२. नामकण्ड
पुल्लिङ्ग
४७. ‘‘जिनवचनयुत्तं ही’’ति सब्बत्थाधिकारो।
लिङ्गञ्च निपच्चते।
धातुप्पच्चयविभत्तिवज्जितमत्थयुत्तं सद्दरूपं लिङ्गं नाम, जिनवचनयोग्गं लिङ्गं इध ठपीयति निप्फादीयति च।
४८. बुद्धइति ठिते –
ततो च विभत्तियो।
तस्मा लिङ्गा परा विभत्तियो होन्ति। चकारेन तासं एकवचनादिपठमादिसञ्ञा च।
‘‘सि यो अं यो ना हि स नं स्मा हि स नं स्मिं सू’’ ति विभत्तियो। सि यो इति पठमा, अं यो इति दुतिया, ना हि इति ततिया, स नं इति चतुत्थी, स्मा हि इति पञ्चमी, स नं इति छट्ठी, स्मिं सु इति सत्तमी।
लिङ्गत्थे पठमा।
यो कम्मकत्तादिवत्तन्तरमप्पत्तो सस्सरूपट्ठो सुद्धो, सो लिङ्गत्थो नाम, तस्साभिधानमत्ते पठमाविभत्ति होति। तस्सापनियमे एकम्हि वत्तब्बे एकवचनं सि, वुच्चते नेनेतिवचनं, एकस्सत्थस्स वचनं एकवचनं। एवं बहुवचनं।
अतोत्वेव।
सो।
अकारन्ता परस्स सिस्स ओ होति।
सरलोपो मादेसप्पच्चयादिम्हि सरलोपे तु पकति।
अंआदीसु परेसु सरस्स लोपो होति, तस्मिं कते तु क्वचादिना असवण्णे पत्ते पकति होति।
नये परं युत्ते। एवमुपरि सरलोपादि। बुद्धो।
बहुम्हि वत्तब्बे बहुवचनं यो।
अतो वात्वेव।
सब्बयोनीनमाए।
अकारन्ता परेसं पठमदुतियायोनीनं यथासङ्ख्यं आए वा होन्ति। बुद्धा।
वाति किं। अग्गयो।
४९. लिङ्गत्थे पठमात्वेव।
आलपने च।
अभिमुखीकरणमालपनं, तदधिके लिङ्गत्थे पठमा होति।
‘‘आलपने सि गसञ्ञो’’ति सिस्स गसञ्ञा। गेइत्वेव।
अकारा पिताद्यन्तानमा।
गे परे अकारो पितुसत्थुअत्तराजादीनमन्तो च आत्तं याति।
‘‘आकारो वा’’ति गे परे आकारस्स रस्सो वा।
सेसतो लोपं गसीपि।
सो सिं स्या च सखातो गस्सेवात्यादिनिद्दिट्ठेहञ्ञे अवण्णिवण्णुवण्णोकारन्ता सेसा, तेहि परे गसी लुप्यन्ते। हे - बुद्ध, बुद्धा। यो - बुद्धा।
५०. कम्मत्थे दुतिया।
यं करोति, तं कम्मं नाम। तत्थ दुतिया होति। अंबुद्धं। योस्स ए-बुद्धे।
५१. ततियात्वेव।
कत्तरि च।
यो करोति, स कत्ता नाम। तत्थ ततिया होति। ना।
अतो नेन।
अकारा परो ना एनं याति। बुद्धेन।
हि।
सुहिस्वकारो ए।
सुहिसु परेस्वकारस्स ए होति।
स्माहिस्मिन्नं म्हाभिम्हि वा।
सब्बसद्देहि परेसं स्माहिस्मिन्नं यथासङ्ख्यं म्हाभिम्हिइच्चेते वा होन्ति। बुद्धेभि, बुद्धेहि।
५२. करणे ततिया।
येन वा कयिरते, तं करणं नाम। तत्थ ततिया होति। सब्बं कत्तुसमं।
५३. सम्पदाने चतुत्थी।
