०१ सरल धातुपाठ

आर्धधातुक प्रत्ययों के लिये सरल धातुपाठ

पाणिनीय धातुपाठ के सारे धातु हमने इस ग्रन्थ के प्रथमखण्ड में, अर्थ सहित दिये हैं। अतः इस खण्ड में इनके अर्थ न देकर केवल धातु का निरनुबन्ध रूप ही दे रहे हैं। धातु के इसी निरनुबन्ध रूप से ही सारे आर्धधातुक प्रत्यय लगाइये। यदि इनके अर्थ जानना हो, तो प्रथमखण्ड के पीछे दी हुई धातुसूची से इन धातुओं के अर्थों को देखा जा सकता है। हम जानते हैं कि पाणिनीय धातुपाठ के समग्र धातु १० भागों में बँटे हुए हैं। प्रत्येक भाग को हम गण कहते हैं। प्रत्येक गण का अलग अलग चिह्न या विकरण होता है, यह हम पढ़ चुके हैं। ये विकरण इस प्रकार हैं - क्रमाङ्क - गणनाम - विकरण क्रमाङ्क - गणनाम -विकरण प्रथमगण = भ्वादिगण - शप् षष्ठगण = तुदादिगण - श द्वितीयगण = अदादिगण - शप्लुक् सप्तमगण = रुधादिगण - श्नम् तृतीयगण = जुहोत्यादिगण - शपश्लु अष्टमगण = तनादिगण - उ चतुर्थगण = दिवादिगण - श्यन् नवमगण = क्र्यादिगण - श्ना पञ्चमगण = स्वादिगण - श्नु दशमगण = चुरादिगण - शप __ लट्, लोट, लङ्, विधिलिङ्, लकारों के प्रत्यय, तिङ् सार्वधातुक प्रत्यय हैं। शतृ, शानच्, शानन्, चानश्, खश्, श, एश्, शध्यै, शध्यैन् ये कृत्.सार्वधातुक प्रत्यय हैं। इन प्रत्ययों का अर्थ जब कर्ता होता है, तब इनके परे होने पर धातुओं के बाद गणों के ये विकरण बैठते हैं। जैसे - भू + ति। इसमें ‘भू’ यह भ्वादिगण का धातु है, तथा ‘ति’ यह लट् लकार का कर्बर्थक सार्वधातुक प्रत्यय है। अतः इनके बीच में शप् विकरण बैठेगा। कर्मार्थक अथवा भावार्थक सार्वधातुक प्रत्यय परे होने पर, तथा कोई भी आर्धधातुक प्रत्यय परे होने पर, धातु + प्रत्यय के बीच में ये विकरण कभी नहीं बैठते। जैसे - दा + स्यति। यह ‘स्यति’ प्रत्यय लृट् लकार का आर्धधातुकअष्टाध्यायी सहजबोध प्रत्यय है। अतः इसके लगने पर धातु और प्रत्यय के बीच में विकरण नहीं बैठेगा। इस खण्ड में हम लिट्, लुट, लुट, लेट, आशीर्लिङ्, लुङ्, लुङ्, इन आर्धधातुक लकारों के रूप तथा सन्नन्त, यङन्त आदि प्रक्रियाएँ बनाने जा रहे हैं। इन सभी के प्रत्यय आर्धधातुक ही हैं। जब आर्धधातुक प्रत्यय परे होने पर विकरण को बैठना ही नहीं है, तो क्यों न हम, सारे गणों के धातुओं को एक साथ मिलाकर काम करें। इससे सरलता होगी। इसी भाव से हमने, भ्वादिगण से क्र्यादिगण तक के सारे धातुओं को एक साथ मिलाकर, प्रक्रिया की सरलता के लिये यह धातुपाठ बनाया है, क्योंकि - आर्धधातुक प्रत्यय परे होने पर गणों का कोई भेद नहीं होता। ध्यान दें कि आर्धधातुक प्रत्यय परे होने पर, एजन्त धातु ‘आदेच उपदेशेऽशिति’ सूत्र से आकारान्त हो जाते हैं। अतः हमने उन्हें आकारान्त बनाकर, आकारान्त धातुओं के वर्ग में ही मिला दिया है। __इस धातुपाठ में धातु इस क्रम से दिये गये हैं - भ्वादिगण से ज़्यादिगण तक के सारे आकारान्त तथा एजन्त धातु / भ्वादिगण से क्रयादिगण तक के सारे इकारान्त धातु / भ्वादिगण से ज़्यादिगण तक के सारे ईकारान्त धातु / भ्वादिगण से क्र्यादिगण तक के सारे उकारान्त धातु / भ्वादिगण से क्रयादिगण तक के सारे ऊकारान्त धातु / भ्वादिगण से ज़्यादिगण तक के सारे ऋकारान्त धातु / भ्वादिगण से ज़्यादिगण तक के सारे ऋकारान्त धातु / भ्वादिगण से ज़्यादिगण तक के सारे अदुपध धातु / भ्वादिगण से ज़्यादिगण तक के सारे इदुपध धातु / भ्वादिगण से ज़्यादिगण तक के सारे ऋदुपध धातु / भ्वादिगण से ज़्यादिगण तक के सारे सम्प्रसारणी धातु / भ्वादिगण से ज़्यादिगण तक के सारे अनिदित् धातु / भ्वादिगण से क्रयादिगण तक के सारे शेष धातु । __इन नौ गणों के सम्मिलित धातुपाठ के बाद, धातुओं के अन्तर्गणों को रखा है, क्योंकि उनमें पृथक् कार्य हो सकते हैं। चुरादिगण के धातुओं को भी अलग रखा है, क्योंकि चुरादिगण के किसी भी धातु में पहिले ‘सत्यापपाशरूपवीणा - तूलश्लोकसेनालोमत्वचवर्मवर्णचूर्णचुरादिभ्यो णिच्’ सूत्र से णिच्’ प्रत्यय लगाया जाता है। णिच् प्रत्यय लग जाने के बाद जो ‘णिजन्त’ धातु तैयार होता है, उससे ही अन्य कोई भी प्रत्यय लगाया जा सकता है, सीधे नहीं।

  • अब आर्धधातुक प्रत्ययों के लिये यह धातुपाठ प्रारम्भ कर रहे हैं - चिरि | धेट देङ् भ्वादिगण से ज़्यादिगण तक के धातु तथा उनके अन्तर्गण आकारान्त धातु | डुधाञ् धा | त्रैङ् क्षि (सारे अनिट् हैं) | एजन्त धातु । श्यैङ् चिरि पा | (सारे अनिट् हैं)| वेञ् वा जिरि जिरि दैप् शो शा रिम | छो छा षो | धि हेञ् हा (लिट्लकार में हु) | षिञ् व्ये व्या | ईकारान्त धातु (लिट्लकार में व्ये) (सेट् धातु) द्रा | इकारान्त धातु | डीङ् डी ध्रा | (सेट् धातु) शीङ शी ध्यै टुओश्वि श्वि | (अनिट् धातु) श्रिञ् श्रि णीञ् (अनिट् धातु) वी सि 5BEFFFFFFFFFE 4 स्त्यै ष्टयै जिभी 4 55FE E F FFER FFFFEE F Fb E F F FES जEFFFFFFFFFFFFFFFEE जि ही ही | दीङ् दी & 4 इ ष्मि & प्रा 4 धाड 4 मा इण् too 4 माङ् ros इङ् इक 4 लीङ् tos ओहाङ् ओहाक् 4 कि वीङ् & गा 4 डक्रीत्र I षिञ् शि माङ 4 for प्री ज्ञा श्रीत्र E दाण मीञ् 4 डुमिञ् चिञ् स्या | हि मा ।रि दाप् डुदाञ् | मेङ | ली 45 ᳕ ब्ली| ऊर्गुञ् ऊर्गु (अनिट् धातु) | प्ली| रुरु । जृष् ती | ष्टुञ् हनुङ् क्षीष उकारान्त धातु षुञ् (सेट् धातु) कृञ् कृ टद यु عن ام عن ام وی स्कुञ् युञ् णु नु टुक्षु क्षु क्ष्णु ष्णु (अनिट् धातु) Homcmol att me mal nudelinalewan ऊकारान्त (सारे सेट كن डुभृञ् من إم من لم كي ي ع ك ا عر ہی لب لعل अदुपध धातु (अनिट् धातु) रभ र डुलभष् लभ् यभ यभ् णम द्र नम् ज्यङ गम्लु مدى 4 नह प्लुङ रुड़ م तप् दह णह धृङ् तप डुकृञ् कृ त्यज ऋकारान्त धातु | घस्तृ तृ त । वस ع ऋकारान्त (सेट् धातु) वृङ् عر عر ہوں त्यज् घस् ) 9) व | व वस् आर्धधातुक प्रत्ययों के लिये संक्षिप्त धातुपाठ डुपचष् वच भज लज् | रप जज् | लप म जज पच् लज वच् । भज् । शद् । व्रज रप | मव लप | अव रफ | कष अव् कष् वज अण अण खष शद्लू षद्लू खष् जष् सद् यम यम अंट वण जष झष मष झष गम्लु गम भण मष् हद मण शष् रण वण भण मण कण क्वण व्रण भ्रण कण वष वष A4 शट क्वण भष भष हन् वट शप लस् रस् शप् व्रण भ्रण ध्वण जट हलस रस लस झट ध्वण लस मह बद भट ध्रन् मह ध्रन ष्टन खद खद् चह अत वन कख का गद शश् बद् तट अत् | खट नट गद् | हट रद् | षट नद् पठ नद् । वठ तक् ਸਠ कठ वन षण अम द्रम हय सम् स्तम् स्तन् चह वन् । मश वन् । शव सन् । शश अम् । षम द्रम् | ष्टम हय् | कम अल् | जभी फल | मनु स्खल् | कटी खल् | कनी छमु | जमु कम् अल नद तक बख मख जभ् मन् बख् मख् रट फल स्खल खल नख रख गल गल लख षल सल णख रख लख घघ ध्रज ध्वज अज घ दल दल झमु जम् झम् शस् ध्रज