०२५ गर्भाधानम्

०२५ गर्भाधानम् ...{Loading}...

Whitney subject
  1. For successful conception.
VH anukramaṇī

गर्भाधानम्।
१-१३ ब्रह्म। योनिगर्भः, पृथिव्यादयो देवताः। अनुष्टुप्, १३ विराट्-पुरस्ताद्बृहती।

Whitney anukramaṇī

[Brahman.—trayodaśakam. yonigarbhadevatyam. ānuṣṭubham: 13. virāṭpurastādbṛhatī.]

Whitney

Comment

Found (except vs. 2, and some end-repetitions) also in Pāipp. xiii. (in the verse-order 1, 5, 3, 4, 7. 10, 8, 6, 9). The hymn is quoted in Kāuś. (35. 5) in the ceremony for male conception (puṁsavana); and vs. 7 (unless it be rather vi. 95. 3, which the comm. to vi. 95 holds) in Vāit. 28. 20.

Translations

Translated: Weber, Ind. Stud. v. 227; Ludwig, p. 478; Griffith, i. 229; Weber, xviii. 264.

Griffith

A charm to facilitate conception

०१ पर्वताद्दिवो योनेरङ्गादङ्गात्समाभृतम्

विश्वास-प्रस्तुतिः ...{Loading}...

पर्व॑ताद्दि॒वो योने॒रङ्गा॑दङ्गात्स॒माभृ॑तम्।
शेपो॒ गर्भ॑स्य रेतो॒धाः सरौ॑ प॒र्णमि॒वा द॑धत् ॥

०१ पर्वताद्दिवो योनेरङ्गादङ्गात्समाभृतम् ...{Loading}...

Whitney
Translation
  1. Brought together from the cloud (? párvata), from the womb (yóni)
    of the sky, from every member, let the virile organ, seed-placer of the
    embryo, set (ā-dhā) [it] like the feather on the shaft.
Notes

Or ‘from the sky [as] womb.’ That which is ‘brought together’ is the
thing (seed) to be ‘deposited.’ The translation of d implies
emendation to śárāu; Weber conjectures tsarāu. The insertion of the
feather in the arrow-shaft is elsewhere also the subject of comparison
as a work of effective skill; cf. RV. x. 18. 14 b. The verse is
cited in Ppp. with its pratīka and ity ekā added, as if it had
occurred earlier in the text; but it has not been discovered anywhere.
The resolution of -tāt to -taāt in a is necessary to fill out
the meter.

Griffith

Let the man, sower of the germ, lay, as a feather on a shaft. Limb drawn from limb, whate’er is culled from cloud and from the womb of heaven.

पदपाठः

पर्व॑तात्। दि॒वः। योनेः॑। अङ्गा॑त्ऽअङ्गात्। स॒म्ऽआभृ॑तम्। शेपः॑। गर्भ॑स्य। रे॒तः॒ऽधा। सरौ॑। प॒र्णम्ऽइ॑व। आ। द॒ध॒त्। २५.१।

अधिमन्त्रम् (VC)
  • योनिः, गर्भः
  • ब्रह्मा
  • अनुष्टुप्
  • गर्भाधान सूक्त
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - विषयः

गर्भाधान का उपदेश।

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पदार्थः

पदार्थान्वयभाषाः - (रेतोधाः) वीर्य वा पराक्रम का रखनेवाला पुरुष (पर्वतात्) पर्वत से [पर्वत आदि की ओषधियों से], (दिवः) आकाश के (योनेः) गर्भ आशय से [आकाशस्थ मेघ, वायु, प्रकाश आदि से] और (अङ्गात्-अङ्गात्) अपने अङ्ग से (समाभृतम्) एकत्र किया हुआ (गर्भस्य) स्तुतियोग्य सन्तान के (शेपः) उत्पन्न करने के सामर्थ्य को (आ) यथावत् (दधत्) स्थापित करे, (पर्णम् इव) जैसे पंख को (सरौ) तीर में [लगाते हैं] ॥१॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - भावार्थः

भावार्थभाषाः - मनुष्य ब्रह्मचर्य और औषधों के परीक्षण और सेवन से दृढाङ्ग रह कर गृहस्थाश्रम में प्रवेश करके उत्तम बलवान् संतान उत्पन्न करे ॥१॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पादटिप्पनी

टिप्पणी: १−(पर्वतात्) अ० ४।९।१। शैलात्। तत्रस्थौषधिसमूहात् (दिवः) आकाशस्य (योनेः) गर्भाशयात्। आकाशस्थवायुजलप्रकाशादिप्रभावात् (अङ्गादङ्गात्) सर्वस्मात् स्वशरीराङ्गात् (समाभृतम्) संगृहीतम् (शेपः) अ० ४।३७।७। प्रजननसामर्थ्यम् (गर्भस्य) अ० ३।१०।१२। गरणीयस्य स्तुत्यस्य सन्तानस्य (रेतोधाः) रेतस्+डुधाञ् धारणपोषणयोः−असुन्। वीर्यस्य पराक्रमस्य धारकः (सरौ) शॄस्वृस्निहि०। उ० १।१०। इति सृ गतौ−उन्। शरौ। शरे (पर्णम्) पक्षम् (इव) यथा (आ) समन्तात् (दधत्) लेटि रूपम्। धरेत् ॥

