१३९ परिशिष्ट

१. णिजन्त धातु बनाने की विधि । २. धातुपाठ।
३. धातुसूची। ४. सूत्र - वार्तिक - गणसूत्रानुक्रमणिका। परिशिष्ट धातुओं में णिच् प्रत्यय लगाने की विधि के पर धातुओं में णिच् प्रत्यय लगाकर णिजन्त धातु बनाने की विधि - णिच् प्रत्यय दो प्रकार का होता है - १. चुरादिगण के धातुओं से लगने वाला ‘स्वार्थिक’ णिच् प्रत्यय - चुरादिगण के धातुओं में किसी भी प्रत्यय को लगाने के पहिले णिच् प्रत्यय लगाया जाता है। इसके लगने से धातु के अर्थ में कोई भी वृद्धि नहीं होती। अतः इसे ‘स्वार्थिक’ णिच् प्रत्यय कहते हैं। इसके लिये सूत्र है - सत्यापपाशरूपवीणातूलश्लोकसेनालोमत्वचवर्मवर्णचूर्णचुरादिभ्यो णिच् - सत्याप, पाश, रूप, वीणा, तूल, श्लोक, सेना, लोम, त्वच्, वर्म, वर्ण, चूर्ण, इन प्रातिपदिकों से तथा ‘चुरादि गण के सारे धातुओं से’ किसी भी प्रत्यय को लगाने के पहिले, णिच् प्रत्यय अवश्य लगाया जाता है। २. प्रयोज्य प्रयोजक व्यापार बतलाने के लिये में किसी भी धातु से लगने वाला णिच् प्रत्यय - तत्प्रयोजको हेतुश्च - जब एक कर्ता कोई काम करे, और दूसरा कर्ता उससे उस काम को करवाये, तब जो काम कराने वाला है, उसे प्रयोजक कर्ता कहा जाता है, तथा जिससे काम कराया जा रहा है, उसे प्रयोज्य कर्ता कहा जाता है। जैसे - गुरुः शिष्यं पाठयति - गुरु शिष्य को पढ़ाता है। इस वाक्य के भीतर, शिष्यः पठति, गुरुः प्रेरयति ये दो वाक्य हैं। यहाँ शिष्य पढ़ रहा है, अतः वह प्रयोज्य कर्ता है, तथा गुरु उसे पढ़ने के लिये प्रेरित कर रहा है, अतः वह प्रयोजक कर्ता है। इसी प्रकार देवदत्तः यज्ञदत्तं गमयति - देवदत्त यज्ञदत्त को भेजता है। इस वाक्य के भीतर, यज्ञदत्तः गच्छति, देवदत्तः प्रेरयति ये दो वाक्य हैं। यहाँ यज्ञदत्त जाने का काम कर रहा है, अतः वह प्रयोज्य कर्ता है तथा देवदत्त उसे जाने के लिये प्रेरित कर रहा है, अतः वह प्रयोजक कर्ता है। जो प्रयोजक कर्ता होता है, उसे हेतु’ कहा जाता है। हेतुमति च - जब इस प्रकार का प्रयोज्य प्रयोजक व्यापार वाच्य हो, तब किसी ५५४ अष्टाध्यायी सहजबोध भाग - ३ भी धातु से णिच् प्रत्यय लगा देना चाहिये । णिच् प्रत्यय लगाने से यह प्रेरणा अर्थ अभिव्यक्त हो जाता है। यथा पठ् का अर्थ पढ़ना है, किन्तु यदि इस पठ् में हम णिच् लगा दें तो पठ् + णिच् का अर्थ ‘पढ़ाना’ हो जायेगा। इसी प्रकार गम् का अर्थ है जाना। यदि गम् में हम णिच् लगा दें, तो गम् + णिच् का अर्थ ‘भेजना’ हो जायेगा। खाद् का अर्थ है ‘खाना’ । इसमें यदि णिच् लगा दें तो खाद् + णिच् का अर्थ हो जायेगा ‘खिलाना’। अब हम देखें कि ‘पठ्’ तो धातुपाठ में पढ़ा गया है, अतः ‘भूवादयो धातवः’ (पृष्ठ १) सूत्र से इसका नाम धातु है, किन्तु पठ् + णिच् तो धातुपाठ में पढ़ा नहीं गया है, अतः हम पहिले ‘सनाद्यन्ता धातवः’ (पृष्ठ ३) सूत्र से इसकी धातुसंज्ञा करेंगे, उसके बाद ही इससे धातुओं से लगने वाले सभी प्रत्यय लगा सकेंगे। इस प्रकार हमने जाना कि धातु दो प्रकार के होते हैं - १. धातुपाठ में पठित धातु, जिनकी ‘भूवादयो धातवः’ सूत्र से धातु संज्ञा होती २. प्रत्ययान्त धातु, जिनकी ‘सनाद्यन्ता धातवः’ सूत्र से धातु संज्ञा होती है। अब हम धातुओं से णिच् प्रत्यय लगाकर णिजन्त धातु बनायें। यह कार्य हम दो खण्डों में करें। १. अजन्त धातुओं में णिच् प्रत्यय लगाने की विधि । २. हलन्त धातुओं में णिच् प्रत्यय लगाने की विधि । अजन्त धातुओं में णिच् प्रत्यय लगाने की विधि अजन्त धातुओं को आकारान्त, इकारान्त, उकारान्त, ऋकारान्त, ऋकारान्त आदि क्रम से अपनी दृष्टि के सामने रख लीजिये। आकारान्त धातुओं में णिच् प्रत्यय लगाना - अर्तिह्रीब्लीरीक्नूयीक्ष्माय्याताम् पुणौ - ऋ धातु, ह्री धातु, ब्ली धातु री घातु, क्नूय धातु, क्ष्मायी धातु तथा सभी आकारान्त धातुओं का पुक् को आगम होता है। णिच् में, ण, च् की इत्संज्ञा होकर ‘इ’ शेष बचता है। पुक में उ, क्, की इत् संज्ञा करके प् शेष बचता है। दा + णिच् = दा + पुक् + इ - दापि धा + णिच् = धा + पुक् + इ - धापि परिशिष्ट (णिजन्त प्रक्रिया) ५५५ अब इस णिच् लगे हुए इन धातुओं की अर्थात् दाप् + इ - दापि / धाप् + __ इ - धापि आदि, की ‘सनाद्यन्ता धातवः’ सूत्र से धातुसंज्ञा कीजिये। धातुसंज्ञा हो जाने से अब इसमें कोई भी प्रत्यय लगाये जा सकते हैं। हमने देखा कि णिजन्त धातु के अन्त में सदा णिच् = इ, ही होता है। एजन्त धातुओं में णिच् प्रत्यय लगाना - आदेच उपदेशेऽशिति - अशित् प्रत्यय परे होने पर सारे एजन्त अर्थात् ए, ऐ, ओ, औ से अन्त होने वाले धातुओं को ‘आ’ अन्तादेश होता है। जैसे - ग्लै - ग्ला, म्लै __- म्ला, ध्यै - ध्या, शो - शा, सो - सा, वे - वा, छो - छा। अब देखिये कि ए, ऐ, ओ, औ से अन्त होने वाले धातु भी आकारान्त बन गये। __ अतः णिच् प्रत्यय परे होने पर इन्हें भी आकारान्त मानकर ‘अर्तिह्रीब्लीरीक्नूयीक्ष्माय्याताम् पुणौ’ सूत्र से पुक् (प्) का आगम कीजिए - __ ध्यै - ध्या + णिच् - ध्या + पुक् + इ - ध्यापि __ म्लै - म्ला + णिच् - ध्या + पुक् + इ - म्लापि कुछ आकारान्त धातुओं में पुगागम नहीं होता। वे इस प्रकार हैं - पुगागम के अपवाद - शो, छो, षो, हे, व्ये, वे, पा धातु - शाच्छासाहाव्यावेपां युक् - शो - शा / छो - छा / सो - सा / हे - ह्वा / व्ये - व्या / वे - वा / और पा इन सात आकारान्त धातुओं को पुक् (प्) का आगम न होकर युक् (य) का आगम होता है - शो - शा + युक् + णिच् - शायि छो - छा + युक् + णिच् - छायि सो - सा + युक् + णिच् - सायि हे - हा + युक् + णिच् - हायि व्ये - व्या + युक् + णिच् - व्यायि वे - वा + युक् + णिच् - वायि पै - पा + युक् + णिच् = पायि पा रक्षणे धातु - लुगागमस्तु तस्य वक्तव्यः (वा.) - देखें कि पा पाने धातु | को युक् का आगम कहा गया है, किन्तु पा रक्षणे धातु को लुक् का आगम होता है। पा - पा + लुक् + णिच् - पालि ५५६ अष्टाध्यायी सहजबोध भाग - ३ वा धातु - वो विधूनने जुक् - वा धातु का अर्थ यदि हवा झलना, कँपाना हो तो उसे जुक् का आगम होता है - वा - वा + जुक् + णिच् - वाजि ला धातु - लीलोर्नुग्लुकावन्यतरस्यां स्नेहनिपातने - स्नेहनिपातन अर्थात् घी पिघलाना आदि अर्थ में, ला धातु को लुक् का आगम विकल्प से होता है। लुक् का आगम होने पर - ला - ला + लुक् + णिच् - लालि लुक् का आगम न होने पर अर्तिह्रीब्लीरीक्नूयीक्ष्माय्याताम् पुणौ’ सूत्र से पुक् का आगम कीजिये - ला - ला + पक + णिच - लापि ली धातु इकारान्त वर्ग में बतला रहे हैं। मित् आकारान्त धातु - ज्ञा, ग्ला, स्ना, श्रा धातु - ध्यान रहे कि ये धातु ‘घटादयो मितः’ से मित् हैं। घटादयो मितः - भ्वादिगण का धातुपाठ देखिये। इसमें ९१५ से ९७२ तक धातुओं का घटादि अन्तर्गण है। घटादि अन्तर्गण के ये धातु मित् धातु कहलाते हैं। इन मित् धातुओं की उपधा के ‘अ’ को मितां ह्रस्वः सूत्र से ह्रस्व होता है। ज्ञा + णिच् = ज्ञाप् + इ - ज्ञापि - ज्ञपि ग्ला + णिच् = ग्लाप् + इ - ग्लापि - ग्लपि स्ना + णिच् = स्नाप् + इ - स्नापि - स्नपि इकारान्त धातुओं में णिच् प्रत्यय लगाना - इनके अन्तिम इ, ई को णिच् परे होने पर अचो णिति सूत्र से वृद्धि करके ऐ बनाइये तथा एचोऽयवायावः सूत्र से आय आदेश कीजिये - नी + णिच् - नै + इ - नाय् + इ - नायि इसके अपवाद - वी धातु - प्रजने वीयतेः - इसका अर्थ यदि प्रजनन हो, तो इसे ‘आ’ अन्तादेश होता है। प्रजनन अर्थ में - इसे ‘आ’ आदेश कीजिये और आकारान्त होने के कारण ‘अर्तिह्रीब्लीरीक्नूयीक्ष्माय्याताम् पुणौ’ सूत्र से पुक् का आगम कीजिये - वी - वा + पुक् + णिच् - वापि प्रजनन अर्थ न होने पर - वी + णिच् / अचो णिति सूत्र से इ को वृद्धि करके परिशिष्ट (णिजन्त प्रक्रिया) ५५७

  • वै + इ / एचोऽयवायावः सूत्र से आय आदेश करके - वाय् + इ - वायि। स्मि धातु - नित्यं स्मयतेः - स्मि धातु के ‘इ’ को ‘आ’ अन्तादेश होता है, हेतु से भय होने पर। विस्मि + णिच् / वि + स्मा + णिच् / आकारान्त होने से अर्तिह्रीब्ली. सूत्र से सूत्र से पुक् का आगम करके - वि + स्मा + पुक् + णिच् - विस्मापि। हेतु से भय न होने पर - आकार अन्तादेश नहीं होगा। अतः विस्मि + णिच् / अचो णिति सूत्र से वृद्धि करके - विस्मै + इ / एचोऽयवायावः सूत्र से आय आदेश करके - विस्माय् + इ = विस्मायि। क्री, जि, अधि + इ धातु - क्रीजीनां णौ - क्री, जि, अधि + इ धातु, इनके ‘इ’ को ‘आ’ अन्तादेश होता है। उसके बाद ‘अर्तिहीब्ली. सूत्र से सूत्र से पुक् का आगम होता है। क्री - क्रा + पुक् + णिच् - क्रापि जि - जा + पुक् + णिच् - जापि अधि + इ - अध्या + पुक् + णिच् - अध्यापि चि धातु- चिस्फुरोर्णी - चि धातु तथा स्फुर् धातु के एच के स्थान पर विकल्प से ‘आ’होता है। ‘आ’ आदेश होने पर - चि + णिच् / अचो णिति सूत्र से वृद्धि करके - चै+ इ/ चिस्फुरो# सूत्र से ऐ के स्थान पर ‘आ’ आदेश करके - चा + इ/ आकारान्त होने के कारण ‘अर्तिह्रीब्लीरीक्नूयीक्ष्माय्याताम् पुणौ’ सूत्र से इसे पुक् का आगम करके - चाप् + इ - चापि। ‘आ’ आदेश न होने पर - चि + णिच् / अचो णिति सूत्र से वृद्धि करके चै + इ / एचोऽयवायांवः सूत्र से आय आदेश करके - चाय् + इ = चायि । ध्यान दीजिये कि ‘चि’ धातु दो हैं। एक स्वादिगण में तथा दूसरा चुरादिगण में। स्वादिगण के ‘चि’ धातु से चापि, चायि, दो रूप बनते हैं। __ चुरादिगण का चि धातु ‘नान्ये मितोऽहेतौ’ इस गणसूत्र से मित् होता है। अतः इसे मितां ह्रस्वः सूत्र से ह्रस्व करके चापि - चपि / चायि - चयि, रूप बनते हैं। स्फुर् धातु आगे बतलायेंगे। भी धातु - बिभेतेर्हेतुभये - भी धातु के अन्त को विकल्प से ‘आ’ आदेश होता ५५८ अष्टाध्यायी सहजबोध भाग - ३ है, यदि प्रयोजक कर्ता से भय हो तो। भीस्म्योर्हेतुभये - प्रयोजक कर्ता से भय होने पर, भी धातु तथा स्मि धातु से आत्मनेपद होता है। _ भी धातु को ‘आ’ आदेश होने पर- इसे ‘अर्तिह्रीब्लीरीक्नूयीक्ष्माय्याताम् पुणौ’ सूत्र से पुक् का आगम कीजिये - भी - भा + णिच् + पुक् - भापि भी धातु को ‘आ’ आदेश न होने पर - भियो हेतुभये षुक् - जब प्रयोजक कर्ता (हतु) से भय हो, और आत्व न हो तब, ‘भी’ धातु को षुक् का आगम होता है। भी - भी + णिच् + षुक् - भीषि अन्य किसी से भय होने पर - यदि प्रयोजक कर्ता हित) से भय न होकर अन्य किसी से भय हो, तब धातु के अन्त को न तो ‘आ’ होता है, न पुक् का आगम होता है, न ही षुक् का आगम होता है। तब भी + णिच् / अचो णिति सूत्र से वृद्धि करके भै + इ / एचोऽयवायावः सूत्र से आय आदेश करके - भाय् + इ = भायि।। ‘कुञ्चिकया एनं भाययति’ में डराने वाले प्रयोजक कर्ता (हतु) से भय नहीं है, अपितु कुञ्चिका (करण) से भय है, अतः आत्व नहीं हुआ है। प्री धातु - धूप्रीञोर्नुग्वक्तव्यः (वा.) - प्री, धू धातुओं को नुक् का आगम होता है। प्री - प्री + नक + णिच - प्रीणि। धृ धातु उकारान्त वर्ग में बतला रहे हैं। ली धातु - लीलोर्नुग्लुकावन्यतरस्यां स्नेहनिपातने - ली धातु को घी बिलोने अर्थ में विकल्प से नुक् का आगम होता है। नुक् का आगम होने पर - ली - ली + नुक् + णिच् - लीनि विभाषा लीयतेः - जब भी ‘ली’ धातु को गुण होकर ‘ए’ हो, तब उस ‘ए’ को विकल्प से ‘आ’ आदेश होता है। नुक् का आगम न होने पर, विभाषा लीयतेः से ‘आ’ अन्तादेश करके ‘अर्तिह्रीब्लीरीक्नूयीक्ष्माय्याताम् पुणौ’ सूत्र से पुक् का आगम कीजिये - ली - ला + पुक् + णिच् - लापि नुक् का आगम न होने पर तथा ‘आ’ अन्तादेश न होने पर - अन्तिम ई को अचो णिति सूत्र से वृद्धि करके एचोऽयवायावः सूत्र से आय आदेश 4 या 0 परिशिष्ट (णिजन्त प्रक्रिया) ५५९ कीजिये - ली + णिच् - लै + इ - लाय् + इ - लायि ह्री, ब्ली, री, धातु - इन्हें ‘अर्तिह्रीब्लीरीक्नूयीक्ष्माय्याताम् पुणौ’ सूत्र से पुक् का आगम कीजिये तथा पुगन्तलघूपधस्य च सूत्र से गुण कीजिये - ह्री. - ही + पुक् + णिच् - हेपि ब्ली - ब्ली + पुक् + णिच् - ब्लेपि री - री + पुक् + णिच् - रेपि इण् तथा इक् धातु - णौ गमिरबोधने - अबोधन अर्थ वाले इण् धातु को गम् आदेश होता है - अबोधन अर्थ मे गम् आदेश होने पर - इण् + णिच् / गम् + णिच् - गमि बोधन अर्थ में गम् आदेश न होने पर - बोधन अर्थ में प्रति उपसर्ग पूर्वक ‘इ’ धातु से णिच् लगाने पर - प्रति + इ + णिच् / अचो णिति सूत्र से वृद्धि करके - प्रति + ऐ + णिच् / एचोऽयवायावः सूत्र से आय आदेश करके - प्रति + आय् + इ / इको यणचि से यण् सन्धि करके - प्रत्याय + इ - प्रत्यायि। इण्वदिकः - इण् धातु के समान इक् धातु को भी गम् आदेश होता है - इक् + णिच् - गम् + णिच् - गमि। उकारान्त, ऊकारान्त धातुओं में णिच् प्रत्यय लगाना इनके अन्तिम उ, ऊ को णिच् परे होने पर अचो णिति सूत्र से वृद्धि करके औ बनाइये तथा एचोऽयवायावः सूत्र से आव् आदेश कीजिये - भू + णिच् - भौ + इ - भाव् + इ + भावि लू + णिच् - लौ + इ - लाव् + इ + लावि. पू + णिच् - पौ + इ - पाव् + इ + - पावि द्रु + णिच् - द्रौ + इ - द्राव् + इ + द्रावि इसके अपवाद - धू धातु - धूप्रीमोनुग्वक्तव्यः (वा.) - प्री, धू धातुओं को नुक् का आगम होता है। धू- धू + नुक् + णिच् - धूनि ऋकारान्त, ऋकारान्त धातुओं में णिच् प्रत्यय लगाना इनके अन्तिम ऋ, ऋ को अचो णिति सूत्र से वृद्धि करके आर् बनाइये - ५६० अष्टाध्यायी सहजबोध भाग - ३ कृ + णिच् - कार् + इ - कारि हृ + णिच् - हार् + इ - हारि तृ + णिच् - तार् + इ - तारि इसके अपवाद - १. जागृ धातु - जाग्रोऽविचिण्णल्डित्सु - जहाँ वृद्धि प्राप्त हो, अथवा जहाँ गुण, वृद्धि का निषेध प्राप्त हो, वहाँ जागृ धातु के अन्तिम ऋ को गुण ही होता है। इससे जागृ धातु को गुण करके अर् बनाइये - जागृ + णिच् - जागर् + इ - जागरि २. दृ, नृ, जृ धातु- इनके अन्तिम ऋ, ऋ को अचो णिति सूत्र से वृद्धि करके आर् बनाइये। ये धातु मित् हैं। अतः मितां ह्रस्वः सूत्र से उसे ह्रस्व कर दीजिये। दृ + णिच् - दार् + इ - दारि - दरि नृ + णिच् - नार् + इ - नारि - नरि जृ + णिच् - जार् + इ - जारि - जरि ३. स्मृ धातु - जब इसका अर्थ आध्यान अर्थात् चिन्तन हो तब मितां ह्रस्वः सूत्र से इसे ह्रस्व कर दीजिये। यथा - स्मृ + णिच् - स्मार् + इ - स्मारि - स्मरि । चिन्तन अर्थ न होने पर, मितां ह्रस्वः सूत्र से इसे ह्रस्व मत कीजिये - स्मृ + णिच् - स्मार् + इ - स्मारि- स्मारि ४. ऋ धातु- इसे ‘अर्तिह्रीब्लीरीक्नूयीक्ष्माय्याताम् पुणौ’ सूत्र से पुक् का आगम कीजिये तथा पुगन्तलघूपधस्य च सूत्र से गुण कीजिये - ऋ + णिच् - अर्+ पुक् + णिच् - अर्पि यह अजन्त धातुओं में णिच्’ लगाने का विचार पूर्ण हुआ। __ हलन्त धातुओं में णिच् प्रत्यय लगाने की विधि पहिले हम अपवादों का विचार करके उनके रूप बना लें - _ णिच् प्रत्यय परे होने पर - १. स्फाय धातु - स्फायो वः - स्फाय धातु को स्फाव् आदेश होता है। स्फाय् + णिच् - स्फावि २. शद् धातु - शदेरगतौ तः - शद् धातु को शत् आदेश होता है। शद् + णिच् - शाति ३. रुह् धातु - रुहः पोऽन्यतरस्याम् - रुह धातु के ह को विकल्प से ‘प्’ आदेश परिशिष्ट (णिजन्त प्रक्रिया) ५६१ होता है। ‘प्’ आदेश न होने पर - रुह् + णिच् - रोहि। ‘प्’ आदेश होने पर - रुह् + णिच् - रोपि बनाइये। ४. रध्, जभ् धातु - रधिजभोरचि - रध्, जभ् धातुओं को नुम् का आगम होता है। रध् + णिच् - रन्धि / जभ् + णिच् - जम्भि। ५. लभ् धातु - लभेश्च - लभ् धातु को नुम् का आगम होता है। लभ् + णिच् - लम्भि। ६. जभ् धातु - रभेरशब्लिटोः - रभ् धातु को नुम् का आगम होता है। रभ + णिच् - रम्भि। ७. दुष् धातु - दोषो णौ / वा चित्तविरागे - दुष् धातु की उपधा को ऊ’ आदेश होता है, चित्तविकार अर्थ होने पर। दुष् + णिच् - दूषि। चित्तविकार अर्थ न होने पर दुष् + णिच् / पुगन्तलघूपधस्य च से गुण करके - दोषि बनाइये। ८. सिध् धातु - सिध्यतेरपारलौकिके - सिध् धातु के ‘एच’ को पारलौकिक ज्ञानविशेष से भिन्न अर्थ में ‘आ’ आदेश होता है। भोजन बनाने या जाने अर्थ में - सिध् + णिच् - पुगन्तलघूपधस्य च से गुण करके - सेध् + इ / ए को ‘आ करके - साध् + इ - साधि। तपस्या अर्थ में - सिध् + णिच् - पुगन्तलघूपधस्य च से गुण करके - सेध् + इ - सेधि। __९. स्फुर् धातु - चिस्फुरोर्णी - स्फुर् धातु के ‘एच्’ को विकल्प से ‘आ’ आदेश होता है। ‘आ’ आदेश होने पर - स्फुर् + णिच् / पुगन्तलघूपधस्य च से गुण करके - स्फोर + णिच / एच को ‘आ’ करके - स्फार + णिच - स्फारि। ‘आ’ आदेश न होने पर - स्फुर + णिच् - स्फोरि। १०. क्नूय धातु - ‘अर्तिह्रीब्ली. सूत्र से पुक् का आगम करके, पुगन्तलघूपधस्य च सूत्र से गुण कीजिये - क्नूय् + णिच् - क्नोपि। ११. हन् धातु - हन् + णिच् / ‘हो हन्तेर्णिन्नेषु’ सूत्र से कुत्व करके हन् धातु के ‘ह’ को ‘घ’ बनाकर – घन् + इ / अत उपधायाः सूत्र से ‘अ’ को वृद्धि करके – घान् + इ / ‘हनस्तोऽचिण्णलोः’ सूत्र से न् को त् करके - घाति। ५६२ अष्टाध्यायी सहजबोध भाग - ३ गृह ग्रहणे १२. कृत धातू - उपधायाश्च - उपधा के दीर्घ ऋ को ‘इ’ आदेश होता है, सभी प्रत्यय परे होने पर। यहाँ ऋ के स्थान पर ‘इ’ होना कहा गया है, अतः ‘इ’ के स्थान पर ‘उरण रपरः’ सूत्र से ‘इर्’ होगा - कृत् + णिच् - कित् + इ / तथा ‘उपधायाञ्च’ सूत्र से उसे दीर्घ होगा - की + इ - कीर्ति। १३. चुरादिगण के अदन्त धातु - पद गतौ मृग अन्वेषणे कुह विस्मापने कथ वाक्यप्रबन्धे वर ईप्सायाम् गण संख्याने शठ श्वठ सम्यगवभाषणे पट वट ग्रन्थे रह त्यागे स्तन देवशब्दे गदी देवशब्दे पत गतौ पष अनुपसर्गात् गतौ स्वर आक्षेपे रच प्रतियत्ने कल गतौ चह परिकल्कने मह पूजायाम् कृप श्रथ दौर्बल्ये स्पृह ईप्सायाम् ध्वन शब्दे कुण गुण चामन्त्रणे पुट संसर्गे वट विभाजने लज प्रकाशने रस आस्वादनस्नेहनयोः व्यय वित्तसमुत्सर्गे छद अपवारणे व्रण गात्रविचूर्णने क्षिप प्रेरणे वस निवासे बहुलमेतन्निदर्शनम् इत्येके (गणसूत्र) - कुछ का मत है कि अदन्त धातु केवल इतने ही नहीं हैं अपितु बाहुलक से भी अन्य हो सकते हैं । जैसे - आन्दोलयति, प्रेखोलयति विडम्बयति अवधीरयति इत्यादि। अतो लोपः - अत् का लोप होता है, आर्धधातुक प्रत्यय परे होने पर। णिच् प्रत्यय भी आर्धधातुक है। अतः इसके परे होने पर, इस सूत्र से इन अदन्त धातुओं के ‘अ’ का लोप कर दें। कथ + णिच् - कथ् + इ - (इन अदन्त धातुओं में जो ‘अ’ का लोप होता है, वह अलोप ‘अचः परस्मिन् पूर्वविधौ’ सूत्र से स्थानिवत् हो जाता है, अतः उस स्थान पर ‘अ’ के दिखने के कारण णिच् प्रत्यय परे होने पर भी उसे निमित्त मानकर, इस लुप्त अ के पूर्व, इन धातुओं को कोई अङ्गकार्य नहीं होता। अतः - कथ् + इ - कथि।) कथ् + णिच् - कथि गुण + णिच् - गुणि मृग् + णिच् - मृगि क्षिप् + णिच् - क्षिपि परिशिष्ट (णिजन्त प्रक्रिया) ३ १४. घटादि मित् धातु - घट् व्यथ् प्रस् कख् रग् लग् ग् ष्टग् षग् कम् प्रथ् म्रद् क्रप् त्वर् ज्वर् गड् नट् भञ् णट् चक् अत् अग् कण् रण् चण् शण् श्रण श्रथ् श्लथ् क्रथ् क्लथ् वन् ज्वल् ल् मल् क्नस् जन् फण् घटादयो मितः - घटादि अन्तर्गण के ये धातु मित् धातु कहलाते हैं। इन अदुपध धातुओं की उपधा के ‘अ’ को ‘अत उपधायाः’ सूत्र से वृद्धि करके, ‘मितां ह्रस्वः’ सूत्र से उसे पुनः ह्रस्व कीजिये। जैसे - घट् + णिच् - घाट् + इ / उपधा को मितां ह्रस्वः सूत्र से पुनः ह्रस्व करके - घटि । घट् + णिच् - घाट + इ - घाटि - ह्रस्व करके घटि। ठीक इसी प्रकार - व्यथ् + णिच् - व्यथि। प्रस् + णिच - प्रसि । त्वर् + णिच् - त्वरि, आदि बनाइये। नान्ये मितोऽहेतौ - चुरादिगण के ज्ञप्, यम्, चह, रह, बल्, चिञ्, ये धातु भी मित् कहलाते हैं। इनमें भी णिच् प्रत्यय लगने