विश्वास-प्रस्तुतिः
नारदर्षये नमः शिरसि॥ १॥ बृहतीच्छन्दसे नमो मुखे॥ २॥ श्रीकृष्णपरमात्मदेवतायै नमो हृदये॥ ३॥ ब्रह्मबीजाय नमो गुह्ये॥ ४॥ भक्तिशक्तये नमः पादयोः॥ ५॥ ज्ञानवैराग्यकीलकाभ्यां नमो नाभौ॥ ६॥ विनियोगाय नमः सर्वाङ्गे॥ ७॥
मूलम्
नारदर्षये नमः शिरसि॥ १॥ बृहतीच्छन्दसे नमो मुखे॥ २॥ श्रीकृष्णपरमात्मदेवतायै नमो हृदये॥ ३॥ ब्रह्मबीजाय नमो गुह्ये॥ ४॥ भक्तिशक्तये नमः पादयोः॥ ५॥ ज्ञानवैराग्यकीलकाभ्यां नमो नाभौ॥ ६॥ विनियोगाय नमः सर्वाङ्गे॥ ७॥
अनुवाद (हिन्दी)
ऊपर न्यासके सात वाक्य उद्धृत किये गये हैं। इनमें पहला वाक्य पढ़कर दाहिने हाथकी अँगुलियोंसे सिरका स्पर्श करे, दूसरा वाक्य पढ़कर मुखका, तीसरे वाक्यसे हृदयका, चौथेसे गुदाका, पाँचवेंसे दोनों पैरोंका, छठेसे नाभिका और सातवें वाक्यसे सम्पूर्ण अंगोंका स्पर्श करना चाहिये।