१३ संस्कृतप्रमाणाकरः

स्तो-र-22

रा-आ-11-1

परमसं -2-18

भा-शा-319-13

वङ्ग-का- 520 ब्र-सू-4-2-19 शर- गद्यम्

ले-त-17-103

उत्त-गी-3-11

28-0

अनन्तस्य

fa-g-2-7-25

अनन्ता रश्म

याज्ञ-स्मृ-3-66

अनन्यदेवता

अनयाऽहं

अनागता

अनादिर्भ

अनाहत

अनावृत्तिः अनित्यम

अनुजो रा

2-1-55-10

अनुज्ञापरि अनेकजन्म

08-12-10-

30

भा-आश्व- 104-91

भा-शा - 312-30…

श्रीरङ्गगद्यम् fa-g-1-2-26 शाण्डि स्मृ-4-86

ब्र-सू-4-4-22 गी-9-33

रा-यु- 19-4 ब्र-सू-2-3-47 fa-g-6-7-19

fo

२१

अनेनैव तु अन्तवत्तु अन्धोsनन्ध

  • FIPPER

सात्यकितन्त्र गी-7-23

न्यासतिलक- 21

अपायसं

J-11-11-

अपायावि

81-S-Purp

ले-त-17-91, 92 ले-त-17-102

अपायेभ्यो

61-01६1

लं-त-50-215

अप्रयत्ना

भा-ज्ञा- 301-35

अप्राकृतं

जितन्ता-2-21

अप्रार्थितो

ले-त-17-72

अभियाचाम

रा-सु-22-43

अभिलषित

अमर्यादः

Fat-x-62

अयःपिण्डे

अलमेषा - राक्ष

अलमेषा - राघ

अविज्ञाता

अविप्लवाय

अशास्त्रमा

अशुद्धास्ते

अष्टाङ्गयोग

असंदेशात्तु

जयाख्य-4-83

रा-सु-27-48

रा-सु-27-46

सहस्रनाम ले-त-17-93 गो-सं- 21 fa-g-6-7-77

साव-सं-2-7-8

रा-सु-27-20

अस्त्रभूषण

fa-g-1-22-76

अहमपि

अहमस्म्य

अद्दमात्मा अहं त्वा सर्व

Fat-x-60 अहि-सं-37-30 रहस्य संदेशः चरमश्लोक

अहं प्रसाद अहं मुनी अहं सर्व

अहं स्मरामि

आत्मगुह

आत्मात्मीय

आत्मापि चा

81-1-

भा-शा - 352-62

रा-अ-31-27 चरा-च-श्लो

आयुर्वेद

ले-त-17-79

भा-शा-25-19

आत्मा राज्यं

भा-शा - 343-24

आद्यस्य नः

आद्यो नारा आनुकूल्यस्य आनुकूल्येत

आनृशंस्य

आपीठान्मौ

आप्तो विष्णो

आब्रह्मभवनादे

आब्रह्मभुव

स्तो-र-5

चरा-पु-25-6

अहि-लं-37-28, 29

ल-त-17-76

रा-अ-33-12

शाण्डि स्मृ-2-89 पौ-सं-

इति - समु-3-48 गो-8-16

वि-धर्म-104-23

भा-शा-210-24

आब्रह्मस्तम्ब

आभूतसं

-CA

आराधनानां

पाद्मोत्तर- 29-81

आर्तो जिज्ञा

इच्छागृही

इच्छात एव

चषुक्षयात्

bo

गी-7-1-6

fa-g-6-84 वैकु-स्तव - 36

२४

ho'

ईश्वरस्य च

उत्तमे चेत्

उत्तमः पुरु

उत्पतन्नपि

उत्पत्तिस्थि

उदाराः सर्व Ci

उपादत्ते

उपाये गृह उपास्योऽयं

एकपाद एकान्ती

एते वै निरया

बोधा-ध-सू-1-10-32 गी- 15-17

गी-7-18 श्रीरं स्तव-2-87 अहि-सं-37-29,30 हरिवंश - वि-प- 132-8:

r-r-349-85 विष्व-सं-

भा-शा-196-6

भा-शा - 350-19

व्र-सू-3-4-51

एतौ द्वौ

एवं मुक्ति

एवं श्रेष्ठ

01-8

रा-अ-1-33

एष नारा

हरिवं-वि-प-55-59

एष माता

क इति ब्रह्म

कमलनयन कर्मणां परि

AS-01-13-1

भा-ज्ञा-349-76, 77

2-1-1-

हरिवं-वि-प- 131-48

fa-g-3-7-33

n

कलामुहूर्ता

DE-

कलौ खल

श्रीभाग-11-19-18

वि-पु-4-1-84

श्रीभाग-11-5-38, 39

कलौजग

86:1-7-1

काङ्क्षन्तः कर्म

कान्तस्ते पुरु

कामये वैष्ण

fa-g-6-1-50 itar-4-12

१५

चतुःश्लोकी-1

जितन्ता-1-13

कारणाभावात्

कार्पण्येना

स-त- 17-77

कार्याभावात्

कालं स पच

भा-शा-196-9

किं लोके

1-08-10-11

वि-धर्म- 43-46

किंवा सर्व

101-1-1

fa-g-1-12-79

कुरुष्व मा

रा-भयो - 31-24

102-03-10-

कुलंटाषण्ड

22-015-73-7

‘कृतापराध

कुर्ते पापे

शाण्डिल्यस्मृति-3-18

रा-कि-32-17 fa-g-2-6-40

कृशानर्था

भा-स-31-5

कृष्णद्वैपा

कृष्णरूपा

क्रीडतो बाले क्रीडन्तं रम

S-1-1-p-w

fa-g-3-4-5

श्रीपाञ्चरात्र

-3-1

60-828

क्रीडा हरे

क्षरस्सर्वाणि

क्षिपाम्यजत्र

गजं वा वीक्ष्य

गत्वा गत्वा

गुणैर्दास्य

2-401-320

fa-g-1-2-18 जितन्ता-2-21

भा-शा-206-58

गीत - 15-16 गीता - 16-19

रा-अयो-60-20 fa-g-6-40 रा-कि-4-12

२६

गुणैर्विरुरुचे गुणैः षभि गुरवो यत्र

02-1-0-8-9

SI-A

रा-अ-1-33

वरदराजस्तव - 16

27-577-349-86-87’