के बाद इन मित् धातुओं की उपधा के ‘अ’ को ‘अत उपधायाः’ सूत्र से वृद्धि करके, ‘मितां ह्रस्वः’ सूत्र से उसे पुनः ह्रस्व कीजिये। ज्ञप् + णिच् - ज्ञाप् + इ - ज्ञापि - ज्ञपि यम् + णिच् - याम् + इ - यामि - यमि चह् + णिच् - चाह् + इ - चाहि - चहि रह + णिच् - राह् + इ - राहि - रहि बल् + णिच् - बाल् + इ - बालि - बलि (चि धातु से चायि, चापि बनते हैं, इन्हें इकारान्त वर्ग में देखें।) __ अर्थ विशेष में मित् होने वाले घटादि धातु अब कुछ ऐसे धातु बतला रहे हैं, जो सदा मित् नहीं होते, अपितु किसी अर्थ विशेष में ही मित् होते हैं, तथा दूसरे अर्थ में होने पर वे मित् नहीं होते। ध्यान रहे कि मित् होने पर ही इनकी उपधा को ‘मितां ह्रस्वः’ सूत्र से ह्रस्व होता है। अन्यथा जो रूप ऊपर कही गई प्रक्रिया से बनता है, वही रहता है। मदी हर्षग्लेपनयोः - यह धातु दिवादिगण का है। हर्ष और ग्लेपन अर्थ में मित् होने पर इससे ‘अत उपधायाः’ सूत्र से वृद्धि करके, तथा मितां ह्रस्वः’ सूत्र से उसे पुनः परिशिष्ट (णिजन्त प्रक्रिया) ५६५ शालि / नम् - नमि, नामि / ऐसे दो दो रूप बनते हैं। जब __शमो दर्शने - दिवादिगण का शम उपशमे धातु, दर्शन = देखना अर्थ में मित् नहीं होता। अतः वहाँ वृद्धि होकर - निशामि रूप बनता है। उपशम अर्थ में मित् होता है, अतः वहाँ शम् - शमि रूप बनता है। चुरादिगण के शम आलोचने को नान्ये मितोऽहेतौ से मित्व निषेध होता है, अतः चुरादिगण में शम् - शामि, ही बनता है। स्खदिर् अवपरिभ्यां च - स्खदिर् धातु अव या परि उपसर्गों के साथ मित् नहीं होता तो वहाँ अवस्खद् - अवस्खादि / परिस्खद् - परिस्खादि बनेगा। किन्तु उपसर्गरहित होने पर स्खद् - स्खदि, ही बनेगा। नृ नये - यह धातु क्र्यादिगण का है। जब इसका ‘नय’ अर्थ होता है, तब इसका पाठ घटादिगण में होता है, तभी यह मित् होता है, अन्य अर्थों में यह मित् नहीं होता है, तो ‘नय’ अर्थ में ‘अचो णिति’ सूत्र से वृद्धि करके, तथा मितां ह्रस्वः’ सूत्र से उसे पुनः ह्रस्व करके नृ - नरि, बनेगा तथा अन्य अर्थों में नृ - नारि, बनेगा। भये- यह धात क्र्यादिगण का है। जब इसका ‘भय’ अर्थ होता है. तब इसका पाठ घटादिगण में होता है, तभी यह मित् होता है, अन्य अर्थों में यह मित् नहीं होता है, तो ‘भय’ अर्थ में ‘अचो ञ्णिति’ सूत्र से वृद्धि करके, तथा मितां ह्रस्वः’ सूत्र से उसे पुनः ह्रस्व करके दृ - दरि, बनेगा तथा अन्य अर्थों में दृ - दारि, बनेगा। श्रा पाके - एक श्रा धातु अदादिगण का है। एक भ्वादिगण के ब्रै पाके धातु को भी आत्व होकर श्रा बन जाता है। जब इन दोनों धातुओं का अर्थ ‘पाक’ होता है, तब इनका पाठ घटादिगण में होता है, तभी ये मित् होते हैं, अन्य अर्थों में ये मित् नहीं होते हैं, तो ‘पाक’ अर्थ में श्रा - श्रपि, बनेगा तथा अन्य अर्थों में श्रा - श्रापि, बनेगा । ज्ञा मारणतोषणनिशामनेषु - एक ज्ञा अवबोधने धातु क्र्यादिगण का है तथा एक ज्ञा धातु चुरादिगण का है। जब इनका अर्थ मारण, तोषण, निशामन, होता है, तब इनका पाठ घटादिगण में होता है, तभी ये मित् होते हैं, अन्य अर्थों में ये मित् नहीं होते तो ‘मारण, तोषण, निशामन’ अर्थों में ज्ञा - ज्ञपि, बनेगा तथा अन्य अर्थों में ज्ञा - ज्ञापि। चलि कम्पने - यह धातु भ्वादिगण का है तथा एक चलि धातु चुरादिगण का भी है। जब इनका अर्थ कम्पन’ होता है, जब इनका पाठ घटादिगण में होता है, तभी ५६६ अष्टाध्यायी सहजबोध भाग - ३ ये मित् होते हैं, अन्य अर्थों में ये मित् नहीं होते हैं। अतः ‘कम्पन’ अर्थ में ‘अत उपधायाः’ सूत्र से वृद्धि करके, तथा ‘मितां ह्रस्वः’ सूत्र से उसे पुनः ह्रस्व करके चल - चलि, बनेगा तथा अन्य अर्थों में चल - चालि, बनेगा। लडि जिह्वोन्मथने - यह धातु भी भ्वादिगण तथा चुरादिगण में है। जब इसका अर्थ लड़ना होगा तभी यह मित् होगा। तब ‘अत उपधायाः’ सूत्र से वृद्धि करके, तथा ‘मितां ह्रस्वः’ सूत्र से उसे पुनः ह्रस्व करके इसका रूप बनेगा - लड् - लडि / अन्यत्र बनेगा लड् - लाडि। छदिर् ऊर्जने - यह धातु चुरादिगण का है जब इसका अर्थ बलवान बनाना ऐसा होगा, तभी यह मित् होगा। तब इसका रूप बनेगा - ढाँकना ऐसा होगा, तब इसका रूप बनेगा - छद् - छादि। यमोऽपरिवेषणे - यह यम् धातु भ्वादिगण का है। जब इसका अर्थ ‘परोसना’ ऐसा होगा, तभी यह मित् होगा। तब इसका रूप बनेगा - यम् - यमि / अन्यत्र इसका रूप बनेगा आयम् - आयामि। वहाँ यह मित् नहीं होगा। अब जो हलन्त धातु बचे हैं, उनके पाँच वर्ग बनाइये । अदुपध, इदुपध, उदुपध ऋदुपध तथा शेष । इनमें इस प्रकार णिच् प्रत्यय लगाइये - १. अदुपध हलन्त धातु - अत उपधायाः - अदुपध धातुओं की उपधा के ‘अ’ को वृद्धि होती है जित् अथवा णित् प्रत्यय परे होने पर। पठ् + णिच् = पाठ + इ - पाठि वद् + णिच् = वाद् + इ - वादि पत् + णिच् = पात् + इ - पाति नट् + णिच् = नाट् + इ - नाटि २. इदुपध हलन्त धातु - पुगन्तलघूपधस्य च - जिनकी उपधा में लघु इ, लघु उ, लघु ऋ हैं, ऐसे लघु इगुपध धातुओं की उपधा के लघु इक्’ को गुण होता है। इस सूत्र से उपधा के ‘इ’ को ‘ए’ गुण करके - लिख् + णिच् - लेख् + इ = लेखि छिद् + णिच् - छेद् + इ = छेदि परिशिष्ट (णिजन्त प्रक्रिया) ५६७ ३. उदुपध हलन्त धातु - पुगन्तलघूपधस्य च सूत्र से उपधा के ‘उ’ को ‘ओ’ गुण करके - मुद् + णिच् - मोद् + इ = मोदि बुध् + णिच् - बोध् + इ = बोधि ४. ऋदुपध हलन्त धातु- पुगन्तलघूपधस्य च सूत्र से उपधा के ‘ऋ’ को ‘अर्’ गुण करके - वृष् + णिच् - वर्ष + इ = वर्षि कृष् + णिच् - कर्ष + इ = कर्षि ५. शेष हलन्त धातु - इनके अलावा जितने भी हलन्त धातु बचे उनमें बिना कुछ किये णिच् प्रत्यय जोड़ दीजिये - बुक्क् + णिच् - बुक्क् + इ = बुक्कि एध् + णिच् - एध् + इ = एधि णिजन्त धातुओं में णिच् प्रत्यय लगाना - णिजन्त धातुओं से जब दूसरा णिच् लगाते हैं, तब पूर्व णिच् का ‘णेरनिटि’ सूत्र से लोप हो जाता है। यथा - पाठि + णिच् / ‘णेरनिटि’ सूत्र से पूर्व णिच् का लोप करके - पाठ् + इ = पाठि। सस्नन्त तथा यङन्त धातुओं में णिच् प्रत्यय लगाना - सन्नन्त तथा यङन्त धातुओं से जब णिच् लगाते हैं, तब सन्नन्त तथा यङन्त धातुओं के अन्तिम ‘अ’ का ‘अतो लोपः’ सूत्र से लोप हो जाता है। यथा - पिपठिष + णिच् / ‘अतो लोपः’ सूत्र से ‘अ’ का लोप करके - पिपठिष् + इ = पिपठिषि। पापठ्य + णिच् / ‘अतो लोपः’ सूत्र से ‘अ’ का लोप करके - पापठ्य + इ = पापठयि। इस प्रकार सभी धातुओं में, णिच् प्रत्यय जोड़ने की विधि पूर्ण हुई। इनसे सार्वधातक प्रत्यय परे होने पर कर्तरि शप्’ सूत्र से शप् विकरण होगा। अनिडादि आर्धधातुक प्रत्यय परे होने पर णेरनिटि’ सूत्र से णिच् का लोप होगा। निष्ठा प्रत्यय परे होने पर निष्ठायां सेटि’ सूत्र से णिच् का लोप होगा। अन्य प्रत्यय परे होने पर लोप न होकर यथाविहित अङ्गकार्य होंगे। धातुपाठ २९. गुप् प. इस धातुपाठ में पाणिनीय धातुपाठ के सारे धातु यथावत् लिये गये हैं। केवल उनके क्रम में अङ्गकार्यों के अनुसार कुछ परिवर्तन किया गया है। धातुपाठ में जो संख्या धातु के पहिले दी गई है, वह इस धातुपाठ का धातु-क्रमाक है। जो संख्या धातु के बाद दी गई है, वह पाणिनीय धातुपाठ का धातु-क्रमाक है। प. = परस्मैपद। आ. = आत्मनेपद। उ. = उभयपद। छा. = छान्दस अर्थात् वैदिक। भ्वादिगण |२२. बध बन्धने ९७३ बध् उ. दृशिर् प्रेक्षणे ९८८ | २३. दान खण्डने ९९४ दान् उ. दृश् | २४. शान तेजने शान् उ. ऋ गतिप्रापणयोः ९३६ ऋ दंश दंशने ९८९ दंश् प. सृ गतौ ९३५ सृ प. ष्वञ्ज परिष्वङ्गे ९७६ स्वञ् आ. शद्लू शातने ८५५ शद् आ. षद्ल विशरण गत्यव- सद् प. षञ्ज सङ्गे ९८७ सज् प. रज रागे ९९९ . रज् उ. सादनेषु ८५४ धिवि प्रीणने ५९३ धिन्व् प. गुपू रक्षणे ३९५ कृवि हिंसाकरण कृण्व् प. धूप सन्तापे ३९६ योश्च ५९८ पण व्यवहारे स्तुतौ श्रु श्रवणे ९४२ श्रु प. च ४३९ पन च ४४० अक्षू व्याप्तौ ६५४ अक्ष तथू तनूकरणे ६५५ तक्ष् टुभ्रातृ ८२४ प. कृपू सामर्थ्य ७६२ कल्प आ टुभ्ला” दीप्तौ ८२५ भ्लाश् ष्ठिवु निरसने ५६० ष्ठिव् प. भ्रमु चलने ८५० भ्रम् क्रमु पादविक्षेपे ४७३ आ + चमु आचम् प. क्रम् अदने ४६९ लष कान्तौ ८८८ षस्ज गतौ २०२ यम उपरमे ९८४ सज्ज् प. कमु कान्तौ ४४३ कम् आ. गम्लु गतौ ९८२ गुहू संवरणे ८९६ जभी गात्रविनामे ३८८ जभ् आ. गुह् उ. गुप गोपने ९७० लछ लक्षणे २०६ गुप् उ. लच्छ् प. तिज निशाने ९७१ हीछ लज्जायाम् २१० ह्रीच्छ् प. तिज् उ. कित निवासे ९९३ भ्वादिगण के आकारान्त धातु कित् प. मान पूजायाम् ९७२ पा |४२. मानः उ. . प. पा पाने ९२५ F F भ्राश् 5 5 8 5
  • 8 P गम् प. परिशिष्ट (धातुपाठ) ५६९ ४३. घ्रा गन्धोपादाने ९२६ घ्रा प. |६८. च्युङ् ९५५ च्यु आ. ४४. मा शब्दाग्नि - ध्मा प. ६९. ज्युङ् ९५६ ज्य आ. संयोगयोः ९२७ ७०. ९५७ मा घु ४५. ष्ठा गतिनिवृतौ ९२८ स्था प. |७१. प्लुङ् गतौ ९५८ प्लु आ. ४६. म्ना अभ्यासे ९२९ म्ना प. |७२. रुङ् गतिरेषणयोः ९५९ रु आ. ४७. दाण् दाने ९३० दा प. | भ्वादिगण के ऊकारान्त धातु 30% __ गाङ् गतौ ९५० गा आ. |७३. आ. भू सत्तायाम् १ ३९ भू प. 30 भ्वादिगण के इकारान्त धातु ७४. पूङ् पवने ९६६ पू आ. ४९. जि जये ५६१ जि. प. प. ७५. मूङ् बन्धने ९६७ मू आ. टुओश्वि गति - - शिव प. भ्वादिगण के ऋकारान्त धातु वृद्ध्यो : १०१० ७६. हृ कौटिल्ये ९३१ हृ प. जि ९४६ जि प. ७७. हू संवरणे ९३४ हृ प. ५२. जि अभिभवे ९४७ ज्रि प. ७८. स्वृ शब्दोपतापयोः९३२ स्वृ प. ५३. क्षि क्षये २३६ क्षि प. स्मृ चिन्तायाम् ९३३ । ५४. मिङ् ईषद्हसने ९४८ स्मि आ. सृ गतौ ९३५ स प. ५५. श्रिञ् सेवायाम् ८९७ श्रि उ. |८०. गृ ९३७ भ्वादिगण के ईकारान्त धातु ८१. घृ सेचने ९३८ घृ प. ५६. डीङ् विहायसा - डी आ. |८२. ध्व हूछेने ९३९ गतौ ९६८ . धृङ् अवध्वंसने ९६० धृ आ. ५७. णीञ् प्रापणे ९०१ भृञ् भरणे ८९८ भ्वादिगण के उकारान्त धातु ८५. हृञ् हरणे ८९९ ह उ. ५८. ध्रु स्थैर्ये ९४३ धु प. ८६. धृञ् धारणे ९०० धृ उ. दु गतौ ९४४ द प. | भ्वादिगण के ऋकारान्त धातु ६०. द्रु गतौ ९४५ द्रु प. ८७. तृ प्लवनतरणयोः९६९ तृ प. ६१. सु गतौ ९४० | भ्वादिगण के एजन्त (ए, ओ, ऐ, औ से षु प्रसवैश्वर्ययोः ९४१ अन्त होने वाले) धातु गुङ् अव्यक्ते - आ. ८८. धेट पाने ९०२ धे प. शब्दे ९४९ 1८९. ग्लै ९०३ ग्लै प. कुङ् ९५१ म्लै हर्षक्षये ९०४ घुङ् ९५२ धै न्यक्करणे ९०५ ६६. उङ् ९५३ दै स्वप्ने ९०६ ६७. डुङ् शब्दे ९५४ डु आ. |९३. धै तप्तौ ९०७ | प. (उङ्, कुङ, खुङ्, घुङ, गुङ, डुङ्, इत्यन्ये) ९४. ध्यै चिन्तायाम् ९०८ ध्यै प. ८३. Urmir 6_464686464G ON GAGAR 더 by ME नगर x bf 더 더५७० अष्टाध्यायी सहजबोध भाग - ३ तक् बख् प. प. नक छ क र 더 लख् घघ प. प. टर ME ME ९५. रै शब्दे ९०९ ९६. स्त्यै ९१० स्त्यै ९७. ष्ट्यै शब्दसंघातयोः ९११ स्त्यै खै खदने ९१२ खै झै ९१३ क्षै १००. जै ९१४ १०१. षै क्षये ९१५ १०२. कै ९१६ १०३. गै शब्दे ९१७ १०४ शै ९१८ ना १०५ त्रै पाके ९१९
  • नै इति केषुचित्पाठः १०६. पै ९२० पै १०७. ओवै शोषणे ९२१ - १०८. ष्टै ९२२ १०९. ष्णै वेष्टने ९२३ (शोभायां चेत्येके) ११०. दैप् शोधने ९२४ दै १११. ष्यैङ् वृद्धौ ९६४ ११२. मेङ् प्रणिदाने ९६१ मे ११३. देङ् रक्षणे ९६२ ११४. त्रैङ् पालने ९६५ . ११५ श्यैङ् गतौ ९६३ ११६. वेञ् तन्तुसन्ताने १००६ । ११७. व्यञ् संवरणे १००७ व्ये ११८. हृञ् स्पर्धायां शब्दे च १००८ भ्वादिगण के अदुपध धातु ११९. बद स्थैर्ये ५१ बद् खद स्थैर्ये हिंसायां च५० खद् १२१. अत सातत्यगमने ३८ अत् १२२. कख हसने १२० १२३. गद व्यक्तायां वाचि५२ गद् |१२४. रद विलेखने ५३ रद् प. प. १२५. णद अव्यक्ते शब्दे ५४ नद् प. प. १२६. नद शब्दे ५६ नद् प. प. |१२७. तक हसने ११७ प. बख १३० प. १२९. मख १३२ मख् १३०. णख १३४ नख् प. १३१. रख १३६ रख प. |१३२. लख गत्यर्थाः १३८ । १३३. घघ हसने १५९ १३४. ध्रज गतौ २१७ ध्रज् प. १३५ ध्वज गतौ २२१ ध्वज् प. प. १३६. अज गतिक्षेपणयोः२३० अज् प. १३७.. खज मन्थे २३२ , खज् प. १३८. लज भर्जने २३८ लज् प. १३९. जज युद्धे २४२ जज् प. १४०. गज शब्दे २४६ गज् प. १४१. वज गतौ २५२ वज् प. १४२. व्रज गतौ २५३ . व्रज् प. |१४३ अट २९५ अट् प. १४४. पट गतौ २९६ | १४५. रट परिभाषणे २७९ १४६. लट बाल्ये २० १४७. शट रुजाविशरण - उ. गत्यवसादनेषु २९९ १४८. वट वेष्टने ३०० १४९. जट ३०५ १५०. झट संघाते ३०६ |१५१. भट भृतौ ३०७ प. १५२. तट उच्छ्राये ३०८ प.. १५३ खट काङ्क्षायाम् ३०९ ५४. नट नृतौ ३१० नट |१५५ हट दीप्तौ ३१२ प. १५६. षट अवयवे ३१३ 더 더 더 더 A 30 더 더 더 대 더 खट् 더 कख् 더 हट 더 더 더 더 सट् परिशिष्ट (धातुपाठ) ५७१ वन् गल् १५७. पठ व्यक्तायां वाचि ३३० पठ् प. १८४. ष्टन ४६१ स्तन् प. १५८. वठ स्थौल्ये ३३१ र वठ् प. |१८५ वन शब्दे ४६२ । वन् प. १५९. मठ मदनिवासयोः ३३२ मठ् प. |१८६. वन ४६३ १६०. कठ कृच्छ्रजीवने ३३३ कठ् प. |१८७. षण सम्भक्तौ ४६४ । सन् १६१. रट परिभाषणे ३३४ रट् प. १८८. अम गत्यादिषु ४६५ अम् १६२. हठ प्लुतिशठत्वयोः३३५ हठ् प. |१८९. द्रम ४६६ बलात्कार इत्यन्ये |१९०. हय गतौ ५१२ र हय् १६३. शठ कैतवे च ३४० शठ् प. १९१. अल भूषणपर्याप्ति - अल् १६४. अड उद्यमे ३५८ अड् प. | वारणेषु ५१५ १६५ लड विलासे ३५९ लड् प. १९२. फल निष्पत्तौ ५३० फल् लल इत्येके स्खल सञ्चलने ५४४ स्खल कड मदे ३६० . कड् प. १९४. खल सञ्चये ५४५ खल् कडि इत्येके | १९५ गल अदने ५४६ १६७. जप व्यक्तायां - |१९६. षल गतौ ५४७ वाचि ३९७ १९७. दल विशरणे ५४८ दल् प. १६८. चप सान्त्वने ३९९ १९८. श्वल आशुगमने ५४९ श्वल १६९. पप समवाये ४०० | १९९. त्सर छद्मगतौ ५५४ त्सर् प. १७०. रप ४०१ २००. क्मर हूछेने ५५५ क्मर् १७१. लप व्यक्तायां - २०१. चर गत्यर्थः ५५९ चर् प. वाचि ३९७ चरतिर्भक्षणेऽपि १७२. रफ गतौ ४१३ |२०२. मव बन्धने ५९९ मव् प. १७३ अण ४४४ अव रक्षणगतिकान्ति - अव् प. १७४ रण ४४५ प्रीतितृप्त्यवगमप्रवेश - १७५. वण ४४६ वण् प. श्रवणस्वाम्यर्थदीप्त्य - १७६. भण ४४७ भण् प. वाप्त्यालिङ्गनहिंसा - १७७ मण ४४८ मण् प. दानभागयाचन - १७८. कण ४४९ क्रियेच्छावृद्धिषु ६०० १७९. क्वण ४५० क्वण् प. | २०४. कष ६८५ कष् प. १८०. व्रण ४५१ ब्रण् प. | २०५. खष ६८६ खण् प. १८१. भ्रण ४५२ भ्रण प. | २०६. जष ६८८ जष् प. १८२. ध्वण शब्दार्थाः ४५३ ध्वण प. २०७. झष ६८९ झष् प (धण इत्यादि केचित्) २०८. मष ६९२ १८३. ध्रन शब्दे, वण ध्रन् प. | २०९. शष ६९० इत्यपि केचित् ४५९ | २१०. वष हिंसायाम् ६९१ वष् । 다 २०३. रण प. कण मण शः ५७२ अष्टाध्यायी सहजबोध भाग - ३ स्वद् लस् अय् २११. भष भर्त्सने ६९५ भष् प. २३९. दध धारणे ८ दध् आ. २१२. हलस ७१२ लस् प. |२४०. दद दाने १७ दद् २१३. रस शब्दे ७१३ रस् प. |२४१. ष्वद आस्वादने १८ २१४ लस श्लेषण - २४२. कक लौल्ये ९० कक् क्रीडनयोः ७१४ २४३ चक तृप्तौ प्रतिघाते चक् २१५. रह त्यागे ७३१ च ९३ मह पूजायाम् ७३० म २४४. षच सेचने, सेवने सच् आ. २१७. चह परिकल्कने ७२९ चह् च १६३ २१८. मश शब्दे, रोष - मश् प. २४५ शच व्यक्तायां - शच् आ. कृते च ७२४ वाचि १६५ २१९. शव गतौ ७२५ शव् |२४६. श्वच गतौ १६६ श्वच् आ. २२०. शश प्लुतगतौ ७२६ शश् । |२४७. कच बन्धने १६८ कच् आ. २२१. षम ८२९ सम् प. २४८ मच कल्कने १७१ । मच् २२२. ष्टम अवैकल्ये ८३० स्तम् प. २४९ अय ४७४ २२३. रभ राभस्ये ९७४ रभ् आ. २५०.. वय ४७५ २२४. हद पुरीषोत्सर्गे ९७७ हद् - आ. २५१. पय ४७६ पय् २२५. डुलभष् प्राप्तौ ९७५ लभ् आ. |२५२ मय ४७७ १ ) मय् आ. २२६. यभ मैथुने ९८० यस् प. २५३ चय ४७८ चय आ. २२७ णम प्रहत्वे नेम् प. २५४. तय ४७९ तय शब्दे च ९८१ को २५५ णय गतौ ४८० नय २२८. दह भस्मीकरणे ९९१ दह प. २५६ दय दानगतिरक्षा - दय् २२९. तप सन्तापे ९८५ - तप् प. दानेषु ४८१ २३०. त्यज हानौ ९८६ त्यज् २५७ रय गतौ लय च ४८२ रय् आ. २३१. कटी गतौ ३२० मा कट प. २५८ शल चलनसंव - शल् आ. २३२. कनी दीप्तिकान्ति - कन् प. रणयोः ४९० गतिषु ४६० २५९. वल संवरणे - २३३. छमु ४७० संचरणे च ४९१ २३४ जमु ४७१ २६०. मल धारणे ४९३ २३५. झमु अदने ४७२ झम् प. २६१. भल परिभाषण - भल् जिषु इति केचित् हिंसादानेषु ४९५ नम् २३६. शसु हिंसायाम् ७२७ शस् प. २६२… कल शब्दसंख्या - कल् आ. २३७. त्रिफला विशरणे ५१६ फल् प. नयोः४९७ २३८. घस्तृ अदने ७१५ घस् प. २६३. णस कौटिल्ये ६२७ नस् आ. गम्ल गतौ २८२ गम् गम प. २६४. भ्यस भये ६२८ प २६४ भाग १ । भ्यस् आ. परिशिष्ट (धातुपाठ) ५७३ विट प. व्यय mi mi mi mi mi poi २६५ ग्लह ग्रहणे ६५१ ग्लह आ. |२९१. किट ३०१ किट प. २६६ यती प्रयत्ने ३० यत् २९२ खिट त्रासे ३०२ खिट प. २६७ ग्रसु ६३० ग्रस् २९३ शिट ३०३ शिट् प. २६८ ग्लसु अदने ६३१ ग्लस् २९४. षिट अनादरे ३०४ सिट प. २६९ त्रपूष् लज्जायाम् ३७४ प् २९५ चिट परप्रेष्ये ३१५ . चिट् प. २७० क्षमूष् सहने ४४२ क्षम् २९६. विट आकोश २७१ कबृ वर्णे ३८० कब आ. हिट इत्येके ३१७ २७२ व्यय गतौ ८८१ २९७. विट शब्दे ३१६ विट् प. २७३. अस गतिदीप्त्यादानेषु अस् उ. |२९८. पिट शब्दसंघातयोः ३११ पिट प. अष इत्येके ८८६ २९९. मिह सेचने ९९२ मिह प. २७४ स्पश बाधन - ३००. किट गतौ ३१९ किट प. स्पर्शनयोः ८८७ ३०१. तिल गतौ ५३४ तिल्प . लष कान्तौ ८८८ शिष हिंसायाम् ६८७ शिष् प. २७५ चष भक्षणे ८८९ ३०३ रिष हिंसायाम् ६९४ रिष् प. २७६. छष हिंसायाम् ८९० जिषु ६९७ जिष् प. २७७ झष आदान - ३०५ विषु ६९८ विष् प. संवरणयोः ८९१ ३०६ मिषु सेचने ६९९ मिण् प. २७८. डुपचष् पाके ९९६ पच् । श्रिषु ७०१ २७९. षच समवाये ९९७ । सच् उ. |३०८. श्लिषु दाहे ७०२ श्लिष् प. २८०. भज सेवायाम् ९९८ । |३०९ क्षिबु निरसने ५६७ क्षिव् प. २८१. शप आक्रोशे . पिसृ गतौ ७१९ पिस् प. २८२ खनु अवदारणे ८७८ खन् उ. णिश समाधौ ७२२ निश् प. २८३ कटे वर्षावरणयोः २९४ कट मिश शब्दे ७२३. मिश् प. २८४ हसे हसने ७२१ हस् __णिदृ कुत्सासन्नि - निद् प. २८५ चते ८६५ चत् कर्षयोः ८७१ २८६ चदे याचने ८६६ चद् उ. |३१४. निष्विदा अव्यक्ते - स्विद् प. भ्वादिगण के इदुपध धातु शब्दे ९७८ २८७. चिती संज्ञाने ३९ चित् प. |३१५. पिठ हिंसासंक्लेश - पिठ् प. २८८ षिध गत्याम् ४७ सिध् प. नयोः ३३९ २८९. षिवू शास्त्रे सिध् प. |३१६. विथ याचने ३३ विथ् आ. माङ्गल्ये च ४८ ३१७ टिकृ १०३ टिक् आ. २९०. इख गतौ १४० इख् प. |३१८. तिकृ गतौ १०५ तिक् आ. रिख लिख इति केचित् |३१९ प्लिह गतौ ६४२ प्लिह् आ. ३०७ श्रिष् प. ^ mi mi mi po mi ni ५७४ अष्टाध्यायी सहजबोध भाग - ३ म्लुच् प. ग्रुच् प ३२०. तिपृ क्षरणे ३६२ तिप् आ. |३५०. त्रुप ४०६ त्रुप् प. ३२१ ष्टिप क्षरणे ३६४ स्तिप् आ. |३५१. तुफ ४०८ तुफ् प. ३२२ त्विष दीप्तौ १००१ त्विष् उ. |३५२ त्रुफ हिंसार्थाः४१०।। ३२३ मिदृ मेघाहिंसनयोः ८६८ मिद् उ. |३५३ ।। घुण भ्रमणे ४३७ भ्वादिगण के उदुपध धातु |३५४. घुषिर् अविशब्दने ६५३ ३२४. च्युतिर् आसेचने ४० च्युत् प. | |३५५. रुष हिंसायाम् ६९३ ३२५. श्चुतिर् क्षरणे ४१ _ श्चुत् प. |३५६ उष दाहे ६९६ श्च्युतिर् इत्येके श्च्यु त् प. ३५७ पुष पुष्टौ ७०० , ३२६ उख गतौ १२८ उख् प. |३५८. पुष ७०३ ३२७. शुच शोके १८३ शुच् प. |३५९. प्लुषु दाहे ७०४ ३२८.. कुच शब्दे तारे १८४ । कुच् प. ३६०. तुस शब्दे ७१० ३२९ मुचु १९५ मुच् प. |३६१. तुहिर् ७३७ ३३०. म्युचु गतौ १९६ ३६२ दुहिर् अर्दने ७३८ ३३१ ग्रुचु १९७ |३६३ बुधिर् बोधने ८७५ ३३२ ग्लुचु १९८ ग्लुच् प. |३६४. उहिर् अर्दने ७३९ ३३३ कुजु १९९ कज प. ३६५. मुद हर्षे १६ मुद् ३३४. खुजु स्तेयकरणे २०० खुज् प. ३६६. गुद क्रीडायाम् २४ गुद् आ. ३३५ तुज हिंसायाम् २४४ । तुज् प. |३६७. युत ३१ ३३६. मुज शब्दे २५० मुज् प. |३६८. जुतृ भासने ३२ ३३७ स्फुट विकसने २६० |३६९ कुक आदाने ९१ कुक् आ. ३३८. लुट विलोडने ३१४ लुट् प. ३७०. ष्टुच प्रसादे १७५ स्तुच् आ ३३९. मुड मर्दने ३२३ मुड् प. | ३७१ ष्टुभु स्तम्भे ३९४ स्तुभ् आ. ३४०. पुड मर्दने ३२४ ३७२ शुभ भाषणे भासने शुभ प. ३४१ स्फुटिर् विशरणे ३२९ स्फुट प. च ४३२ ३४२. रुठ ३३६ रुट प. भ्वादिगण के ऋदुपध धातु ३४३ लुठ उपघाते ३३७ |३७३. धृज गतौ २१९ । ३४४ उठ च |३७४ गृज शब्दे २४८ (ऊठ इत्येके)३३८ ३७५. पृषु सेचने ७०५ ३४५. शुठ गतिप्रतिघाते ३४१ शुरू ३७६ वृषु सेचने हिंसा - ३४६. चुप मन्दायां गतौ ४०३ चुप् संक्लेशनयोश्च ७०६ ३४७ हु१ गतौ ३५२ हुड् प. ३७७. मृषु सेचने, सहने मृष् प. ३४८. तुड़ तोडने ३५१ तुड् प. च ७०७ ३४९ तुप ४०४ तुप् प. ३७८ |३७८ घृषु संघर्षे ७०८ घृष् । धृज् FF । ०२ प. परिशिष्ट (धातुपाठ) ५७५ बृह् प. ईर्ष्या ३७९ हृषु अलीके ७०९ हृष् प. |४०७. गुर्द क्रीडायाम् २३ गुर्दु आ. ३८०. हृस शब्दे ७११ हृस् प. | भ्वादिगण के इजादि गुरुमान् धातु ३८१ दृह वृद्धौ ७३३ दृह् प. |४०८. ओख शोषणाल - ओख प. ३८२. बृह वृद्धौ, ७३५ मर्थयोः १२१ बृहिर् इत्येके |४०९. एजृ कम्पने २३४ एज् ३८३. कृष विलेखने ९९० कृष् प. |४१०. ईट गतौ ३१८ ३८४. पृभु हिंसायाम् ४३० |४११. ओण अपनयने ४५४ ओण् ३८५ सृप्लु गतौ ९८३ सृप् प. |४१२ ईय ५१० ईक्ष्य ३८६. वृक आदाने ९२ वृक् आ. |४१३. ईर्ण्य ईष्यार्थौ ५११ ३८७. ऋज गतिस्थाना - ऋज् आ. |४१४. उच्छी विवासे २१६ उच्छ् प. र्जनोपार्जनेषु १७६ | ४१५ ईष उञ्छे ६८४ ईष् प. ३८८. भृजी भर्जने १७८ भृज् आ. |४१६. उक्ष सेचने ६५७ उक्ष ३८९ वृतु वर्तने ७५८ वृत् आ. | ४१७. ऊष रुजायाम् ६८३ ऊष् । ३९० वृधु वृद्धौ ७५९ वृघ् आ. |४१८ एध वृद्धौ २ एध् । ३९१. शृधु ८७३ [४१९. एन दीप्तौ १७९ एज् ३९२ मृधु उन्दने ८७४ . मृध् उ. |४२०. ईज गतिकुत्सनयोः१८२ ईज् ३९३ गृहू गर्हणे ६५० गृह आ. |४२१. एठ विबाधायाम् २६७ एट आ. भ्वादिगण के शेष हलन्त धातु |४२२ ईक्ष दर्शने ६१० ईक्ष् ३९४. मुर्वी बन्धने ५७५ मु… प. |४२३. ईष गतिहिंसादर्शनेषु ६११ ईष् आ. ३९५. उर्वी ५६९ ४२४. ईह चेष्टायाम् ६३२ ईह ३९६ तुर्वी ५७० ४२५. ऊह वितर्के ६४८ ऊह ३९७. थुर्वी ५७१ ४२६. एष गतौ ६१८ एष् ३९८ दुर्वी ५७२ ४२७. ऊयी तन्तुतन्ताने ४८३ ऊम् । ३९९. धुर्वी हिंसाः ५७३ इवि व्याप्तौ ५८७ इन्व् प. ४००. गुर्वी उद्यमने ५७४ गुर्व प. इदि परमैश्वर्ये ६३ इन्द् ४०१ हुर्छा कौटिल्ये २११ . हुर्च्छ प. उखि १२९ उन्ख् प. ४०२. मुर्छा मोहसमुच्छ्रा - मुर्छ प. इखि १४१ इन्स् ययोः २१२ ईखि १४२ ईन्ख्. . प. ४०३. स्फुर्छा विस्तृतौ २१३ . स्फुर्च्छ प. इगि १५३ __ इन्ग् . प. ४०४. उर्द माने क्रीडायां उर्दु आ. उछि उञ्छे २१५ उन्छ च २० ऋजि भर्जने १७७ ऋन्ज् आ. ४०५ कुर्द २१ | भ्वादिगण के इदित् धातु ४०६ खुर्द २२ खुत् आ. |४२८ इवि व्याप्तौ ५८७ इन्व् प. FE 13101 प. ५७६ अष्टाध्यायी सहजबोध भाग - ३ जुन्ग् प. ४२९. कुथि ४३ कुन्थ् प. ४५९ मगि १४८ मन्ग् प. ४३०. पुथि ४४ पुन्थ् प. ४६० तगि १४९ तन्ग् प. ४३१ लुथि ४५ लुन्थ् प. ४६१ श्रगि १५१ श्रन्ग प. ४३२ मथि हिंसासंक्लेश - मन्थ् प. ४६२. श्लगि १५२ श्लन्ग् प. नयोः४६ ४६३. इगि १५३ इङ्ग प. ४३३. अति ६१ |४६४ रिगि १५४ रन्ग् प. ४३४ अदि बन्धने ६२ अन्द् प. ४६५ लिगि गत्यर्थाः १५५ लिन्ग् प. ४३५ इदि परमैश्वर्ये ६३ इन्द् प. |४६६ त्वगि गतौ, कम्पने त्वन्ग प. ४३६. बिदि अवयवे ६४ बिन्द् प. च १५० ४३७ गडि वदनैकदेशे ६५ गन्ड् प. ४६७. युगि १५६ युन्ग् प. ४३८. णिदि कुत्सायाम् ६६ निन्द् प. ४६८. जुगि १५७ ४३९ टुनदि समृद्धौ ६७ . नन्द् प. |४६९ बुगि वर्जने १५८ बुन्ग् प. ४४० चदि आह्लादे - चन्द् प. दघि पालने १५९ दन्च् प. दीप्तौ च ६८ लघि शोषणे, इति केचित् लन्च् प. ४४१ त्रदि चेष्टायाम् ६९ |४७०. मघि मण्डने १६० मन्घ् ४४२. कदि ७० कन्द् प. |४७१ शिघि आघ्राणे १६१ शिन्घ् प. ४४३. क्रदि ७१ क्रन्द् ४७२ गुजि अव्यक्ते - गुन्ज् प. ४४४. क्लदि आहाने - क्लन्द् प. शब्दे २०३ रोदने च ७२ ४७३. लाछि लक्षणे २०७ लान्छु प. ४४५ क्लिदि परिदेवने ७३ क्लिन्द प. |४७४. वाछि इच्छायाम २०८ व ४४६. तकि कृच्छ्रजीवने तन्क् प. |४७५ आछि आयामे २०९ आन्छ् प. (शुक गतौ) ११८ |४७६. उछि उञ्छे २१५ उन्छु प. ४४७. उखि १२९ उन्ख् प. |४७७. धजि गतौ २१८ ध्रन्ज् प. ४४८. वखि १३१ वन्ख् प. | ४७८ मडि भूषायाम् ३२१ मन्ड् ४४९. मखि १३३ मन्ख् प. ४७९. कुडि वैकल्ये ३२२ कुन्ड् प. ४५०. रखि १३७ रन्ख् प. |४८० चुडि अल्पीभावे ३२५ चुन्ड् ४५१ णखि १३५ नन्ख् प. |४८१ रुटि ३२७ रुन्ट प. ४५२ लखि १३९ लन्ख् प. |४८२ लुटि स्तेये ३२८ लुन्ट् प. ४५३. इखि १४१ इन्ख् प. रुठि, लुठि, रुडि, ४५४ ईखि १४२ ईन्ख् प. लुडि इत्येके ४५५ रगि १४४ रन्ग् प. |४८३. कुठि गतिप्रतिघाते ३४२ कुन्ठ प. ४५६ लगि १४५ लन्ग प. ४८४ लुठि आलस्ये ३४३ लुन् प. ४५७. अगि १४६ अन्ग् प. |४८५ शुठि शोषणे ३४४ शुन्छ् प. ४५८. वगि १४७ वन्ग् प. |४८६ रुठि ३४५ . रुन्ठ प. परिशिष्ट (धातुपाठ) बान ५७७ ४८९. कुब रिन्व् प. जगात ६६७ ४८७ लुठि गतौ ३४६ लुन्ठ प. |५१७. क्लिदि परिदेवने १५ क्लिन्द आ. ४८८. गडि वदनैकदेशे ३६१ गन्ड् प. ५१८. श्रथि शैथिल्ये ३५ श्रन्थ् आ. कुबि आच्छादने ४२६ कुन्ब् प. 1५१९. ग्रथि कौटिल्ये ३६ ग्रन्थ् आ. ४९० लुबि अर्दने ४२७ लुन्ब् प. ५२०. स्रकि ८३ स्रन्क् आ. ४९१ तुबि अर्दने ४२८ तुन्ब् प. ५२१. श्रकि ८४ श्रन्क् आ. ४९२. चुबि वक्त्रसंयोगे ४२९ चुन्ब् प. |५२२ श्लकि गतौ ८५ श्लन्क् आ. ४९३. पिवि ५८८ पिन्व् प. |५२३. शकि शङ्कायाम् ८६४ शन्क् आ. ४९४. मिवि ५८९ धीमा मिन्व् प. |५२४. अकि लक्षणे ८७ अन्क् आ. ४९५ णिवि सेचने ५९० निन्व् प. ५२५ वकि कौटिल्ये ८८ वन्क् ४९६. हिवि ५९१ मा हिन्व् प. ५२६. मकि मण्डने ८९ मन्क् आ. ४९७ दिवि ५९२ दिन्व् प. |५२७ ककि ९४ कन्क् आ. ४९८ जिवि प्रीणनार्थाः ५९४ जिन्व् प. ५२८ वकि ९५ वन्क् आ. ४९९. रिवि ५९५ ५२९ श्वकि ९६ श्वन्क् ५००. रवि ५९६ रन्व् प. |५३० त्रकि गत्यर्थाः ९७ त्रन्क् आ. ५०१. धवि गत्यर्थाः ५९७ धन्व् प. ५३१ रघि १०७ रन्च् आ. ५०२ काक्षि ६६७ कान्क्ष् प. |५३२ लघि गत्यर्थौ १०८ लन्थ् ५०३. वाक्षि ६६८ वान्क्ष् प. ५३३. अघि १०९ अन्घ् आ. ५०४ माक्षि काङ्क्षायाम् ६६९ मान्क्ष् प. ५३४ वघि ११० वन्घ् आ. ५०५ द्राक्षि ६७० द्रान्क्ष् प. |५३५ मघि गत्याक्षेपे कैतवे मन्च् आ. ५०६ धाक्षि ६७१ मा धान्क्ष् प. | च १११ ५०७. ध्वाक्षि घोरवाशिते - ध्वान्क्ष् प. ५३६. श्वचि गतौ १६७ श्वन्च् आ. च ६७२ शचि च शन्च् आ. ५०८. रहि गतौ ७३२ रन्ह् प. ५३७. कचि १६९ कन्च् आ. ५०९. दृहि ७३४ दृन्ह् प. ५३८ काचि दीप्तिबन्ध - कान्च् आ.. ५१०. बृहि वृद्धौ ७३६ बृन्ह प. | नयोः १७० ५११. स्कुदि आप्रवणे ९ मा स्कुन्द् आ. |५३९ मुचि कल्कने १७२ मुन्च् आ. ५१२.. श्विदि श्वैत्ये १० श्विन्द् आ. |५४०. मचि धारणोच्छ्राय - मन्च् आ. ५१३. वदि अभिवादन - वन्द् आ. | पूजनेषु १७३ स्तुत्योः ११ ५४१ पचि व्यक्तीकरणे १७४ पन्च् आ. ५१४. भदि कल्याणे सुखे - भन्द् आ. |५४२ ऋजि भर्जने १७७ ऋन्ज् आ. च १२ |५४३. धृजि २२० धृन्ज् प. ५१५ मदि स्तुतिमोदमद - मन्द् आ. |५४४ ध्वजि गतौ ध्रिज ध्वन्ज् प. स्वप्नकान्तिगतिषु १३ . . च २२२ ५१६. स्पदि किञ्चिच्चलने १४ स्पन्द् आ.1५४५ खजि गतिवैकल्ये २३३ खन्ज् प. ५७८ अष्टाध्यायी सहजबोध भाग - ३ ५४६. लजि भर्जने २३९ लन्ज् प. |५७६ रबि ३७६ रन्ब् आ. ५४७ लाजि भर्जने भर्त्सने लान्ज् प. |५७७. लबि ३७७ लन्ब् आ. च २४१ ५७८. अबि शब्दे ३७८ अन्ब् आ. ५४८ जजि युद्धे २४३ जन्ज् प. ५७९. लबि अवासने लन्ब् आ. ५४९ तुजि पालने २४५ तुन्ज् प. च ३७९ ५५०. गजि २४७ गन्ज् प. ८०. ष्टभि ३८६ स्तन्भ् आ. ५५१. गृजि २४९ गन्ज प. |५८१. स्कभि प्रतिबन्धे ३८७ स्कन्भ् आ. गृन्ज् ५५२ मुजि शब्दार्थाः २५१ मुन्ज् प. |५८२. जुभिग मुन्ज् ८२. जुभि गात्रविनामे ३८९ जुन्भ् आ. ५५३. अठि गतौ २६१ अन् आ. ५८३. रफि गतौ ४१४ रन्फ् प. ५५४. वठि. एकचर्यायाम् २६२ वन्ठ ५८४. घुषि कान्तिकरणे ६५२ घुन्ष् आ. ५५५ मठि शोके २६३ मन् ५८५ घिणि ४३४ घिन्ण् आ. ५५६ कठि शोके २६४ कन्ठ |५८६. घुणि ४३५ घुन्ण् आ. ५५७ मठि पालने २६५ ५८७ घृणि ग्रहणे ४३६ घृन्ण् आ. ५५८ हिडि गत्यना - हिन्ड् आ. |५८८. वहि ६३३ हिन्ड् वन्ह् आ. दरयोः २६८ ५८९. महि वृद्धौ ६३४ मन्ह आ. ५५९. हुडि सङ्घाते २६९ हुन्ड् |५९०. अहि गतौ ६३५ अन्ह आ. ५६०. कुडि दाहे २७० कुन्ड् आङः शसि आशन्स् आ. ५६१. वडि विभाजने २७१ वन्ड् आ. | इच्छायाम् ६२९ ५६२ मडि च २७२ मन्ड् आ. भ्वादिगण के अनिदित् धातु ५६३. भडि परिभाषणे २७३ भन्ड् आ. |५९२ मन्थ विलोडने ४२ मन्थ् प. ५६४. पिडि सङ्घाते २७४ । पिन्ड् आ. ५९३. शुन्ध शुद्धौ ७४ शुन्ध् प. ५६५ मुडि मार्जने २७५ मुन्ड् आ. |५९४ कुञ्च १८५ कुञ्च् प. ५६६. तुडि तोडने २७३ तुन्ड् आ. ५९५. क्रुञ्च कौटिल्याल्पी - क्रुञ्च् प. ५६७ हुडि वरणे, २७७ हुन्ड् आ. भावयोः १८६ (हरणे इत्येके) ५९६. लुञ्च अपनयने १८७ लुञ्च् प. ५६८ मुडि खण्डने ३२६ मुन्ड् प. ५९७ अञ्चु गतिपूज - म अञ्च् प. ५६९ चडि कोपे २७८ । चन्ड् नयोः १८८ ५७० शडि रुजायां - शन्ड् वञ्चु १८९ वञ्च् प. सङ्घाते च २७९ ५९९. चञ्चु १९० चञ्च् प. ५७१ तडि ताडने २८० तन्ड् आ. |६००. तञ्चु १९१ तञ्च् प. ५७२ पडि गतौ २८१ पन्ड् आ. |६०१. त्वञ्चु १९२ त्वञ्च् प. ५७३. कडि मदे २८२ कन्ड् आ. |६०२ मुञ्चु १९३ । मुञ्च् प. ५७४. खडि मन्थे २८३ खन्ड् आ. |६०३. म्लुञ्चु गत्यर्थाः १९४ र म्लुञ्च् प. ५७५ कपि चलने ३७५ कन्प् आ. |६०४ ग्लुञ्चु गतौ २०१ मा ग्लुञ्च् प. आ परिशिष्ट (धातुपाठ) पाया ५७९ ६०९. पृम्भु यौट प. प्रेड प ६०५. तुम्प ४०५ तुम्प् प. |६२७. स्फायी ४८७ स्फाय आ. ६०६. त्रुम्प ४०७ . त्रुम्प् प. |६२८. ओप्यायी वृद्धौ ४८८ प्याय् आ. ६०७ तुम्फ ४०९ तुम्फ् प. |६२९. क्षेवु निरसने ५६८ क्षेव् प.. ६०८. त्रुम्फ हिंसाः ४११ त्रुम्फ् प. |६३० त्वष तनूकरणे ६५६ त्वक्ष् प. पृम्भु हिंसार्थः ४३१ सृम्भ प. |६३१. गाहू विलोडने ६४९ गाह् आ. (षिभु, षिम्भु इत्येके) ६३२ राख १२२ राख् प. ६१०. शुम्भ भाषणे ४३३ . शुम्भ प. |६३३. लाख १२३ लाख प. ६११ हम्म गतौ ४६७ हम्म् प. |६३४. द्राख १२४ द्राख् प. ६१२ शंसु स्तुतौ ७२८ शंस् प. |६३५. ध्राख शोषणाल - ध्राख प. ६१३. अञ्चु गतौ ८६२ अञ्च् प. मर्थयोः १२५ ६१४ उबुन्दिर् |६३६. खादृ भक्षणे ४९ खाद् प. निशामने ८७६ |६३७. शाख १२६ शाख प. ६१५. स्कन्दिर् गति - प. |६३८. श्लाख व्याप्तौ १२७ । श्लाख प. शोषणयोः ९७९ |६३९. शौट गर्वे २९० शौट प. श्रम्भु प्रमादे ३९३ श्रम्भ आ. |६४०. यौटै बन्धे २९१ ६१७. स्रंसु ७५४ स्रेस् आ. |६४१. म्लेट २९२ म्लेट् प. ६१८. ध्वंसु अवस्रंसने गतौ ध्वंस् आ. |६४२. ब्रेड उन्मादे २९३ च ७५५ ६४३. क्रीड़ विहारे ३५० क्रीड् प. ६१९. भ्रंसु अवस्रंसने ७५६ भंस् आ. |६४४ हूड ३५३ हूड् प. ६२०. टेंभु विश्वासे ७५७ सम्भ् आ. |६४५ होड गतौ ३५४ ६२१ स्यन्दू प्रस्रवणे ७६१ स्यन्द् आ. ६४६. रौड़ अनादरे ३५५ दंश दंशने ९८९ दंश् प. ६४७ रोड ३५६ रोड् प. ष्वज परिष्वङ्गे ९७६ स्वफ़ प. |६४८. लोड़ उन्मादे ३५७ लोड् प. षज सङ्गे ९८७ सज् प. ६४९. शो वर्णगत्योः४५५ शोण् प. रज्ज रागे ९९९ रञ् प. ६५०. श्रोण संघाते ४५६ । श्रोण प. भ्वादिगण के शेष हलन्त धातु ६५१. श्लोण च ४५७ श्लोण प. ६२२. टुओस्फूर्जा वज्र - स्फूर्ख प. |६५२. पै गतिप्रेरण - पैण् प. निर्घोष २३५ श्लेषणेषु ४५८ ६२३. लादी सुखे च २७ लाद् आ. |६५३. मीमृ गतौ शब्दे मीम् प. ६२४ पूयी विशरणे दुर्गन्धे पूय् आ. | च ४६८ च ४८४ |६५४. वेतृ ५३५ क्नूयी शब्दे उन्दे क्नूय् आ. |६५५. चेतृ ५३६ चेल् प. च ४८५ ६५६. केतृ ५३७ केल् प. ६२६. क्ष्मायी विधूनने ४८६ क्ष्माय आ. |६५७. खेल ५३८ खेल् प. होड् रौड् प. प. वेल् प. ५८० अष्टाध्यायी सहजबोध भाग - ३ शीभ् आ. चीभ् आ. रेभ् आ. ताय् आ. तेव् आ. सेव् आ. पेस् प. लाघ् आ. गेव् आ. ग्लेव् आ. पेव् मेव् म्लेव् आ. ६५८. श्वेतृ चलने ५३९ क्ष्वेल् प. ६९०. शीभृ कत्थने ३८३ ६५९. पेतृ ५४१ पेल् प. |६९१. चीभृ च ३८४ ६६०. फेल ५४२ फेल् प. |६९२ रेभृ शब्दे ३८५ ६६१. शेल गतौ ५४३ शेल प. |६९३. ताय संतान - (षलु इत्येके) पालनयोः४८९ ६६२ खोल ५५१ |६९४ तेवृ ४९९ ६६३. खोब्र गतिप्रतिघाते ५५२ खोर् प. ६९५. देव देवने ५०० ६६४. धो; गतिचातुर्ये ५५३ धोर् प. |६९६. वृ ५०१ ६६५. पेसृ गतौ ७२० गेवृ ५०२ ६६६. लाघ ११३ ग्लेवृ ५०३ ६६७. द्रा सामर्थ्य ११४ द्राथ् आ. | ६९९. पेवृ ५०४ ६६८. श्लाघृ कत्थने ११५ श्लाघ् आ. |७००. मेवृ ५०५ ६६९. लोच दर्शने १६४ लोच् आ. |७०१. म्लेवृ सेवने ५०६ ६७०. भेजृ १८० भेज् आ. शेव केवृ, क्लेख इत्येके ६७१. भ्राजृ दीप्तौ १८१ भ्राज् |७०२. रेवृ प्लवगतौ ५०७ ६७२ हेड अनादरे २८४ हेड्। आ. |७०३. गेष अन्विच्छायाम् ६७३ होड़ अनादरे २८५ होड् आ. ग्लेष इत्येके ६१४ ६७४. बाढ़ आप्लाव्ये २८६ बाड् आ. |७०४. पेष प्रयत्ने ६१५ ६७५. द्रा २८७ द्राड् आ. एफ् इत्यके, ६७६ धाड विशरणे २८८ धाड् आ. येष इत्यप्यन्ये ६७७. शाड़ श्लाघायाम् २८९ शाड् आ. |७०५. जे ६१६ ६७८. ते ३६३ तेप् आ. |७०६. णेष ६१७ ६७९. ष्टेप क्षरणार्थाः ३६५ स्तेप् आ. |७०७. प्रेष गतौ ६१९ ६८०. ग्लेप दैन्ये ३६६ ग्लेप् । आ. |७०८. रेष ६२० ६८१. टुवेपृ कम्पने ३६७ वेप् आ. |७०९. हे ६२१ ६८२ केपृ ३६८ केप् आ./७१०. हेष अव्यक्ते ६८३. गेपृ ३६९ गेप् आ. शब्दे ६२२ ६८४. ग्लेपृ च ३७० ग्लेप् आ. ७११. कासृ शब्द - ६८५ मेपृ ३७१ मेप् आ. कुत्सायाम् ६२३ ६८६ रेपृ ३७२ रेप् आ. |७१२ भासू दीप्तौ ६२४ ६८७. लेपृ गतौ ३७३ लेप् आ. |७१३. णासृ ६२५ ६८८. क्लीबृ अधाष्र्ये ३८१ क्लीब् आ. |७१४. रासृ शब्दे ६२६ ६८९. क्षीब मदे ३८२ क्षीब् आ. |७१५. वेह (बह) ६४३ या रेव् आ. गेष् आ. ग्लेष् आ. पेष् आ. जेष “ट ५९५ E कास् आ. आ. भास् नास् रास् वेह श्रीन आ.

परिशिष्ट (धातुपाठ) ७१६. जेहृ ६४४ जेह् आ./७४४. चाय पूजानि - चाय उ. ७१७. वाह प्रयत्ने ६४५ वाह् शामनयोः ८८० (जेहृ गतावपि) ७४५ दातृ दाने ८८२ समय दाश उ. ७१८. द्राहृ निद्राक्षये ६४६ द्रा आ. |७४६ भेष भये ८८३ भेष् उ. ७१९. काश दीप्तौ ६४७ गतावित्येके ७२०. गाई प्रतिष्ठालिप्स - गाध् |७४७. भ्रष ८८४ भ्रेष् उ. योर्ग्रन्थे च ४ ७४८ श्लेष गतौ ८८५ श्लेष् उ. ७२१. बाधृ लोडने ५ बाध् आ. |७४९. दास दाने ८९४ दास् उ. ७२२ ना, ६ नाथ् आ. |७५० माह माने ८९५ माह ७२३ नाधृ याच्ञोपता - नाध् आ./७५१. वेणू गतिज्ञानचिन्ता - वेण् उ. पैश्वर्याशीःषु ७ निशामनवादित्र - ७२४. वेथू याचने ३४ वेथ् आ. ग्रहणेषु ८७७ ७२५ शीकृ सेचने ७५ शीक् आ. |७५२. स्पर्ध सङ्घर्षे ३ स्पर्ध आ. ७२६. लोक दर्शने ७६ लोक् आ. ७५३. हाद अव्यक्ते शब्दे २६ हाद् आ. ७२७. श्लोक संघाते ७७ श्लोक् आ. |७५४. षूद क्षरणे २५ सूद् आ. ७२८. द्रेकृ ७८ द्रेक् आ. |७५५. स्वाद आस्वादने २८ स्वाद् ७२९. धेकृ शब्दोत्साहयोः ७९ ध्रेक् आ. |७५६ पर्द कुत्सिते शब्दे २९ पर्दु आ. ७३०. रेकृ शङ्कायाम् ८० रेक् आ. |७५७. कत्थ श्लाघायाम् ३७ कत्थ् आ. ७३१. सेकृ गतौ ८१ सेक् आ. |७५८. स्वर्द आस्वादने १९ स्वर्दु आ. ७३२ स्रेक गतौ ८२ रोक् आ. ७५९. अर्द गतौ याचने च ५५ अर्द प. __टीकृ १०४ ७६० गर्द शब्दे ५७ ७३४. तीकृ गत्यर्थाः १०६ तीक् आ. |७६१ तर्द हिंसायाम् ५८ तत् प. ७३५. राघृ सामर्थ्य ११२ राघ आ. |७६२ कर्द कुत्सिते शब्दे ५९ करें प. ७३६ ढौकृ गतौ ९८ ढौक् आ. |७६३. खर्द दन्दशूके ६० खर्दु प. ७३७. नौकृ गतौ ९९ बौक् आ. |७६४ ष्वष्क १०० ष्वाक् आ. ७३८. टुयान् याच्ञायाम् ८६३ याच् उ. |७६५. वस्क १०१ वस्क् आ. ७३९. प्रोथ पर्याप्तौ ८६७ प्रोथ् उ. |७६६ मस्क गत्यर्थाः १०२ मस्क् आ. ७४०. मेदृ मेधाहिंसनयोः ८६९ मेद् उ. |७६७ फक्क नीचैर्गतौ ११६ फक्क् प. ७४१ मेधृ सङ्गमे च ८७० मध् ७६८. बुक्क भषणे ११९. बुक्क् प. ७४२. णेदृ कुत्सासन्नि - नेद् उ. |७६९. वल्ग गत्यर्थः १४३ वल्ग् प. कर्षयोः ८७२ ७७०. वर्च दीप्तौ १६२ वर्च् आ. ७४३. चीवृ आदान - चीव् उ. |७७१ अर्च पूजायाम् २०४ अर्च् प. संवरणयोः ८७९ |७७२ म्लेच्छ अव्यक्ते म्लेच्छ प. टीक् ५८२ अष्टाध्यायी सहजबोध भाग - ३ प. alhahanalala at an alia, सर्ज प. 다 त कर्ज 더 더 다 घूर्ण आ. भाम् वल्ल् आ. मल्ल भल्ल् आ. शब्दे २०५ |८०१. पर्ब ४१६ ७७३ युच्छ प्रमादे २१४. युच्छ् प. | ८०२. लर्ब ४१७ ७७४ कूज अव्यक्ते कूज् प. ८०३. बर्ब ४१८. शब्दे २२३ ८०४ भर्ब ४१९ ७७५ अर्ज २२४ अर्जु ८०५ कर्ब ४२० ७७६ सर्ज अर्जने २२५ । ८०६. खर्ब ४२१ ७७७ गर्ज शब्दे २२६ गर्छ ८०७. गर्ब ४२२ ७७८ तर्ज भर्त्सने २२७ ८०८. शर्ब ४२३ ७७९ कर्ज व्यथने २२८ ८०९. षर्ब ४२४ ७८० खर्ज पूजने च २२९ खर्च् प. |८१०. चर्ब गतौ ४२५ ७८१ तेज पालने २३० तेज् प. ८११. घूर्ण भ्रमणे ४३८ ७८२ क्षीज पालने २३७ क्षीज् प. भाम क्रोधे ४४१ ७८३ लाज भर्जने २४० लाज् प. वल्ल संवरणे ७८४ अट्ट अतिक्रम - अट्ट आ. सञ्चरणे च ४९२ हिंसयोः २५४ ८१४. मल्ल धारणे ४९४ ७८५. वेष्ट वेष्टने २५५ वेष्ट आ. __ भल्ल परिभाषण - ७८६. चेष्ट चेष्टायाम् २५६ चेष्ट् आ. हिंसादानेषु ४९६ ७८७.. गोष्ट २५७ गोष्ट आ. |८१६. वल्ल अव्यक्ते शब्दे ७८८. लोष्ट सङ्घाते २५८ लोष्ट आ. अशब्द इति स्वामी ४९८ ७८९. घट्ट चलने २५९ घट् आ. |८१७. मव्य बन्धने ५०८ ७९०. हेठ विबाधायाम् २६६ हेल् आ. |८१८. सूर्या ईर्ष्यार्थः ५०९ ७९१ चुड्ड भावकरणे ३४७ चुड्ड् प. ८१९. शुच्य अभिषवे ५१३ ७९२ अड्ड अभियोगे ३४८ अड्ड् प. . चुच्य इत्येके ७९३ कड्ड कार्कश्ये ३४९ कड्ड् प. |८२०. मील ५१७ चुड्डादयस्त्रयो दोपधाः (चुड, अड्ड, कड्ड, ८२१. श्मील ५१८ ये तीन धातु दकारोपध हैं।) |८२२. स्मील. ५१९ ७९४ हर्य गतिकान्त्योः ५१४ हर्य प. ८२३. क्ष्मील निमेषणे ५२० ७९५ शल्भ कत्थने ३९० शल्भ् आ. |८२४. पील प्रतिष्टम्भे ५२१ ७९६ वल्भ भोजने ३९१ वल्भ् आ. ८२५. नील वर्णे ५२२ ७९७ गल्भ धाष्र्ये ३९२ गल्भ् आ.