श्वल ध्वज लड कड जप अज् खज् | षप त्सर् | अकला फल श्वल त्सर क्मर सप् | चर शसु | त्रिफला क्मर् | दध चर् | दद चप खज ᳕ ष्वद कक व्यय अस स्पश विष क्षिप् कक व्यय् | यसु शक्ल अशू अस् यस | विष्ल शक् | क्षिप अश् | खिद विद चक स्पश् खिद् षच लष लष् षघ शच चष अह शच् श्वच विद् लिश दिश् भिद् श्वच छष दघ छष झष कच कच झ चम . षच षद्लू दघ् । दिश चम् | भिदिर् छिदिर् शद विचिर छिद् मच पवन खनु शद्लू रिचिर 丽啊啊啊啊啊阿阿飛西刚灭啊啊啊啊 रिच विच अय कट हस् 丽丽河、阿丽丽丽阿阿阿啊阿啊啊 ओलजी लज खिद खिद् विद् पय चत तनु तन् विद षण सन रिश रिश् मय चय क्षण क्षण लिश तय पन वनु विश लिश् विश् शिष् पिष् णभ क्रम लष लष पिष्टु रय बध बध अस ध्रस् शल अस् वल वल षस मल मल चित् श्वस अन भल भल कल भस इख् णस नस् भ्यस् शिष्ल अश- अश् उध्रस् (सेट् धातु) खच तिज तिज सस् ग्रह ग्रह | कित कित् श्वस्। इदुपध धातु चिती अन् | (अनिट् धातु) | षिधू सिध् __ भस् | षिध सिध् | इख धन् | मिह किट जन् | तिपृ खिट स्नस् त्विष शिट शिट क्नस् द्विष चिट सह लिह लिह विट अण् | विद विद् विट मन् | णिजिर निज जन् । विजिर विज । किट किट ह किट खिट भ्यस तिप ग्लह यती क्नसु पिट कल धन जन ग्लह् | ष्णसु यत् । त्रसी __ ग्लस् षह __त्रप् | अण क्षम् | मन कब् । जनी सिट त्रस् | दुह चिट ग्रसु ग्लसु त्रपूष् क्षमूष् कबृ विट विट पिट पिट आर्धधातुक प्रत्ययों के लिये संक्षिप्त धातुपाठ लुट मुड् पुड् Eo p ps fE8 जिष इष टे स्फुट रुठ لحن له मिष् शुरु चुप् युध किल तिल । अनुरुप युज् तुद् तुप गुड़ तुड् चिल चिल इल इल त्रुप त्रुप् तुफ तुफ पिठ विल बिल निल तुफ त्रुप विथ पिठ् विथ् टिक् घुण तिल |ष्टिघ स्तिथ् | रुधिर् शिष शिष् |तिक तिक् | क्षुदिर् रिष रिष् | तिग तिग् जिष् विष् क्षिप मिषु मिष ओविजी श्रिषु श्रिष् रिफ श्लिषु श्लिष् | विध _ विध् क्षिबु क्षित् | मिष युध पिसृ पिस् |किल अनोरुध णिश निश् | तिल युज् मिश तुद णि निद जिष्विदा स्विद् | | विल बिल | णिल टिक | हिल तिकृ तिक् | शिल प्लिह प्लिह | षिल ष्टिप स्तिप् | मिष श्च्युतिर् मिद् | लिख लिख उख ष्ठिव् | मिल ओविजी धिष धिष् | क्षिणु तिम तिम् क्लिशू क्लिश ष्टिम स्तिम् इष इष् इष इष् विष क्लिश क्लिश् उपध धातु दिवु दिव् | (अनिट् धातु) पुष् सिव् रुश रुश् ष्ठिवु ष्ठिव् । णुद नुद् | स्फुट घुण हिल् घषिर घुष् शिल रुप सिल UN उण मिष् पण पूर्ण मि 9 18 !ES E F E F EEEEEEEEEEEEE !! IE, ष्ठितु मिल विज् शच प्लुष् रुदिर् तुस् क्षिण तुह दुह विष उह मूद षिवु सिव् पुष युत् मि तुज जुत् मज कुक् ᳕ स्तु पभ ہر वक पृच् शुभ तुजी वृज सृभ् । कृती वृक् ऋज् तृह ऋणु तृणु शृध् भृज् तह वृतु ऋण ष्णुसु व्युष प्लुष तृण घृणु घण कुथ मृद 现现和四现现照明晚可調现 प्रण गृह गुध पृच् शुचिर् मृज् जुषी नृती नृत् । ज्या लुभ मृष् वश् तुफ गुफ DEE EF E. IEEEEE मृड मृड् प्लुष प्लुष् वृज् सम्प्रसारणी धातु मुष मुष् पृची (ग्रह्यादि) ऋदुपध धातु । (अनिट् धातु) ज्या दृशिर् दृश् वृत् व्यध व्यध कृष कृष् मृष वश सृप्लू सृप ऋधु ऋध् | व्यच जिधृषा धृष् ओव्रश्चू वश्च ऋषी ऋष् | (अनिट् धातु) ऋच ऋच् | प्रच्छ प्रच्छ ऋफ ऋफ् | भ्रस्ज भ्रज्ज् दृभी दृश् | सम्प्रसारणी धातु नृत् । (वच्यादि) . । (अनिट् धातु) वच वच जिष्वप यज यज् डुवप मृड् पृथ् स्वप् हृस् | स्तृहू स्तृह | वेञ् दृह् | उच्छृदिर् रुद् | व्येञ् बृह् । उतृदिर् तृद् । वद आर्धधातुक प्रत्ययों के लिये संक्षिप्त धातुपाठ p सम्भ् | ईट स्रम्भर एज् / धर्म हूर्च्छ तुम्प् | ईष No ca, sa, A, B कुञ्च क्रुञ्च लुञ्च उम्भ ईज हे हे श्रम्भु श्रम्भ | टुमस्जो मस्ज् | तुर्वी (सेट् धातु) स्रंसु स्रेस् | (सेट् धातु) | थुर्वी टुओश्वि शिव ध्वंसु ध्वंस् | ओख ओख् | दुर्वी अनिदित् धातु | भंसु भ्रंस् । एजु (अनिट् धातु) टेंभु दंश दंश् स्यन्दू स्यन्द ष्वज स्वघे कुंस षज्ज सज् । रज्ज र तृम्फ तृम्फ् | उच्छी (सेट् धातु) | तुम्प मन्थ मन्थ् तुम्फ उक्ष शुन्ध शुन्ध | दृम्फ दृम्फ् ऊष कुञ्च् | ऋम्फ ऋम्फ् एध क्रुञ्च् गुम्फ एज लुञ्च् | उम्भ वञ्चु वञ्च् शुम्भ चञ्च् | तन्हू तञ्च् |तञ्चू त्वञ्चु त्वञ्च् उन्दी इदि मुञ्च् | जिइन्धी ऊह बिदि म्लुञ्च् भञ्जो ए एष् | भिदि ग्लुञ्चु ग्लुञ्च् | अजू अञ्ज | गडि तुम्प तुम्प् बन्ध इन्द् | णिदि त्रुम्प त्रुम्प् मन्थ उन्ख्| तुम्फ तुम्फ् | श्रन्थ श्रन्थ् इन्ख् | चदि त्रुम्फ त्रुम्फ् ग्रन्थ ग्रन्थ् | ईखि पृम्भु सृम्भ कुन्थ् इगि इन्ग् कदि शुम्भ शुम्भ | शेष धातु उछि उन्छ| क्रदि हम्म हम्म (अनिट् धातु) ऋजि ऋन्ज् क्लदि शंस्आप्लु आप् | इवि इन्व् | क्लिदि उबुन्दिर् बुन्द् |राध राध् । मुर्वी मूर्ख | तकि स्कन्दिर् स्कन्द् ! साध साध् । उर्वी ऊर्व | उखि कुन्थ् पुन्थ् लुन्थ् मन्थ् अन्त् चञ्चु नञ्चु FEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEE REEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEE अन्द् उन्द् इन्द् मुञ्चु बिन्द् इन्ध भज म्लुञ्चु भिन्द् गन्ड् ऊयी ऊय् बन्ध इदि निन्द् मन्थ् ईन् | त्रदि कुन्थ नन्द् चन्द् त्रन्द् कन्द् क्रन्द् क्लन्द् क्लिन्द् तन्क् उन्ख् शंसु ᳕ वखि वन्ख | रुटि वन्द् | धृजि ध्वजि धृन्ज मखि न्ख रखि न्ख खजि णखि स्पन्द् क्लिन्द लाजि लखि लन्ख रगि रन्ग श्रन्थ् जजि ध्वन्ज् खन् लन्ज् लान्ज् जन्ज् तुन्ज् गन्ज् गृन्ज् मुन्ज् लगि अगि वगि मगि रुन्ट् वदि |भदि कुन्ठ मदि लुन्ठ स्पदि शुन्छ क्लिदि रुन्छ् श्रथि लुन्ठ ग्रथि गन्ड् स्रकि कुन्ब् श्रकि लुन्ब् श्लकि तुन्ब् शकि चुन्ब् अकि पिन्व् | वकि मिन्व् मकि निन्व् ककि हिन्व् वकि दिन्व् |श्वकि जिन्व् त्रकि रिन्व् रघि रन्व् लघि तगि अन्ठ लन्ग | लुठि अन्ग् | गडि वन्ग् | कुबि मन्ग | लुबि तन्ग श्रन्ग् | चुबि श्लन्ग पिवि रिन्ग | मिवि लिन्ग | णिवि त्वन्ग्| हिवि युन्ग् | दिवि श्रगि श्लगि रिगि लिगि त्वगि ग्रन्थ् स्रन्क् श्रन्क् श्लन्क् शन्क् | अठि अन्क् | वठि वन्क् | मठि मन्क् | कठि कन्क् | मठि वन्क् | हिडि श्वन्क् | हुडि वन्ठ मन्ठ कन्ठ मन्ठ हिन्ड् युगि हुन्ड् जुन्ग | जिवि त्रन्क् । कुन्ड् वन्ड् बुन्ग | रिवि रन्घ् वडि दघि | मडि मन्ड् धन्व् अघि अन्घ भन्ड् पिन्ड् मघि मुन्ड् तुन्डू लघि __ लन्च् | धवि मन्घ् | काक्षि शिघि शिन्घ् | वाक्षि गुजि गुन्ज | माक्षि लाछि लान्छ/ द्राक्षि वाछि वान्छ| ध्राक्षि आछि आन्छ, ध्वाक्षि उछि उन्छ | रहि ध्रजि - ध्रन्ज् | दृहि मडि मन्ड् | बृहि कुन्ड् | स्कुदि चुन्ड् | शिवदि कान्क्ष् वघि वान्क्ष् मघि मान्क्ष् श्वचि द्रान्क्ष् शचि ध्रान्क्ष् कचि ध्वान्क्ष् काचि रन्ह् मुचि दृन्ह् मचि बृन्ह् पचि स्कुन्द् धिवि श्विन्द् | कृवि लन्घ् भडि