01 दोहा
विश्वास-प्रस्तुतिः
बय किसोर सुषमा सदन स्याम गौर सुख धाम।
अङ्ग अङ्ग पर वारिअहिं कोटि कोटि सत काम॥220॥
मूल
बय किसोर सुषमा सदन स्याम गौर सुख धाम।
अङ्ग अङ्ग पर वारिअहिं कोटि कोटि सत काम॥220॥
भावार्थ
इनकी किशोर अवस्था है, ये सुन्दरता के घर, साँवले और गोरे रङ्ग के तथा सुख के धाम हैं। इनके अङ्ग-अङ्ग पर करोडों-अरबों कामदेवों को निछावर कर देना चाहिए॥220॥
02 चौपाई
कहहु सखी अस को तनु धारी। जो न मोह यह रूप निहारी॥
कोउ सप्रेम बोली मृदु बानी। जो मैं सुना सो सुनहु सयानी॥1॥
मूल
कहहु सखी अस को तनु धारी। जो न मोह यह रूप निहारी॥
कोउ सप्रेम बोली मृदु बानी। जो मैं सुना सो सुनहु सयानी॥1॥
भावार्थ
हे सखी! (भला) कहो तो ऐसा कौन शरीरधारी होगा, जो इस रूप को देखकर मोहित न हो जाए (अर्थात यह रूप जड-चेतन सबको मोहित करने वाला है)। (तब) कोई दूसरी सखी प्रेम सहित कोमल वाणी से बोली- हे सयानी! मैन्ने जो सुना है उसे सुनो-॥1॥
ए दोऊ दसरथ के ढोटा। बाल मरालन्हि के कल जोटा॥
मुनि कौसिक मख के रखवारे। जिन्ह रन अजिर निसाचर मारे॥2॥
मूल
ए दोऊ दसरथ के ढोटा। बाल मरालन्हि के कल जोटा॥
मुनि कौसिक मख के रखवारे। जिन्ह रन अजिर निसाचर मारे॥2॥
भावार्थ
ये दोनों (राजकुमार) महाराज दशरथजी के पुत्र हैं! बाल राजहंसों का सा सुन्दर जोडा है। ये मुनि विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा करने वाले हैं, इन्होन्ने युद्ध के मैदान में राक्षसों को मारा है॥2॥
स्याम गात कल कञ्ज बिलोचन। जो मारीच सुभुज मदु मोचन॥
कौसल्या सुत सो सुख खानी। नामु रामु धनु सायक पानी॥3॥
मूल
स्याम गात कल कञ्ज बिलोचन। जो मारीच सुभुज मदु मोचन॥
कौसल्या सुत सो सुख खानी। नामु रामु धनु सायक पानी॥3॥
भावार्थ
जिनका श्याम शरीर और सुन्दर कमल जैसे नेत्र हैं, जो मारीच और सुबाहु के मद को चूर करने वाले और सुख की खान हैं और जो हाथ में धनुष-बाण लिए हुए हैं, वे कौसल्याजी के पुत्र हैं, इनका नाम राम है॥3॥
गौर किसोर बेषु बर काछें। कर सर चाप राम के पाछें॥
लछिमनु नामु राम लघु भ्राता। सुनु सखि तासु सुमित्रा माता॥4॥
मूल
गौर किसोर बेषु बर काछें। कर सर चाप राम के पाछें॥
लछिमनु नामु राम लघु भ्राता। सुनु सखि तासु सुमित्रा माता॥4॥
भावार्थ
जिनका रङ्ग गोरा और किशोर अवस्था है और जो सुन्दर वेष बनाए और हाथ में धनुष-बाण लिए श्री रामजी के पीछे-पीछे चल रहे हैं, वे इनके छोटे भाई हैं, उनका नाम लक्ष्मण है। हे सखी! सुनो, उनकी माता सुमित्रा हैं॥4॥