|८२६. शील समाधौ ५२३ ७९८ जल्प व्यक्तायां वाचि जल्प प. ८२७. कील बन्धने ५२४ जपे मानसे च ३९८ ८२८. कूल आवरणे ५२५ ७९९. पर्प ४१२ पप् प. | ८२९. शूल रुजायां - ८००. अर्ब ४१५ सङ्घोषे च ५२६ वल्ल मव्य सूर्दा शुच्य् मील् प. श्मील् प. स्मील् प. क्ष्मील् प. पील् प. नील् प. शील् प. कील् प. कूल् प. शूल् प. परिशिष्ट (धातुपाठ) वर्ष आ. जीव् तीव् ८३०. तूल निष्कर्षे ५२७ तूल प. |८६२. भिक्ष भिक्षायामलाभे भिक्ष आ. ८३१. पूल संचाते ५२८ पूल प. | लाभे च ६०६ ८३२. मूल प्रतिष्ठायाम् ५२९ मूल् प. ८६३. क्लेश अव्यक्तायां वाचि क्लेश् आ. ८३३. चुल्ल भावकरणे ५३१ चुल्ल् प. बाधने इति दुर्गः ६०७ ८३४ फुल्ल विकसने ५३२ फुल्ल प. |८६४. दक्ष वृद्धौ शीघ्रार्थे दक्ष् आ. ८३५ चिल्ल शैथिल्ये - चिल्ल प. च ६०८ भावकरणे च ५३३ . दीक्ष मौण्ड्येज्योपन - दीक्ष् आ. ८३६. वेल्ल चलने ५४० वेल्ल यननियमव्रतादेशेषु ६०९ ) ८३७. खल्ल आशुगमने ५५० खल्ल् प. भाष व्यक्तायां - भाष् आ. ८३८. अभ्र ५५६ अभ्रू प. वाचि ६१२ ८३९. वभ्र ५५७ वध्र प. ६७. वर्ष स्नेहने ६१३ ८४०. मभ्र गत्यर्थाः ५५८ मध् प. ८६८. गर्ह ६३६ गर्ह आ. ८४१. जीव प्राणधारणे ५६२ ८६९ गल्ह कुत्सायाम् ६३७ गल्ह् आ. ८४२. पीव ५६३ पीव् प. |८७० बर्ह ६३८ बह आ. ८४३. मीव ५६४ मीव् प. ८७१. बल्ह प्राधान्ये ६३९ ।। बल्ह आ. ८४४ तीव ५६५ ८७२. वह ६४० वह आ. ८४५ णीव स्थौल्ये ५६६ नीव् प. |८७३ वल्ह परिभाषण - वल्ह आ. ८४६ पूर्व ५७६ हिंसाच्छादनेषु ६४१ ८४७ पर्व ५७७ पर्व प. ८७४ रक्ष पालने ६५८ रक्ष प. ८४८. मर्व पूरणे ५७८ |८७५ णिक्ष चुम्बने ६५९ । निक्ष् प. ८४९. चर्व अदने ५७९… ८७६. त्रक्ष गतौ ६६० . त्रक्ष् प. ८५० भर्व हिंसायाम् ५८० ८७७. ष्ट्रक्ष ६६१ स्त्रक्ष प. ८५१. कर्व ५८१ __क प. (तृक्ष, ष्टृक्ष इत्येके) ८५२. खर्व ५८२ ८७८ णक्ष गतौ ६६२ ८५३ गर्व दर्प ५८३ ८७९. वक्ष रोषे ६६३ वक्ष प. ८५४ अर्व ५८४ (संघात इत्येके) ८५५ शर्व ५८५ श मृक्ष संघाते ६६४ ८५६. षर्व हिंसायाम् ५८६ स प. (म्रक्ष इत्येके) ८५७. धावु गतिशुद्ध्योः ६०१ धाव् ८८१. तक्ष त्वचने ६६५ ८५८. धुक्ष ६०२ धुक्ष् आ. (पक्ष परिग्रह इत्येके) ८५९ धिक्ष संदीपन - धिक्ष आ. ८८२. सूर्भ आदरे ६६६ सूक्ष् प. क्लेशनजीवनेषु ६०३ (षर्भ इति केचित्) ८६०. वृक्ष वरणे ६०४ वृक्ष आ. |८८३. चूष पाने ६७३ ८६१. शिक्ष विद्योपादाने ६०५ शिक्ष आ. | ८८४. तूष तुष्टौ ६७४ चूण् प. ५८४ अष्टाध्यायी सहजबोध भाग - ३ ८८५ पूष वृद्धौ ६७५ पूष् प. ध्वंसु गतौ च ७५७ ध्वंस् आ. ८८६. मूष स्तेये ६७६ मूष् प. भ्रुशु इत्यपि केचित् ८८७. लूष ६७७ लष् प. टेंभु विश्वासे ७५७ स्रंभ आ. ८८८ रूष भूषायाम् ६७८ । रूष् प. वृतु वर्तने ७५८ वृत् आ. ८८९ शूष प्रसवे ६७९ शूष् प. वृधु वृद्धौ ७५९ वृध् आ. यूष हिंसायाम् ६८० शृध् आ. ८९१ जूष च ६८१ जूण् प. कुत्सायाम् ७६० ८९२. भूष अलंकारे ६८२ स्यन्दू प्रस्रवणे ७६१ स्यन्द् आ. ८९३. जर्ज ७१६ जर्जु प. कृपू सामर्थ्य ७६२ कल्प् आ. ८९४ चर्च ७१७ श्विता वर्णे ७४२ श्वित् आ. ८९५ झर्झ परिभाषणहिंसा - झर्ड्स प. |९१३. जिमिदा __ मिद् आ. तर्जनेषु ७१८ स्नेहने ७४३ ८९६ अर्ह पूजायाम् ७४० अर्ह प. |९१४. निष्विदा स्नेहन - स्विद् आ. ८९७. हिक्क अव्यक्ते - हिक्क् उ. मोचनयोः ७४४ शब्दे ८६१ भ्वादिगण का घटादि अन्तर्गण ८९८ रेट परिभाषणे ८६४ रेट उ. घटादि अन्तर्गण के अदुपध धातु ८९९. भ्रक्ष ८९२ भ्रक्ष् उ. |९१५. कखे हसने ७८४ कख् प. ९०० भ्लक्ष अदने ८९३ लक्ष् उ. ९१६. रगे शङ्कायाम् ७८५ रग् प. भ्वादिगण का द्युतादि अन्तर्गण १७. लगे सङ्गे ७८६ लग् प. ९०१. द्युत दीप्तौ ७४१ द्युत् आ. |९१८. हगे ७८७ हग् प. ९०२. रुच दीप्तावभिप्रीतौ - रुच् । १९. लगे ७८८ हलग च ७४५ ९२०. षगे ७८९ सग् प. ९०३. घुट परिवर्तने ७४६ घुट आ. २१. ष्टगे संवरणे ७९० स्तग् प. ०४ रुट ७४७ ९२२. कगे नोच्यते ७९१ कम् ९०५ लुट ७४८ ९२३. घट चेष्टायाम् ७६३ घट आ. ९०६. लुठ प्रतिघाते ७४९ ४. व्यथ भयसञ्च - व्यथ् आ. ९०७ __ शुभ दीप्तौ ७५० लनयोः ७६४ ९०८. क्षुभ सञ्चलने ७५१ ९२५. प्रथ प्रख्याने ७६५ ९०९. तुभ हिंसायाम् ७५३ तुभ् । ९२६. प्रस विस्तारे ७६६ प्रस् णभ हिंसायाम् अभावे- नभ् | ९२७ म्रद मर्दने ७६७ च ७५२ ९२८. स्खद स्खदने ७६८ स्खद् आ. संसु ७५४ स्रेस् आ. |९२९. दक्ष गतिहिंस - दक्ष् आ. घ्वंसु ७५५ ध्वंस् आ. नयोः ७७० भ्रंसु अवस्रंसने ७५६ भंस् आ. | 더 रुट शुभ् प्रथ् ९१० म्रद् परिशिष्ट (धातुपाठ) ५८५ प. ९३०. हेड वेष्टने ७७८ हेड् प. | इत्येके ७७४ ९३१. क्रप कृपायां - क्रप् आ. |९५९. स्मृ आध्याने ८०७ स्मृ प. गतौ च ७७१ ९६०. ध्वन शब्दे ८१६ ध्वन् प. ९३२. जित्वरा सम्भ्रमे ७७५ त्वर् आ. |९६१. स्वन अवतंसने ८१७ स्वन् प. ९३३. ज्वर रोगे ७७६ ज्वर् प. |९६२. चलि कम्पने ८१२ जान चल प. ९३४. गड सेचने ७७७ गड् प. |९६३ लडि जिहोन्म - लड् प. ९३५ नट ७७९. नट थने ८१४ तिर ९३६. भट परिभाषणे ७८० भट् प. |९६४. यमोऽपरिवेषणे ८१९ यम् प. ९३७. णट नृतौ, गतौ ७८१ नट |९६५. मदी हर्षग्लेप - मद् प. ९३८. चक तृप्तौ ७८३ चक् नयोः ८१५ ९३९ अक ७९२ अक् शमो दर्शने ८१८ शम् प. ९४०. अग कुटिलायां - अम् प. |९६७. स्खदिर् स्खद् प. गतौ ७९३ अवपरिभ्यां च ८२० ९४१. कण ७९४ कण् प. |९६८. नृ नये ८०९ नृ ९४२. रण गतौ ७९५ रण प. |९६९. दृ भये ८०८ दृ ९४३ चण ७९६ चण् प. |९७०. श्रा पाके ८१० श्रा प. ९४४ शण ७९७ शण प. |९७१. ज्ञा मारणतोषण - ज्ञा प. ९४५ श्रण दाने च श्रण प. निशामनेषु ८११ शण गतावित्यन्ये ७९८ |९७२. छदिर् ऊर्जने ८१३ छद् प. ९४६. श्रथ ७९९ श्रथ् प. | भ्वादिगण का फणादि अन्तर्गण ९४७. श्लथ ८०० श्लथ् |९७३. फण गतौ ८२१ फण् प. ९४८. क्रथ ८०१ क्रथ् प. ९७४. स्यमु ८२६ स्यम् प. ९४९ क्लथ हिंसाः ८०२ क्लथ् प. | ९७५ स्वन ८२७ स्वन् प. ९५०. वन च ८०३ . वन् प. ९७६ ध्वन शब्दे ८२८ ध्वन् प. ९५१. ज्वल दीप्तौ ८०४ ज्वल् प. |९७७ राज दीप्तौ ८२२ राज् उ. ९५२. हल ८०५ हल् प. |९७८ टभ्राज ८२३ भ्राज आ. ९५३. मल चलने ८०६ मल् प. टुभ्राश ८२४ भ्राश् आ. घटादि अन्तर्गण के ऋदुपध धातु । टुभ्ला” दीप्तौ ८२५ भ्लाश् आ. ९५४. पृक प्रतिघाते ७८२ सृक् प. | भ्वादिगण का ज्वलादि अन्तर्गण घटादि अन्तर्गण के शेष धातु ९५५ अदुपध ज्वलादि धातु क्षजि गतिदानयोः ७६९ क्षन्ज् आ. | ९७९ ज्वल दीप्तौ ८३१ ज्वल् प. ९५६. कदि ७७२ कन्द् आ. |९८०. चल कम्पने ८३२ चल् प. ९५७. कदि ७७३ अ ९८१. जल घातने ८३३ . . जल् प. ९५८. क्लदि वैकल्ये क्लन्द् आ. ५८६ अष्टाध्यायी सहजबोध भाग - ३ | पाट बल् प. 44444444 ९८२. टल ८३४ टल् प. विलेखनेषु ८५७ ९८३. ट्वल् वैक्लव्ये ८३५ ट्वल प. |१००४. बुध अवगमने ८५८ बुध् प. ९८४. ष्ठल् स्थाने ८३६ . स्थल प. |१००५. रुह बीजजन्मनि - रुह प. ९८५ हल विलेखने ८३७ । हल् प. प्रादुर्भाव च ८५९ ९८६. णल गन्धे ८३८ नल् प. भ्वादिगण का यजादि अन्तर्गण (बन्धन इत्येके) | १००६. यज देवपूजासङ्गति - यज् उ. ९८७. पल गतौ ८३९ पल् प. करणदानेषु १००२ ९८८ बल प्राणने, | १००७. डुवप् बीजसन्ताने १००३ वप् धान्यावरोधने च ८४० | १००८. वह प्रापणे १००४ वह उ. ९८९. शल गतौ ८४३ | १००९. वस निवासे १००५ वस् ९९०. क्षर सञ्चलने ८५१ १०१०. वद व्यक्तायां ० १००५ वद् ९९१. षह मर्षणे ८५२ वेञ् तन्तुसन्ताने १००६ वे ९९२. कस गतौ ८६० व्येञ् संवरणे १००७ व्ये ९९३. टुवम् हेञ् स्पर्धायाम् - हे उ. उगिरणे ८४९ शब्दे च १००८ भ्रमु चलने ८५० टुओश्वि गति ० १०१० श्वि प. षद्लु विशरण - गत्यवसादनेषु ८५४ अदादिगण शदतृ शातने ८५५ शद् आ. अदादिगण के आकारान्त धातु ९९४. रमु क्रीडायाम् ८५३ रम् आ. |१०११. या प्रापणे १०४९ या प. ९९५. पत्लु गतौ ८४५ पत् प. |१०१२. वा गतिगन्धनयोः १०५० वा प. ९९६. क्वथे निष्पाके ८४६ क्वथ् प. |१०१३. भा दीप्तौ १०५१ . ९९७. पथे गतौ ८४७ पथ् प. १०१४. ष्णा शौचे १०५२ ९९८. मथे विलोडने ८४८ मथ् प. |१०१५. श्रा पाके १०५३ श्रा उदुपध ज्वलादि धातु | १०१६. द्रा कुत्सायाम् गतौ १०५४ द्रा ९९९. पुल महत्वे ८४१ पुल् प. १०१७. प्सा भक्षणे १०५५ प्सा प १०००. कुल संस्त्याने बन्धुषु कुल प. १०१८. पा रक्षणे १०५६ च ८४२ १०१९. रा दाने १०५७ १००१. हुल गतौ ८४४ हुल् प. १०२०. ला आदाने १०५८ ला प. १००२. क्रुश आह्वाने रोदने क्रुश् प. | | १०२१. दाप् लवने १०५९ च ८५६ १०२२. ख्या १०६० १००३. कुच सम्पर्चन - कुच् प. १०२३. प्रा पूरणे १०६१ कौटिल्यप्रतिष्टम्भ - | १०२४. मा माने १०६२ 더 더 더 더 더 더 REFEEG FE प. प 더 더 더 더 परिशिष्ट (धातुपाठ) ५८७ Խ अदादिगण के इकारान्त धातु १०४७. वृजी वर्जने १०२९ वृज् ’ आ. १०२५. इण् गतौ १०४५ इ प. १०४८. शिजि अव्यक्ते - शिंज् आ. १०२६. इङ् अध्ययने १०४६ इ आ. | शब्दे १०२७ : १०२७. इक् स्मरणे १०४७ इ प. १०४९. पिजि वर्णे १०२८ पिंज आ. अदादिगण के ईकारान्त धातु १०५०. मृजू शुद्धौ १०६६ मृज् प. १०२८. वी गतिव्याप्तिप्रजन - वी प. र अदादिगण के डकारान्त धातु कान्त्यसनखदनेषु १०४८ १०५१. ईड स्तुतौ १०१९. ईड् आ. .१०२९. शीङ् स्वप्ने १०३२ शी आ. । अदादिगण के तकारान्त धातु अदादिगण के उकारान्त धातु १०५२. षस्ति स्वप्ने १०७९ संस्त् प.छा. १०३०. यु मिश्रणेऽमिश्रणे यु अदादिगण के दकारान्त धातु च १०३३ १०५३ अद भक्षणे १०११ अद् प. १०३१. णु स्तुतौ १०३५ |१०५४. विद ज्ञाने १०६४ विद् प. १०३२. टुक्षु शब्दे १०३६ | अदादिगण के नकारान्त धातु १०३३. क्ष्णु तेजने १०३७ |१०५५. हन हिंसागत्योः १०१२ हन् प. १०३४. ष्णु प्रस्रवणे १०३८ अदादिगण के रेफान्त धातु १०३५. धु अभिगमने १०४० १०५६. ईर गतौ कम्पने च १०१८ ईर् आ. १०३६. षु प्रसवैश्वर्ययोः १०४१ । | अदादिगण के शकारान्त धातु १०३७. कु शब्दे १०४२ १०५७. वश कान्तौ १०८० वश् प.छा. १०३८. ऊर्गुञ् |१०५८. ईश ऐश्वर्ये १०२० ईश् आ. आच्छादने १०३९ अदादिगण के षकारान्त धातु १०३९. रु शब्दे १०३४ । १०५९. द्विष अप्रीतौ १०१३ १०४०. ष्टुञ् स्तुतौ १०४३ स्तु प. १०६०. चक्षिङ् व्यक्तायां चक्ष आ. १०४१. हनुङ् अपनयने १०८२ हनु आ. वाचि १०१७ - अदादिगण के ऊकारान्त धातु अदादिगण के सकारान्त धातु १०४२. ब्रूञ् व्यक्तायां - १०६१. वस आच्छादने १०२३ वस् आ. वाचि १०४४ १०६२. आस उपवेशने १०२१ आस् आ. १०४३. खूङ् प्राणिगर्भ - १०६३. आङः शासु - आशास् आ. विमोचने १०३१ इच्छायाम् १०२२ अदादिगण के चकारान्त धातु १०६४. कसि गतिशास - कंस् आ. १०४४. वच परिभाषणे १०६३ वच् प. | नयोः १०२४ १०४५. पृची सम्पर्चने १०३० पृच् आ. |१०६५. णिसि चुम्बने १०२४ निस् आ. अदादिगण के जकारान्त धातु १०६६. षस स्वप्ने १०७८ सस् प.छा. १०४६ णिजि शुद्धौ १०२६ निज् आ. |१०६७. अस भुवि १०६५ अस् प. ऊर्गु ५८८ अष्टाध्यायी सहजबोध भाग - ३ अदादिगण के हकारान्त धातु जुहोत्यादिगण के इकारान्त धातु १०६८. दुह प्रपूरणे १०१४ दुह् उ. १०८९. कि ज्ञाने ११०१ कि प. १०६९. दिह उपचये १०१५ दिह् उ. | जुहोत्यादिगण के ईकारान्त धातु १०७०. लिह आस्वादने १०१६ लिह् प. | १०९०. त्रिभी भये १०८४ भी प. अदादिगण का अन्तर्गण - रुदादिगण | १०९१. ही लज्जायाम् १०८५ ही प. - १०७१. रुदिर् अश्रु - रुद् प. | जुहोत्यादिगण के उकारान्त धातु । _ विमोचने १०६७ १०९२. हु दानादानयोः १०८३ हु प. १०७२. भिष्वप् शये १०६८ , स्वप् प. | जुहोत्यादिगण के ऋकारान्त धातु १०७३. श्वस प्राणने १०६९ श्वस् प. १०९३ डुभृञ् धारण - भृ. उ. १०७४. अन च १०७० अन् प. | पोषणयोः १०८७ १०७५ जक्ष भक्षहसनयोः १०७१ जक्ष् प. |१०९४. सृ गतौ १०९९ … अदादिगण का अन्तर्गण जक्षादिगण | १०९५. घृ क्षरणदीप्त्योः १०९६ घृ प.छा. जक्ष भक्षहसनयोः १०७१ जश् प. | १०९६. हृ प्रसह्यकरणे १०९७ ह प.छा. १०७६. दरिद्रा दुर्गतौ १०७३ दरिद्रा प. | १०९७. ऋ गतौ १०९८ ऋ प.छा. १०७७. दीधीङ् दीप्ति - दीधी आ.| जुहोत्यादिगण के ऋकारान्त धातु देवनयोः १०७६ (छा.) १०९८. पृ पालनपूरणयोः १०८६ पृ प. १०७८. वेवीङ् वेतिना - वेवी आ.| जुहोत्यादिगण के अदुपध धातु तुल्ये १०७७ (छा.) १०९९. भस भर्त्सनदीप्त्योः ११०० भस् प.छा. १०७९ जागृ निद्राक्षये १०७२ जागृ प. ११००. धन धान्ये ११०४ धन् प.छा. १०८०. चकासृ दीप्तौ १०७४ चकास् प. | ११०१. जन जनने ११०५ जन् प.छा. १०८१. शासु अनुशिष्टौ १०७४ शास् प. | जुहोत्यादिगण के इदुपध धातु १०८२. चर्करीतं च (गणसूत्र) ११०२. धिष शब्दे ११०३ धिण् प.छा. यह यङ्लुक् की संज्ञा है। ११०३. णिजिर् शौच - निज् उ. जुहोत्यादिगण पोषणयोः १०९३ ११०४. विजिर् पृथग्भावे १०९४ विज् उ. जुहोत्यादिगण के आकारान्त धातु |११०५. विष्ल व्याप्तौ १०९५ विष् उ. १०८३. माङ् माने १०८८ मा __जुहोत्यादिगण के उदुपध धातु १०८४. ओहाङ् गतौ १०८९ हा आ. | ११०६. तुर त्वरणे ११०२ तुर् प.छा. १०८५. ओहाक् त्यागे १०९० १०८६. डुदाञ् दाने १०९१ दा उ. दिवादिगण १०८७. डुधाञ् धारण - दिवादिगण का अन्तर्गण पुषादिगण पोषणयोः १०९२ __ पुषादिगण के अदुपध धातु १०८८. गा स्तुतौ ११०६ (छा.) गा प. | | ११०७. शक विभाषितो - शक् उ. hcho F परिशिष्ट (धातुपाठ) ५८९ BEEW मर्षणे ११८७ ११३३. बुस उत्सर्गे १२१९ र बुस् प. ११०८. असु क्षेपणे १२०९ मा | ११३४. मुस खण्डने १२२० मुस् प. ११०९. जसु मोक्षणे १२११ जस् प. | ११३५. लुट विलोडने १२२२ लुट् प. १११०. तसु उपक्षये १२१२ ११३६. उच समवाये १२२३ - उच् प. ११११. दसु उपक्षये १२१३ ११३७. रुष हिंसायाम् १२३० रुष् प. १११२ वसु स्तम्भे १२१४ वस् | ११३८. कुप क्रोधे १२३३ कुप् भसु इत्यपि केचित् ११३९. गुप व्याकुलत्वे १२३४ गुप् प. १११३. मसी परिणामे १२२१ मस् प. ११४०. युप १२३५ युप् प. १११४. णभ १२४० नभ् प. |११४१. रुप १२३६ रुप् प. पुषादिगण के इदुपध धातु ११४२ लुप विमोहने १२३७ लुप् प. १११५. श्लिष आलिङ्गने ११८६ श्लिष् प. (ष्टुप समुच्छ्राये) १११६. विदा गात्र - स्विद् प. ११४३. लुभ गाये १२३८ लुभ् प. प्रक्षरणे ११८८ ११४४. क्षुभ सञ्चलने १२३९ क्षुभ् प. अिष्विदा इत्येके ११४५. तुभ हिंसायाम् १२४१ तुभ् प. १११७. षिधु संसिद्धौ ११९२ सिध् प. पुषादिगण के ऋदुपध धातु १११८. बिस प्रेरणे १२१७ बिस् प. ११४६. भृशु अधःपतने १२२४ भृश् प. १११९. रिष हिंसायाम् १२३१ रिष् प. | ११४७. वृश वरणे १२२६ वृश् प. ११२०. डिप क्षेपे १२३२ डिप् प. ११४८. कृश तनूकरणे १२२७ कृश् प. ११२१. क्लिदू आर्दी - क्लिद् प. ११४९. जितृषा पिपासा - तृष् प. भावे १२४२ याम् १२२८ ११२२. जिमिदा स्नेहने १२४३ मिद् प. ११५०. हृष तुष्टौ १२२९ हृष् प. ११२३. लिक्ष्विदा स्नेहन - क्ष्विद् प. ११५१. ऋधु वृद्धौ १२४५ ऋध् प. मोचनयोः १२४४ ११५२. गृधु अभिकाङ्क्षा - गृध् प. पुषादिगण के उपध धातु याम् १२४६ ११२४. पुष पुष्टौ ११८२ पुष् प. पूषादिगण के अनिदित् धातु ११२५. शुष शोषणे ११८३ शुष् प. कुंस संश्लेषणे १२१८ कुस् प. ११२६. तुष प्रीतौ ११८४ तुष् प. भ्रंशु अधःपतने १२२५ भ्रंश् प. ११२७. दुष वैकृत्ये ११८५ दुष् प. पुषादि अन्तर्गण का शमादि अन्तर्गण ११२८. क्रुध क्रोधे ११८९ क्रुध् प. ११२९. क्षुध बुभुक्षायाम् ११९० क्षुध् प. ११५३. शमु उपशमे १२०१ शम् प. ११३०. शुध शौचे ११९१ . शुध् प. ११५४. तमु काङ्क्षायाम् १२०२ तम् प. ११३१. व्युष विभागे १२१५ व्युष् प. | ११५५. दमु उपशमे १२०३ दम् प. (व्युस इत्यन्ये) ११५६. श्रमु तपसिखेदे च १२०४ श्रम् प. ११३२. प्लुष दाहे १२१६ ११५७. भ्रम अनवस्थाने १२०५ भ्रम् प. ५९० अष्टाध्यायी सहजबोध भाग - ३ __ 예 १९५८. क्षमू सहने १२०६ क्षम् प. व्यवहारद्युतिस्तुतिमोद - ११५९. क्लमु ग्लानौ १२०७ क्लम् प. मदस्वप्नकान्ति - ११६०. मदी हर्षे १२०८ मद् प. गतिषु ११०७ पुषादि अन्तर्गण का ‘रधादि’ अन्तर्गण |११८२. षिवु तन्तुसन्ताने ११०८ सिव् प. ११६१. रध हिंसासंरा - रध प. |११८३. त्रिवु गति - सिव् प. ड्योः ११९३ शोषणयोः ११०९ ११६२. णश अदर्शने ११९४ नश् प. |११८४. ष्ठिवु निरसने १११० ष्ठिव् प. ११६३. तृप् प्रीणने ११९५ तृप् प. | दिवादिगण के अनिदित् धातु ११६४. दृप हर्षमोहनयोः ११९६ दृप् प. ११८५. रज्ज रागे ११६७. - रज् उ. ११६५. द्रुह जिघांसायाम् ११९७ द्रुह प. |११८६. कुंस संश्लेषणे १२१८ कुंस् प. ११६६. मुह वैचित्ये ११९८ मुह प. ११८७. भ्रंशु अधःपतने १२२५ भ्रंश् प. .११६७. ष्णुह उद्गिरणे स्नुह प. | अन्तर्गणों से बचे हुए दिवादिगण के धातु गरणे ११९९ आकारान्त धातु ११६८. ष्णिह प्रीतौ स्निह् प. |११८८. माङ माने ११४२ मा आ. गरणे १२०० ईकारान्त धातु दिवादिगण के सम्प्रसारणी धातु ११८९. पीङ पाने ११४१ पी ११६९. व्यध ताडने ११८१ व्यध् प. |११९०. ईङ् गतौ ११४३ ई दिवादिगण के जन्, यस् धातु ११९१. प्रीङ् प्रीतौ ११४४ ११७०. जनी प्रादुर्भाव ११४९ जन् आ. ऋकारान्त धातु ११७१. यसु प्रयत्ने १२१० यस् प. |११९२. जुष ११३० जु दिवादिगण के ओदित् धातु ११९३. झुष् वयोहानौ ११३१ १ प. ११७२. षूङ् प्राणिप्रसवे ११३२ सू ओकारान्त धातु ११७३. दूङ् परितापे ११३३ आ. |११९४. शो तनूकरणे ११४५ शो ११७४. दीङ् क्षये ११३४ आ. | ११९५. छो छेदने ११४६ छो ११७५. डीङ् विहायसा डी आ. आ. |११९६. षो अन्तकर्मणि ११४७ सो गतौ ११३५ |११९७. दो अवखण्डने ११४८ दो प. ११७६. धीङ् आधारे ११३६ । अदुपध धातु ११७७. मीङ् हिंसायाम् ११३७ मी | ११९८. ष्णसु निरसने १११२ स्नस् प. ११७८. रीङ् स्रवणे ११३८ री आ. |११९९. क्नसु हरणदीप्त्योः१११३ क्नस् प. ११७९. लीङ् श्लेषणे ११३९ ली आ. १२००. त्रसी उद्वेगे १११७ त्रस् ११८०. व्रीङ् वृणोत्यर्थे ११४० वी आ. |१२०१. षह चक्यर्थे ११२८ सह प. दिवादिगण के वकारान्त इगुपध धातु |१२०२. तप दाहे ऐश्वर्ये ११८१. दिवु क्रीडाविजिगीषा - दिव् प. | वा ११५९

  • hot 예 예 다 Pucts + 더 대 대 परिशिष्ट (धातुपाठ) मा गाठ ५९१ आ. १२०३. णह बन्धने ११६६ (वावृतु इ प. केचित्) रही १२०४. शप आक्रोशे ११६८ शप् उ. १२३०. मृष तितिक्षायाम् ११६४ मृष् उ. १२०५. पद गतौ ११६९ पद् |१२३१. सृज विसर्गे ११७८ मा सृज् आ. १२०६. अण प्राणने ११७५ अण् आ. शेष धातु (अन इत्येके). |१२३२. पुष्प विकसने ११२२ पुष्प् प.. १२०७. मन ज्ञाने ११७६ मन् आ. |१२३३. ष्टीम आर्द्राभावे ११२५ स्तीम् प. . इदुपध धातु |१२३४. व्रीड चोदने - व्रीड् प. डी १२०८. क्षिप प्रेरणे ११२१ क्षिप् प. लज्जायाञ्च ११२६ र १२०९. तिम आर्दीभावे ११२३ तिम प. १२३५. दीपी दीप्तौ ११५० दीप आ. १२१०. ष्टिम ११२४ स्तिम् प. |१२३६. पूरी आप्यायने ११५१ पूर् आ. १२११. इष गतौ ११२७ इण् प. |१२३७. तूरी गतित्वरण - तूर् १२१२. क्लिश उपतापे ११६१ ।। क्लिश् आ. हिंसयोः ११५२ १२१३. खिद दैन्ये ११७० खिद् आ. |१२३८. धूरी हिंसागत्योः ११५३ धूर् १२१४. विद सत्तायाम् ११७१ विद् आ. |१२३९. गूरी हिंसागत्योः ११५४ गूर् १२१५. लिश अल्पीभावे ११७९ लिश् आ. |१२४०. घूरी हिंसावयो -
  • घूर् आ. उदुपध धातु हान्योः ११५५ १२१६. ष्णुसु अदने स्नुस् स्नुस् प. |१२४१. जूरी हिंसावयो - अदर्शन इत्यपरे ११११ हान्योः ११५६ (आदान इत्येके) |१२४२. शूरी हिंसास्तम्भ - १२१७. व्युष दाहे १११४ व्युष् प. नयोः ११५७ १२१८. प्लुष च १११५ प्लुष् १२४३. चूरी दाहे ११५८ १२१९. कुथ पूतीभावे १११८ कुथ् प. १२४४. काशृ दीप्तौ ११६२ १२२०. पुथ हिंसायाम् १११९ पुथ् प. |१२४५. वाशृ शब्दे ११६३ १२२१. गुध परिवेष्टने ११२० गुध् प. १२४६. राधोऽकर्मकाद् - राध् १२२२ षुह चक्यर्थे ११२९ वृद्धावेव ११८० १२२३. ई शुचिर् पूतीभावे ११६५ शुच् उ. स्वादिगण १२२४. बुध अवगमने ११७२ बुध् आ. स्वादिगण के अजन्त धातु १२२५. युध संप्रहारे ११७३ . युध् आ. १२४७. षिञ् बन्धने १२४८ सि १२२६. अनोरुध कामे ११७४ ।। |१२४८. शिञ् निशाने १२४९ शि उ. १२२७. युज् समाधौ ११७७ युज् आ. | १२४९. डुमिञ् प्रक्षेपणे १२५० । _ ऋदुपध धातु |१२५०. चिञ् चयने १२५१ १२२८. नृती गात्रविक्षेपे १११६ नृत् १२५१. हि गतौ वृद्धौ - १२२९. वृतु वरणे ११६० वृत् आ. च १२५७ सुह ५९२ अष्टाध्यायी सहजबोध भाग - ३ 다 १२५२. रि हिंसायाम् १२७५ (छा.) रि प. |१२७५. ऋधु वृद्धौ , ऋध् प. १२५३. क्षि हिंसायाम्१२७६ (छा.) क्षि प. १२७१ (छा.) १२५४. चिरि हिंसायाम् चिरि प. तृप प्रीणन इत्येके १२७७ (छा.) १२७६. दातृ हिंसायाम् दाश् प. १२५५. जिरि हिंसायाम् । जिरि प. १२७९ (छा.) १२७८ (छा.) १२७७. आप्M व्याप्तौ १२६० आप् प. १२५६. षुञ् अभिषवे १२४७ सु । १२७८. राध संसिद्धौ १२६२ ।। राध् प. १२५७. धुञ् कम्पने १२५५ धु १२७९ साध संसिद्धौ १२६३ साध् प. धूञ् इत्येके १२५५ धू स्वादिगण के अनिदित् धातु १२५८. टुदु उपतापे १२५६ दु । १२८०. दम्भु दम्भने दम्भ प. १२५९. स्तृञ् आच्छादने १२५२ १२७० (छा.) १२६०. कृञ् हिंसायाम् १२५३ ।। १२६१. वृञ् वरणे १२५४ तुदादि गण १२६२. पृ प्रीतौ १२५८ पृ प. तुदादिगण के इकारान्त धातु १२६३. स्पृ प्रीतिपालनयोः १२५९ स्पृ १२८१. रि गतौ १४०४ १२६४. दृ हिंसायाम् १२८० (छा.) दृ प. १२८२. पि गतौ १४०५ पि प. स्वादिगण के हलन्त धातु १२८३. धि गतौ १४०६ धि १२६५. अह व्याप्तौ १२६० (छा.) अह् प १२८४. क्षि निवासगत्योः १४०७ क्षि १२६६. शक्ल शक्तौ १२६१ शक् प. तुदादिगण के उकारान्त धातु १२६७. षघ हिंसायाम् -सघ् प. | १२८५. गु पुरीषोत्सर्गे १३९९ गु प. १२६८ (छा.) १२८६. ध्रु गतिस्थैर्ययोः १४०० धु प. १२६८. दघ घातने पालने - दय् प. |१२८७. कुङ् शब्दे १४०१ कु आ. च १२७३ (छा.) तुदादिगण के ऊकारान्त धातु १२६९. चमु भक्षणे १२७४ (छा.) चम् प. |१२८८. णू स्तवने १३९७ नू प. १२७०. अशू व्याप्तौ सङ्घाते - अश् आ. १२८९. धू विधूनने १३९८ धू प. च १२६४ १२९०. षू प्रेषणे १४०८ सू प. १२७१. तिक १२६६ (छा.) तिक् प । तुदादिगण के ऋकारान्त धातु १२७२. तिग आस्कन्दने - तिग् प. |१२९१. पृङ् व्यायामे १४०२ पृ आ. गतौ च १२६७ (छा.) १२९२. मृङ् प्राणत्यागे १४०३ मृ १२७३. ष्टिघ स्तिघ् आ. आस्कन्दने १२६५ (छा.) १२९३. दृङ् आदरे १४११ |१२९४. धृङ् अवस्थाने १४१२ धृ आ. १२७४. जिधृषा धृष् प. तुदादिगण के ऋकारान्त धातु प्रागल्भ्ये १२६९ (छा.) | १२९५. कृ विक्षेपे १४०९ कृ प. FFFF परिशिष्ट (धातुपाठ) ५९३ १२९६. गृ निगरणे १४१० गृ प. |१३२१. मिष स्पर्धायाम् १३५२ मिष् प. __तुदादिगण का मुचादि’ अन्तर्गण |१३२२. किल श्वैत्यक्री - किल् प.. १२९७. मुच्ल मोक्षणे १४३० मुच् उ. डनयोः १३५३ १२९८. लुप्ल छेदने १४३१ लुप् उ. |१३२३. तिल स्नेहने १३५४ - तिल प. १२९९. विद्लु लाभे १४३२ विद् १३२४. चिल वसने १३५५ चिल् प. १३००. लिप उपदेहे १४३३ लिए उ. |१३२५. इल