1-

शेपसंहिता - 14-50

1-1-

स्तो-र-60

ले-त-17-78

DT-DI-E-S

गुरुं प्रकाश

गुरुरसि

गोप्तृत्ववर गोमन्तः पर्व

घनन्तं शपन्तं

चतुर्विधा भज चतुविधा मम चिन्तयन्तो

जगद्व्यापार

जन्माद्यस्य

जन्मान्तरकृत

15

२-०९

जन्मान्तरसह 81-0

भा-भी-12-8-9

D

इति-स-30-100

-1-1-1-

गो-7-10

भा-शा - 350-33-35

भा- शा-210-33

2-18–1

न-सू-4-4-17

2-

व्र-सू-1-1-2

जाग्रत्स्वप्ना

IS-S-

पाञ्चरत्र श्रीरं स्तव-2-40

जायमानं हि

82-000

भा-शा - 358-73,

ज्ञानसम

81-3

वरा-पु

ज्ञानानन्दमयाः

पाञ्चरात

ज्ञानी त्वात्मै

गो-7-17

ज्येष्ठ श्रेष्ठ

रा-बा-1-20

ततस्त्वमपि

रा-उ-104-9

ततोथ वर तत्त्वेन यश्चि तत्पादभक्ति तत्प्राप्तये च

तत्र यः पर

41-21-40-150

801-0-67 er-c-1-p- 28-2-07-0

भा-शा - 352-65 स्तो-र-4

af-1-25-26

वै-गद्य

भा-ज्ञा- 361-14-15

१७

तत्रैकस्थं तदधिगमे

तदलं क्रूर तदाश्रयस्या तदा हि यत्का तद्विद्धि प्रणि तद्विसृस्स

–13-13

21-01-1-50

0-15-1

P-R

1-1-

तमसः पर

गी-11-13

ब्र-सू-4-1-13 रा-सु-27-42

गरु-पु-

रा-अ- 115-27 गी-4-34

म-स्मृ-1-11

रा-यु-114-15

तमिमं सर्व

भा-सभा-41-3

तमेचं गुण

रा-अ-1-34

तमेवं गुण तया सहासी तयोरेकतरो तव भरोहं

तवानन्त

तवान्तरात्मा तस्माच्छास्त्रं

तस्माद्विष्णु-01-

तस्मिन् प्रस

रा-अ-2-48

स्तो-र-39

भा-शाः- 175-5

श्रीरं स्तव-2-102

भा-शा-361-4 गी-16-24 इति - समु-25-2 वि-पु-1-17-91 स्तो-र-4

तस्मै नमो

तस्य च वशी

2-28-1-1

श्रीभाष्य- 1-4-1

૨૮

20-SE-10-1

तस्य यज्ञ

भा-शा -46-126

तस्येदमिति

05-20

तं देवा वा

त्तामर्चयेत्

तावदार्ति

2011-01-301-14-12

वि-ध-103 fa-g-1-9-73

तेजोबलै

ELLIT

fa-g-6-5-85

C1-1-1-3-n

तेन संर

ते वयं भ तेषामहं तेषां ज्ञानी

ले-त-17-73

(GA-DIS

रा-आ-1-20

गो-12-7

गो-7-17

तैर्युक्तः थ्रू

2E-1-Ax

रा-वा-1-7

त्यक्त्वा पुत्त्रां

11-1

तैलोक्ये ता

त्वमेव बन्धु त्वमेवोपाय त्वं मेऽहं मे

त्वं हि रुद्र त्वां तु धिक्

E-1-1-1

रा-यु-17-16

गान्धारीवाक्यम्


अहि-सं-37

भट्टार्यमुक्तकम्

वरा-पु-70-36

2-201-

रा-यु-16-15

दासभृताः

मन्त्रराजपदस्तो - 12

दासरसखा

स्तो-र-41

दिवा च शुक्ल

भा-आनु- 220-31

दुराचारोऽपि

सात्त्व-सं-16-23

दुष्टेन्द्रिय

साव-सं-7-120

यहि

श्रीभाष्य-4-2-1

एव हि

T-37-83-948-10-8-611

देवतापार

देव तिर्यङन

देवर्षिभूता

A-TI-1-28

fa-g-1-1-26 fa-g-1-8-35 श्रीभा-11-5-41

देवं शाई

01-20-8-

12-A-for

दैवमेवाप

चाम-पु- 94-43 गी-4-25

चन्द्रा

धर्मव्याधा धिगशुचि

न तस्य प्रा

न दैवं केश

न धर्मनिष्ठो

न परं पुण्डरी

न भूतसङ्घ

न वासुदेवात् न विष्णोः पर स्मृतिरपि

न संनिपतितं

न संपदां स

भा-आनु-232-136

वि-ध-10-2-29 स्तो-र-47

चरा-पु-72-44-45 नारसिं-पु-16-33 Fat-x-22 भा-भी-62-2

भा-ज्ञा-206-60 श्रीरं-मा- 8-50

वराहपु- भा-शा-177-24 परमसंहिता ?