०२ यथेयं पृथिवी

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यथे॒यं पृ॑थि॒वी म॒ही भू॒तानां॒ गर्भ॑माद॒धे।
ए॒वा द॑धामि ते॒ गर्भं॒ तस्मै॒ त्वामव॑से हुवे ॥

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Whitney
Translation
  1. As this great earth receives the embryo of existences, so do I set
    thine embryo; I call thee to its aid.
Notes

The first half-verse occurs again below as vi. 17. 1 a, b, and also
in the second verse of the addition to RV. x. 184, but with the reading
uttānā́ for bhūtā́nām (the RV. verse is also found in an addition to
AGS. i. 14. 3: see Stenzler’s translation, p. 36), and in MP. (⌊i. 12.
4⌋ Winternitz, p. 93) with tíṣṭhantī for the same. ⌊Cf. also MGS. ii.
18. 4 b and p. 154.⌋

Griffith

Even as this broad earth received the germ of all the things that be, Thus within thee I lay the germ. I call thee, Earth, to strengthen it.

पदपाठः

यथा॑। इ॒यम्। पृ॒थि॒वी। म॒ही। भू॒ताना॑म्। गर्भ॑म्। आ॒ऽद॒धे। ए॒व। आ। द॒धा॒मि॒। ते॒। गर्भ॑म्। तस्मै॑। त्वाम्। अव॑से। हु॒वे॒। २५.२।

अधिमन्त्रम् (VC)
  • योनिः, गर्भः
  • ब्रह्मा
  • अनुष्टुप्
  • गर्भाधान सूक्त
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - विषयः

गर्भाधान का उपदेश।

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पदार्थः

पदार्थान्वयभाषाः - (यथा) जैसे (इयम्) इस (मही) बड़ी (पृथिवी) पृथिवी ने (भूतानाम्) सब जीवों का (गर्भम्) गर्भ (आदधे) धारण किया है। (एव) वैसे ही (ते) तेरा (गर्भम्) गर्भ (आ) यथावत् (दधामि) स्थापित करता हूँ, (तस्मै) उस [गर्भ] के लिये (अवसे) रक्षा करने को (त्वाम्) तुझे (हुवे) मैं बुलाता हूँ ॥२॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - भावार्थः

भावार्थभाषाः - जैसे यह विशाल पृथिवी मेघ से गर्भ धारण करके अमूल्य रत्न उत्पन्न करती है, वैसे ही विशाल स्वभाववाली पत्नी अपने पराक्रमी पति के संयोग से साहसी विद्वान् सन्तान उत्पन्न करे ॥२॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पादटिप्पनी

टिप्पणी: २−(यथा) येन प्रकारेण (इयम्) दृश्यमाना (पृथिवी) भूमिः (मही) विशाला (भूतानाम्) प्राणिनाम् (गर्भम्) स्तुत्यं गर्भाशयम् (आदधे) सम्यग् धृतवती (एव) तथा (आ) समन्तात् (दधामि) स्थापयामि (ते) तव (तस्मै) गर्भहिताय (त्वाम्) पत्नीम् (अवसे) रक्षणाय (हुवे) आह्वयामि ॥

०३ गर्भं धेहि

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गर्भं॑ धेहि सिनीवालि॒ गर्भं॑ धेहि सरस्वति।
गर्भं॑ ते अ॒श्विनो॒भा ध॑त्तां॒ पुष्क॑रस्रजा ॥

०३ गर्भं धेहि ...{Loading}...

Whitney
Translation
  1. Place the embryo, O Sinīvālī; place the embryo, O Sarasvatī; let both
    the Aśvins, garlanded with blue lotus, set thine embryo.
Notes

The verse is RV. x. 184. 2 and MB. i. 4. 7 and MP. ⌊i. 12. 2⌋, where
however is read in c aśvínāu devā́v. Ppp. reads both times (in
a and b) dehi. śB. (xiv. 9. 4¹⁰) follows RV. (but with
pṛthuṣṭuke at end of b, and puṣkarasrájāu in d). HGS. (i.
25. 1) differs from our text only by having aśvināv ubhāv ā. Cf. also
HGS. i. 6. 4; MB. i. 5. 9. ⌊Cf. MGS. ii. 18. 2 k and p. 150.⌋

Griffith

O Sinivali, set the germ, set thou the germ, Sarasvati! In thee let both the Asvins, crowned with lotuses, bestow the germ.

