ध्यान रहे कि यह प्रत्यय वैदिक या छान्दस है। गम् + तवेन् / हलन्त्यम्’ सूत्र से न् की इत्संज्ञा होकर तथा म् को ‘नश्चापदान्तस्य झलि’ से अनुस्वार होकर - गं + तवे / ‘अनुस्वारस्य ययि परसवर्णः’ सूत्र से अनुस्वार को परसवर्ण होकर - गन्तवे। कृ + तवेन् / ‘सार्वधातुकार्धधातुकयोः’ से गुण करके - कर् + तवे - कर्तवे। इसी प्रकार - हृ + तवेन् = हवि। स्वर्देवेषु गन्तवे, कर्तवे, हर्तवे।