यस्स दातुकामो रोचते, धारयते वा, तं सम्पदानं नाम। तत्थ चतुत्थी होति। स।
अतो वात्वेव।
आय चतुत्थेकवचनस्स तु।
अकारा परस्स चतुत्थेकवचनस्स आयो वा होति। बुद्धाय।
‘‘सागमो से’’ति से सकारागमो। बुद्धस्स। नं।
दीघन्त्वेव।
सुनंहिसु च।
सुनंहिसु परेसु सरादीनं दीघो होति। चसद्देन क्वचि न। बुद्धानं।
५४. अपादाने पञ्चमी।
यस्मादपेति, भयमादत्ते वा, तदपादानं नाम, तत्थ पञ्चमी होति। स्मा।
अतो आएत्वेव।
५५. स्मास्मिन्नं वा।
अकारा परेसं स्मास्मिन्नं आए वा होन्ति। बुद्धा, बुद्धम्हा, बुद्धस्मा। बुद्धेभि, बुद्धेहि।
५६. सामिस्मिं छट्ठी।
यस्स वा परिग्गहो, तं सामी नाम। तत्थ छट्ठी होति। बुद्धस्स। बुद्धानं।
५७. ओकासे सत्तमी।
योधारो, तमोकासं नाम। तत्थ सत्तमी होति। स्मिं-बुद्धे, बुद्धम्हि, बुद्धस्मिं। सु-बुद्धेसु।
५८.
बुद्धो बुद्ध सुखं ददाति सरतो बुद्धं ततो दुक्करं,
किं बुद्धेन महिद्धयोपि मुनयो बुद्धेन जातासुखी।
बुद्धस्सेव मनं ददे पदमहं बुद्धा लभेय्याच्चुतं,
बुद्धस्सिद्धि न किं करे भवभवे भत्त्यत्थु बुद्धे मम॥
५९. इतो परं ततियापञ्चमीनञ्च चतुत्थीछट्ठीनञ्च सरूपत्ता पञ्चमीछट्ठियो भीयो उपेक्खन्ते।
६०. अत्त, सि।
ब्रह्मत्तसखराजादितो त्वेव।
स्या च।
ब्रह्मादितो सिस्स आ होति। अत्ता।
‘‘योनमानो’’ति ब्रह्मादितो योनं आनोत्तं। अत्तानो।
६१. हे - अत्त, अत्ता। यो, अत्तानो।
६२. ‘‘ब्रह्मत्तसखराजादितो अमान’’न्ति ब्रह्मादितो अंवचनस्स आनं वा होति। अत्तानं, अत्तं। अत्तानो।
६३. अत्तेन, अत्तना। पक्खे-जिनवचनानुरोधेन एनाभावो।
‘‘अत्तान्तो हिस्मिमनत्तं’’ति हिम्हि अत्तन्तस्स अनो। अत्तनेहि। एवं करणे।
६४. ‘‘सस्स नो’’ति नोकारो। अत्तनो। अत्तानं।
६५. अम्हतुम्हन्तु राजब्रह्मत्तसख सत्थुपितादीहि स्मा नाव।
अम्हादितो स्मा ना इव होति। अत्तना।
६६. ‘‘ततो स्मिन्नी’’ति स्मिनो नि। अत्तनि। ‘‘अनत्त’’न्ति भावनिद्देसेन सुम्हि च अनो। अत्तनेसु।
६७. राजा अत्ताव। ना।
सविभत्तिस्स राजस्सेत्वेव।
नाम्हि रञ्ञा वा।
नाम्हि सविभत्तिस्स राजसद्दस्स रञ्ञा वा होति। रञ्ञा, राजेन।
राजस्स राजु सुनंहिसु च।
सुनं हिसु परेसु राजस्स राजु होति, चकारेन क्वचि न।
‘‘सुनंहिसु चेति’’ दीघे - राजूभि, राजूहि, राजेभि, राजेहि।
६८. सविभत्तिस्सेत्यधिकारो।
‘‘राजस्स रञ्ञो राजिनो से’’ति से रञ्ञो राजिनो होन्ति। रञ्ञो, राजिनो।
‘‘रञ्ञं नम्हि वा’’ति नम्हि रञ्ञं वा। रञ्ञं, राजूनं, राजानं।
