शब्दरत्नप्रदीपः

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च्द्धघ्1(3)शब्दरत्नप्रदीपः
शिवं(शर-1-4) - भद्रं (शर-1-4)
शिवः(शर-1-4) - शम्भुः(शर-1-4), खिलः (शर-1-4)
शिवा(शर-1-4) - गौरी(शर-1-4) , अभया(शर-1-4) , क्रोष्ट्री(शर-1-4) , आमलकी(शर-1-4) खिलः (शर-1-4)
गौरी (शर-1-5) - शिवप्रिया (शर-1-5) , गोरोचना (शर-1-5) ,
अप्ररुाूता (शर-1-5), शुद्धोभयान्वया (शर-1-5)
हरिः(शर-1-6) - इन्द्रः(शर-1-6),भानुः(शर-1-6),विष्णुः(शर-1-6),मरुत् (शर-1-6 , सिंहः(शर-1-6),भेकः(शर-1-6),वाजी(शर-1-6) , कपिः (शर-1-6)
अंशु (शर-1-7) - भीरुः (शर-1-7), सोमः (शर-1-7) , यमः (शर-1-7) ,
शुकः (शर-1-7), सर्पः (शर-1-7), स्वर्णवर्णौ (शर-1-7)
मधुः(शर-1-8) - मद्यं(शर-1-8) , क्षौद्रं (शर-1-8), पुष्परसं (शर-1-8),
मृदुः (शर-1-8), दैत्यः (शर-1-8), चैत्रः(शर-1-8) , मधूकः (शर-1-8)
क्षुद्रा (शर-1-9) - वेश्या (शर-1-9) , नदी (शर-1-9) , मधुमक्षिका (शर-1-9) , कण्टकारिका (शर-1-9)
क्षुद्रः (शर-1-9) - असहिष्णुः (शर-1-9)
वाहः (शर-1-10) - युग्यं (शर-1-10) , धनः (शर-1-10) , प्रवाहः (शर-1-10) , मानविशेषः (शर-1-10) , बाहुः (शर-1-10)
हारः(शर-1-11) - इष्टकादिचयः(शर-1-11) , मुक्तागणः(शर-1-11) , मापविशेषः(शर-1-11) क्षेत्रम् (शर-1-11)
भावः(शर-1-12) - आत्मा(शर-1-12) , मनः(शर-1-12) , सत्ता (शर-1-12) , भवः(शर-1-12),पूज्यतमः लोके(शर-1-12),पदार्थः (शर-1-12)
कुथा (शर-1-13) - कन्था (शर-1-13)
कुथः (शर-1-13) - करिकम्बलः (शर-1-13) , कुशः (शर-1-13),
कीटः (शर-1-13) , प्रातःस्नायी द्विजः (शर-1-13)
कुतपा (शर-1-14) - कुशः (शर-1-14) , कालः (शर-1-14), तिलः (शर-1-14) , च्छागः (शर-1-14), कम्बलः (शर-1-14) ,सलिलं
गोः(शर-1-15) - बाणः(शर-1-15) , वाक्(शर-1-15) , पशुः(शर-1-15) , भूमिः(शर-1-15) , दिक्(शर-1-15) , रश्मिः(शर-1-15) ,
जलं (शर-1-15), अक्षि(शर-1-15) ,स्वर्गः(शर-1-15) ,
मातृ(शर-1-15) , वज्रः(शर-1-15) , अग्निः(शर-1-15) , मुखं(शर-1-15) , सत्यं (शर-1-15)
भगः( शर-1-16) - श्रीः ( शर-1-16), यशः( शर-1-16) , सौभाग्यं( शर-1-16) , योनिः( शर-1-16) , कान्तिः( शर-1-16) , महिमा( शर-1-16)
सूर्यः( शर-1-16) , संज्ञाविशेषः( शर-1-16) , मृगाङ्गः ( शर-1-16)
देवः (शर-1-17) - पर्जन्यः (शर-1-17), राजा (शर-1-17), गीव्र्वाणः (शर-1-17) , व्यवहर्ता (शर-1-17), भर्ता (शर-1-17) , मूर्खः (शर-1-17) ,
बालः (शर-1-17) , जिगीषुः (शर-1-17) ,नरः (शर-1-17) ,
कुष्टी (शर-1-17)
पुष्करं(शर-1-18) - तूर्यास्यं(शर-1-18) , असिफलं(शर-1-18) , पद्मं(शर-1-18) , कुञ्जराग्रकरः(शर-1-18) , द्यौः (शर-1-18) ,द्वीपः(शर-1-18) ,
तीर्थः(शर-1-18) , निमित्तं(शर-1-18) , विशिष्टः (शर-1-18)
कः(शर-1-19) - मूर्धा(शर-1-19) , चित्तं(शर-1-19) , जलं(शर-1-19) ,
कायः(शर-1-19) , मुखं (शर-1-19), ब्राहृा(शर-1-19) ,
मारुतः (शर-1-19) , कामः(शर-1-19) , कालः(शर-1-19) ,
सुवर्णं(शर-1-19) , द्रविणं (शर-1-19), ध्वनिः (शर-1-19)
हंसः(शर-1-20) - जीवः(शर-1-20) , राजा(शर-1-20) , रविः(शर-1-20) ,
धर्मः(शर-1-20) , तपस्वी(शर-1-20) , तुरंगमः (शर-1-20)
सितपक्षः (शर-1-20) , हरः(शर-1-20)
रसः(शर-1-21) - जलं(शर-1-21), हर्षः(शर-1-21), श्रृङ्गाररसः(शर-1-21) , पुष्पादिनिर्यासः(शर-1-21), पारदः(शर-1-21) , विषम् (शर-1-21)
कीलालं (शर-1-22) - क्षीरे (शर-1-22) , पुष्परसे (शर-1-22), तोये
ललामः(शर-1-24) - हये(शर-1-24) , पुच्छे (शर-1-24), ध्वजे (शर-1-24),
पुण्डे(शर-1-24) , शैले (शर-1-24), गुणाधिके (शर-1-24)
ललामा(शर-1-24) - वित्ते(शर-1-24) , धमनि(शर-1-24) , भूषायां
(शर-1-24)
वसुः(शर-1-25) - सूर्यः(शर-1-25) , वह्निः(शर-1-25) , स्वÐच्चः(शर-1-25)
वसवः (शर-1-25) - असवः(शर-1-25) , अष्टौ धरादयः (शर-1-25)
वसु (शर-1-25) - रत्नं(शर-1-25) , द्रव्यं (शर-1-25)
वर्णाः (शर-1-26) - अक्षराणि (शर-1-26),श्वेतादयो गुणाः (शर-1-26),
नाट¬ामुखे गाथाः (शर-1-26), द्विजादयः (शर-1-26)
अर्जुनः(शर-1-27) -शुक्लोवर्णः(शर-1-27),पाण्डवः(शर-1-27),स्तृणजातिः(शर-1-27), ककुभो द्रुमः(शर-1-27)
पट्टः (शर-1-28) - व्रणस्यावरणं(शर-1-28) , भूर्जाहिताक्षरः(शर-1-28), वीरदीक्षापटः(शर-1-28),अधिवासनम् (शर-1-28)
बलिः(शर-1-29) - पूजोपहारः(शर-1-29), दानवपुङ्गवः(शर-1-29) ,
स्त्रीमध्यभागोर्मिः(शर-1-29) , जराकृतम् चर्म (शर-1-29)
अन्तरम् (शर-1-30) - रन्ध्रे (शर-1-30) , वस्त्रे (शर-1-30), मध्ये (शर-1-30) , व्यवधाने (शर-1-30), अन्तरात्मनि (शर-1-30) , बहिर्योगे (शर-1-30) , अवकाशे (शर-1-30), विशेषे (शर-1-30) , व्यसने (शर-1-30)
अरिष्टं (शर-1-31) - क्षेमं (शर-1-31) , गृहं (शर-1-31)
अरिष्टः (शर-1-31) -वृषभासुरः (शर-1-31) , काकः (शर-1-31) , निम्बः(शर-1-31)
कम्बलं(शर-1-32) - इन्द्रियं (शर-1-32) , कमलं (शर-1-32)
कम्बलः(शर-1-32) - रोमजः पटः(शर-1-32) , गवां सास्ना (शर-1-32)
मण्डलं(शर-1-33) - वर्तुलं(शर-1-33),सङ्घातः(शर-1-33) , भूमिभागः(शर-1-33) , सरमासुतः (शर-1-33)
कुन्तलः (शर-1-34) - केशपर्यायः (शर-1-34) , देशवाचकः (शर-1-34),
सूत्रधारः (शर-1-34) , कुन्तहस्तः (शर-1-34)
मणिः(शर-1-35) - लिङ्गाग्रिमो भागः(शर-1-35) , भगध्वजः(शर-1-35) ,
नेत्रं(शर-1-37) - वस्त्रविशेषः(शर-1-37) , चक्षुः(शर-1-37) ,
परावत्र्तगुणः (शर-1-37)
नेत्रः(शर-1-37) - कस्तूरिकामृगः (शर-1-37)
धातुः(शर-1-38) - वातादिप्रकृतिः(शर-1-38) , शैलोद्भवः (शर-1-38),
क्रियाभावः(शर-1-38) ,देहरसादिकः(शर-1-38)
काण्डः (शर-1-39) - बाणस्तला (शर-1-39),संपातः (शर-1-39), कालः
(शर-1-39)
काण्डं (शर-1-39) - बलं (शर-1-39) , तरोःमूलं (शर-1-39)
सुधा(शर-1-40) - प्रासादभाग्द्रव्यं(शर-1-40) , विद्युत्(शर-1-40) , अमृतम्(शर-1-40) , भोजनं (शर-1-40), धात्री (शर-1-40),
स्नुही (शर-1-40)
वेला(शर-1-41) - कालविशेषः(शर-1-41), सिन्धुजलोद्धतिः(शर-1-41) , सेवाङ्गुलिच्छेदः(शर-1-41), द्रोण्यन्तरावनिः(शर-1-41)
क्षणं(शर-1-42) - उत्सवे(शर-1-42) , प्रकोष्ठे(शर-1-42) , मुहूर्ते(शर-1-42) , नियमे(शर-1-42) , व्यवस्थायां(शर-1-42) , समये (शर-1-42)
भ्रूणः (शर-1-43) - भीरु(शर-1-43),द्विजः(शर-1-43) , गर्भाश्रयाश्रयः (शर-1-43) , अन्त्यजः (शर-1-43) , शिशुः (शर-1-43) , विकलः (शर-1-43)
इन्द्रः(शर-1-44) - श्रेष्ठः(शर-1-44) , देवराट्(शर-1-44) ,
पञ्चशब्दादिविषयाः (शर-1-44)
अहिः (शर-1-45)- दैत्यविशेषः(शर-1-45) , सूर्यः(शर-1-45) , अध्वगः(शर-1-45) , भुजङ्गः(शर-1-45) , सिंहिकासूनुः (शर-1-45)
व्यालः(शर-1-46) - अहिः(शर-1-46),श्वापदः(शर-1-46), व्याकुलः करी(शर-1-46) , प्रमादवान् नरः(शर-1-46) , सिंहः (शर-1-46)
धेनुः(शर-1-47) - पयस्विनी (शर-1-47), अर्जुनी(शर-1-47) ,कुञ्जर कामिनी(शर-1-47) , असिपुत्री(शर-1-47), शुभङ्करीवृत्तिः (शर-1-47)
वृषः (शर-1- 48) - धर्मः(शर-1- 48) , श्रेष्ठः(शर-1-48) , गौः (शर-1-48),
मूषिको(शर-1-48) , बलं(शर-1-48) , कामः(शर-1-48) ,
आगामिलाभः(शर-1-50) , समाधिः (शर-1-50)
सीता (शर-1-51) - लक्ष्मीः (शर-1-51), उमा(शर-1-51) ,
