श्रीः।
एतद्ग-ग्रन्धस्थ विषय-सूची,
परिभाषा
परिभाषाख्य-प्रथम-भागे।
| पुटसङ्ख्यः | |
|---|---|
| आचार-लक्षणम् | १ |
| परिभाषा- तत्रादौ शास्त्रनाम निरूपणम्, तत्र वेदाः, उपवेदाः, वेदााङ्गानि, उपनिषदः, सूत्र-गणाः, स्मृतयः, उपस्मृतयः, पुराणानि, उपपुराणानि, दर्शनानि, संहिताः, आगम-शास्त्रम्, शिल्प-शास्त्राणि, वैदिक-शास्त्र-निरूपणम्। | ४ |
| मोह-शास्त्र-निरूपणम् | |
| शैव-पाशुपतादिष्वागम-नाम-धेयम् | |
| उपागमाः | |
| वैदिक-शास्त्राणामपि गुणत्रयात्मकत्वं तेषां फल-भेदाश्च | |
| वैदिक-लक्षणम्, परम-वैदिक-लक्षणम् | |
| धर्म-शास्त्रोपयोगि-सञ्ज्ञा-निर्वचनम् | |
| प्रसङ्गाद्व्यतीपातार्धोदयादिलक्षणम् | |
| गुरु-आचार्य-ऋत्विगादि-लक्षणम् | |
| धर्म-प्रशंसा, कलि-युग-धर्माः | |
| पाषण्डि-लक्षणम्, देवलक-लक्षणम् | |
| दीक्षितानां भगवद्-भक्तानां देवलकत्व-दोषाभावः | |
| दश-विध-ब्राह्मण-निरूपणम् | |
| दश-विध-वैष्णव-निरूपणम् | |
| कर्म-ब्रह्म-प्रतिपादक-शास्त्र-विभागः | |
| कर्म-ज्ञानादीनामप्यैहिकादि-फल-भेदेन तामसत्वादि-निरूपणम् | |
| चक्रादि-धारण-प्रमाण्य-समर्थनम् | |
| चक्रादि-धारण-निषेधक-वचनानामन्य-परत्व-निरूपणम् | |
| तप्त-मुद्रा-धारण-दीक्षा-कालः |
| पुटसङ्ख्यः | |
|---|---|
| मन्त्राभ्यास-कालः | |
| पञ्च-संस्कार-प्रयोगारम्भः | |
| वैष्णवाग्नि-करणम् | |
| ताप-ऊर्ध्व-पुण्ड्र-मन्त्र-संस्कार-होमाः | |
| याग-होमः | |
| पञ्च-संस्कार-दीक्षा-प्रदानम् | |
| शिष्याचार्य-क्रमः, तयोर्लक्षणम्, वृत्तिश्च | |
| वैष्णवेष्टि-प्रयोगः | |
| प्रपत्ति-प्रकार-निरूपणम्, प्रपन्न-वृत्तयः। | |
| इति परिभाषा-प्रकरणम्। |
अभिगमनम्
अथाभिगमनम्
| पुटसङ्ख्यः | |
|---|---|
| धर्मानुष्ठान-योग्य-देशाः |
| नित्य-नैमित्तिक-कर्म-विभागः|| | प्रातः काल-कृत्य-निरूपणारम्भः || | ब्राह्म-मुहूर्त-कर्तव्यम्, तत्प्रयोगश्च || | प्रातर्निर्वेद-क्रमः || | योग-शेष-स्वाध्याय-समापनम् || | अभिगमनादि-काल-पञ्चक-निरूपणम् || | अभिगमनादि-सङ्कल्पः || | मल-मूत्रोत्सर्जन-विधिः || | शौच-विधिः || | शौचार्ह-मृन्निरूपणम् | | वाप्यादिषु बाह्य-मृत्तिका-निषेधः || | उत्सर्गात्पूर्वमेव मृद्-ग्रहणम् || | आर्द्र-वाससा मलाद्युत्सर्गे || | उत्सर्ग-काले जल-पात्र-धारण-निषेधः || | विण्मूत्रोत्सिसृक्षयोपविष्टस्य तदनुत्सर्गेप्यर्ध-शौचम्|| | मृत्-सङ्ख्या, मृत्-परिमाणम् || | दक्षिण-हस्तेन शौच-निषेधः || | आचमन-विधि-नियमादयः || | आचमन-भेदास्तत्प्रकाराश्च || | द्विराचमनविधिः || | दन्त-धावन-विधिः || | विधवादीनां दन्त-धावन-निषेधः|| | दन्त-धावने निषिद्ध-तिथयः || | दन्त-धावन-मन्त्रः || | स्नान-विधिः || | स्नानार्थं नदी-तरण-निषेधः|| | परकीय-जलाशयेषु स्नान-निषेधः || | उष्णोदक-स्नान-निषेधः, क्वचित्तदनुज्ञा, त्वचित्तदपवादः || | स्नान-भेदाः || | समुद्र-स्नान-विधिः || | समुद्र-स्नान-निषेधः || | सेतु-स्नान-प्रयोगः || | सङ्क्रम-स्नानादि-निर्णयः || | नदीनां रजोदोष-निर्णयः || | माघ-स्नानम् || | तैलाभ्यङ्ग-विधिः || | क्वचित् स्नान-निषेधः || | नैमित्तिक-स्नानम् || | वृषल-चण्डालादि-स्पर्शे || | श्व-पाकादि-छाया-स्पर्शे || | शिशोः रजस्वलादि-स्पर्शे || | विवाह-यात्रादिषु भगवदुत्सवादिषु च स्पृष्टि-दोषाभावः || | पुनस्स्नान-निमित्तम् || | क्वचिदामलक-स्नान-निषेधः || | क्वचिन्मृत्तिका-स्नान-तिल-तर्पण-निषेधः || | प्रातस्स्नान-वीधिस्तत्प्रयोगश्च || | स्नानाङ्ग-तर्पणम् || | वस्त्र-धारण-विधिः || | अहत-वासोलक्षणम् || | गृहस्थस्य एक-वस्त्र-धारण-निषेधः || | नग्न-स्वरूप-निरूपणम् || | धौत-वस्त्राभावे क्षौमादि-धारणानुज्ञा || | स्कन्ध-देशे आर्द्र-वस्त्र-धारण-निषेधः || | स्नान-प्रयोजन-निरूपणम् || | मन्त्र-स्नान-प्रकारः || | स्नान-तर्पणे स्नान-वस्त्र-निष्पीडने च प्रपन्न-विषये विशेषः || | ऊर्ध्व-पुण्ड्र-धारण-विधिः || | ऊर्ध्व-पुण्ड्रान्तराळे हरिद्रा-धारण-विधिः || | ऊर्ध्व-पुण्ड्र-धारण-प्रयोगः || | ऊर्ध्व-पुण्ड्र-ध्यानम् || | तुलसी-पद्माक्ष-मणि-मालिका-धारणम् || | सन्ध्योपासन-विधिः || | सन्ध्या-काल-नीरूपणम् || | सन्ध्या-शब्दार्थ-निर्णयः || | प्रातस्सन्ध्या-प्रयोगः || | आपोहिष्ठादि-मन्त्राणामर्थः || | सूर्यश्चेति मन्त्रस्यार्थः || | दधिक्राव्ण्णेत्यादि-मन्त्राणां व्याख्या || | अर्घ्य-प्रदानास्त्रोपसंहार-क्रम-प्रतिपादनम् || | सूतकादौ सन्ध्या-विधिः || | भगवत्सेवा समये सन्ध्यातिक्रमेपि दोषाभावः|| | सन्ध्या-कालातिक्रम-प्रायश्चित्तम् || | जप-विधिः, प्राणायाम-विधिश्च || | जप-प्रयोगः, जप्य-मन्त्राणां ऋष्यादयः || | मन्त्र-न्यासादयः || | चतुर्विंशति-मुद्राः, मुद्राणाङ्गोप्यत्व-वर्णनञ्च || | गायत्री-ध्यानम्। तुर्य-गायत्री-जप-विधिश्च || | प्रणवादीनां व्याख्या || | जप-नियमाः || | जपोपस्थानम्, उपस्थान-मन्त्र-व्याख्या || | अभिवादन-विधिः || | यति-विषये विशेषः || | सन्ध्यालोप-प्रायश्चित्तम् || | आधार-शक्त्यादि-तर्पण-क्रमः || | अभ्युक्षण-विधिः || | होम-विधिः|| | होम-काल-निर्णयः || | हविष्य-निर्णयः समिदिध्म-निर्णयश्च || | श्रौत-पूर्वत्वादि-विधिः || | पात्र-तोय-स्पर्शन-विधिः || | पुनराधान-निमित्तम् || | औपासनाग्नि-द्वय-संसर्ग-विचारः || | ब्रह्म-यज्ञ-विधिः || | नित्यं प्रश्नाध्यायिनः अनध्ययनाभावः || | विधुरस्य ब्रह्म-यज्ञाद्यनधिकारः || | ब्रह्म-चारिणो ब्रह्म-यज्ञाधिकारः || | भगवत्सेवा-प्रदक्षिण-क्रमः || | प्रदक्षिण-सङ्ख्या-प्रणाम-क्रमश्च || | अवैष्णव-स्थापित-प्रतिमा-दर्शन-निषेधः || | स्त्री-शूद्राराधित-भगवद्वन्दन-निषेधः || | अष्टाङ्गादि-प्रणाम-विशेषः || | एक-हस्त-प्रणाम-निषेधः क्वचित्तदनुज्ञा च || | भगवदर्चा-विग्रह-सेवा-फलम् || | भगवत्तीर्थ-प्रसाद-महिमा || | भगवदपचाराः ||
उपादानम्
अथोपादानम्।
| पुटसङ्ख्यः | |
|---|---|
| श्रीमदष्टाक्षर-महा-मन्त्र-न्यासः | |
| मन्त्र-रत्न-न्यासः | |
| द्वादशाक्षर-न्यासः | |
| षडक्षर-मन्त्र-न्यासः | |
| तुलस्याद्याहरण-विधिः | |
| तुलसी-माहात्म्यम् | |
| मन्वादिः | |
| कुशाहारणम् | |
| पवित्र-विधिः | |
| गोवाल-पवित्र-प्राशस्त्यम् | |
| क्षौर-विधिः | |
| विधवायाः केश-धारण-निषेधः | |
| यज्ञोपवीत-विधिः | |
| यज्ञोपवीत-प्रतिष्ठा-प्रयोगः | |
| यज्ञोपवीत-धारण-क्रमः | |
| वेदाभ्यासः | |
| पोष्य-वर्ग-विचारः | |
| ब्राह्मणादि-वृत्तयः | |
| हविष्पाक-विधिः | |
| भक्ष्याभक्ष्य-निर्णयः | |
| द्रव्य-शुद्धिः | |
| मध्याह्न-स्नान-विधिः | |
| मृत्तिका-स्नान-विधिः | |
| परमैकान्ति-मृत्तिका-स्नानम् | |
| माध्याह्निकम्, मन्त्राणां व्याख्या | |
| पुरुष-सूक्तस्य ऋषि-छन्दो देवतादयः |
इज्या
अथेज्या-प्रयोगः॥
| पुटसङ्ख्यः | |
|---|---|
| इज्या-विधि-प्रतिपादक-प्रमाणोपन्यासः | |
| गृहार्चा-मानम् | |
| गृहार्चाया आवाहनम् | |
| गृहार्चा-प्रतिष्ठा-प्रयोगः | |
| गृहार्चा-सम्प्रोक्षण-विधिः | |
| भूत-शुद्धिः | |
| मातृका-न्यासः | |
| मूल-मन्त्र-जप-प्रकारः | |
| हृद्यागः | |
| मन्त्र-न्यासः | |
| भगवदाराधन-प्रयोगः | |
| भगवदाराधनोपयुक्त-प्रमाणोपन्यासः | |
| संविभाग-विधिः | |
| वैश्वदेव-प्रयोगः | |
| यति-भिक्षा, तत्काले यति-वन्दन-निषेधः | |
| अतिथि-पूजनम् | |
| वैकुण्ठ-होमः | |
| भोजन-विधिः | |
| भोजने दिङ्नियमः | |
| भोजन-पात्र-निरूपणम् | |
| आपोशन-विधिः, पात्र-स्पर्श-विधिश्च | |
| प्राणाहुति-नियमाः | |
| यतेर्गृहस्थाद्यैस्सह-भोजन-निषेधः | |
| केशादि-दुष्टान्न-भक्षण-विचारः | |