पदपाठः

गर्भ॑म्। धे॒हि॒। सि॒नी॒वा॒लि॒। गर्भ॑म्। धे॒हि॒। स॒र॒स्व॒ति॒। गर्भ॑म्। ते॒। अ॒श्विना॑। उ॒भा। आ। ध॒त्ता॒म्। पुष्क॑रऽस्रजा। २५.३।

अधिमन्त्रम् (VC)
  • योनिः, गर्भः
  • ब्रह्मा
  • अनुष्टुप्
  • गर्भाधान सूक्त
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - विषयः

गर्भाधान का उपदेश।

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पदार्थः

पदार्थान्वयभाषाः - (सिनीवालि) हे अन्नवाली पत्नी ! (गर्भम्) स्तुतियोग्य गर्भ (धेहि) धारण कर, (सरस्वति) हे उत्तम ज्ञानवाली ! (गर्भम्) गर्भ (धेहि) धारण कर। (पुष्करस्रजा) पुष्टि देनेवाले (उभा) दोनों (अश्विना) दिन और रात (ते) तेरे (गर्भम्) गर्भ के बालक को (आ) अच्छे प्रकार (धत्ताम्) पुष्ट करें ॥३॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - भावार्थः

भावार्थभाषाः - विज्ञानवती स्त्री गर्भ धारण करके आहार-विहार आदि का ऐसा प्रबन्ध करे, जिससे गर्भस्थ बालक दिन-रात पुष्ट होता रहे ॥३॥ यह मन्त्र कुछ भेद से ऋग्वेद में है−म० १० सू० १८४। म० २। और स्वामी दयानन्द कृत संस्कारविधि−गर्भाधानप्रकरण में भी है ॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पादटिप्पनी

टिप्पणी: ३−(गर्भम्) गर्भाशयगतं शुक्रम् (धेहि) धर (सिनीवालि) अ० २।२६।२। हे अन्नवति−निरु० ११।३१। (गर्भम्) (धेहि) (सरस्वति) हे विज्ञानवति (गर्भम्) गर्भशिशुम् (ते) तव (अश्विना) अहोरात्रौ−निरु० १२।१। (उभा) द्वौ (आ) समन्तात् (धत्ताम्) पोषयताम् (पुष्करस्रजा) अ० ३।२२।४। पुष्टिदातारौ ॥

०४ गर्भं ते

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गर्भं॑ ते मि॒त्रावरु॑णौ॒ गर्भं॑ दे॒वो बृह॒स्पतिः॑।
गर्भं॑ त॒ इन्द्र॑श्चा॒ग्निश्च॒ गर्भं॑ धा॒ता द॑धातु ते ॥

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Whitney
Translation
  1. Thine embryo let Mitra-and-Varuṇa, [thine] embryo let god
    Brihaspati, thine embryo let both Indra and Agni, thine embryo let
    Dhātar place.
Notes

Ppp. reads rājā varuṇo for mitrāvaruṇāu in a.

Griffith

Let Mitra-Varuna and God Brihaspati lay the germ in thee. Indra and Agni lay the germ, Dhatar bestow the germ in thee.

पदपाठः

गर्भ॑म्। ते॒। मि॒त्रावरु॑णौ। गर्भ॑म्। दे॒वः। बृह॒स्पतिः॑। गर्भ॑म्। ते॒। इन्द्रः॑। च॒। अ॒ग्निः। च॒। गर्भ॑म्। धा॒ता। द॒धा॒तु॒। ते॒। २५.४।

अधिमन्त्रम् (VC)
  • योनिः, गर्भः
  • ब्रह्मा
  • अनुष्टुप्
  • गर्भाधान सूक्त
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - विषयः

गर्भाधान का उपदेश।

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पदार्थः

पदार्थान्वयभाषाः - (मित्रावरुणौ) प्राण और अपान वायु (ते) तेरे (गर्भम्) गर्भ को [आधत्ताम्=अच्छे प्रकार पुष्ट करें−म० ३]। (देवः) प्रकाशमान (बृहस्पतिः) बड़े-बड़े लोकों का रक्षक सूर्य (गर्भम्) गर्भ को, (इन्द्रः) बिजुली (ते) तेरे (गर्भम्) गर्भ को (च) और (धाता) धारण करनेवाला (अग्निः) और अग्नि (च) भी (ते) तेरे (गर्भम्) गर्भ को (दधातु) पुष्ट करे ॥४॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - भावार्थः

भावार्थभाषाः - प्रयत्न किया जावे कि श्वास-प्रश्वास, सूर्य, शारीरिक बिजुली अग्नि, आदि पदार्थ गर्भवती स्त्री के गर्भ को यथावत् पुष्ट करें ॥४॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पादटिप्पनी

टिप्पणी: ४−(गर्भम्) गर्भशिशुम् (ते) तव (मित्रावरुणौ) प्राणापानौ [आधत्ताम्] इति शेषः−म० ३। (गर्भम्) (देवः) प्रकाशमानः (बृहस्पतिः) बृहतां लोकानां रक्षकः सूर्यः (ते) (इन्द्रः) विद्युत् (च) समुच्चये (अग्निः) जाठराग्निः (च) अवधारणे (धाता) पोषकः (दधातु) पुष्णातु (ते) तव ॥

०५ विष्णुर्योनिं कल्पयतु

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विष्णु॒र्योनिं॑ कल्पयतु॒ त्वष्टा॑ रू॒पाणि॑ पिंशतु।
आ सि॑ञ्चतु प्र॒जाप॑तिर्धा॒ता गर्भं॑ दधातु ते ॥

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Whitney
Translation
  1. Let Vishṇu prepare the womb (yóni); let Tvashṭar adorn the forms;
    let Prajāpati pour on; let Dhātar place thine embryo.
Notes

The verse is also found, without variant, as RV. x. 184. 1 and in śB.
xiv. 9. 4²⁰, HGS. i. 25. 1, MB. 1. 4. 6, and MP. ⌊i. 12. 1⌋. ⌊Cf. MGS.
ii. 18. 2. i and p. 156.⌋

Griffith

Let Vishnu form and mould the womb, let Tvashtar duly shape the forms, Prajapati infuse the stream, and Dhatar lay for thee the germ.

पदपाठः

विष्णुः॑। योनि॑म्। क॒ल्प॒य॒तु॒। त्वष्टा॑। रू॒पाणि॑। पि॒श॒तु॒। आ। सि॒ञ्च॒तु॒। प्र॒जाऽप॑तिः। धा॒ता। गर्भ॑म्। द॒धा॒तु॒। ते॒। २५.५।

अधिमन्त्रम् (VC)
  • योनिः, गर्भः
  • ब्रह्मा
  • अनुष्टुप्
  • गर्भाधान सूक्त
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - विषयः

गर्भाधान का उपदेश।

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पदार्थः

पदार्थान्वयभाषाः - (विष्णुः) सर्वव्यापक परमेश्वर (योनिम्) गर्भाशय को (कल्पयतु) समर्थ करे, और वही (त्वष्टा) विश्वकर्मा ईश्वर [गर्भ के] (रूपाणि) आकारों को (पिंशतु) जोड़-जोड़ बनावे। (धाता) सर्वपोषक (प्रजापतिः) प्रजाओं का रक्षक परमात्मा (ते) तेरे (गर्भम्) गर्भ को (आ) सब प्रकार (सिञ्चतु) सींचे और (दधातु) पुष्ट करे ॥५॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - भावार्थः

भावार्थभाषाः - समर्थ गर्भवती स्त्री परमेश्वर के उत्तम गुणों का स्मरण करती हुई गुणी महात्माओं का ध्यान करके गर्भ की रक्षा करे, जिससे बालक रूपवान् गुणी महात्मा उत्पन्न हो ॥५॥ यह मन्त्र ऋग्वेद में है−म० १०। सू० १८४। म० १। और स्वामी दयानन्द कृत संस्कारविधि−गर्भाधानप्रकरण में भी है ॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पादटिप्पनी

टिप्पणी: ५−(विष्णुः) सर्वव्यापकः परमेश्वरः (योनिम्) गर्भाशयम् (कल्पयतु) समर्थयतु (त्वष्टा) अ० २।५।७। त्वक्षतेर्वा स्यात् करोतिकर्मणः−निरु० ८।१३। विश्वकर्मा जगदीश्वरः (रूपाणि) गर्भाकारान् (पिंशतु) अवयवयुक्तानि करोतु (आ) समन्तात् (सिञ्चतु) रसेन वर्धयतु (प्रजापतिः) सृष्टिपालकः (धाता) पोषकः (गर्भम्) गर्भस्थशिशुम् (दधातु) पुष्णातु ॥

०६ यद्वेद राजा

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यद्वेद॒ राजा॒ वरु॑णो॒ यद्वा॑ दे॒वी सर॑स्वती।
यदिन्द्रो॑ वृत्र॒हा वेद॒ तद्ग॑र्भ॒कर॑णं पिब ॥

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Whitney
Translation
  1. What king Varuṇa, or what divine Sarasvatī knows, what Indra the
    Vritra-slayer knows, that embryo-maker do thou drink.
Notes

One or two of our mss. (P.W.) read -bhaṁkár- in d. Ppp. has for
b veda devo bṛhaspatiḥ, and in c puts yad after indras.
⌊See von Schroeder, Tübinger Kaṭha-hss., p. 36.⌋

Griffith

Drink thou the procreative draught well-known to Varuna the King, Known to divine Sarasvati, and Indra slayer of the foe.

पदपाठः

यत्। वेद॑। राजा॑। वरु॑णः। यत्। वा॒। दे॒वी। सर॑स्वती। यत्। इन्द्रः॑। वृ॒त्र॒ऽहा। वेद॑। तत्। ग॒र्भ॒ऽकर॑णम्। पि॒ब॒। २५.६।

अधिमन्त्रम् (VC)
  • योनिः, गर्भः
  • ब्रह्मा
  • अनुष्टुप्
  • गर्भाधान सूक्त
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - विषयः

गर्भाधान का उपदेश।

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पदार्थः

पदार्थान्वयभाषाः - (यत्) जो औषध (राजा) राजा (वरुणः) वरणयोग्य पति (वेद) जानता है, (वा) और (यत्) जो (देवी) दिव्य गुणवाली, (सरस्वती) विज्ञानवती पत्नी [जानती है] और (यत्) जो (वृत्रहा) शत्रु वा रोगनाशक (इन्द्रः) बड़े ऐश्वर्यवाला वैद्य (वेद) जानता है, (तत्) वह (गर्भकरणम्) गर्भजनक औषध (पिब) पान कर ॥६॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - भावार्थः

भावार्थभाषाः - विद्वान् पति और विदुषी पत्नी चतुर वैद्य की सम्मति से उचित आहार-विहार करके गर्भरक्षा में तत्पर रहें ॥६॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पादटिप्पनी