न हि पालेन

fa-g-1-22-21

न हि मे जी

8-11-201

रा-सु-26-5

नाच्छादयति

नानाशब्दा

व्र-सू-3-3-56

जान्तोस्ति मम

गी-10-40

नायं देवो

५९

३०

नारदोऽह

नाहारं चिन्त

as-1-1-1-11 28-8-1-5-07

इति - स-31-54

निक्षेपापर

ले-त-17-74

2-1-ints

निगृहीतेन्द्रि

इति-स-25-18

निजकर्मादि

2-1-10

निवासवृक्षः

निवासशय्या

eral–

निवृत्तिलक्ष

-3-333-130

नित्यसिद्धे नित्याभिवा नित्यैवैपा नित्यं हि नास्ति

निरस्ताति

निवेदयत S-S-1

गी-सं-31

पौ-सं-38-38

श्रीवै-स्त-77 fa-g-1-8-17 भा-शा - 347-32 fa-g-6-5-59 रा-कि- 15-19 स्तो-र-

भा - शा-219-42

रा-यु-17-17

निशि नेति

व्र-सू-4-2-18

नेहाभिक्रम

08-8

नैषा पश्यति

न्यासः पञ्चान

गो-2-40

रा-सु-16-25

ले-तं-17-74

पञ्चरात्नस्य

भा-शा - 359-68

पत्युः प्रजाना

S-S

पद्मे दिव्ये

रा-उ-104-7-8

2-08-1

परगताति

वेदार्थसं

परमात्मनि

पररन्ध्रेषु

परवानस्मि

विष्णुधर्म - 76-22

रा-आर-15-7

TE-2-1

परित्यका परेण पर परो नारा

al-fre

रा-यु-19-5

भा-शा - 313-26

वरा-पु-90-3

-4-33-50

परं हि पुण्डरी-1 परः पराणां

भा-भी-62-18

fa-g-6-5-85

पशुर्मनुष्यः

AG-DR-11-28-2

शा-स्मृ-1-15

पश्यामि देवां

गी-11-15

पापानां वा

स-यु-116-44

पापिष्ठः क्षत्त्र

पापीयसोऽपि

-R

पापं प्रज्ञां

पारतन्त्र्यं 18-11-

अतिमानुषस्तव- 61 पाद्मोत्तर- 34-74 विष्णुतत्त्वम्

fa-g-2-13-98

वि-पु-1-1-28

AR

पुत्त्रः प्रेष्यः

शा - स्मृति-3-75

पुमान् न

20-art-

पुलस्त्येन

पूर्वोत्पन्नेषु

विष्णुधर्म - 108-50

प्रणमन्ति दे 8

विष्णुधर्म - 43-28

प्रणिपात

रा-सु-27-44, 45

प्रतिबुद्ध

प्रत्ययार्थ च

सावत संहिता

प्रदीयतां

रा-यु-9-22

प्रपत्तिवाचैव

18-58-10-01 वरदराजस्तव - 92

प्रवहत्येव

00-C-p-afs -31

प्रवृत्तिलक्षण

भा-शा-219-42

प्रसादयस्व

24-12-1

रा-सु-21-20-21

प्रसादयामास

भा-शा-352-64

12

३२

प्रहर्षयिष्यामि प्राप्यते पर

‘प्राप्यस्य ब्रह्म

प्रायश्चित्ति

प्रायेणाकृत

प्रियाय मम

प्रियेषु स्वेषु

2-01-1-17

08-11-

88-2


11-1-3-we 21-11-

स्तो - र-46

इ- सम-37-26 हारीत संहिता ले-त-17-91-92

इति - समु-6-37 ल-त-17-93-94

मनुस्मृ-6-79

फलमत

बद्धवैराणि

बहवो नृप बहुभ्यश्च

बहूनां जन्म

ब्रह्मसूत्र- 3-2-37

fa-g-1-17-82

रा-अ-2-26

88-1-1-1-1

भा-शा - 176-66 मीता -7-19

बहूनि मे 02-001-Bagger

बालः क्रोडन

विम्वाकृत्या

TS–

ब्रह्मणस्सद ब्रह्मणि श्रीनि ब्रह्माणं शि

ब्रह्मा दक्षा

ब्रह्माद्यास्स

11-3-1-55

ब्रह्मा विश्व -01-1-3

ब्रह्मा स्वयं

ब्राह्मणैः क्ष

IS-05-15–18

1-4-323-04

गोता-4-5

भा-सभा - 40-78 साव-सं-6-22 भो-आ-217-37-39 श्रीभाष्यम्

भा-शा - 350-36 वि-पु-1-22-31

fa-g-5-30-17

मनुस्मृति- 12-50

रा-सु-51-45

भा-भी-61-40-41

$12

भक्तिरष्टविधा

भगवत्स्वरूप

भर्तुर्भुत्य भत्सितामपि भवति भिक्षां

भवान्नारा

भवांस्तु सह

गरुडपुरा-219-6-9

शर- गद्यम्

पौ-सं-38-50

T

रा-सु-27-44

ध-सू-

रा-यु-121-13

रा-अयो-31-27

रा-सु-58-90

भा-मौसल -5-34

भवेयं शरणं

A-TV-

भुजैश्चतु

105-06-11-

भूषणास्त्र भोगमात्र

fa-g-1-22-66

02-226

ब्रह्मसूत्रम् -4-4-21

म -88

मत्तस्स्मृति

मद्भक्तजन

मन्दोप्यमन्द 08-1

मम नाथ

मम मद्भक्त

05-02-11

मम साधर्म्य

2-1-1-5

ममाप्यखिल

मर्षयामीह

TH

महर्षेः कीर्त

18-03-

ftar-15-15

गरूडपुराणम् -219-6-9 मालविकाग्निमित्र - 2-7 स्तो - र-53

भा-अश्वि-116-23

frar-14-2 fa-g-5-1-14

रा-यु-116-40 भा-आदि- 107-27

महादेव सर्व

11-02-

भा- शान्ति-20-12

महावलान्

81-1-31

ta-g-4-24-142

महाविभूति

fa-g-5-1-50

मातर्मैथिलि

Q8–1– श्रीगुण को 50

३४

-माता पिता

-माताप्येका

मामुपेत्य

-मामेकं शर

02-x-8-

मूढैः पाप मेघश्यामं मोक्षं सालो

यक्षरक्षांसि - यच्च शोका

यत्किञ्चिदपि यत्किंचिद्वर्तते यत्र नारायणो

यथा च पुत्त्रं यथा युवानं यथा रत्नानि

यथा वायो

स्तो-र-

गीता - 8-15-16

शाण्डिल्यस्मृति - 1-12 1

रा-अयो-83-8

जितन्ता-2-36

यथा सामुद्र यथा हि वल्लभो ‘यदण्डमण्डा यदा तु मन्यते

गी-17-4 रा-कि-36-20

भा-शा - 359-56

भा-आर-88-73

शाण्डिल्यस्मृ-4-31

वामनपुरा - 74-40 भा-आ-26-29 पौ-संहिता ख-तं-17-95 स्तो-र-17

भा-शा - 323-77

यदा स केवली

भा-शा - 323-81

यदि किंचि

रा-कि-36-11

यद्धितं मम

जितन्ता-1-18

याकल्प

वैकुण्ठ-स्त-61

द्वै पश्यन्ति

वि-पु-1-6-39

यः शूद्रं यस्त्वया सह यस्मात्परि यस्मिन् कस्मि

यस्यानुग्रह

यस्यानुभव यं योगिनः यं यं वाऽपि

2-00

याचितोsपि

यायोध्येत्यप

यावच्छरीर

यावानर्थ

युगकोटि

-एक

युवत्वादौ

ये जन्मको

ये तु दग्धे ये तु सामान्य ये द्विषन्ति येन केनापि येऽप्यन्यदेव

ये ब्राह्मणा ये यजन्ति ये यथा मां योगेश्वर यो मे यथा यो वेत्ति युग

S-

इति - समु-25-2 रा-अयो-30-18 भा-शा - 350

3'4

श्रीसात्त्व-संहिता

भा-शा-46-143 गी-8-6 विष्णु धर्म- श्रीगुण-को-23 शरणागतिगद्य चू-20 star-2-46

इति-समु-13-8

श्रीगुण - को - 34

पौष्करसं - 38-305

भा-शा - 354-13

27-571-336-36

शरणागतिगद्य

itar-9-23

विष्णु धर्म - 52-20 भार- शान्ति- 355-41 गो-4-11 गो-11-4

भा-शा - 349-61

न्यायतत्त्वम

૩૬

रक्षिष्यतीति

ल-तं-17-77

81-06-fore-

रम्याणि काम

भा - शा-196-4

राघवाद्धि

राघवं शर

राजाधिरा

राज्ये गृध्र रामसुग्रीव रावणो नाम रुक्माभं स्वप्न रुद्रं समा रुद्रः काली

रूक्षाक्षरा

लभते च लोकवत्तु लोकविका लोकेषु वि

लोकं वैकुण्ठ

चपुरादिषु वयसः कर्म

वरं वरय

वर्तमानस्त

कर्षायुतै

10-21-8-me-m

विकल्पोऽवि

रा-सुं-27-45

रा-यु-19-4 भा-आश्व - 43-13 fa-g-6-7-7 रा-सुं-35-51

रा-यु-17-12

म-स्मृ-12-122

भा-आश्व- 118-37-38.

fa-g-1-22-23 लैङ्गपु-उत्तर

गो-7-22

  • सू-2-1-33

जितन्ते

श्रीभाग

जितन्ता-2-18

स्तो-र-52

मनुस्मृ-4-18 fa-g-1-12-76

वह्नि - पूर्णका - 25-26 भा-कर्ण - 91-17

ब्र-सू-3-3-57

विदितरसहि

विभवार्च

विभीषणो

विश्वरूपो

विषस्य विष

रा-सुं-21-20 श्रीभाष्य- 2-2-41 रा-यु-19-1

भा-शा - 350-10

३७

विष्णुं क्रान्तं विष्णोरेताः

विष्णोः श्री

वैकुण्ठे तु प

शप्यमानस्य

शब्दब्रह्मणि शमार्थ सर्व

शरणवरण

शरण्यं शर

शरीरपात

H-TOC

शरीरारोग्य

शरैस्तु संकु

भा-आनु-16-2

fa-g-1-22-32

fa-g-1-8-17

लैङ्गपुराणम्

भा-आश्व- 110-64

भा-शा-276-2

इति- समु-12-37

वरदस्त - 84 रा-यु-120-18

श गद्य-

वि-ध-74-43

रा-सुं-39-30 अहि-सं-52-13-14

भा-उ-63-5

शाश्वती मम

शास्त्रज्ञानं

E–

de-dec-

शास्त्राद्वेद्मि

शिष्यपापं

शीलेवृत्त

भा-सभा-5-117

शुद्धभावं

शुनामिव

3T-

पाद्म-सं-च-12-83

31

P

३६

रक्षिष्यतीति

रम्याणि काम राघवाद्धि राघवं शर राजाधिरा

राज्ये गृध्न रामसुग्रीव रावणो नाम रुक्माभं स्वप्न रुद्रं समा रुद्रः काली

रूक्षाक्षरा

लभते च लोकवत्तु लोकविका लोकेषु वि

लोकं वैकुण्ठ

वपुरादिषु वयसः कर्म


1-2491-30-18

वरं वरय वर्तमानस्स

कर्षायुतै

10-21-8-03-18

विकल्पोऽवि

ल-तं-17-77

भा-शा - 196-4 रा-सुं-27-45 रा-यु-19-4 भा- आश्व - 43-13 fa-g-6-7-7 रा-सुं- 35-51 रा-यु-17-12

