यह प्रत्यय छान्दस अथवा वैदिक है। इसमें लशक्वतद्धिते सूत्र से क् की इत्संज्ञा करके ‘तस्य लोपः’ से इसका लोप करके ए शेष बचता है। वि + ख्या + के - वि + ख्या + ए - आतो लोप इटि च से आ का लोप होकर - वि + ख्य् + ए = विख्ये त्वा हरामि। दृश् + के - दृशे विश्वाय सूर्यम्। ये प्रयोग निपातन से बनते हैं।