१५ उकञ् प्रत्यय

उकञ् प्रत्यय में हलन्त्यम्’ सूत्र से ञ् की इत् संज्ञा करके, ‘तस्य लोपः’ सूत्र से उसका लोप करके, ‘उक’ शेष बचाइये। ञ् की इत् संज्ञा होने से यह प्रत्यय जित् है, इसलिये इसे धातुओं में ठीक ण्वुल प्रत्यय के समान लगाइये। आकारान्त धातु -उप + स्था + उकञ् / ‘आतो युक् चिण्कृतोः’ सूत्र से युक् का आगम करके - उप + स्था + युक् + उक = उपस्थायुकः । इकारान्त धातु - कामि + उकञ् / ‘णेरनिटि’ से णिच् (इ) का लोप करके जित् णित् आर्धधातुक कृत् प्रत्यय

  • काम् + उक = कामुकः । उकारान्त धातु - प्र + भू + उकञ् / ‘अचो णिति’ से वृद्धि करके - प्र + भौ + उक / ‘एचोऽयवायावः’ सूत्र से औ को आव् आदेश करके - प्र भाव् + उक = प्रभावुकः। ऋकारान्त धातु - किम् + शृ + उकञ् / ‘अचो णिति’ से वृद्धि करके - किम् + शार् + उक = किंशारुकः । अदुपध धातु - अप + लष् + उकञ् / ‘अत उपधायाः’ से उपधा के अ को वृद्धि होकर - अपलाष् + उक = अपलाषुकः । इसी प्रकार - प्रपत् + उकञ् / ‘अत उपधायाः’ से उपधा के अ को वृद्धि करके - प्रपात् + उक = प्रपातुकः। आ + हन् + उकञ् / ‘हो हन्तेर्णिन्नेषु’ सूत्र से ह को कुत्व करके - आघन् + उक / ‘हनस्तोऽचिण्णलोः’ सूत्र से न् को त् करके - आघत् + उक / ‘अत उपधायाः’ सूत्र से उपधा के अ को वृद्धि होकर - आघात् + उक - आघातुकः । आ + गम् + उकञ् / ‘अत उपधायाः’ से उपधा के अ को वृद्धि करके - आगाम् + उक = आगामुकः । ऋदुपध धातु - प्र + वृष् + उकञ् / ‘पुगन्तलघूपधस्य च’ सूत्र से उपधा के ऋ को गुण करके - प्र + वर्ष + उक = प्रवर्षुकः। णिजन्त धातु - कामि + उकञ् / ‘णेरनिटि’ सूत्र से णिच् (इ) का लोप करके - काम् + उक = कामुकः।