म-स्मृ-12-122

भा-आश्व- 118-37-38. fa-g-1-22-23 लैङ्गपु-उत्तर

गी-7-22

त्र - सू-2-1-33 जितन्ते

श्रीभाग

जितन्ता-2-18

स्तो-र-52

मनुस्मृ-4-18 fa-g-1-12-76 वह्नि - पूर्णका - 25-26

भा - कर्ण - 91-17

ब्र-सू-3-3-57विदितसहि

विभवार्च

विभीषणो

विश्वरूपो

विषस्य विष

विष्णुं क्रान्तं विष्णोरेताः

विष्णोः श्री

वैकुण्ठे तु प

शप्यमानस्य

शब्दब्रह्मणि

शमार्थ सर्व

शरणवरण

शरण्यं शर

G-TR

शरीरपात

00-100

शरीरारोग्य


शरैस्तु संकु

शाश्वती मम

रा-सुं-21-20 श्रीभाष्य - 2-2-41 रा-यु-19-1

भा-शा - 350-10

भा-आनु-16-2 fa-g-1-22-32 fa-g-1-8-17 लैङ्गपुराणम्

भा-आश्व- 110-64 भा-शा-276-2

fa-ag-12-37

वरदस्त - 84 रा-यु-120-18

श गद्य-

वि-ध-74-43

रा-सुं-39-30 अहि-सं-52-13-14

शास्त्रज्ञान

08-086-

शास्त्राद्वेद्मि

भा-उ-63-5

शिष्यपापं

शीलेवृत्त

भा-सभा-5-117

शुद्धभावं

शुनामिव

पाद्म-सं-च-12-83

31

३७

३८

शुभे त्वसौ

06-10-11 भा-ज्ञा-199-25

श्रियः कान्तो

श्रियःपतिः

1-01-7

1-1-27

वेदी-

गीताभाष्य

श्रिया साध

लैङ्गषु

श्रीमते निर्म

श्रीवत्सवक्षा

श्रुतिः स्मृतिः

श्वेतद्वीप

चाड्गुण्या

सकृदेव

स च मम

सतीव प्रिय

सत्कर्मनिर सत्वं वहति

सदैकरूप सदैव वक्ता स पिता च

सत्रह्मकाः समस्त हेय

समस्ताः शक्त

समीपं राज

सर्वशः सर्व सर्वज्ञोपि हि सर्वधर्मान्

वेदान्तसा-

रा-यु-114-15

वि-ध-6-31

जयत् - सं

श्रीरङ्ग स्तव - 2-39

रा-यु- 18-33 fitar-7-17

rofe–4-37-38

ले-त-17-62

2-27-307-77 fa-g-1-2-1 शर - गद्य-शू - 20 रा-सुं-38-33 भा-शा - 350-30 fa-g-1-22-53 fa-g-6-7-70 रा-सुं-19-7 fa-g-5-1-47 ले-त-17-78

सर्वपापेभ्यो

सर्वभूतात्म

सर्वमष्टा

सर्वलोक

सर्व जिल्हां

सर्व दुःखं सर्वातिशायि सर्वे देवाः

सवयस इव

संक्षिप्य च संदर्शनाद

संभाव्य पुण्य संसारार्णव साक्षादप्यवि

साक्षान्नारा

साचिकेषु

साधुरेव

-गी -18 च श्लो-

ब-पु-

श्रीमदष्टाक्षर-1-9

रा-युद्ध-17-17 भा- शान्ति - 79-21

वि-पु-1-17-69 विष्वक्सेन सं-

श्री गुण - को-27 रा-उत्तर- 104-4 पौ-सं-1-31-32 गौत-सू-9-18 विष्णु धर्म-1-59 त्र सू-1-2-29 जयाख्यसं-1-63

मात्यपु-290-16 गो-9-30

साध्यभक्तिः

सान्त्वमेवा

रा-सु-27-42

सामरस्य हि

शाकटायनम्

सायुज्यं प्रति

परमसंहिता

सिद्धिर्भवति

शा-स्मृ-1-95

सीतामुवा

रा-अयो-31-2

सीतासमक्षं सीतां च रा सुभगश्चित्र

रा-आर-15-6

रा-युद्ध-15-14

रा- अयो- 98-12

४०

सुरूपां प्रति सुहृदं सर्व सूर्यस्यैव तु स्थिते मनसि

स्नानं सप्त स्नेहो मे पर स्मृतः संभा खपरिचरण

स्वपुरुषमभि

स्वयमागत

स्वयं मृत्पिण्ड स्वर्गेपि पात

स्वसत्ताभा स्वातन्त्र्यमै स्वात्मानं मयि स्वाधीनत्रि

हरिरेकः

हरे विहर

हस्तावले हिरण्यगर्भो

ho

81-

वि-धर्म-103-16. mar-5-29

Y

वराह च. लो- पाद्मचर्या - 3-3

रा-उ- 40-15

इति समु- 33-55 आत्मसिद्धि fa-g-3-7-14

भा-शा - 349-71

इति- समु-6-37 fa-g-6-5-50 पौष्कर-25-42 वैकुण्ठस्तव - 55 सात्यकित-

श्रीवै गद्य-शू -2

हरिवं-वि-प- 132-8 वि-धर्म

वि-धर्म-3-24 वि-पु-6-7-56

अ इति भग

श्रीः

सिद्धोपाय (१८२) प्रभृत्युतरभाग

प्रमाणाकरः

हरिग्रन्थ

अकारार्था

अकारार्थो अकारो वि

अकिञ्चनो

अक्रियाव

अचेष्टमान

अज्ञातं नास्ति

20-1

अज्ञानादथ

अज्ञो जन्तु अणिमा महि

अणीयान्

अष्वप्युप अतस्त्वं तव

अतोऽहम

अत्यर्कानले

अत्यर्थप्रिय

अत्युत्कटैः अथ परमै

अथ पातक अथ मह्यं अनतिक्रम

अष्टलो-3 अष्टश्लोकी-1

स्तो - ₹22

लक्ष्मीतन्त्र 17-18 भा-शा-839-15

रा-यु-17-35 वङ्गीशका - 520

भा-शा-12-36 सां-का

भा- उद्यो-34-30 श्रीभाग-10-81-3

शरणा गद्यं - 24 मन्त्रराजपदस्तो - 12

भा-आर-136-18 नित्यग्रन्थ

विहगेन्द्र सं- नित्यग्रन्थ वि-धर्म-66-72 अष्टलो - 3

४२

अनन्यदेव

अनन्यशर

अनन्यसाध्ये

अनन्याधीन

अनन्या राध

E-

अनया च

अनागतानन्त

gn (F) pi

PIT

27-3772-104-9

गद्य

भरतनाट्यशास्त्रम् लक्ष्मी कल्याणम्

रा-सुं-21-15

श्रीरङ्गगद्यं -2

अनारब्ध

त्र - सू-4-1-15

SS-P

अनालोचित

शर- गद्यम् -5

करि

अनाविष्कु

त्र - ह्यसू - 3-4-49

अनावृत्तिः

21-008

सू-4-4-22

अनित्यम

28-11-

गी-9-33

अ निषेधे

अनिष्टमिष्ट

DE-CI

गो-18-12

अनुक्तमन्यतो

08-BE–

अनुष्ठित

अनेनैव

E-18-01-

अहि-सं-37-49

सात्यकित

अन्तर्दुष्टो

SI-for

अन्नदोषात्

इति समु-10-62-75-76 श्रीरङ्गमाहा - 47-10

अन्नशेषः

अन्यथा मन्द

अपाय संप्ल

अपि चेत् सु अपि पापेषु

अप्रतीकाले

अप्रमेयो

…..

इति - समु - 33-108 ले त-17-91 tar-9-30

भा- आश्वक - 96-46.