स्वप्नक्षेप - इल् प. १३०१. षिच क्षरणे १४३४ सिच् उ. णयोः १३५७ मा १३०२. खिद परिघाते १४३६ खिद् प. |१३२६. विल संवरणे १३५८ - विल प. १३०३. कृती छेदने १४३५ कृत् प. १३२७. बिल भेदने १३५९ - बिल् प. १३०४. पिश अवयवे १४३७ पिश् प. १३२८. णिल गहने १३६० निल् प.. - तुदादिगण के सम्प्रसारणी धातु |१३२९. हिल भावकरणे १३६१ हिल् प.. १३०५ ओव्रश्चू छेदने १२९२ वश्च प. १३३०. शिल उञ्छे १३६२ शिल् प. १३०६. व्यच व्याजीकरणे १२९३ व्यच् प. |१३३१. षिल उञ्छे १३६३ सिल प. १३०७. प्रच्छ ज्ञीप्सायाम् १४१३ प्रच्छ् प. १३३२. मिष श्लेषणे १३६४ मिष् प. १३०८. भ्रस्ज पाके १२८४ भ्रज्ज् उ. १३३३. लिख अक्षर - लिख प. तुदादिगण के विशेष धातु विन्यासे १३६५ १३०९. ओलस्जी - |१३३४. रिश हिंसायाम् १४२० रिश् प. लज्ज् आ. व्रीडायाम् १२९१ १३३५. लिश गतौ १४२१ लिश् प. १३१०. टुमस्जो शुद्धौ १४१५ मज्ज् प. १३३६. विश प्रवेशने च १४२४ विश्… प. १३११. इष इच्छायाम् १३११ इष् प. १३३७. मिल सङ्गमे १४२९ मिल् उ. १३१२ विच्छ गतौ १४२३ विच्छ प. तुदादिगण के उदुपध धातु तुदादिगण के शेष धातु १३३८. तुद व्यथने १२८१ तुद् उ. तुदादिगण के अदुपध धातु १३३९. णुद प्रेरणे १२८२ - नुद् उ. १३४०. जुषी प्रीति - १३१५. चल विलसने १३५६ चल् प. सेवनयोः १२८८ तुदादिगण के इदुपध धातु |१३४१. तुभ विमोहने १३०५ लुभ प. १३१६. दिश अतिसर्जने १२८३ दिश् उ. १३४२. तुप १३०९ तुम् १३१७. क्षिप प्रेरणे १२८५ क्षप् उ. १३४३. तुफ हिंसायाम् १३११ तुफ प. १३१८. ओविजी भय - उद्विज् आ. १३४४. गुफ ग्रन्थे १३१७ गुफ् प. चलनयोः १२८९ |१३४५. उभ पूरणे १३१९ उभ् प. १३१९. रिफ कत्थनयुद्ध - रिफ् प. निन्दाहिँसादानेषु १३०६ १३४६. शुभ शोभार्थे १३२१ । १३४७. जुड गतौ १३२६ जुड् प. (रिह इत्येके) |१३४८. तुण कौटिल्ये १३३२ तुण् १३२०. विध विधाने १३२५ विध् प. | _ ज ५९४ अष्टाध्यायी सहजबोध भाग - ३ तुण् प. १३४९. पुण कर्मणि शुभे १३३३ पुण् प. |१३७८. वृण च १३३० वृण्ः प. १३५०. मुण प्रतिज्ञाने १३३४ मुण् प. |१३७९. मृण हिंसायाम् १३३१ मृण् प. १३५१. कुण शब्दो - कुण् प. |१३८०. वृहू उद्यमने १३४७ . वृह् प. पकरणयोः १३३५ (बृहू इत्यन्ये) बृह् प. १३५२. शुन गतौ १३३६ शुन् प. |१३८१. तृहू १३४८ तृह् प. १३५३. तुण हिंसागति - |१३८२. स्तृहू हिंसाहा॑ १३४९ स्तृह् प. कौटिल्येषु १३३७ |१३८३. सृज विसर्गे १४१४ सृज् प. १३५४. घुण भ्रमणे १३३८ |१३८४. स्पृश संस्पर्शने १४२२ स्पृश् प. १३५५. खुर ऐश्वर्य - |१३८५. मृश आमर्शने १४२५ मृश् प. दीप्त्योः १३४० तुदादिगण के अनिदित् धातु १३५६. कुर शब्दे १३४१ |१३८६. तृम्फ तृप्तौ १३०८ तृम्फ् प. १३५७. खुर छेदने १३४२ |१३८७. तुम्प हिंसायाम् १३१० तुम्प् प. १३५८. मुर संवेष्टने १३४३ मुर् प. १३८८. तुम्फ हिंसायाम् १३१२ तुम्फ् प. १३५९. क्षुर विलेखने १३४४ . क्षुर् प. |१३८९. दृम्फ उत्क्ले शे १३१४ । दृम्फ् प. १३६०. घुर भीमार्थ - घुर् . प. १३९०. ऋम्फ हिंसायाम् १३१६ ऋम्फ् प. शब्दयोः १३४५ १३९१. गुम्फ ग्रन्थे १३१८ गुम्फ् प. १३६१. पुर अग्रगमने १३४६ पुर् प. |१३९२. उम्भ पूरणे १३२० उम्भ प. १३६२. रुजो भङ्गे १४१६ रुज प. १३९३. शुम्भ शोभार्थे १३२२ शुम्भ प. १३६३. भुजो कौटिल्ये १४१७ भुज् प. |१३९४. तन्हू हिंसार्थः १३५० तुंह प. १३६४. छुप स्पर्शे १४१८ छुप् __तुदादिगण का ‘कुटादि’ अन्तर्गण १३६५. रुश हिंसायाम् १४१९ रुश् प. |१३९५. कुट कौटिल्ये १३६६ कुट् प. १३६६. णुद प्रेरणे १४२६ नुद् प. |१३९६. पुट संश्लेषणे १३६७ पुट प. १३६७. कृष विलेखने १२८६ कृष् उ. |१३९७. कुच सकोचने १३६८ कुच् प. १३६८. ऋषी गतौ १२८७ ऋष् प. |१३९८. गुज शब्दे १३६९ गुज् प. १३६९. ऋच स्तुतौ १३०२ ऋच् प. |१३९९. गुड रक्षायाम् १३७० गुड् प. १३७०. तृप १३०७ तृप् प. १४००. डिप क्षेपे १३७१ डिप् १३७१. दृप १३१३ दृप् प. १४०१. छुर छेदने १३७२ छुर् प. १३७२. ऋफ हिंसायाम् १३१५ । ऋफ् १४०२. स्फुट विकसने १३७३ स्फुट प. १३७३. दृभी ग्रन्थे १३२३ दृश् प. १४०३. मुट आक्षेप - मुट प. १३७४. नृती हिंसाश्रन्थ - नृत् प. मर्दनयोः १३७४ नयोः १३२४ १४०४. त्रुट छेदने १३७५ त्रुट प. १३७५. मृड सुखने १३२७ प. |१४०५. तुट कलहकर्मणि १३७६ तुट प. १३७६. पृड च १३२८ १४०६. चुट छेदने १३७७ चुट प. १३७७. पृण प्रीणने १३२९परिशिष्ट (धातुपाठ) चर्च् प. घुट 더 더 १४०७. छुट छेदने १३७८ १४३१. चर्च १२९९ १४०८. जुट बन्धने १३७९ जुट प. |१४३२. झर्झ परिभाषण - १४०९. कड मदे १३८० कड् प. भर्त्सनयोः १३०० १४१०. लुट संश्लेषणे १३८१ लुट् प. १४३३. त्वच संवरणे १३०१ त्वच प. १४११. कृड घनत्वे १३८२ कृड् प. |१४३४. उब्ज आजवे १३०३ उब्ज् प. १४१२. कुड बाल्ये १३८३ . कुड् प. १४३५. उज्झ उत्सर्गे १३०४ उज्झ् प. १४१३. पुड उत्सर्गे १३८४ पुड् प. |१४३६. घूर्ण भ्रमणे १३३९ घूर्ण प. १४१४. घुट प्रतिघाते १३८५ १४३७. ओलजी व्रीडायाम् १२९० लज् आ. १४१५. तुड तोडने १३८६ तुदादिगण का ‘किरादि’ अन्तर्गण। १४१६. थुड १३८७ थुड् प. कृ विक्षेपे १४०९ कृ १४१७. स्थुड सम्वरणे १३८८ स्थुड् प. गृ निगरणे १४१० गृ प. १४१८. स्फुर सञ्चलने - स्फुर् प. दृङ् आदरे १४११ दृ आ. स्फुरणे च १३८९ धृङ् अवस्थाने १४१२ धृ आ. १४१९. स्फुल सञ्चलने १३९० स्फुल् प. प्रच्छ जीप्सायाम् १४१३ प्रच्छ् प. १४२०. स्फुड संवरणे १३९१ स्फुड् प. १४२१. चुड सम्वरणे १३९२ चुड् प. रुधादिगण १४२२. ब्रुड सम्वरणे १३९३ छड् प. रुधादिगण के चकारान्त धातु १४२३. क्रुड १३९४ क्रुड् प. |१४३८. विचिर् पृथग्भावे १४४३ विच् उ. १४२४. मृड निमज्जने १३९५ |१४३९. रिचिर् विरेचने १४४२ रिच उ. १४२५. गुरी उद्यमने १३९६ । १४४०. तञ्चू सङ्कोचने १४६० तञ्च् प. णू स्तवने १३९७ नू प. |१४४१. पृची सम्पर्के १४६३ पृच् प. धू विधूनने १३९८ धू प. रुधादिगण के जकारान्त धातु गु पुरीषोत्सर्गे गु प. |१४४२. युजिर् योगे १४४५ युज् उ. धु गतिस्थैर्ययोः १४०० ध्रु १४४३. भञ्जो आमर्दने १४५४ भञ्ज् प. कुड् शब्दे १४०१ कु आ. |१४४४. भुज पालनाभ्य - भुज् । कुछ लोग लिख धातु को कुटादि मानते हैं। वहारयोः १४५५ तुदादिगण के शेष धातु | १४४५. अजू व्यक्तिमर्षण - अञ् प. १४२६. उछि उञ्छे १२९४ उञ्छ् प. कान्तिगतिषु १४५९ १४२७. उच्छी विवासे १२९५ उच्छ् प. १४४६. ओविजी भय - विज् प. १४२८. ऋच्छ गतीन्द्रिय - ऋच्छ प. | चलनयोः १४६१ प्रलयमूर्तिभावेषु १२९६ |१४४७. वृजी वर्जने १४६२ वृज् प. १४२९. मिच्छ उत्क्लेशे १२९७ मिच्छ प. । रुधादिगण के तकारान्त धातु १४३०. जर्ज १२९८ जज् प. |१४४८. कृती वेष्ट ने १४४८ कृत् प. 더 더 641940 디 अष्टाध्यायी सहजबोध भाग - ३ नया mi कक HERE रुधादिगण के दकारान्त धातु |१४७२. डुकृञ् करणे १४७२ कृ उ.. १४४९. छिदिर् द्वैधीकरणे १४४१ छिद् उ. __ व्रयादिगण १४५०. भिदिर् विदारणे १४४० भिद् उ. त्र्यादिगण के अजन्त धातु १४५१. क्षुदिर् सम्पेषणे १४४४ क्षुद् उ. |१४७३. ज्ञा अवबोधने १५०७ ज्ञा उ. १४५२. उच्छृदिर् दीप्तिदेव - रुद् उ. १४७४. षिञ् बन्धने १४७७ सि उ. नयोः १४४६ १४७५. डुक्रीञ् द्रव्य - की उ. १४५३. उतृदिर् हिंसा - तृद् उ. विनिमये १४७३ नादरयोः १४४७ | १४७६. प्रीञ् तर्पणे कान्तौ - प्री १४५४. खिद दैन्ये १४५० खिद् आ. | च १४७४ १४५५. विद विचारणे १४५१ विद् आ. | १४७७. श्रीञ् पाके १४७५ श्री १४५६. उन्दी क्लेदने १४५८ उन्द् प. |१४७८. मीञ् बन्धने १४७६ मी रुधादिगण के धकारान्त धातु | १४७९. स्कुञ् आप्रवणे १४७८ १४७९. स्कुम् आ १४५७. रुधिर् आवरणे १४३९ रुध् उ. |१४८०. युञ् बन्धने १४७९ यु। १४५८. जिइन्धी दीप्तौ १४४९ इन्ध् आ. |१४८१. द्रूञ् १४८१ रुधादिगण के षकारान्त धातु १४८२. क्नूञ् शब्दे १४८० १४५९. शिष्ल विशेषणे १४५२ शिष् प. १४८३. वा वरण १५०४ १४६०. पिष्ल संचूर्णने १४५३ पिण् प. |१०८ | १४८४. भ्री भये १५०५ श्री प. रुधादिगण के सकारान्त धातु | १४८५. क्षीष् हिंसायाम् १५०६ क्षी प. १४६१. हिसि हिंसायाम् १४५७ हिंस् प. १४८६. वृङ् सम्भक्तौ १५०९ वृ आ. रुधादिगण के हकारान्त धातु क्र्यादिगण का ‘प्वादि’ अन्तर्गण १४८७ से १४६२. दृह हिंसायाम् १४५६ तृह - प. १५०८ तक | १४८७. पूञ् पवने १४८२ पू उ. तनादिगण क्र्यादिगण का ल्वादि अन्तर्गण १४८८ से १४६३. तनु विस्तारे १४६३ तन् उ. १५०८ तक १४६४. षणु दाने १४६४ सन् उ. |१४८८. लूञ् छेदने १४८३ लू उ. १४६५. क्षणु हिंसायाम् १४६५ क्षण उ. १४८९. धूञ् कम्पने १४८७ धू उ. १४६६. क्षिणु हिंसायाम् १४६६ क्षिण उ. |१४९०. स्तृञ् आच्छादने १४८४ स्तृ उ. १४६७. ऋणु गतौ १४६७ ऋण उ. १४९१. कृञ् हिंसायाम् १४८५ कृ उ. १४६८. तृणु अदने १४६८ तृण् उ. |१४९२. वृञ् वरणे १४८६ वृ उ. १४६९. घृणु दीप्तौ १४६९ घृण उ. १४९३. शृ हिंसायाम् १४८८ शृ प. १४७०. वनु याचने १४७० वन् आ. | १४९४. पृ पालन - पृ प. १४७१. मनु अवबोधने १४७१ मन् आ. | पूरणयोः १४८९ mi mi mi mi mi mi pro परिशिष्ट (धातुपाठ) ५९७ ध्रस् Hinmolating १४९५. वृ वरणे १४९० वृ प. |१५२३. अश भोजने १५२३ अश् प. (भरण इत्येके) १५२४. उध्रस् उञ्छे १५२४ १४९६. भृ भर्त्सने १४९१ भृ प. १५२५. इष आभीक्ष्ण्ये १५२५ इष् प. १४९७. मृ हिंसायाम् १४९२ । | १५२६. विष विप्रयोगे १५२६ १४९८. दृ विदारणे १४९३ । | १५२७. पुष १५२७ १४९९. जृ वयोहानौ १४९४ जृ प. |१५२८. प्लुष स्नेहनसेवन - प्लुष् १५००. नृ नये १४९५ नृ प. पूरणेषु १५२८ १५०१. कृ हिंसायाम् १४९६ । १५२९. पुष पुष्टौ १५२९ १५०२. ऋ गतौ १४९७ १५३०. मुष स्तेये १५३० १५०३. गृ शब्दे १४९८ १५३१. खच भूतप्रादुर्भाव १५३१ खच् १५०४. ज्या वयोहानौ १४९९ ज्या |१५३२. हेठ च १५३२ हे प. १५०५. री गतिरेषणयोः १५०० री प. १५३३. ग्रह उपादाने १५३३ ग्रह उ. १५०६. ली श्लेषणे १५०१ ली प. | स्तम्भु, स्तम्भु, स्कम्भु, स्कुम्भु रोधने । ये चार १५०७. ब्ली वरणे १५०२ ब्ली प. | धातु सौत्र परस्मैपदी हैं। १५०८. प्ली गतौ १५०३ प्ली प. चुरादिगण ज्यादि गण के हलन्त धातु चुरादिगण के अजन्त धातु व्रयादिगण के अनिदित् हलन्त धातु १५३४. ज्ञा नियोगे १७३२ ज्ञा १५०९. बन्ध बन्धने १५०८ बन्ध् प. १५३५. चिञ् चयने १६२९ चि उ. १५१०. श्रन्थ विमोचन - श्रन्थ् प. | १५३६. च्यु सहने १७४६ च्यु उ. प्रतिहर्षयोः १५०९ (हसने चेत्येके) १५११. मन्थ विलोडने १५१० मन्थ् प. १५३७. भुवोऽवकल्कने १५१२. श्रन्थ सन्दर्भे १५११ श्रन्थ् प. (चिन्तने इत्येके) १५१३. ग्रन्थ सन्दर्भे १५१३ ग्रन्थ् प. १५३८. घृ प्रस्रवणे १६५० १५१४. कुन्थ संश्लेषणे १५१४ कुन्थ् प. | १५३९. पृ पूरणे १५४८ क्र्यादिगण के शेष हलन्त धातु अदुपध धातु १५१५. मृद क्षोदे १५१५ मृद् प. १५४०. लड उपसेवायाम् १५४० लड् १५१६. मृड च १५१६ मृड् प. १५४१. जल अपवारणे १५४३ जल् उ. १५१७. गुध रोषे १५१७ गुध् प. १५४२. नट अवस्यन्दने १५४५ नट् उ. १५१८. कुष निष्कर्षे १५१८ कुष् प. १५४३. श्रथ प्रयत्ने १५४६ श्रथ् उ. १५१९. क्षुभ सञ्चलने १५१९ क्षुभ् प. १५४४. बध संयमने १५४७ । १५२०. णभ. हिंसायाम् १५२० नभ् प. १५४५. प्रथ प्रख्याने १५५३ प्रथ् । १५२१. तुभ हिंसायाम् १५२१ तुभ् प. १५४६. शठ १५६४ शठ् उ. १५२२. क्लिशू विबाधने १५२२ क्लिश् प. | १५४७. श्वठ असंस्कारगत्योः in m m m m m श्वस mi ५९८ अष्टाध्यायी सहजबोध भाग - ३ mi mi mi mi mi 444 __ श्वठि इत्येके १५६५ तोषणनिशामनेषु १६२४ १५४८. श्रण दाने १५७८ श्रण उ. १५७४. यम च परिवेषणे १६२५ यम् उ. १५४९. तड आघाते १५७९ तड् उ. चान्मित् । १५५०. खड भेदने १५८० खड् १५७५. चह परिकल्कने १६२६ चह उ. १५५१. क्षल शौचकर्मणि १५९७ क्षत् । | चप इत्येके १५५२. तल प्रतिष्ठायाम् १५९८ तल् । | १५७६. रह त्यागे १६२७ रह् । १५५३. कल क्षेपे १६०४ १५७७. बल प्राणने १६२८ बल् । १५५४. चल भृतौ १६०८ चल् उ. चिञ् चयने १६२९ चि उ. १५५५. लष हिंसायाम् १६१० लष् उ. इदुपध धातु १५५६. व्रज मार्गसंस्कार - उ. १५७८. पिस गतौ १५६८ पिस् उ. . गत्योः १६१७ १५७९. ष्णिह स्नेहने १५७२ स्नेह उ. १५५७. गज शब्दार्थः १६४७ गज् । |१५८०. स्मिट अनादरे १५७३ स्मिट उ १५५८. हलप व्यक्तायां - हलप उ. |१५८१. श्लिष श्लेषणे १५७४ श्लिष् उ. वाचि १६५८ १५८२. पिच्छ कुट्टने १५७६ पिच्छ् उ. क्लप इत्येके, हप इत्यन्ये |१५८३. विल क्षेपे १६०५ विल् उ. १५५९. कण निमीलने १७१५ कण् उ. |१५८४. बिल भेदने १६०६ बिल् उ. १५६०. पश बन्धने १७१९ पश् उ. |१५८५. तिल स्नेहने १६०७ तिल् उ. १५६१. अम रोगे १७२० |१५८६. तिज निशातने १६५२ तिज् उ. १५६२. चट भेदने १७२१ | १५८७. डिप क्षेपे १६७१ डिप् उ. १५६३. घट संघाते १७२३ घट उ. |१५८८. इल प्रेरणे १६६० इल १५६४. लस शिल्पयोगे १७२८ लस् उ. उदुपध धातु १५६५. भज विश्राणने १७३३ भज् १५८९. चुर स्तेये १५३४ चुर् १५६६. यत निकारो - |१५९०. चुद संचोदने १५९२ चुद् । पस्कारयोः १७३५ |१५९१. तुल उन्माने १५९९ तुल् । १५६७. रक १७३६ रक् उ. |१५९२. दुल उत्क्षेपे १६०० मा दुल् १५६८. लग आस्वादने १७३७ लग् । |१५९३ पुल महत्वे १६०१ पुत् । १५६९. त्रस धारणे १७४१ त्रस् । १५९४. चुल समुच्छ्राये १६०२ चुल् उ. १५७०. नस स्नेहच्छेदा - |१५९५. चुट छेदने १६१३ चुट उ. पहरणेषु १७४४ |१५९६. मुट संचूर्णने १६१४ मुट् उ. १५७१. चर संशये १७४५ चर् उ. १५९७. शुठ आलस्ये १६४४ शुल् उ. १५७२. ष्वद आस्वादने १८०५ स्वद् उ. |१५९८. जुड प्रेरणे १६४६ जुड् उ. ज्ञपादि छह मित् धातु |१५९९. स्फुट भेदने १७२२ स्फुट उ. १५७३. .ज्ञप ज्ञानज्ञापनमारण - ज्ञप उ. १६००. मुद संसर्गे १७४० मुद् उ. अम् mi mi mi mi mi mi mi mi mi mi mi mi mi परिशिष्ट (धातुपाठ) मादन चर्च् 444 m nm १६०१. मुच प्रमोचने - मुच् उ. |१६२६. ब्रूस १६६३ ब्रूस् उ. मोदने च १७४३ १६२७. बर्ह हिंसायाम् १६६४ । १६०२. रुष रोषे १६७० रुष् उ. १६२८. गुर्द पूर्वनिकेतने १६६५ । (रुट इत्येके) १६२९ ईड स्तुतौ १६६७ । १६०३. ष्टुप समुच्छ्राये १६३०. चर्च अध्ययने १७१२ १६०४. घुषिर् विशब्दने १७२६ घुष् उ. १६३१. बुक्क भषणे १७१३ बुक्क् १६३२. शब्द उपसर्गादा - ऋदुपध धातु शब्द् उ. विष्कारे च १७१४ १६०५. पृथ प्रक्षेपे १५५४ पृथ । १६३३. षूद क्षरणे १७१७ सूद् उ. ऋदुपध धातु १६३४. · अर्ज प्रतियत्ने १७२५ अर्ज उ. १६०६. कृत संशब्दने १६५३ कीत् उ. १६३५. आङः क्रन्द - आक्रन्द् उ. शेष हलन्त धातु सातत्ये १७२७ १६०७. पुंस अभिवर्धने १६३७ पुंस् उ. १६३६. भूष अलङ्करणे १७३० भूष् उ. १६०८. षम्ब सम्बन्धने १५५५ सम्ब १६३७. लक्ष दर्शनाङ्क - लक्ष् उ. १६०९. शम्ब सम्बन्धने १५५६ शम्ब् उ. | नयोः १५३८ १६१०. लुण्ट स्तेये १५६३ लुण्ट उ. |१६३८. पीड अवगाहने १५४४ पीड उ. १६११. घट्ट चलने १६३० घट् उ. |१६३९. ऊर्ज बलप्राण - ऊर्जु उ. १६१२. मुस्त सङ्घाते १६३१ ।। मुस्त् उ. नयोः १५४९ १६१३. खट्ट संवरणे १६३२ खट् उ. १६४०. पक्ष परिग्रहे १५५० १६१४. षट्ट १६३३ सट् उ. १६४१. वर्ण १५५१ १६१५. स्फिट्ट हिंसायाम् १६३४ स्फिट् उ. |१६४२. चूर्ण प्रेरणे १५५२ चूर्ण उ. १६१६. पूल सङ्घाते १६३६ पूल उ. |१६४३. भक्ष अदने १५५७ भक्ष् उ. १६१७. धूस कान्तिकरणे १६३९ धूस् उ. |१६४४. कुट्ट छेदनभर्त्स - कुट् उ. १६१८. कीट वर्णे १६४० कीट उ. | नयोः १५५८ १६१९ चूर्ण सङ्कोचने १६४१ चूर्ण उ. |१६४५. पुट्ट १५५९ पुट्ट उ. १६२० पूज पूजायाम् १६४२ पूज् उ. |१६४६. चुट्ट अल्पीभावे १५६० चुट् उ. १६२१. मार्ज शब्दार्थः १६४८ मा |१६४७. अट्ट १५६१ अट् उ. १६२२. मर्च च १६४९ मर्च् उ. |१६४८. षुट्ट अनादरे १५६२ सुट् उ. १६२३. वर्ध छेदन - वर्ध उ. |१६४९ षान्त्व सम्प्रयोगे १५६९ सान्त्व् उ. पूरणयोः १६५४ | १६५०. श्वल्क परिभाषणे १५७० श्वल्क् उ. १६२४. म्रक्ष म्लेच्छने १६६१ म्रक्ष् उ. |१६५१. वल्क परिभाषणे १५७१ वल्क् उ. १६२५. म्लेच्छ अव्यक्तायां - म्लेच्छ उ. |१६५२. छर्द वमने १५८९ छर्ट्स उ. वाचि १६६२ |१६५३. पुस्त १५९० वर्ण पुस्त् उ. ६०० अष्टाध्यायी सहजबोध भाग - ३ ५ बह उ. पंस् उ. १६५४. बुस्त आदराना - बुस्त् उ. | निकेतनेषु तुज, पिज दरयोः १५९१ . इति केचित् । लज, १६५५. नक्क १५९३ नक्क् उ. लुजि इत्येके १५६७ १६५६. धक्क नाशने १५९४ धक्क् उ. १६७८. पथि गतौ १५७५ पन्थ् उ. १६५७. चक्क १५९५ चक्क् उ. १६७९. छदि सम्वरणे १५७७ । छन्द् उ. १६५८. चुक्क व्यथने १५९६ ।। चुक्क् उ. १६८०. खडि १५८१ खन्ड् उ. १६५९. मूल रोहणे १६०३ . मूल उ. १६८१. कुडि भेदने १५८२ कुन्ड् उ. १६६०. पाल रक्षणे १६०९ पाल् उ. |१६८२. कुडि रक्षणे १५८३ कुन्ड् उ. १६६१. शुल्ब माने १६११ शुल्ब् उ. |१६८३. गुडि वेष्टने १५८४ गुन्ड् उ. १६६२. शूर्प च १६१२ शूर्प उ. |१६८४. खुडि खण्डने १५८५ । खुन्ड् उ. १६६३. शुल्क अतिस्पर्शने शुल्क् उ. |१६८५. वटि विभाजने १५८६ वन्ट् उ. अतिसर्जने इत्येके १६१८ १६८६. मडि भूषायाम् - मन्ड् उ. १६६४. श्वर्त गत्याम् १६२२ श्व उ. हर्षे च १५८७ १६६५. श्वभ्र च १६२३. श्वभू १६८७. भडि कल्याणे १५८८ भन्ड् उ. १६६६. अर्ह पूजायाम् १७३१ अर्ह उ. १६८८. पडि नाशने १६१५ पन्ड् उ. १६६७. बर्ह १७६९ | १६८९ पसि नाशने १६१६ १६६८. वल्ह भाषार्थी, वल्ह उ. |१६९०. चपि गत्याम् १६१९ , चम्प् उ. भासार्थो वा १७७० १६९१. क्षपि क्षान्त्याम् १६२० क्षम्प् उ. १६६९. अर्क स्तवने १६४३ |१६९२. छजि कृच्छ्र - छन्ज उ. तपन इत्येके जीवने १६२१ १६७०. यत्रि संकोचे १५३६ । यन्त्र उ. १६९३. चुबि हिंसायाम् १६३५ चुम्ब् उ. १६७१. कुद्रि अनृत - कुन्द्र उ. १६९४. टकि बन्धने १६३८ टन्क् उ. _भाषणे १५३९ |१६९५. शुठि शोषणे १६४५ शुन् उ. चुरादिगण के वैकल्पिक णिच् वाले धातु |१६९६. पचि विस्तार - पन्च् उ. १. वैकल्पिक णिच् वाले इदित्, ईदित्, | वचने १६५१ उदित्, ऊदित् तथा अन्य धातु |१६९७. कुबि आच्छादने १६५५ कुम्ब् उ. १६७२. चिति स्मृत्याम् १५३५ चिन्त् उ. |१६ |१६९८. लुबि १६५६ लुम्ब् उ. १६७३. स्फुडि परिहासे १५३७ स्फुन्ड् उ. |१६९९. तुबि अदर्शने १६५७ तुम्ब् उ. १६७४. मिदि स्नेहने १५४१ मिन्द् उ. १७००. चुटि छेदने १६५९ चुन्ट् उ. १६७५ ओलडि लन्ड् उ. १७०१. जसि रक्षणे १६६६ जंस उ. उत्क्षेपणे १५४२ |१७०२. पिडि सङ्घाते १६६९ पिन्ड् उ. १६७६. तुजि १५६६ तुन्ज् उ. | १७०३. जभि नाशने १७१६ जम्भ् उ. १६७७. पिजि हिंसाबलादान - पिन्ज उ. | १७०४. तसि अलङ्करणे १७२९ तंस् उ. व FEEEEEEEEEEEEEEEEE परिशिष्ट (धातुपाठ) घट नद् नद् नट तड् नल् पुट लुट् pipi poi mi ni mi mi mi mi mi mi mi mi mi ni दिव् पुथ् कुप् रुट १७०५. लिगि चित्रीकरणे १७३९ लिन्ग उ. |१७२२. घट १७६६ पूरी आप्यायने १८०३ पूर् उ. |१७२३. णद १७७८ वृजी वर्जने १८१२ वृज् उ. १७२४. नट १७९१ छूदी संदीपने १८२० कृद् उ. |१७२५. तड १८०१ दृभी ग्रन्थे (भये) १८२१ दृभ् उ. १७२६. नल च १८०२ १७०६. अञ्चु विशेषणे १७३८ अञ्च् उ. १७२७. पुट १७५३ वञ्चु प्रलम्भने १७०३ वञ्च् उ. १७२८. लुट १७५४ १७०७ दिवु मर्दने १७२४ दिव् उ. १७२९. गुप १७७१ दिवु परिकूजने . |१७३०. पुथ १७७५ १७०८. जसु ताडने १७१८ जस् उ. १७३१. कुप १७७९ १७०९ जसु हिंसायाम् १६६८ |१७३२. रुट १७८३ १७१०. शृधु प्रसहने १७३४ वृतु १७८१ १७११. वृतु १७८१ वृत् उ. वृधु १७८२ १७१२. वृधु भाषार्थौ १७८२ वृध् उ. १७३३. तुजि १७५५ . तनु श्रद्धोपकरणयोः, तन् |१७३४. मिजि १७५६ उपसर्गाच्चदैर्ये - १७३५. पिजि १७५७ चन श्रद्धो पहननयोः |१७३६. लुजि १७५८ इत्येके १८४० १७३७ भजि १७५९ १७१३. उध्रस उञ्छे १७४२ उध्रस् उ. १७३८. लघि १७६० मृजू शौचा - मृज् । |१७३९. त्रसि १७६१ लङ्कारयोः १८४८ १७४०. पिसि १७६२ भुवोऽवकल्कने भू उ. |१७४१. कुसि १७६३. चिन्तने इत्येके १७४२ दशि १७६४ १७१४. कृप अवकल्कने १७४८ कल्प उ. १७४३ कुशि १७६५ २. चुरादिगण के वैकल्पिक णिच् वाले |१७४४ घटि १७६७ ‘आस्वदीय’ अन्तर्गण के धातु |१७४५ बृहि १७६८ १७१५. ग्रस ग्रहणे १७४९ ग्रस् |१७४६. लजि १७८४ १७१६. दल विदारणे १७५१ दत् |१७४७. अजि १७८५ १७१७. रुज हिंसायाम् १८०४ रुज् उ. |१७४८. दसि १७८६ १७१८. पुष धारणे १७५० |१७४९. भृशि १७८७ १७१९. जि (जुचि) १७९३ |१७५०. रुशि १७८८ १७२०. चि १७९४ |१७५१. रुसि १७९० १७२१. पट १७५२ |१७५२. पुटि १७९२ वृध् उ. तुन्ज् उ. मिन्ज् उ. पिन्ज उ. लुन्ज् उ. भन्ज् उ. लन्घ् उ. त्रस् उ. पिंस् 444 __ कुंस् उ. दंश् उ. कुंश् उ. घन्ट उ. बृंह उ. लन्ज् उ. अन्ज् y_p_by m m _ दस् _ m m m m भृश् उ. रुंश् उ. __ रुस् उ. m पुन्ट उ. ६०२ अष्टाध्यायी सहजबोध भाग - ३ अंह

