ध्यान रहे कि यह प्रत्यय भी वैदिक या छान्दस है। कृ + त्वन् / ‘हलन्त्यम्’ सूत्र से न् की इत्संज्ञा होकर कृ + त्व - सार्वधातुकार्धधातुकयोः सूत्र से ऋको गुण करके - कर् + त्व - कर्व- कलम् ।