०१८ शत्रुनाशनम् ...{Loading}...
Whitney subject
- For relief from demons and foes.
VH anukramaṇī
शत्रुनाशनम्।
१-५ चातनः। अग्निः। (द्वैपदम्) साम्नी बृहती।
Whitney anukramaṇī
[Cātana (sapatnakṣayakāmaḥ).—āgneyam. dvāipadam; sāmnībārhatam.]
Whitney
Comment
⌊Not metrical.⌋ Ppp. has some similar phrases in ii. The hymn belongs to the cātanāni (Kāuś. 8. 25: the comm. regards only the last three verses as cātana, because vs. 3 is the one whose pratīka is cited in the Kāuś. text; but it is perhaps more likely that arāyakṣayaṇam is an oversight for bhrātṛvyakṣ-); it is used by itself also in one of the witchcraft rites (ābhicārikāṇi), while adding fuel of reeds to the fire (48. 1).
Translations
Translated: Weber, xiii. 180; Griffith, i. 61.
Griffith
A charm against enemies, goblins, and other evil creatures
०१ भ्रातृव्यक्षयणमसि भ्रातृव्यचातनम्
विश्वास-प्रस्तुतिः ...{Loading}...
भ्रा॑तृव्य॒क्षय॑णमसि भ्रातृव्य॒चात॑नं मे दाः॒ स्वाहा॑ ॥
मूलम् ...{Loading}...
मूलम् (VS)
भ्रा॑तृव्य॒क्षय॑णमसि भ्रातृव्य॒चात॑नं मे दाः॒ स्वाहा॑ ॥
०१ भ्रातृव्यक्षयणमसि भ्रातृव्यचातनम् ...{Loading}...
Whitney
Translation
- Adversary-destroying art thou; adversary-expulsion mayest thou give
me: hail!
Notes
‘Adversary’ is lit. ’nephew’ or ‘brother’s son’ (bhrātṛvyd). The Ppp.
phrases are after this model: bhātṛvyakṣīṇam asi bhrātṛvyajambhanam asi
svāhā, and concern successively the piśācas, sadānvās, and
bhrātṛvyas. The Anukr. supports the comm. in regarding the hymn as
addressed to Agni, and agrees with Kāuś. in regard to the accompanying
action, saying: sapatnakṣayaṇīḥ samidha ādhāyā ’gnim prārthanīyam
aprārthayat. ⌊Instead of “destroying” W. has interlined “destruction."⌋
Griffith
Destruction of the foe art thou, give me the scaring of my foes. All hail!
पदपाठः
भ्रा॒तृ॒व्य॒ऽक्षय॑णम्। अ॒सि॒। भ्रा॒तृ॒व्य॒ऽचात॑नम्। मे। दाः॒। स्वाहा॑। १८.१।
अधिमन्त्रम् (VC)
- अग्निः
- चातनः
- द्विपदा साम्नीबृहती
- शत्रुनाशन सूक्त
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - विषयः
शत्रुओं से रक्षा करनी चाहिये–इसका उपदेश।
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पदार्थः
पदार्थान्वयभाषाः - (भ्रातृव्यक्षयणम्) वैरियों की नाशनशक्ति (असि) तू है, (मे) मुझे (भ्रातृव्यचातनम्) वैरियों के मिटाने का बल (दाः) दे, (स्वाहा) यही सुन्दर आशीर्वाद हो ॥१॥
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - भावार्थः
भावार्थभाषाः - (भ्रातृव्य) वह छली पुरुष है, जो देखने में भ्राता के समान प्रीति और भीतर से दुष्ट आचरण करे। परमेश्वर वा राजा ऐसे दुराचारियों का नाश करता है, ऐसे ही मनुष्य मृगतृष्णारूप, इन्द्रियलोलुपता और अन्य आत्मिक दोषों का नाश करके सुख से रहे ॥१॥
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पादटिप्पनी
टिप्पणी: १–भ्रातृव्यक्षयणम्। नप्तृनेष्टृत्वष्टृ० २।९६। इति भ्राजृ दीप्तौ, वा भृञ्–धारणपोषणयोः–तृन्। ततः। व्यन् सपत्ने। पा। ४।१।१४५। इति व्यन्। क्षि क्षये–ल्युट्। भ्रातृव्यो गुप्तशत्रुः, तस्य क्षयणं नाशनम्। भ्रातृव्यचातनम्। चातयतिर्नाशने–निरु० ६।३०। गुप्तशत्रुनाशनम्। स्वाहा। अ० २।१६।१। आशीर्वादोऽस्तु ॥
०२ सपत्नक्षयणमसि सपत्नचातनम्
विश्वास-प्रस्तुतिः ...{Loading}...