सर्पाधिदेवता(शर-1-51) , सीरध्वजापत्यं (शर-1-51),मन्दाकिनी (शर-1-51)
नाभिः(शर-1-52) - आदिमः क्षत्रियः(शर-1-52) , चक्रस्य पिण्डिका(शर-1-52) , कुटुम्बस्याग्रणीः(शर-1-52) , निम्नोदरा(शर-1-52)
गोत्रं(शर-1-53) - अन्वयः (शर-1-53), धरणीधरः (शर-1-53)
गोत्रा(शर-1-53) - वसुन्धरा (शर-1-53)
गोत्रः(शर-1-53) - सत्यवचः (शर-1-53)
घनः(शर-1-54) - मेघः(शर-1-54) , कांस्यतालध्वनिः(शर-1-54) ,
मन्द्रः (शर-1-54), लोहमुद्गरः (शर-1-54)
घनं(शर-1-54) - सान्द्रं (शर-1-54), नित्यं (शर-1-54)
रामा(शर-1-55) - स्त्री (शर-1-55)
रामः(शर-1-55) - पशुविशेषः(शर-1-55) , दशरथात्मजः (शर-1-55),
जामदग्निः (शर-1-55)
रामौ(शर-1-55) - सितासितौ (शर-1-55)
जिनः(शर-1-56) - वीतरागः(शर-1-56),नारायणः(शर-1-56) , कन्दर्पः(शर-1-56) , सामान्यकेवली (शर-1-56)
शुक्रं(शर-1- 57) - देहवतां बीजं(शर-1- 57) , अक्षिरुट्(शर-1- 57)
शुक्रः(शर-1- 57) - ज्येष्ठमासः(शर-1- 57) , दैत्यपुरोहितः (शर-1- 57)
प्रवालः(शर-1-58) - वीणादण्डः(शर-1-58) , पल्लवो नवः(शर-1-58) ,
विद्रुमः(शर-1-58) , प्रबलः(शर-1-58)
कोणः(शर-1-59) - अश्वः(शर-1-59) , महिषः(शर-1-59) , कोटिः(शर-1-59) , गृहैकदेशः(शर-1- 59) , वीणादिवादनम् (शर-1- 59)
तालः(शर-1-60) - कालक्रियामानं (शर-1-60) , वृक्षभेदः(शर-1-60) , करतलध्वनिः(शर-1-60)
तालं(शर-1-60) - पातालम्(शर-1-60)
काष्ठा (शर-1-61) - दश (शर-1-61) ,ककुभ् (शर-1-61) , वसुन्धरा (शर-1-61) , कालविशेषः (शर-1-61)
काष्ठं (शर-1-61) - दारु (शर-1-61)
पलाशः(शर-1-62) - राक्षसः(शर-1- 62) , छदनं (शर-1-62), हरितो
वर्णः(शर-1- 62) , पाश (शर-1-62)
सत्रं(शर-1-63) - गृहं(शर-1-63) , धनं (शर-1-63), दानं(शर-1-63) , धाम(शर-1-63) , वनं (शर-1-63), सच्चरितं मतम्(शर-1-63)
कल्पः(शर-1-64) -कलासु कुशलः (शर-1-64), निरामयः(शर-1-64)
कल्पं(शर-1-64) - कालं(शर-1-64) , मद्यं (शर-1-64)
विष्ठरः(शर-1-65) - बर्हिषामुष्ठिः(शर-1-65) , आसनम्(शर-1-65) , वृक्षः(शर-1-65) , क्रतुः (शर-1-65)
समितिः (शर-1-66) - सभा (शर-1-66) , संयुगावनिः (शर-1-66) ,
समयः (शर-1-66) , संगतिः (शर-1-66)
सितः(शर-1-67) -शुक्लः (शर-1-67), वृद्धः (शर-1-67), सायकः(शर-1-67) , दैत्यपुरोहितः (शर-1-67)
सितं(शर-1-67) - रजतं(शर-1-67)
चित्रकं(शर-1-67) - तिलकं(शर-1-67)
चित्रकः(शर-1-67) -श्वापदः(शर-1-67), मूलजातिः (शर-1-67), व्यन्तरः(शर-1-68)
धात्री(शर-1-69) - धातकी (शर-1-69), आमलकी(शर-1-69) ,
वसुंधरा (शर-1-69), स्तनदायिनी(शर-1-69)
द्रोणः(शर-1-70) - कौरवाचार्यः(शर-1-70) , काकः(शर-1-70) ,
गिरिविशेषः (शर-1-70), चतुराढकः(शर-1-70) जयन्ती(शर-1-71) - नगरा(शर-1-71) , चेटकानुजा(शर-1-71),
औषधभेदः(शर-1-71) , शक्रसंभवा (शर-1-71)
रोहितः(शर-1-72) - शक्रकोदण्डः(शर-1-72) , मत्स्यपुंगवः(शर-1-72) ,
लोहितो वर्णः(शर-1-72) , मृगजातिः(शर-1-72)
बलः(शर-1-73) - हली(शर-1-73) , रत्नयोनिः (शर-1-73), दैत्यः(शर-1-73)
बलं(शर-1-73) - सैन्यं(शर-1-73) , सत्वं (शर-1-73), बलौषधी(शर-1-73)
बला(शर-1-73) - लक्ष्मीः(शर-1-73) , मही (शर-1-73)
प्रतिग्रहः(शर-1-74) - द्विजग्राह्रः(शर-1-74) , सैन्यपृष्ठं (शर-1-74) ,
अनुबन्धः (शर-1-74), प्रतिग्राहः(शर-1-74)
कदम्बः(शर-1-75) - कुमात्रकं (शर-1-75) , विशिखः (शर-1-75) ,
प्रियकः(शर-1-76) - बीजसारो द्रुः(शर-1-76) , द्वीपिचित्रकः(शर-1-76) ,
प्रियतोयः(शर-1-76) , मुक्तक व्रती (शर-1-76)
अक्षः(शर-1-77) -बिभीतकोवृक्षः(शर-1-77),पाशकः(शर-1-77),रावणिः(शर-1-77)
अक्षं(शर-1-77) - इन्द्रियं(शर-1-77) , कुल्यं(शर-1-77) , निम्नगं(शर-1-77)
चक्रः(शर-1-78) - पक्षिविशेषः(शर-1-78)
चक्रं(शर-1-78) - व्यावर्तनं(शर-1-78) , राष्ट्रं(शर-1-78),संघः(शर-1-78) , रथाङ्गं(शर-1-78) , आयुधं(शर-1-78)
खरः(शर-1-79) -सत्यसन्धः(शर-1-79) , परुषः(शर-1-79) , रासभः(शर-1-79) , व्यवहारपटुः(शर-1-79)
जातिः(शर-1-80) - सहजाख्यानं (शर-1-80), मालती(शर-1-80) ,
गोत्रादिजन्म(शर-1-80) , चुल्ली(शर-1-80)
फणः(शर-1-81) - गोविषाणं(शर-1-81) , भुजङ्गमफणः(शर-1-81)
फणा(शर-1-81) -जटा(शर-1-81), कृष्णा(शर-1-81) , मन्थानकुण्डली (शर-1-81)
तिलकः(शर-1-82) - वृक्षभेदः(शर-1-82) , बिन्दुचित्रकम्(शर-1-82)
तिलकं(शर-1-82) - क्लोमं(शर-1-82) , प्रधानं (शर-1-82)
गन्धर्वः(शर-1-83) - देवजातिः(शर-1-83) , तुरंगमः(शर-1-83) ,
गाता (शर-1-83), मृगपुंगवः(शर-1-83)
शृङ्गं(शर-1-84) - प्रधानं(शर-1-84) , शिखरं(शर-1-84) , विषाणं(शर-1-84) ,
शब्दकोशविचक्षणः (शर-1-84)
सारंगः(शर-1-85) - कुञ्जरः (शर-1-85), चातकः(शर-1-85) ,
पर्वतः(शर-1-85) , हरिणः(शर-1-85)
करणं(शर-1-86) - कारणं(शर-1-86) , इन्द्रियं (शर-1-86), क्षेत्रं(शर-1-86)
करणः(शर-1-86) - जातिभेदः (शर-1-86)
पुण्डरीकः(शर-1-87) -व्याघ्रः(शर-1-87),कमण्डलुः(शर-1-87),सितोवर्णः(शर-1-87)
पुण्डरीकं(शर-1-87) - सरोरुहं (शर-1-87)
कमलं(शर-1-88) - कमलं(शर-1-88) , चन्द्रमा(शर-1-88) ,
अष्टापदः(शर-1-91) -शरभः(शर-1-91) , स्वर्णं(शर-1-91), किलीतकः(शर-1-91) , कृमिजातिः (शर-1-91)
बालः(शर-1-92) - केशः (शर-1-92) , सर्पः (शर-1-93) , शिशु (शर-1-93), बालः (शर-1-93) , वेगः (शर-1-93)
बालं(शर-1-92) - जलं (शर-1-92), काशतृणं(शर-1-92)
बालकं(शर-1-92) - गन्धद्रव्यं (शर-1-92), जटाजूटं(शर-1-92)
बालकः (शर-1-93) - खेचरः (शर-1-93) , व्याघ्रः (शर-1-93) ,
पृथुकः (शर-1-93)
श्यामा(शर-1-94) - रात्रिस्त्रिवृत् (शर-1-94), स्त्री मुग्धयौवना (शर-1-94) , प्रियङ्गुः (शर-1-94) , वृद्धदारिका (शर-1-94)
शुभा(शर-1-95) - सुधा (शर-1-95), हत्या (शर-1-95), भगक्षीरी (शर-1-95) , शोभा (शर-1-95) , हरीतकी (शर-1-95)
शुभं(शर-1-95) - श्रेयः (शर-1-95)
कान्तारं(शर-1-96) - काननं(शर-1-96)
कान्तारः(शर-1-96) - पाकशासनः(शर-1-96), इक्षुभेदः(शर-1-96) ,
दुर्भरोदरः (शर-1-96)
खर्जूरं(शर-1-97) - फलभेदः (शर-1-97), रजतं(शर-1-97)
खर्जूरः(शर-1-97) - क्षुद्रजातिः(शर-1-97) , तृणगोधिका(शर-1-97)
गुरुः(शर-1-98) - पिता (शर-1-98), ज्येष्टः(शर-1-98) , देवपुरोहितः(शर-1-98) , दुर्वापः(शर-1-98) , शिष्याभिषेकदः (शर-1-98)
द्वितीयो मुक्तकः
वप्रः(शर-2-2) - तटः(शर-2-2) , पिता(शर-2-2) , प्राकारः(शर-2-2)
व्याडः(शर-2-2) - सर्पः(शर-2-2) , शफः(शर-2-2) , चतुष्पदः(शर-2-2)
तल्पः(शर-2-3) - अङ्गं(शर-2-3) , दाराः(शर-2-3) , शय्या(शर-2-3)
धिष्ण्यं(शर-2-3) - तारा(शर-2-3) , अग्निः(शर-2-3), गृहस्थानं (शर-2-3)
अभिख्या(शर-2-3) - कीर्त्तिः(शर-2-3) , नाम (शर-2-4)
रम्भा(शर-2-4) - देवाङ्गना(शर-2-4) , कदली(शर-2-4)
मोचा(शर-2-4) - खल्या(शर-2-4) , कदली (शर-2-5)
कक्षा(शर-2-5) - भवनान्तर्भूमिः(शर-2-5) , खलः(शर-2-5) ,
शुचिः(शर-2-6) - आषाढः(शर-2-6) , विशुद्धाग्निः(शर-2-6) , शुक्रः(शर-2-6) , अनुपहतः(शर-2-6)
घनाघनः(शर-2-6) - शक्रः (शर-2-6), वार्षिकः मेघः(शर-2-6) , मत्तनागः(शर-2-6)
पुलाकः(शर-2-7) - संक्षेपः(शर-2-7) , भक्तसिक्तः(शर-2-7) . तुच्छधान्यं(शर-2-7)