| सशब्दमापोशनादि-निषेधः | |
| शूद्र-शिष्टान्न-निषेधः | |
| भोजन-काले तैल-यन्त्रादि-शब्द-श्रवण-निषेधः | |
| एक-पङ्क्तिषु भुञ्जानानां परस्पर-स्पर्श-निषेधः | |
| तेषामुच्छिष्ट-स्पर्शे | |
| श्राद्ध-भोजन-प्रायश्चित्तम् | |
| दीर्घ-पत्र-भोजन-निषेधः | |
| शूद्र-सत्र-भोजने प्रायश्चित्तम् | |
| वैश्य-शूद्र-गृहेषु आमप्रतिग्रह-निषेधः | |
| क्रीतान्न-भोजने प्रायश्चित्तम् | |
| सङ्घान्न-भोजने प्रायश्चित्तम् | |
| चौळ-सीमन्तान्यन्न-भोजने प्रायश्चित्तम् | |
| व्रात्य-कुष्ठ्याद्यन्न-भोजने प्रायश्चित्तम् | |
| ताम्र-पात्र-स्थित-गव्यादि-निषेधः | |
| द्विर्भोजन-निषिद्ध-दिवसाः | |
| अभोज्यान्न-निरूपणम् | |
| श्राद्ध-शिष्टान्न-भोजन-विचारः | |
| परिषेचनात्पूर्वमन्न-परिमर्दन-निषेधः | |
| यत्यन्नादि-निषेधः | |
| स्त्री अपाङ्क्तेयादि-पङ्क्ति-भोजने प्रायश्चित्तम् | |
| प्राजापत्यादि-प्रत्याम्नायाः | |
| पञ्चगव्य-विधिः | |
| भोजनोत्तर-कृत्यम् | |
| गण्डूष-विधिः, तज्जलपान-निषेधः | |
| ताम्बूल-चर्वण-विधिः | |
| अमाश्राद्धादि-निषिद्ध-दिवसेषु ताम्बूल-चर्वण-निषेधः |
स्वाध्यायादि
अथ स्वाध्यायः।
उत्सवादि
| मार्गशीर्षादि-नैमित्तिकाराधनम् || | श्री-राम-नवमी || | वैशाख-पूर्णिमायां फल-पूजा || | वैशाख-पूर्णिमायां धात्री-स्नानम् || | श्री-नृ-सिंह-जयन्ती-निर्णयः || | श्री-कृष्ण-जयन्ती-निर्णयः || | उत्सवान्त-पारण-विचारः || | एकादश्युपवास-लक्षणम् || | एकादशी-श्राद्ध-विचारः || | एकादशी-नियमाः || | एकादश्यामुपवासाकरणे प्रायश्चित्तम् || | एकादशी-वेध-निर्णयः || | नवमी-शेष-संयुक्त-दशमी-विचारः || | विद्धोपोष्यपराणां वचनानामन्यपरत्व-वर्णनम् || | विद्धैकादश्युपवासे प्रायश्चित्तम् || | अधिक-द्वादशी-विचारः || | चातुर्मास्य-विचारः || | श्रवणद्वा-वादशी-विचारः || | कला-मात्रावशिष्ट-द्वादशी-पारण-विचारः || | कृत्तिका-दीपोत्सव-निर्णयः || | उपाकर्म-निर्णयः || | यज्ञोपवीत-धारण-विधिः || | स्थाली-पाक-निर्णयः || | ननाग्रयण-स्थाली-पाक-निर्णयः || | ननाग्रयण-स्थाली-पाक-प्रयोगः || | अमावास्या निर्णयः || | स्नातक-धर्माः ||
योगान्तम्
| सायाह्न-कृत्यम् || | अग्निश्चेत्यादि-मन्त्राणां व्याख्या || | सायं होम-प्रशंसा || | सायमभिगमनम् || | प्रदोष-काल-कृत्यम् || | रात्रि-भोजन-नियमाः || | योग-निरूपणम् || | शयन-विधिः || | स्त्री-सङ्गमादि-वीधिः || | स्त्री-सङ्गमानन्तरं शौच-विधिः ||
उपसंहारः
| सदाचार-प्रशंसा; तल्लक्षणञ्च ||