०५ अङ्गन्यास

अनुवाद (हिन्दी)

यहाँ द्वादशाक्षरमन्त्रके पदोंका हृदयादि अंगोंमें न्यास करना है—
‘ॐ नमो नमो हृदयाय नमः’—इसको पढ़कर दाहिने हाथकी पाँचों अंगुलियोंसे हृदयका स्पर्श करे।
‘ॐ भगवते नमः शिरसे स्वाहा’—इसका उच्चारण करके दाहिने हाथकी सभी अंगुलियोंसे सिरका स्पर्श करे। ‘ॐ वासुदेवाय नमः शिखायै वषट्’—इसके द्वारा दाहिने हाथसे शिखाका स्पर्श करे। ‘ॐ नमो नमः कवचाय हुम्’—इसको पढ़कर दायें हाथकी अंगुलियोंसे बायें कंधेका और बायें हाथकी अंगुलियोंसे दायें कंधेका स्पर्श करे। ‘ॐ भगवते नमः नेत्रत्रयाय वौषट्’—इसको पढ़कर दाहिने हाथकी अंगुलियोंके अग्रभागसे दोनों नेत्रोंका तथा ललाटके मध्यभागमें गुप्तरूपसे स्थित तृतीय नेत्र (ज्ञानचक्षु)-का स्पर्श करे। ‘ॐ वासुदेवाय नमः अस्त्राय फट्’—इसका उच्चारण करके दाहिने हाथको सिरके ऊपरसे उलटा अर्थात् बायीं ओरसे पीछेकी ओर ले जाकर दाहिनी ओरसे आगेकी ओर ले जाये और तर्जनी तथा मध्यमा अंगुलियोंसे बायें हाथकी हथेलीपर ताली बजाये।
अंगन्यासमें आये हुए ‘स्वाहा’, ‘वषट्’, ‘हुम्’, ‘वौषट्’ और ‘फट्’—ये पाँच शब्द देवताओंके उद्देश्यसे किये जानेवाले हवनसे सम्बन्ध रखनेवाले हैं। यहाँ इनका आत्मशुद्धिके लिये ही उच्चारण किया जाता है।