पाठः
जीनत पठान: कभी संस्कृत पढऩे पर टूटी थी जीनत की सगाई
- भीलवाड़ा की मुस्लिम लडक़ी ने स्कूल से लेकर कॉलेज तक संस्कृत में की पढ़ाई, अब व्यास विवि ने दी पीएचडी की उपाधि
- संस्कृत विषय लेने पर कई बाहरी लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा, लेकिन पिता ने दिया साथ
- पांच बार नमाज पढ़ती है
गजेन्द्र सिंह
दहिया/जोधपुर.
जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय ने इस महीने संस्कृत विभाग की शोधार्थी जीनत पठान को पीएचडी की उपाधि प्रदान की है। ऋग्वेद व मनुस्मृति के श्लोक धड़ाधड़ बोलने वाली जीनत को संस्कृत विषय लेने पर अपने कई रिश्तेदारों और मित्रों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा। जीनत के ससुराल पक्ष को जब उसके संस्कृत में दीक्षित होने की जानकारी प्राप्त हुई तो उन्होंने सगाई तोड़ दी। पांच बार नमाज पढऩे के साथ पंडित की तरह मंत्र बोलने वाली जीनत कहती है कि ज्ञान को किसी धर्म से नहीं बांधा जा सकता।
भीलवाड़ा की जहाजपुर तहसील के इटूंगा निवासी जीनत पठान की स्कूल से लेकर कॉलेज तक संस्कृत विषय में पढ़ाई हुई है। बचपन में आदर्श विद्या मंदिर में पढ़ाई के दौरान वहां गायत्री मंत्र बोलने पर मुस्लिम बच्चे चुप रहते थे। जीनत ने बताया कि उसके पिता निसार खान स्वयं सामाजिक विज्ञान के शिक्षक है। शिक्षक होने के नाते पिता ने कभी गायत्री मंत्र बोलने से नहीं टोका और वह स्वयं अन्य हिंदू बच्चों के साथ गायत्री मंत्र का पठन करती थी।
रामायण-महाभारत घर लाएगी क्या?
जीनत ने ‘राजस्थान पत्रिका’ को बताया कि दसवीं के बाद संस्कृत विषय का चयन करने पर लोगों ने काफी विरोध किया। विरोध करने वाले कहते थे कि “यह लडक़ी रामायण-महाभारत घर लाएगी और उनका अध्ययन करेगी”। घरवालों ने जीनत का साथ दिया। जीनत ने अजमेर से एमफिल की। उस दौरान ऋग्वेद, आरणयक और ब्राह्मण ग्रंथों का अध्ययन किया। जेएनवीयू के सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ धर्मचंद जैन संस्कृत विषय में पीएचडी के दौरान उसके गाइड रहे। संस्कृत में उच्च शिक्षा प्राप्त करने और दोनों धर्मों के मध्य साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल कायम करने के बाद विरोधियों के स्वर अब ठंडे हो गए हैं।
5 साल तक ब्राह्मण परिवार के यहां पढ़ी
जीनत कहती है कि कॉलेज शिक्षा शाहपुरा से प्राप्त की। गांव से शाहपुरा आई तो यहां कमरा किराए लेकर रहने लगी। पांच साल तक ब्राह्माण परिवार के यहां बेटी की तरह रही। कमरा खाली करते समय दोनों की आंखों में आंसू थे। जेएनवीयू में शोध के दौरान भी तीन साल तक हिंदुओं के घर ही ठहरी, जहां बगैर किसी रोकटोक के पांच बार नमाज भी पढ़ती थी और कुरान भी। जीनत वर्तमान में कॉलेज में व्याख्याता भर्ती की तैयारी कर रही है। भविष्य में महाविद्यालयों के बच्चों को डॉ जीनत पठान संस्कृत पढ़ाएगी।
टिप्पनी
श्लाघ्यं साधनम् अस्याः। यावत्तु महामद-समुदाय-सदस्यतां न त्यजति, हिन्दुकपर-यवनीत्य् एव तु गणनीया, न पुनः हिन्दुकस्त्रीर् इति। अनेन कस्यचन मरूमत्तस्योन्मादोच्चाटनम् भवति चेद् अस्मद्भाग्यम्। हिन्दुकानां शत्रुविवेकं जागरूकतां वा न्यूनीकरोति चेद् दौर्भाग्यम्। सौभाग्यम् एवाधिकम् अस्तु।