०६ ध्यान

अनुवाद (हिन्दी)

इस प्रकार न्यास करके बाहर-भीतरसे शुद्ध हो मनको सब ओरसे हटाकर एकाग्रभावसे भगवान‍्का ध्यान करे—

विश्वास-प्रस्तुतिः

किरीटकेयूरमहार्हनिष्कै-
र्मण्युत्तमालङ्कृतसर्वगात्रम्।
पीताम्बरं काञ्चनचित्रनद्ध-
मालाधरं केशवमभ्युपैमि॥

मूलम्

किरीटकेयूरमहार्हनिष्कै-
र्मण्युत्तमालङ्कृतसर्वगात्रम्।
पीताम्बरं काञ्चनचित्रनद्ध-
मालाधरं केशवमभ्युपैमि॥

अनुवाद (हिन्दी)

‘जिनके मस्तकपर किरीट, बाहुओंमें भुजबन्ध और गलेमें बहुमूल्य हार शोभा पा रहे हैं, मणियोंके सुन्दर गहनोंसे सारे अंग सुशोभित हो रहे हैं और शरीरपर पीताम्बर फहरा रहा है—सोनेके तारद्वारा विचित्र रीतिसे बँधी हुई वनमाला धारण किये, उन भगवान् श्रीकृष्णचन्द्रका मैं मन-ही-मन चिन्तन करता हूँ।’