घ- सू-4-3-14

भा-सभा - 40-78

દહ

रा-सुं-27-46 रा-सुं-58-87 वि-पु-6-18-19

अप्रमेयं हि 08-1

अभयं सत्त्व

62-81-sti

रा-आ-37-18

itar-16-1-2-3

अभिगच्छन्

8-1-80567

अमृतं साधनं 18-18

वङ्गीशका - 34-35-36 वि-धर्म-72-4

अर्थात् प्रक 18-16-1

अर्थितार्थ

वरद स्तव - 2

अलमेषा - राक्ष

अलमेषा - राघ 8–01

अवशेनापि

40–

अविज्ञाता

अविद्यातो

अविद्यानि

अविश्रान्त

अवैष्णव

अव्यक्तार्थ

अश्वमेध

अष्टाक्षरजपः

अष्टाक्षरश

अष्टौ गुणाः अस्तु ते 201

अस्तु मे

अस्य जीवा

अस्या देव्याः

अस्या मम च

अस्वर्ग्य

22-00

अहमद्यैव 01-5

सहस्र-नाम-स्तोत्रम् - 483 भट्टमुक्तकम्

श्रीभाष्यम् लघु-

भा-ज्ञा-337-34

नारदीयम्

शा-स्मृ-5-71 इति-समु-31-170

ना - श्रीमदष्टाक्षर - वि-1-104 वामनपु

भा-उद्धो-32-106

श-गद्यम्-2-3-4

श-गद्यम् वेदा-सं-

रा-सुं-15-52

विष्व-सं

याज्ञ - स्मृ-1-156

स्तो-र-52

સમ

अहमस्म्यप 81-1-1

अहि-सं-37-30

अहं त्वा

itar-18-66

अहं भीतो

जितन्ता-1-8

अहं सर्व

रा-अ-31-27

अहं हरिः

fa-g-1-22-87

अहं हि सर्व

mar-9-24

अहिंसा प्र

अहिंसा स

78-32-6-

गीता-16-2-3

अहो वत

भा-आर-2-64

आकारिणस्तु

आचान्तेन

आत्मदास्य

आत्मपूजा आत्मविद्या च

आत्मा केवले आत्मात्मीय

आत्मानुरू आत्मार्थी चेत्

आद्य तु त्र्य आधातारं

आध्यात्मिक

आनृशंस्यं

आपत्स्वनन्तरा

आपो नाराः आपो ना-णो

अरुलाल सूक्ति

विष्णुतस्वम् शाण्डि स्मृ-4-257 fa-g-1-9-120 भा-शा - 196-11 ले-त-17-79

श्रीवै-गद्यम्-4 गी-संग्र- 27 मनुस्मृति-11-265

fa-ag-10-58

श-गद्य-24

रा-सुं-38-41

fa–2-6

म स्मृ-1-10 व्यासस्मृ-2-16

आपो वै न आपोहत्या आरनालं

आराधनानां

आरोग्यमि

आर्ता विषण्णाः आर्तो जिज्ञा आर्ती वा यदि आर्याधिष्ठिता आर्ष धर्मो आलस्यादन्न आलोडय

आविस्स्युर्मप आसीना वा आस्फोटयन्ति

इच्छात एव

म स्मृ-1-10

शाडि - स्मृ-2-51 पाद्मोत्त-29-81

व्यास - सञ्जय संवाद गी-7-16

रा-यु-18-28

आप सू-2-3-4 म स्मृ-12-106 #–5-4

भा-आनु-178-11 अष्टश्लोकी - 3

नारदीयम्

वराहपुरा-

वै-स्तव - 36

इज्याचार

याज्ञ-स्मृ-1-8

इतरस्याप्ये

ब्र-सू-4-1-14

इति ते ज्ञान

गी-18-63

इदमिन्द्राय

इदं ते ना

गी-18-67

इदं शरण -इसमर्थ

ल-त-17-100

ईशः पर

शाण्डिल्यस्मृति-5-17

સદ

ईरानपि

01-1-3

भा-उद्यो- 63-14

उत्क्रामति

भा-शा-194-27

उदीर्णसं

18-03-

उदुम्बरं

उपचार

स्तो-र-29

भा-आनु-155-97

वराहपु-

उपादन्ते

उपायभक्तिः 20-81-2-

उपायापाय

उपाये गृह

श्रीरङ स्तव उत्त - 87 सात्यकित ले-त-17-81

उपासा

उभयाधिष्ठा

उभे सत्या

ऊपरे निव ऊहस्तक

ऋचो यजूं-त ऋचो यजूंयो

ऋणं प्रवृद्ध

एकः शास्ता एकं यदि

एकादश्यां तु एकादश्यांसुर एकान्तिनः स

अहि-सं-37-29

व्र-सू-1-1-32 पडर्थ-संक्षेप

271-571-339-44

शा स्मृ-4-258 सांख्या - 51

नार-क-1-9

नार-क-1-10

भा-उ-47-22

भा-आश्व-27-1

इति- समु-31-99

सात्व-सं-

fa-g-1-6-39एकान्ती व्य एकोऽपि कृष्ण एतद्ज्ञानं व एतावताऽले एते वै निर एतैः समेतः एवमुक्ताः

पष नारा

एष पन्था

ऐकान्त्य भ

CI-SE-

ऐश्वर्यमक्षर

ऐश्वर्याक्षर

ऐहलौकिक

कथयामि

कपालेस्थे

10-20

कमलेनयन

करिष्यमाणान्

करीश तेषा

कर्ता शास्त्रा

कर्मणा मन कलेर्दोष

कलौ कृत

विष्वक्सेनसं भा-ज्ञा-46-119 दक्षस्मृति

श्रीभाग - 6-3-24 277-277-196-6 याज्ञ - स्मृ-1-116 भा-आरण्य- 161-56 aft; fa-q-55-59 भा-आ-50-48

गी-सं- 28

श्रीगुण - को - 58 गो-सं-12

नार-क-

fa-g-1-2-8, 9

भा-शा - 35-42 fa-g-3-7-33

श-ग-

वरद - स्तव - 49

  • सू-2-3-33 जितन्ता-2-9

श्रीभाग-12-3-51

कलौ संकी कः कुप्येत्

2-1-3

विध-109-57

fa-g-6-2-17

रा-यु-116-38

-काणादशाक्य

कान्तस्ते

कार्यमित्ये

कालस्य हि च

कालिङ्गीं भ्रु कालिङ्गोदु

अत्रिस्मृ चतुः लो-1 गी- 18-9

27-37-62-23

किं तत्र बहु

किं नु तस्य कीर्तिः श्री कुयोनिष्वपि

नारदीयम् - 1-41 पौष्करसं-

गीता-10-24

कृतान्

कृतापराध

सनत्कुमारसं रा-कि-32-17

कृत्वा भारा

भा-मौस-9-34

कृपया केव

कृपया निः

कृष्णं धर्म

स्तो-र-48 शा-स्मृ-1-116

भा-आर- 71-123

कृष्णाजिनेन

51-26

  • केवलं मदी क्रियतामिति

शर-ग-21

CE-T

क्लेशानां च

क्षपयित्वा

क्षीरं लवण

-क्षेत्रज्ञस्ये

गर्भभूता गाढोपगू

र-आर-15-7

fa-g-6-7-25

ले-त-17-18

याज्ञ-स्मृ-3-34

1-1-5

रा-आर-1-21

चतुःश्लो-4

गायत्रीज गुरुगरी गुरुं प्रका गोप्यः का ग्रहणं धा

चण्डालमपि

चण्डालाः प्र

चतुर्विधा नम

चरणौ श

चराचराणि

चातुर्वर्ण्य

चीरवासा

चेतनाचेतनं चोदनां प्रति

जगत्समस्तं

जनित्वाऽहं

जन्मान्तर

जरामरण

जहुर्नारा जीवितात्यय

ज्ञानी तु प ज्ञानेन हीनः

झोडत एव ज्योतिषं

88-71

वङ्गीशका - 77-84 गी-11-43 शेषसं - 11-50

श्रीभागव - 7-1-30 कामन्दकीय

भा- आश्व- 116-8 दक्षस्मृ-4-20 भा-शा - 350-33

द्वयमन्त्रान्तरम् अहि-सं- गो-4-13

इति - समु - 31-128

श्रीभाग-11-12-14

स्तो-र-37 at-x-61 इति समु-31-121 गी-7-29

भा-आनु-231-41 म-स्मृ-10-104 गी-सं- 29 नारसिंह-पु-16-13 ब-सू-2-3-19

शेषधर्म-

४९

-५०

डम्भिहेतु डम्भो दर्पो

तच्छेषत्वा

ततश्च प्रत्य

ततः सागर

ततो महति ततो माध्य तत्तु कर्म

तत्प्रकाशित तत्प्राप्तये

तत्र गत्वा

तत्रोत्तरा तत्सर्व देव तदन्तर्भा तदन्यः को

तद्गुणसा तद्विद्धि प्र

तन्मयत्वेन

20-11-100

02-11-1

याज्ञव स्मृ-1-130 गी-16-4

भट्ट नित्य

श्रीवै-ग-3

रा-युद्ध-21-1-2 भा-ज्ञा- 44-13 चङ्गीशका - 90

ल - तन्त्र- 17-88 ब्र-सू-4-2-16 श्रीवै - गद्य-2 भा-आर-136-23

नार- श्रीमदष्टा ब्रह्मवि-1-57 भार-शा - 353-63 श्री गुणरत्नकोशम् - 28 इति - समु - 31-114 न-सू-2-3-29

