०५ सामानाधिकरण्यम्

विश्वास-प्रस्तुतिः

सामानाधिकरण्यं हि द्वयोः पदयोः
प्रकार-द्वय-मुखेनैकार्थ-निष्ठत्वम् ।

नीलमेघः - मुख्यवृत्तिः

उस प्रयोग को समानाधिकरण शब्दों का प्रयोग कहते हैं
जिसमें विद्यमान
दोनों पद विभिन्न विशेषणों को बतलाते हुये
एक विशेष्य में पर्यवसान पाते हैं ।

मूलम्

सामानाधिकरण्यं हि द्वयोः पदयोः प्रकारद्वयमुखेनैकार्थनिष्ठत्वम् ।

विश्वास-प्रस्तुतिः

तस्य +++(प्रकारिणः)+++ चैतस्मिन् पक्षे मुख्यता +++(न तु लक्षणा, ध्वनिर् वा)+++।

नीलमेघः

यह समानाधिकरण निर्देश विशिष्टाद्वैतपक्ष में
मुख्यवृत्ति अर्थात् शब्दशक्ति के अनुसार ही लग जाता है,
लक्षणा को अपनाने की आवश्यकता नहीं पड़ती ।

मूलम्

तस्य चैतस्मिन् पक्षे मुख्यता ।