टिप्पणी: ६−(यत्) औषधम् (वेद) जानाति (राजा) ऐश्वर्यवान् (वरुणः) वरणीयः पतिः (वा) समुच्चये (देवी) दिव्यगुणवती (सरस्वती) विज्ञानवती पत्नी (इन्द्रः) परमैश्वर्यवान् वैद्यः (वृत्रहा) शत्रो रोगस्य वा नाशकः (वेद) (तत्) (गर्भकरणम्) गर्भोत्पादकद्रव्यम् (पिब) पानेन सेवस्व ॥

०७ गर्भो अस्योषधीनाम्

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गर्भो॑ अ॒स्योष॑धीनां॒ गर्भो॒ वन॒स्पती॑नाम्।
गर्भो॒ विश्व॑स्य भू॒तस्य॒ सो अ॑ग्ने॒ गर्भ॒मेह धाः॑ ॥

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Whitney
Translation
  1. Embryo art thou of herbs, embryo of forest-trees, embryo of every
    existence; mayest thou, O Agni, set an embryo here.
Notes

Compare vi. 95. 3, with which the verse is in considerable part
identical. It is found also as VS. xii. 37, and in TS. iv. 2. 3³, MS.
ii. 7. 10, in all with a different d: ágne gárbho apā́m asi; MS.
further combines in a gárbho ‘sy; and in this last point Ppp.
agrees with it.

⌊☞ See p. 1045.⌋

Griffith

Thou art the germ of plants and herbs, thou art the germ of forest trees, The germ of each existing thing, so here, O Agni, lay the germ.

पदपाठः

गर्भः॑। अ॒सि॒। ओष॑धीनाम्। गर्भः॑। वन॒स्पती॑नाम्। गर्भः॑। विश्व॑स्य। भू॒तस्य॑। सः। अ॒ग्ने॒। गर्भ॑म्। आ। इ॒ह। धाः॒। २५.७।

अधिमन्त्रम् (VC)
  • योनिः, गर्भः
  • ब्रह्मा
  • अनुष्टुप्
  • गर्भाधान सूक्त
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - विषयः

गर्भाधान का उपदेश।

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पदार्थः

पदार्थान्वयभाषाः - (अग्ने) हे सर्वव्यापक परमेश्वर ! तू (ओषधीनाम्) सोम लता, अन्न, आदि ओषधियों का (गर्भः) स्तुतियोग्य आश्रय, (वनस्पतीनाम्) सेवनीय गुणों के पदार्थों का (गर्भः) ग्रहण करनेवाला और (विश्वस्य) सब (भूतस्य) पञ्च भूत का (गर्भः) आधार (असि) है, (सः) सो तू (इह) इसमें (गर्भम्) गर्भ शक्ति (आ) अच्छे प्रकार (धाः=धेयाः) धारण कर ॥७॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - भावार्थः

भावार्थभाषाः - जैसे परमेश्वर सब उत्तम पदार्थों को अपने में धारण करता है, वैसे ही समर्थ, पराक्रमी स्त्री-पुरुष उत्तम सन्तान का कारण पराक्रम, विद्या आदि अपने में रखके गर्भाधान करें ॥७॥ यह मन्त्र कुछ भेद से यजुर्वेद में है−अ० १२। म० ३७ ॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पादटिप्पनी

टिप्पणी: ७−(गर्भः) अ० ३।१०।१२। गरणीयः स्तुत्यः (असि) (ओषधीनाम्) सोमलतान्नादीनाम् (गर्भः) ग्रहीता (वनस्पतीनाम्) अ० १।३५।३। सेवनीयगुणानां (गर्भः) आधारः (विश्वस्य) सर्वस्य (भूतस्य) पृथिव्यादिभूतपञ्चकस्य (सः) स त्वम् (अग्ने) हे सर्वव्यापक परमात्मन् (गर्भम्) सन्तानजनकं सामर्थ्यम् (आ) समन्तात् (इह) अत्र (धाः) आशिषि लिङि छान्दसं रूपम्। धेयाः ॥

०८ अधि स्कन्द

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अधि॑ स्कन्द वी॒रय॑स्व॒ गर्भ॒मा धे॑हि॒ योन्या॑म्।
वृषा॑सि वृष्ण्यावन्प्र॒जायै॒ त्वा न॑यामसि ॥

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Whitney
Translation
  1. Mount thou; play the hero; set an embryo in the womb; virile
    (vṛ́ṣan) art thou, that hast virility; for progeny do we conduct thee
    hither.
Notes

Ppp. has kranda (for skanda) in a, and, for c, vṛṣāṇaṁ
vṛṣṇyāvantaṁ
. The verse occurs also in śGS. (i. 19. 6), which reads
kranda vīlayasva in a, sādhaya (for yonyām) in b, vṛṣāṇaṁ
vṛṣann ā dhehi
for c, and havāmahe at the end. Our O. has
skandha vīḍay- in a. The retention of the dental s of skanda
is by Prāt. ii. 104.

Griffith

Rise up, put forth thy manly strength, and lay thy germ within the womb. A bull art thou with vigorous strength: for progeny we bring thee near.