गो-4-34

fa–99-15

गी-6-46

तपस्विभ्यो

तमः शूद्रे

भा-आश्व - 40-11

तमिमं सर्व

भा-सभा-41-3

तमेव शरणं

गो-18-62

तया सहा

स्तो-र-39

तव श्रिया

स्तो-र-38

तवामृतस्य तवैवास्मि

तस्माच्छास्त्र

तस्मात्त्वमु

तस्मात् सप्र

तस्मादष्टा

तस्माद्विष्णु

1-1-1

तस्मान्नारा

तस्मै नमो

तस्य ताम्र

तस्य वाचकः

स्तो-र-27 स्तो-र-60 गो-16-24

श्री - भाग-11-12-14

भा-आश्व- 118-14 T-379-98-69

इति - समु-25-27

पाद्मोत्त

स्तो-र-4

भा-आर-160-135

योगसू-1-27

५१

तं मातापितृ

सनत्कुमारसं-

तं वैश्रवण तान्येव भा तावदार्तिः तुम्बं को

तेजः क्षमा

तेन वश्च तेभ्यो विशि

तेषां तु त

त्यज दुर्जन त्यज धर्म

त्यज सत्या

त्रयाणां क्ष

त्रैगुण्यं लैवर्गिकां

रा-अयो-16-8 भा-आदि-1-297

fa-g-1-9-73 भा-आश्व- 112-44

गी-16-3

भा-उद्यो-62-25

277-371-358-6 अहि-सं-37-36

भा-आर

भार- शा-339-44

59

सावसं -2-9

लेन्त- वि-पु- ?