m १७५३. रघि १७९५ रन्घ् उ. १७७५. षह मर्षणे १८०९ १७५४. लघि १७९६ लन्घ् उ. १७७६. तप दाहे १८१८ तप् उ. १७५५.. अहि १७९७ १७७७. श्रथ मोक्षणे १८२३ । श्रथ् उ. १७५६. रहि १७९८ रंह उ. |१७७८. छद अपवारणे १८३३ छद् उ. १७५७. महि १७९९ मंह उ. १७७९ तनु श्रद्धोपकरणयोः, तन् उ. १७५८. लडि १८०० लन्ड् उ. उपसर्गाच्चदैर्घ्य, चन .. १७५९. विच्छ १७७३ विच्छ् उ. श्रद्धोपहननयोः १७६०.. चीव १७७४ चीव् उ. इत्येके १८४० १७६१. लोकृ १७७६ लोक उ. |१७८०. वद सन्देशवचने १८४१ वद् उ. १७६२. लोच १७७७ लोच उ. १७८१. वच परिभाषणे १८४२ वच् उ. १७६३. तर्क १७८० त उ. |१७८२. आङः षद पद्यर्थे १८३१ आसद् उ. १७६४. शीक १७८९ शीक् उ. इदुपध आधृषीय धातु १७६५ धूप भाषार्थाः, १७७२ धूप उ. १७८३. रिच वियोजन - रिन् । भासार्थाः वा | सम्पर्चनयोः १८१६ १७६६ पूरी आप्यायने १८०३ पूर् उ. |१७८४. शिष असर्वोपयोगे १८१७ शिष् ३. चुरादिगण के वैकल्पिक णिच् वाले |१७८५. युज संयमने १८०६ युज् उ. आधृषीय अथवा युजादि १७८६. जुष परितर्कणे १८३४ जुष् उ. अन्तर्गण के धातु ऋदुपध आधृषीय धातु इकारान्त आधृषीय धातु १७८७. पृच संयमने १८०७ पृच् । १७६७. ली द्रवीकरणे १८११ ली १७८८. वृजी वर्जने १८१२ वृज् उ. १७६८. जि वयोहानौ १८१५ जि उ. १७८९. तृप तृप्तौ १८१९ तृप् । १७६९. मी गतौ १८२४ मी १७९०. छूदी संदीपने १८२० छूद् । १७७०. प्रीञ् तर्पणे १८३६ |१७९१. दृभी ग्रन्थे (भये) १८२१ दृभ् । उकारान्त आधृषीय धातु १७९२. दृभ सन्दर्भे १८२२ दृश् उ. १७७१. भू प्राप्तौ १८४४ भू उ. १७९३. मृजू शौचा - मृज् उ. आत्मनेपदी णिच् । लङ्कारयोः १८४८ सन्नियोगेनैव १७९४. मृष तितिक्षायाम् १८४९ मृष् उ. १७९५. धृष प्रसहने १८५० आत्मनेपदमित्येके धृष् उ. धू .१७७२. धूञ् १८३५ शेष आधृषीय धातु उ. ऋकारान्त आधृषीय धातु |१७९६. ग्रन्थ बन्धने १८२५ ग्रन्थ उ. वृ १७७३. वृञ् आवरणे १८१३ |१७९७. ग्रन्थ सन्दर्भे १८३८ उ. | ग्रन्थ् उ. १७७४. जृ वयोहानौ १८१४ १७९८ श्रन्थ सन्दर्भे १८३७ → श्रन्थ उ. १७९९. शुन्ध शौचकर्मणि १८३२ शुन्ध् उ. अदुपध आधृषीय धातु m m in m n m m m m m . परिशिष्ट (धातुपाठ) ६०३ mi mi mi mi mi mi १८००. हिसि हिंसायाम् १८२९ हिंस् उ. |१८२१. भल आभण्डने १७०० भल् आ. १८०१. कठि शोके, प्रायेण कन्ठ उ. १८२२. मद तृप्तियोगे १७०५ मद् आ. उत्पूर्वः १८४७ इदुपध आकुस्मीय धातु १८०२. अर्च पूजायाम् १८०८ अर्च् उ. १८२३. चित संचेतने १६७३ चित् आ. १८०३. ईर क्षेपे १८१० ईर् उ. |१८२४. डिप संघाते १६७७ डिप् आ. १८०४. शीक आमर्षणे १८२६ शीक् उ. १८२५. दिवु परिकूजने दिव् आ. १८०५. चीक आमर्षणे १८२७ चीक् |१८२६. विद चेतनाख्यान - विद् आ. १८०६. अर्द हिंसायाम् १८२८ अर्द्ध उ. निवासेषु १७०६ १८०७. अर्ह पूजायाम् १८३० अर्ह उदुपध आकुस्मीय धातु र १८०८. आप्लु लम्भने १८३९ आप् । १८२७. त्रुट छेदने १६९८ त्रुट आ. १८०९. मान पूजायाम् १८८३ मान् उ. __ऋदुपध आकुस्मीय (तु १८१०. गर्ह विनिन्दने १८४५ गई - |१८२८. वृष शक्तिबन्धने १७०४ वृष् आ. १८११. मार्ग अन्वेषणे १८४६ मार्ग शेष आकुस्मीय धातु कत्र शैथिल्ये कन् । १८२९. तर्ज तर्जने १६८१ तर्ज कर्त इत्येके १९१४ १८३०. दशि दंशने १६७४ दंश् अर्थ उपयाच्ञायाम् १९०५ अर्थ |१८३१. दसि दर्शन - गर्व माने १९०७ गर्व दंशनयोः १६७५ मूत्र प्रस्रवणे १९०९ मूत्र १८३२. तत्रि कुटुम्ब - तन्त्र आ. पत गतौ, वा णिजन्तः, पत् उ. धारणे १६७८ . वा अदन्त इत्येके १८६१ |१८३३. मत्रि गुप्तपरि - मन्त्र आ. चुरादिगण का आकुस्मीय अन्तर्गण । भाषणे १६७९ अजन्त आकुस्मीय धातु | १८३४. भर्त्स तर्जने १६८२ भ… १८१२. यु जुगुप्सायाम् १७१० यु आ. |१८३५. बस्त अर्दने १६८३ बस्त् आ १८१३. गृ विज्ञाने १७०७ गृ १८३६. गन्ध अर्दने १६८४ गन्ध् । अदुपध आकुस्मीय धातु | १४३७. विष्क हिंसायाम् १६८५ विष्क् आ. १८१४. डप सङ्घाते १६७६ डप् आ. १८३८. निष्क परिमाणे १६८६ निष्क् आ. १८१५. स्पश ग्रहण - स्पश् आ. |१८३९. कूण सङ्कोचे १६८८ कूण आ. संश्लेषणयोः १६८० |१८४०. तूण पूरणे १६८९ तूण १८१६. लल ईप्सायाम् १६८७ लल् आ. |१८४१. भ्रूण आशा - भ्रूण् आ. १८१७. शठ श्लाघायाम् १६९१ शठ् आ. विशङ्कयोः १६९० १८१८. स्मय वितर्के १६९३ स्मय आ. |१८४२. यक्ष पूजायाम् १६९२ यक्ष् । १८१९. शम आलोचने १६९५ शम् आ. |१८४३. गूर उद्यमने १६९४ गूर आ. १८२०. गल स्रवणे १६९९ . गल् आ. .१८४४. लक्ष आलोचने १६९६ लक्ष् आ ल ल ल के ६०४ अष्टाध्यायी सहजबोध भाग - ३ आ. १८४५. कुत्स अनक्षेपणे १६९७ कुत्स् आ. |१८७१. पत गतौ वा णिजन्तः, पत् उ. १८४६. कूट आप्रदाने १७०१ कूट आ. वा अदन्त इत्येके १८६१ __अवसादने इत्येके १८७२. पष अनुपसर्गात् - पष् उ. १८४७. कुट्ट प्रतापने १७०२ कुट् आ. गतौ १८६२ ।। १८४८. वञ्चु प्रलम्भने वन्च् उ. १८७३. स्वर आक्षेपे १८६३ स्वर् उ. १८४९. मान स्तम्भने १७०९ मान् आ. |१८७४. रच प्रतियत्ने १८६४ रच् उ. १८५०. कुस्म नाम्नो वा १७११ कुस्म् आ. |१८७५. कल गतौ, संख्याने - कल् उ. चुरादिगण के अदन्त धातुओं का वर्ग च १८६५ अदन्त धातुओं के अन्तर्गत, आगर्वीय धातु १८७६. चह परिकल्कने १८६६ चह उ. १८५१. पद गतौ पद् आ. |१८७७. मह पूजायाम् १८६७ मह उ. १८५२. गृह ग्रहणे १८९९ गृह आ. |१८७८. सार १८६८ __सार् उ. १८५३. मृग अन्वेषणे १९०० मृग् आ. १८७९. कृप १८६९ कृप् उ. १८५४. कुह विस्मापने १९०१ कुह |१८८०. श्रथ दौर्बल्ये १८७० श्रथ् उ. १८५५. शूर १९०२ शूर् आ. १८८१. स्पृह ईप्सायाम् १८७१ स्पृह् १८५६. वीर विक्रान्तौ १९०३ वीर् आ. १८८२. भाम क्रोधने १८७२ भाम् । १८५७. स्थूल परिबृंहणे १९०४ स्थूल् आ. १८८३. सूच पैशुन्ये १८७३ सूच् उ. १८५८. सत्र सन्तान - सत् आ. |१८८४. खेट भक्षणे, १८७४ खेट् उ. क्रियायाम् १९०६ खोट इति अन्ये १८५९. अर्थ उपयाच्या - अर्थ . आ. १८८५. क्षोट क्षेपे १८७५ क्षोट उ. याम् १९०५ |१८८६. गोम उपलेपने १८७६ गोम् । १८६०. गर्व माने १९०७ गर्व आ. |१८८७. कुमार क्रीडायाम् १८७७ कुमार् उ. चुरादिगण के शेष अदन्त धातु १८८८. शील उपधारणे १८७८ शील् उ. १८६१.. कथ वाक्यप्रबन्धे १८५१ कथ् उ. १८८९. साम सान्त्व - साम् उ. १८६२. वर ईप्सायाम् १८५२ वर् । प्रयोगे १८७९ १८६३. गण संख्याने १८५३ १८९०. वेल कालोपदेशे, १८६४. शठ १८५४ काल इति पृथग् । १८६५. श्वठ सम्यगव - धातुरित्येके १८८० भाषणे १८५५ पल्यूल लवन - पल्यूल उ. १८६६. पट १८५६ पवनयोः १८८१ १८६७. वट ग्रन्थे वट |१८९२. वात सुखसेवनयोः, वात् उ. १८६८. रह त्यागे १८५८ गतिसुखसेवनेषु १८६९. स्तन देवशब्दे १८५९ स्तन् उ. इति केचित् १८८२. १८७०. गद देवशब्दे १८६० गद् उ. १८९३. गवेष मार्गणे १८८३ गवेष् उ. n m mi FOR NA m m m m m m परिशिष्ट (धातुपाठ) ६०५ १८९४. वास उपसेवायाम् १८८४ वास् उ. | आख्यानात्कृतस्तदाचष्टे कृल्लुक्प्रकृति - . १८९५. निवास - निवास् उ. प्रत्ययापत्तिः प्रकृतिवच्च कारकम्। आच्छादने १८८५ कर्तृकरणाद्धात्वर्थे । १८९६. भाज पृथक्कर्मणि १८८६ भाज् उ. १९१६. वष्क दर्शने १९१६ वष्क् उ. १८९७. सभाज प्रीतिदर्शनयोः, सभाज् उ. |१९१७. चित्र चित्रीकरणे - चित्र उ. प्रीतिसेवनयो - __१९१७ कदाचिद्दर्शने रित्येके १८८७ १९१८. अंस समाघाते १९१८ अंस् उ. १८९८. ऊन परिहाणे १९८८ ऊन उ. |१९१९. वट विभाजने १९१९ वट् उ. १८९९. ध्वन शब्दे १८८९ ध्वन् उ. १९२०. लज प्रकाशने १९२० लज् उ. १९००. कूट परितापे १८९० कूट उ. वटि लजि इत्येके परिदाह इत्यन्ये १९२१. मिश्र सम्पर्के १९२१ मिथ्र उ. १९०१. संकेत १८९१ संकेत् १९२२. सङ्ग्राम युद्धे १९२२ सङ्ग्राम् आ. १९०२. ग्राम १८९२ ग्राम् उ. अयमनुदात्तेत् १९०३. कुण १८९३ । कुण् उ. |१९२३. स्तोम श्लाघायाम् १९२३ स्तोम् उ. १९०४. गुण चामन्त्रणे १८९४ गुण – १९२४. छिद्र कर्णभेदने करण छिद्र उ. १९०५. केत श्रावणे - केत् उ. भेदने इत्येके कर्ण इति निमन्त्रणे १८९५ धात्वन्तरमित्यपरे १९२४ १९०६. कूट सङ्कोचनेऽपि - कूट उ. १९२५. अन्ध दृष्टयुपघाते अन्ध् उ. १८९६ उपसंहार इत्येके १९२५ १९०७. स्तेन चौर्ये १८९७ स्तेन् उ. |१९२६. दण्ड दण्ड - दण्ड् उ. १९०८. सूत्र वेष्टने १९०८ सूत्र उ. निपातने १९२६ १९०९. मूत्र प्रस्रवणे १९०९ मूत्र उ. १९२७. अङ्क पदे लक्षणे - अफ् उ. १९१०. रूक्ष पारुष्ये १९१० रूक्ष् उ. च १९२७ . १९११. पार १९११ १९२८. अग १९२८ अङ्ग उ. १९१२. तीर कर्मसमाप्तौ १९१२ तीर् | १९२९ सुख १९२९ सुख् उ. १९१३. पुट संसर्गे १९१३ १९३०. दुःख तत्क्रियायाम् १९३० दुःख् उ. १९१४. धेक दर्शने १९१४ धेक् उ. | १९३१. रस आस्वादन - रस् उ. १९१५. कत्र शैथिल्ये स्नेहनयोः १९३१ कर्त इत्येके |१९३२. व्यय वित्त - प्रातिपदिकाद्धात्वर्थे बहुलमिष्ठवच्च । समुत्सर्गे १९३२ तत्करोति तदाचष्टे । १९३३. रूप रूपक्रियायाम् १९३३ रूप् उ. तेनातिकामति। १९३४. छेद द्वैधीकरणे १९३४ छेद् धातु रूपं च। १९३५. छद अपवारणे १९३५ छद् उ. पुट m m m m m कन् व्यय mi ६०६ अष्टाध्यायी सहजबोध भाग - ३ १९३६. लाभ प्रेरणे १९३६ लाभ उ. | १९६५. लोट् धौ] स्वप्ने - लोट् प. १९३७. व्रण गात्रविचूर्णने १९३७ व्रण पूर्वाभावे च १९३८. वर्ण वर्णगुणक्रिया - वर्ण उ. | १९६६. लेला दीप्तौ लेला प. विस्तारवचनेषु १९३८ १९६७. मेधा आशुग्रहणे मेधा प. १९३९. पर्ण हरितभावे १९३९ पर्ण उ. |१९६८. एला एला प. १९४० विष्क दर्शने १९४० विष्क् उ. १९६९. केला केला १९४१. क्षिप प्ररेणे १९४१ क्षिप् १९७०. खेला विलासे खेला १९४२. वस निवासे १९४२ वस् उ. १९७१. लेखा स्खलने च लेखा प. १९४३. तुत्थ आवरणे १९४३ तुत्थ् उ. १९७२. रेखा श्लाघासादनयोः रेखा - कण्ड्वादिगण १९७३. महीङ् पूजायाम् _ मही १९४४. कुषुभ क्षेपे कुषुभ् प. [१९७४. हृणीङ् रोषणे - हणी आ. १९४५. सुख तत्क्रियायाम् सुख् प. | लज्जायाम् च १९४६. दुःख तत्क्रियायाम् दुःख प. | १९७५. कण्डू गात्रविघर्षणे कण्डू १९४७. सपर पूजायाम् सपर् प. १९७६. मन्तु अपराधे मन्तु प. १९४८. अरर आराकर्मणि अरर् प. | १९७७. वल्गु पूजामाधुर्ययोः वल्गु प. १९४९. इषुध शरधारणे इषुध् प. | १९७८. असु उपतापे असु प. १९५०. चरण चरण प. | १९७९. इरस् इरस् प. १९५१. वरण गतौ वरण् प. | १९८०. इरज् इरज् प. १९५२. चुरण चौर्ये - चुरण प. १९८१. इरञ् ईर्ष्यायाम् । इर् प. १९५३. तुरण त्वरायाम् तुरण प. |१९८२. उषस् प्रभातीभावे . उषस् प. १९५४. भुरण धारणपोषणयोः भुरण प. १९८३. तन्तस् तन्तस् प. १९५५. गद्गद वाक्स्खलने | १९८४. पम्पस् दुःखे पम्पस् प. १९५६. लिटअल्पकुत्सनयोः लिट् प. १९८५. भिषज् चिकित्सायाम् भिषज् प. १९५७. लाट जीवने लाट प. १९८६. भिष्णज् चिकित्सायाम् भिष्णज् प. १९५८. अगद नीरोगत्वे अगद् प. १९५९. तरण गतौ १९८७. द्रवस् परितापपरि - द्रवस् प. तरण प. चरणयोः १९६०. अम्बर अम्बर् प. १९६१. संवर संवरणे संवर् प. १९८८. तिरस् अन्तर्धी तिरस् प. १९६२. वेद धौर्ये स्वप्ने च वेद् प. १९८९. उरस् बलार्थः उरस् प. १९६३. मगध परिवेष्टने मगध् प. | १९९०. पयस् प्रसृतौ पयस् प. १९६४. लेट लेट प. |१९९१. संभूयस् प्रभूतभावे संभूयस् प. चरण धातु - सूची ४१० । धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क अ . अदि ४३४ अश १५२३ |इल १३२५ | उङ् ७७ अक ९३९ अन १०७४ अशू १२७० |इल १५८८ | उच ११३६ अकि ५२४ अनोरुध १२२६ । अस २७३ इवि ४२८ | उच्छि ४७६ असू ३२ अन्ध १९२५ | | अस १०६७ |इष १२११ उच्छी ४१४ अग ९४० अबि ५७८ | असु ११०८ | इष १५२५ | उच्छी १४२६ अगद १९५८ अभ्र ८३८ | असु १९७८ |इष १३११ |उच्छी १४२७ अगि ४५७ अम १८८ अह १२६५ |इषुध १९४९ | उज्झ १४३५ अघि ५३३ अम १५६१ | अहि ५९० | ई. | उठ ३४४ अङ्क १९२७ अम्बर १९६० | अहि १७५५ | ईक्ष ४२२ | उध्रस १७१३ अङ्ग १९२८ अय २४९ अंस १९१८ | ईखि ४५४ | उध्रस १५२४ अज १३६ ईङ् आ . ११९० उन्दी १४५६ः.. अरर १९४८ अजि १७४७ ४२० आछि ४७५ उब्ज अर्क १४३४ १६६९ अञ्चु ५९७ आप्ट १८०८ उभ १३४५ अर्च ७७१ अञ्चु ७१३ आप्ल १२७७ | उम्भ १३९२ अर्च १८०२ अञ्चु १७०६ आस १०६२ ईड १६२९ | उरस् १९८९ ७७५ अञ्चु १४५६ ईर १०५६ | उर्द ४०४ अट १४३ अर्ज १६३४ १०२७ __१८०३ उर्वी ३९५ अट्ट १६४७ १८५९ २९० ४१२ । | उष. ३५६ अट्ट ७८४ ४५३ | उषस् १९८२ अठि . ५५३ ७५९ ४७३ ईष ४२३ |उहिर् ३७४ अड १७४ १०२६ ईष ४१५ । ऊ . . अड्ड ७९२ ईर्घ्य ४१३ ऊन १८९८ अण १२०६ अर्ह ८९६ ईह ४२४ ऊयी ४२७ अण १७३ अर्ह १६६६ | उ. ऊर्ज १६३५ अत १२१ | अर्ह १८०७ | इरस् १९७९ उक्ष ४१६ ऊर्गुञ् १०३८ अति ४३३ | अल १९१ | इरज् १९८० उख ३२६ ऊष ४१७ अद १०५३ | अव २०३ | इरञ् १९८१ | उखि ४४७ |ऊह ४२५ १८०६ ईश __4924 १०५८ 「丽阴“疏“派“丽丽“派“派“派 ८०० ८५४ ४३५ ६०८ अष्टाध्यायी सहजबोध भाग - ३ धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क __ऋ . कगे ९२२ कल १८७५ | कुड १४१२ | कूट १८४६ ऋ २ कच २४७ कल १५५३ | कुडि १६८२ | कूट १९०० ऋ १०९७ | कचि ५३७ |कष २०४ । कुडि ४७९ | कूण १८३९ ऋच १३६९ | कटी २३१ कस ९९२ | कुडि ५६० | कूल ८२८ ऋच्छ १४२८ | कटे २८३ कसि १०६४ __१६८१ । कृञ् १२६० ऋज ३८७ | कठ १६० । काक्षि ५०२ | कुण १३५१ | कृञ् १४७२ ऋजि ५४२ | कठि ५५६ काचि ५३८ कुण १९०३ । कृड १४११ ऋणु १४६७ | कठि १८०१ काश्रृ ७१९ | कुत्स १८४५ | कृती १३०३ ऋधु १२७५ | कड१४०९ काशृ १२४४ | कुथ १२१९ | कृती १४४८ ऋधु ११५१ | कड १७७ कासृ ७११ कुथि ४२९ | कृप १८७९ ऋफ १३७२ | कडि ५७३ | कि १०८९ | कुद्रि १६७१ | कृप १७१४ ऋम्फ १३९० | कड्ड ७९३ | किट २९१ | कुन्थ १५१४ | कृपू ३४ ऋषी १३६८ | कण १७८ | किट ३०० कुन्स ११८६ कृवि ३० ऋ. कण ९४१ / कित २० । कुप ११३८ कृश ११४८ ऋ १५०२ | कण १५५९/किल १३२२ कुप १७३१ | कृष ३८३ ए. कण्डूञ् १९७५ कीट १६१८ कृष १३६७ एज़ ४१९ कत्र १९१५ | कील ८२७ । कुबि १६९७ | कृ १५०१ एजृ ४०९ | कथ १८६१ कु १०३७ | कुमार १८८७ - कृ १२९५ एठ ४२१ | कत्थ ७५७ कुक ३६९ । कुर १३५६ | कृञ् १४९१ एध ४१८ | कदि ४४२ कुङ् ६४ | कुर्द ४०५ | कृत १६०६ एला १९६८ | कदि ९५६ | कुङ् १२८७ | कुल १००० | केत १९०५ ए” ४२६ | कनी २३२ कुच ३२८ | केपृ ६८२ ओ . कपि ५७५ कुच १००३ कुष १५१८ । | केला १९६९ ओख ४०८ | कवृ २७१ कुच १३९७ कुषुभ १९४४ | केल ६५६ - ओण ४११ । कमु ३८ | कुजु ३३३ कुंस ११८६ | कै १०२ __क. कर्ज ७७९ कुञ्च ५९४ कुसि १७४१ | क्नसु ११९९ कक २४२ कुट १३९५ | कुस्म १८५० | क्नूञ् १४८२४ ककि ५२७ | कर्ब ८०५ कुट्ट १६४४ | कुह . १८५४ | क्नूयी ६२५ कख . १२२ | कर्व ८५१ | कुट्ट १८४७ | कूज ७७४ | क्मर २०० कखे ९१७ । कल २६२ |कुठि ४४८३| कूट १९०६ । क्रथ ९४९ कर्द ७६२ ६०९ परिशिष्ट (धातुसूची) FEE धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क क्रदि ९५७ क्षमूष् २७० वेलु ६५८ | गल्भ ७९७ क्रदि ४४३ क्षर ९९० । ख .. | खेला १९७० गल्ह ८६९ क्रन्द १६७१ क्षल १५५१ खच १५३१ | खेल ६५७ | गवेष १८९३ क्रप ९३१ |क्षि १२८४ | खज १३७ | खै ९८ । गा १०८८ | क्षि १२५३ | खजि ५४५ | खोज्र ६६३ गाङ् ४८ क्रीञ् १४७५ | क्षि ५३ खट १५३ खोल ६६२ गाधृ ७२० |क्षिणु १४६६ | खट्ट क्रीड ६४३ १६१३ |ख्या १०२२ | गाहू ६३१ क्रुञ्च ५९५ | क्षिप १२०८ | खड १५५० गु १२८५ | क्षिप १९४१ | खडि | गज १६८० १४० क्रुड गुङ् १४२३ ६४ क्षिप १३१७ खडि ५७४ | गज · १५५७ १३९८ क्रुध ११२८ क्षिवु ३०९ खद १२० गजि ५५० गुजि क्रुश १००२ ४७२ क्षीज ७८२ २८२ गड क्लथ ९४९ ९३४ १३९९ ७८० गडि क्षीब ६८९ ४३७ गुडि १६८३ क्लिदि ४४५ __ ७६३ | गडि क्षीष् १४८५ ४८८ गुण १९०४ क्लदि ४४४ ८०६ | गण १८६३ | गुद ३६६ क्लदि ९५८ क्षु १०३२ ८५२ गद १२३ गुध १२२१ मा क्लमु ११५९ क्षुदिर् १४५१ खल्ल ८३७ | गद्गद १९५५ __१५१७ क्लिदि ५१७ क्षुध ११२९ खल १९४ गदी १८७० १८ क्लिदू ११२१ खष २०५ गन्ध १८३६ ११३९ क्लिश् १२१२ क्षुभ ११४४ गम्ल १६ १७२९ क्लिशू १५२२ क्षुभ १५१९ खिट २९२ ७७७ क्लीबृ ६८८ क्षुर १३५९ खिद १२१३ गुफ १३४४ क्लेश ८६३ क्षेवु ७२९ खिद १३०२ गुम्फ १३९१ क्वण १७९ क्षोट १८८५ | खिद १४५४| ८५३ गुरी १४२५ क्वथे ९९६ । क्षै ९९ ४०७ क्षजि ९५५ १६२८ १४६५ क्ष्मायी ६२७ __१३५५ १८१० | गुर्वी ४०० क्षपि १६९१ १३५७ | गल १९५ १७ क्षमू ११५८ | क्ष्विदा ११२३ ४०६ । | गल १८२० १८४३ 20 30 न. . . ज 4 4 4 च च च च च च च 64 जवाब ७६० ८०७ खुजु खुडि ३३४ । १६८४ aala ८६८ क्षणु अष्टाध्यायी सहजबोध भाग - ३ dog gala ८११

啊谢谢谢谢谢丽丽丽丽丽丽亚 धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क || धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क गूरी १२३९ ग्रसु २६७ घृ १५३८ चर्च ८९४ चुक्क १६५८ ८० | ग्रह १५३३ घृणि ५८७ चर्च १४३१ चुच्य ७७४ गृ १८१३ ग्राम १९०२ घृणु १४६९ १६३० चुट १४०६ गृज ३७४ | | ग्रुचु ३३१ १५९५ गृजि ५५१ । घ. घ्रा ४३ ८५० चुट्ट १६४६ गृधु . ११५२ घघ १३३ ९८० चुटि १७०० १८५२ | घट ९२३ डुङ् १९ चल १३१५ १४२१ ३९३ । १५६३ | च . चल १५५४ | चुडि ४८० ग १५०३ घट १७२२ |चक २४३ चलि ९६३ । ७९२ १२९६ चक १३९ २७५ चुद १५९० ६८३ ७४३ चक्क १६५७ |चह २१७ चुप ३४६ गेवृ ६९७ घटि १७४४ | चकासृ १०८० | चह १८७६ चुबि ४९२ __७०३ घस्ल २३८ चक्षिङ् १०६० चह १५७५ चुबि १६९३ गै १०३ घिणि ५८५ चञ्चु ५९९ | चाय ७४५ चुर १५८९ गोम १८८६ घुङ् ६५ चट १५६२ | चि १७२० चुरण १९५२ गोष्ट ७८७ __९०३ चडि ५६८ | चिञ् १२५० चुल १५९४ ग्लसु २६८ घुट १४१४ |चण ९४३ | चिञ् १५३५ | चुल्ल ८३४ । ग्लह २६५ घुण ३५३ |चते २९५ चूरी १२४३ ग्लुचु ३३२ | चित १८२३ १६१९ ग्लुञ्चू ६०४ __ २८६ | चिति १६७२ __१६४२ ग्लेपृ ६८० १३६० । १६८ | चिती २८७ २८७ | चूष ८८३ ग्लेपृ ६८४ १६९० | चित्र १९१७ चूत चूती १३७४ ग्लेवृ ६९८ ३५४ | ३८ चिरि १२५४ चेल चेल ६५७ ग्लै ८९ १२६९ | चिल १३२४ | चेष्ट ७८६ ग्रथि ५१९ २५३ | चिल्ल ८३६ च्यु १५३६ ग्रन्थ १५१३ घूर्ण १४३६ |चर २०१ चीक १८०५ च्युङ ६८ ग्रन्थ १७९७ १२४० चर १५७१ | चीभृ ६९१ च्युतिर ३२४ ग्रन्थ १७९६ । ८१ चरण १९५० | चीव १७६० ग्रस १७१५ घृ १०९५ चर्करीतं १०७१ | चीवृ ७४४ छजि १६९२ E FFFFFF EF १६०४ ८११ । चय परिशिष्ट (धातुसूची) __६११ ) is ४९ धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क |धातु क्रमाङ्क . छद १९३५ | जल ९७९ जेह ७१६ डिप ११२० णिदृ ३१३ ॥ छद १७७८ | जल १५४१ |जै १०० डिप १४०० |णिल १३२८ छदिर् ९२६ । जल्प ७९८ १५७३ | डिप १८२४ | णिवि ४९५ मत छदि १६७९ |जष २०६ __९२५ डिप १५८७ णिश ३११ क छमु २३३ १७०१ ज्ञा १४७३ | डीङ् ५६ णिसि १०६५ छर्द १६५२ ११०९ | ज्ञा १५३४ | डीङ् ११७५ |णीञ ५७ छष २७६ जसु. १७०८ ज्या १५०४ | ढ . | णीव ८४४ छिदिर् १४४९ जसु १७०९ ज्युङ् ६९ ढौकृ ७३५ णु १०३१ छिद्र १९२४ १०७९ | जि ५२ णुद १३३९ छुट १४०७ | जि १७६८ |णक्ष ८७८ । णुद १३६६ छुप १३६४ ज्वर् ९३२ णख १३० १२८८ १७१९ छुर् १४०१ ज्वल ९५० णखि ४५१ |णे ७४१ छृदिर् १४४३ रि १२५५ ज्वल् ९७६ | णट ९३६ ७०५ जिवि ४९८ छूदी १७९० |— झ . त . छेद जिषु ३०४ १९३४ झट १४५ तक १२७ जीव ८४१ छो ११९५ झम २३५ | तकि ४४६ जगि ४७८ झर्झ ८९४ | णभ __ ९०९ |तक्ष ८८० जक्ष १०७५ १४३२ णभ १११४ तल ३३ १४०८ जज १३९ २०७ २२७ तगि ४६० १५९८ जजि ५४८ झष २७७ २५५ तञ्चु ५९९ ३७८ जट १४९ झुः णल ष ११९३ ९८४ १७८६ तञ्चू १४४० जन ११०१ ट. णश षी १३४० ११६२ तट १५२ जनी ११७० टकि १६९४ तड १२४१ १५४९ जप १६७ टल ८९१ णह ९८० १२०३ तड १७२५ भि ५८२ टिकृ ३१७ णासृ ७१२ तडि ५७० जभी ३९ जृ १४९९ | टीकृ ७३२ |णिक्ष ८७४ तत्रि १८३२ जम् २३४ ट्वेल् ९८१ |णिजि १०४६ | तनु १४६३ | णिजिर् ११०३ तनु १७७९ १४३० डप १८१४ |णिदि ४३८ |तन्तस १९८३ ज. जड १३४७ जट EEEEEEEEEEEEEEEEEE झष णम णय १७७४ ११९२ | ड . " अष्टाध्यायी सहजबोध भाग - ३ १६७६ | तुहिर् ३६१ १२०२ BEDEO LODE ३४८ दातृ धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क तप २२९ । तुजि ५४८ | तुस ३६० । त्रुट १८२७ दल १७१६ | त्रुप ३५० | दंश २५ तप १७७६ १७३३ | तूण १८४० | त्रुफ ३५२ दशि १७४२ तमु ११५४ १४०५ | तूरी १२३७ । त्रुम्प ६०६ दशि १८३० तय २५४ | तुड १४१५ | तूल ८३० त्रुम्फ ६०८ दसि १८३१ तरण १९५९ | तुडि ५६५ | तूष ८८४ | त्रैङ् ११४ । दसि १७४८ तर्क १७६३ त्रक्ष ८७५ त्रौकृ ७३७ दसु ११११ तज १८२९ | तुण १३५३ १३५३ | तृणु १४६८ | त्वक्ष ६३० दह २२८ तर्ज ७८१ तुण १३४८ | तृदिर् १४४४ | त्वच १४३३ | दाञ् १०८६ तर्द ७६१ तुत्थ १९४३ | तृप ११६३ । त्वगि ४६६ | दाण् ४७ तल १५५२ | तुद १३३८ तृप १७८९ त्वञ्चु ६०१ | दान २३ तसि १७०४ तुप ३४९ तृप १३७० | त्वर ९३२ दाप् १०२१ तसु १११० १३४२ तृम्फ १३८६ । | स्विष ३२२ | दाश १२७६ ताय ६९४ ३५१ तृषा ११४९ त्सर १९९ । ७४५ तिक १२७१ १३४३ तृह १४६२ दासृ ७४९ तिकृ ३१८ __१३८१ थुड १४१६ दिवि ४९७ तिग १२७२ | तुबि १६९९ । टुहू १३९४ | थुर्वी ३९७ १८२५ तिज १९ द. दिवु ११८१ तिज १५८६ तेज ७८१ | दक्ष ९२९ १७०७ तिपृ ३२० | दक्ष ८६४ | दिश १३१६ तिम १२०९ | दघ १२६८ | दिह १०६९ तिल ३०१ तुम्प १३८७ त्यज २३० | दण्ड १९२६ । दीक्ष ८६५ तिरस् १९८८ | तुम्फ ६०७ | त्रकि ५३० दद २४० दीङ ११७४ तिल १३२३ | तुम्फ १३८८ | त्रदि ४४१ दध २३९ दीधीङ् १०७७ तिल १५८५ | तुर ११०६ त्रपूष् २६९ | दमु ११५५ । दीपी १२३५ तीकृ ७३४ तुरण १९५३ त्रस १५६९ | दम्भु १२८० । दु ५९ तीव ८४४ | तुर्वी ३९६ त्रसि १७३९ | दय २५६ दु १२५८ तीर १९१२ तुल १५९१ | त्रसी १२०० दरिद्रा १०७६ | दुःख १९३० तुज ३३५ | तुष ११२६ त्रुट १४०४ | दल १९७ दुःख १९४६ दिवु दिवु १ ६७८ परिशिष्ट (धातुसूची) ६१३ १५७ १७६६ ११७३ Me tru ki boo क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क दुर्वी ३९८ | ध्वन ९२९ पट १७२१ - दुल १५९२ धूरी १२३८ ध्वन १८९९ १८६६ दुष ११२७ ध्वसु ६१८ दुह १०६८ | ध्वाक्षि ५०७ दुहिर् ३६२ १२९४ |वृ ८२ ५७१ धृज ३७३ १६८८ १२६४ धृजि ५४२ | नक्क १६५५ | पण ८ १२९३ धृञ् ८६ नट १५४ |पत १८७१ ११६४ धृष १७९५ नट १३६ | पत्ल ९९५ दृप १३७१ दै ९२ धृषा १२७४ नट १५४२ | पथि १६७८ १७९२ | द्विष १०५१ धृषा १९१४ नट १७२४ | पथे ९९७ दृभी १३७३ धेट ८८ | नदि ४३९ | पद १२०५ दृभी १७९१ | धक्क १६५६ | धोऋ ६६४ नल १७२६ पद १८५१ दृम्फ १३८९ | धन ११०० | ध्मा । ४४ | नद १२६ पन . ९ दृशिर् १ धवि ५०१ | ध्यै । ९४ नस १५७० | पम्पस् १९८४ दृह ३८१ धाञ् १०८७ नाथू ७२२ | पयस् १९९० दृहि ५०९ नाधृ ७२३ | पय २५१ ९७० |धि १२८३ | धन १८३ ।। निवास १८९५ १९३९ १४९८ | धिक्ष ८५९ | धाक्षि ५०६ निष्क १८३८ ७५६ | धिवि २९ धाख ६३५ ६३५ नील ८२५ ७९९ धिष ११०२ | धाड् ६७६ । नृती १२२८ | पर्ब ८०१ __ ११० धीङ् ११७६ |ध्रु ५८ नृ ९६८ | पर्व ८४७ धुक्ष ८५८ १२८६ यु १०३५ धुञ् १२५७ ७२९ पल्यूल १८९१ द्युत ९०१ धुर्वी ३९९ |धै ९३ पक्ष १६४० | पश १५६० द्यै ९१ धू १२८९ | पचष् २७८ | पष १८७२ द्रम १८९ धूञ् १४८९ | ध्वजि ५४४ | पचि ५४१ | पसि १६८९ द्रवस् १९८७ | धून १७७२ पचि १६९६ | पा ४२ द्रा १०१६ धूप ७ १४४ पा १०१८ ध्रज १३४ FFEE # # s Forvu tvo ke s #+5 2 5 *E ११९७ १५०० | पल ९८७ पट १४४ । G ६१४ अष्टाध्यायी सहजबोध भाग - ३ od racl na g aa ७४ धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क पार १९११ पुथ १२२० । पृथ १६०५ | प्लुङ् ७१ । बिदि ४३६ पाल १६६० पुथि ४३० .. पृषु ३७५ | प्लुष ११३२ | बिल १३२७ पि १२८२ | पुर १३६१ | पृ १०९८ प्लुष १५२८ बिल १५८४ पिच्छ १५८२ पुल ९९९ | पृ १४९४ प्लुष १२१८ बिस १११८ पिजि १०४९ पुल १५९३ १५३९ | | प्लुषु ३५९ | बुक्क ७७० पिजि १६७७ | ३५७ पल ६५९ प्सा १०१७ बुक्क १६३१ पिजि १७३५ । पुष ११२४ | पेव ६९९ | बुगि ४६९ पिट २९८ पुष १५२९ | पेषु ७०४ फक्क ७६७ १२२४ पिठ ३१५ १७१८ | पेसृ ६६५ फण ९७३ | बुध १००४ पिडि ५६४ __१२३२ | पै १०६ फल १९२ | बुधिर् ३६३ पिवि ४९३ पुस्त १६५३ ६५२ | फला २३७ | बुन्दिर् ७१३ पिडि १७०२ पुंस १६०७ | प्यायी ६२७ । फुल्ल ८३४ | बुस ११३३ पिश १३०४ | प्यैङ् ६३ फेल ६६० त १६५४ पिष्ट १४६० १६२० प्रच्छ १३०७ __ब.. बृह ३८२ पिस १५७८ प्रथ ९२५ | बद ११९ । पिसि १७४० | पूयी ६२४ प्रथ १५४५ | बध २२ १७४५ पिसृ ३१० पूरी १२३६ प्रस ९२६ | बध १५४४ | ब्रूज़ १०४२ पीङ् ११८९ | पूरी १७६६ प्रा १०२३ बन्ध १५०९ १६६२ __ १६३८ पूल ८३१ . ११९१ | बर्ब ८०३ ब्ली १५०७ पील ८२४ । १६१६ प्रीञ् १४७६ पीव ८४२ ८४६ प्रीञ् १७७० १६६७ | भक्ष १६४३ पुट १३९६ | पूष ८८५ ७० | भज २८० पुट १९१३ पृ १२६२ प्रड ३४० ९८७ | भज १५६५ पुट १७२७ | पृङ् १२९१ १५२७ बल १५७७ भजि १७३७ पुटि १७५२ पृच १७८७ पुषु | भञ्जो १४४३ पुट् १६४५ १०४५ 09 बस्त १८३५ भट १५१ पुड १४१३ पृची १४४१ | बाड़ ६७४ ९३६ पुण १३४९ १३७६ | प्लिह ३१९ । | बाधृ ७२१ पुथ . १७३० १३७७ प्ली १५०३ | बिट २४९ भडि १६८७ ཝཾ @ # གླུ, # བ ཏཐཱ , ༈ ༔ , ཧཱུཾ, # # ཀྵ ཀྵ – “ཐཱ “ཐཱ 6ཤྲཱི ༦ཤྩ “གླུ ༦d ༦ g, eg ཟླ་ ४१० बाहे

८७२ १६२७ बल ३५८ ७३९ |भडि ५६३ परिशिष्ट (धातुसूची) १५ कम15.4 २६० मल मल्ल ११४६ मव २०२ | मिल भृ १४९६ मव्य मिष E EEEEEEEEEEEEE ३१२ भ्रम् 啊丽丽丽丽丽响阳啪啪啪响 响丽丽丽听听响响叮叮EE ।। मीङ् धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क | धातु | धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क भण १७६ भृञ् ८४ | मगध १९६३ मर्व ८४९ | मिदा ११२२ भदि ५१४ भृञ् १०९३ मगि ४५९ मिदि १६७४ भर्व ८०५ | भृशि | मघि ४७० ३२३ भर्त्स १८३४ | ५३५ १३३७ भल २६१ २४८ ८१८ मिष १३३२ भल १८२१ ५४० मष २१८ ३०६ भल्ल ८१६ १५९ | मष २०८ मिवि ४९४ भष २११ । | भ्रक्ष 5 ५५५ | मस्क ७६७ भस १०९९ भ्रण मठि ५५७ | मसी १११३ मिश्र १९२१ भा १०१३ ५७८ | मस्जो १३१० मिष १३२१ __५६२ | मह २१६ . | मिषु २५२ भाम ८१३ १६८६ मह १८७७ मी १७६९ भाम १८८२ १७७ महि ५८९ भाष ८६७ | भ्रंशु ६२० मत्रि १८३३ / महि १७५७ मीञ् १४७८ भासू ६६५ मथि ४३२ | महीङ् १९७३ | मीमृ ६५४ भिक्ष ८६३ __९९८ मा १०२४ भिदिर् १४५० १८२२ | माक्षि ५०४ मीव ८४४ भिषज् १९८५ ५१५ | माङ् १०८३ मुच १६०१ भिष्णज् १९८६ ११६० माङ् ११८८ मुच्ल १२९७ भी १०९० ६७१ मान २१ | मुचि ५३९ भुज १४४४ | भ्रष ६९९ | मन १२०७ | मान १८४९ | मुज ३३६ भुजो १३६३ | भ्रेपृ ७४८ १४७१ मान १८०९ | मुजि ५५२ भुवो १५३७ | भ्लक्ष ९०१ मन्थ ५९२ | मार्ग १८११ मुट १४०३ भुरण १९५४ | भ्लारी ११ मन्थ १५११ मा १६२१ १५९६ मन्तु १९७६ | माहृ ७५१ ३३९ भू १७७१ म. मभ्र ७९५ | मिच्छ १४२९ ५६५ | मकि ५२६ मय २५२ २५२ | मिजि १७३४ ५६८ १६३६ मख १२९ १६२२ | मिञ् १२४९ १३५० भृजी ३८८ | मखि ४४९ मर्ब ७५९ | मिदा ९१४ ३६५ ११७७ | मील म ८९३ अष्टाध्यायी सहजबोध भाग - ३ मेङ म मेध ०० मधा १९६७ 四四四四四 ६३८ य १८ १७० १७२ ५८३ 4 धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क मुद १६०० । ११२ |यसु ११७१ | रट १६१ | रिगि ४६४ मुर १३५८ | या २०९२ | रण. १७४ | रिच १७८३ मुर्छा ४०२ । ७४२ ७३९ ९४३ |रिचिर् १४३९ __३९४ | यु १०३० १२४ । रिफ १३१९ मुष १५३० १८१२ रिवि ४९९ मुस ११३४ | मेवृ ७०१ युगि ४६७ | रिश १३३४ १६१२ युच्छ ७७४ रिष १९१९ मुह ११६६ म्रक्ष १६२४ युज १२२७ | रिष ३०३ मूङ ७५ म्रद ९२८ युज १७८५ ५७६ |री १५०५ मूत्र १९०९ मुचु ३२९ | युजिर् १४४२ २२३ १९७८ मूल ८३३ मुञ्चु ६०३ युञ् १४८० ९९४ १०३९ मूल १६५९ | मेड ६४३ युत ३६७ __२५७ रुङ् ७२ ८८७ | म्युचु ३३० युध १२२५ ५०० रुच ९०३ मृक्ष ८८१ म्लुञ्चु ६०४ __२१३ १७१७ मृग १८५३ म्लेच्छ ७७३ १९३१ १३६२ मृङ् १२९२ | म्लेच्छ १६२५ २१५ ९०५ मृजू १०५० म्लेट ६४२ १८६८ १७३२ मृजू १७९३ म्लेवृ ७०२ १५६७ १५७६ ४८१ |म्लै ९० ८७५ ५०८ रुठ ३४२ १४२४| य. रख १३१ रहि १७५६ | रुठि ४८६ __ १३७५ | यक्ष १८४२ | रखि १०१९ | रुदिर् १०७१ मृण १३७९ यज १००६ |रगि ४५५ राख ६३३ रुधिर् १४५७ मृद १५१५ यत १५६६ ७३६ रुप ११४१ मृधू ३९२ ९७७ रुश १३६५ मृश १३८५ | यत्रि १६७० रघि १७५३ १२७८ रुशि १७५० मृष १२३० | यष १७८ । १८७४ राधो १२४६ रुष ३५५ १७९४ | यम १५७४ | रज रासृ ७१५ ११३७ ३७७ | यम १५ रज ११८५ |रि १२८१ १६०२ मृ १४९७ | यम २२६ रट .. १२५२ रुसि __ १७५१ रुट ४५० में ये 3 के के को at a गती रुष १२५२ परिशिष्ट (धातुसूची) ६१७ EEEEEEEEE OFFFFFF ली ६८७ ५१३ ७०९ धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क रूक्ष १९१० | लजि १७४६ | लिगि १६०५ | लूञ् १४८८ वटि १६८५ रूप १९३३ लजी १४३७ लिट १९५६ | लूष ८८८ वठ १५८ ८८९ | लट १४६ | लिप १३०० | लेखा १९७१ । ५५४ रूह १००५ |लड १५४० | लिश १२१५ | लेपृ । लेप ६८८ वडि ५६१ रेकृ ७३१ । लड १६५ | लिष १३३५ लेट् १९६४ | वण १७५ . रेखा १९७२ लडि ९६४ | लिह १०७० | लेला १९६६ १०१० ८९९ लडि १६७५ १५०६ | लोक ७२७ १७८० लडि १७५८ १७६७ | लोकृ १७६१ ६४५ | लप १७१ | लीङ् ११७९ | लोच ६७० १८५ ७०३ लबि ५७९ | लुजि १७३६ | लोच १७६२ ५७७ | लुट ३३८ लोट १९६५ | वन ९५१ लभष् २२५ । __९०६ | लोड ६४९ १४७० रोड ६४८ लर्ब ८०३ लुट ११३५ | लोष्ट ७८९ वनु ९०५ रौड ६४७ | लल १८१६ | लुट १७२८ | वप् १००७ | लष १४ लुट १४१० __५२८ लक्ष १८४४ लष १५५५ ३४३ वकि ५२५ ९९३ लक्ष १६३७ | लस २१४ __९०७ | वक्ष ८८० वय २५० लख १३२ लस १५६४ ४८४ वख ८० १८६२ लखि ४५२ | लस्जी १३०९ | ठि ४८७ वखि ४४८ १९५१ लग १५६८ ला १०२० लुठि ४८२ वगि ४५८ वर्च ७७१ लगि ४५६ लाख ६३४ | लुण्ट १६१० वघि ५३४ | वर्ण १६४१ लगे ९१८ लाघु ६६७ लुञ्च् ५९६ वच १०४३ १९३८ लघि ५३२ | लाछि ४७३ लुथि ४३१ वच १७८१ | वर्ध लघि १७५४ | लाज ७८४ | लुप ११४२ वज १४१ ८६८ लघि १७३८ लाजि ५४७ | वञ्चु ५९९ । ८७३ लछ ४० | लाट १९५७ लुबि ४९० | वञ्चु १८४८ | वल २५९ लज १३८ | लाभ १९३६ लुबि १६९८ १४८ वल्क १६५१ लज १९२० | लिख १३३३ लुभ ११४३ वट १९१९ | वष्क १९१६ लजि ५४६ | लिगि ४६५ लुभ १३४१ १८६७ | वल्ग ७७० ल. ८४० N १६२३ वट ६१८ अष्टाध्यायी सहजबोध भाग - ३ वस्क् धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क वल्भ ७९७ | विथ ३१६ | वृतु १७११ | व्युष ११३१ | शर्ब ८०९ वल्गु १९७७ विद १०५४ १२२९ | व्यञ् ११७ शर्व ८५६ वल्ल ८१४ विद १२१४ ३९० । | व्रज १४२ शल ९८९ वल्ल ८१७ । विद १४५५ । १७१२ व्रज १५५६ | शल २५८ वल्ह ८७४ | विद १८२६ ११४७ व्रण १८० शल्भ ७९६ वल्ह १६६८ विद्लु १२९९ १८२८ | व्रण १९३७ शव २१९ वश १०५७ विध १३२० ३७६ व्रश्चू १३०५

  • ८१० वष २१० विल १५८३ वृहू १३८० वी १४८३ शश १७२ ७६६ विल १३२६ व्रीङ् ११८० शश २२० वस १०६१ विश १३३६ | वृञ् १४९२ | व्रीड १२३४ शसि ५९१ वस १००९ विष १५२६ | वेञ् ११६ । श. | शशु १८८ वस १९४२ विषु ३०५ वञ्चु ५५१ शक ११०७ २३६ वसु १११२ विष्क १८३७ ७२५ शकि ५२३ शाख ६३८ वह १००८ | विष्क १९४० | वेथू ७२५ । शक्ल १२६६ शाङ्क ६७८ शान २४ वहि ५८८ | विष्ल ११०५ | वेद १९६२ | शच २४५ शासु १०६४ . वा १०९९ वी १०२८ | वेपृ ६८२ | शट १४७ शासु १०८१ वाक्षि ५०३ । वीर १८५६ | वेल १८९० | शठ १६३ शिक्ष ८६२ वाछि ४७४ वृक ३८६ | वेलु ६५५ शठ १८१७ शिचि ४२४ वात १८९२ | वृक्ष ८६१ | वेल्ल ८३४ शठ १८६४ शिजि १०४८ वाश्रृ १२४५ १४८६ । वेवीङ् १०७८ | शडि ५७० शिञ् १२४८ वास १८९४ वृजी १०४७ । वेष्ट ७८६ शण ९४५ शिट २९३ वाहृ ७१८ । वृजी १४४७ | वेह ७१६ । | शद्ल ४ शिल १३३० विचिर् १४३८ | | वृजी १७८८ | वै १०७ । | शद्ल १३१४ शिष ३०२ विच्छ १७५९ | वृञ् | व्यच १३०६ | शप २८१ । | शिष १७८४ विच्छ १३१२ | वृञ् व्यथ २५९ शप १२०४ | शिष्ल १४५९ विजिर् ११०४ १४९६ २७२ | शब्द १६३२ | शीक १८०४ विजि १३१८ १४२२ । व्यय १९३२ | शम १८१९ । | शीकृ ७२६ विजि १४४६ वृण १३७८ व्यध ११६९ । | शमु ११५३ | शीङ् १०२९ विट’ २९६ | वृतु ३८९ व्युष १२१७ | | शमो ९६९ शीभृ ६९१ 。。 परिशिष्ट (धातुसूची) ‘04 04 धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क शील ८२७ शेल्ट ६६१ । श्रोण ६५० षञ्ज २७ षिल १३३१ शील १८८८ शै १०४ | श्लकि ५२२ षट १५६ षिवु ११८२ शुच ३२७ शो ११९४ | श्लगे ४१५ । षट् १६१४ षु ६२ शुचिर् १२२३ | शोण ६४९ श्लथ ९४७ षण १८७ षु १०३६ शुच्य ८२० शौ? ६३९ श्लाख ६३८ | षणु १४६४ | षुञ् १२५६ शुठ ३४५ श्चुतिर् ३२५ श्लाघृ ६६८ | |षद १७८२ | षुट् १६४८ शुठ १५९७ | श्मील ७७५ श्लिष १११५ | षद्ल ५ षुह १२२२ शुठि ४८५ श्यैङ् ११५ | श्लिष १५८१ १३१३ षू १२९० शुठि १६९५ कि ५२१ श्लिष ३०८ |षप १६९ ।। १०४३ शुध ११३० श्रगि ४६१ | श्लोक ७२७ षम २२१ । ११७२ शुन १३५२ |श्रण ९४५ | श्लोण ६५१ षम्ब १६०८ | शुन्ध ५९३ |श्रण १५४८ | श्वकि ५२९ | षर्व ८०९ । १६३३ शुन्ध १७९९ श्रथ ९४६ | श्वच २४६ षर्व ९५४ शुभ ३७२ श्रथ १७७७ ष्वचि ५३६ षल ३८४ शुभ ९०८ श्रचि ४७१ श्वठ १८६५ |षत १०४९ ६९७ शुभ १३४६ श्रथ १५४३ | श्वठ १५४७ षस्ज ३७ षै। शुम्भ १३९३ श्रन्थ १५१२ | श्वभ्र १६६५ षस्ति १०५२ षो ११९६ शुम्भ ६११ श्रन्थ १५१० | श्वर्त १६६४ | षह १७७५ ष्टगे ९२२ शुल्क १६६३ श्रन्थ १७९८ | श्वल १९८ षह ९९१ ष्टन १८४ शुल्व १६९७ | श्रमु ११५६ | श्वल्क १६५० षह १२०१ |ष्टभि ५७९ शुष ११२५ श्रम्भु ६१६ श्वस १०७३ | षान्त्व १६४९ ष्टम २२२ शूर १८५५ |श्रा ९७० शिव ५० षिच १३०१ |ष्टिघ १२७३ शूरी १२४२ शिवता ९१२ | षिञ् १२४७ |ष्टिपृ ३२१ । शूर्प १६६२ | श्रिञ् ५५ | शिवदि ५१२ षिञ् १४७४ | ष्टिम १२१० शूल ८३० श्रिषु ३०७ षिट २९४ ष्टीम १२३३ शूष ८९० श्रीञ् १४७७ | षगे ९२० | षिध २८८ शृधु ९१२ श्रु ३१ शृधु ३९१ श्रृधु १७१० षच २४४ शृ १४९३ श्रय ५७ षच २७९ जिम्भु ५६१ ष्टभु ३७१ EEEEEEEEEE ७५४ पृक भु १०१ ३७० | षघ १२६७६२० अष्टाध्यायी सहजबोध भाग - ३ ष्ठा ४५ स्यमु ९७३ ष्ठिवु ३५ धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क | धातु | धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क ष्टेपृ ६७९ | संभूयस् १९९१ हाङ् १०८४ ष्टै १०८ | संवर १९६१ स्तृञ् स्मृ ७९ हि १२५१ ष्ट्यै ९७ सग्रांम १९२२ |स्तेन १९०७ | स्यन्दू ६२१ हिक्क ८९७ ष्ठल ९४० साध १२७९ स्तोम १९२३ सत्र १८५८ हिठ १५३२ साम १८८९ स्त्यै ९६ । हिडि ५५७ |सार १८७८ स्थुड १४१७ स्त्रकि ५२० हिल १३२९ ष्ठिवु ११८४ सुख १९२९ स्थूल १८५७ | स्रम्भु ६२० हिवि ४९६ ष्णसु ११९८ |स्त्रस ६१८ हिसि १४६१ ष्णा १०१४ सूर्ख ८८२ स्पर्ध ७५२ | त्रिवू ११८३ हिसि १८०० ष्णिह ११६८ र्य ८१८ स्पर्श २२७ हु १०९२ ष्णिह १५७९ १८८३ स्पर्श १८१५ | स्वञ्ज २६ | हुडि ५५८ ष्णु १०३४ १९०८ स्पृ १२६३ |स्वन १२६ हडि ५६६ ष्णुसु १२१६ स्पृश १३८४ हुट्ट ३४७ ष्णुह ११६७ १०९४ | स्पृह १८८१ | स्वर १८७३ हुर्छा ४०१ ष्णै १०९ सृज १२३१ स्फायी हुल १००१ मिङ् ५४ सृज १३८३ | स्फिट्ट १६१५ | स्वाद ७५५ ६४४ ष्वद १५७२ सृप्ल ३८५ | स्फुट ३३७ | स्विद ९१४ ष्वद २४१ | सेकृ ७३१ | स्फुट १४०२ ८५ ष्वप् १०७२ | सेकृ ६८४ | स्फुट १५९९ ष्वस्क ७१६ | स्कदिर् ६१५ | स्फुटिर् ष्विदा १११६ स्कभि ५८० स्फुड हृस् ३८० ष्विदा ३१४ स्कुञ् १४७९ स्फुडि १६७३ हृष ११५० | स्कुदि ५११ स्फुर १४१८ १०५५ | हृणीङ् १९७४ सपर १९४७ | स्खद ९२८ स्फुर्छा ४०३ ६११ हषु ३७९ सत्र १८५८ | स्खदिर् ९६७ स्फुल १४१९ ७९० सर्ज ७७६ | स्खल १९३ स्फूर्जा ६२२ ७९४ हेड ९३० सभाज १८९७ | स्तन १८६९ स्मय १८१८ हल ९८५ ६७२ सस्ति १०७१ स्तृक्ष ८३१ स्मिट १५८० | हसे २८४ संकेत १९०१ | स्तृञ् १२५९ स्मील ८२२ हाक् । NEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEE. ‘E NE ME हुड ३०० हृञ् १५५ ह १०९७ २२४ हय १९० परिशिष्ट (धातुसूची) J.COM ६२१ धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क | धातु क्रमाङ्क होड ६४५ ह्री १०९१ लप १५५८ हल ९५२ | हृ ७६ होड ६७३ | ह्रीछ ४१ लस २१२ | हगे ९१८ | हू ७७ हाद ७५३ लगे ९१९ लादी ६२३ मल ९५३ हेञ् ११८ सूत्र-वार्तिकानुक्रमणिका ५०४ अ. | अतो लोपः ८७ | अन्येष्वपि दृश्यते ४७९ अकर्तरि च ० अदिप्रभृतिभ्यः ० ५३ अन्वच्यानुलोम्ये ५४६ अक्षेषु ग्लहः | अदेङ्गुणः ६ अपगुरोर्णमुलि अक्षोऽन्यतरस्याम् ३२ अदो जग्धिय॑ ० ७९ | अपघनोऽङ्गम् ५१८ अगारैकदेशे प्रघण ० १३१ | अदोऽनन्ने २५६ अपचितश्च २१७ अग्नौ चेः ४७७ | अधिकरणे बन्धः ५४१ | अपरिहृताश्च २१७ अग्नौ परिचा ० ४४४ अधिकरणे शेतेः अपादाने चाहीय ० ५४३ अच उपसर्गात्तः २११ अध्यायन्यायोद्या ० ५३१ अपृक्त एकाल्प्र० १६१ अचः परस्मिन्पूर्व ० ८८ अनाय्योऽनित्ये ४४३ | अपे क्लेशतमसोः ४६८ अचोऽणिति अनिदितां हल ० ५० अपे च लषः ४८८ अचि श्नुधातु ० अनुदात्तङित ० २६ अ प्रत्ययात् ३४६ अचोऽन्त्यादि टि अनुदात्तस्य चर्दु ० १९६ अभिविधौ भाव ० ५११ अचो यत् ४३६ अनुदात्तेश्च ० ४८९ | अभेश्चाविदूर्ये .. २१६ अजयं संगतम् अनुदात्तोपदेश ० १५७ | अमनुष्यकर्तृके च ४६९ अजाद्यतष्टाप् अनुदात्तौ सुप्पितौ ४२४ | अमावस्यदन्यतर ० १०३ अजिव्रज्योश्च १५ | अनुनासिकस्य ० १५७ | अयङ् यि क्डिात ३९५ अजेय॑घञपोः अनुपसर्गात्फु० २६२ अयामन्ताल्वा ० १३६ अञ्चेः पूजायाम् २१४ अनुपसर्जनात् ४५० अरुर्द्विषदजन्तस्य ० ११६ अञ्चोऽनपादाने अनुस्वारस्य ययि ० १५८ | अर्तिलूधूसूखन ० ४९५ अट्कुप्वाङ्नु ० अनौ कर्मणि ४७९ | अर्थवदधातु ० ८ अणावकर्मका 0 | अन्तः ४०२ | अर्देः संनिविभ्यः २१६ अण्कर्मणि च अन्तर्घनो देशे ५१७ | अर्यः स्वामिवै ० ४३८ अणिनुणः ११४ अन्तात्यन्ताध्व ० ४६७ | अर्हः अत उपधायाः ८१ अन्यथैवंकथ ० ५३९ । अर्हः प्रशंसायाम् अत एकहल्मध्ये ० ३८९ अन्येभ्योऽपि ० ४९४ | अर्हे कृत्यतृचश्च ५३४ अतः कृमिकस ० १३९ | अन्येभ्योऽपि दृश्यते ५३२ | अलंकृग्निरा ० ४८६ अतो गुणे अन्येभ्योऽपि दृश्यन्ते ४७३ | अलंखल्वोः ० २८३ ४३९ ४५९ २५ परिशिष्ट (सूत्र-वार्तिकानुक्रमणिका) ६२३ ३८ ५३० 38 अलोऽन्त्यात्पूर्व ० ५ | आत्ममाने खश्च ४७५ | इग्यणः ० अवक्रयः ७५ | आदितश्च २१८ | इङश्च ५०७ अवचक्षे च ५३६ | आदिकर्मणि ० ५४८ इधार्योः ० २५ अवधपण्य 0 आदिर्बिटुडवः ११ | इच्छा अवे ग्रहो वर्ष ० ५१३ | आदृगमहन ० ४९२ | इजादेश्च ० अवे तृस्त्रोर्घञ् | आदेच उपदेशे ० इणो यण् क ५४ अवे यजः ४७३ | आद्यन्तौ टकितौ ७ . इण्नशजि० अवोदैधौद्म ० ९६ | आधुदात्तश्च । ४२४ इण्निष्ठायाम् । २२० अवोदोर्नियः ५०८ आनाय्योऽनित्ये ४४३ | इदितो नुम् धातोः १६ अव्यय कृतो भावे १७८ | आने मुक् २९ इदुदुपधस्य च १३३ अव्यये यथाभि ० ५४५ आभीक्ष्ण्ये ० इषुगमियमां छः ३१ असूर्यललाटयो ० ४६५ | आयादय आर्ध ० १९४ इक्श्तिपौ ० (वा.) ३५६ अस्ते ः ७९ | आर्धधातुकं शेषः ५ । इण अजादि ० (वा.) ५२७ अस्यतितुषोः ० ५३१ | आर्धधातुकस्येड् ० १६४ | इक् कृष्या ० (वा.) ५२७ अजेः क्यपि ० (वा.) ३४४ | आवश्यकाध ० ५३४ | इषेरनि ० (वा.) ३५४ अभिभावी ० (वा.) ४४६ आशिते भुवः ० ४६७ आ. आशिषि च ४५३ | ई च खनः ३९७ आक्रोशे नज्यनिः ३५७ आशिषि हनः ४६८ । ईदासः आक्रोशे वन्योर्ग्रहः ५१२ | आशासः क्वौ ० ४०५ । ईश्वरे तोसुन्कसुनौ ५३७ आ क्वेस्त ० ४८४| आसुयुवरपि ० ईषदुःसुषु० ५३२ आङि ताच्छील्ये __४५९ | आकस्मा ० (ग.) ३७ । ईक्षिक्षमिभ्यां (वा.) -४५५ आङि युद्धे ५१७ | आगर्वादा ० (ग.) ३७ । आच्छीनद्योर्नुम् ६१ आङ्पूर्वा ० (वा.) २६६ | उगितश्च आढ्यसुभग ० ४६९ | आङ् पूर्व ० (वा.) ४४० | उगिदचां सर्व ० ६० आतश्चोपसर्गे ५२६ आदिकर्मणि ० (वा.) ४८० | उग्रंपश्येरं ० ४६५ आतश्चोपसर्गे ४४९ आलस्य ० (वा.) ४५७ | उणादयो बहुलम् ४९५ आतोऽनुपसर्गे कः ४५६ आलुचि ० (वा.) ४९० | उदकोऽनुदके ५३१ आतो मनिन्क्व ० ४७३ | आशासः ० (वा.) ४०४ | उदि कूले रुजिवहोः ४६४ आतो युक् ० उदि ग्रहः ५०९ आतो युच् ८२ |इको यणचि २ | उदितो वा २२१ आतो लोप ० ४१६ । इगुपधज्ञा ० ४४९ / उदि श्रयति ० ५१२ ५३२ इ. ६२४ अष्टाध्यायी सहजबोध भाग - ३ ४३३ ३० ४४० ४७५ ४३० ५३२ ५३९ ४७६ ४७७ १४ उदीचां माङो ० २८३ | ऊदुपधाया ० २०१ | करणेऽयोविद्रुषु ५१८ उदुपधाद्भावादि ० २३० | ऊर्ध्वं शुषिपूरोः ५४२ करणे हनः ५४० उदोष्ठ्यपूर्वस्य २०६ | ऊङ् च गमा० (वा.) ४०३ | कर्तरि कृत् उद्घनोऽत्याधानम् कर्तरि चर्षिद ० ४९५ उन्योHः ५०८ ऋण्माधमर्ये २४४ कर्तरि भुवः 0 ४७० उपघ्न आश्रये ५१८ ऋत्विग्दधृक् ० ४७० | कर्तरि शप् उपदेशेऽजनु ० १० ऋदुपधा ० कर्तर्युपमाने उपदंशस्तृतीयायाम् ५४२ ऋदृशोऽङि गुणः ४१८ | कर्तृकर्मणोः ० उपधायां च १७ ऋहलोर्ण्यत् ४४३ | कर्तृकर्मणोश्च