२२ खुकञ् प्रत्यय

खुकञ् प्रत्यय में हलन्त्यम्’ सूत्र से ञ् की तथा लशक्वतद्धिते’ सूत्र से ख् की इत् संज्ञा करके तस्य लोपः’ सूत्र से उनका लोप करके ‘उक’ शेष बचाइये। इसमें ञ् की इत् संज्ञा हुई है, अतः यह प्रत्यय जित् है। ख की इत् संज्ञा होने से यह खित् भी है, अतः इसे ठीक खमुञ् के समान ही धातुओं में लगाइये। स्थूल + अम् + भू + खुकञ् / उपपदमतिङ्’ से समास करके तथा ‘सुपो धातुप्रातिपदिकयोः’ सूत्र से सुप् विभक्ति का लुक् करके - स्थूल + भू + उक / ‘अचो णिति’ सूत्र से वृद्धि करके - स्थूल + अम् + भौ + उक / ‘अरुद्धिषदजन्तस्य मुम्’ से मुम् का आगम करके - स्थूल + मुम् + भौ + उक / स्थूलं + भौ + उक / औ को अवादेश करके - स्थूलं + भाव् + उक = स्थूलंभावुकः । इसी प्रकार पलितंभावुकः, अन्धंभावुकः, नग्नंभावुकः आदि बनाइये। णच् प्रत्यय कर्मव्यतिहार अर्थात् क्रिया का अदल बदल गम्यमान होने पर ‘कर्मव्यतिहारे णस्त्रियाम्’ सूत्र से स्त्रीलिङ्ग में धातु से कर्तृभिन्न कारक संज्ञा विषय में तथा भाव में णच् प्रत्यय होता है। जित् णित् आर्धधातुक कृत् प्रत्यय ११७ व्यावक्रोशी वर्तते - आपस में चिल्लाना हो रहा है। वि + अव + क्रुश् + णच् / वि + अव + क्रुश् + अ / पुगन्तलघूपधस्य च’ से उपधा को गुण करके तथा वि के इकार को ‘इको यणचि’ सूत्र से यण् करके - व्यवक्रोश - णचः स्त्रियामञ् (५.४.१४) - णच् प्रत्ययान्त शब्दों से स्त्रीलिङ्ग में स्वार्थ में अञ् प्रत्यय होता है। (ध्यान रहे कि यह अञ् प्रत्यय तद्धित प्रत्यय है।) व्यवक्रोश + अञ् - न कर्मव्यतिहारे (७.३.६) - क्रिया का परस्पर विनिमय गम्यमान होने पर ‘न स्वाभ्यां पदान्ताभ्यां पूर्वस्य तु ताभ्यामैच’ सूत्र से होने वाले ऐच् आगम का निषेध होता है। अतः - व्यवक्रोश + अ / इसमें तद्धितेष्वचामादेः’ सूत्र से आदि अच् को वृद्धि करके - व्यावक्रोश + अ - यस्येति च (६.४.१४८) - ईकार और तद्धित परे होने पर भसंज्ञक इवर्ण, अवर्ण का लोप होता है। व्यावक्रोश् + अ - व्यावक्रोश् + अ - व्यावक्रोश / अब स्त्रीलिङ्ग में टिड्ढाणद्वयसज्दघ्नज्मात्रच्तयप्ठठकञ्क्वरपः’ सूत्र से ङीप् करके - व्यावक्रोश + डीप् / पुनः ‘यस्येति च’ से अकार का लोप करके - व्यावक्रोशी वर्तते - आपस में चिल्लाना हो रहा है। इसी प्रकार लिख धातु से - (वि + अव + लिख + णच् + अञ् + डीप् = व्यावलेखी वर्तते - आपस में लिखना हो रहा है।) हस् धातु से - (वि + अव + हस् + णच् + अञ् + डीप् = व्यावहासी वर्तते - आपस में हँसना हो रहा है।)