॒तः।
मृ॒ण मे॒ सर्वा॑न्दु॒र्हार्दो॑ मृ॒ण मे॑ द्विष॒तो म॑णे ॥

०४ मृण दर्भ ...{Loading}...

Whitney
Translation
  1. Kill, O darbhá, my rivals; kill those etc. etc.
Notes
Griffith

Crush thou, etc.

पदपाठः

मृ॒ण। द॒र्भ॒। स॒ऽपत्ना॑न्। मे॒। मृ॒ण। मे॒। पृ॒त॒ना॒ऽय॒तः। मृ॒ण। मे॒। सर्वा॑न्। दुः॒ऽहार्दः॑। मृ॒ण। मे॒। द्वि॒ष॒तः। म॒णे॒। २९.४।

अधिमन्त्रम् (VC)
  • दर्भमणिः
  • ब्रह्मा
  • अनुष्टुप्
  • दर्भमणि सूक्त
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - विषयः

सेनापति के लक्षण का उपदेश –॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पदार्थः

पदार्थान्वयभाषाः - (दर्भ) हे दर्भ ! [शत्रुविदारक सेनापति] (मे) मेरे (सपत्नान्) वैरियों को (मृण) मार डाल, (मे) मेरे लिये (पृतनायतः) सेना चढ़ा लानेवालों को (मृण) मार डाल। (मे) मेरे (सर्वान्) सब (दुर्हार्दः) दुष्ट हृदयवालों को (मृण) मार डाल, (मणे) हे प्रशंसनीय ! (मे) मेरे (द्विषतः) वैरियों को (मृण) मार डाल ॥४॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - भावार्थः

भावार्थभाषाः - स्पष्ट है ॥४॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पादटिप्पनी

टिप्पणी: ४−(मृण) मृण हिंसायाम्। मारय ॥

०५ मन्थ दर्भ

विश्वास-प्रस्तुतिः ...{Loading}...

मन्थ॑ दर्भ स॒पत्ना॑न्मे॒ मन्थ॑ मे पृतनाय॒तः।
मन्थ॑ मे॒ सर्वा॑न्दु॒र्हार्दो॒ मन्थ॑ मे द्विष॒तो म॑णे ॥

०५ मन्थ दर्भ ...{Loading}...

Whitney
Translation
  1. Grind, O darbhá, my rivals; grind those etc. etc.
Notes

About half the mss. accent manthá. The comm. gives, as if from the
dhātupāṭha, mantha loḍane (Westergaard and Böhtlingk viloḍane).

Griffith

Shake thou, etc.

पदपाठः

मन्‍थ॑। द॒र्भ॒। स॒ऽपत्ना॑न्। मे॒। मन्थ॑। मे॒। पृ॒त॒ना॒ऽय॒तः। मन्थ॑। मे॒। सर्वा॑न्। दुः॒ऽहार्दः॑। मन्थ॑। मे॒। द्वि॒ष॒तः॒। म॒णे॒। २९.५।

अधिमन्त्रम् (VC)
  • दर्भमणिः
  • ब्रह्मा
  • अनुष्टुप्
  • दर्भमणि सूक्त
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - विषयः

सेनापति के लक्षण का उपदेश –॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पदार्थः

पदार्थान्वयभाषाः - (दर्भ) हे दर्भ ! [शत्रुविदारक सेनापति] (मे) मेरे (सपत्नान्) वैरियों को (मन्थ) मथ डाल, (मे) मेरे लिये (पृतनायतः) सेना चढ़ा लानेवालों को (मन्थ) मथ डाल। (मे) मेरे (सर्वान्) सब (दुर्हार्दः) दुष्ट हृदयवालों को (मन्थ) मथ डाल, (मणे) हे प्रशंसनीय ! (मे) मेरे (द्विषतः) वैरियों को (मन्थ) मथ डाल ॥१॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - भावार्थः

भावार्थभाषाः - स्पष्ट है ॥५॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पादटिप्पनी

टिप्पणी: ५−(मन्थ) मन्थ विलोडने। विलोडय ॥

०६ पिण्ड्ढि दर्भ

विश्वास-प्रस्तुतिः ...{Loading}...

