८९ क्यप् प्रत्यय

व्रजयजो वे क्यप् (३-३-९८) - व्रज तथा यज धातुओं से स्त्रीलिङ्ग भाव में क्यप् प्रत्यय होता है, और वह उदात्त होता है। व्रज् + क्यप् . + टाप् = व्रज्या इज् + क्यप् + टाप् = इज्या __ संज्ञायां समजनिषदनिपतमनविदषुशीभृञिणः (३-३-९९) - संज्ञाविषय में सम् पूर्वक अज् गतिक्षेपणयोः, नि पूर्वक षद्लु, पत्लु गतौ, मन् ज्ञाने, विद ज्ञाने, शीङ् स्वप्ने, षुञ् अभिषवे, भृञ् भरणे, इण् गतौ धातुओं से स्त्रीलिङ्ग में कर्तृभिन्न कारक संज्ञा में क्यप् प्रत्यय होता है, और वह उदात्त होता है। उदाहरण - समजन्त्यस्याम = समज्या। सम + अज + टाप / ‘अजेळघजपोः’ (२.४ ५६) सूत्र से अज् धातु को वीभाव प्राप्त होने पर - अजेः क्यपि वीभावो नेति वाच्यम (२.४.५६) - क्यप प्रत्यय परे होने पर अज धात को वी आदेश नहीं होता. क्योंकि संज्ञा का बोध विशेष क्रम में स्थित आनपूर्वी से ही होता है। सम् + अज् + क्यप् + टाप् = समज्या। निषीदन्त्यस्याम = निषद्या (नि+सद + क्यप)। इसी प्रकार-निपतन्त्यस्याम = निपत्या (नि + पत् + क्यप् + टाप्)। मन्यते तया मन्या (मन् + क्यप् + टाप्) । विदन्ति तया = विद्या (विद + क्यप + टाप)। सुन्वन्ति तस्यां सुत्या। सु + क्यप् + टाप् / ‘ह्रस्वस्य पिति कृति तुक्’ सूत्र से ह्रस्व को तुक् का आगम करके - सु + तुक् + य + आ = सुत्या। इसी प्रकार - भरणं = भृत्या (जीविका)। (भृ + तुक् + क्यप् + टाप्) ईयते गम्यते यया इत्या (शिबिका)। (इ + तुक् + क्यप् + टाप्) स्त्रीलिङ्ग में होने वाले अन्य प्रत्यय ३४५ शेरते तस्यां शय्या। शी + क्यप् + टाप् / ‘अयङ् यि क्डिति’ सूत्र से ई को अयङ् आदेश करके - शय् + य + आ = शय्या। विशेष - ध्यान दें कि यह क्यप् प्रत्यय संज्ञा अर्थ में होता है, अतः भाव अर्थ में क्तिन् आदि अन्य प्रत्यय भी हो सकते हैं। मतिः, भृतिः, आसुतिः, आदि।