पक्षः(शर-2-7) - चलः(शर-2-7) , मरुत् (शर-2-7), मासाद्र्धः(शर-2-7) ,
अभिभवः(शर-2-7) , पाश्र्वः (शर-2-7)
करीरः(शर-2-8) - वृक्षभेदः(शर-2-8) , घटः (शर-2-8), वंशाङ्कुरः (शर-2-8)
क्षेत्रं(शर-2-8) - देहः(शर-2-8) , दाराः(शर-2-8) , केदारः (शर-2-8)
श्रेष्ठं(शर-2-9) - कम्बलं(शर-2-9) , अल्पं(शर-2-9) , एकाक्षी (शर-2-9)
निर्यूहः(शर-2-9) - निर्गतः(शर-2-9) , पीडा(शर-2-9) , निसग्र्गद्वारभूमिः (शर-2-9)
अविः(शर-2-10) - रविः(शर-2-10) , मेघः(शर-2-10) , पर्वतः(शर-2-10)
संवरः(शर-2-10) - मृगः(शर-2-10) , पर्वतः(शर-2-10) , मन्त्रः (शर-2-10)
धुनः(शर-2-11) - धवः(शर-2-11) , दम्भः(शर-2-11) , गह्वरः(शर-2-11) ,
गहनं(शर-2-11)
वाक् (शर-2-11)- न्यायं(शर-2-11) , तुल्यः(शर-2-11) , विधुः(शर-2-11) ,
कालः(शर-2-11) , दण्डः(शर-2-11) , वित्तं (शर-2-11)
आत्मा(शर-2-12) - ब्राहृः(शर-2-12) , धीः(शर-2-12),देहं(शर-2-12) ,
मनः(शर-2-12) , यज्ञः(शर-2-12) , धृतिः(शर-2-12)
कुशलः(शर-2-12) - पर्याप्तिः(शर-2-12) , शिक्षितः(शर-2-12) , पुण्यं(शर-2-12) , क्षेमः (शर-2-12)
प्रत्ययः(शर-2-13) - शपथः(शर-2-13) , छिद्रं(शर-2-13) , विश्वासः(शर-2-13) , अस्तित्वहेतुः(शर-2-13)
पदं(शर-2-13) - स्थानं (शर-2-13), परित्राणं(शर-2-13), क्रमः(शर-2-13) ,
वस्तु(शर-2-13) , प्रतिष्टा (शर-2-13)
अत्ययः(शर-2-14) - दोषः (शर-2-14) ,व्यपगमः(शर-2-14), दण्डः (शर-2-14)
इडा(शर-2-16) - पानीयं(शर-2-16) , भूमिः(शर-2-16) , व्यसनं(शर-2-16)
सत्(शर-2-17) - साधु(शर-2-17) , सत्ता(शर-2-17), प्रशस्तिः(शर-2-17)
ककुत्(शर-2-17) - प्रधानं(शर-2-17) , राज्यलिङ्गः(शर-2-17)
निष्कः(शर-2-18) - मानं(शर-2-18) , मण्डनं(शर-2-18) , दीनारः(शर-2-18) , रुक्मं(शर-2-18)
अङ्कः(शर-2-18) - युग्मं (शर-2-18), संयोगः (शर-2-18), लेख्यः (शर-2-18), लक्ष्म (शर-2-18)
कबन्धः(शर-2-18) - विशिरस्कःनरः(शर-2-18),नीरं(शर-2-18), खलः(शर-2-18)
कार्मुकं(शर-2-19) - मरुः(शर-2-19) , वृक्षविशेषः(शर-2-19) , धन्वन्(शर-2-19)
वत्र्म(शर-2-19) - अक्षिलोमं(शर-2-19) , मार्गः(शर-2-19)
वष्र्म(शर-2-20) - गृहप्रमाणं(शर-2-20) , देहः(शर-2-20)
दायादः (शर-2-20) - सहनः(शर-2-20) , तनयः(शर-2-20)
विग्रहः(शर-2-21) - वैर्यवस्कन्दः(शर-2-21) , वपुः(शर-2-21)
प्रकोष्ठः(शर-2-21) - कूप्र्परस्याधः(शर-2-21) , द्वारकोष्ठकः (शर-2-21)
वितानं(शर-2-22) - उल्लोचं (शर-2-22) , शून्यं(शर-2-22)
सती (शर-2-22) - दाक्षायणीदेवी(शर-2-22) , सच्चरित्राबला(शर-2-22)
वधूः(शर-2-23) - नारी(शर-2-23) , भार्या(शर-2-23) , पुत्रवधूः (शर-2-23)
कशिपुः(शर-2-23) - भक्षः(शर-2-23) , प्रावारः (शर-2-23)
आडम्बरः(शर-2-24) - गजारावः(शर-2-24) , तूर्यानादः(शर-2-24)
कपद्र्दः(शर-2-24) - हरजूटौघः(शर-2-24) , श्वेतकाकिणी (शर-2-24)
तूवरः(शर-2-25) - निर्विषाणः गौः(शर-2-25) , निश्मश्रुःपुमान् (शर-2-25)
नृशंसः(शर-2-25) - पापीयान्(शर-2-25) , वन्दी(शर-2-25)
शारदः(शर-2-26) - शरत्कालः(शर-2-26) अधृष्टश्च शारदः (शर-2-26) ।
उपह्वरः(शर-2-26) - रहःस्थानं समीपं (शर-2-26) 26 ॥
कश्मलः(शर-2-27) - स्यात् पिशाचश्च(शर-2-27) कश्मलो मोह उच्यते (शर-2-27)
अवज्ञा(शर-2-27) - कथ्यते रीढा रीढा गतिः (शर-2-27) 27 ॥
निदाघः(शर-2-28) - प्रस्वेदः स्यात् निदाघो ग्रीष्मः उच्यते ।(शर-2-28)
केतुः (शर-2-28) - महाविशेषः , (शर-2-28) स्याद् ध्वजः केतुरुदाह्मतः ॥ (शर-2-28) 28 ॥
वद्र्धनं छेदनं प्रोक्तं वद्र्धनं वृद्धिः(शर-2-29)
कशेरुकं जले कन्दे पृष्ठास्थि स्यात् कशेरुकम् ॥ (शर-2-29) 29 ॥
निवातं आश्रयं विद्यादभिन्नः कवचः (शर-2-30)
कीनाशः(शर-2-30)-कदर्यः स्यात् यमः(शर-2-30),कार्षकः(शर-2-30) 30 ॥
नागः(शर-2-31) - वृक्षविशेषः स्यात् नागौ वारणं पन्नगः(शर-2-31)
कुलं(शर-2-31) - संघः कुलं गोत्रं शरीरं कुलमुच्यते ॥ (शर-2-31) 31 ॥
पूगं पूगीफलं ज्ञेयं तथा पूगं कदम्बकम् ।(शर-2-32)
सुमनः(शर-2-32) - देवः कुसुमं सज्जनः (शर-2-32) 32 ॥
कुसुमं(शर-2-33) - पुष्पं स्त्रीरजः(शर-2-33)
धवः(शर-2-33) - पतिः(शर-2-33) , भीरुः (शर-2-33) , वृक्षजातिः (शर-2-33) 33 ॥
त्र्यम्बकः (शर-2-34) -ताम्रधातुः स्यात् त्र्यम्बकश्च त्रिलोचनः (शर-2-34)
शिफा (शर-2-34) - शेफालिका प्रोक्ता शिफा शिखा शिफा जटा ॥ (शर-2-34) 34 ॥
पुण्यं(शर-2-35) - सुविहितंकर्म , पवित्रं(शर-2-35)
ब्राहृ(शर-2-35) - ज्ञानं (शर-2-35), मित्युक्तं ब्राहृा पौनर्भवो (शर-2-35)
35 ॥
खलः(शर-2-36) - राशिः खलो नीचः खलः पिण्याकः(शर-2-36)
शाला(शर-2-36) - श्लाघा शिला शाला शाखा च वेश्मनः ॥ (शर-2-36) 36 ॥
माल्यः(शर-2-37) - मान्यः स्थिरो माल्यो माला (शर-2-37)
राढा(शर-2-37) - देशविशेषः स्यात् शोभा (शर-2-37) 37 ॥
पलं(शर-2-38) - मांसं पलं मानं(शर-2-38)
पलः(शर-2-38) - मूर्खः(शर-2-38)
पला(शर-2-38) - तुला(शर-2-38)
आलिः(शर-2-38) - सहचरी ज्ञेया पङ्क्तिः (शर-2-38) 38 ॥
दलं(शर-2-39) - अद्र्धं दल पर्णं दलं हस्त्यादि साधनम्(शर-2-39) ।
आजिः(शर-2-39) - समभूभागः संग्रामः (शर-2-39) 39 ॥
संगरः(शर-2-40) - प्रतिज्ञा ज्ञेयः संग्रामः(शर-2-40)
पुरुहूतः(शर-2-40) - उलूकः (शर-2-40) , पुरंदरः (शर-2-40) 40 ॥
अमृतं (शर-2-41) - वारि , (शर-2-41) देवभोज्यं (शर-2-41) , अमृतम् (शर-2-41)
कुन्ती (शर-2-41) - भूमिः (शर-2-41), कुन्तकदम्बकम् (शर-2-41) 41 ॥
मृत्युः (शर-2-42) - अन्तकः (शर-2-42) , अजगरः (शर-2-42) , कन्तः , मरणं (शर-2-42)
संपा (शर-2-42)- विद्युत् पतिः शङ्कुध्वनिः (शर-2-42) 2 42 ॥ पिण्डेऽथ दुरोदरः(शर-2-43) - कितवः(शर-2-43) , द्यूतं (शर-2-43)
ज्योतिः(शर-2-43) - दीप्तिः(शर-2-43), दृष्टिः(शर-2-43) , तारा (शर-2-43) 43 ॥
मन्दः(शर-2-44) - रोगः (शर-2-44), आत्र्तः(शर-2-44) , अभाग्यः (शर-2-44), मूढः , अल्पः (शर-2-44)
प्रमाणं (शर-2-44)- शास्त्रं(शर-2-44) , स्थितिहेतुः (शर-2-44) 44 ॥
हरिणः(शर-2-45) - पाण्डुरोवर्णः(शर-2-45) , कुरङ्गो (शर-2-45)
करटः(शर-2-45) - कातरो (शर-2-45), ध्वाङ्क्षः (शर-2-45) 45 ॥
कङ्करेदुः(शर-2-46) - गृध्रः(शर-2-46) , अमर्षणः (शर-2-46)
प्राध्वं(शर-2-46) - बन्धनं(शर-2-46) , सूर्यः (शर-2-46) 46 ॥
कला(शर-2-47) - सौधः(शर-2-47), अवयवं(शर-2-47) , विज्ञानं गमनं(शर-2-47)
तुषारः(शर-2-47) - क्षुद्रपाषाणः(शर-2-47) , तुतवेणिः (शर-2-47) 47 ॥
मणिः(शर-2-48) - कोलिंजरो(शर-2-48) , मणिकः (शर-2-48)
विषं(शर-2-48) - पानीयं(शर-2-48) , अन्तकरःरसः(शर-2-48)
वाजं(शर-2-49) - अन्नं (शर-2-49) , पीयूषं(शर-2-49)
वाजः(शर-2-49) - गरुद् (शर-2-49)
व्रजः(शर-2-49) -गोष्ठः(शर-2-49) , माग्र्गः(शर-2-49) , संघः(शर-2-49),
गणः (शर-2-49)
वीर्यं (शर-2-50) - शुक्रं (शर-2-50) , बलं (शर-2-50) , बीजं (शर-2-50)
मघा (शर-2-50) - नक्षत्रस्यनाम (शर-2-50) , कुन्दस्य कलिका (शर-2-50)
द्विजिह्वः(शर-2-51) - सूचकः(शर-2-51) , भुजंगमः ।(शर-2-51)
शय्या(शर-2-51) - शयनं (शर-2-51), पुस्तकसंचयः ॥(शर-2-51)
तरसं(शर-2-52)- मासं(शर-2-52) , बलं (शर-2-52)
वारुणी(शर-2-52)- मदिरा(शर-2-52) , पश्चिमा दिक्(शर-2-52)
