ध्यान रहे कि यह प्रत्यय वैदिक या छान्दस है। अभि + चर् + तोसुन् / हलन्त्यम्’ सूत्र से न् की इत्संज्ञा होकर - अभि + चर् + तोस् / ‘आर्धधातुकस्येड् वलादेः’ सूत्र से तोसुन् को इडागम होकर - अभि + चर् + इट् + तोस् / अभि + चर् + इ + तोस् / स् को रुत्व विसर्ग होकर - अभिचरितोः। ईश्वरोऽभिचरितोः।