वनिप् प्रत्यय में ‘हलन्त्यम्’ सूत्र से प् की तथा उपदेशेऽजनुनासिक इत्’ सूत्र कित्, डित्, जित्, णित्, से भिन्न आर्धधातुक कृत् प्रत्यय १४१ से इ की इत् संज्ञा करके ‘तस्य लोपः’ सूत्र से उनका लोप करके वन् शेष बचता है। भूरि + दा + वनिप् / भूरि + दा + वन् = भूरिदावन् / प्रथमा एकवचन में भूरिदावा। इसी प्रकार - घृत + ङस् + पा + वनिप् / ‘सुपो धातुप्रातिपदिकयोः’ सूत्र से सुप् विभक्ति का लोप करके पूर्ववत् = घृतपावा।