०१७ बलप्राप्तिः

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Whitney subject
  1. For various gifts.
VH anukramaṇī

बलप्राप्तिः।
१-७ ब्रह्मा। प्राणः, अपानः, आयुः। (एकावसानम्) १-६ एकपदासुरी त्रिष्टुप्, ७ आसुरी उष्णिक्।

Whitney anukramaṇī

[Brahman.—saptarcam. prāṇāpānāyurdevatyam. ekāvasānam: 1-6. 1-p. āsurī triṣṭubh; 7. āsury uṣṇih.]

Whitney

Comment

⌊Not metrical.⌋ Pāipp. has a similar set of phrases in ii. For the use of the hymn by Kāuś. and Vāit, see under hymn 16. It is also, with 15 and others, reckoned by the schol. to Kāuś. (54. 11, note) to the āyuṣya gaṇa.

Translations

Translated: Weber, xiii. 180; Griffith, i. 61.

Griffith

A prayer to an amulet for health and strength

०१ ओजोऽस्योजो मे

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ओजो॒ऽस्योजो॑ मे दाः॒ स्वाहा॑ ॥

०१ ओजोऽस्योजो मे ...{Loading}...

Whitney
Translation
  1. Force art thou; force mayest thou give me: hail!
Notes

The Ppp. has no phrase corresponding to this. Some of our mss., as of
SPP’s, read instead of dāḥ before svā́hā, in this hymn and the
next, where they do not abbreviate the repetition by omitting both
words. The comm. regards them both as addressed to Agni, or else to the
article offered (hūyamānadravyam). ⌊Cf. MGS. i. 2. 3, and p. 149 and
citations.⌋

Griffith

Power art thou, give me power. All hail!

पदपाठः

ओजः॑। अ॒सि॒। ओजः॑। मे॒। दाः॒। स्वाहा॑। १७.१।

अधिमन्त्रम् (VC)
  • प्राणः, अपानः, आयुः
  • ब्रह्मा
  • एदपदासुरीत्रिष्टुप्
  • बल प्राप्ति सूक्त
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - विषयः

आयु बढ़ाने के लिये उपदेश।

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पदार्थः

पदार्थान्वयभाषाः - [हे ईश्वर] तू (ओजः) शारीरिक सामर्थ्य (असि) है, (मे) मुझे (ओजः) शारीरिक सामर्थ्य (दाः=दद्याः) दे, (स्वाहा) यह सुन्दर आशीर्वाद हो ॥१॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - भावार्थः

भावार्थभाषाः - (ओजः) बल और प्रकाश का नाम है। वैद्यक में रसादि सात धातुओं से उत्पन्न, आठवें धातु शरीर के बल और पुष्टि के कारण और ज्ञानेन्द्रियों की नीरोगता को (ओजः) कहते हैं। जैसे (ओजः) हमारे शरीरों के लिये है, वैसे ही परमात्मा सब ब्रह्माण्ड के लिये है, ऐसा विचारकर मनुष्यों को शारीरिक शक्ति बढ़ानी चाहिये ॥१॥ इस सूक्त का पाठ यजुर्वेद के पाठ से प्रायः मिलता है–अ० १९।९। तेजो॑ऽसि॒ तेजो॒ मयि॑ धेहि। वी॒र्य॒मसि वीर्यं॑ मयि॑ धेहि। बल॑मसि॒ बलं॒ मयि॑ धेहि। ओजो॒ऽस्योजो॒ मयि॑ धेहि। म॒न्युर॑सि म॒न्युं मयि॑ धेहि। सहो॑ऽसि॒ सहो॒ मयि॑ धेहि ॥१॥ तू तेज है, मुझमें तेज धारण कर–इत्यादि ॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पादटिप्पनी

टिप्पणी: १–ओजः। अ० १।१२।१। ओज बले, तेजसि–असुन्। बलम्। प्रकाशः। वैद्यके रसादिसप्तधातुसारजधातुविशेषः शरीरस्य बलपुष्टिकारणम्। ज्ञानेन्द्रियाणां पाटवम्। मे। मह्यम्। दाः। त्वं दद्याः, देयाः ॥

०२ सहो ऽसि

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सहो॑ ऽसि॒ सहो॑ मे दाः॒ स्वाहा॑ ॥

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Whitney
Translation
  1. Power art thou; power mayest thou give me: hail!
Notes

Ppp. has sahodā agnes saho me dhā svāhā.

Griffith

Might art thou, give me might. All hail!

