देवप्रार्थना

मूलम् (वचनम्)

देवा ऊचुः॥ ८॥

विश्वास-प्रस्तुतिः

नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नमः।
नमः प्रकृत्यै भद्रायै नियताः प्रणताः स्म ताम्॥

मूलम्

नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नमः।
नमः प्रकृत्यै भद्रायै नियताः प्रणताः स्म ताम्॥

अनुवाद (हिन्दी)

(अ०५। ९)
देवता बोले—॥ ८॥ देवीको नमस्कार है, महादेवी शिवाको सर्वदा नमस्कार है। प्रकृति एवं भद्राको प्रणाम है। हमलोग नियमपूर्वक जगदम्बाको नमस्कार करते हैं॥ ९॥

विश्वास-प्रस्तुतिः

रौद्रायै नमो नित्यायै गौर्यै धात्र्यै नमो नमः।
ज्योत्स्नायै चेन्दुरूपिण्यै सुखायै सततं नमः॥

मूलम्

रौद्रायै नमो नित्यायै गौर्यै धात्र्यै नमो नमः।
ज्योत्स्नायै चेन्दुरूपिण्यै सुखायै सततं नमः॥

अनुवाद (हिन्दी)

(अ०५। १०)
रौद्राको नमस्कार है। नित्या, गौरी एवं धात्रीको बारंबार नमस्कार है। ज्योत्स्नामयी, चन्द्ररूपिणी एवं सुखस्वरूपा देवीको सतत प्रणाम है॥ १०॥

विश्वास-प्रस्तुतिः

कल्याण्यै प्रणतां वृद्ध्यै
सिद्ध्यै कुर्मो नमो नमः।
नैर्ऋत्यै भूभृतां लक्ष्म्यै
शर्वाण्यै ते नमो नमः॥

मूलम्

कल्याण्यै प्रणतां वृद्ध्यै सिद्ध्यै कुर्मो नमो नमः।
नैर्ऋत्यै भूभृतां लक्ष्म्यै शर्वाण्यै ते नमो नमः॥

मूलम् (भास्कररायः)

कल्याण्यै प्रणतां ऋद्ध्यै सिद्ध्यै कूर्म्यै नमो नमः।
नैर्ऋत्यै भूभृतां लक्ष्म्यै शर्वाण्यै ते नमो नमः॥

अनुवाद (हिन्दी)

(अ०५। ११)
शरणागतोंका कल्याण करनेवाली वृद्धि एवं सिद्धिरूपा देवीको हम बारंबार नमस्कार करते हैं। नैर्ऋती (राक्षसोंकी लक्ष्मी), राजाओंकी लक्ष्मी तथा शर्वाणी (शिवपत्नी)-स्वरूपा आप जगदम्बाको बार-बार नमस्कार है॥ ११॥

विश्वास-प्रस्तुतिः

दुर्गायै दुर्गपारायै सारायै सर्वकारिण्यै।
ख्यात्यै तथैव कृष्णायै धूम्रायै सततं नमः॥

मूलम्

दुर्गायै दुर्गपारायै सारायै सर्वकारिण्यै।
ख्यात्यै तथैव कृष्णायै धूम्रायै सततं नमः॥

अनुवाद (हिन्दी)

(अ०५। १२)
दुर्गा, दुर्गपारा (दुर्गम संकटसे पार उतारनेवाली), सारा (सबकी सारभूता), सर्वकारिणी, ख्याति, कृष्णा और धूम्रादेवीको सर्वदा नमस्कार है॥ १२॥

विश्वास-प्रस्तुतिः

अतिसौम्यातिरौद्रायै नतास्तस्यै नमो नमः।
नमो जगत्प्रतिष्ठायै देव्यै कृत्यै नमो नमः॥

मूलम्

अतिसौम्यातिरौद्रायै नतास्तस्यै नमो नमः।
नमो जगत्प्रतिष्ठायै देव्यै कृत्यै नमो नमः॥

अनुवाद (हिन्दी)

(अ०५। १३)
अत्यन्त सौम्य तथा अत्यन्त रौद्ररूपा देवीको हम नमस्कार करते हैं, उन्हें हमारा बारंबार प्रणाम है। जगत् की आधारभूता कृतिदेवीको बारंबार नमस्कार है॥ १३॥

विश्वास-प्रस्तुतिः

या देवी सर्वभूतेषु विष्णुमायेति शब्दिता।
नमस्तस्यै। १४। नमस्तस्यै। १५। नमस्तस्यै नमो नमः॥