पदपाठः

अधि॑। स्क॒न्द॒। वी॒रय॑स्व। गर्भ॑म्। आ। धे॒हि॒। योन्या॑म्। वृषा॑। अ॒सि॒। वृ॒ष्ण्य॒ऽव॒न्। प्र॒ऽजायै॑। त्वा॒। आ। न॒या॒म॒सि॒। २५.८।

अधिमन्त्रम् (VC)
  • योनिः, गर्भः
  • ब्रह्मा
  • अनुष्टुप्
  • गर्भाधान सूक्त
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - विषयः

गर्भाधान का उपदेश।

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पदार्थः

पदार्थान्वयभाषाः - (अधि स्कन्द) उठकर खड़ा हो, (वीरयस्व) वीरता कर, और (योन्याम्) गर्भ आशय में (गर्भम्) सन्तानजनक सामर्थ्य (आ) अच्छे प्रकार (धेहि) स्थापित कर। (वृष्ण्यावन्) हे वीर्यवान् पुरुष ! तू (वृषा) ओजस्वी (असि) है, (प्रजायै) सन्तान के लिये (त्वा) तुझे (आ नयामसि) हम समीप लाते हैं ॥८॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - भावार्थः

भावार्थभाषाः - विद्वान् पुरुष पराक्रमपूर्वक धन आदि प्राप्त करके गृहस्थाश्रम में प्रवेश करे, जिस से सन्तान की यथावत् रक्षा होवे ॥८॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पादटिप्पनी

टिप्पणी: ८−(अधि) उपरि (स्कन्द) गच्छ (वीरयस्व) विक्रमयस्व (गर्भम्) सन्तानजनकं सामर्थ्यम् (आ) यथावत् (धेहि) धारय (योन्याम्) गर्भाशये (वृषा) ओजस्वी (वृष्ण्यावन्) वृषन्−यत्। वृष्णो वीरस्य कर्म तद्वन्। पराक्रमवन् (प्रजायै) सन्तानाय (त्वा) त्वाम् (आ) समीपे (नयामसि) प्रापयामः ॥

०९ वि जिहीष्व

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वि जि॑हीष्व बार्हत्सामे॒ गर्भ॑स्ते॒ योनि॒मा श॑याम्।
अदु॑ष्टे दे॒वाः पु॒त्रं सो॑म॒पा उ॑भया॒विन॑म् ॥

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Whitney
Translation
  1. Go apart, O Bārhatsāmā; let an embryo lie unto thy womb (yóni);
    the gods, soma-drinkers, have given thee a son partaking of both.
Notes

Ludwig understands the last epithet as meaning ‘belonging to us both,’
which is not impossible; Weber, ‘der doppelt schafft’; it is literally
‘possessing what is of both.’ Ppp. has for c dadan te putraṁ devā.
Bārhatsāme (p. -hat॰sā-) is an anomalous formation: a stem -mā is
against all analogy as fem. of a vṛddhi-derivative, while -mi (which
Ludwig assumes) is equally wrong as a feminine; Ppp. has the same form;
it doubtless means ‘daughter of Bŗhatsāman.’ To make c of full meter
is impossible without harshness.

Griffith

Prepare thee, Barhatsama, let the germ be laid within thy side. The Soma-drinking Gods have given a son to thee, thy son and mine.

पदपाठः

वि। जि॒ही॒ष्व॒। बा॒र्ह॒त्ऽसा॒मे॒। गर्भः॑। ते॒। योनि॑म्। आ। श॒या॒म्। अदुः॑। ते॒। दे॒वाः। पु॒त्रम्। सो॒म॒ऽपाः। उ॒भ॒या॒विन॑म्। २५.९।

अधिमन्त्रम् (VC)
  • योनिः, गर्भः
  • ब्रह्मा
  • अनुष्टुप्
  • गर्भाधान सूक्त
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - विषयः

गर्भाधान का उपदेश।

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पदार्थः

पदार्थान्वयभाषाः - (बार्हत्सामे) हे अत्यन्त करके प्रिय कर्म वा सामवेद जाननेवाली पत्नी ! तू (वि) विशेष करके (जिहीष्व) उद्योग कर, (गर्भः) सन्तानजनक सामर्थ्य (ते) तेरे (योनिम्) गर्भ आशय में (आ शयाम्=शेताम्) प्राप्त हो। (सोमपाः) अमृत पान करनेवाले (देवाः) उत्तम गुणों ने (उभयाविनम्) दोनों [माता-पिता] की रक्षा करनेवाला (पुत्रम्) कुलशोधक सन्तान (अदुः) दिया है ॥९॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - भावार्थः

भावार्थभाषाः - बलवती गुणवती स्त्री प्रयत्नपूर्वक उत्तम सन्तान उत्पन्न करे ॥९॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पादटिप्पनी