६९. स्मास्सनातुल्यत्ता-नाम्हि रञ्ञा वा। रञ्ञा, राजम्हा, राजस्मा।
७०. ‘‘स्मिम्हि रञ्ञे राजिनी’’ति स्मिम्हि रञ्ञे राजिनि होन्ति। रञ्ञे, राजिनि। राजूसु, राजेसु।
७१. गुणवन्तु, सि।
सविभत्तिस्स न्तुस्सेत्वेव।
‘‘आ सिम्ही’’ति सिम्हि सविभत्तिस्स न्तुस्स आ। गुणवा।
योम्हि पठमेत्वेव।
न्तुस्स न्तो।
पठमे योम्हि सविभत्तिस्स न्तुस्स न्तोकारो होति। गुणवन्तो।
सुनंहिसु अत्तंत्वेव।
न्तुस्सन्तो योसु च।
सुनंहिसु, योसु, चकारेन अञ्ञेसुपि परेसु न्तुस्सन्तो अत्तं याति। गुणवन्ता।
७२. सविभत्तिस्सेत्यधिकारो । अंइत्वेव।
अवण्णो च गे।
गे परे सविभत्तिस्स न्तुस्स अंअआ होन्ति। हेगुणवं,गुणव, गुणवा। यो - गुणवन्तो, गुणवन्ता।
७३. अत्तं – गुणवन्तं। गुणवन्ते।
७४. ‘‘तोतिता सस्मिं नास्वी’’ति सविभत्तिस्स न्तुस्स नाम्हि ता, से तोकारो, स्मिम्हि ति च वा। गुणवता, गुणवन्तेन। गुणवन्तेभि, गुणवन्तेहि।
७५. गुणवतो, गुणवन्तस्स।
‘‘नम्हि तं वा’’ति नम्हि न्तुस्स तं वा। गुणवतं, गुणवन्तानं। स्मा नाव।
७६. गुणवति, गुणवन्ते, गुणवन्तम्हि, गुणवन्तस्मिं, गुणवन्तेसु।
७७. गच्छन्त, सि।
‘‘सिम्हि गच्छन्तादीनं न्तसद्दो अ’’न्ति न्तसद्दस्स अंवा, सिलोपो। गच्छं, सिस्स ओ – गच्छन्तो।
गच्छन्तादीनं न्तसद्दोत्वेव।
सेसेसुन्तुव।
वुत्तं हित्वा सेसेसु गच्छन्तादीनं न्तसद्दो न्तु इव दट्ठब्बो। गच्छन्तो, गच्छन्ताइच्चादि।
सेसं गुणवन्तुसमं।
७८. गच्छन्तादयो नाम अन्तप्पच्चयन्ता।
७९. अग्गि, सिलोपो।
‘‘इवण्णुवण्णा झला’’ति इवण्णुवण्णानं यथासङ्ख्यं झलसञ्ञा।
झलतो वात्वेव।
घपतो च योनं लोपो।
घपझलतो योनं लोपो वा होति।
योसु कतनिकारलोपेसु दीघं।
कतो निकारो लोपो च येसं तेसु योसु सरानं दीघो होति। अग्गी। पक्खे-अत्तन्त्वेव।
यो स्वकतरस्सो झो।
योसु अकतरस्सो झो अत्तं याति। अग्गयो। तथालपने।
८०. अं मो निग्गहीतं झलपेहि।
झलपतो अं मो च बिन्दुं यन्ति। अग्गिं। अग्गी, अग्गयो।
८१. अग्गिना। दीघे-अग्गीभि, अग्गीहि।
८२. ‘‘झलतो सस्स नो वा’’ति सस्स नोत्तं वा। अग्गिनो, अग्गिस्स। अग्गीनं।
८३. ‘‘झलतो चे’’ति स्मास्स ना। अग्गिना।
८४. अग्गिम्हि, अग्गिस्मिं। अग्गीसु।
८५. आदि अग्गीव। स्मिंनो पन ‘‘आदितो ओ चे’’ति अं, ओ च वा। आदि, आदो, आदिम्हि, आदिस्मिं। आदीसु।
८६. दण्डी , सि।
