प्र क ट न श्री भू नीरादिनायकनाद भगवत्तनु श्री वैकुण्ठदल्लिरुव सूरिगळन्नु चेतनोजीवनार्थवागि ई लोकदल्लि अवतरिसुव प्रेरिसिदनु. आ नित्यसूरिगळे आरुगळागि अवतरिसि ४००० द्राविड दिव्य प्रबनगळन्नु रचिसिदरु. आ प्रबनगळल्लिरुव श्री भगवदनुभव रसात्मकवाद अमृतवन्नु सकलमतस्थरू पानमाडि कृतार्थरागबेकु. प्रकृत-श्री शठारिमुनि विरचितवाद तिरुवायॊलि ऎम्ब सहस्र पद्यात्मक द्राविड दिव्य प्रबद्धवन्नु श्री कल्किसिंहभगवद्विरचितवाद (१) कन्नडप्रतिपदार्थ (२) संस्कृतपद्यात्मक सहस्रगाधारत्नावळी (३) कन्नडतात्परगळॊडनॆ प्रकटपडिसलु उद्देशिसि, पूर्वाचार विरचित वाद प्रमितोपनिषत्सङ्गति, दमिडोपनिषत्तात्ररत्नावळी-श्लोक गळॊडनॆ आया दशकद सारांशवन्नू सह सेरिसि मुद्रिसलु उपक्रमि सिरुत्तेवॆ, ललिततव वाद शैलियिन्द विरचितवागिरुव ई महाव्याख्या नवु सकल लोकोपकारकवागिरुवुदरिन्द सर्वरू अभिनन्दिसि ई मुद्रणकारक्कॆ तक्क प्रोत्साहवन्नू, उदारवाद द्रव्य साह्यवन्नू माडबेकॆन्दु प्रार्थिसुत्तेवॆ. श्री कल्पिसिंह भगवद्भक्तरु, मु द ण क म ई प्रबवु १० सञ्चिकॆगळागि मुद्रिसल्पडुवुदु, प्रतियॊन्दु सञ्चिकॆयल्लू ऒन्दॊन्दु शतकद व्याख्यानवु प्रकटितवागुवुदु. चन्दा दाररिगॆ आया सञ्चिकॆयु मुद्रितवाद ऒडनॆ कळुहिसल्पडुवुदु. १० सञ्चिकॆगळ बॆलॆ 6-0-0. ऒन्दॊन्दु सञ्चिकॆय बॆलॆ 0-12-0 पोस्टेट् 0-10-0 सह मुञ्चितवागिये कळुहिसबेकु. म्यानेजर्, श्री वेदान पुस्तक काला 17, ईस्ट् पार्क् रोड्, मल्लेश्वर, बॆङ्गळूरु
श्री कल्किसिंह भगवत्स बन्धमाला श्री शतारिमुनि विरचितवाद तिरुवा यो सहस्रगाधात्मक - द्राविड दिव्य प्रबद्ध श्री कल्लिसिंहभगवद्विरचितवाद (१) कन्नडप्रतिपदार्थ (२) संस्कृतपद्यात्मक-सहस्रगाधारत्नावळि (३) कन्नडतात्पर-समेत (ध्वनिडोपनिषत्सङ्गति-द्रमिडोपनिषत्ताररत्नावळी-सहित) ४नॆय सञ्चिकॆ
- च तु थ ९ शत क (सव्याख्यान) जॆ ० ग ळू रु वॆ, बि, सुब्बय्य अण्ड् र्सस् यवर ऎलॆक्ट्रिक् मुद्राक्षरशालॆयल्लि मुद्रिसल्पट्टितु. १० सञ्चिकॆगळुळ्ळ
ई सञ्चिकॆय बॆळॆ
समग्र-प्रबन्धद क्रय
1.
da. 6-0-0.