(ध्यान रहे कि यह ‘कि’ प्रत्यय वैदिक नहीं है और लिड्वत् भी नहीं है) प्र + दा - ‘आतो लोप इटि च’ से आ का लोप होकर - प्र + द् + इ = । प्रदिः । प्र + धा + कि = प्रधिः । इसी प्रकार - अन्तर्द्धिः, शरधिः, जलधिः।