०५ तत्त्वत्रयचिन्तनाधिकारः
॥ श्रीः ॥
॥ श्रीमते निगमान्तमहादेशिकाय नमः ॥
विश्वास-प्रस्तुतिः
॥ श्रीमद्रहस्यत्रयसारे तत्त्वत्रयचिन्तनाधिकारः ॥ ५ ॥
विश्वास-टिप्पनी
चिन्तन-शब्द-प्रयोगेण पूर्वपक्षोल्लेखादि-सहितो विस्तार उच्यते।
मूलम्
॥ श्रीमद्रहस्यत्रयसारे तत्त्वत्रयचिन्तनाधिकारः ॥ ५ ॥
English
(5) THE CHAPTER ON THE THREE ‘REALS’ (OR TATVAS) page107
Español
(5) El capítulo sobre los tres ‘reinos’ (o tattvas) Página 107