न्य वादीनां च (७.३.५३) इस सूत्र से निपातन से बनने वाले शब्द - १३८ अष्टाध्यायी सहजबोध भाग - ३ ‘नावञ्चतेः’ इस उणादिसूत्र से उ प्रत्यय करके - नी + अञ्च् + उ - ‘न्यवादीनां च’ सूत्र से निपातन से कुत्व करके न्यङ्कुः । ‘मिमस्जिभ्य उः’ इस उणादिसूत्र से उ प्रत्यय करके - मस्ज् + उ - न्यवादीनां च’ सूत्र से निपातन से कुत्व करके मद्गुः । ‘प्रथिम्रदिभ्रस्जां सम्प्रसारणं सलोपश्च’ इस उणादिसूत्र से उ प्रत्यय करके - भ्रस्ज् + उ - ‘न्य वादीनां च’ सूत्र से निपातन से कुत्व करके - भृगुः । दूरे + पच् + उ - दूरेपाकुः। फले + पच् + उ - फलेपाकुः । इनमें ’ न्य वादीनां च’ सूत्र से कु प्रत्यय का विधान, कुत्व और वृद्धि, ये सारे कार्य निपातन से होते है। शेष धातु - आ + शंस् + उ = आशंसुः / भिक्ष् + उ = भिक्षुः । चिकीर्ष + उ / ‘अतो लोपः’ से अ का लोप करके - चिकीर्ष + उ = चिकीर्षुः । इसी प्रकार वेद में - देवय + उ = देवयुः । सुम्नय + उ / ‘अतो लोपः’ सूत्र से अका लोप करके = सुम्नयुः । इसी प्रकार - अघाय+ उ = अघायु, बहुवचन में अघायवः ।