०१७ द्रविणार्थ प्रार्थना ...{Loading}...
Whitney subject
17 (18). Prayer to Dhātar for blessings.
VH anukramaṇī
द्रविणार्थ प्रार्थना।
१-४ भृगुः। धाता, सविता, ४ अग्निः, त्वष्टा, विष्णुः।
१ त्रिपदा आर्षी गायत्री, २ अनुष्टुप्, ३-४ त्रिष्टुप्।
Whitney anukramaṇī
[Bhṛgu.—caturṛcam. sāvitram uta bahudmatyam. ānuṣṭubham: 1. 3-p. ārṣī gāyatrī; 3, 4. triṣṭubh.]
Whitney
Comment
Literally (at the end) ‘with full,’ to which the comm. supplies dhanena. Ppp. shows no variants. TS. (ii. 4. 51 et al.) has dadātu in a, and vāvanat for yachatu at the end. MS. ⌊iv. 12. 6⌋ has only a (with dadhātu), combining it with our 2 b-d.
Griffith
A prayer for wealth and children
०१ धाता दधातु
विश्वास-प्रस्तुतिः ...{Loading}...
धा॒ता द॑धातु नो र॒यिमीशा॑नो॒ जग॑त॒स्पतिः॑।
स नः॑ पू॒र्णेन॑ यच्छतु ॥
मूलम् ...{Loading}...
मूलम् (VS)
धा॒ता द॑धातु नो र॒यिमीशा॑नो॒ जग॑त॒स्पतिः॑।
स नः॑ पू॒र्णेन॑ यच्छतु ॥
०१ धाता दधातु ...{Loading}...
Whitney
Translation
- Let Dhātar assign (dhā) to us wealth, [he] being master (īś),
lord of the moving creation; let him yield to us with fulness.
Notes
Literally (at the end) ‘with full,’ to which the comm. supplies
dhanena. Ppp. shows no variants. TS. (ii. 4. 5¹ et al.) has dadātu
in a, and vāvanat for yachatu at the end. MS. ⌊iv. 12. 6⌋ has
only a (with dadhātu), combining it with our 2 b-d.
Griffith
May the Ordainer give us wealth, Lord, ruler of the world of life: with full hand may he give to us.
पदपाठः
धा॒ता। द॒धा॒तु॒। नः॒। र॒यिम्। ईशा॑नः। जग॑तः। पतिः॑। सः। नः॒। पू॒र्णेन॑। य॒च्छ॒तु॒। १८.१।
अधिमन्त्रम् (VC)
- सविता
- भृगुः
- त्रिपदार्षी गायत्री
- द्रविणार्थप्रार्थना सूक्त
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - विषयः
गृहस्थ के कर्म का उपदेश।
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पदार्थः
पदार्थान्वयभाषाः - (ईशानः) ऐश्वर्यवान् (जगतः पतिः) जगत् का पालनेवाला, (धाता) धाता विधाता [सृष्टिकर्ता] (नः) हमें (रयिम्) धन (दधातु) देवे। (सः) वही (नः) हमको (पूर्णेन) पूर्ण बल से (यच्छतु) ऊँचा करे ॥१॥
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - भावार्थः
भावार्थभाषाः - गृहस्थ लोग जगत्पति परमात्मा के अनुग्रह से प्रयत्न करके धन और बल बढ़ाकर सुखी रहें ॥१॥
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पादटिप्पनी
टिप्पणी: १−(धाता) सर्वस्य विधाता-निरु० ११।१०। सृष्टिकर्ता (दधातु) ददातु (नः) अस्मभ्यम् (रयिम्) धनम् (ईशानः) ईश्वरः (जगतः) (पतिः) पालकः (सः) धाता (नः) अस्मान् (पूर्णेन) समस्तेन बलेन (यच्छतु) यम-लोट्। उद्यच्छतु। उन्नयतु ॥
०२ धाता दधातु
विश्वास-प्रस्तुतिः ...{Loading}...
धा॒ता द॑धातु दा॒शुषे॒ प्राचीं॑ जी॒वातु॒मक्षि॑ताम्।
व॒यं दे॒वस्य॑ धीमहि सुम॒तिं वि॒श्वरा॑धसः ॥
मूलम् ...{Loading}...