मूलम्

या देवी सर्वभूतेषु विष्णुमायेति शब्दिता।
नमस्तस्यै। १४। नमस्तस्यै। १५। नमस्तस्यै नमो नमः॥

अनुवाद (हिन्दी)

(अ०५। १६)
जो देवी सब प्राणियोंमें विष्णुमायाके नामसे कही जाती हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है॥ १४—१६॥

विश्वास-प्रस्तुतिः

या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभिधीयते।
नमस्तस्यै। १७। नमस्तस्यै। १८। नमस्तस्यै नमो नमः॥

मूलम्

या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभिधीयते।
नमस्तस्यै। १७। नमस्तस्यै। १८। नमस्तस्यै नमो नमः॥

अनुवाद (हिन्दी)

(अ०५। १९)
जो देवी सब प्राणियोंमें चेतना कहलाती हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है॥ १७—१९॥

विश्वास-प्रस्तुतिः

या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै। २०। नमस्तस्यै। २१। नमस्तस्यै नमो नमः॥

मूलम्

या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै। २०। नमस्तस्यै। २१। नमस्तस्यै नमो नमः॥

अनुवाद (हिन्दी)

(अ०५। २२)
जो देवी सब प्राणियोंमें बुद्धिरूपसे स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है॥ २०—२२॥

विश्वास-प्रस्तुतिः

या देवी सर्वभूतेषु निद्रारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै। २३। नमस्तस्यै। २४। नमस्तस्यै नमो नमः॥

मूलम्

या देवी सर्वभूतेषु निद्रारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै। २३। नमस्तस्यै। २४। नमस्तस्यै नमो नमः॥

अनुवाद (हिन्दी)

(अ०५। २५)
जो देवी सब प्राणियोंमें निद्रारूपसे स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है॥ २३—२५॥

विश्वास-प्रस्तुतिः

या देवी सर्वभूतेषु क्षुधारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै। २६। नमस्तस्यै। २७। नमस्तस्यै नमो नमः॥

मूलम्

या देवी सर्वभूतेषु क्षुधारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै। २६। नमस्तस्यै। २७। नमस्तस्यै नमो नमः॥

अनुवाद (हिन्दी)

(अ०५। २८)
जो देवी सब प्राणियोंमें क्षुधारूपसे स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है॥ २६—२८॥

विश्वास-प्रस्तुतिः

या देवी सर्वभूतेषुच्छायारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै। २९। नमस्तस्यै। ३०। नमस्तस्यै नमो नमः॥

मूलम्

या देवी सर्वभूतेषुच्छायारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै। २९। नमस्तस्यै। ३०। नमस्तस्यै नमो नमः॥

अनुवाद (हिन्दी)

(अ०५। ३१)
जो देवी सब प्राणियोंमें छायारूपसे स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है॥ २९—३१॥

विश्वास-प्रस्तुतिः

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै। ३२। नमस्तस्यै। ३३। नमस्तस्यै नमो नमः॥

मूलम्

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै। ३२। नमस्तस्यै। ३३। नमस्तस्यै नमो नमः॥

अनुवाद (हिन्दी)

(अ०५। ३४)
जो देवी सब प्राणियोंमें शक्तिरूपसे स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है॥ ३२—३४॥

विश्वास-प्रस्तुतिः

या देवी सर्वभूतेषु तृष्णारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै। ३५। नमस्तस्यै। ३६। नमस्तस्यै नमो नमः॥

मूलम्

या देवी सर्वभूतेषु तृष्णारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै। ३५। नमस्तस्यै। ३६। नमस्तस्यै नमो नमः॥

अनुवाद (हिन्दी)

(अ०५। ३७)
जो देवी सब प्राणियोंमें तृष्णारूपसे स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है॥ ३५—३७॥

विश्वास-प्रस्तुतिः

या देवी सर्वभूतेषु क्षान्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै। ३८। नमस्तस्यै। ३९। नमस्तस्यै नमो नमः॥

मूलम्

या देवी सर्वभूतेषु क्षान्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै। ३८। नमस्तस्यै। ३९। नमस्तस्यै नमो नमः॥

अनुवाद (हिन्दी)

(अ०५। ४०)
जो देवी सब प्राणियोंमें क्षान्ति (क्षमा)-रूपसे स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है॥ ३८—४०॥

विश्वास-प्रस्तुतिः

या देवी सर्वभूतेषु जातिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै। ४१। नमस्तस्यै। ४२। नमस्तस्यै नमो नमः॥

मूलम्

या देवी सर्वभूतेषु जातिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै। ४१। नमस्तस्यै। ४२। नमस्तस्यै नमो नमः॥

