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श्री कल्किसिंह भगवत्र बन्ध माला श्री शरारिमुनि विरचितवाद तिरुवा योगि ऎ०ब सहस्रगाधात्मक - द्राविड दिव्य प्रबद्ध श्री कसिंहभगवद्विरचितवाद (१) कन्नडप्रतिपदाध (२) संस्कृतपद्यात्मक-सहस्रगाधारत्नावळ (३) कन्नडतात्पर-समेत (द्रमिडोपनिषत्सङ्गति-द्रमिडोपनिषत्ताक्षररत्नावळी सहित) ८ नॆय सञ्चिकॆ अष्टम शतक (सव्याख्यान) जॆ ० ग ळू रु वॆ, बि, सुब्बय्य अण्ड् र्सस् यवर ऎलॆक्‌ट्रिक् मुद्राक्षरशालॆयल्लि मुद्रिसल्पट्टितु. १० सञ्चिकॆगळुळ्ळ समग्र-प्रबन्मद क्रय da. 6-0-0. 1931. ई सञ्चिकॆय चित 12. श्रीमते रामानुजाय नवर्क श्रीमते शठकपाय नमः श्री शठारिमुनि विरचितवाद तिरुवा यो (अष्टमशतक) श्री कल्किसिंह भगवद्विरचित व्याख्यानसहित, श्रीर्मा जयति क नारसिंहः परात्परः । परित्राणाय साधूनां कृतावतरणो हरिः ।