ष्वुन् प्रत्यय में हलन्त्यम्’ सूत्र से न् की तथा षः प्रत्ययस्य’ से ष् की इत् संज्ञा करके ‘तस्य लोपः’ सूत्र से उनका लोप करके ‘वु शेष बचाइये और ‘युवोरनाकौ’ सूत्र से वु के स्थान पर ‘अक’ आदेश कीजिये। इसे भी ठीक ‘अनीयर्’ के समान ही लगायें नृत् + ष्वुन् - नृत् + अक - न + अक = नर्तकः न् + ष्वुन् - खन् + अक - __ - = खनकः रज् + ष्वन् - रज् + अक - - - - = रजकः प्रत्यय के षित होने का फल-षित प्रत्यय से बने हए जो शब्द होते हैं. उनसे स्त्रीलिङ्ग में ‘षिद्गौरादिभ्यः’ सूत्र से डीप् प्रत्यय होता है। अतः स्त्रीत्व की विवक्षा में - नर्तक + ङीप् = नर्तकी। इसी प्रकार खनकी, रजकी बनाइये।