पि॒ण्ड्ढि द॑र्भ स॒पत्ना॑न्मे पि॒ण्ड्ढि मे॑ पृतनाय॒तः।
पि॒ण्ड्ढि मे॒ सर्वा॑न्दु॒र्हार्दो॑ पि॒ण्ड्ढि मे॑ द्विष॒तो म॑णे ॥

०६ पिण्ड्ढि दर्भ ...{Loading}...

Whitney
Translation
  1. Crush (piṣ), O darbhá, my rivals; crush those etc. etc.
Notes

Ppp. reads piṇḍi.

Griffith

Bruise thou, etc.

पदपाठः

पि॒ण्ड्ढि। द॒र्भ॒। स॒ऽपत्ना॑न्। मे॒। पि॒ण्ड्ढि। मे॒। पृ॒त॒ना॒ऽय॒तः। पि॒ण्ड्ढि। मे॒। सर्वा॑न्। दुः॒ऽहार्दः॑। पि॒ण्ड्ढि। मे॒। द्वि॒ष॒तः। म॒णे॒। २९.६।

अधिमन्त्रम् (VC)
  • दर्भमणिः
  • ब्रह्मा
  • अनुष्टुप्
  • दर्भमणि सूक्त
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - विषयः

सेनापति के लक्षण का उपदेश –॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पदार्थः

पदार्थान्वयभाषाः - (दर्भ) हे दर्भ ! [शत्रुविदारक सेनापति] (मे) मेरे (सपत्नान्) वैरियों को (पिण्ड्ढि) पीस डाल, (मे) मेरे लिये (पृतनायतः) सेना चढ़ा लानेवालों को (पिण्ड्ढि) पीस डाल। (मे) मेरे (सर्वान्) सब (दुर्हार्दः) दुष्ट हृदयवालों को (पिण्ड्ढि) पीस डाल, (मणे) हे प्रशंसनीय ! (मे) मेरे (द्विषतः) वैरियों को (पिण्ड्ढि) पीस डाल ॥१॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - भावार्थः

भावार्थभाषाः - स्पष्ट है ॥६॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पादटिप्पनी

टिप्पणी: ६−(पिण्ड्ढि) पिष्लृ संचूर्णने। चूर्णीकुरु ॥

०७ ओष दर्भ

विश्वास-प्रस्तुतिः ...{Loading}...

ओष॑ दर्भ स॒पत्ना॑न्मे॒ ओष॑ मे पृतनाय॒तः।
ओष॑ मे॒ सर्वा॑न्दु॒र्हार्दो॒ ओष॑ मे द्विष॒तो म॑णे ॥

०७ ओष दर्भ ...{Loading}...

Whitney
Translation
  1. Scorch (uṣ), O darbhá, my rivals; scorch those etc. etc.
Notes

The majority of mss. combine in a-b me óṣa, and SPP. follows them.

Griffith

Burn thou, etc.

पदपाठः

ओष॑। द॒र्भ॒। स॒ऽपत्ना॑न्। मे॒। ओष॑। मे॒। पृ॒त॒ना॒ऽय॒तः। ओष॑। मे॒। सर्वा॑न्। दुः॒ऽहार्दः॑। ओष॑। मे॒। द्वि॒ष॒तः। म॒णे॒। २९.७।

अधिमन्त्रम् (VC)
  • दर्भमणिः
  • ब्रह्मा
  • अनुष्टुप्
  • दर्भमणि सूक्त
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - विषयः

सेनापति के लक्षण का उपदेश –॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पदार्थः

पदार्थान्वयभाषाः - (दर्भ) हे दर्भ ! [शत्रुविदारक सेनापति] (मे) मेरे (सपत्नान्) वैरियों को (ओष) जला दे, (मे) मेरे लिये (पृतनायतः) सेना चढ़ा लानेवालों को (ओष) जला दे। (मे) मेरे (सर्वान्) सब (दुर्हार्दः) दुष्ट हृदयवालों को (ओष) जला दे, (मणे) हे प्रशंसनीय ! (मे) मेरे (द्विषतः) वैरियों को (ओष) जला दे ॥१॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - भावार्थः

भावार्थभाषाः - स्पष्ट है ॥७॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पादटिप्पनी

टिप्पणी: ७−(ओष) उष दाहे। भस्मीकुरु ॥

०८ दह दर्भ

विश्वास-प्रस्तुतिः ...{Loading}...