टिप्पणी: ९−(वि) विशेषण (जिहीष्व) ओहाङ् गतौ−लोट्। गच्छ। उद्योगं कुरु (बार्हत्सामे) नामन्सीमन्०। उ० ४।१५१। इति बृहत्+साम सान्त्वने−मनिन्, मलोपः। तदधीते तद्वेद। पा० ४।२।५९। इति बृहत्सामन्−अण्। अजाद्यतष्टाप्। पा० ४।१।४। इति टाप्। बृहत् साम सान्त्वनं प्रियकरणं सामवेदं वा जानाति या सा बार्हत्सामा। तत्सम्बुद्धौ (गर्भः) सन्तानजनकं सामर्थ्यम् (ते) तत्र (योनिम्) गर्भाशयम् (आशयाम्) तलोपः। आशेताम्। प्राप्नोतु (अदुः) दत्तवन्तः (ते) तुभ्यम् (देवाः) दिव्यगुणाः (पुत्रम्) अ० १।११।५। कुलशोधकं सन्तानम् (सोमपाः) अमृतपानशीलाः (उभयाविनम्) उभय−आविनम्। सुप्यजातौ णिनिस्ताच्छील्ये पा० ३।२।७८। इति उभय+अव रक्षणे−णिनि। उभयोर्मातापित्रो रक्षकम् ॥

१० धातः श्रेष्ठेन

विश्वास-प्रस्तुतिः ...{Loading}...

धातः॒ श्रेष्ठे॑न रू॒पेणा॒स्या नार्या॑ गवी॒न्योः।
पुमां॑सं पु॒त्रमा धे॑हि दश॒मे मा॒सि सूत॑वे ॥

१० धातः श्रेष्ठेन ...{Loading}...

Whitney
Translation
  1. O Dhatar, with best form, in the two groins of this woman do thou
    set a male (púmāṅs) son, to be born in the tenth month.
Notes

This verse also (like 2, above) occurs in the additions to RV. x. 184
and to AGS. i. 14. 3 ⌊p. 37, transl.⌋ and in MP. ⌊i. 12.6⌋, with the
variants: víṣṇoḥ* for dhā́taḥ in a, and asyā́m nā́ryāṁ gavīnyā́m
(MP. -nyā̀m ⌊in mss. E. and W., -nyā́m in the Oxford text⌋) for b;
AGS. has putrān and MP. gárbham in c. Ppp. begins here a new
hymn reading savituśśreṣṭhena 1; śreṣṭhena 2; viṣṇoḥ śreṣṭhena:
tvaṣṭuḥ śreṣṭhena
3. The other texts omit any such variants of vs. 10.
⌊Cf. also MGS. ii. 18. 4 c and p. 156, s.v. viṣṇoḥ.⌋ *⌊Oxford
text, víṣṇo.⌋ †⌊Or else bhaga or bhagaḥ. Roth sent W. three notes
on this vs. and they do not seem to agree. In b Ppp. has nābhā for
nāryā.⌋

Griffith

O Dhatar, thou Disposer, lay within the body of this dame. A male germ with the noblest form, for her, in the tenth month, to bear.

पदपाठः

धातः॑। श्रेष्ठे॑न। रू॒पेण॑। अ॒स्याः। नार्याः॑। ग॒वी॒न्योः। पुमां॑सम्। पु॒त्रम्। आ। धे॒हि॒। द॒श॒मे। मा॒सि। सूत॑वे। २५.१०।

अधिमन्त्रम् (VC)
  • योनिः, गर्भः
  • ब्रह्मा
  • अनुष्टुप्
  • गर्भाधान सूक्त
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - विषयः

गर्भाधान का उपदेश।

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पदार्थः

पदार्थान्वयभाषाः - (धातः) हे पोषक परमात्मा ! (श्रेष्ठेन) श्रेष्ठ (रूपेण) रूप के साथ (अस्याः) इस (नार्याः) नारी की (गवीन्योः) दोनों पार्श्वस्य नाड़ियों में (पुमांसम्) रक्षा करनेवाला (पुत्रम्) कुलशोधक सन्तान (दशमे) दसवें (मासि) महीने में (सूतवे) उत्पन्न होने को (आ) अच्छे प्रकार (धेहि) स्थापित कर ॥१०॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - भावार्थः

भावार्थभाषाः - विदुषी पत्नी परमेश्वर के गुणों का विचार करती हुई उत्तम गुण स्वभाववाला सन्तान गर्भ के पूरे दिनों में उत्पन्न करे ॥१०॥ यही भाव मन्त्र १३ तक जानों ॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पादटिप्पनी

टिप्पणी: १०−(धातः) हे सर्वधारक परमेश्वर (श्रेष्ठेन) उत्तमेन (रूपेण) आकारेण (अस्याः) (नार्याः) स्त्रियाः (गवीन्योः) अ० १।३।६। पार्श्वद्वयस्थे नाड्यौ गवीन्यौ तयोः (पुमांसम्) अ० १।८।१। पा रक्षणो−डुम्सुन्। रक्षकम् (पुत्रम्) कुलशोधकं सन्तानम् (आ) सम्यक् (धेहि) स्थापय (दशमे) (मासि) (सूतवे) अ० १।१।२। प्रसवार्थम् ॥

११ त्वष्टः श्रेष्ठेन

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त्वष्टः॒ श्रेष्ठे॑न रू॒पेणा॒स्या नार्या॑ गवी॒न्योः।
पुमां॑सं पु॒त्रमा धे॑हि दश॒मे मा॒सि सूत॑वे ॥

११ त्वष्टः श्रेष्ठेन ...{Loading}...