पदपाठः

सहः॑। अ॒सि॒। सहः॑। मे॒। दाः॒। स्वाहा॑। १७.२।

अधिमन्त्रम् (VC)
  • प्राणः, अपानः, आयुः
  • ब्रह्मा
  • एदपदासुरीत्रिष्टुप्
  • बल प्राप्ति सूक्त
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - विषयः

आयु बढ़ाने के लिये उपदेश।

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पदार्थः

पदार्थान्वयभाषाः - [हे परमात्मा !] तू (सहः) पराक्रमस्वरूप (असि) है, (मे) मुझे (सहः) आत्मिक पराक्रम (दाः) दे, (स्वाहा) यह सुन्दर आशीर्वाद हो ॥२॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - भावार्थः

भावार्थभाषाः - अनन्त ब्रह्माण्डों का रचक और धारक परमेश्वर पराक्रमस्वरूप है। ऐसा सोचकर विद्यादि उपायों से मनुष्य अपनी आत्मिक शक्ति बढ़ावें ॥२॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पादटिप्पनी

टिप्पणी: २–सहः। षह अभिभवे, क्षमायाम्–असुन्। मानसिकबलम्। पराक्रमः ॥

०३ बलमसि बलम्

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बल॑मसि॒ बलं॑ दाः॒ स्वाहा॑ ॥

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Whitney
Translation
  1. Strength art thou; strength mayest thou give me: hail!
Notes

Ppp. gives baladā agnir balaṁ me svāhā.

Griffith

Strength art thou, give me strength. All hail!

पदपाठः

बल॑म्। अ॒सि॒। बल॑म्। मे॒। दाः॒। स्वाहा॑। १७.३।

अधिमन्त्रम् (VC)
  • प्राणः, अपानः, आयुः
  • ब्रह्मा
  • एदपदासुरीत्रिष्टुप्
  • बल प्राप्ति सूक्त
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - विषयः

आयु बढ़ाने के लिये उपदेश।

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पदार्थः

पदार्थान्वयभाषाः - [हे ईश्वर !] तू (बलम्) सामाजिक बल (असि) है, (मे) मुझे (बलम्) सामाजिक बल (दाः) दे, (स्वाहा) यह सुन्दर आशीर्वाद हो ॥३॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - भावार्थः

भावार्थभाषाः - परमेश्वर में सब देवता, मनुष्य आदि समाजों का बल है, ऐसा जानकर मनुष्य अपने कुटुम्बी आदि से प्रीति बढ़ाकर सामाजिक बल बढ़ावें ॥३॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पादटिप्पनी

टिप्पणी: ३–बलम्। बल जीवने, दाने, वधे–पचाद्यच्। बलते विपक्षान् हन्तीति। सामान्यशक्तिः। सैन्यम्। सामाजिकं सामर्थ्यम् ॥

०४ आयुरस्यायुर्मे दाः

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आयु॑र॒स्यायु॑र्मे दाः॒ स्वाहा॑ ॥

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Whitney
Translation
  1. Life-time art thou; life-time mayest thou give me: hail!
Notes

The corresponding phrase in Ppp. is: āyur asyā āyur me dhā svāhā.

Griffith

Life art thou, give me life. All hail!

पदपाठः

आयुः॑। अ॒सि॒। आयुः॑। मे॒। दाः॒। स्वाहा॑। १७.४।

अधिमन्त्रम् (VC)
  • प्राणः, अपानः, आयुः
  • ब्रह्मा
  • एदपदासुरीत्रिष्टुप्
  • बल प्राप्ति सूक्त
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - विषयः

आयु बढ़ाने के लिये उपदेश।

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पदार्थः

पदार्थान्वयभाषाः - [हे ईश्वर !] तू (आयुः) आयु [जीवनशक्ति] (असि) है, (मे) मुझे (आयुः) आयु (दाः) दे, (स्वाहा) यह सुन्दर आशीर्वाद हो ॥४॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - भावार्थः

भावार्थभाषाः - ईश्वर ने हमें अन्न, बुद्धि, ज्ञान आदि जीवनसामग्री देकर बड़ा उपकार किया है, ऐसे ही हम भी परस्पर उपकार से अपना जीवन बढ़ावें ॥४॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पादटिप्पनी

टिप्पणी: ४–आयुः। अ० १।३०।३। इण् गतौ–उसि, स च णित्। जीवनम्। जीवनकारणम् ॥

०५ श्रोत्रमसि श्रोत्रम्

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श्रोत्र॑मसि॒ श्रोत्रं॑ मे दाः॒ स्वाहा॑ ॥

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Whitney
Translation
  1. Hearing art thou; hearing mayest thou give me: hail!
Notes

There are no phrases in Ppp. answering to this and the two following
verses; but others with varcas and tejas as the gifts sought.

Griffith

Ear art thou, give me hearing! Hail!