वन्घ् । मन्घ् । मुडि श्वन्च शन्च् | हुर्डि कन्च | मुडि कान्च् चडि मुन्च मन्च पन्च् धिन्व् | कडि हुन्ड् मुन्ड् चन्ड् शन्ड् तन्ड् पन्ड् कन्ड् कृण्व् | खडि खन्ड आर्धधातुक प्रत्ययों के लिये संक्षिप्त धातुपाठ कपि कन्प् गाह | खोज्र राख् रबि लबि तेव देव से लन् लाख लाख अबि अन्ब् द्राख द्राख गेव लबि ध्रातृ ध्राख लन्ब स्तन्भखादृ खाद ष्टभि स्कभि ग्लेव् पेक् मेव स्कन्भ शाख जन्भ् । श्लाख म्लेव रन्फ या रफि घुषि घिणि घुन्छ घिन्ण घुन्ण ग्लेष् घन्ण कोड़ क्रीड् पेष् जेष् नेष वहि वन्ह hc महि होड प्रेष् देष 丽丽丽丽丽丽丽丽丽园配呢呢呢呢訊丽丽河钢丽丽丽河河神删帆河 河河河兩闭时对河兩河。河。阿。羽。对两题吧吧吧吧吧吧啊。啊啊啊。明初。 丽丽丽丽丽河。阿冠說吧。昭昭四阿利。河网时对现河神啊啊啊对啊 हेष मन्ह अहि कसि णिसि निस णिजि निंज शिजि शिंज पिजि पिंज षस्ति हिसि टुओस्फूर्जा शोण कास् भास् पलाण नास् रास् मीम देह TO जेह हलादी वाह P49 द्रा काश् गाध पूयी पूय् क्नूयी क्न्य क्ष्मायी क्ष्माय स्फायी स्फाय ओप्यायी प्याय् | फेल क्षेवु क्षेव् | शेतृ त्वष त्वक्ष् । खोल बाध नाथ् फेल शेल । नाध् वेथ् ᳕ शीकृ स्वाद् | गोष्ट शुच्य् लोकृ मील श्लोक शीक् | स्वाद लोक् | पर्द श्लोक द्रेक | स्वर्द अर्द हेठ श्मील स्मील् क्ष्मील AAAAAAAA चुड गर्द EVEME 两兩两兩丽如新 तर्द अड्ड कड्ड हर्य पील नील शील कील कूल ' | वस्क ष्वक् | वल्भ वस्क् गल्भ मस्क जल्प फक्क पर्प बुक्क गोष्ट | शुच्य लोष्ट मील घट्ट | श्मील हेट स्मील चुड्ड् क्ष्मील अड्ड् पील कड्ड् नील हर्य | शील शल्भ् | कील वल्भ् | कूल गल्भ् | शूल जल्प् | तूल पप् | पूल अर्ब | मूल चुल्ल | फुल्ल | चिल्ल वेल्ल खल्ल अभ्र वभ्र शूल् तूल त्रौक् पूल टुयाच अर्ब प्रोथ कर्द टीक खर्द तीक | ष्वष्क राघ ढौक् | मस्क फक्क याच् बुक्क वल्ग वर्च मेध लछ चीव युच्छ चाय कूज दाश् अर्ज भेष गर्ज प्रोथ वला चुल्ल फुल्ल लर्ब लर्छ । मेघ अर्च चिल्ल लच्छ भर्ब वेल्ल्। युच्छ | कब खल्ल अभ्रू वभ्रू 丽丽丽丽丽。阿阿阿 a lalalalalala al सर्ज शर्ब मभ्र जीव भेष पर्ब मभू जीव पीव् तर्ज al कर्ज मीव A मा खर्ज खर्च भाम वेण तेज वल्ल क्षीज् | मल्ल तेज अक्ष क्षीज तक्ष स्पर्ध | अट्ट लाज असू तथू स्पर्ध हाद भल्ल aaaaa । अट्ट | वल्ल वेष्ट | मव्य चेष्ट् | सूर्या हाद् मव्य् | चर्व सूर्दा | भर्व सूद् / चेष्ट आर्धधातुक प्रत्ययों के लिये संक्षिप्त धातुपाठ कर्व खर्व पूर् रुट क ख ग अ चूष | तूष | पूष | मूष | रुट लुट लुठ शुभ लुट गर्व लुट शुभ् اور مصرعر عرعر عر عر عر 9 घर |क्षुभ क्षु पर्व तुभ णभ नभ् धावु धुक्ष संस् धिक्ष ध्वंस भंस् वृक्ष शिक्ष क्लेश दक्ष् शृध् भाष वर्ष गर्ह BEEEEEEEEEE !! | 4 | EFFEEE FEE गल्ह बर्ह बल्ह जर्ज राध ध्वसु ध्वंस चर्च् दम्भु दम्भ् | संभु क्लेश् झर्झ झट्ट दातृ दाश् । वृतु वृत् अर्ह अर्ह ओलस्जी लस्ज् लस्ज् | वृधु वृध् दीक्ष् | हिक्क हिक्क्ष स्ज सस्ज् | शृ भाष् | रेट रेट विच्छ विच्छ| स्यन्द स्यन्द् वर्ष | भ्रक्ष भ्रक्ष् उछि उञ्छ | कृपू कल्प गर्ह । भ्लक्ष भलक्ष् उच्छी उच्छ | श्विता श्वित् गल्ह | मान मान् ऋच्छ ऋच्छ| जिमिदा मिद् बर्ह दान दान् मिच्छ मिच्छ जिष्विदा स्विद् | शान शान् जर्ज जर्छ | घटादि अन्तर्गण धूप धूप चर्च __ चर्च् । (अनिट् धातु) वल्ह चक्षि झझे रञ्ज रक्ष । | ईर ईर् त्वच __ त्वच निक्ष् | ईड उब्ज उब्ज | त्रक्ष् | ईश ईश् उज्झ उज्झ् ग्ला स्त्रक्ष् आस आस् घूर्ण घूर्ण स्ना आङ:शासु आशास् हेठ हेठ स्मृ वक्ष् | पुष्प पुष्प् धुतादि अन्तर्गण ष्टीम स्तीम् द्युत द्युत् तक्ष वीड वीड् रुच रुच रग् सूर्ख | दीपी दीप् घुट घुट । लगे FFEEEEEEEEEEEEEEEEEEEE वह झर्झ श्रा श्रा ज्ञा वल्ह रक्ष णिक्ष त्रक्ष ष्ट्रक्ष णक्ष वक्ष मृक्ष B FEEEEEEEE क तक्ष सूक्ष लग् ᳕ क्षर लगे षगे कस् कगे भ्रम् घट फण पत् व्यथ व्यथ कदि प्रथ पथ् प्रस क्लन्द् मथ् दल वल दक्ष हेड त्रप हगे हग् | वन वन् को छोड़कर नव -क्षर हलग ज्वल ज्वल् |गणी के सारे षह सह __ सग | हल हल् |अमन्त धातु भी | कस ष्टगे __स्तम् | ह्मल मल् | इस गण में हैं) | टुवम् वम् क सृक् फणादि अन्तर्गण | भ्रमु क्षजि क्षन्ज फण कन्द् |स्वन स्वन् क्वथ क्रदि क्रन्द | ध्वन ध्वन् । पथे । क्लदि स्यमु स्यम् म्रद ध्वन ध्वन् राजु राज् | पुल पुल् स्खद दल टुभ्राज़ भ्राज् | कुल कुल् दक्ष वल् टुभ्रातृ भ्राश् | हुल हुल् हेड स्खल स्खल् टुभ्लाशृ भ्लाश् | क्रुश क्रुश् क्रप रण |ज्वलादि अन्तर्गण | कुच कुच् जित्वरा ध्वन ध्वन् | (अनिट् धातु) |जक्षादि अन्तर्गण ज्वर त्रप् बुध बुध् | दरिद्रा दरिद्रा क्षप क्षप् रुह रुह् । दीधीङ् दीधी नट स्वन स्वन् |षद्लु सद् वेवीङ् वेवी चल चल् शदलू शद् | जागृ जागृ पट नट लड् |रमु रम् | चकासृ चकास ज्वल् | (सेट् धातु) शासु शास् अक हल् ज्वल ज्वल् | पुषादि अन्तर्गण अग अग् मल् | चल चल् | (अनिट् धातु) कण जल शक रण रण | जनी जन् टल टल |श्लिष चण चण् | जृष् जृ ट्वल् ट्वल | ष्विदा स्विद् शण शण | क्नसु नस् ष्ठल श्रण 5 श्रण | स्खदिर् स्खद् हल श्रथ __ श्रथ् | नृ नृ णल नल् श्लथ श्लथ् | दृ दृ पल क्रथ कथ् | छदिर् छद् बल क्लथ क्लथ् | (कम्, अम्, चम् |शल गड गड् ཀྵ ཀྐཱ ཡྻ ལྤ ཝཱ ཙཐཱ བྷྱཱ ཙྪཱ སྒྲ༧ ཟློ སྒྱུ ༔ ༔ ༔ ༔ ༔ ༔ སྤྱི སྒྲ ཨ ཨཱ ཡྻ ཟླ ཟླ ལྕེ ཡྻོ ༧ ༧ ལྤ སྤ नट । EFFFFFFEE EEEEEEEEEEEEEE, FEE, EF, भट भट | लड चक अक् FREEEEEEEEEEEEER हल मद् जल शक् श्लिष् पुष् आर्धधातुक प्रत्ययों के लिये संक्षिप्त धातुपाठ शुध तृप् स्फुल स्फुल् वृश धातु) शुध् । तुभ __ तुभ् | कृती कृत् | स्फुर स्फुर् तृप् __ भृश् | (सेट् धातु) । वृश् | पिश पिश् | स्फुड स्फुड् कृश कृश् | कुटादि अन्तर्गण| चुड बितृषा तृष् | (अनिट् धातु) | वुड गु | क्रुड ऋधु ऋध् धु | मृड __ कु | गुरी __गुर् चुड् वुड्. असु जस् जसु तसु तस मृड् गृधु गृध TV वसू वस मसी मस् न " GA शम् कच णभ षिधु बिस सिध तम् बिस् रिष डिप् भ्रम श्रम् भ्रम रिष डिप क्लिदू क्लिद्| क्षम् जिमिदा मिद् | क्लम लिक्ष्विदा क्ष्विद् | मदी व्युष व्युष् प्लुष प्लुष् 照顾啊啊叫研网珊珊和顶四测强吸 क्षम् कुच् | किरादि अन्तर्गण गुज् | (अनिट् धातु) गुड् | दृङ् दृ डिप् | धृङ् धृ छुर् | प्रच्छ प्रच्छ स्फुट (सेट् धातु) मुट् | कृ कृ त्रुट | गृ गृ तनोत्यादि धातु | (अनिट् धातु) डुकृञ् कृ (सेट् धातु) क्लम् NAN GANGANGA मद् रध तुट् नश बुस द्रह मुस् लुट o स्नुह तन् सन् क्षण कप क्षिण FEEEEEEE गुप् ष्णुह उच् ष्णिह स्निह रुष् मचादि अन्तर्गण (अनिट् धातु) मुल मुच् युप् । लुप्ल लुप् रुप् | विद्लु विद् लुप् | लिप लिप् षिच सिच् क्षुभ् । खिद खिद् al No N ऋण तृण थुड् | वनु स्थुड् मनु घृण वन् मन् ᳕ चुरादिगण चुरादिगण के किसी भी धातु में पहिले ‘सत्यापपाशरूपवीणातूलश्लोकसेना लोमत्वचवर्मवर्णचूर्णचुरादिभ्यो णिच्’ सूत्र से णिच्’ प्रत्यय लगाया जाता है। णिच् प्रत्यय लग जाने के बाद जो ‘णिजन्त’ धातु तैयार होता है, उससे ही अन्य कोई भी प्रत्यय लगाया जा सकता है, सीधे नहीं। अतः हमने चुरादिगण के धातुओं को सारे धातुपाठ से अलग बैठाया है, और इनमें ‘णिच्’ प्रत्यय लगाकर आपके सामने रख दिया है। इन ‘णिजन्त’ धातुओं से ही आप अन्य कोई भी प्रत्यय लगाइये, सीधे धातु से नहीं। चुरादिगण के लिये यही व्यवस्था है। __इस व्यवस्था के अपवाद - चुरादिगण में धातुओं का एक ऐसा वर्ग है, जिसमें णिच् प्रत्यय विकल्प से लगता है। अतः इनमें णिच् प्रत्यय लगाकर अथवा णिच् प्रत्यय लगाये बिना भी अन्य कोई प्रत्यय लगाया जा सकता है। __ अतः इनमें णिच् लगाकर, तथा णिच् लगाये बिना, ऐसे दो दो रूप हमने दिये हैं। ये धातु हमने इस पाठ में अलग से दिये हैं। चुरादिगण के ‘आकुस्मीय’ आगर्वीय’ तथा अन्य भी कुछ धातु ऐसे हैं, जिनसे केवल आत्मनेपदी प्रत्यय ही लगते हैं। इनका भी हमने पृथक् निर्देश कर दिया है। प्रथ पश स्मेटि श्वाठि घाटि च्यु भज तेलि आकारान्त धातु | बध ज्ञा ज्ञापि इकारान्त धातु | शठ चिञ् चायि श्वठ उकारान्त धातु श्रण च्यावि| तड भुव् भावि | खड ऋकारान्त धातु | क्षल घृ घारि | तल पृ पारि अदुपध धातु | चल लाडि जल जालि | व्रज नट नाटि | गज श्राथि हलप बाधि | कण काणि पिस पेसि प्राथि पाशि ष्णिह स्नेहि शाठि अम आमि स्मिट चट चाटि| श्लिष श्लेषि श्राणि घट वेलि ताडि लस लासि| बिल बेलि खाडि भाजि| तिल क्षालि यत याति | तिज तालि राकि डिप कालि लागि इल एलि चालि त्रासि | उदुपध धातु लाषि चोरि वाजि | चर चारि | चद गाजि | ष्वद स्वादि| तुल लापि | इदुपध धातु दोलि तेजि रक डेपि कल लग त्रस लड. लष नस __नासि चुर चोदि तोलि श्रथ दुल आर्धधातुक प्रत्ययों के लिये संक्षिप्त धातुपाठ पुल चोटि वन्टि मन्डि मर्चि वल्कि भन्डि पस्त बुस्ति चम्पि KEEP 4 45 क्षम्पि गर्दि पोलि | खडि चोलि | कुडि चुट मुट मोटि शुठ शोठि जुड जोडि स्फुट स्फोटि मोदि मुच मोचि रुष रोषि ष्टुप स्तोपि घुषिर् घोषि ऋदुपध धातु पृथ पर्थि शेष धातु पुंस पुसि षम्ब शम्ब शम्बि लुण्ट लुण्टि अञ्चु वञ्चि चिति चिन्ति यत्रि यन्त्रि | पिडि स्फुडि स्फुन्डि जभि कुद्रि कुन्द्रि तसि मिदि मिन्दि लिगि ओलडि लन्डि | घट्ट तुजि मुस्त पिजि. पिन्जि खट्ट पथि पन्थि छदि छन्दि | स्फिट्ट मूल खन्डि | पूल पूलि पुट्ट पुट्टि कुन्डि | धूस कुन्डि | कीट कीटि अट्ट अट्टि गुन्डि | चूर्णि षुट्ट सुट्टि खुन्डि पूजि षान्त्व सान्त्वि मार्जि | श्वल्क श्वल्कि वल्क कृत कीर्ति छर्द छर्दि पन्डि वर्ध वर्धि पुस्ति पंसि । म्रक्ष मेक्षि बुस्त म्लेच्छ म्लेच्छि| नक्क नक्कि ब्रूस ब्रूसि । | धक्क धक्कि छन्जि बर्हि चक्क चक्कि चुम्बि चुक्क चुक्कि टन्कि ईडि मूलि चर्च चर्चि पाल पालि पन्चि | बुक्क बक्कि शल्ब शुल्बि कुम्बि शब्दि शूर्पि खूद सूदि । शुल्क तुम्बि अर्ज अर्जि श्वर्त श्वर्ति चुन्टि आङ: क्रन्द आक्रन्दि श्वभ्र श्वभ्रि जंसि भूष भूषि अर्ह अर्हि पिन्डि लक्ष लक्षि बर्ह बर्हि पीड पीडि वल्ह वल्हि तंसि ऊर्ज ऊर्जि अर्क लिन्गि पक्ष पक्षि मित् धातु पिच्छ पिच्छि ज्ञप ज्ञपि वर्णि यम यमि खट्टि चूर्णि चह भक्ष भक्षि रह रहि स्फिट्टि कुटि बल