५२

TS

त्वत्पादक

त्वत्पादम् त्वत्पादा

त्वदङ्घ्रिमुद्दि त्वद्ज्ञानशक्ति

त्वमेव माता त्वमेवोपा

त्वयापि प्रा त्वं न्यञ्चद्धि त्वं मे

दत्तस्य ह

दासभूता

दीयमाना

दुर्गसंसार

दुष्टेन्द्रिय

दुःखमित्ये

दृढपूर्व दृष्टा सीता

faara-1-10 स्तो-र-22

शर- गद्य

स्तो-र-28 अतिमानुषस्तव - 61 गान्धारीवाक्य अहि-सं-31-31 वि-ध-2-14 विन्ध

भट्टमुक्तकम्

मन्त्रराजपद- 12

fa-a-1-18

साखत - 7-120

ftar-18-8 भा- कर्ण - 72-52

भा-अनु- 206-60 आपस्तं-ध-सू-1-6-13

देवगुहो देवमिवा

देवयानः

देवं शाई

देवस्थान

देवानृषीन्

देवि त्वन्म

नित्यम् श्रीस्तव - 8

वामनपु- 94-43

देहे चेत् प्री दैवतान्य दैवं चैवात्र

प्रमाणाकरः

वि-पु-1-17-63

म स्मृ-4-153

गी-18-14

५३

दैवी संप

it-16-5

दोषो यद्य

द्रौपद्या

द्वयमर्था

द्वयार्थः शर

द्वयेन श द्विविधो द्विषदन्नं

द्वौ च स

द्वयक्षरस्तु

धर्मव्याधा

धर्मशास्त्रर

धर्मः श्रुतो

धर्मस्य तत्त्वं

ध्येयो नारा

न कर्मणां न कश्चिन्ना न क्रोधो

न गाथा

न चलेति

32

ST–

रा-यु- 18-3

भा-वार- 161-56

श-गद्यम् - 20 अभियुक्त वाक्य

fa-a-109-74

भा-उद्यो- 91-27

पाञ्चरानम्

भा- शान्ति - 13-4

वि-ध-102-29 बोधायन स्मृ भा-आर-268-121

भा- आश्व- 96-31

भा-आनु- 178-11

fa–102-4 रा-यु-116-44

भा-आनु-232-135

भा-सभा-42-21 fa-g-3-7-20

५४

न च संकु

20-11-1-1-1

धीरहस्यत्रयसारोद्धृत-

रा-कि- 30-81

न जातु ही

821–9-

न तेन वृद्धो न त्यजेयं

A1-81-1

2-01-

म त्वेवाह

6-81-1-1

न देवलो

न धर्मनि

न नास्तिका

न प्रमाद्येत्

न प्रहृष्यति

नमस्कारा

न मां दुष्कृ नमो नारायणाय

नमो नारायण नमोऽस्तु ते

नरपति

नरसंव नरस्य बुद्धि

नराजाता

न लिङ्गं ध न विगृह्य न विश्वसेत् न विष्ण्वारा

न शब्दशास्त्रा न शूद्रा भग न स्मरत्य

स्तो - र- 28

म स्मृ-2-156

रा-यु- 18-3 गो-2-12 रा-अयो-31-5

स्तो-र-22

सात्यकित-

शा-स्मृ-1-118

भा-उद्यो-32-33

मन्त्रराजपद- गी-7-15

नार-क-1-41

च-पु- कैशिक- 139-35

अहि-सं-52-50 ले-त-28-17

भा-आनु- 178-7 इति - समु - 31-128 म-स्मृ-4-72 भा-उद्यो-37-9 व्या स्मृ-

इति-समु-2-10

भा- आश्व-118-32 रा-भयो-1-18

न स्वरः प्र

जात्मा श्रु नानयोः

243-18-1

प्रमाणाकरः

ना- श्रीमदाक्षरत्र - 1- 104

ब्र-सू-2-3-18 fa-g-1-8-35 ब्र-सू-3-3-56 श्रीभाग-

fa-z-109

५९

जाना शब्दा

नान्यं देवं

नाम्नस्ते

20-02-11

नायकत्वं

नारशब्देन

केचिदाचार्याः पाद्मोत्त-

नारस्त्विति

नाराणामय

नारायण प नारायण स

नारायणम नारायणेति य

नारायणेति श नारायणैक

नारो नरा

भा- उद्यो- 63-32 प्राजापत्य स्मृति अरुलालप्पेरू-

वि-पु-1-9-41

विहगेन्द्रसं- पाद्मोत्त-

नालिकाचण

नावेदनि

नासद्भिः किं

नाहमाराध

…… ……

भा-शा - 313-32 वि-ध-2-8

वि-ध-2-28

निजकर्मादि

नित्य किङ्कर

नित्य किङ्करो

नित्यसिद्धे 2-1 नित्यानुष्ठान

गी-सं-31

श्रीरङ्गगद्यम् - 3

श्रीरङ्गगद्यम् - 1

पौष्क-सं- 38-38

इति- समु-10-73

५६

श्रीरहस्यत्रयसारोद्धृत-

नियतस्य

निर्माल्य भ

निवेदयीत

1-8-1–

निष्पानीये

निस्संशये

नीचीभा नेहाभिक्रम

न्यासः पञ्चा

पञ्चार्णानां पण्डितैरर्थ

पत्र पुष्पं

पद्मपत्र

परगता

गी-18-7

सनत्कुमार सं व्यास स्मृ वङ्गीशका - 24

भा-शा - 359-71 अहि-सं-52-35 गो-2-40 ल-त-17-74

तत्त्व सागरसं-

गी-9-26 भाग-10-81-4-

वराहपु- वेदा-सं-

परमात्मनि ना

परमात्मनि यो

बार्ह - स्मृति fa-7-99-13

पराङ्मुखा परात्तु त परित्यजेत्

परीक्षां च

-पशवः पा

पात्रस्थमा पापहरति

पारमार्थिक

पारुष्यप्रति

पार्थ नैवेह

न सू- 2-3-40

म स्मृ-4-176 वि-ध-74-89 विष्णुतत्त्व - 1-2-10 पौष्करसं -1-44 fa-g-5-17-4

श-गद्य-

मनुस्मृति - 12-6. गी-6-40पाषण्डिनो पिता त्वं पितामहं

प्रमाणाकरः

fa-g-3-18-101 स्तो-र-60

To d-ren

स्तो-र-65

पितेव त्व पुण्डरीको पुंसां जटा

श्रीगुण - 52

101

प्रज्ञाप्रासाद

प्रणवोदित

प्रणिपत्याभि

प्रतिबुद्धाः

2015-

प्रपत्तिर्वि

इति - समु - 31-124 fa-g-3-18-105

भा-शा - 150-11 भट्टनित्य-

fa-g-1-1-1

भा-शा-350-36

श्रीभाष्यकार वाक्यम्

प्रपत्तिवा

चरद-स्त-92

प्रपत्ति तां

ल-त-28-11

प्रपत्तेः कचित्

सनत्कुमारसं

प्रपन्नाala

साच्चत-2-9

चरा-पु-

प्रपन्नानां च प्रमादादपि प्रशासिता

प्रसन्नमभ

प्रसन्ने देव

प्रसीद मट्ट प्राणसंशय प्राप्यं ज्ञानं प्रायश्चित्ति

प्रारब्धमात्र प्रारब्धोपरि प्रेक्षावतः

म-स्मृ-12-122 इति- लमु -33-141 नारसिंहपु- स्तो-र-65

भा-ज्ञा- 323-88 ले-त-17-91

काशिका - 3-2-123 अहि-सं-52-2

५७

५८

00-7-f

श्रीरहस्यत्रयसारोद्धृत-

101-81-8-g-ul

लिग

फलं कतक

20-3-f

म स्मृ-6-67

बुद्धरुद्रादि ब्रह्मविद्याघ्र

बद्धाञ्जलि

बहवो हि

T1-02/

$2-mpfie

भा-शा - 344-45

AC1-18-

201-81-1-1-1

नार- श्रीमदष्टा त्र-1-16

ing

शा-स्मृ-4-191

भक्तिरप्र

भकथा प

अक्ष्योत्तम

भगवच्चरणा

भगवतीं

भगवन्ना भजस्व मां

भव शरण

भवांस्तु भास्करेण

भीष्मद्रोणा

भुक्तवत्सु भूतानि च

भूत्वोर्ध्व

भूमनिन्दा भोगमात्र

मकारं जीव

P

शा-स्मृ-1-117

गरुडपु-219-9

भा-उद्यो-34-13

महायति नित्य

श-गद्य

33

गी-9-33 fa-g-3-7-33 रा-अयो-31-27 रा-सुं-21-15

भा-सावित्री - 13

प्रक

भा-उद्यो- 76-45 पाद्मोत्तरम् -4-25-27

श्रीनारसिंहपु- 18-32 व्याकरणवार्तिकम् - 5-2-94- ब्र-सू-4-4-21

प्रमाणाकरः

मत्तः पर

18–

मत्पदद्वन्द्व मत्प्रसादा

मदीययैव

मद्भक्तजन

2-21-9-17

21-15-6-1

18-BAE-

मद्यपाना

25-

मनुष्यदेहि

मनोवाक्का

मन्त्रराज

मन्त्राणां प

मन्निमित्त

83-81-62

मम ते पाद

मम नाथ

मम मद्भक्त मर्षयामीह

महता पुण्य महाजनो मा जनिष्ट

मातर्लक्षम 05-16

मानसं विष्णु

मामेकमेव

मामेकं श मामेव ये मामेवैष्य

y-8-3

aft-it-7-7

व-पु-

गी- 18-56

श-गद्य-21

गरुडपु-219-6-9

fa-g-5-22-18

श-गद्य-

सात्यकित-

नारदीयम् - 1-11

जितन्ता-1-13

स्तो - र-53

भा-आश्व- 116-23 रा-यु-116-40

व-पु-

व-पु-

श्रीगुणको - 51 गार्ग्यस्मृति

श्रीभागव-11-12-14

गीताचरम-

गी- 7-14

माययाप

गी-18-65 गो-7-15

मा शुचः सं

गी-16-5

५९

६०

मां हि पार्थ मित्रभावेन मिनमौप

मुख्यान्य मुच्येतार्त मूर्खाश्च प मूर्त ब्रह्म मूलमन्त्रेण मोक्षदो

य इदं परमं यच्च शोका यच्छ्रुतं न यच्छ्रेयः स्या योऽनृतेन यति निन्दा यत् करोषि

यंत्र कुन यत्नाष्टाक्षर

यत् संरक्ष्य यथा न क्रि यथाशक्ति यथा सर्व

यथा सर्वेषु यथेच्छसि यदि किञ्चि

श्रीरहस्य वयसारोद्धृत-


02-21-1

गी-9-32

रा-यु- 18-3 रा-सुं-21-19

S

Spars

81-55-6-8-vl

1-1-

….