स॑पत्न॒क्षय॑णमसि सपत्न॒चात॑नं मे दाः॒ स्वाहा॑ ॥
मूलम् ...{Loading}...
मूलम् (VS)
स॑पत्न॒क्षय॑णमसि सपत्न॒चात॑नं मे दाः॒ स्वाहा॑ ॥
०२ सपत्नक्षयणमसि सपत्नचातनम् ...{Loading}...
Whitney
Translation
- Rival-destroying art thou; rival-expulsion mayest thou give me: hail!
Notes
Griffith
The rival’s ruiner art thou, give me to drive my rivals off. All hail!
पदपाठः
स॒प॒त्न॒ऽक्षय॑णम्। अ॒सि॒। स॒प॒त्न॒ऽचात॑नम्। मे॒। दाः॒। स्वाहा॑। १८.२।
अधिमन्त्रम् (VC)
- अग्निः
- चातनः
- द्विपदा साम्नीबृहती
- शत्रुनाशन सूक्त
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - विषयः
शत्रुओं से रक्षा करनी चाहिये–इसका उपदेश।
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पदार्थः
पदार्थान्वयभाषाः - [हे ईश्वर !] तू (सपत्नक्षयणम्) प्रकट शत्रुओं की नाशशक्ति (असि) है, (मे) मुझे (सपत्नचातनम्) प्रकट शत्रुओं के मिटाने का बल (दाः) दे, (स्वाहा) यह सुन्दर आशीर्वाद हो ॥२॥
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - भावार्थः
भावार्थभाषाः - जैसे ईश्वर वा राजा प्रकट कुचालियों का नाश करता है, वैसे ही मनुष्य अपने प्रकट दोषों का नाश करके सुख भोगे ॥२॥
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पादटिप्पनी
टिप्पणी: २–सपत्नक्षयणम्। सह+पत गतौ, ऐश्ये–न, सहस्य सः। एकार्थे पतन्ति यतन्ते ते सपत्नाः। तेषां प्रकटशत्रूणां क्षयणं नाशनम्। अन्यद् गतम् ॥
०३ अरायक्षयणमस्यरायचातनं मे
विश्वास-प्रस्तुतिः ...{Loading}...
अ॑राय॒क्षय॑णमस्यराय॒चात॑नं मे दाः॒ स्वाहा॑ ॥
मूलम् ...{Loading}...
मूलम् (VS)
अ॑राय॒क्षय॑णमस्यराय॒चात॑नं मे दाः॒ स्वाहा॑ ॥
०३ अरायक्षयणमस्यरायचातनं मे ...{Loading}...
Whitney
Translation
- Wizard- (? arā́ya-) destroying art thou; wizard-expulsion mayest
thou give me: hail!
Notes
Griffith
Arayis’ ruiner art thou, give me to drive Arayis off. All hail!
पदपाठः
अ॒रा॒य॒ऽक्षय॑णम्। अ॒सि॒। अ॒रा॒य॒ऽचात॑नम्। मे॒। दाः॒। स्वाहा॑। १८.३।
अधिमन्त्रम् (VC)
- अग्निः
- चातनः
- द्विपदा साम्नीबृहती
- शत्रुनाशन सूक्त
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - विषयः
शत्रुओं से रक्षा करनी चाहिये–इसका उपदेश।
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पदार्थः
पदार्थान्वयभाषाः - [हे ईश्वर !] तू (अरायक्षयणम्) निर्धनता की नाशशक्ति (असि) है, (मे) मुझे (अरायचातनम्) निर्धनता मिटाने का बल (दाः) दे, (स्वाहा) यही सुन्दर आशीर्वाद हो ॥३॥
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - भावार्थः
भावार्थभाषाः - ईश्वर सर्वशक्तिमान् और महाधनी है, ऐसा विचारकर मनुष्य अपनी दुष्टता और दुर्मति से अथवा अन्य विघ्नों से उत्पन्न निर्धनता को उद्योग करके मिटावें ॥३॥
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पादटिप्पनी
टिप्पणी: ३–अरायक्षयणम्। रा+दाने–घञ्, युक् आगमः। नञ्तत्पुरुषः। अरायस्य निर्धनत्वस्य नाशनम् ॥
०४ पिशाचक्षयणमसि पिशाचचातनम्
विश्वास-प्रस्तुतिः ...{Loading}...
पि॑शाच॒क्षय॑णमसि पिशाच॒चात॑नं मे दाः॒ स्वाहा॑ ॥
मूलम् ...{Loading}...
मूलम् (VS)
पि॑शाच॒क्षय॑णमसि पिशाच॒चात॑नं मे दाः॒ स्वाहा॑ ॥
०४ पिशाचक्षयणमसि पिशाचचातनम् ...{Loading}...
