विश्वास-प्रस्तुतिः
ब्रह्मविष्णुरुद्रऋषिभ्यो नमः, शिरसि। गायत्र्युष्णिगनुष्टुप्छन्दोभ्यो नमः, मुखे। महाकाली-महालक्ष्मी-महासरस्वतीदेवताभ्यो नमः, हृदि। ऐं बीजाय नमः, गुह्ये। ह्रीं शक्तये नमः, पादयोः। क्लीं कीलकाय नमः, नाभौ।
‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे’—इति मूलेन करौ संशोध्य—
मूलम्
ब्रह्मविष्णुरुद्रऋषिभ्यो नमः, शिरसि। गायत्र्युष्णिगनुष्टुप्छन्दोभ्यो नमः, मुखे। महाकाली-महालक्ष्मी-महासरस्वतीदेवताभ्यो नमः, हृदि। ऐं बीजाय नमः, गुह्ये। ह्रीं शक्तये नमः, पादयोः। क्लीं कीलकाय नमः, नाभौ।
‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे’—इति मूलेन करौ संशोध्य—