उपपदमतिङ् ऋकार ० (वा.) ५२३ | कोंर्जीव ० ५४१ उपमाने कर्मणि च । |ऋवर्णान्न० (वा.) ९ कर्मणि च येन ० ५२९ उपसर्गात् खल्घ ० ९७ ऋल्वादि ० (वा.) ३६४ | कर्मणि दृशि ० उपसर्गादसमासे ० ९ कर्मणि भृतौ ४६२ उपसर्गे च,० ४७९ ऋत इद् धातोः ४२ कर्मणि हनः उपसर्गे घोः कि ५२० | ऋदोरप् कर्मणी नि ० उपसर्गेऽदः ५१४ कर्मण्यग्न्या 0 ४७७ उपसर्गे रुवः ५०७ | एकाच उपदेशे ० १६६ | कर्मण्यण् । ४५४ उपसर्या काले ० | कर्मण्यधिकरणे च ५२० उपेयिवानना ०३ | एचोऽयवायावः ३४ कर्मण्याक्रोशे ० ५३९ उभे उभ्यस्तम् | एजेः खश् ४६३ | कर्मव्यतिहारे ० । ५११ उरण रपरः २४५ | एतिस्तुशास्वृ ० ४४० | कव्यपुरीष ० उषविदजागृ ० ३८८ | एरच्. कषादिषु ० ५४२ उच्चय ० (वा.) ५१० | एरनेकाचो ० १३० कालसमयवेलासु ० १७८ उत्तानादि ० (वा.) ४६० | ओ. कुमारशीर्ष ० ४६९ उत्प्रति ० (वा.) ४७५ ओक उचः के कृच्छ्रगहनयोः ० २१५ उत्फुल्ल ० (वा.) २६८ | ओतः श्यनि ४२ | कुत्रः श च ३४५ उपपदवि ० (वा.) ४६६ ओदितश्च २२८ | कृञो हेतुताच्छी ० ४६१ उरसो ० (वा.) ४६८ ओरावश्यके ४४३ | कृञ् चानुप्रयुज्यते ० ३८७ उरसो ० (वा.) ४६८ | क. | कृतौ कुण्डपाय्य ० ४४४ . ऊ. |करणाधिकरण ० ५२९ | कृत्तद्धितसमासाश्च २० ऊतियूतिजूति ५२३ | करणे यजः ४७६ | कृत्यचः १२७ ४३९ ४७१ ५१३ ४१० परिशिष्ट (सूत्र-वार्तिकानुक्रमणिका) ६२५ कृत्यल्युटो 0 ४३४ | क्षुब्धस्वान्त ० २१४ | गाङ्कुटादिभ्यो ० ११८ कृत्याः प्राङ् ० ४३२ क्षेमप्रियमद्रेऽण्च ४६७ | गापोष्टक् ४५८ कृत्यार्थे तवै ० ५३६ | कप्रकरणे ० (वा.) ४५७ | गुप्तिज्किद्भ्यः सन् ३३ कृत्याश्च १७९ | कर्मणि च ० (वा.) ४६८ गुरोश्च हलः कृदतिङ् ४२४ | कर्मणि ० (वा.) गेहे कः ४५२ कृन्मेजन्तः ९१ | किकिना ० (वा.) ४९३ | गोचरसंचरवहव्रज ० ५३० कृपो रो लः १९४ | कुत्सित ० (वा.) ४७७ | ग्रसितस्कभित ० २१७ कृ धान्ये ५०८ | क्रपेः सम्प्र ० (वा.) ५२६ | ग्रहवृदृनिश्चिगमश्च ५१४ क्ङिति च ४३ | कर्तृकर्मणो ० (वा.) ५३२ | ग्रहिज्यावयि ० ११९ क्त्वातोसुन्कसुनः २८४ | क्तिच्वन्तौ ० (वा.) ५५४ | ग्रहोऽलिटि दीर्घः २०१ क्तक्तवतू निष्ठा २१२ | क्तिन्न ० (वा.) ३४४ | ग्लाजिस्थश्च ग्स्नुः ४८७ क्तिच्क्तौ च ० ५३४ | क्तिन्नावा ० (वा.) ५२२ | गमादीना ० (वा.) ४०२ क्तोधिकरणे च ० ५३४ | केलिमर् ० (वा.) ४३५ / गवादिषु ० (वा.) ४५० क्त्वापिच्छन्दसि ३३० | किंयत्तद् ० (वा.) ४६२ | गिरौ डश्छ ० (वा.) ४६१ क्त्वि स्कन्दिस्यन्दोः ३१० | क्विब्वचि ० (वा.) ३९८ ग्लाम्ला ० (वा.) ५२२ क्यस्य विभाषा ८९ क्षदेश्च ० (वा.) ४८६ क्याच्छन्दसि ४९२ ख. | घञपोऽश्च ९७ क्रतौ कुण्ड ० ४४४| खचि ह्रस्वः १४४ घञि च भाव ० ९६ क्रमः परस्मैपदेषु ३१ खनो घ च ५३१ घुषिरवि ० २७१ क्रमश्च क्त्वि २१७ |खरवसानया 0 ४०४ | घुमास्थागापा ० २३४ क्रव्ये च ४७२ | खच्च डिद् ० (वा.) ४६६ | घाबन्तः पुंसि ९३ क्रुधा ण्डार्थेभ्यश्च ४८९ | खच्प्रकरणे ० (वा.) ४६५ घञर्थे क ० (वा.) ५१४ क्र्यादिभ्यः श्ना ४७ | खश्प्रत्यये ० (वा.) ४६४ | घटिवन्दि ० (वा.) ५२६ क्लिशः क्त्वा ० ग. | घिनुणि च ० (वा.) १०९ क्वणो वीणायां च ५१५ गत्यर्थाकर्मक ० ५४९ च. क्वसुश्च ३८६ | गत्वरश्च ४९१ | चक्षिङः ख्याञ् ७९ क्विन्प्रत्ययस्य ० ४०७ गदमदचरयम ० ४३७ | चजोः कु घिण्यतोः ९३ क्विप् च ४७४ | गमः क्वौ ४०२ चरेष्टः क्षायो मः २२९ गमश्च ४६७ | चर्मोदयोः पूरे ५४० क्षियः ३३३ | गमहनजनखन ० ५८ चलनशब्दार्था ० ४८८ क्षियो दीर्घात् २२८ | गस्थकन् ४५२ | चिण्णमुलौ ० २१३ ४६१ ९२ ६२६ अष्टाध्यायी सहजबोध भाग - ३ चुटू चोः कुः १५५ ३७ २१६ ४१ ३५४ चितः ६८ जाग्रोऽविचिण्ण ० २४३ | डरो व ० (वा.) ५३१ चित्याग्निचित्येषु ४५ | जान्तनशां विभाषा ३२० । | डे व वि० (वा.) ४६६ चिन्तिपूजिकथि ० ३५३ | जालमानायः ५३१ /डो वक्त ० (वा.) ५३१ | जिदृक्षिविश्रीण्व ० ४९० चेले क्नोपे ५४० जीर्यतरतृन् ४८० | ढो ढे लोपः १६० | जुचक्रम्यदन्द्रम्य ० ४८९ | ढलोपे ० च्छ्वोः शूड ० २६८ | जुहोत्यादिभ्यः श्लु ५७ च गमादी ० (वा.) ४०२ | जुवश्च्यो : क्त्वि २८५ | णचः स्त्रियाम् । चरिचलि ० (वा.) ४४७ ज्यश्च ३३२ | णिचश्च चरेराङि ० (वा.) ४३७ ज्याम्लाग्लाहा ० ३४३ ३४३ णेरध्ययने वृत्तम् चायतेः ० (वा.) ३७८ | | ज्वरत्वरसिव्य ० २६७ | णेरनिटि ८७ चारौ वा ० (वा.) ११२ । ज्वलतिकस ४५० णेश्छन्दसि ४८६ ज्ञाजनोर्जा | णो नः १६ छन्दसि गत्यर्थेभ्यः ५३२ | जागर्तेरका ० (वा.) ७५ |ण्य आवश्यके १०२ छन्दसि निष्ट ० १०२ | जिघ्रतेः ० (वा.) ४५० | ण्यासश्रन्थो युच छन्दसि लिट ३९२ | जुहोतेदीर्घ ० (वा.) ४९५ ण्युट च ४५२ छन्दसिवन ० ४६६ | ज्याम्ला ० (वा.) ३४३ | ण्वुल्तचौ १७५ छन्दसि सहः ४७१ णौ लिम्पे ० (वा.) ४५० छन्दोनाम्नि च ५०९ | झरो झरि सवर्णे १५६ त. छादेर्धेऽव्युप ० १५० | झलां जश् झशि १५६ | तङानावात्मनेपदम् २६ छन्दसि नि ० (वा.) १०३ | झषस्तथो ० १५६ तत्रोपपदं ० ४२९ छन्दसि तृ ० (वा.) ४८५ तनादिकृञ्भ्यः उः ५२ ज. जीत क्तः ४९६ तपरस्तत्कालस्य ९ जक्षित्यादयः षट् ५३ | नित्यादेर्नित्यम् ६८ तयोरेव कृत्य ० १७९ जनसनखक्रम ० तव्यत्तव्यानीयरः ४३५ जनसनखनां २६० टे १४५ तस्य लोपः १२ जनिवध्योश्च ८४ ट्वितोऽथुच् ५१९ ताच्छील्यवयो ० ६८ जल्पभिक्षकुट्ट ० ४९० ड. ताभ्यामन्यत्रोणादयः ५५२ जश्शसो शिः ६३ | ड्वितः कित्र ५१९ | तिङ् शित्सार्व० २३ जहातेश्च क्त्वि |डप्रकरणे ० (वा.) ४६८ | ति च जागरूकः ४९१ डप्रकरणे ० (वा.) ४६७ | तितुत्रतथसि ० १६४ ४७२ २१० २६८ परिशिष्ट (सूत्र-वार्तिकानुक्रमणिका) ६२७ ४०९ | दुहश्च तृन् २१५ तिर्यच्यपवर्गे ५४५ | दिवादिभ्योः श्यन् ४० |धिन्विकृण्व्यो ० ३३ तीषसहलुभ ० १७२ | दिवाविभानि 0 ४६२ | धृषिशसी वैयात्ये २१५. तुदादिभ्यः शः ४३ | दिवोऽविजीगीषायाम् २२८ | धात्वर्थनिर्देशे (वा.) ५२६ तुन्दशोकयोः ० ४५७ | दीधीवेवीटाम् १८३ । धृषेश्चेति ० (वा.) ४९३ तुमर्थे सेसेनसे ० ७५ | दुन्योरनुपसर्गे ४५१ | ध्यायते ० (वा.) ४९४ तुमुन्ण्वुलौ ० १७६ | दुहः कब्धश्च तूष्णीमि भुवः ५४६ | ४७२ | न कर्मव्यतिहारे ४८५ दृढः स्थूल ० न क्त्वा सेट ५३८ तृषिमृषिकृशेः ० २९१ | दृशेः क्वनिप् ४७८ | न क्वादेः तृफलभजत्रपश्च |दृशे विख्ये च ७६ न धातुलोप आर्ध ० १२६ तौ सत् २४ देविक्रुशोश्चोपसर्गे ४८८ |न ध्याख्या ० २२९ त्यदादिषु ० ४७० | दो दद् घोः नन्दिग्रहिपचादि ० ४४५ त्रसिगृधि ० ४८७ द्यतिस्यतिमास्था ० २१० न पादम्याङ्य ० ३७ तकिश ० (वा.) २२२ द्रवमूर्तिस्पर्श ० २३७ नपुंसकाच्च ६३ तितुत्रेष्व ० (वा.) ४३७ द्वितीयायां च ५४३ | नपुंसके भावे क्तः ५२९ तनिपतिद ० (वा.) ३६६ द्विषत्परयोस्तापेः ४६६ | नमिकम्पिस्म्य० ४९२ तृन्विधा ० (वा.) ४८५ द्विषोऽमित्रे २५ न यः ४८९ त्यजेश्च ० (वा.) १०० | दंशेश्छन्दसि ४८७ न यद्यनाकाक्षे ५३८ त्विषेर्देव ० (वा.) ४८६ दरिद्रातरार्ध ० (वा.) १८२ | न लोकाव्यय ० . | नलोपः 0 दाम्नीशस ० (वा.) ४९४ थ ११७ . थलि च सेटि दारावाहनो ० (वा.) १११ । नलोपो नञः ३७८ | दिग्धसहपू ० (वा.) ४६० | न ल्यपि ३३३ दंशसञ्जस्वजां शपि ३३ दुग्वोदीर्घ ० (वा.) २४२ न विभक्तौ तुस्मा ११ न शसददवादि ० द्युतिगमिजु ० (वा.) ४९४ ददातिदधात्योर्विभाषा ४५० ३८९ दृ भय ० (वा.) दादेर्धातोर्घः नश्चापदान्तस्य० ४९४ १५८ ध. नसत्तनिषत्ता ० २२९ दाधाघ्वदाप् धः कर्मणि ष्ट्रन ४९५ | न सम्प्रसारणे ० २०८ दधातेर्हिः धातु सम्बन्धे ० ५३५ न सुदुा 0 दाधेट्सशदसदो रुः ४९१ ४२८ नहो धः १५९ दाम्नीशस ० ४९५ धातोस्तन्नि ० १०४ | नाञ्चेः पूजायाम् ३०३ दाशगोघ्नौ ० धात्वादे षः सः १६ । नाडीमुष्ट्योश्च ४६४ २१ १३४ (५ २३२ ९७ धातोः ६२८ अष्टाध्यायी सहजबोध भाग - ३ २६६ ४९० ११० प्रत्ययः ५४ ५०८ नाधार्थप्रत्यये ५४५ | नन्दिवाशि ० (वा.) ४४५ | पङयजोः शानन ६८ नाभ्यस्ताच्छतुः ५३ नासिकायां ० (वा.) ३४६ | पर्ववत्सनः ३९ नाम्न्यादिशिग्रहोः ५४४ | निरो देशे ० (वा.) ४६८ | पूर्वे कर्तरि ४६१ नासिकास्तन ० ४६४ | निष्ठायां ० (वा.) ३४६ | पोरदपधात ४३७ निगरणचलनार्थे ० ३७ प्यायः पी निघो निमितम ५१९ | पचो वः २२९ | प्रजने सर्तेः नित्यं समासे १३९ | पञ्चम्यामजातौ ४७८ प्रजोरिनि. नित्यं पणः ० __ ५१५ पदरुजविश 0 ५०१ प्रणाय्योऽसंमतौ ४४४ नित्यवीप्सयोः __ ९२ पदास्वैरिबाडा ० ४४२ | प्रतेश्च २३६ निन्दहिंसक्लि ० ४८८ परश्च ४२४ प्रत्यपिभ्यां ग्रहे ० ४४२ निपानमाहावः परावनुपात्यय इणः ५१० । निमूलसमूल ० परावरयोगे च २८३ | प्रत्यय लोपे ० ३९७ निरः कुषः १७१ परिक्लिश्यमाने च ५४४ प्रत्ययस्थाकात् ० ९० निरभ्यो पूल्वोः परिन्योर्नीणोता ० ५०९ | प्रथमे वावशब्दे ५०९ निर्वाणोऽवाते परिमाणाख्यायां ० २२८ ५०६ | प्रभौ परिवृढः २१५ निवासचिति । परिमाणे पचः ४६५ । __५१० प्रमदसंमदौ हर्षे ५१६ परौ घः निष्ठा १३२ प्रमाणे च ५४३ | परौ भुवोऽवज्ञाने ५१३ निष्ठा २१३ प्रयाजानुयाज्ञौ ० ९६ परौ यज्ञे निष्ठायां सेटि ५१२ | प्रयै रोहिष्यै ० ५३६ पर्याप्तिवचने ० ५४६ निष्ठायामण्य ० | प्रयोज्यानुयोज्यौ ० १०२ पर्यायार्हणो ० ३५६ निष्ठा शीङ् ० प्रस्त्योऽन्य ० २२९ पाघ्रामास्था ० ४४९ नुदविदोऽन्दत्रा ० २२९ प्रियवशे वदः खच् ४६५ पाणिघताडघौ ० ४६९ नेट्यलिटि रधेः १९२ घुसृल्वः सम ० ४५२ पाय्यसांनाय्य ० ४४४ नेड्वशि कृति १६४ प्रे दाज्ञः ४५७ पुंसि संज्ञायां ० ५२९ नोदात्तोपदेशस्य ० ८५ प्रे द्रुस्तुनुवः ५०८ पुगन्तलघूपधस्य ० ८१ नोपधाथफान्ताद्वा २८४ पुरोग्रतो ० ४८८ प्रे लपसूद्रुम ० नौ गदनदपठस्वनः ५१५ प्रे लिप्सायाम् पुवः संज्ञायाम् ५१२ ४९५ नौ ण च पुष्यसिद्धौ ० ४४१ प्रे वणिजाम् ५१७ नौ व धान्ये ५१२ | पूः सर्वयोरि ० ४६६ प्रे स्त्रोऽयज्ञे ५०९ न्यवादीनां च पूङः क्त्वा च प्रैषातिसर्ग 0 ५३३ नयतेः ० (वा.) ४८५ | पूङश्च २१३ प्वादीनां ह्रस्वः २१२ २८१ ४६१ २३० ४८ ४४१ १९० २९१ परिशिष्ट (सूत्र-वार्तिकानुक्रमणिका) परिचर्या ० (वा.) ७५ | भिद्योद्ध्यौ नदे ४४१ | मिदेर्गुणः परेर्वा० (वा.) ५२६ | भियः क्रुक्लुकनौ। ४९३ मीनातिमिनोति ० ३३३ पाटेर्णिलु ० (वा.) ४४८| भियोऽन्यतरस्याम् । ४२९ | मूर्ती घनः पाणौसृजेW ० (वा.) ४४० | भीमादयोऽपादाने मृजेर्विभाषा पूर्वविप्रतिषेधे ० (वा.)५४० | भीह्रीभृहुवां ० ३८८ | मृजेवृद्धिः पार्वादिषूप ० (वा.) ४६० | भुजन्युब्जौ ० ९५ मूर्ती घनः पूजो विनाश (वा.) २३६ | भुवः संज्ञान्तरयोः ४९४ | मृडमृदगुध ० फ. भुवश्च ४८७ | मृषस्तितिक्षायाम् २३० फणां च सप्तानाम् . ३८९ भुवो भावे ४३९ मेघर्तिभयेषु कृञः ४६६ फलेग्रहिरात्मभरिश्च ४६३ | भूते ४७६ | मो नो धातोः ४०२ ब. भूतेऽपि दृश्यन्ते ४९८ | मस्जेरन्त्य ० (वा.) २५२ बहुलं छन्दसि ७९ | भूवादयो धातवः | माङ्याक्रोशे ० (वा.) ४८२ बहुलं छन्दसि ४७६ | भृञोऽसंज्ञायाम् ४४१ बहुलमाभीक्ष्ण्ये ४७५ | भोज्यं भक्ष्ये १०२ यडोऽचि च १२६ बुधयुधनशजने ० ३७ भ्रस्जोरोपधयो ० १८९ | यजजपदशां यङः ४९२ ब्रह्मभ्रूणवृत्रेषु क्विप् ४७६ | भ्राजभासधु ० ४९३ | यजयाजरुच ० १०२ ब्रुवो वचिः ७९ । ७९ | भवतेश्चेति ० (वा.) ४५२ | यजयाचयतविच्छ ० ५१९ बहुलं छ ० (वा.) ४५८ भवे च ० (वा.) ४६६ | यज्ञे समि स्तुवः ५०८ ब्रह्मणि व ० (वा.) ४७५ भाषायां ० (वा.) ४९३ | यथातथयोर ० , ५३९ भ. भाषायां ० (वा.) ५३३ | यमः समुप ० ५१५ भजो ण्विः ४७१ म. यश्च यङः भञ्जभासमिदो घुरच् ४९१ मतिबुद्धि ० ४९६ | यसोऽनुपसर्गे ४२ भविष्यति गम्यादयः ४९८] ५२७ यस्मात् प्रत्यय ० १९ भव्यगेयप्रव ० ५४७ | मदोनुपसर्गे ५१६ यस्य विभाषा २१९ भावलक्षणे स्थे ५३६ | मनः ४७५ | यस्य हलः ८८ भाववचनाश्च ५०० मन्त्रे वृषेष ० ५२३ । यस्येति च ११७ ५०२ मन्त्रे श्वेत ० ४७२ | यावति विन्दजीवोः ५३९ भावेऽनुपसर्गस्य ५१७ | मयतेदिरन्य ० ३३२ यी वर्णयो ० १८३ भाषायां सदवसश्रुवः ४८६ / मस्जिनशो ० १५४ | युग्यं च पत्रे भिक्षासेनादायेषु च ४६१ | मितनखे च | युप्लुवोदीर्घ ० ३३४ भित्तं शकलम् २५६ | मिदचोन्त्यात्परः ४५ युवौरनाको ४९३ भावे ४४२ ४६५ युत ६३० अष्टाध्यायी सहजबोध भाग - ३ १९ २९१ ९६ ये विभाषा | लुभो विमोहने याचिव्याहृ ० (वा.) ४४६ | लुटः सद्वा | लोपो व्योर्वलि रदाभ्यां निष्ठा ० २५७ / ल्यपि च रधादिभ्यश्च १७१ |ल्यपि लघुपूर्वात् रधिजभोरचि |ल्युट च रभेरशब्लिटोः ९८ ल्वादिभ्यः रलो व्युपधाद् ० २९१ | व. रश्मौ च | वचिस्वपि ० रषाभ्यां नो णः ० ९ | वचोऽशब्द ० राजनि युधि कृञः ४७८ | वञ्चिलुञ्च्य ० राजसूयसूर्यमृषो ० ४४१ | वञ्चेर्गतौ . रात्सस्य १६२ |वदः सुपि ० राल्लोपः २५० वयसि च रिशयग्लि ० ५९ । | वर्तमाने लट रुदविदमुष ० २९१ | वर्षप्रमाण ० रुष्यमत्वर ० २१६ | वसतिक्षुधो ० रुधादिभ्यः श्नम् ५९ | वस्वेकाजा 0 रोगाख्यायां ० ३५५ | वहश्च रक्षश्रुवः ० (वा.) ४४६ / वहाभ्रे लिहः राजघ उप ० (वा.) ४६९ | वह्यं करणम् रादिफः (वा.) ५२७ वा क्रोशदैन्य ० | वाचि यमो ० लः कर्मणि च ० ५४७ | वा जृभ्रमुत्रसाम् लक्षणहेत्वोः ० २४ वा दान्तशान्त ० लक्षणे जाया ० ४६९ | वा द्रुहमुह ० लटः शतृशानचा ० ४८२ वा नपुंसकस्य लभेश्च | वा भ्राशभ्लाश 0 लशक्वतद्धिते | वा यौ लषपतपदस्था ० | वा ल्यपि लिटः कानज्वा ४८१ / वावसाने २१४ | वासरूपोऽस्त्रि ० ४३१ २५ | विज इट् ११८ ६६ | विजुपे छन्दसि ४७३ ३३२ | विड्वनोरनु ० १४० ३४१ वित्तोभोग ० २२९ ५२९ | विदिभिदि ० ४९१ २२८ | विदेः शतुर्वसुः ५५ विध्वरुषोस्तुदः ४६५ ११९ | विन्दुरिच्छुः ४९२ १०२ | विपूयविनीय ० ४४२ विप्रसंभ्यो ० ४९४ विभाषा कृवृषोः ४४२ ४३९ / विभाषाख्यान ० ३३५ ४५९ | विभाषा गमहन २२१ २३ । विभाषा ग्रहः ४५१ ९२ | विभाषाग्रेप्रथम ० ५३८ २१४ | विभाषाडि ० ३८९ | विभाषा चिण्ण ० ४७१ | विभाषा छन्दसि २१० ४६४ | विभाषाऽऽपः ३४१ ४३९ | विभाषा परेः ३३२ २३९ । | विभाषा भावादि ० २१८ ४६६ / विभाषाभ्यवपूर्वस्य २३६ ३८९ / विभाषा लीयते १८४ | विभाषोर्णोः ११९ | विशिपतिपदि ० , ५४४ ६० वृणोतेराच्छादने वृद्धिरादेच् | वृतो वा १८६ ३३७ | वेरपृक्तस्य १२ १६२ | वौ कषलषकत्थ ० ४८८ ५१२ w परिशिष्ट (सूत्र-वार्तिकानुक्रमणिका) ६३१ वौ क्षुश्रुवः ५०८ | शुष्कचूर्ण ० ५४० | संघे चानौत्तराधर्ये ५११ व्यचेः कुटादि ० १२३ | शृतं पाके २२८ | संघोद्धौ गणप्रशंसयोः ५१९ व्यधजपोरनुपसर्गे ५१५ | शृवन्द्योरारुः ४९३ संज्ञायाम् ३५५ व्युपयोः शेतेः पर्याय ५१० | शे मुचादीनाम् ४५ | संज्ञायाम् ५२७ व्रजयजोभवि क्यप् ५२४ | शेषात् कर्तरि ० २६ संज्ञायाम् ५४१ व्रते ४७५ | श्नसोरल्लोपः संज्ञायां समज ० ३४४ वर्णात्कारः ० (वा.) ५२७ | श्नान्नलोपः ५९ संज्ञायां भृतृवृजि ० ४६७ वशिरण्यो ० (वा.) ५१४ श्नाभ्यस्तयो ० ४८ | संपृचानुरुध्याङ्य ० ४८७ वसेस्त ० (वा.) ४३५ श्यायधात्रु ० ४५१ | संप्रसारणाच्च २०९ विशयी ० (वा.) ४४६|| | श्योऽस्पर्श २२८ | संबोधने च २४ विस्मितप्र ० (वा.) २१७ | श्रदन्तोरुपसर्ग 0 ३५४ | सत्सूद्विष ४७१ विहायसो ० (वा.) १४३ | श्रिणीभुवोऽनु ० ५०८ | सनाद्यन्ता धातवः ३ विहायो ० (वा.) ४६५ | श्रुवः श्रृ च ३२ सनाशंसभिक्ष उः ४९२ व्याधिम ० (वा.) ५०२ | श्युकः किति २१३ सनीवन्तर्ध ० २२० व्यधेः सम्प्र ० (वा.) ४९१ | श्वीदितो निष्ठा २१८ | सप्तम्यां चोप ० ५४२ व्रीहिवत्सो ० (वा.) ४६३ | शंसिदुहि ० (वा.) ४४० | सप्तम्यां जनेर्डः ४७८ श. शीलिकामि ० (वा.) ४५४ | समानकर्तृक ० २८३ शकधृषज्ञा ० १७७ | शुच्यब्ज्यो ० (वा.) ९५ | समानकर्तृकेषु ० १७७ शकि णमुल्कमुलौ ५३६ | शृ वायु ० (वा.) ५०७ | समासत्तौ ५४३ शकि लिङ् च ५३४ | शे तृम्फा ० (वा.) ४६ समि ख्यः ४५८ शकिसहोश्च __४३७ श्रुयजिस्तु ० (वा.) ५२२ | समि मुष्टौ ५०९ शक्तौ हस्ति ० ४६९ | श्वेतवहादी ० (वा.) ४७२ | समि युद्रुदुवः ५०७ शप्श्यनोर्नित्यम् शमामष्टानां ० ३१ षः प्रत्ययस्य १२ समूलाकृतजी 0 शमित्यष्टा ० ४८७ | षिद्भिदादिभ्योऽङ् ३५२ | सर्वकूलाभ्रक ० ४६६ शमि धातोः ० ४६० | ष्टुना ष्टुः १५४ | ससजुषो रुः ४०४ शाच्छोरन्यतरस्याम् २१० |ष्ठिवुक्लमु ० ३२ सहिवहोरादवर्णस्य २०१ शास इदङ्हलोः २७३ स. सहे च ४७८ शासिवसि ० २७३ सयोगादेरातो ० २२७ | सार्वधातुकार्ध ० २९२ शिल्पिनि वुन् ४५२ | संयोगान्तस्य लोपः १६१ | सिनोतेसि ० २३९ शुषः कः २२८ | संयोगे गुरु ६ सुकर्मपापमन्त्र ० ४७७ पशुषु शुखु मूलाकृतजा ० ५१६ ५४० ६३२ अष्टाध्यायी सहजबोध भाग - ३ ५०२ ४७७ सुजो यज्ञसंयोगे २५ | स्यदो जवे हनस्त च ४३९ सुधितवसुधित ० २१० | स्वनहसोर्वा ५१५ हनस्तोऽचिण्णलोः ८४ सुपि स्थः ४७८ स्वपितृषोर्नजिङ् ४९३ हरतेरनुद्यमनेऽच् ४५८ सुपो धातुप्राति ० २० । | स्वपो नन् . ५१९ | हरतेदृतिना ० ४६३ सुप्तिङन्तं पदम् ८ । |स्वरतिसूतिसूयति ० १७० । हलन्त्यम् सप्यजातौ णिनि ० ४७४/ स्वरिततिः ० २६ । हलश्च ५३० सुयजोवनिप् ४८० | स्वाङ्गे तत्प्रत्यये ५४५ | हलसूकरयोः पुवः ४९५ सूददीपदीक्षश्च ४८९ / स्वाङगे ध्रवे ५४३ लादो निष्ठायाम् २५६ सृघस्यदः क्मरच् ४९१ स्वादिभ्यः श्नु ५० हलि च ४२ सृजिदृशोझल्य ० १८९ | स्वादुमि णमुल ५३९ | हलोऽनन्तराः ० ६ सापतृदाः कसुन् ५३७ | स्वे पषः ५४१ | हल्योब्भ्यो ० २८. सृ स्थिरे संपदादिभ्यः ० (वा.) ३४३ | हव्येऽनन्तःपादम् ४७२ सेऽसिचि ० | संपूर्वाद्विभा ० (वा.) ४४१ | | हश्च व्रीहिकालयोः ४५२ सोमे सुञः समवपूर्वा ० (वा.) ४४० | हस्तादाने चेरस्तेये ५१० सोमे हरति २१७ समानान्य ० (वा.) ४७० | हस्ते वर्तिग्रहोः __५४१ स्कोः संयोगाद्यो ० १५४ सहितपिद ० (वा.) ४४५ | हिंसार्थानां 0 स्तम्बकरण ० ४ सहिवहि ० (वा.) ४९३ | हुश्नुवोः ० ५१ स्तम्बशकृतयोरिन् ४६३ २१७ स्तम्बे क च साधुकारिण ० (वा.) ४७५ हुहरेश्छन्दसि ५१८ स्त्यः प्रपूर्वस्य सुदुरोरधि ० (वा.) ४६८ | हृषेर्लोमसु हो ढः । स्त्रियां क्तिन् १६० सुब्धातुष्टि ० (वा.) १६ ३४३ स्थः क च ४७४ सुराशीध्वो ० (वा.) ४५८ | हो हन्तेणिन्नेषु स्थागापापचो भावे ३६१ । सूत्रे च ० (वा.) ५५९ | ह्रस्वस्य पिति ० ३३२ स्थेशभासपिस ० ४९३ | सोपसर्ग ० (वा.) २६६ | ह्रस्वं लघु स्नेहने पिषः सौनागाः ० (वा.) ५४१ ५१६ २१४ | हृः सम्प्र ० स्पृशोऽनदके क्विन ४७० / स्पृश उप ० (वा.) ५०२ | हावामश्च स्पहिगहिपति ० ४९० / स्तने धे ० (वा.) ४६४ | हनो वा ० (वा.) ४३७ स्फायः स्फी ० २६६ / स्वादयः ओदितः २२८ | हन्तेर्घत्वं ० (वा.) ४४८ स्फुरतिस्फुलत्यो ० ९८ ।। | हस्तिसूचक ० (वा.) ४५९ स्फुरतिस्फुलत्योर्नि ० ९८ | हनश्च वधः ४१७ | हिरण्य इति ० (वा.) ४४३ ५४२ २१६ २३५ ८४ ४५५ डॉ०-पुष्पा दीक्षित 12 जून 1943 को जबलपुर नगर में, प्रख्यात आयुर्वेद । चिकित्सक तथा शाय, वेदान्त और संस्कृत साहित्य के गम्भीर विद्वाने प्राणोबार्य पण्डित सुन्दरलाल जी शुक्ल के छर जन्म । बाल्यकाल से ही पूज्यपिताजी से तथा अनन्तर काशी की विद्वत्परम्परा के महनीय आचार्य पण्डित विश्वनाथ जी त्रिपाठी, प्राचार्य, कृष्णबोधाश्रम संस्कृत महाविद्यालय जबलपुर से नव्यव्याकरण का अध्ययन ।। एम० ए०, पी-एच०डी० करके सन् 1965 से मध्यप्रदेश .. शासन छत्तीसगढ़ शासन की महाविद्यालयीन शिक्षा में प्राध्यापक पद से सेवानिवृत्त । आपने पाणिनीय अष्टाध्यायी के वैज्ञानिक क्रम का अनुसंधान करके व्याकरणशास्त्र में एक सर्वथा नवीन प्रस्थान को जन्म दिया, जिससे प्रकाशित ग्रन्थ 2 अर्धधातुकं लकार। 3. अष्टाध्यायी सहजबोध, भाग-3 कृदन्तप्रकरणम्। 4. व्यवस्था। 6. अग्निशिखा गीतिकाव्य)। 7. शाम्भवी (गीतिकाव्य)। 8. शीघ्रबोध
  1. पारिभाषेन्दुशेखरस्य बहुतरपरिभाषाणामन्यथासिद्धिः । 14. अष्टाध्यायीसहजबांध ॐ पुष्पा दीक्षित का यह ‘अप्लध्यायी सहजबोध महामुनि पाणिनि की अन्तरात्मा को निश्चित ही आनन्दित करेगा। इससे संस्कृत साहित्य का अत्यन्त कल्याण सम्भावित -आचार्य डॉ० रामप्रसाद त्रिपाठी में पाणिनीय महाशास्त्र’ के प्रति अभिनव रुचि जगायेगी एवं शोध की नई-नई -आचार्य डॉ० रामकरण शर्मा ISBN 817702007-2 RATIBHA प्रतिभा प्रकाशन |978817710 20076॥ (प्राच्यविद्या प्रकाशक एवं पुस्तक विक्रेता)। 7259/23 अजेन्द्र मार्केट प्रेमनगर, शक्ति नगर, दिल्ली-7 e-mail : pratibhabooks@ymail.com