मूलम् (VS)
धा॒ता द॑धातु दा॒शुषे॒ प्राचीं॑ जी॒वातु॒मक्षि॑ताम्।
व॒यं दे॒वस्य॑ धीमहि सुम॒तिं वि॒श्वरा॑धसः ॥
०२ धाता दधातु ...{Loading}...
Whitney
Translation
- Let Dhātar assign to his worshiper an unexhausted further life; may
we obtain the favor of the all-bestowing god.
Notes
TS. (iii. 3. 11³), MS. (iv. 12. 6), AśS. (vi. 14. 16)*, śśS. (ix. 28.
3), and śGS. (i. 22), have the same verse, with sundry differences: all†
read dadātu in a, and TS.MS. have no rayím for dāśúṣe (thus
substituting our 1 a); in b, śśS. and śGS. have akṣitim at
end; in d, for viśvárādhasas, TS. has satyárādhasas, MS.śśS.śGS.
satyádharmaṇas, and AśS. vājinīvatas. Ppp. is defective in this
verse, but presents no variants. The comm. explains dhīmahi once by
dhārayema and once by dhyāyema. *⌊So also AGS. (transl.), p. 36,
note, as in AśS.⌋ †⌊Save MS.⌋
Griffith
May Dhatar grant the worshipper henceforth imperishable life. May we obtain the favour of the God who giveth every boon.
पदपाठः
धा॒ता। द॒धा॒तु॒। दा॒शुषे॑। प्राची॑म्। जी॒वातु॑म्। अक्षि॑ताम्। व॒यम्। दे॒वस्य॑। धी॒म॒हि॒। सु॒ऽम॒तिम्। वि॒श्वऽरा॑धसः। १८.२।
अधिमन्त्रम् (VC)
- सविता
- भृगुः
- अनुष्टुप्
- द्रविणार्थप्रार्थना सूक्त
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - विषयः
गृहस्थ के कर्म का उपदेश।
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पदार्थः
पदार्थान्वयभाषाः - (धाता) सबका पोषण करनेवाला ईश्वर (दाशुषे) उदारचित पुरुष को (प्राचीम्) अच्छे प्रकार आदर योग्य (अक्षिताम्) अक्षय (जीवातुम्) जीविका (दधातु) देवे। (विश्वराधसः) सर्वधनी (देवस्य) प्रकाशस्वरूप ईश्वर की (सुमतिम्) सुमति [यथावत् विषयवाली बुद्धि] को (वयम्) हम (धीमहि) धारण करें ॥२॥
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - भावार्थः
भावार्थभाषाः - मनुष्य परमेश्वर के धारण पोषण आदि गुणों के चिन्तन से बुद्धि बढ़ा कर धनी और बली होवें ॥२॥ यह मन्त्र कुछ भेद से स्वामी दयानन्द कृत संस्कारविधि, सीमन्तोन्नयन में और निरुक्त ११।११। में आया है ॥
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पादटिप्पनी
टिप्पणी: २−(धाता) सर्वपोषकः (दधातु) ददातु (दाशुषे) अ० ४।२४।१। दानशीलाय (प्राचीम्) प्रकर्षेण पूज्याम् (जीवातुम्) अ० ६।५।२। जीविकाम्-निरु० ११।११। (अक्षिताम्) अक्षीणाम् (वयम्) पुरुषार्थिनः (देवस्य) प्रकाशस्वरूपस्य (धीमहि) डुधाञ् धारणपोषणयोः-विधिलिङ्। छन्दस्युभयथा। पा० ३।४।११७। आर्धधातुकत्वाच्छप् न। आतो लोप इटि च। पा० ६।४।६४। आकारलोपः। दधीमहि। धरेम (सुमतिम्) कल्याणीं मतिम् (विश्वराधसः) सर्वधनिनः ॥
०३ धाता विश्वा
विश्वास-प्रस्तुतिः ...{Loading}...
धा॒ता विश्वा॒ वार्या॑ दधातु प्र॒जाका॑माय दा॒शुषे॑ दुरो॒णे।
तस्मै॑ दे॒वा अ॒मृतं॒ सं व्य॑यन्तु॒ विश्वे॑ दे॒वा अदि॑तिः स॒जोषाः॑ ॥
मूलम् ...{Loading}...
