०१३ मृत्युजयः ...{Loading}...
Whitney subject
- To the instruments and ministers of death.
VH anukramaṇī
मृत्युजयः।
१-३ अथर्वा। (स्वस्त्ययनकामः)। मृत्युः। अनुष्टुप्।
Whitney anukramaṇī
[Atharvan (svastyayanakāma).—mārtya[va]m. ānuṣṭubham.]
Whitney
Comment
Found also in Pāipp. xix. The hymn is variously employed by Kāuś.: in a rite for victory (14. 25), with iii. 26, 27; and again (15. 6), similarly, in favor of a Vāiśya; in the preparation of the house-fire (72. 13), with an offering; four times in the chapter of portents: once (104. 3) when Brahmans quarrel; again (105. 1) when images play pranks; yet again (113. 3) when a cow suckles an ox (these three in company with i. 19); once more (123. 1), when animals touch sacred things; and it is further reckoned (note to 25. 36) to the svastyayana gaṇa.
Translations
Translated: Florenz, 264 or 16; Griffith, i. 251.
Griffith
Homage to death
०१ नमो देववधेभ्यो
विश्वास-प्रस्तुतिः ...{Loading}...
नमो॑ देवव॒धेभ्यो॒ नमो॑ राजव॒धेभ्यः॑।
अथो॒ ये विश्या॑नां व॒धास्तेभ्यो॑ मृत्यो॒ नमो॑ऽस्तु ते ॥
मूलम् ...{Loading}...
मूलम् (VS)
नमो॑ देवव॒धेभ्यो॒ नमो॑ राजव॒धेभ्यः॑।
अथो॒ ये विश्या॑नां व॒धास्तेभ्यो॑ मृत्यो॒ नमो॑ऽस्तु ते ॥
०१ नमो देववधेभ्यो ...{Loading}...
Whitney
Translation
- Homage to the weapons (vadhá) of the gods; homage to the weapons of
kings; likewise the weapons that are of the Vāiśyas—to them of thine, O
death, be homage.
Notes
Ppp. has viśvānām in c.
Griffith
Worship to weapons of the Gods! worship to weapons of the Kings! Then worship to the people’s arms! worship, O Death, be paid to thee!
पदपाठः
नमः॑। दे॒व॒ऽव॒धेभ्यः॑। नमः॑। रा॒ज॒ऽव॒धेभ्यः॑। अथो॒ इति॑। ये। विश्या॑नाम्। व॒धाः। तेभ्यः॑। मृ॒त्यो॒ इति॑। नमः॑। अ॒स्तु॒। ते॒। १३.१।
अधिमन्त्रम् (VC)
- मृत्युः
- अथर्वा
- अनुष्टुप्
- मृत्युञ्जय सूक्त
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - विषयः
मृत्यु की प्रबलता का उपदेश।
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पदार्थः
पदार्थान्वयभाषाः - (देववधेभ्यः) ब्राह्मणों के शस्त्रों को (नमः) नमस्कार और (राजवधेभ्यः) क्षत्रियों के शस्त्रों को (नमः) नमस्कार है। (अथो) और भी (ये) जो (विश्यानाम्) वैश्यों के (वधाः) शस्त्र हैं (तेभ्यः) उनको, और (मृत्यो) हे मृत्यु ! (ते) तुझ को (नमः) नमस्कार (अस्तु) होवे ॥१॥
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - भावार्थः
भावार्थभाषाः - विद्याबली, पराक्रमबली और धनबली भी मृत्यु के वश हैं। इस से सब धर्माचरण करते रहें ॥१॥
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पादटिप्पनी
टिप्पणी: १−(नमः) नमस्कारः। सत्कारः (देववधेभ्यः) ब्राह्मणानां विद्यारूपशस्त्रेभ्यः (राजवधेभ्यः) क्षत्रियाणां हननसाधनेभ्यः शस्त्रेभ्यः (अथो) अपि च (ये) (विश्यानाम्) विश प्रवेशने−क्यप्। वैश्यानाम् (वधाः) धनरूपायुधानि (तेभ्यः) वधेभ्यः (मृत्यो) अ० १।३०।३। हे मरण (अस्तु) (ते) तुभ्यम् ॥
०२ नमस्ते अधिवाकाय
विश्वास-प्रस्तुतिः ...{Loading}...
नम॑स्ते अधिवा॒काय॑ परावा॒काय॑ ते॒ नमः॑।
सु॑म॒त्यै मृ॑त्यो ते॒ नमो॑ दुर्म॒त्यै त॑ इ॒दं नमः॑ ॥
मूलम् ...{Loading}...
मूलम् (VS)
नम॑स्ते अधिवा॒काय॑ परावा॒काय॑ ते॒ नमः॑।
सु॑म॒त्यै मृ॑त्यो ते॒ नमो॑ दुर्म॒त्यै त॑ इ॒दं नमः॑ ॥
०२ नमस्ते अधिवाकाय ...{Loading}...
Whitney
Translation
- Homage to thy benediction; homage to thy malediction; homage to thy
favor, O death; this homage to thy disfavor.
Notes
Ppp. omits the first half-verse, doubtless by accident. The comm. takes
the datives in a and b as nomina agentis.