मन्दुरा(शर-2-53)- वाजिशाला(शर-2-53) , वासोर्णं (शर-2-53)
सूनृतः(शर-2-53)- शिक्षितः मत्र्यः,(शर-2-53) सत्यवाक् (शर-2-53)
कीकसः (शर-2-53) - वानरः (शर-2-53)
कीकसं (शर-2-53) - अस्थि (शर-2-53)
रोमन्थः(शर-2-54) - पशूद्गारः(शर-2-54) , कीटवर्तनं (शर-2-54)
रजनी(शर-2-55) - हरिद्रा(शर-2-55) , विभावरी (शर-2-55)
परिघः(शर-2-55) - परिघातः(शर-2-55) , दण्डः (शर-2-55)
धरा(शर-2-56) - पृथ्वी(शर-2-56) , धारा (शर-2-56), धृतिः ।(शर-2-56)
धरः (शर-2-56) - शैलः(शर-2-56)
मन्युः(शर-2-56) - क्रतुः(शर-2-56) , क्रोधः(शर-2-56) , दैन्यं (शर-2-56)
सरलः(शर-2-57) - देवदारुः(शर-2-57) , सरलः (शर-2-57)
बहुला(शर-2-57) - कृत्तिका(शर-2-57) , गौः (शर-2-57)
कन्दः(शर-2-58) - मूलः पुद्नलकः(शर-2-58) , वारिजः(शर-2-58)
निष्कः(शर-2-58) - मानं (शर-2-58), दण्डनं(शर-2-58) , दीनारं(शर-2-58) , रुक्मं (शर-2-58)
करः(शर-2-59) - हस्तः(शर-2-59) , रश्मिः(शर-2-59) , कर्षकशोधनम् (शर-2-59)
दुन्दुभिः(शर-2-59) - अक्षेषुल (द्वन्द्वे )(शर-2-59) , आनकः ॥(शर-2-59)
उद्यानं (शर-2-60)- विपिनं(शर-2-60) , गमनं (शर-2-60)
अग्रं (शर-2-60) - उपरि(शर-2-60) , अभ्यधिकं(शर-2-60) , प्रस्थः (शर-2-60)
निवृत्तिः (शर-2-61)- अभिधेयः अर्थः(शर-2-61) , घनं(शर-2-61) , प्रयोजनं(शर-2-61)
वद्र्धनी(शर-2-61) - वार्घटी(शर-2-61) , तृणकूर्चिका (शर-2-61)
रुधिरं(शर-2-62) - कुङ्कुमं(शर-2-62) , क्षतजं (शर-2-62)
नंदनः(शर-2-62) - स्वसमः पुत्रः (शर-2-62)
नंदनं(शर-2-62) - शक्रकाननं (शर-2-62)
मानसं(शर-2-63) - चित्तं(शर-2-63) , त्रैदिवं सरः (शर-2-63)
धावनं(शर-2-63) - शोधनं(शर-2-63) , शीघ्रवर्तनम् (शर-2-63)
स्यन्दनं(शर-2-64) - दृमस्त्रावः(शर-2-64) , रथ (शर-2-64)
तुरायणं(शर-2-64) -असंगोक्तिः(शर-2-64)
तुरायणः(शर-2-64) - क्रियाहीनः (शर-2-64)
परायणं(शर-2-65) - रिपुस्थानं , (शर-2-65)
परायणः(शर-2-65) - रिपुस्थानपरः(शर-2-65)
वंशः(शर-2-65) - करिपृष्ठं(शर-2-65) , कुलः(शर-2-65) , वेणुः (शर-2-65)
शिखण्डः - जटाजूटः(शर-2-66) , शिखण्डिनः कलापः (शर-2-66)
पात्रं (शर-2-66) - शिष्टः (शर-2-66), भाजनं(शर-2-66), देहः (शर-2-66)
पत्रं (शर-2-67)- पादत्राणः(शर-2-67) , दलं(शर-2-67) , पक्षः(शर-2-67) , लेख्यवस्तुनि (शर-2-67)
कोशः(शर-2-67) -द्रव्यं(शर-2-67),असिपरिधानः(शर-2-67),क्रियापाने(शर-2-67) द्विजराजः(शर-2-68) - हंसः(शर-2-68) , अग्निः(शर-2-68) , गरुडः(शर-2-68) , चन्द्रः (शर-2-68)
कैवत्र्तः(शर-2-68) - कैवत्र्तः(शर-2-68) , सलिलेचरः (शर-2-68) पिप्पलः(शर-2-69) - जलास्वच्छा(शर-2-69) , वस्त्रकर्तनवस्तु (शर-2-69)
चन्दनः(शर-2-69) - चन्द्रमा(शर-2-69)
चन्दनं (शर-2-69)- मलयोद्भवम् (शर-2-69)
सस्यं(शर-2-70)- सकला व्रीहयः(शर-2-70) , इक्षुः(शर-2-70)
कुरुविन्दः(शर-2-70) - दृषत् (शर-2-70), अरण्यसस्यं (शर-2-70)
करवीरः(शर-2-71) - मारः(शर-2-71), अङ्गुष्ठः(शर-2-71)
वारि(शर-2-71) - करिणां बन्धनस्थानं(शर-2-71) , जलं (शर-2-71)
भूरि(शर-2-71) - प्रचूरं (शर-2-71), काञ्चनं (शर-2-71)
सूदः(शर-2-71) - सूपकारः(शर-2-71) , कुरंटकः (शर-2-73)
भषकः(शर-2-73) - दुर्जनः(शर-2-73) , सरमासुतः (शर-2-73)
सूतः(शर-2-73) - भास्करः(शर-2-73) , सारथिः(शर-2-73)
प्रतिरोधकः(शर-2-74) - चौरः(शर-2-74), दुर्जनः (शर-2-74)
सौवीरः(शर-2-74) -अश्मविशेषः(शर-2-74)
सौवीरं(शर-2-74) - काञ्जिकं (शर-2-74)
घृणा(शर-2-75) - दौर्मनस्यं(शर-2-75) , करुणा (शर-2-75)
भङ्गः (शर-2-75) - पलायनं (शर-2-75) , वीचिः (शर-2-75) भञ्जनं (शर-2-75)
तीक्ष्णं (शर-2-76)- तिक्ष्णं (शर-2-76) , लोहमुशत् (शर-2-76)
माग्र्गणः(शर-2-76)- याचकः(शर-2-76), बाणः (शर-2-76)
शिलीमुखः(शर-2-76) - भृङ्गः(शर-2-76) , नाराचः (शर-2-76)
भूशुण्डी(शर-2-76)- सूकरः(शर-2-76) , कृषीवलः (शर-2-77)
मृणालं(शर-2-78) - बिसिनीमूलं(शर-2-78) , जटौपली (शर-2-78)
काव्याः(शर-2-78) - पितरः (शर-2-78)
काव्यं(शर-2-78)- ग्रन्थनिबनधनं (शर-2-78)
ध्वानः(शर-2-79) - ह्यस्वदीर्घप्लुतः(शर-2-79) , कृतपित्तव्यथा (शर-2-79)
रुक्मं(शर-2-79)- हेम(शर-2-79) , रजतं (शर-2-79)
उत्पलं(शर-2-80) - नलिनं(शर-2-80) , कुष्ठं(शर-2-80) , औषधिः । (शर-2-80)
वासुरा(शर-2-80) - वसती(शर-2-80) , वलभी (शर-2-80)
कलधौतं(शर-2-81) - रजतं(शर-2-81) , काञ्चनं (शर-2-81)
कृष्णः(शर-2-81) - वर्णः(शर-2-81) , अच्युतः(शर-2-81)
कृष्णा(शर-2-81) - पिप्पली (शर-2-81)
संयद्वर(शर-2-82)- समवायः(शर-2-82) , यमः (शर-2-82), देवः (शर-2-82)
शव्र्वरः(शर-2-82) चन्द्रमा(शर-2-82) , शवरोमतः (शर-2-82)
रमणी(शर-2-83) - महिला(शर-2-83) , वेदिका (शर-2-83)
प्रधानं (शर-2-83)- प्रकृतिः(सांख्ये)(शर-2-83) , उत्तमं (शर-2-83)
अरविन्दं(शर-2-84) - वक्त्रं(शर-2-84) , सरोरुहं (शर-2-84)
शृगालः(शर-2-84) -जम्बुकः (शर-2-84) , भीरुः(शर-2-84) , वरुणः (शर-2-84)
मरुत्(शर-2-85) - त्रिदशः(शर-2-85) , समीरणः (शर-2-85)
माया(शर-2-85) - स्थलं(शर-2-85) , सत्वविशेषः (शर-2-85)
कुण्डलं (शर-2-86)- मण्डलं (शर-2-86), कर्णभूषणं (शर-2-86)
प्रतिबन्धः(शर-2-86) - कुलाधारः (शर-2-86), खलक्रिया (शर-2-86)
किषिः(शर-2-87) - गोत्रविशेषः(शर-2-87) , कालः(शर-2-87) , कपिः (शर-2-87)
कुशिः(शर-2-87) - लोपाकः(शर-2-87) , वैखानसः मुनिः (शर-2-87)
वर्त्तिः (शर-2-88)- दीपशिखासूत्रं (शर-2-88), नेत्राञ्जनोदिता (शर-2-88)
कलिङ्गः(शर-2-88) - धूम्राटः(शर-2-88) , देशवाचकः (शर-2-88)
गत्र्तुः (शर-2-89)- शैलः (शर-2-89), तृणविशेषः(शर-2-89) , अक्र्कः(शर-2-89) , नरः (शर-2-89)
शेलुः(शर-2-89) - तृणविशेषः(शर-2-89) , श्लेष्मातकः (शर-2-89)
शैलः(शर-2-90) - पर्वत(शर-2-90) , शिलासमुद्भवः (शर-2-90)
वाल्मीकः(शर-2-90) - सीमिकः(शर-2-90) , वाग्विशारदः (शर-2-90)
समाजः(शर-2-90) - कुञ्जरः(शर-2-90) , समयः (शर-2-90)
प्राजिकः(शर-2-90) - पक्षजातिः(शर-2-90)
प्राजिका(शर-2-91) - नीलमक्षिका (शर-2-91)
लक्ष्मणः(शर-2-92) - सारसः(शर-2-92), राघवानुजः । (शर-2-92)
लक्ष्मणा(शर-2-92) औषधी (शर-2-92)
तृतीयो मुक्तकः
राजा (शर-3-1) - चन्द्रः(शर-3-1) , नृपः(शर-3-1)
पयः(शर-3-1) - क्षीरं (शर-3-1), जलम् (शर-3-1)
मित्रः (शर-3-2)- भानुः(शर-3-2)
मित्रं (शर-3-2)- सुह्मत् (शर-3-2)
दरं(शर-3-2) - छिद्रं (शर-3-2), भयं(शर-3-2)
ओघः(शर-3-2) - पूरः (शर-3-2), वेगः(शर-3-2)
वनं(शर-3-2) - काननं (शर-3-2), अम्बु(शर-3-2)
इला (शर-3-3)- भूमिः(शर-3-3) , माता(शर-3-3) , गौः(शर-3-3)
संज्ञा (शर-3-3)- चित्तं(शर-3-3) , नाम(शर-3-3)
शैलः(शर-3-3) - अद्रिः(शर-3-3), अंशुमानद्रिः(शर-3-3)
भानुः(शर-3-3) - भा(शर-3-3) , अर्यमा (शर-3-3)
स्थाणुः(शर-3-4) - श्रीकण्ठः(शर-3-4) , स्थावरः(शर-3-4)
अजः(शर-3-4) - हयः(शर-3-4) , च्छागः(शर-3-4) , अच्युतः(शर-3-4)
गोविन्दः(शर-3-4) - हरिः(शर-3-4) , गोसंख्यः(शर-3-4)
शिवः(शर-3-4) - कृष्णः(शर-3-4) , वृषाकपिः(शर-3-4)
कायः(शर-3-5) - शरीरं(शर-3-5) , उत्सेधः(शर-3-5) , सन्धिः(शर-3-5) ,
अधिप्रतिज्ञा(शर-3-5)
