‘लशक्वतद्धिते’ सूत्र से घ् की इत्संज्ञा होकर अ शेष बचता है। दन्त + छद + णिच + घ/ ‘अत उपधायाः’ सत्र से उपधा के अत को वद्धि करके - दन्तछाद् + इ + अ / ‘णेरनिटि’ से णिच् का लोप करके - दन्तछाद् + अ छादेर्धेऽद्व्युपसर्गस्य (६.४.९६) - इस सूत्र से छाद् के अ को ह्रस्व करके - दन्तछद् + अ = दन्तछदः । छे च (६.१.७३) सूत्र से तुक् का आगम करके - दन्त + तुक् + छद् / त् को ‘स्तोः श्चुना श्चुः’ से श्चुत्व करके - दन्तच्छदः । आखन् + घ / आखन् + अ = आखनः। आ + कृ + घ / ‘सार्वधातुकार्धधातुकयोः’ सूत्र से गुण करके - आकर् + अ = आकरः / आ + ली + घ / ‘सार्वधातुकार्धधातुकयोः’ सूत्र से गुण करके तथा ‘एचोऽयवायावः’ सूत्र से अय् आदेश करके - आलय् + अ = आलयः।