अनुवाद (हिन्दी)

(अ०५। ४३)
जो देवी सब प्राणियोंमें जातिरूपसे स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है॥ ४१—४३॥

विश्वास-प्रस्तुतिः

या देवी सर्वभूतेषु लज्जारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै। ४४। नमस्तस्यै। ४५। नमस्तस्यै नमो नमः॥

मूलम्

या देवी सर्वभूतेषु लज्जारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै। ४४। नमस्तस्यै। ४५। नमस्तस्यै नमो नमः॥

अनुवाद (हिन्दी)

(अ०५। ४६)
जो देवी सब प्राणियोंमें लज्जारूपसे स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है॥ ४४—४६॥

विश्वास-प्रस्तुतिः

या देवी सर्वभूतेषु शान्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै। ४७। नमस्तस्यै। ४८। नमस्तस्यै नमो नमः॥

मूलम्

या देवी सर्वभूतेषु शान्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै। ४७। नमस्तस्यै। ४८। नमस्तस्यै नमो नमः॥

अनुवाद (हिन्दी)

(अ०५। ४९)
जो देवी सब प्राणियोंमें शान्तिरूपसे स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है॥ ४७—४९॥

विश्वास-प्रस्तुतिः

या देवी सर्वभूतेषु श्रद्धारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै। ५०। नमस्तस्यै। ५१। नमस्तस्यै नमो नमः॥

मूलम्

या देवी सर्वभूतेषु श्रद्धारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै। ५०। नमस्तस्यै। ५१। नमस्तस्यै नमो नमः॥

अनुवाद (हिन्दी)

(अ०५। ५२)
जो देवी सब प्राणियोंमें श्रद्धारूपसे स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है॥ ५०—५२॥

विश्वास-प्रस्तुतिः

या देवी सर्वभूतेषु कान्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै। ५३। नमस्तस्यै। ५४। नमस्तस्यै नमो नमः॥

मूलम्

या देवी सर्वभूतेषु कान्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै। ५३। नमस्तस्यै। ५४। नमस्तस्यै नमो नमः॥

अनुवाद (हिन्दी)

(अ०५। ५५)
जो देवी सब प्राणियोंमें कान्तिरूपसे स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है॥ ५३—५५॥

विश्वास-प्रस्तुतिः

या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै। ५६। नमस्तस्यै। ५७। नमस्तस्यै नमो नमः॥

मूलम्

या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै। ५६। नमस्तस्यै। ५७। नमस्तस्यै नमो नमः॥

अनुवाद (हिन्दी)

(अ०५। ५८)
जो देवी सब प्राणियोंमें लक्ष्मीरूपसे स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है॥ ५६—५८॥

विश्वास-प्रस्तुतिः

या देवी सर्वभूतेषु वृत्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै। ५९। नमस्तस्यै। ६०। नमस्तस्यै नमो नमः॥

मूलम्

या देवी सर्वभूतेषु वृत्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै। ५९। नमस्तस्यै। ६०। नमस्तस्यै नमो नमः॥

अनुवाद (हिन्दी)

(अ०५। ६१)
जो देवी सब प्राणियोंमें वृत्तिरूपसे स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है॥ ५९—६१॥

विश्वास-प्रस्तुतिः

या देवी सर्वभूतेषु स्मृतिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै। ६२। नमस्तस्यै। ६३। नमस्तस्यै नमो नमः॥

मूलम्

या देवी सर्वभूतेषु स्मृतिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै। ६२। नमस्तस्यै। ६३। नमस्तस्यै नमो नमः॥

अनुवाद (हिन्दी)

(अ०५। ६४)
जो देवी सब प्राणियोंमें स्मृतिरूपसे स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है॥ ६२—६४॥

विश्वास-प्रस्तुतिः

या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै। ६५। नमस्तस्यै। ६६। नमस्तस्यै नमो नमः॥

मूलम्

या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै। ६५। नमस्तस्यै। ६६। नमस्तस्यै नमो नमः॥

अनुवाद (हिन्दी)

(अ०५। ६७)
जो देवी सब प्राणियोंमें दयारूपसे स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है॥ ६५—६७॥

विश्वास-प्रस्तुतिः

या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै। ६८। नमस्तस्यै। ६९। नमस्तस्यै नमो नमः॥

मूलम्

या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै। ६८। नमस्तस्यै। ६९। नमस्तस्यै नमो नमः॥

अनुवाद (हिन्दी)

(अ०५। ७०)
जो देवी सब प्राणियोंमें तुष्टिरूपसे स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है॥ ६८—७०॥