तेजः(शर-3-5) - पुरीषः(शर-3-5) , वर्चः(शर-3-5)
वसतिः(शर-3-5) - स्थानं(शर-3-5) , नक्तं(शर-3-5)
सिन्धुः(शर-3-6) - सरित् (शर-3-6), समुद्रं (शर-3-6)
शालः(शर-3-6) - प्राकारः(शर-3-6) , वृक्षः (शर-3-6)
स्तोकः(शर-3-6) - चातकः(शर-3-6) , अपत्यं(शर-3-6)
अघः(शर-3-6) - पापं(शर-3-6) , व्यसनं (शर-3-6)
तृष्णा(शर-3-7) - पिपासा (शर-3-7), लोभः(शर-3-7)
भुवनं(शर-3-7) - तोयः(शर-3-7) , लोकः (शर-3-7)
काश्यः(शर-3-7) - मद्यं(शर-3-7) , अश्वमेधः(शर-3-7)
वाडवः(शर-3-7)- अग्निः(शर-3-7) , विप्रः(शर-3-7)
निÏस्त्रशः(शर-3-8) - खड्गः(शर-3-8) , पापिष्ठः(शर-3-8)
शिलीमुखः(शर-3-8) - भृङ्गः(शर-3-8) , बाणं(शर-3-8)
निष्कः(शर-3-8) -मानं(शर-3-8) , मण्डनं (शर-3-8)
बाष्पं(शर-3-8) - उष्मा(शर-3-8) , अश्रु (शर-3-8)
पीलू(शर-3-9) - वृक्षजातिः(शर-3-9) , गजः(शर-3-9)
प्रदरः(शर-3-9)- रोगं(शर-3-9) , मार्गणः (शर-3-9)
करभः(शर-3-9) - सूकरः(शर-3-9) , उष्ट्रः(शर-3-9)
हावः(शर-3-9) - क्रन्दनं(शर-3-9) , विभ्रमः(शर-3-9)
दावः(शर-3-10) - वनवह्निः(शर-3-10) , अनलः(शर-3-10)
जीमूतः(शर-3-10) - मेघः(शर-3-10) , पर्वतः(शर-3-10)
वल्लवः(शर-3-10) - सूदः(शर-3-10) , गोपालः(शर-3-10)
चिकुरः(शर-3-10) - केशः(शर-3-10) , चञ्चलः (शर-3-10)
कल्कः(शर-3-11) - अरिष्टः(शर-3-11) , पिष्टकः(शर-3-11)
वृषः(शर-3-11) - दानवः(शर-3-11) , वैरी (शर-3-11)
शोणः (शर-3-11)- पङ्गुः(शर-3-11) , पद्मं(शर-3-11) , अरुणः(शर-3-11)
अम्बरः(शर-3-11) - व्योम(शर-3-11) , वासः(शर-3-11)
बन्धः(शर-3-12) - उदानः (शर-3-12), मरुत्(शर-3-12)
निरुांसः(शर-3-12) - वटः(शर-3-12) , दुग्धिलः(शर-3-12)
ध्वाङ्क्षः (शर-3-12)- काकः(शर-3-12) , बकः(शर-3-12)
नगः(शर-3-12) - शैलः(शर-3-12) , द्रुमः(शर-3-12)
खटः(शर-3-13) - ह्यस्वः(शर-3-13) , क्रूरः(शर-3-13)
क्षितिः(शर-3-13) - पृथ्वी(शर-3-13) , क्षयः(शर-3-13)
क्षयं(शर-3-13) - गेहं(शर-3-13)
क्षयः(शर-3-13) - ह्यासः(शर-3-13)
श्रमः(शर-3-13) - खेदः(शर-3-13) , क्रिया(शर-3-13)
कण्ठः(शर-3-14) - विधिः(शर-3-14) , गलः(शर-3-14)
प्राहिः(शर-3-14) - कूपः(शर-3-14) , सरः(शर-3-14)
कोलः(शर-3-14) - उन्दुरं(शर-3-14) , सूकरः (शर-3-14)
कलिः(शर-3-14) - कलहः(शर-3-14) , कालः(शर-3-14)
चन्द्रः(शर-3-15) - शशाङ्कः(शर-3-15) , स्वर्णं(शर-3-15)
किरिः(शर-3-15) - सूकरः(शर-3-15) , लोहः(शर-3-15)
हेतुः(शर-3-16) - निमित्तं(शर-3-16) , ह्मदयं(शर-3-16)
हीरः(शर-3-16 ) - वज्रं(शर-3-16) , महेश्वरः (शर-3-16)
कीरः(शर-3-16) - काश्मीरकं(शर-3-16) , शुकः(शर-3-16)
वीरः(शर-3-16) - विक्रमः(शर-3-16) , बान्धवः (शर-3-16)
कौशिकः(शर-3-17) - वासवः(शर-3-17) , उलूकः(शर-3-17)
सायकः(शर-3-17) - असिः(शर-3-17) , माग्र्गणः (शर-3-17)
माग्र्गणः(शर-3-17) - याचकः(शर-3-17) , बाणः(शर-3-17) , मृगमांसता (शर-3-17)
अन्धः(शर-3-18) - ध्वान्तं(शर-3-18) अचलः(शर-3-18)
शिखण्डी(शर-3-18) - मयूरः(शर-3-18) , अग्नी (शर-3-18)
कमरः(शर-3-18) - कोमलं(शर-3-18) , काम्यं(शर-3-18)
समरः(शर-3-18) - युद्धं(शर-3-18) , संघः (शर-3-18)
क्रोडः(शर-3-19) - उत्सङ्गः(शर-3-19) , सूकरः(शर-3-19)
वत्सः(शर-3-19) - स्वर्णकः(शर-3-19) , पुत्रः (शर-3-19)
छाया(शर-3-19) - कान्तिः(शर-3-19) , अनातपः(शर-3-19)
दया(शर-3-19) - हिंसा(शर-3-19) , अनुकम्पा (शर-3-19)
द्रुमः(शर-3-20) - वृक्षः(शर-3-20) , पुराणमन्नं(शर-3-20)
ध्रुवः(शर-3-20) - निश्चितं(शर-3-20) , नित्यं (शर-3-20)
पूरः(शर-3-20) - संघातः(शर-3-20) , पूरणं(शर-3-20)
सूरः (शर-3-20) - सूर्यः(शर-3-20) , नरेन्द्रः (शर-3-20)
धीरः(शर-3-21) - सात्त्विकः(शर-3-21) , धीमान्(शर-3-21)
वरः(शर-3-21) - श्रेष्ठः(शर-3-21) , हुताशनः (शर-3-21)
पतङ्गः(शर-3-21) - शलभः(शर-3-21) , आदित्यः(शर-3-21)
अर्कः(शर-3-21) - स्फाटिकः(शर-3-21) , भास्करः(शर-3-21)
गुह्रं(शर-3-22) - कार्यं(शर-3-22) , कौपीने(शर-3-22)
संज्ञा(शर-3-22) - नाम(शर-3-22) , चेतनं (शर-3-22)
मधुरः(शर-3-22) - प्रियं(शर-3-22) , स्वादु(शर-3-22)
शम्भुः(शर-3-22) - ब्राहृा(शर-3-22) , महेश्वरः (शर-3-22)
कृत्यं(शर-3-23) - कार्यं(शर-3-23) , रिद्धिः(शर-3-23)
बभ्रृः(शर-3-23) - नकुलः(शर-3-23) , पिङ्गलः (शर-3-23)
व्यक्त्तः(शर-3-23) - स्पष्टं(शर-3-23) , प्राज्ञः(शर-3-23)
दीप्तः(शर-3-23) - स्वेच्छा(शर-3-23) , रुचिः (शर-3-23)
नित्यं(शर-3-24) - स्वं(शर-3-24) , निजं(शर-3-24)
ओजः (शर-3-24) - बलं (शर-3-24) , दीप्तिः (शर-3-24)
हायनं (शर-3-24) - वर्णं (शर-3-24) , ओजः (शर-3-24)
हेतिः (शर-3-24) - शस्त्रं (शर-3-24) . अर्चिः (शर-3-24)
आशा(शर-3-25) - ककुप्(शर-3-25) , तृणा(शर-3-25)
पयोधरः(शर-3-25) - स्तनः(शर-3-25) , मेघः (शर-3-25)
अभिरूपं(शर-3-25) - बुधः(शर-3-25) , कान्तं(शर-3-25)
जामिः(शर-3-25) - स्वसृकुलं(शर-3-25) , स्त्री (शर-3-25)
प्राप्ती(शर-3-26) - उदयः(शर-3-26) , अधिगमः(शर-3-26)
विभावसू(शर-3-26) - वह्निः(शर-3-26) , सूर्यः (शर-3-26)
वृजिनं(शर-3-26) - मलिनं(शर-3-26) , पापं(शर-3-26)
प्रज्ञानं(शर-3-26) - बुद्धिः(शर-3-26) , चिह्नं (शर-3-26)
लीकः(शर-3-26) - असत्(शर-3-26) , मायावी (शर-3-26)
पराक्रमः(शर-3-27) - वीर्यं(शर-3-27) , उद्यमः (शर-3-27)
दीनः(शर-3-27) - वराकः(शर-3-27) , मूषकः(शर-3-27)
प्लवकः(शर-3-27) - कपिः(शर-3-27) , भेकः(शर-3-27)
यज्ञः(शर-3-28) - पूजा(शर-3-28) , दानं(शर-3-28) , दृष्टिः(शर-3-28) , ईक्षा(शर-3-28)
चीवरं(शर-3-28) - वल्कलं(शर-3-28) , वस्त्रं(शर-3-28)
कृष्णं(शर-3-28) - कालः(शर-3-28) , उदरः (शर-3-28)
श्रोत्रः(शर-3-29) - श्रवणं(शर-3-29) , कर्णः(शर-3-29)
तातः(शर-3-29) - पिता(शर-3-29) , पुत्रः (शर-3-29)
मत्स्यः(शर-3-29) - कुट्टिमं(शर-3-29) , शफरः(शर-3-29)
रूपं(शर-3-29) - मूर्तिः(शर-3-29) , विधुः (शर-3-29)
अवटः(शर-3-30 ) - कालः(शर-3-30) , गर्तः(शर-3-30)
निमित्तं(शर-3-30) - हेतुः(शर-3-30) , लक्षणं (शर-3-30)
समर्थः(शर-3-30) - हितं(शर-3-30) , शक्तः(शर-3-30)
मृदु(शर-3-30) - प्रशान्तं(शर-3-30) , अकठिनं (शर-3-30)
स्थूलः(शर-3-31) - जडः(शर-3-31) , बृहत्(शर-3-31)
विप्रः(शर-3-31) - दर्शनः(शर-3-31) , द्विजः (शर-3-31)
च्घ्16
अलीकः (शर-3-31) - असत् , (शर-3-31) अप्रियं (शर-3-31) , सहायः (शर-3-31) , प्रणिधी (शर-3-31)
चतुर्थो मुक्तकः
संधिनी - दोहकाले पयोहीना(शर-4-21) - दोहकाले पयोहीना(शर-4-1) - यः जयेद् राजसूयेन (शर-4-1)
सम्राट् (शर-4-1) - यस्याज्ञा पृथ्वी प्रशास्ति स (शर-4-1)
सचिवः(शर-4-2) -सबुद्धिः राज्ञःमन्त्रं निश्चिनोति यः। (शर-4-2)
कर्मसचिवः(शर-4-2) - कर्मणि नियुक्तः प्राज्ञः (शर-4-2)
अनीकस्थः(शर-4-3) - राजरक्षवग्र्गः (शर-4-3)
अन्तर्वेश्मिकः(शर-4-3 ) -अन्तःपुराधिकृत् (शर-4-3)
प्रणिधिः(शर-4-4) - यथार्थयुक्तः चरः (शर-4-4)
स्थायुषपुरुषः(शर-4-4) - ग्रामाधिकृत्यः (शर-4-4)
षण्ढः(शर-4-5) - वर्षधरः (शर-4-5)
सारिकः(शर-4-5) - द्यूताध्यक्षः (शर-4-5)
शत्रुः(शर-4-5) - विषयानन्तरः (शर-4-5)
मित्रं(शर-4-5) - शत्रोः अनन्तरं (शर-4-5)