दह॑ दर्भ स॒पत्ना॑न्मे॒ दह॑ मे पृतनाय॒तः।
दह॑ मे॒ सर्वा॑न्दु॒र्हार्दो॒ दह॑ मे द्विष॒तो म॑णे ॥

०८ दह दर्भ ...{Loading}...

Whitney
Translation
  1. Burn, O darbhá, my rivals; burn those etc. etc.
Notes

The decided majority of mss. accent dahá.

Griffith

Consume, etc.

पदपाठः

दह॑। द॒र्भ॒। स॒ऽपत्ना॑न्। मे॒। दह॑। मे॒। पृ॒त॒ना॒ऽय॒तः। दह॑। मे॒। सर्वा॑न्। दुः॒ऽहार्दः॑। दह॑। मे॒। द्वि॒ष॒तः। म॒णे॒। २९.८।

अधिमन्त्रम् (VC)
  • दर्भमणिः
  • ब्रह्मा
  • अनुष्टुप्
  • दर्भमणि सूक्त
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - विषयः

सेनापति के लक्षण का उपदेश –॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पदार्थः

पदार्थान्वयभाषाः - (दर्भ) हे दर्भ ! [शत्रुविदारक सेनापति] (मे) मेरे (सपत्नान्) वैरियों को (दाह) दाह कर दे, (मे) मेरे लिये (पृतनायतः) सेना चढ़ा लानेवालों को (दाह) दाह कर दे। (मे) मेरे (सर्वान्) सब (दुर्हार्दः) दुष्ट हृदयवालों को (दाह) दाह कर दे, (मणे) हे प्रशंसनीय ! (मे) मेरे (द्विषतः) वैरियों को (दाह) दाह कर दे ॥१॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - भावार्थः

भावार्थभाषाः - स्पष्ट है ॥८॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पादटिप्पनी

टिप्पणी: ८−(दह) भस्मसात्कुरु ॥

०९ जहि दर्भ

विश्वास-प्रस्तुतिः ...{Loading}...

ज॒हि द॑र्भ स॒पत्ना॑न्मे ज॒हि मे॑ पृतनाय॒तः।
ज॒हि मे॒ सर्वा॑न्दु॒र्हार्दो॑ ज॒हि मे॑ द्विष॒तो म॑णे ॥

०९ जहि दर्भ ...{Loading}...

Whitney
Translation
  1. Slay, O darbhá, my rivals; slay those etc. etc.
Notes
Griffith

Slay thou my rivals. Darbha, slay the men who fain would fight with me. Slay all who wish me evil, slay the men who hate me, Amulet.

पदपाठः

ज॒हि॒। द॒र्भ॒। स॒ऽपत्ना॑न्। मे॒। ज॒हि। मे॒। पृ॒त॒ना॒ऽय॒तः। ज॒हि। मे॒। सर्वा॑न्। दुः॒ऽहार्दः॑। ज॒हि। मे॒। द्वि॒ष॒तः। म॒णे॒। २९.९।

अधिमन्त्रम् (VC)
  • दर्भमणिः
  • ब्रह्मा
  • अनुष्टुप्
  • दर्भमणि सूक्त
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - विषयः

सेनापति के लक्षण का उपदेश –॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पदार्थः

पदार्थान्वयभाषाः - (दर्भ) हे दर्भ ! [शत्रुविदारक सेनापति] (मे) मेरे (सपत्नान्) वैरियों को (जहि) नाश कर दे, (मे) मेरे लिये (पृतनायतः) सेना चढ़ा लानेवालों को (जहि) नाश कर दे। (मे) मेरे (सर्वान्) सब (दुर्हार्दः) दुष्ट हृदयवालों को (जहि) नाश कर दे, (मणे) हे प्रशंसनीय ! (मे) मेरे (द्विषतः) वैरियों को (जहि) नाश कर दे ॥१॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - भावार्थः

भावार्थभाषाः - स्पष्ट है ॥९॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पादटिप्पनी

टिप्पणी: ९−(जहि) हन हिंसागत्योः। नाशय ॥