विश्वास-प्रस्तुतिः

या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै। ७१। नमस्तस्यै। ७२। नमस्तस्यै नमो नमः॥

मूलम्

या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै। ७१। नमस्तस्यै। ७२। नमस्तस्यै नमो नमः॥

अनुवाद (हिन्दी)

(अ०५।७३)
जो देवी सब प्राणियोंमें मातारूपसे स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है॥ ७१—७३॥

विश्वास-प्रस्तुतिः

या देवी सर्वभूतेषु भ्रान्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै। ७४। नमस्तस्यै। ७५। नमस्तस्यै नमो नमः॥

मूलम्

या देवी सर्वभूतेषु भ्रान्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै। ७४। नमस्तस्यै। ७५। नमस्तस्यै नमो नमः॥

अनुवाद (हिन्दी)

(अ०५। ७६)
जो देवी सब प्राणियोंमें भ्रान्तिरूपसे स्थित हैं,उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है॥ ७४—७६॥

विश्वास-प्रस्तुतिः

इन्द्रियाणामधिष्ठात्री भूतानां चाखिलेषु या।
भूतेषु सततं तस्यै व्याप्तिदेव्यै नमो नमः॥

मूलम्

इन्द्रियाणामधिष्ठात्री भूतानां चाखिलेषु या।
भूतेषु सततं तस्यै व्याप्तिदेव्यै नमो नमः॥

अनुवाद (हिन्दी)

(अ०५। ७७)
जो जीवोंके इन्द्रियवर्गकी अधिष्ठात्री देवी एवं सब प्राणियोंमें सदा व्याप्त रहनेवाली हैं, उन व्याप्तिदेवीको बारंबार नमस्कार है॥ ७७॥

विश्वास-प्रस्तुतिः

चितिरूपेण या कृत्स्नमेतद् व्याप्य स्थिता जगत् ।
नमस्तस्यै। ७८। नमस्तस्यै। ७९। नमस्तस्यै नमो नमः॥

मूलम्

चितिरूपेण या कृत्स्नमेतद् व्याप्य स्थिता जगत् ।
नमस्तस्यै। ७८। नमस्तस्यै। ७९। नमस्तस्यै नमो नमः॥

अनुवाद (हिन्दी)

(अ०५। ८०)
जो देवी चैतन्यरूपसे इस सम्पूर्ण जगत् को व्याप्त करके स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है॥ ७८—८०॥

विश्वास-प्रस्तुतिः

स्तुता सुरैः पूर्वमभीष्टसंश्रया-
त्तथा सुरेन्द्रेण दिनेषु सेविता।
करोतु सा नः शुभहेतुरीश्वरी
शुभानि भद्राण्यभिहन्तु चापदः॥

मूलम्

स्तुता सुरैः पूर्वमभीष्टसंश्रया-
त्तथा सुरेन्द्रेण दिनेषु सेविता।
करोतु सा नः शुभहेतुरीश्वरी
शुभानि भद्राण्यभिहन्तु चापदः॥

अनुवाद (हिन्दी)

(अ०५। ८१)
पूर्वकालमें अपने अभीष्टकी प्राप्ति होनेसे देवताओंने जिनकी स्तुति की तथा देवराज इन्द्रने बहुत दिनोंतक जिनका सेवन किया, वह कल्याणकी साधनभूता ईश्वरी हमारा कल्याण और मंगल करे तथा सारी आपत्तियोंका नाश कर डाले॥ ८१॥

विश्वास-प्रस्तुतिः

या साम्प्रतं चोद्धतदैत्यतापितै-
रस्माभिरीशा च सुरैर्नमस्यते।
या च स्मृता तत्क्षणमेव हन्ति नः
सर्वापदो भक्तिविनम्रमूर्तिभिः॥

मूलम्

या साम्प्रतं चोद्धतदैत्यतापितै-
रस्माभिरीशा च सुरैर्नमस्यते।
या च स्मृता तत्क्षणमेव हन्ति नः
सर्वापदो भक्तिविनम्रमूर्तिभिः॥

अनुवाद (हिन्दी)

(अ०५। ८२)
उद्दण्ड दैत्योंसे सताये हुए हम सभी देवता जिन परमेश्वरीको इस समय नमस्कार करते हैं तथा जो भक्तिसे विनम्र पुरुषोंद्वारा स्मरण की जानेपर तत्काल ही सम्पूर्ण विपत्तियोंका नाश कर देती हैं, वे जगदम्बा हमारा संकट दूर करें॥ ८२॥