पदपाठः

श्रोत्र॑म्। अ॒सि॒। श्रोत्र॑म्। मे॒। दाः॒। स्वाहा॑। १७.५।

अधिमन्त्रम् (VC)
  • प्राणः, अपानः, आयुः
  • ब्रह्मा
  • एदपदासुरीत्रिष्टुप्
  • बल प्राप्ति सूक्त
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - विषयः

आयु बढ़ाने के लिये उपदेश।

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पदार्थः

पदार्थान्वयभाषाः - [हे ईश्वर !] तू (श्रोत्रम्) श्रवणशक्ति (असि) है, (मे) मुझे (श्रवणम्) श्रवणशक्ति (दाः) दे, (स्वाहा) यह सुन्दर आशीर्वाद हो ॥५॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - भावार्थः

भावार्थभाषाः - परमेश्वर अपनी अनन्त श्रवणशक्ति से हमारी टेर सुनता और संकटों को काटता है। ऐसे ही हम अपनी श्रवणशक्ति को नीरोग रखकर दूसरों के दुःखों का निवारण करें और वेदादि शास्त्रों का श्रवण करें ॥५॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पादटिप्पनी

टिप्पणी: ५–श्रोत्रम्। हुयामाश्रुभसिभ्यस्त्रन्। उ० ४।१६८। इति श्रु गतिश्रुत्योः–त्रन्। श्रवणेन्द्रियम्। कर्णम् ॥

०६ चक्षुरसि चक्षुर्मे

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चक्षु॑रसि॒ चक्षु॑र्मे दाः॒ स्वाहा॑ ॥

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Whitney
Translation
  1. Sight art thou; sight mayest thou give me: hail!
Notes
Griffith

Eye art thou, give me eyes. All hail!

पदपाठः

चक्षुः॑। अ॒सि॒। चक्षुः॑। मे॒। दाः॒। स्वाहा॑। १७.६।

अधिमन्त्रम् (VC)
  • प्राणः, अपानः, आयुः
  • ब्रह्मा
  • एदपदासुरीत्रिष्टुप्
  • बल प्राप्ति सूक्त
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - विषयः

आयु बढ़ाने के लिये उपदेश।

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पदार्थः

पदार्थान्वयभाषाः - [हे ईश्वर !] तू (चक्षुः) दृष्टि [दर्शनशक्ति] (असि) है, (मे) मुझे (चक्षुः) दर्शनशक्ति (दाः) दे, (स्वाहा) यह सुन्दर आशीर्वाद हो ॥६॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - भावार्थः

भावार्थभाषाः - ऋग्वेद पुरुषसूक्त १०।९०।१। में भी परमेश्वर का नाम (सहस्राक्षः) अनन्त दर्शनशक्तिवाला है, इस प्रकार परमात्मा को सर्वद्रष्टा समझकर मनुष्य अपनी दर्शनशक्ति चंगी रक्खे और यथार्थज्ञान प्राप्त करके बहुदर्शी, दूरदर्शी और न्यायकारी होवे ॥६॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पादटिप्पनी

टिप्पणी: ६–चक्षुः। अ० १।३३।४। चक्षिङ् दर्शने–उसि। दृष्ट्या। दर्शनशक्त्या ॥

०७ परिपाणमसि परिपाणम्

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प॑रि॒पाण॑मसि परि॒पाणं॑ मे दाः॒ स्वाहा॑ ॥

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Whitney
Translation
  1. Protection (paripā́ṇa) art thou; protection mayest thou give me:
    hail!
Notes

The anuvāka ⌊3.⌋ has 7 hymns, with 42 verses; the Anukr. says: aṣṭonaṁ
tasmāc chatārdhaṁ tṛtīye.

Here ends also the third prapāṭhaka.

Griffith

Shield art thou, shield me well. All hail

पदपाठः

प॒रि॒ऽपान॑म्। अ॒सि॒। प॒रि॒ऽपान॑म्। मे॒। दाः॒। स्वाहा॑। १७.७।

अधिमन्त्रम् (VC)
  • प्राणः, अपानः, आयुः
  • ब्रह्मा
  • आसुरी उष्णिक्
  • बल प्राप्ति सूक्त
पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - विषयः

आयु बढ़ाने के लिये उपदेश।

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पदार्थः

पदार्थान्वयभाषाः - [हे परमेश्वर !] तू (परिपाणम्) सब प्रकार पालनशक्ति (असि) है, (मे) मुझे (परिपाणम्) सब प्रकार की पालनशक्ति (दाः) दे, (स्वाहा) यह आशीर्वाद हो ॥७॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - भावार्थः

भावार्थभाषाः - परमेश्वर को अथर्ववेद १९।६।१। में (सहस्रबाहुः) अनन्त भुजाओं की शक्तिवाला कहा है। मनुष्य उसकी अनन्त रक्षणशक्ति देखकर आप भी मनुष्यों में (सहस्रबाहुः) महारक्षक और (शतक्रतुः) शतकर्मा अर्थात् बहुकार्यकर्त्ता होवे ॥७॥ इति तृतीयोऽनुवाकः ॥ इति तृतीयः प्रपाठकः ॥

पण्डित क्षेमकरणदास त्रिवेदी - पादटिप्पनी

टिप्पणी: ७–परिपाणम्। परि+पा रक्षणे–ल्युट्। कृत्यचः। पा० ८।४।२९। इति नस्य णत्वम्। परितः सर्वतः पालनं रक्षणसामर्थ्यम् ॥