श्रीरहस्यत्रयसारगताः
अधिजिगमिषु
[[423]]
करबदरित
[[434]]
अध्यासीन
[[434]]
कर्मज्ञान
[[87]]
अप्राप्तितः
[[344]]
कर्मब्रह्मा
[[13]]
अभीष्टे
[[100]]
कर्माविद्या
[[18]]
अर्थित्वेन
[[87]]
कलेकण्ठ
[[440]]
अविश्रान्त
[[180]]
कल्याणभा
[[265]]
अशिथिल
[[428]]
कालावर्तान्
[[70]]
आकर्णितो
[[318]]
गुरुभ्यस्तद्
[[3]]
आत्मैक्यं
55 चातुर्वर्ण्य
[[254]]
आदौ प्राप्यं
[[28]]
जनपद
[[69]]
आधेयत्व
[[22]]
ज्वलनदिवस
[[166]]
आभगवन्तः
[[13]]
तत्तद्वैतुक
[[231]]
आवापोद्वापतः
[[55]]
तारं पूर्व
[[265]]
आस्तिक्यवान्
[[441]]
दहरकुहर
[[165]]
इति यतिराज
[[440]]
दुर्विज्ञानैः
[[349]]
इत्थं संघटितः
[[317]]
न वेदान्तात्
[[348]]
इदमष्टपदं
[[347]]
नाथेनस्तृण
[[133]]
इयानित्थं
[[90]]
निरवधिदया
[[428]]
इह निज
[[301]]
निर्विष्टं यति
[[441]]
इहमूलमन्त्र
[[265]]
पितृपथ
[[171]]
इह संग्रहतः
[[298]]
प्रकृत्यात्म
[[38]]
उपायः स्वप्राप्तेः
[[81]]
प्रख्यातः पश्च
[[99]]
एकं द्वयं
[[348]]
प्रत्येयस्तु
[[426]]
एकं सर्वप्रद
[[422]]
प्रणयिनमिव
[[127]]
एते मह्यम्
[[10]]
प्रपन्नादन्येषां
[[81]]
[[१६]]
श्रीरहस्यत्रय सारगताश्लोकाः
प्राप्यं ब्रह्म
[[37]]
विश्राम्यद्भि
प्रारब्धेतर
[[151]]
विषमधु
[[74]]
भक्तपादी
[[90]]
वैराग्यविजित
[[347]]
भगवति हरौ
[[109]]
व्यासाम्नाय
[[422]]
मणिवर इव
[[13]]
शाखानामुपरि
[[21]]
मनसि करण
[[157]]
शिलादेः
[[254]]
मुकुन्दे
[[134]]
श्रतिपथ
[[19]]
मुमुक्षुत्वे
[[75]]
श्रुतिस्मृत्या
[[140]]
य उपनिषदा
[[349]]
समर्थे
[[106]]
astri
[[152]]
संतोषार्थ
[[115]]
यथाधिकरणं
संदृष्टः
[[181]]
यदन्तस्स्थं
[[265]]
सा काशीति
[[156]]
यद्येतं यति
[[27]]
स्वच्छस्वादु
[[141]]
युगपदखिलं
[[182]]
स्वतन्त्र
[[127]]
युग्यस्यन्दन
[[106]]
स्वरूपं यद्
[[231]]
रहस्यत्रय
[[444]]
स्वरूपोपाया
[[110]]
रागद्वेषमदा
[[264]]
स्वापोद्बोध
[[114]]
वितमसि
[[172]]
हृद्या हृत्यम
[[11]]
15216.5
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[[897]]