‘‘अघो रस्स’’मादिना रस्से सम्पत्ते ‘‘न सिस्मिमनपुंसकानी’’ति सिम्हि अनपुंसकानं न रस्सो। सिलोपो, दण्डी, योलोपे – दण्डी। पक्खे –
अघो रस्समेकवचनयोस्वपि च।
एकवचनयोसु झलपा रस्सं यन्ति।
झतो कतरस्सात्वेव।
योनं नो।
कतस्सा झतो योनं नोत्तं होति। दण्डिनो।
८७. ‘‘झलपा रस्स’’न्ति गे परे झलपानं रस्सो। हेदण्डि। दण्डी, दण्डिनो।
८८. वा अंइत्वेव।
‘‘नं झतो कतरस्सा’’ति अंइच्चस्स नं वा। दण्डिनं, दण्डिं। दण्डी, दण्डिनो।
८९. दण्डिना। दण्डीभि, दण्डीहि।
९०. दण्डिनो, दण्डिस्स। दण्डीनं।
९१. झतो कतरस्सात्वेव।
‘‘स्मिन्नी’’ति स्मिनो नि। दण्डिनि। दण्डीसु।
९२. भिक्खु, सिलोपो।
वा योनंत्वेव।
‘‘लतो वो कारो चे’’ति लतो योनं वोत्तं वा।
अत्तं अकतरस्सोत्वेव।
वेवोसु लो च।
वेवोसु अकतरस्सो लो अत्तं याति। भिक्खवो, पक्खे – योलोप दीघा। भिक्खू।
९३. हे-भिक्खु।
‘‘अकतरस्सा लतो य्वालपनस्स वेवो’’ति आलपने योस्स वेवोकारा, अत्तं। भिक्खवे, भिक्खवो, भिक्खू।
९४. भिक्खुं। भिक्खवो, भिक्खू। सेसं अग्गीव।
९५. एवं जन्तु। जन्तू, जन्तवो।
‘‘लतो वोकारो चे’’तीह कारग्गहणेन योनं नोत्तं, चकारेन क्वचि वोनोनमभावोव विसेसो। जन्तुनो, जन्तुयो।
९६. सत्थु, सि।
‘‘सत्थुपितादीनमा सिस्मिं सिलोपो चे’’ति सत्थाद्यन्तस्स आ, सिलोपो च। सत्था।
सत्थुपितादीनन्त्यधिकारो।
अञ्ञेस्वारत्तं।
सितोञ्ञेसु सत्थाद्यन्तस्स आरो होति।
ततो योनमो तु।
ततो आरतो योनं ओ होति। सत्थारो।
९७. हे-सत्थ, सत्था। सत्थारो।
९८. सत्थारं। सत्थारे, सत्थारो।
९९. ‘‘ना आ’’ति आरतो नास्स आ। सत्थारा। सत्थारेभि, सत्थारेहि।
१००. उ सस्मिं सलोपो च।
से सत्थाद्यन्तस्स उ होति सलोपो च वा। सत्थु, सत्थुनो, सत्थुस्स।
‘‘वा नम्ही’’ति नम्हि आरो वा। सत्थारानं।
‘‘सत्थुनात्तञ्चे’’ति नम्हि सत्थाद्यन्तस्स अत्तं वा। दीघेसत्थानं।
१०१. ‘‘ततो स्मिमी’’ति आरतो स्मिनो इ। ‘‘आरो रस्समीकारे’’ति इम्हि आरस्स रस्सो। सत्थरि। सत्थारेसु। एवं नत्तादि।
१०२. पिता सत्थेव। ‘‘पितादीनमसिम्ही’’ति सितोञ्ञेसु आरस्स रस्सोव विसेसो। पितरो।
नम्हि – पितूनन्तिपि होति। एवं भातुप्पभुतयो।
१०३. अभिभू। रस्से-अभिभुवो। योलोपेअभिभू। सेसं भिक्खूव, रस्सोव विसेसो।
१०४. एवं सब्बञ्ञू। पुब्बेव योनं नोकारो च। सब्बञ्ञुनो, सब्बञ्ञू।
१०५. गो।
गावइत्वेव।
‘‘योसु चे’’ति गोसद्दोकारस्स आवो, ‘‘ततो योनमो तु’’तीह तुसद्देन योनं ओ। गावो। तथालपने।