मूलम् (VS)
धा॒ता विश्वा॒ वार्या॑ दधातु प्र॒जाका॑माय दा॒शुषे॑ दुरो॒णे।
तस्मै॑ दे॒वा अ॒मृतं॒ सं व्य॑यन्तु॒ विश्वे॑ दे॒वा अदि॑तिः स॒जोषाः॑ ॥
०३ धाता विश्वा ...{Loading}...
Whitney
Translation
- Let Dhātar assign all desirable things unto the progeny-wishing
worshiper in his home; for him let the gods wrap up immortality
(amṛ́ta)—all the gods, Aditi, in unison.
Notes
This verse occurs only in TS. (iii. 3. 11³) and MS. (iv. 12. 6), both
reading alike: for a, dhatā́ dadātu dāśúṣe vásūni; mīḍhúṣe (for
dāśúṣe) in b; amṛ́tāḥ sáṁ vyayantām in c; and devā́sas in
d. Ppp. gives, for a, dhātā, viśvāni ⌊which rectifies the
meter⌋ dāśuṣe dadātu; for c, tasyā prajām amṛtas saṁvayantu;
and, in d, devāsas (rectifying the meter) ⌊and confirming my
conjecture made at the former occurrence of this pāda at iii. 22. 1
d⌋.
Griffith
To him may Dhatar grant all kinds of blessings who, craving children, serves him in his dwelling. Him may the Gods invest with life eternal, yea, all the Gods and Aditi accordant.
पदपाठः
धा॒ता। विश्वा॑। वार्या॑। द॒धा॒तु॒। प्र॒जाऽका॑माय। दा॒शुषे॑। दु॒रो॒णे। तस्मै॑। दे॒वाः। अ॒मृत॑म्। सम्। व्य॒य॒न्तु॒। विश्वे॑। दे॒वाः। अदि॑तिः। स॒ऽजोषाः॑। १८.३।
अधिमन्त्रम् (VC)
- सविता
- भृगुः
- त्रिष्टुप्
- द्रविणार्थप्रार्थना सूक्त
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - विषयः
गृहस्थ के कर्म का उपदेश।
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पदार्थः
पदार्थान्वयभाषाः - (धाता) सबका धारण करनेवाला परमेश्वर (विश्वा) सब (वार्या) उत्तम विज्ञान और धन (प्रजाकामाय) प्रजा, उत्तम सन्तान भृत्य आदि चाहनेवाले (दाशुषे) दानशील पुरुषों को (दुरोणे) उसके घर में (दधातु) देवे। (विश्वे) सब (देवाः) विद्वान् लोग और (देवाः) उत्तम गुण और (सजोषाः) समान प्रीतिवाली (अदितिः) अदीन भूमि (तस्मै) उस पुरुष को (अमृतम्) अमृत [पूर्ण सुख] (सम्) यथावत् (व्ययन्तु) पहुँचावें ॥३॥
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - भावार्थः
भावार्थभाषाः - गृहस्थ लोग परमेश्वर की उपासना, विद्वानों की संगति, उत्तम गुणों की प्राप्ति और भूगोल विद्या की उन्नति से विज्ञानपूर्वक सुखवृद्धि करें ॥३॥
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पादटिप्पनी
टिप्पणी: ३−(धाता) (विश्वा) सर्वाणि (वार्या) उत्तमानि विज्ञानानि धनानि च (दधातु) प्रयच्छतु (प्रजाकामाय) उत्तमसन्तानभृत्यादीच्छवे (दुरोणे) अ० ५।२।६। गृहे (तस्मै) पुरुषाय (देवाः) विद्वांसः (अमृतम्) अमरणम्। पूर्णसुखम् (सम्) सम्यक् (व्ययन्तु) व्यय गतौ, वित्तसमुत्सर्गे च। गमयन्तु। ददतु (विश्वे) सर्वे (देवाः) उत्तमगुणाः (अदितिः) अदीना पृथिवी (सजोषाः) समानप्रीतिः ॥
०४ धाता रातिः
विश्वास-प्रस्तुतिः ...{Loading}...
धा॒ता रा॒तिः स॑वि॒तेदं जु॑षन्तां प्र॒जाप॑तिर्नि॒धिप॑तिर्नो अ॒ग्निः।
त्वष्टा॒ विष्णुः॑ प्र॒जया॑ संररा॒णो यज॑मानाय॒ द्रवि॑णं दधातु ॥
मूलम् ...{Loading}...