Whitney
Translation
  1. O Tvashṭar, with best etc. etc.
Notes
Griffith

Tvashtar, celestial artist, lay within the body of this dame. A male germ with the noblest form for her in the tenth month to bear.

पदपाठः

त्वष्टः॑। श्रेष्ठे॑न। रूपेण। रू॒पेण॑। अ॒स्याः। नार्याः॑। ग॒वी॒न्योः। पुमां॑सम्। पु॒त्रम्। आ। धे॒हि॒। द॒श॒मे। मा॒सि। सूत॑वे। २५.११।

अधिमन्त्रम् (VC)
  • योनिः, गर्भः
  • ब्रह्मा
  • अनुष्टुप्
  • गर्भाधान सूक्त
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - विषयः

गर्भाधान का उपदेश।

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पदार्थः

पदार्थान्वयभाषाः - (त्वष्टः) हे विश्वकर्मा परमात्मन् ! (श्रेष्ठेन) श्रेष्ठ… म० १० ॥११॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - भावार्थः

भावार्थभाषाः - विदुषी पत्नी परमेश्वर के गुणों का विचार करती हुई उत्तम गुण स्वभाववाला सन्तान गर्भ के पूरे दिनों में उत्पन्न करे ॥१०॥ यही भाव मन्त्र १३ तक जानों ॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पादटिप्पनी

टिप्पणी: १०−(धातः) हे सर्वधारक परमेश्वर (श्रेष्ठेन) उत्तमेन (रूपेण) आकारेण (अस्याः) (नार्याः) स्त्रियाः (गवीन्योः) अ० १।३।६। पार्श्वद्वयस्थे नाड्यौ गवीन्यौ तयोः (पुमांसम्) अ० १।८।१। पा रक्षणो−डुम्सुन्। रक्षकम् (पुत्रम्) कुलशोधकं सन्तानम् (आ) सम्यक् (धेहि) स्थापय (दशमे) (मासि) (सूतवे) अ० १।१।२। प्रसवार्थम् ॥

१२ सवितः श्रेष्ठेन

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सवि॑तः॒ श्रेष्ठे॑न रू॒पेणा॒स्या नार्या॑ गवी॒न्योः।
पुमां॑सं पु॒त्रमा धे॑हि दश॒मे मा॒सि सूत॑वे ॥

१२ सवितः श्रेष्ठेन ...{Loading}...

Whitney
Translation
  1. O Savitar (‘impeller’), with best etc. etc.
Notes
Griffith

Savitar, vivifier, lay within the body of this dame A male germ with the noblest form for her in the tenth month to bear.

पदपाठः

सवि॑तः। श्रेष्ठे॑न। रू॒पेण॑। अ॒स्याः। नार्याः॑। ग॒वी॒न्योः। पुमां॑सम्। पु॒त्रम्। आ। धे॒हि॒। द॒श॒मे। मा॒सि। सूत॑वे। २५.१२।

पदपाठः

सवि॑तः। श्रेष्ठे॑न। रू॒पेण॑। अ॒स्याः। नार्याः॑। ग॒वी॒न्योः। पुमां॑सम्। पु॒त्रम्। आ। धे॒हि॒। द॒श॒मे। मा॒सि। सूत॑वे। २५.१२।

अधिमन्त्रम् (VC)
  • योनिः, गर्भः
  • ब्रह्मा
  • अनुष्टुप्
  • गर्भाधान सूक्त

१३ प्रजापते श्रेष्ठेन

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प्रजा॑पते॒ श्रेष्ठे॑न रू॒पेणा॒स्या नार्या॑ गवी॒न्योः।
पुमां॑सं पु॒त्रमा धे॑हि दश॒मे मा॒सि सूत॑वे ॥

१३ प्रजापते श्रेष्ठेन ...{Loading}...

Whitney
Translation
  1. O Prajāpati, with best etc. etc.
Notes

The Anukr., though taking no notice of the extra syllable in 12 a,
feels that it cannot pass over the two in 13 a, and defines
accordingly, with mechanical correctness.

Griffith

O Lord of Life, Prajapati, within this woman’s body lay A male germ with the noblest form for her in the tenth month to bear.

पदपाठः

प्रजा॑ऽपते। श्रेष्ठे॑न। रू॒पेण॑। अ॒स्याः। नार्याः॑। ग॒वी॒न्योः। पुमां॑सम्। पु॒त्रम्। आ। धे॒हि॒। द॒श॒मे। मा॒सि। सूत॑वे। २५.१३।

पदपाठः

प्रजा॑ऽपते। श्रेष्ठे॑न। रू॒पेण॑। अ॒स्याः। नार्याः॑। ग॒वी॒न्योः। पुमां॑सम्। पु॒त्रम्। आ। धे॒हि॒। द॒श॒मे। मा॒सि। सूत॑वे। २५.१३।

अधिमन्त्रम् (VC)
  • योनिः, गर्भः
  • ब्रह्मा
  • विराट्पुरस्ताद्बृहती
  • गर्भाधान सूक्त