१०६. अवम्हि च।
अम्हि परे गोसद्दोकारस्स आवअवा होन्ति, चसद्देन हिनंवज्जितेसु सेसेसुपि।
१०७. ‘‘आवस्सु वा’’ति अम्हि आवन्तस्स उत्तं वा, गाह्वं, गावं, गवं। यो-गावो। गावेन, गवेन। गोभि, गोहि।
१०८. ‘‘गाव से’’ति से ओस्स आवो। गावस्स, गवस्स। ‘‘ततो न’’मादो चकारेन नंइच्चस्स अं, ओस्स अवो च। गवं।
१०९. ‘‘सुहिनासु चे’’तीह चकारेन गोस्स गु च। द्वित्ते-गुन्नं, गोनं। गावा, गवा, गावम्हा, गवम्हा, गावस्मा, गवस्मा। गोभि, गोहि।
११०. गावे, गवे, गावम्हि, गवम्हि, गावस्मिं, गवस्मिं। गावेसु, गवेसु, गोसु।
पुल्लिङ्गा।
इत्थिलिङ्ग
१११. कञ्ञा । सिलोपो।
‘‘आ घो’’ति इत्थियं आकारस्स घसञ्ञा। यो लोपे – कञ्ञा। पक्खे – कञ्ञायो।
११२. ‘‘घते चे’’ति गस्स ए। हे-कञ्ञे। कञ्ञा, कञ्ञायो।
११३. कञ्ञं। कञ्ञा, कञ्ञायो।
११४. आय एकवचनस्सेत्वेव।
‘‘घतो नादीन’’न्ति नादेकवचनानमायो। कञ्ञाय। कञ्ञाभि, कञ्ञाहि।
११५. कञ्ञाय। कञ्ञानं।
११६. घपतो स्मिं यं वा।
घपेहि स्मिनो यं वा होति। कञ्ञायं, कञ्ञाय। कञ्ञासु।
११७. रत्ति , सिलोपो।
‘‘ते इत्थिख्या पो’’ति इत्थियमिवण्णुवण्णानं पसञ्ञा। योलोपदीघा। रत्ती। पक्खे – रत्तियो। तथालपने।
११८. रत्तिं, रत्ती। रत्तियो।
११९. एकवचनस्स नादीनन्त्वेव।
‘‘पतो या’’ति नादेकवचनानं या। रत्तिया। रत्तीभि, रत्तीहि।
१२०. रत्तिया। रत्तीनं।
१२१. रत्तियं, रत्तिया। रत्तीसु।
१२२. नदी । सेसं रत्तीव। अघत्ता रस्सोव विसेसो।
१२३. यागु रत्तीव।
१२४. मातु, धीतु, दुहित्वादयो पितेव।
१२५. जम्बू नदीव।
कञ्ञइति ठिते –
इत्थियमतो आपच्चयो।
इत्थियं वत्तमाना अकारन्ततो आपच्चयो होति। सरलोपपकल्यादि। कञ्ञा।
‘‘धातुप्पच्चयविभत्ति वज्जितमत्थवं लिङ्ग’’न्ति वचनतो पच्चयन्तस्सालिङ्गत्ता तद्धितादिसुत्ते चकारेन नाममिव कते – स्यादि। एवं ईइनीसु।
एवं अजा, एळका, कोकिला, अस्सा, मूसिका, बलाका, मन्दा, जराइच्चादि।
१२६. इत्थियन्त्यधिकारो।
नदादितो वा ई।
इत्थियं नदादितो वा अनदादितो वा ई होति। नदी, नगरी, कुमारी, ब्राह्मणी, तरुणी, कुक्कुटी, इत्थी इच्चादि।
‘‘मातुलादीनमानत्तमीकारे’’ति ईम्हि मातुलाद्यन्तस्स आनो। मातुलानीत्यादि।
अनदादितो वा ई। सखी, हत्थी।
भवतो भोतो।
ईम्हि भवन्तस्स भोतो होति। भोती।
१२७. ‘‘ण व णिकणेय्य णन्तूही’’ति ई। मानवी, नाविकी, वेनतेय्यी, गोतमी।
१२८. ‘‘न्तुस्स तमीकारे’’ति न्तुस्स तो वा। गुणवती, गुणवन्ती। धितिमती, धितिमन्ती।
