अष्टलक्ष्मीस्तोत्रम्

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अष्टलक्ष्मीस्तोत्रम्

सुमनसवन्दित सुन्दरि माधवि

मुनिगणमण्डित मोक्षप्रदायिनि

पङ्कजवासिनि देवसुपूजित

जय जय हे मधुसूदन कामिनि

अहिकलिकल्मषनाशिनि कामिनि

क्षीरसमुद्भव मङ्गलरूपिणि

मङ्गलदायिनि अम्बुजवासिनि

जय जय हे मधुसूदनकामिनि

जयवरवर्णिनि वैष्णवि भार्गवि

सुरगणपूजित शीघ्रफलप्रद

भवभयहारिणि पापविमोचनि

जय जय हे मधुसूदनकामिनि

जय जय दुर्गतिनाशिनि कामिनि

रथगजतुरगपदादिसमावृत-

हरिहरब्रह्मसुपूजितसेवित

जय जय हे मधुसूदन कामिनि

अहिखगवाहिनि मोहिनि चक्रिणि
गुणगणवारिधि लोकहितैषिणि

सकलसुरासुरदेवमुनीश्वर

जय जय हे मधुसूदन कामिनि

जय कमलासनि सद्गतिदायिनि

अनुदिनमर्चित कुङ्कुमधूसर-

कनकधरास्तुति वैभव वन्दित

जय जय हे मधुसूदन कामिनि

प्रणत सुरेश्वरि भारति भार्गवि

मणिमयभूषित कर्णविभूषण-
नवनिधिदायिनि कलिमलहारिणि

जय जय हे मधुसूदनकामिनि

धिमिधिमि धिन्धिमि धिन्धिमि धिन्धिमि

घुमघुम घुङ्घुम घुङ्घुम घुङ्घुम

वेदपुराणेतिहास सुपूजित

जय जय हे मधुसूदनकामिनि

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