श्रीमद्रहस्यवयसारानुवादशोधनिका
-4-2
भूताख्य
34-15
पिच्छिकायातत्त्वा
5-11
गतिश्चासि
38-8
एतदेक-
7-6
प्रबन्धाः
39-7
क्रौर्य
-12
तोड़प्प
40-4
प्रकारः
8-12
गोष्ठी
45-17
धर्मभृतज्ञानं
11-5
दृप्ति
-18
प्रत्येव
-22
-21
आलवन्दा
प्रकाशनशक्ति
12-10
हयवदन
46-14
शीलस्यास्य
-18
49-16
हयवदन
कर्मोपाधिक
13-19
59-11
नालुमुहक्क
शरीरिणः
14-6
हृहयंगमः
69-5
श्रीशठकोप
-12
वैकुण्ठे
79-7
परिपूर्ण
15-4
कुर्वाणै
83-13
निरन्तर
-6
प्राप्त्य
86-14
स्थितं कर्म
-11
अवलम्ब
88-10
विशिष्यमाणो
16-16
मतिशयित
90-4
संश्रयन्ते
17-11
पाकांक्षो
-13
वश्यम्भवन
21-8
शाखानामुपरि
91-17
प्रातिकूल्य
24-19 प्रथमरहस्ये
92-20
प्रातिकूल्य
25-2
प्रपत्त्यनुष्ठा
97-7
प्रेप्साजनकं
-6
नुष्ठानसमयेनुसंधे
-18
श्रीवादिहंसा
-27-15 वयसारे प्रधानप्रति -
98-8
उपायार्थीक
तन्त्रा
99-4, 5
स्वल्पांशेनापि
30-2
दीप !
102-21
आत्मापहार
-14
श्रुतं
106-8
सांगप्रपदनाधि
शोधनिका
१३
114-11
सम्यक
255-4
प्रारब्ध
123-14
पादुकाभ्यां
259-9
अवैष्णव
131-11
कैङ्कर्यमपि
274-5
प्राप्तत्वात्
133-17
वर्धकं
317-7
टितः पदैस्त्रि
137-14
श्रीयामुना
357-14
धिकारं
142-3
सुहृदः
366-16
कर्माखिलं
161-10
आसीदित्येव
378-22
श्वरगत
167-6
अमानव संज्ञ
381-12
मुपायत्वेन
168-3
पर्यायेण
397-15
तिशयं
169-3 मेतन्मनो
412-19
जगन्नाथः
171-8
आज्ञाधरै
416-13
173-22
राजकुमारं
-15
संबन्धोऽपि
त्यत्रोक्तो यः ॥
177-6
निर्व्यापारैः
417-16
वर्णाश्रमादि
-7
पुत्रादिभिश्च
428-12
शिष्यकृता
199-7
षूपदेशानाम्
431-17 श्रुत्वा
207-3
वादिहंसा
532-8
षत्वानुसंधा
217-21 बहिष्का
-19
श्रोत्रे
238-6
जन्मसिद्धाः
438-16
काशमुपविष्टं
241-3
निर्माल्यं
4-3-
बहुसंस्कृत
२४
348 पुढे इयं गाथा -
“ओदुमिरण्डे विशैन्दरुला लुदतिरुमाल पादमिरण्डु शरणेन पर्टि नम्पंगयत्ताल नातनैर्नाण्ण नलं तिकड़ नाट्टिलडिमैयेल्लाम कोदिलुणर्त्तियुडन कोल्लुमारु कुरित्तनमे”
349 पुढे इयं गाथा -
ओणूतोडियाल तिरुमहळु तानुमाकि ओरुनिनेवाली बुयिरेल्लामुय्य घण्तुवरैनगर वाड़ बसु देवक
2
मन्नवकुत्तेर पाकना किनिन्र तण्तुळवमलरमान् तानेशोन्न तनित्तरुमं तानेमक्काय् तन्नैयेनुं कण्डकळित डिशहविलक्कायूनित्र कण्णुदैयल विल्लेयाकड़िक्कित्राने ॥
कारिकातिरिक्तश्लोकाः
श्रीरहस्यत्रय सारगताः
अधिजिगमिषु
423
करबदरित
434
अध्यासीन
434
कर्मज्ञान
87
अप्राप्तितः
344
कर्मत्रह्मा
13
अभीष्टे
100
कर्माविद्या
18
अर्थित्वेन
87 कलकण्ठ
440
अविश्रान्त
180
कल्याणमा
265
अशिथिल
428
कालावर्तान्
70
आकर्णितो
318
गुरुभ्यस्तद्
3
55
चातुर्वर्ण्य
254
आदौ प्राप्यं
28
जनपद
69
आधेयत्व
22
ज्वलन दिवस
166
आभगवत्तः
13
तत्तद्वैतुक
231
आवापोद्वापतः
55
तारं पूर्व
265
आस्तिक्यवान्
441
दहरकुहरे
165
इति यतिराज
440
दुर्विज्ञानैः
349
‘इत्थं संघटितः
317
न वेदान्तात्
348
इदमष्टपदं
347
नाथेन स्तृण
133
- इयानित्थं
90
निरवधिदया
428
इह निज
301
निर्विष्टं यति
441
इहमूलमन्त्र
265
पितृपथ
171
इह संग्रहतः
298
प्रकृत्यात्म
38
उपायः स्वप्राप्तेः
81
प्रख्यातः पञ्च
99
एकं द्वयं
348
प्रत्येयस्तु
426
एकं सर्वप्रद
422
प्रणयिनमिव
127
एते मह्यम्
10 प्रपन्नादन्येषां
81
१६
श्रीरहस्यत्रयसारगताश्लोकाः
प्राप्यं ब्रह्म
37
विश्राम्यद्भि
प्रारब्धेतर
151
विषमधु
भक्तथादौ
90
वैराग्यविजित
347
भगवति हरौ
109
व्यासाम्नाय
422
मणिवर व
13
शाखानामुपरि
21
मनसि करण
157
शिलादेः
254
मुकुन्दे
134
श्रुतिपथ
19
मुमुक्षुत्वे
75
श्रुतिस्मृत्या
140
य उपनिषदा
349
समर्थे
106
यतैकायं
152
संतोषार्थ
115
यथाधिकरणं
संदृष्टः
181
यदन्तस्स्थं
265
सा काशीति
156
यद्येतं यति
27
स्वच्छस्वादु
141
युगपदखिलं
182
स्वतन्त्र
127
युग्यस्यन्दन
106
स्वरूपं यद्
231
रहस्यत्रय
444
स्वरूपोपाया
110
रागद्वेषमदा
264
स्वापोद्बोध
114
-वितमसि
172
हृद्या हृत्यम
11