अपराद्धेषुः(शर-4-6) - लक्ष्याच्युतबाणः (शर-4-6)
व्यूहः(शर-4-6) -कलिविन्यसनं(शर-4-6)
वाजः(शर-4-6) - इषोः पक्षः (शर-4-6)
प्रत्यासारं(शर-4-7) - आहवे चमूजघनं (शर-4-7)
अभिषेणकं(शर-4-7) - प्रत्यरि सेनागमनं (शर-4-7)
सेनाङ्गं(शर-4-8) - तुरङ्गरथपत्तीभं (शर-4-8)
प्रतिसरः(शर-4-8) - आरण्यः (शर-4-8)
प्रतिरोधः(शर-4-8) - समापनम् (शर-4-8)
वीरपानकं (शर-4-9) - वृत्ते वत्स्र्यति वा युद्धे पानं (शर-4-9)
विस्फारः (शर-4-9) - चापध्वनिः (शर-4-9)
कबन्धं (शर-4-9) - अशिरोवपुः (शर-4-9)
निबन्धनं (शर-4-10) - मेखलाद्यं(शर-4-10)
च्घ्17
समः (शर-4-10) - अङ्गस्य ग्रहणम् । (शर-4-10)
वख्थः (शर-4-10) - रथगुप्तिः (शर-4-10)
गुल्मं (शर-4-10) - सज्जनं (शर-4-10)
उपसय्यः(शर-4-11) - पुरुषः रिपुयुक्तः (शर-4-11)
अभिभयं(शर-4-11) - सबलाद् भयं (शर-4-11)
दिग्धः(शर-4-12) - विषलिप्तफलः(शर-4-12) बाणः (शर-4-12)
अनवस्थितक्रियः(शर-4-12) - दुरापः कृत्यः (शर-4-12)
महोत्साहः(शर-4-13) - कृतनिश्चयः (शर-4-13)
वृंहितं(शर-4-13) - स्थनितं(शर-4-13)
आलानं(शर-4-13) - बन्धनं (शर-4-13)
दानं(शर-4-14) - गजेन्द्राणां मदः(शर-4-14)
वमथुः (शर-4-14) - करिसीकरः (शर-4-14)
अङ्कुशं(शर-4-14) - दन्तान्तप्रतिमानं सृणिः (शर-4-14)
पद्मं(शर-4-15) - शरीरोत्थं बिन्दुजालं (शर-4-15)
आधोरणः(शर-4-15) - नियन्ता(शर-4-15)
निषादी(शर-4-15) - प्राजिता गजी (शर-4-15)
आजानेयः (शर-4-16) - कुलीनः अश्वः (शर-4-16)
पोतः (शर-4-16) - किशोरकः (शर-4-16)
काम्भोजः (शर-4-16) - बाल्हीकः (शर-4-16)
विनीतकः (शर-4-16) - साधुवाही (शर-4-16)
प्रोथं(शर-4-17) - घोणान्तरं(शर-4-17)
धौरितं(शर-4-17) - वलितं (शर-4-17)
वाजी(शर-4-17) - मृगयायां विचक्षणःअश्वकाङ्गः (शर-4-17)
चक्रं (शर-4-18) - चापस्करं (शर-4-18)
कूबरं (शर-4-18) - युगमध्यगं (शर-4-18)
श्रेयं (शर-4-18) - इष्टफलं दैवं (शर-4-18)
अनयं (शर-4-18) - श्रेयविपर्यासः (शर-4-18)
दीर्घदर्शः(शर-4-19) - इष्टार्थानर्थयोर्दूराद् (शर-4-19)
वेहद्(शर-4-19) - वृषोपगा गौः(शर-4-19)
उत्तमा(शर-4-19) - नैचिकी (शर-4-19)
कल्या(शर-4-20) - सज्र्यप्रजना(शर-4-20)
समाना(शर-4-20) - सवर्णिका (शर-4-20)
सुव्रता(शर-4-20) - दुह्रमानाप्यसंदाना (शर-4-20)
संधिनी(शर-4-21) - दोहकाले पयोहीना(शर-4-21)
च्घ्17ठ्ठ
वेहद्(शर-4-19) - वृषोपगा गौः(शर-4-19)
उत्तमा(शर-4-19) - नैचिकी (शर-4-19)
कल्या(शर-4-20) - सज्र्यप्रजना(शर-4-20)
समाना(शर-4-20) - सवर्णिका (शर-4-20)
सुव्रता(शर-4-20) - दुह्रमानाप्यसंदाना (शर-4-20)
संधिनी(शर-4-21) - दोहकाले पयोहीना(शर-4-21)
च्घ्18
वत्सतरः(शर-4-21) - प्रौढः(शर-4-21) वत्सः(शर-4-21)
प्रष्ठौहः(शर-4-21) - गर्भिणी (शर-4-21)
द्रप्सं(शर-4-22) - दधि अघनं(शर-4-22)
घृतं(शर-4-22) - निशान्तरं सर्पिः (शर-4-22)
हैयङ्गवीनं(शर-4-22) - नवनीतं (शर-4-22)
सानुः(शर-4-23) - गिरेः समा क्षितिः(शर-4-23)
उपत्यका(शर-4-23) - गिरेः अधःस्थानं (शर-4-23)
पारं(शर-4-23) -परं तीरं(शर-4-23)
अवारं(शर-4-23) - अर्वक् तीरं(शर-4-23)
राजहंसा(शर-4-24) - सिताहंसा(शर-4-24)
मल्लिका(शर-4-24) - रक्तैर्मलिनैःचरणैः हंसा (शर-4-24)
धार्तराष्ट्राः(शर-4-24) - सितेतरैःचरणैः हंसाः (शर-4-24)
प्रकोष्ठं(शर-4-25) - अरत्निमणिबन्धयोः मध्यं (शर-4-25)
करभः(शर-4-25) - कनिष्टमणिबन्धान्तः करपाश्र्वगः (शर-4-25)
अनामिका(शर-4-26 ) - ज्येष्ठा कनिष्ठा निकटे तत्प्रदेशिनी (शर-4-26)
व्यामः(शर-4-26 ) - बाह्वोः प्रसृताङ्गुल्योरन्तरं (शर-4-26)
प्रादेशः(शर-4-27) - तर्जन्यङ्गुष्ठयोः विततिः(शर-4-27)
तालः(शर-4-27) - मध्यमाङ्गुष्ठयोः विततिः(शर-4-27)
गोकर्णः(शर-4-27) - अनामिकाङ्गुष्ठयोः विततिः(शर-4-27)
वितस्तिः(शर-4-27) - कनिष्ठिकाङ्गुष्ठयोः विततिः (शर-4-27)
प्रतलं(शर-4-28) - प्रसारिताङ्गुलिः करः (शर-4-28)
रत्निः(शर-4-28) - कृतमुष्ठिःकरः(शर-4-28)
अरत्निः(शर-4-28) - वितताङ्गुलिः (शर-4-28)
पुच्छं (शर-4-29 )- प्रकीर्णकं सिक्तं मद्यं (शर-4-29)
कल्यं (शर-4-29) - चिरोषितं मद्यं (शर-4-29)
महाधनं(शर-4-30) - बहुमूल्यं (शर-4-30)
मकरन्दं(शर-4-30) - पौष्पं मधुः(शर-4-30)
स्तबकं(शर-4-30) - गुल्मस्थं मधुः (शर-4-30)
वृन्तं(शर-4-31) - बन्धनं(शर-4-31)
विटपं(शर-4-31) - तरुविस्तरम् (शर-4-31)
च्घ्19
संभाविता (शर-4-31) - अस्मिका (शर-4-31)
आहोपुरुषिका (शर-4-31) - दर्पात् (शर-4-31)
पक्वं(शर-4-32) - फलं सुस्वादु(शर-4-32)
प्रपदं(शर-4-32) - पुष्टं (शर-4-32)
रत्नं(शर-4-32) - जातौजातौ यदुत्कृष्टं (शर-4-32)
वाक्यं(शर-4-33) - पदसमूहः(शर-4-33)
अकारणं(शर-4-33) - आहोसाध्यं (शर-4-33)
ग्रस्तं(शर-4-33) - लुप्तवर्णपदं(शर-4-33)
निरस्तं(शर-4-33) - त्वरितोदितम् (शर-4-33)
सान्त्वं(शर-4-34) - नितान्तं मधुरं(शर-4-34)
परुषं (शर-4-34) - निष्ठुरं वचः (शर-4-34)
असद्भाष्यं(शर-4-34) - बहुभाष्यं(शर-4-34)
असंबद्धं(शर-4-34) - निरर्थकं (शर-4-34)
कल्या (शर-4-35) - कल्याणवाक् (शर-4-35)
सत्यकल्पा(शर-4-35) - प्रियाप्रिया (शर-4-35)
अक्लिष्टं(शर-4-35) - पूर्वापरोक्तं(शर-4-35
ह्मद्गतं(शर-4-35) - स्वगतं (शर-4-35)
स्पष्टं(शर-4-36) - चित्रपदं(शर-4-36)
अ श्लीलं(शर-4-36) - ग्राम्यं (शर-4-36)
हिरण्यं(शर-4-36) - काञ्चनं रजतं ( कृताकृते) (शर-4-36)
रूप्यं(शर-4-37) - आहतं(शर-4-37)
कुप्यं(शर-4-37) - अनाहतं (शर-4-37)
भूषणं(शर-4-37) - कनकं श्रुङ्गी(शर-4-37) , गवाद्यं पादबन्धनम् (शर-4-37)
वेशःमुरजादिकं (शर-4-38) - वेश्यवासःमुरजादिकं (शर-4-38)
आतोद्यं(शर-4-38) - मुरजादिकं (शर-4-38)
कुशीदं(शर-4-38) - अर्थप्रयोगं (शर-4-38)
वार्धुषिक्यं (शर-4-39) - तद्वृत्तिः (शर-4-39)
विकूणिका (शर-4-39) - तत्क्रिया (शर-4-39)
अधमर्णः (शर-4-39) - ग्राहकः (शर-4-39)
उत्तमर्णकः (शर-4-39) - दाता(शर-4-39)
च्घ्20
श्वेतः(शर-4-40) - कुमुदः प्रतिभः(शर-4-40)
बभ्रुः(शर-4-40) - कनकपिङ्गलौ (शर-4-40)
धूम्रः(शर-4-40) - रक्तश्यामः(शर-4-40)
पिशङ्गः(शर-4-40) - रोचनाप्रभः (शर-4-40)
मेचकः(शर-4-41) - शिखिकणठाभः (शर-4-41)
हरित्श्यामः(शर-4-41) - असितासितिः (शर-4-41)
पाटलः(शर-4-41) - आरक्तः(शर-4-41)
शोणः(शर-4-41) - कोकनदारुणः (शर-4-41)
आसारः(शर-4-42) - वेगवान्वर्षः(शर-4-42)
प्रावृट्(शर-4-42) - अम्भोधरागमः (शर-4-42)
शीकरः(शर-4-42) - पवनास्ताम्बु(शर-4-42)
इरम्मदः(शर-4-42) - मेघाग्निः (शर-4-42)
देवमातृकः (शर-4-43) - वृष्ट¬ा सम्भूतशस्यः देशः (शर-4-43)
नदीमातृकः (शर-4-43) - नद्यम्बुवृद्धशस्यःदेशः (शर-4-43)
दिधिषूः (शर-4-44) - वरपूर्वा नारी (शर-4-44)
पुरन्ध्रिकः(शर-4-44) - अग्रेदिधिषुः पुरुषः (शर-4-44)
छेकाः (शर-4-45) - खगा मृगा सर्वदैव गृहे रताः (शर-4-45)
आवपनं (शर-4-45) - उष्ट्रिकादिकं भाण्डं (शर-4-45)
भृङ्गारं(शर-4-46) - रजतादिकृतं जलदायकम् (शर-4-46)
अवकेशी(शर-4-46) - फलैर्वन्ध्यः(शर-4-46)
सर्वलोहं(शर-4-46) - तैजसम् (शर-4-46)
विकुलः(शर-4-47) - व्याख्याता(शर-4-47) , भैक्षदाता (शर-4-47)
शाखानगरं(शर-4-47) - मूलादधिष्ठानात् स्थानं (शर-4-47)
संसप्तकाः(शर-4-48) - समये संग्रामादनिवर्त्तिनः (शर-4-48)