277-5π-348-81 शाण्डि स्मृ-4-251

1

चतुः लो-4 नित्यम्

गी-18-68 रा-कि-36-20 इति - समु-12-38 गी-2-7

म-स्मृ-4-237 इति - समु-10-62 गो-9-27

faara-2-89

नारदीयम् - 1-20

अहि- समु-52-36 fa–104 55

fa-g-1-5-17 नारदीय 1 42 गो-18-63 रा-कि-36-11

यदि वारा-10-

यदृच्छया

01-1-

यदृच्छयोप

12

प्रमाणाकरः

रा-यु-18-34 पाद्मसं-चर्या -23-81

सात्व-सं- 21-45

यद्येन काम यमो वैव

यया कया

यश्चाधर्मेण पश्शूद्रं भ यस्तु नारा यस्मिन् कस्मि

यस्य नाहं

यस्य प्रसादे

यस्य यावां

यस्यानुग्रह यस्स देवो

2-T

अहि-सं-37-25

मनुस्मृ-8-92

श्रीरङ्गमाहात्म्यम् - 8 - 12

भा-शा-335-51 इति - समु-27-26 भारतम्

गो-18-17 रा-कि-4-21

नारदीयक-1-14

भा-आर-161-50

यं योगिनः

यं लब्ध्वा चा

यः पुत्त्रः यामालम्ब्य

यावदधि याः क्रियाः सं युवत्वादी ये तु सामा ये द्विषति येन केना येन त्यजसि

भा-शा-46-139

it-6-22

ब्रह्माण्डपु-

साच्च-सं- 12-84

  • सू-3-3-31 भा-शा-353-64 श्री गुण - को-34

भा-शा-336-36

श-गद्यम्-18

भा-शा

नि

६६

६२

श्रीरहस्यलयसारोद्धृत-

ये नाथवन्तो 48-81-

ये नृशंसा

ये यजन्ति

योगिनामपि

योगिनामनृतं यो गोपा

योगो योग

योऽत्ति वार्ता

भा-आर-161-2 इति - समु-31-129 भा- शा-335-41 गो-6-47 fa-g-1-6-38

सात्वतसं -25-375

सहस्रनाम - 18-19

भा-उद्यो-41-37

विन्ध-

योऽन्यथा स

यो मे गर्भ

यो लोकलय

T1-31-y

गी- 15-17

यो वेत्ति यु

यो होनं पु

रक्षापेक्षां

रक्षिष्यतीति

रथं स्थापय

राक्षसाना

रागादिदू

रागादिरोगा

रामानुजं

रिपूणामपि

रूपौदार्य

रोगापद्भय

ले

लक्ष्म्या सह

न्यायतत्त्व

भा-आर-191-20

लं-त-17-78

अहि-सं-37-18

श्रीगोता- 1- 21

सनत्कु-सं- fa–9-11

वाग्भट

रा-सुं-28-10 रा-यु- रा-अयो-3-28

नारदीयम् - 1-38

ले-त-28-14

लिप्यन्ते न लोकविक्रान्त लोकेषु विष्णो 2-

प्रमाणाकरः

इति-समु-31-120 1

जितन्ते

६३

श्रीभाग-

एक

वधार्हमपि

रा-सुं- 38-34

एन

वरद तव

8-

वरदराजस्त - 88

वरं हुतवह


वर्णाश्रमा

et-81-1 fa-g-3-8-9

वसिष्ठव्यप वाचः परं

रा-बाल- 19-2

82-001–7

शौनकसं-

वाचा च

भा-आर-48-16

विकल्पोऽवि

विगतेच्छा

ब्र-सू-3-3-57 गी-5-28

विद्यते ब्रा

81-051-

रा-यु-16-9

विद्ययैव

म स्मृ-2-113

विद्याचोरो

विपरीत

06-02-1

fa-5-109-74

विमुक्तिफल

fa-g-1-9-120

विष्णुधर्म

sfa-ag-12-77

विष्णुं ब्रह्म

इति-समु-10-58

विष्णुर्नित्यं

fa-g-2-13-2

विष्ण्वाधारं

विहितत्वा वृथैव भवतो वृन्ताक

वैकुण्ठे तु

1-3-12

ब्र-सू-3-4-32 शाण्डि-स्मृ

लौङ्गपु-

“६४

श्रीरहस्यवयसारोद्धृत-

वैदिकं ता 05/16–

व्यक्तं हि

व्यतिरेक

व्यवसाया

व्यसनेषु

व्यापका

व्याप्तिकान्ति

व्यासप्रसा

नारदीय- 1-32 ब्र-सू-3-3-52

भा- शा-334-47 रा- अयो-2-40

अहि-सं-4-78

अहि-सं-52-38

गी-18-75

शरणं च प्र

Fa-a-106-53

शरणं त्वां

01-81-

ब्रा-पु- 53

शरणं प्रति

शरणं व्रज

शरण्यं श

  • शरीरमर्थ

शरीरवा शरैस्तु शास्ता वि

शास्त्रावि

शिश्नोदरे

शिष्यस्तेऽहं

शुचिना शुचिस्तु प्र शूद्रयोना

शूद्रः साधुः शृङ्गारवीर

भा-आर-48-16

गीताचरम

रा-यु-120-18 विहगेश्वरसं-

गो-18-14

रा-सुं-39-30 fa-g-1-17-20 नित्य-

भा-शा - 305-36 गीता-2-7

भा- उद्योग-21-43 भा- उद्योग - 76-43 fa-g-6-2-6

अमर-1-7-17

-प्रमाणाकरः

शृणाति नि शृणु चा

18-81-

शेवधिष्टे

SH

शेषशेषाशना

अहि-सं-51-62 इति - समु-8-40

म-स्मृ-2-114 वै-ग-4

शेषित्वे प

श्रीगुण - को-22

श्रयन्तीं

अहि-सं-21-8

श्रियः श्रीः

श्रीगुण - को- 9

B

श्रीधरः श्री

सहस्रनाम - 617

श्रीपराशर

नञ्जीयर नित्य-

श्रीमता मूल

श्रीवै - गद्य - 4

श्रीमन्नारा

श्रीरसि यतः

श्री - गुणरत्न - 29 चतुः लोकी-1

श्रीरित्येव

श्रुतादन्यत्र श्रुतिस्मृत्युदि श्रुतोपनिषत्क श्रूयते किल्ल

श्रेयो न श्रौतस्मार्ता

षड्विधा श

षष्ठपञ्च

सकलमनुज

सकलाङ्गो

सकृत्कृतः

भट्टनित्य- ब्र-सू-1-2-17 वि-ध-2-25 चतुःश्लोकी - 3

अष्टाक्षरत्र-

अहि-सं-37-29

नार- श्रीमदष्टाक्षरत्र-1-59

श्रीगी - भाष्य-1 मीमांसा

६५-

श्रीरहस्य वयसारोद्धृत-

६६

सकृदुच्च

C-1-

सकृदेव

OF-8–

  • सत्कर्मनि

4-4-3-11-1

सत्यं शतेन

स त्वं प्रहर

सन्ध्याहीनो 54

स भ्रातुः -समस्तशब्द

समित्साधन -समुद्रे गो - सम्यग्ज्ञाने

स राजा प

सर्वकामांश्च सर्वगुह्य

सर्वज्ञोऽपि

fa-7-70-84

रा-यु-18-33 ले-त-17-62

वि-ध-74-94 वि-ध-2-28 दक्षस्मृति-2-27 रा-अयो-31-2

वामन-पु- अहि-सं-37-37

हरिवंश-27-11-13

विहगेश्वरसं-

गो-18-64

ल-त-17-78

सर्वदा चरण

सर्वधर्मान्

सर्वपापेभ्यः

सर्वमष्टा

सर्वयोग्य

सर्वलोक

सर्वस्वं वा

सर्व जिल्हां

सर्व पर सर्वान्नानु सर्वेषामेवध

S-TO-B

जितत्ते- 1-2

गीताचरम

गीताचरम

श्रीमदष्टाक्षरब्रह्म-1-9

………..

रा-यु-17-17

भा- शान्ति - 79-22 मनुस्मृति - 4 - 160 त्र - सू-3-4-28 भा-आनु -36-24सर्वेषा - लो सर्वोपाधि स शूद्र इति सहकारि संकीर्त्य ना

संत्यज्य

संपद्या

संवत्सरं

संसारविष

संसारार्णव

संसृत्यक्षर

साक्षाद

साङ्केत्यं

सांप्रतं

सीतामुवा

सीतासमक्षं सुदुष्करेण सुव्याहृता सुहृदं सर्व

सूक्ष्मः पर सृष्ट्वा नारं

सोऽहं से सौगन्ध्य

स्त्रियो वैश्या

स्नानं सप्त स्मर्तव्यः स

प्रमाणाकरः

भा-आर-192-56 दक्षस्मृति पारमेष्ठ्य सं-

ब्र-सू-3-4-33 व्यास- सञ्ज-संवा

श्री विष्णुतत्त्व- ब्र-सू-4-4-1 शाण्डि स्मृ-1-116

काश्यपस्मृ-

चतुःश्लोकी-3

व्र-सू-1-2-29

श्रीभागवतम् - 6-2-14 अहि-संहिता - 37-29 रा- अयो-31-2

रा-आर-15-6 तात्पर्यचन्द्र- 18-66 भा-उद्यो-33-34 श्रीमीता - 5-29 रामा-कि-18-15

a-g-2-12 fa-g-5-7-70

गी-9-32 पाप्त सं-3-3

हरिवंशम् -132-14

६७

स्वकर्मणा स्वगुरूणां स्वतः श्रीस्त्वं

स्वयं मृत्पिण्ड स्वरूपं स्वस्ति श्री

स्वस्य स्वा

स्वाद्वैः पञ्च स्वात्मनित्य स्वात्मनुभूति स्वाभीष्टे प स्वे स्वे कर्म स्वोजीवने

हत्वापि

हरिरेकः

हरिहरति

हविर्गृही

हव्यकव्य

ho

प्रमाणाकरः

श्री गीता - 18-46

श्रीगुण-को-31 इति - समु-17-63 श्रीगुण - को-28 श्रीस्तवम् - 1 अहि- समु-52-21 ले-त-28-11

श्रीवरदस्त - 81

गी- 18-45 वि-त-

mar-18-17 हरिवं-वि-प- 132-8 हर्यक

fa-g-1-19-73 वङ्गी-श-का-77-84

हुत्वाऽश्नी

हे कृष्ण

गी-11-41

होमं पितृ

वी-शका-501

श्रीमते निगमान्तमहा देशिकाय नमः

ஸ்ரீ:

1 श्रुतप्रकाशिकासमेत

श्रीभाष्यम् (संपुटद्वयम् )

50-00

2 भाष्यार्थदर्पणसहितं

श्रीभाष्यम (संपुटद्वयम )

25–00

3

परमार्थभूषणम्

25-00

4

वैशेषिकर सायनसहितं

वैशेषिकदर्शनम्

7-00

5 वेदान्तदीपः

आंगलादिपरिवर्तनसहितः

15-00

6 तर्कसंग्रह सुख प्रवेशिनो

1-00

7 उपयुक्तपारायणम्

2-50

यादवाभ्युदयः विक्षेपरक्षा सुभाषितनीवी च मुद्रयन्ते ॥

Please write to :-

Sri Uttamur

Printed at

T. Veeraraghavacharya

Ubhaya Vedantha Granthamala 25, Nathamuni Street

MADRAS-17

Sri Raghavasimham Press, Saidapet, Madras-15