न्तस्स न्तुब्यपदेसो। महती, महन्ती।
१२९. पतिभिक्खुराजीकारन्तेहि इनी।
पत्यादीहि ईकारन्तेहि च इत्थियं इनी होति।
‘‘पतिस्सिनीम्ही’’ति पत्यन्तस्स अत्ते सरलोपादो तुकारेन लोपाभावो। ‘‘वा परो असरूपा’’ति इलोपो, दीघो च। गहपतानी, भिक्खुनी, राजिनी, मेधाविनी, तपस्सिनी, धम्मचारिणी, भयदस्साविनी, भुत्ताविनीत्यादि।
इत्थिलिङ्गा।
नपुंसकलिङ्ग
१३०. चित्त , सि।
नपुंसकेहि अतो निच्चन्तेव।
सिं।
अकारन्तेति नपुंसकेहि सिस्स निचं अं होति। चित्तं।
योनं नि नपुंसकेहित्वेव।
अतो निच्चं।
अकारन्तेहि न पुंसकेहि योनं निच्चं नि होति, निस्स आ। चित्ता। पक्खे – योस्वादिना दीघे – चित्तानि।
१३१. गलोपे – हे – चित्त। चित्ता, चित्तानि।
१३२. चित्तं । निस्स ए – चित्ते, चित्तानि। सेसं बुद्धोव।
१३३. मन, सि, मनं।
ना वात्वेव।
१३४. मनोगणादितो स्मिन्नानमिआ।
मनादितो स्मिन्नानं इआ वा होन्ति।
स सरे वागमो।
विभत्यादेसे सरे परे मनादितो सागमो वा होति। मनसा।
१३५. सस्स चो
मनादितो सस्स ओ होति, चसद्देन स्मास्स आ च। मनसो, मनसा।
१३६. मनसि । सेसं चित्तंव।
१३७.
मनं सिरं उरं तेजं, रजं ओजं वयं पयं।
यसं तपं वचं चेतं, एवमादि मनोगणो॥
१३८. गुणवन्तु , सि।
‘‘अं नपुंसके’’ति सिम्हि सविभत्तिस्स न्तुस्स अं। गुणवं। न्तुस्स त्ते – गुणवन्तानि।
१३९. योतोञ्ञं पुमेव। एवं गच्छं।
१४०. अट्ठि।
वात्वेव।
‘‘योनन्नि नपुंसकेही’’ति योनं नि वा। अट्टीनि। झत्ता योलोपे – अट्ठी। तथालपने।
१४१. अट्ठिं, अट्ठीनि, अट्ठी। सेसं अग्गीव।
१४२. दण्डी, सि।
अघत्ता रस्सो, दण्डि। योतोञ्ञं पुमेव।
१४३. आयु अट्ठीव।
नपुंसकलिङ्गा।
पुमित्थिलिङ्ग
१४४. पुमित्थिलिङ्गा – घट, कट, यट्ठि, मुट्ठि, सिन्धु, रेणुप्पभुतयो द्विपद चतुप्पद जातिवाचिनो च।
यथा – घटो, ईपच्चये-घटी। एसो यट्ठि, एसा यट्ठिच्चादि।
द्विपदजातिवाचिनो यथा – खत्तियो। आपच्चये- खत्तिया, समणो, ईम्हि-समणीइच्चादि।
चतुप्पदजातिवाचिनो यथा – गजो, आ-गजा, ब्यग्घो, ईम्हि - ब्यग्घीइच्चादि।
पुमनपुंसकलिङ्ग
१४५. पुमनपुंसकलिङ्गा – धम्म, कम्म, ब्रह्म, कुसुम सङ्गम, पदुम, अस्सम, विहार, सरीर, सुवण्ण, वण्ण, कहापण, भवन, भुवन, योब्बन, भुसन, आसन, सयन, ओदन, आकास, उपवास, मास, दिवस, रस, थल, फल, रट्ठ अम्बु, मध्वादयो।
इत्थिनपुंसकलिङ्ग
१४६. इत्थिनपुंसकलिङ्गा – नगर, अच्चिप्पमुखा।