पद्यातः(शर-4-48) - पदसंबन्धः(शर-4-48)
गव्यूतिः(शर-4-48) - क्रोशकद्वयम् (शर-4-48)
पक्षिणी(शर-4-49) - आगन्तुवर्तमानाभ्यां सहाहोभ्यां (शर-4-49)
चिररात्रं (शर-4-49)- हवनकर्मणि रात्रिः पुण्या (शर-4-49)
चिरकालं (शर-4-50)- हवनकर्मणि रात्रिः पुण्या(शर-4-50)
गणरात्रं(शर-4-50) - बहुशश्चाभिवासिता रात्रिः (शर-4-50)
शललीकं(शर-4-51) - प्रच्छन्नं शललैः (शर-4-51)
एडूकं(शर-4-51) - अन्तर्गतास्थिकं कुड¬ं (शर-4-51)
पञ्चालिका(शर-4-52) - पञ्चरागिकवस्त्रेण निर्मिताः पुत्रिकाः , बालक्रीडनकाः(शर-4-52)
कूकदः (शर-4-53) -सपरिच्छदकन्यायाः प्रदाता (शर-4-53)
उपरक्तः(शर-4-53) - सोपप्लवस्थितो भानुः शशी वा (शर-4-53)
पोगण्डः(शर-4-54) - देहेन विफलः पुमान् (शर-4-54)
मधुमाधवौ (शर-4-54) - मासौ द्वौ चैत्रवैशाखौ (शर-4-54)
शुक्रशुची (शर-4-55)- ज्येष्ठठाषाढौ (शर-4-55)
नभः(शर-4-55) - श्रावणः(शर-4-55)
भाद्रपदं(शर-4-55) - नभस्यः (शर-4-55)
च्घ्21
पक्षिणी(शर-4-49) - आगन्तुवर्तमानाभ्यां सहाहोभ्यां (शर-4-49)
चिररात्रं (शर-4-49)- हवनकर्मणि रात्रिः पुण्या (शर-4-49)
चिरकालं (शर-4-50)- हवनकर्मणि रात्रिः पुण्या(शर-4-50)
गणरात्रं(शर-4-50) - बहुशश्चाभिवासिता रात्रिः (शर-4-50)
शललीकं(शर-4-51) - प्रच्छन्नं शललैः (शर-4-51)
एडूकं(शर-4-51) - अन्तर्गतास्थिकं कुड¬ं (शर-4-51)
पञ्चालिका(शर-4-52) - पञ्चरागिकवस्त्रेण निर्मिताः पुत्रिकाः , बालक्रीडनकाः(शर-4-52)
कूकदः (शर-4-53) -सपरिच्छदकन्यायाः प्रदाता (शर-4-53)
उपरक्तः(शर-4-53) - सोपप्लवस्थितो भानुः शशी वा (शर-4-53)
पोगण्डः(शर-4-54) - देहेन विफलः पुमान् (शर-4-54)
मधुमाधवौ (शर-4-54) - मासौ द्वौ चैत्रवैशाखौ (शर-4-54)
शुक्रशुची (शर-4-55)- ज्येष्ठठाषाढौ (शर-4-55)
नभः(शर-4-55) - श्रावणः(शर-4-55)
भाद्रपदं(शर-4-55) - नभस्यः (शर-4-55)
च्घ्22
अश्विनकार्तिकौ(शर-4-56) - इषोज्र्जौ(शर-4-56)
मार्गपौषौ(शर-4-56) - सहःसहस्यौ (शर-4-56)
तपः(शर-4-57) - माघ(शर-4-57)
तपस्यः(शर-4-57) - फाल्गुनः (शर-4-57)
एकायनं(शर-4-57) -एकसग्र्गजनं (शर-4-57)
अनेडमूकः(शर-4-58) - श्रोतुं वक्तुं च अक्षमः (शर-4-58)
विषुवत्(शर-4-58) - समरात्रिदिनं कालं (शर-4-58)
वात्या (शर-4-59) - वातसमूहः(शर-4-59)
इल्वला(शर-4-59) - मृगतारकाः (शर-4-59)
राकानुमतिः(शर-4-59) - पौर्णमासीद्वयं (शर-4-59)
राका(शर-4-60) - संपूर्णचन्द्रा(शर-4-60)
अनुमतिः(शर-4-60) - कलोनासंपूर्णचन्द्रा (शर-4-60)
शिनीवालं(शर-4-60) - अक्र्कसांनिध्ये यत्र चन्द्रमाः (शर-4-60)
शिनीवाली(शर-4-61) -अक्र्कसांनिध्ये यत्र चन्द्रमाः सा अमावास्या (शर-4-61)
कुहः(शर-4-61) - कोकिलाध्वाने(शर-4-62) , कलामात्रं विधोः स्थितिः (शर-4-61)
कुहूः(शर-4-62) - कोकिलाध्वाने(शर-4-62) , कलामात्रं विधोः स्थितिः यत्र स्यादमावास्या , नष्टचन्द्रा (शर-4-62)
त्रयी(शर-4-62) - ऋचो यजूंषि सामानि कर्म (शर-4-62)
अन्वीक्षकी (शर-4-63)- तर्कविद्या (शर-4-63)
वार्ता(शर-4-63) - कृष्यादि कर्मभाक् (शर-4-63)
दणडनीतिः(शर-4-63) -समग्रमर्थशास्त्राणि (शर-4-63)
स्मृतयः(शर-4-64) - मन्वादिधर्मशास्त्राणि (शर-4-64)
होता(शर-4-64) - ऋगधीती(शर-4-64)
अध्वर्युः(शर-4-64) - यजुषोरधीती (शर-4-64)
सान्नाय्यं(शर-4-65) - हविः(शर-4-65)
उद्गाता(शर-4-65) - सामतः(शर-4-65)
आषाढः(शर-4-65) - व्रतिनां दण्डः(शर-4-65)
सोमपीथी(शर-4-65) - सोमपः(शर-4-65)
व्रात्य (शर-4-66) - संस्काराद् भ्रष्टः द्विजः (शर-4-66)
वीरहा (शर-4-66) - त्यक्ताग्निः (शर-4-66)
दीक्षितः (शर-4-66) - मखसोमपः(शर-4-66)
यष्टा(शर-4-67) -यजमानः(शर-4-67)
वषट्(शर-4-67) - हुताग्नौ कृतम्(शर-4-67)
इष्टापूर्तं(शर-4-67) - ध्रुवं दानं(शर-4-67)
इष्टापूर्वं(शर-4-67) -अन्यत् दानं (शर-4-67)
ब्राहृचर्यं(शर-4-68) - ब्राहृस्वाध्यायसंवृत्तिः(शर-4-68)
उपाकृतं(शर-4-68) -अभिमन्त्र्य सम्यग् हुतं पशुं (शर-4-68)
अन्वाहार्यं(शर-4-69) - मासिकंश्राद्धं (शर-4-69)
दर्शः(शर-4-69) - असितपक्षान्ते विधिदर्शिनः (शर-4-69)
दिव्यः (शर-4-70) -सत्रस्य शेषं (शर-4-70)
सिद्धः (शर-4-70) - अष्टगुणैर्युक्तस्त्रिवर्गो धर्मपूर्वकः (शर-4-70)
प्राचीनावीती (शर-4-71) - सत्यपाणौ समुद्धृते(शर-4-71)
हव्यं(शर-4-71) - दैवे विधातव्यं(शर-4-71)
कव्यं(शर-4-71) - पैत्रे विधातव्यं (शर-4-71)
वरारोहा(शर-4-71) - मुख्या योषिद्(शर-4-71)
वीरा(शर-4-72) - पतिपुत्रिणी(शर-4-72)
सैरन्ध्री(शर-4-72) - प्रसाधनज्ञा स्ववशा (शर-4-72)
कात्यायनी(शर-4-73) -अद्र्धवृद्धा राजवरवर्णिनी (शर-4-73)
कूर्चः(शर-4-73) -भ्रुवोः मध्यस्थानं(शर-4-73)
कनीनिका(शर-4-73) - तारकाक्षि (शर-4-73)
जघनं (शर-4-74) - स्त्रीणां पूर्वकटीभागं (शर-4-74)
नितम्बं (शर-4-74) - अपरं कटीभागं (शर-4-74)
गुल्फं (शर-4-74) - पादस्य पूर्वतःभागं (शर-4-74)
आस्यं (शर-4-75) - मुखान्तरालं (शर-4-75)
प्रासादः (शर-4-75) - दृष्टे नयनानि मनांसि यत्र प्रसीदन्ति (शर-4-75)
सौधः (शर-4-76) - सुधया सितः (शर-4-76)
आचार्यः (शर-4-77) - मन्त्रोद्धारविधानज्ञः क्रियाकाण्डविशारदः स्वाम्नायोन च
आचरन् उपेत्याधीयते यस्माद् वाङ्मयं समुपागते(शर-4-77)
उपाध्यायः (शर-4-78) - वृत्तिमात्रोपजीवकः (शर-4-78)
तण्डुलाः (शर-4-78) - उपमद्र्दाप्तिवैमल्याः पाकयुक्तितः (शर-4-78)
ओदनः(शर-4-79) - प्रमथितेन मन्दाः तण्डुलाः क्लिन्नत्वात् ।(शर-4-79)
स्वच्छाः(शर-4-79) - मुद्गादिदलप्रस्विन्नाः स्वपस्निमाययोः (शर-4-79)
दिक्पालाः(शर-4-80) -शक्रवह्नियमादयः प्राच्यादीनां दिशां देवाः पालनाद्विदिशामपि।(शर-4-80)
पाञ्चजन्यम्(शर-4-81)- हरेःशङ्खम्(शर-4-81)
सुदर्शनम्(शर-4-81)- हरेःचक्रम्(शर-4-81)
कौमोदकी(शर-4-81) हरेःगदा(शर-4-81)
शाङ्र्गं(शर-4-81)- हरेःकार्मुकम्(शर-4-81)
नन्दकः(शर-4-81)- हरेःअसिः(शर-4-81)
शिवगङ्गा(शर-4-82)- शिवस्य समिध्या वारिस्वशब्दं स्थिरम् दुष्कृतात्मना दुष्प्रापा(शर-4-82)
चित्रधेनवः(शर-4-83)- सुनृणां काव्यपिण्डस्य स्वयम् अभिव्यापकाः नाम गोत्रं मन्त्रं(शर-4-83)
पुराणम्(शर-4-84)- उत्पत्तिः प्रलयः वंशाः मन्वन्तरविनिर्णयः वंशानुचरितम् यत्र तत्(शर-4-84)
च(शर-5-2)- समुच्चय(शर-5-2) विकल्पोक्ति(शर-5-2) व्यभिचारि(शर-5-2) व्यवस्थिति(शर-5-2)
औपच्य(शर-5-2) अतिशय(शर-5-2) हेतु(शर-5-2) अन्वाचयादि(शर-5-2)
वा(शर-5-3)- व्यवच्छेद(शर-5-3) विवक्षा(शर-5-3) विकल्प(शर-5-3) औपम्य(शर-5-3) हेतु(शर-5-3)
पक्षान्तरविनिर्णीति(शर-5-3) समुच्चय(शर-5-3)
हि(शर-5-4)- स्फुट(शर-5-4)
हा(शर-5-4)- विषादोक्ति(शर-5-4)
हन्त(शर-5-4)- निर्दिष्टबोधने(शर-5-4) हास(शर-5-4) उपहास(शर-5-4) समवित्तिभाव(शर-5-4)
संबोधन(शर-5-4)
अहो(शर-5-5)- साकल्य(शर-5-5) साहित्य(शर-5-5) वृत्तिमात्र(शर-5-5)
परम्(शर-5-5)- निश्चय(शर-5-5) व्यवच्छेद(शर-5-5) कृतार्थ(शर-5-5)
पश्चात्(शर-5-6)- सत्य(शर-5-6) वितर्क(शर-5-6) न परा(शर-5-6) विनिश्चय(शर-5-6)
बत(शर-5-6)- हर्ष(शर-5-6) विस्मय(शर-5-6) खेद(शर-5-6)
किल (शर-5-7)- संख्यावत(शर-5-7) औपम्य(शर-5-7) पूर्वसूचन(शर-5-7) हेतु(शर-5-7) असंबुद्धि(शर-5-7)
