ण्वुल्तृचौ - (३.१.१३३) - समस्त धातुओं से कर्ता अर्थ में ण्वुल तथा तृच् प्रत्यय होते हैं। क + ण्वल - कारकः पठ + ण्वल - पाठकः / क + तच - कर्ता आदि। का ये दोनों कृत् प्रत्यय कर्ताकारक अर्थ में होते हैं। अर्थात् इनके लगने पर जो शब्द बनता है, उसका अर्थ होता है, उस कार्य को करने वाला। जैसे - करोति इति कर्ता (कृ + तृच्), पठति इति पठिता (पठ् + तृच्) । करोति इति कारकः (कृ + ण्वुल्), पठति इति पाठकः (पठ् + ण्वुल्)।