Whitney
Translation
- Piśācá-destroying art thou; piśācá-expulsion mayest thou give me:
hail!
Notes
Griffith
Pisa-chas’ ruiner art thou, give me to drive Pisachas off. All hail!
पदपाठः
पि॒शा॒च॒ऽक्षय॑णम्। अ॒सि॒। पि॒शा॒च॒ऽचात॑नम्। मे॒। दाः॒। स्वाहा॑। १८.४।
अधिमन्त्रम् (VC)
- अग्निः
- चातनः
- द्विपदा साम्नीबृहती
- शत्रुनाशन सूक्त
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - विषयः
शत्रुओं से रक्षा करनी चाहिये–इसका उपदेश।
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पदार्थः
पदार्थान्वयभाषाः - हे ईश्वर ! तू (पिशाचक्षयणम्) माँस खानेवालों की नाशशक्ति (असि) है, (मे) मुझे (पिशाचचातनम्) माँस खानेवालों के मिटाने का बल (दाः) दे। (स्वाहा) यह सुन्दर आशीर्वाद हो ॥४॥
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - भावार्थः
भावार्थभाषाः - परमेश्वर की न्यायशक्ति का विचार करके मनुष्य कुविचार, कुशीलता और रोगादि दोषों को जो शरीर और आत्मा के हानिकारक हैं, मिटावें तथा हिंसक सिंह सर्प्पादि जीवों का भी नाश करें ॥४॥
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पादटिप्पनी
टिप्पणी: ४–पिशाचक्षयणम्। कर्मण्यण्। पा० ३।२।१। इति पिशित+अश भक्षणे–अण्। पृषोदरादीनि यथोपदिष्टम्। पा० ६।३।१०९। इति शितभागस्य लोपः अशभागस्य शाचादेशः। पिशितं मांसम् अश्नन्तीति पिशाचाः कुविचाराः, अथवा, शारीरिकरोगा हिंसकाः प्राणिनो वा, तेषां नाशनम् ॥
०५ सदान्वाक्षयणमसि सदान्वाचातनम्
विश्वास-प्रस्तुतिः ...{Loading}...
स॑दान्वा॒क्षय॑णमसि सदान्वा॒चात॑नं मे दाः॒ स्वाहा॑ ॥
मूलम् ...{Loading}...
मूलम् (VS)
स॑दान्वा॒क्षय॑णमसि सदान्वा॒चात॑नं मे दाः॒ स्वाहा॑ ॥
०५ सदान्वाक्षयणमसि सदान्वाचातनम् ...{Loading}...
Whitney
Translation
- Sadā́nvā-destroy’mg art thou; sadā́nvā-expulsion mayest thou give
me: hail!
Notes
Read in our edition sadānvācā́t-.
Griffith
Sadanvas’ ruiner art thou, give me to drive Sadanvas off. All hail!
पदपाठः
स॒दा॒न्वा॒ऽक्षय॑णम्। अ॒सि॒। स॒दा॒न्वा॒ऽचात॑नम्। मे॒। दाः॒। स्वाहा॑। १८.५।
अधिमन्त्रम् (VC)
- अग्निः
- चातनः
- द्विपदा साम्नीबृहती
- शत्रुनाशन सूक्त
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - विषयः
शत्रुओं से रक्षा करनी चाहिये–इसका उपदेश।
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पदार्थः
पदार्थान्वयभाषाः - [हे ईश्वर !] तू (सदान्वाक्षयणम्) सदा चिल्लानेवाली वा दानवों के साथ रहनेवाली (निर्धनता वा दुर्भिक्षता) की नाशशक्ति (असि) है, (मे) मुझे (सदान्वाचातनम्) सदा चिल्लानेवाली वा दानवों के साथ रहनेवाली [निर्धनता वा दुर्भिक्षता] के मिटाने का बल (दाः) दे, (स्वाहा) यही सुन्दर आशीर्वाद हो ॥५॥
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - भावार्थः
भावार्थभाषाः - निर्धनता और दुर्भिक्षता [अकाल] आदि विपत्तियों के मारे सब प्राणी महादुःखी होकर आर्तध्वनि करते और चोर आदि उन्हें सताते हैं। परमेश्वर की दयालुता और पूर्णता पर ध्यान करके मनुष्य प्रयत्नपूर्वक प्रभूत धन और अन्न का संचय करके आनन्द से रहें ॥५॥
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पादटिप्पनी
टिप्पणी: ५–सदान्वाक्षयणम्। अ० २।१४।१। सदानोनुवानां सर्वदा शब्दकारिकानां वा दानवै राक्षसैः सह वर्त्तमानानां दरिद्रतादिविपत्तीनां नाशनम् ॥