निषेध(शर-5-7) वाक्य(शर-5-7) स्मरण(शर-5-7)
आम् (शर-5-8)- अतिरिक्त(शर-5-8) विषाद(शर-5-8) न संबुद्धि(शर-5-8) निषेध(शर-5-8)
स्म (शर-5-8)- अतीते(शर-5-8)
मा स्म (शर-5-8)- अतीते(शर-5-8)
इति(शर-5-9)- संभावना(शर-5-9) औपम्य(शर-5-9) पादपूरण(शर-5-9) हेतु(शर-5-9)
इव(शर-5-9)- संभावना(शर-5-9) औपम्य(शर-5-9) पादपूरण(शर-5-9) हेतु(शर-5-9)
नु(शर-5-9)- वितर्क(शर-5-9) द्रुत(शर-5-9) अह्वा(शर-5-9) किमुत(शर-5-9) प्रश्न(शर-5-9) वितर्क(शर-5-9)
हि(शर-5-10)- उपहास(शर-5-10) विषाद(शर-5-10) स्फुट(शर-5-10) अनन्तर(शर-5-10)मिथः(शर-5-10)
अन्योन्यं(शर-5-10)
अतः(शर-5-10)- विनिश्चय(शर-5-10)
अन्तरेण(शर-5-11)- व्यतिरेकः(शर-5-11) विना(शर-5-11)
अन्तारा(शर-5-11)- व्यतिरेकः(शर-5-11) विना(शर-5-11)
सुष्ठु(शर-5-11)- प्रायः(शर-5-11) प्रगे(शर-5-11) प्रातः(शर-5-11) पुनः(शर-5-11) अत्यर्थ(शर-5-11)
तथ्य(शर-5-11)
अहर्मात्रणकाः(शर-5-12)- वैतथ्य(शर-5-12) आवृता(शर-5-12) मुधा(शर-5-12)
अयि(शर-5-12)- आमन्त्रण(शर-5-12) औत्सुक्य(शर-5-12) युक्ति(शर-5-12) संभावना(शर-5-12)
अहो(शर-5-13)- संभावना(शर-5-13) आलाप(शर-5-13) संभ्राम(शर-5-13) आमन्त्रण(शर-5-13)
अरे(शर-5-13)- अनादर(शर-5-13) स्थान(शर-5-13)
ए(शर-5-14)- संभावना(शर-5-14) वितर्क(शर-5-14)
हे(शर-5-14)- संभावना(शर-5-14) वितर्क(शर-5-14)
हा(शर-5-14)- संभावना(शर-5-14) वितर्क(शर-5-14)
नु(शर-5-14)- संबुद्धि(शर-5-14) नीवेद्यदि(?)(शर-5-14) समुच्चये(शर-5-14)
ऊररी(शर-5-15)- स्वीकारः(शर-5-15) बोधः(शर-5-15) निषेधः(शर-5-15)
ऊरी(शर-5-15)- स्वीकारः(शर-5-15) बोधः(शर-5-15) निषेधः(शर-5-15)
उरी(शर-5-15)- स्वीकारः(शर-5-15) बोधः(शर-5-15) निषेधः(शर-5-15)
वै(शर-5-15)- वायु(शर-5-15) जवितः(शर-5-15) मङ्क्षु(शर-5-15)
अहो(शर-5-16)- आहोस्वित्(शर-5-16) अथवा(शर-5-16) आनन्तर्ये(शर-5-16) आश्चर्यपद(शर-5-16) संबुद्धि(शर-5-16)- संभाव(शर-5-16)
एव(शर-5-17)- अवधारण(शर-5-17)
जातु(शर-5-17)- कदाचित्(शर-5-17)
खलु(शर-5-17)- निश्चय(शर-5-17)
मा(शर-5-17)- निषेध(शर-5-17) अभाव(शर-5-17)
दिष्ट¬ा(शर-5-17)- आनन्द(शर-5-17) मृषा(शर-5-17) अनृत(शर-5-17)
अञ्जसा(शर-5-18)- अतान्द्राता(शर-5-18) शीघ्र(शर-5-18)
सहसा(शर-5-18)- अतान्द्राता(शर-5-18) शीघ्र(शर-5-18)
द्रुतम्(शर-5-18)- अतान्द्राता(शर-5-18) शीघ्र(शर-5-18)
अथ(शर-5-18)- आनन्त्य(शर-5-18) माङ्गल्य(शर-5-18) प्रश्न(शर-5-18) धिक्कार(शर-5-18) युक्ति(शर-5-18)
एव(शर-5-19)- संबुद्धि(शर-5-19) निषेध(शर-5-19) अवधारण(शर-5-19)
प्राक्(शर-5-19)- देशकालादि(शर-5-19)
पूर्वं(शर-5-19)- देशकालादि(शर-5-19)
प्रत्यक्(शर-5-19)- प्रत्यक्ष(शर-5-19) दर्शने(शर-5-19)
मनाक्(शर-5-20)- ईषत्(शर-5-20)
सम्यक्(शर-5-20)- निश्चय(शर-5-20)
कम्(शर-5-20)- सुख(शर-5-20) अम्बु(शर-5-20)
अलम्(शर-5-20)- भूषण(शर-5-20) पर्याप्ति(शर-5-20) वारण(शर-5-20)
आ(शर-5-21)- स्मृति(शर-5-21) संभ्रम(शर-5-21) मोहे(शर-5-21) कामम्(शर-5-21) अतिशायिनि(शर-5-21)
धिक्(शर-5-21)- तिरस्करण(शर-5-21)
कच्चित्(शर-5-21)- साधु(शर-5-21) प्रश्न(शर-5-21) प्रवृत्ति(शर-5-21)
अन्वक्(शर-5-22)- अनुगति(शर-5-22) समाप्ति(शर-5-22)
स्वित्(शर-5-22)- प्रश्न(शर-5-22) विशेषयोग(शर-5-22) संशय(शर-5-22) विकल्प(शर-5-22)
युगपत्(शर-5-23)- एककाल(शर-5-23)
चित्(शर-5-23)- सातत्य(शर-5-23)
विष्वक्(शर-5-23)- समन्ताद्(शर-5-23)
पृथक्(शर-5-23)- विभाग(शर-5-23)
इ(शर-5-24)- प्रहास(शर-5-24) संबंध(शर-5-24)
नु(शर-5-24)- आमन्त्रण(शर-5-24) तथ्य(शर-5-24)
स्वाहा(शर-5-24)- पितृप्रीतौ(शर-5-24) तर्पणे(शर-5-24) जातवेदसः(शर-5-24)
समया(शर-5-25)- सहार्थ(शर-5-25)
हंहो(शर-5-25)- अनिर्दिष्टबोधन(शर-5-25)
सत्(शर-5-25)- संसुख(शर-5-25) प्रतिष्ठा(शर-5-25)
तूष्णीम्(शर-5-25)- व्यतिक्रम(शर-5-25)
नक्तम्(शर-5-26)- रजनी(शर-5-26)
दिवा(शर-5-26)- दिनार्थे(शर-5-26)
दिनम्(शर-5-26)- दिनार्थे(शर-5-26)
अस्ति(शर-5-26)- संज्ञा(शर-5-26) नामसत्ता(शर-5-26) साध्य(शर-5-26)
फट्(शर-5-27)- उत्सारण(शर-5-27)
वषट्(शर-5-27)- तप्र्पण(शर-5-27)
वौषट्(शर-5-27)- तप्र्पण(शर-5-27)
अभि(शर-5-27)- सामीप्य(शर-5-27) दूर(शर-5-27) ऊध्र्वदेश(शर-5-27)
समया(शर-5-28)- सामीप्य(शर-5-28)
निकषा(शर-5-28)- सामीप्य(शर-5-28)
नाना(शर-5-28)- अनेकप्रकार(शर-5-28)
सपदि(शर-5-28)- तत्क्षणा(शर-5-28)
चिरात्(शर-5-29)- कालस्य प्रकर्षोक्ति(शर-5-29)
चिरेण(शर-5-29)- कालस्य प्रकर्षोक्ति(शर-5-29)
चिराय(शर-5-29)- कालस्य प्रकर्षोक्ति(शर-5-29)
दुरात्(शर-5-29)- अविकृष्टं देशकम्(शर-5-29)
दूरेण(शर-5-29)- अविकृष्टं देशकम्(शर-5-29)
दूरम्(शर-5-29)- अविकृष्टं देशकम्(शर-5-29)
लघु(शर-5-30)- शीघ्र(शर-5-30) दूरोराप्तव्ययान्तिक(शर-5-30)
अङ्ग(शर-5-30)- आमन्त्रण(शर-5-30)
हाहा(शर-5-30)- क्रोधकृत्यनिवारण(शर-5-30)
अहह(शर-5-31)- विकल्प(शर-5-31)
हाहा(शर-5-31)- विकल्प(शर-5-31)
नम्(शर-5-31)- प्रतीते(शर-5-31) वर्जने(शर-5-31)
सायम्(शर-5-31)- प्रदोषे(शर-5-31)
बाढम्(शर-5-31)- अत्यर्थ(शर-5-31) युक्त(शर-5-31)
समम्(शर-5-32)- सह(शर-5-32)
साकम्(शर-5-32)- सह(शर-5-32)
कल्यम्(शर-5-32)- श्वरम्(शर-5-32) अमनुद्धत(शर-5-32)
पश्चात्(शर-5-32)- न(शर-5-32) वर(शर-5-32) सत्य(शर-5-32)
ध्रुवम्(शर-5-32)- कृत्य(शर-5-32) निश्चय(शर-5-32)
भूयः(शर-5-33)- अभिन्न(शर-5-33) मध्य(शर-5-33)
अतः(शर-5-33)- प्रणतः(शर-5-33)
अति(शर-5-33)- पूजायाम्(शर-5-33)
सु(शर-5-33)- पूजायाम्(शर-5-33)
नीचैः(शर-5-33)- निम्नः(शर-5-33)
शनैः(शर-5-33)- मनाक्(शर-5-33)
प्रादुराविः(शर-5-34)- प्रकटीकरण(शर-5-34)
अनिशम्(शर-5-34)- विश्वसित
बहिः(शर-5-34)- बाह्रः
अधः(शर-5-34)- अधस्तात्(शर-5-34)
परः(शर-5-34)- अग्रम् इङ्गित द्रुत
तरी(शर-5-35)- तिरश्वीन(शर-5-35) सत्यार्थकीर्तन(शर-5-35)
आहि(शर-5-35)- त्वरा(शर-5-35) आक्षेप(शर-5-35)
प्रायः(शर-5-36)- बाहुल्य(शर-5-36)
उच्चैः(शर-5-36)- अत्यर्थ(शर-5-36) तुङ्ग(शर-5-36)
ह्रः(शर-5-36)- अतीतकाल(शर-5-36)
श्वः(शर-5-36)- अनागतकाल(शर-5-36)
किम्(शर-5-37)- प्रश्न(शर-5-37) तर्क(शर-5-37)
वरम्(शर-5-37)- इष्टप्रशंसन(शर-5-37)
अमा(शर-5-37)- सहार्थः(शर-5-37)
वा(शर-5-37)- निषेध(शर-5-37)
ओभिः(?)(शर-5-38)- प्रहास(शर-5-38) अग्रनय(शर-5-38)
अहा(शर-5-38)- प्रतिपत्ति(शर-5-38)
सकृत्(शर-5-38)- एकत्व(शर-5-38) ऋत(शर-5-38)
परम्(शर-5-38)- उत्कर्षे(शर-5-38) निश्चये(शर-5-38)
पुरा(शर-5-39)- पूर्वकाले(शर-5-39)
रभसा(शर-5-39)- प्राचुर्य(शर-5-39) बलात्(शर-5-39)
नित्यम्(शर-5-39)- प्रतिदिनम्(शर-5-39)
परि(शर-5-39)- सर्वत्रार्त(शर-5-39)
ततः(शर-5-40)- ज्योतिकद्योत(शर-5-40)
असक्(शर-5-40)- यमी(?)(शर-5-40)
तथा(शर-5-40)- इत्थम्(शर-5-40)
स्वयम्(शर-5-40)- स्वार्थ(शर-5-40)
हि(शर-5-40)- विस्मय(शर-5-40)
यस्मात्(शर-5-40)- विस्मय(शर-5-40)
मृदुः(शर-5-40)- कौत्स्य(शर-5-40)
कुष्ठी(शर-5-40)- आतीक्ष्ण(शर-5-40)
इति शब्दरत्नदीपे पञ्चमो मुक्तः समाप्तः ॥

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