ण प्रत्यय में ‘चुटू’ से ण् की इत् संज्ञा करके, ‘तस्य लोपः’ सूत्र से उसका लोप करके, ‘अ’ शेष बचाइये। ण् की इत् संज्ञा होने से यह प्रत्यय णित् है। अतः इसे धातुओं में उसी विधि से लगाइये, जिस विधि से धातुओं में ण्वुल् प्रत्यय लगाया गया है। यथा - आकारान्त तथा एजन्त धातु - दा + ण / ‘आतो युक् चिण्कृतोः’ ये युक् का आगम करके - दा + युक् + अ = दायः।। इसी प्रकार धा + ण = धायः / अव + षो + ण / ‘आदेच उपदेशेऽशिति’ सूत्र से एच् को आ आदेश करके - अव + सा + अ / ‘आतो युक् चिण्कृतोः’ ये युक् का आगम करके - अवसा + युक् + अ = अवसायः आदि। अव + श्यै + ण / ‘आदेच उपदेशेऽशिति’ सूत्र से एच् को आ आदेश करके - अवश्या + अ / ‘आतो युक् चिण्कृतोः’ ये युक् का आगम करके - अवश्या + युक् + ११० अष्टाध्यायी सहजबोध भाग - ३ अ = अवश्यायः । इसी प्रकार प्रतिश्यायः। इकारान्त धातु - अति + इ + ण / ‘अचो णिति’ से वृद्धि करके - अति + ऐ + अ / आय् आदेश करके - अत्यायः । इसी प्रकार - नी + ण / ‘अचो णिति’ से वृद्धि करके - नाय् + अ - नायः । उकारान्त धातु - आत्रु + ण / ‘अचो णिति’ सूत्र से अजन्त अङ्ग को वृद्धि करके - आस्रौ + अ / ‘एचोऽयवायावः’ सूत्र से आव् आदेश करके - आस्रावः । इसी प्रकार - संजु + ण - संस्रावः । दु + ण - दावः । ऋकारान्त धातु - अव + हृ + ण / ‘अचो णिति’ सूत्र से अजन्त अङ्ग को वृद्धि करके - अव + हार् + अ - अवहारः। अदुपध धातु - ज्वल् + ण / ज्वल् + अ / ‘अत उपधायाः’ से उपधा के अ को वृद्धि होकर - ज्वाल् + अ = ज्वालः / श्वस् + ण / ‘अत उपधायाः’ से उपधा के अ को वृद्धि होकर - श्वास् + अ - श्वासः । इसी प्रकार - ग्रह् + ण / ‘अत उपधायाः’ से उपधा के अ को वृद्धि होकर - ग्राह् + अ - ग्राहः । इसी प्रकार - व्यध् + ण / ‘अत उपधायाः’ से उपधा के अ को वृद्धि होकर - व्याधः। . इदुपध धातु - लिह् + ण / ‘पुगन्तलघूपधस्य च’ सूत्र से उपधा के ऋ को गुण करके - लेह् + अ - लेहः। श्लिष् + ण / ‘पुगन्तलघूपधस्य च’ सूत्र से उपधा के ऋ को गुण करके - श्लेष् + अ - श्लेषः। उदुपध धातु - रुह् + ण / रुह् + अ / ‘पुगन्तलघूपधस्य च’ से उपधा के उ को गुण होकर - रोह् + अ = रोहः। शेष धातु - शेष धातुओं में कुछ नहीं कीजिये - मांस + ङस् + शील् + ण - ‘उपपदमतिङ्’ से समास करके तथा सुपो धातुप्रातिपदिकयोः’ सूत्र से सुप् विभक्ति का लुक करके - मांस + शील् + अ = मांसशीलः।
- इसी प्रकार - मांस + ङस् + भक्ष् + ण = मांसभक्षः / सुख + अम् + प्रति + ईक्ष् + ण - सुखप्रतीक्षः / बहु + क्षम् + ण = बहुक्षमः । __ मांस + ङस् + कामि + ण / यह णिजन्त धातु है, अतः ‘णेरनिटि’ सूत्र से णिच् (इ) का लोप करके - मांस + काम् + अ = मांसकामः ।