३६ अतृन् प्रत्यय

‘हलन्त्यम्’ सूत्र से न् की इत्संज्ञा कर तथा उपदेशेऽजनुनासिक इत्’ सूत्र से ऋ की इत्संज्ञा करके अत् शेष बचता है। इसे भी ठीक ‘अनीयर’ के समान ही लगायें। जृ + अतृन् / जृ + अत् / जर् + अत् = जरत् / प्रथमा एकवचन में जरन्।