डॉ० पुष्पा दीक्षित 12 जून 1943 को जबलपुर नगर में, प्रख्यात आयुर्वेद चिकित्सक तथा न्याय, वेदान्त और संस्कृत साहित्य के गम्भीर विद्वान प्राणाचार्य पण्डित सुन्दरलाल जी शुक्ल के घर जन्म । बाल्यकाल से ही पूज्यपिताजी से तथा अनन्तर काशी की विद्वत्परम्परा के महनीय आचार्य पण्डित विश्वनाथ जी त्रिपाठी, प्राचार्य, कृष्णबोधाश्रम संस्कृत महाविद्यालय, जबलपुर से नव्यव्याकरण का अध्ययन । एम० ए०, पी-एच०डी० करके सन् 1965 से मध्यप्रदेश शासन/छत्तीसगढ़ शासन की महाविद्यालयीन शिक्षा में प्राध्यापक पद से सेवानिवृत्त। आपने पाणिनीय अष्टाध्यायी के वैज्ञानिक क्रम का अनुसंधान करके व्याकरणशास्त्र में एक सर्वथा नवीन प्रस्थान को जन्म दिया, जिससे 6 मास में सम्पूर्ण अष्टाध्यायी अधिगत हो जाती है। प्रकाशित ग्रन्थ 1. अष्टाध्यायी सहजबोध, भाग 1 सार्वधातुक लकार । 2. अष्टाध्यायी सहजबोध, भाग 2 आर्धधातुक लकार। 3. अष्टाध्यायी सहजबोध, भाग 3 कृदन्तप्रकरणम्। 4. अष्टाध्यायी सहजबोध भाग 4 तद्धितप्रकरणम्। 5. आर्धधातुक प्रत्ययों की इडागम व्यवस्था। 6. अग्निशिखा (गीतिकाव्य)। 7. शाम्भवी (गीतिकाव्य)। 8. शीघ्रबोध व्याकरणम् । 9. अष्टाध्यायीसूत्रपाठः। प्रकाश्यमानग्रन्था 10. कृदन्तरूपकोशः। 11. तिङन्तरूपकोशः। 12. प्रक्रियानुसारपाणिनीयधातुपाठः। 13. पारिभाषेन्दुशेखरस्य बहुतरपरिभाषाणामन्यथासिद्धिः । 14. अष्टाध्यायीसहजबाँध के अवशिष्ट चार भाग। 15. नव्यसिद्धान्तकौमुदी तथा अन्य। ग्रन्थ के विषय में डॉ० पुष्पा दीक्षित का यह ‘अष्टाध्यायी सहजबोध’ महामनि पाणिनि की अन्तरात्मा को निश्चित ही आनन्दित करेगा। इससे संस्कृत साहित्य का अत्यन्त कल्याण सम्भावित है, ऐसा मेरा पूर्ण विश्वास है। -आचार्य डॉ० रामप्रसाद त्रिपाठी डॉ० पुष्पा दीक्षित की यह ‘सहजबोध’ नामक कृति परम्परागत विद्वानों और विद्यार्थियों में ‘पाणिनीय महाशास्त्र’ के प्रति अभिनव रुचि जगायेगी एवं शोध की नई-नई दिशाओं का निर्माण करने में सहायक होगी। -आचार्य डॉ० रामकरण शर्मा