शुन्ठि । शब्द शर्प लुम्बि शुल्कि अञ्चि वञ्चु जम्भि अर्कि तुन्जि घटिट मुस्ति वर्ण चर्ण चहि षट्ट सट्टि कुट्ट बलि १८ अष्टाध्यायी सहजबोध भाग XC रोटि | लजि लन्जि चिञ् चयि | दल चुरादिगण के । वैकल्पिक णिच । दल रुट लन्ज् राज | अजि वाले धातु रुज वृत् अन्जि अन्ज् दंसि अञ्चु पोषि पुष् दंस क जागि अञ्चि | अञ्च दिवि | दिव जसि | जस् जसि तुन्ज् रुशि जि । चायि | मिजि चि पाटि | पिजि मिन्ज् रुंश् पट रुंसि जस् पिन्जि | रुसि पिन्ज् लुन्जि पट घाटिल रुस शर्धि घट पुन्टि घट । लुन्ज् पुन्ट रन्धि वर्ति णद नादि | भजि भन्जि वृत् नद् रन्थ् वर्धि नट लन्घ् लन्धि लन्घ् अंहि त्रंसि | अहि नाटि | लघि नट ताडि त्रसि तड् नालि पिसि नल त्रस् अंह पिंसि तनि तड तन् उध्रसि| नल उध्रस् मर्जि | पुट मृज् ञ्चि लुट रंहि पिंस् पोटि महि पूट मंह लोटि | दशि वञ्च लुट भावि | गुप भुव कश् लन्डि लन्ड् विच्छि विच्छ चीवि चीव् लोकि लोक् पोथि घन्टि | चीव कल्पि | पुथ कृप् ग्रसि । कप घन्ट कोपि लोक कप आर्धधातुक प्रत्ययों के लिये संक्षिप्त धातुपाठ लोच श्र मर्जि लोचि लोच आप् मानि छदि | मान तर्कि छद् मर्षि मान् तर्क तनि शीकि तन् । धृक्ष धर्षि पपीक मार्ग वदि वद् | ग्रन्थ ग्रन्थि वचि आङ: षद आसदि लायि | आसद् श्रन्थ ली | रिच | गर्ह गर्हि गई मार्गि मार्ग | आकुस्मीय अन्तर्गण ग्रन्थि | यु यावि ग्रन्थ् | गृ गारि श्रन्थि डप डपि स्पश स्पशि शुन्धि | लल शुन्ध् | शठ हिंसि | स्मय स्मयि शम शमि कन्ठ गल भल रेचि रिच ज़ायि। ललि शठि शेषि शिष् | हि मायि मी युज योजि हिंस् । प्रायि युज् | कठि गलि जोषि कन्ठ भलि मदि भावि अर्चि मद पचि . अर्च | चित डिप धावि पृच् | वर्जि चेति डेपि देवि वेदि त्रोटि वारि वृज | विद तर्पि जारि शीकि शीक् | त्रुट चीकि| वृष चीक | तर्ज अदि | दशि वर्षि तर्जि छर्दि . छद सहि दभि अर्द | दसि तत्रि दभ् । अर्हि सह तपि तप श्रथि दंशि दंसि तन्त्रि मन्त्रि भर्सि दर्भि अर्ह मत्रि भर्न्स दृश् । आप्ल आपि [[२०]] माय पषि | कूट | संकेत कूटि । अङ्ग संकेति । सुख स्वरि रचि अगि सुखि दु:खि दु:ख कलि ग्रामि कुणि गुणि रस रसि कूणि चहि Aaoga व्यय व्ययि महि सारि केति रूपि भ्रूणि छेदि कोप यक्ष छद छदि बस्त बस्ति । पष गन्ध गन्धि | स्वर विष्क विष्कि निष्क निष्कि | कल कूण चह तूण तूणि मह भ्रूण सार यक्षि कृप गर गूरि श्रथ लक्ष लक्षि कुत्स कुत्सि | भाम कूटि | सूच कुट्ट कुट्टि | खेट वञ्चु वन्चि | क्षोट मान मानि कुस्म | कुमार अदन्त धातु शील कथ कथि । साम व्रण मूत्रि रूक्षि वर्ण कूट पारि पर्ण तीरि लाभ लाभि व्रणि वर्णि पर्णि विष्क विष्कि क्षिप क्षिपि वस वसि तुत्थ तुत्थि आगर्वीय अदन्त पुटि गोम धेकि कत्रि वष्कि चित्रि अंसि वर वेल वरि ཡོ, #, ཝ ཝཱ ཡྻོ ཙསྤྱི ཝི བློ ཐོ ་ བློ ཀྵ ༧ ཚཱ ཉྙོ ཛྷ ཝཱ, ཝཱ ༔ अंस गण गणि खेटि तीर क्षोटि गोमि धेक कुमारि कत्र शीलि । | वष्क सामि चित्र वेलि पल्यूलि वट वाति लज गवेषि | मिश्र वासि सङ्ग्राम निवासि | स्तोम भाजि | छिद्र सभाजि अन्ध ऊनि ध्वनि | अङ्क वटि गृहि लजि । मृग शठ मृगि श्वठ शठि श्वठि पटि वटि पट पल्यूल वात गवेष वास निवास भाज सभाज ऊन ध्वन शूरि वट रह मिश्रि समामि स्तोमि छिद्रि अन्धि सत्र दण्डि । अर्थ अङ्कि | गर्व वीरि स्थूलि सत्रि स्तन स्तनि गदी गदि दण्ड अर्थि पत पति गर्वि