९४ ण्वुल् प्रत्यय

रोगाख्यायां ण्वुल्बहुलम् (३-३-१०८)- रोगविशेष की संज्ञा होने पर, धातुओं से स्त्रीलिङ्ग में भाव अर्थ में ण्वुल् प्रत्यय बहुल करके होता है। यथा - प्र + छर्दि + ण्वुल् (अक) = प्रच्छर्दिका। प्र + वह् + ण्वुल् (अक) = प्रवाहिका। वि + चर्च् + ण्वुल् (अक) = विचर्चिका। धात्वर्थनिर्देशे ण्वुल वक्तव्यः (वा.)- धात्वर्थ के निर्देश के लिये धातु से ण्वुल् प्रत्यय होता है। आस् + ण्वुल् (अक) = आसिका। शी + ण्वुल् (अक) = शायिका। संज्ञायाम् - (३.३.१०९) - संज्ञा विषय में धातुओं से स्त्रीलिङ्ग में भाव अर्थ में ण्वुल् प्रत्यय होता है। उद्दालकपुष्पभजिका, वारणपुष्पप्रचायिका, अभ्यूषखादिका, आचोषखादिका, शालभजिका, तालभञ्जिका। (य सब खेलों के नाम हैं।) विभाषाख्यानपरिप्रश्नयोरिञ्च - (३.३.११०) - उत्तर तथा प्रश्न गम्यमान होने पर, धातु से स्त्रीलिङ्ग में, कर्तृभिन्न कारक संज्ञा में, तथा भाव अर्थ में विकल्प से ण्वुल् तथा इञ् प्रत्यय होते हैं। पक्ष में अन्य भाववाची प्रत्यय भी हो सकते हैं। परिप्रश्न अर्थ में इञ् प्रत्यय - त्वं कां कारिम् अकार्षीः ? (तुमने क्या काम किया?) परिप्रश्न अर्थ में ण्वुल् प्रत्यय - त्वं कां कारिकाम् अकार्षीः? (तुमने क्या काम किया ?) परिप्रश्न अर्थ में श प्रत्यय - त्वं कां क्रियाम् अकार्षीः? (तुमने क्या काम किया?) परिप्रश्न अर्थ में क्तिन् प्रत्यय - त्वं कां कृतिम् अकार्षीः ? (तुमने क्या काम किया ?) परिप्रश्न अर्थ में क्यप् प्रत्यय - त्वं कां कृत्याम् अकार्षीः ? (तुमने क्या काम किया ?)। आख्यान अर्थ में पाँचों प्रत्यय - अहं सर्वां कारिं, कारिकां, क्रियां, कृति, कृत्यां वा अकार्षम् । (मैंने सब काम कर लिया।) इसी प्रकार - कां गणिम्, गणिकाम्, गणनाम्, वा त्वम् अजीगणः ? (तुमने क्या गिनती की ?) अहं सर्वां गणिम्, गणिकाम्, गणनाम्, वा अजीगणम् ? (मैंने सब गिनती कर ली।) कां पाठिम्, पाठिकां, पठितिम्, वा त्वम् अपठीः? (तुमने क्या पाठ पढ़ा ?) अहं ३५६ अष्टाध्यायी सहजबोध भाग - ३ सर्वां पाठिम्, पाठिकां, पठितिम्, वा अपठिषम् ? (मैंने सब पाठ पढ़ लिया।) कां याजिम्, याजिकां, यष्टिम्, वा त्वम् अयक्षीः ? अहं सर्वां याजिम्, याजिकां, यष्टिम्, वा अयक्षम्।