मूलम् (VS)
धा॒ता रा॒तिः स॑वि॒तेदं जु॑षन्तां प्र॒जाप॑तिर्नि॒धिप॑तिर्नो अ॒ग्निः।
त्वष्टा॒ विष्णुः॑ प्र॒जया॑ संररा॒णो यज॑मानाय॒ द्रवि॑णं दधातु ॥
०४ धाता रातिः ...{Loading}...
Whitney
Translation
- Let Dhātar, Rāti, Savitar enjoy this, let Prajāpati, Agni our
treasure-lord; let Tvashṭar, Vishṇu, sharing (rā) together with
progeny, assign wealth to the sacrificer.
Notes
The beginning of this corresponds with that of iii. 8. 2, above. The
verse is found without variant* in TS. (1. 4. 44¹); VS. (viii. 17) and
MS. (i. 3. 38) have different readings: in b, after prajā́patir,
VS. nidhipā́ devó agníḥ, MS. váruṇo mitró agníḥ; in c, MS. begins
víṣṇus tváṣṭā, VS. ends -rarāṇā́s; in d, VS. ends dadhāta.
Ppp., in d, has pūṣā instead of viṣṇus. ⌊MP. has c at i. 7.
12.⌋ *⌊Save nidhipátis for nidhípatis: cf. Gram. §1267 a.⌋
Griffith
May this our gift please Savitar, Rati, Dhatar, Prajapati, and Agni Lord of Treasures. May Tvashtar, Vishnu, blessing him with children, give store ot riches to the sacrificer.
पदपाठः
धा॒ता। रा॒तिः। स॒वि॒ता। इ॒दम्। जु॒ष॒न्ता॒म्। प्र॒जाऽप॑तिः। नि॒धिऽप॑तिः। नः॒। अ॒ग्निः। त्वष्टा॑। विष्णुः॑। प्र॒ऽजया॑। स॒म्ऽर॒रा॒ण। यज॑मानाय। द्रवि॑णम्। द॒धा॒तु॒। १८.४।
अधिमन्त्रम् (VC)
- सविता
- भृगुः
- त्रिष्टुप्
- द्रविणार्थप्रार्थना सूक्त
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - विषयः
गृहस्थ के कर्म का उपदेश।
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पदार्थः
पदार्थान्वयभाषाः - (सविता) सर्वप्रेरक, (धाता) धारण करनेवाला, (रातिः) दानाध्यक्ष, (प्रजापतिः) प्रजापालक, (निधिपतिः) निधिपति [कोशाध्यक्ष] और (अग्निः) अग्निसमान [अविद्यारूपी अन्धकार का नाश करनेवाला] विद्वान् पुरुष [यह सब अधिकारी] (नः) हमारे (इदम्) इस [गृहस्थ कर्म] को (जुषन्ताम्) सेवन करें। (विष्णुः) सर्वव्यापक, (संरराणः) सम्यक् दाता, (त्वष्टा) निर्माता परमेश्वर (प्रजया) प्रजा के सहित वर्तमान (यजमानाय) पदार्थों के संयोजक-वियोजक विज्ञानी को (द्रविणम्) बल वा धन (दधातु) देवे ॥४॥
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - भावार्थः
भावार्थभाषाः - जैसे राजा राज्य की उन्नति के लिये अनेक अधिकारी रखता है, वैसे ही गृहस्थ लोग घर का प्रबन्ध करके परमेश्वर के अनुग्रह से बल और धन बढ़ावें ॥४॥ यह मन्त्र कुछ भेद से यजुर्वेद में है-अ० ८।१७ ॥
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पादटिप्पनी
टिप्पणी: ४−(धाता) धारकः (रातिः) कर्तरि क्तिच्। दानाध्यक्षः (सविता) नायकः (इदम्) दृश्यमानं गृहस्थकर्म (प्रजापतिः) प्रजापालकः (निधिपतिः) कोशाध्यक्षः (नः) अस्माकम् (अग्निः) अग्नितुल्योऽविद्यान्धकार-दाहको विद्वान् (त्वष्टा) अ० २।५।६। सृष्टिकर्त्ता (विष्णुः) सर्वव्यापकः (प्रजया) (संरराणः) अ० २।३४।३। सम्यग् दाता (यजमानाय) पदार्थानां संयोजकवियोजकविज्ञानिने (द्रविणम्) बलं धनं वा (दधातु) ददातु ॥