Griffith
Let worship be to thy defence and to thine accusation paid. Death! be this worship paid to thy good-will and thy malevo- lence!
पदपाठः
नमः॑। ते॒। अ॒धि॒ऽवा॒काय॑। प॒रा॒ऽवा॒काय॑। ते॒। नमः॑। सु॒ऽम॒त्यै। मृ॒त्यो॒ इति॑। ते॒। नमः॑। दुः॒ऽम॒त्यै। ते॒। इ॒दम्। नमः॑। १३.२।
अधिमन्त्रम् (VC)
- मृत्युः
- अथर्वा
- अनुष्टुप्
- मृत्युञ्जय सूक्त
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - विषयः
मृत्यु की प्रबलता का उपदेश।
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पदार्थः
पदार्थान्वयभाषाः - (ते) तेरे (अधिवाकाय) अनुग्रह वचन को (नमः) नमस्कार और (ते) तेरे (परावाकाय) पराजय वचन को (नमः) नमस्कार है। (मृत्यो) हे मृत्यु ! (ते) तेरी (सुमत्यै) सुमति को (नमः) नमस्कार है और (ते) तेरी (दुर्मत्यै) दुर्मति को (इदम्) यह (नमः) नमस्कार है ॥२॥
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - भावार्थः
भावार्थभाषाः - अनुग्रहकारी, पराजयकारी, सुमतिवाले और दुर्मतिवाले सब ही मृत्युवश हैं। मनुष्यों को सदा धर्मात्मा रहना चाहिये ॥२॥
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पादटिप्पनी
टिप्पणी: २−(नमः) सत्कारः (ते) तव (अधिवाकाय) वच परिभाषणे−घञ्, कुत्वम्। अनुग्रहवचनाय (परावाकाय) पराभववचनाय (सुमत्यै) शोभनायै बुद्ध्यै (मृत्यो) हे मरण ! (दुर्मत्यै) कठोरायै बुद्ध्यै (इदम्) क्रियमाणम् ॥
०३ नमस्ते यातुधानेभ्यो
विश्वास-प्रस्तुतिः ...{Loading}...
नम॑स्ते यातु॒धाने॑भ्यो॒ नम॑स्ते भेष॒जेभ्यः॑।
नम॑स्ते मृत्यो॒ मूले॑भ्यो ब्राह्म॒णेभ्य॑ इ॒दं नमः॑ ॥
मूलम् ...{Loading}...
मूलम् (VS)
नम॑स्ते यातु॒धाने॑भ्यो॒ नम॑स्ते भेष॒जेभ्यः॑।
नम॑स्ते मृत्यो॒ मूले॑भ्यो ब्राह्म॒णेभ्य॑ इ॒दं नमः॑ ॥
०३ नमस्ते यातुधानेभ्यो ...{Loading}...
Whitney
Translation
- Homage to thy sorcerers; homage to thy remedies; homage to thy roots,
O death; this homage to the Brāhmans.
Notes
Griffith
Worship to thy physicians, to thy sorcerers be worship paid! Death! let this reverence be done unto thy Brahmans and thy roots.
पदपाठः
नमः॑। ते॒। या॒तु॒ऽधाने॑भ्यः। नमः॑। ते॒। भे॒ष॒जेभ्यः॑। नमः॑। ते॒। मृ॒त्यो॒ इति॑। मूले॑भ्यः। ब्रा॒ह्म॒णेभ्यः॑। इ॒दम्। नमः॑। १३.३।
अधिमन्त्रम् (VC)
- मृत्युः
- अथर्वा
- अनुष्टुप्
- मृत्युञ्जय सूक्त
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - विषयः
मृत्यु की प्रबलता का उपदेश।
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पदार्थः
पदार्थान्वयभाषाः - (ते) तेरे (यातुधानेभ्यः) पीड़ाप्रद रोगों को (नमः) नमस्कार और (ते) तेरे (भेषजेभ्यः) सुख देनेवाले वैद्यों को (नमः) नमस्कार है। (मृत्यो) हे मृत्यु ! (ते) तेरे (मूलेभ्यः) कारणों को (नमः) नमस्कार और (ब्राह्मणेभ्यः) वेदवेत्ता विद्वानों को (इदम्) यह (नमः) नमस्कार है ॥३॥
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - भावार्थः
भावार्थभाषाः - रोगी और वैद्य मृत्यु के वश हैं, तो भी मनुष्य रोगों का निदान जानकर पुरुषार्थ करते रहें ॥३॥
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पादटिप्पनी
टिप्पणी: ३−(नमः) नमस्कारः (ते) तत्र (यातुधानेभ्यः) अ० १।७।१। पीडाप्रदेभ्यो रोगेभ्यः (भेषजेभ्यः) अ० १।४।४। भेषं भयं जयतीति। भेषजं सुखनाम−निघ० ३।६। सुखकरेभ्यो वैद्येभ्यः (मृत्यो) (मूलेभ्यः) मूल प्रतिष्ठायाम्−क। मूलं मोचनाद्वा मोषणाद्वा मोहनाद्वा−निरु० ६।३। कारणेभ्यः। निदानेभ्यः। (ब्राह्मणेभ्यः) वेदविद्भ्यः (इदम्) ॥