सब्बलिङ्ग
१४७. सब्बलिङ्गा – तट पुट पत्त मण्डल कलसा दयो, नामीकता, सब्बनामानि च। यथा – तटो, ईम्हि – तटी, तटमिच्चादि।
नामीकता यथा – देवदत्तो, आ – देवदत्ता देवदत्तमिच्चादि।
सब्बनाम
१४८. सब्ब , कतर, कतम, उभय, इतर, अञ्ञ, अञ्ञतर, अञ्ञतम, पुब्ब, पर, अपर, दक्खिण, उत्तर, एक, य, त, एत, इम, अमु, किं, तुम्ह, अम्ह-इति सब्बनामानि।
सब्बो बुद्धोव। अयं विसेसो।
योत्वेव।
सब्बनामकारते पठमो।
सब्बादीनमकारतो परो पठमो यो एत्तं याति सब्बे।
‘‘तयो नेव च सब्बनामेही’’ति निसेधा सस्मास्मिन्नं आय आ ए न होन्ति। सब्बस्स।
सब्बतो नं संसानं।
सब्बादितो नंइच्चस्स संसानं होन्ति।
अकारो एइत्वेव।
सब्बनामानं नम्हि च।
नम्हि सब्बादीनमकारस्स ए होति। सब्बेसं, सब्बेसानं।
१४९. इत्थियं आ, सब्बा कञ्ञाव। अयं विसेसो। वात्वेव।
घपतो स्मिंसानं संसा।
घपसञ्ञातो सब्बादितो स्मिंसानं संसा वा होन्ति।
‘‘संसास्वेकवचनेसु चे’’ति सागमो।
घो रस्सं।
एकवचनसंसासु घो रस्सं याति। सब्बस्सा, सब्बाय। सब्बासं, सब्बासानं। सब्बस्सं, सब्बायं। सब्बासु।
नेताहि स्मिमायया।
घपञ्ञाहि सब्बादीहि स्मिनो आय या न होन्ति।
१५०. नपुंसके – सब्बं। सब्बानि। एवं दुतिया।
सब्बादयो नपुंसके ततियादीसु सकसकपुमसमा। एवं य - सद्दन्ता।
१५१. पुब्बपरापरेहि तु स्मिनो ‘‘यदनुपपन्ना निपातना सिज्झन्ती’’ति अनित्थियं ए वा। पुब्बे, पुब्बस्मिंइच्चादि।
एकसद्दो सङ्ख्यातुल्यञ्ञासहायत्थो। यदा सङ्ख्यत्थो, तदेकवचनो, अञ्ञत्थ सब्बवचनो च।
यादीनमालपनं नत्थि।
१५२. त, सि।
सिम्हि सं अनपुंसकस्सेत्वेव।
एततेसं तो।
सिम्हि अनपुंसकानं एततइच्चेतेसं तकारस्स स होति। सो।
तस्स वा नत्तं सब्बत्थ।
तिलिङ्गेसु सब्बादीनं तकारस्स नो वा होति। ने, ते। सेसं सब्बसमं, नत्तंव विसेसो।
१५३. इत्थियं – सा, ना, नायो, ता, तायोइच्चादि।
वात्वेव।
ततो सस्स स्साय।
ताएताइमाहि सस्स स्सायो वा होति।
संसास्वेकवचनेसु इइत्वेव।
तस्सा वा।
एकवचनसंसासु तासद्दस्स आ इत्तं वा याति। तिस्साय, तिस्सा, तस्सा, ताय। तासं, तासानं। तिस्सं, तस्सं, तायं। तासु।
१५४. नपुंसके – तंइच्चादि।
१५५. एसो। सेसं सब्बसमं।
१५६. इत्थियं – एसा।
संसास्वेकवचनेस्वेत्वेव।
एतिमासमि।
एकवचनसंसासु एताइमानमन्तस्स इ होति। एतिस्साय, एतिसा, एताय। एतासं, एतासानं। एतिस्सं, एतस्सं, एतायं। एतासु। सेसं सब्बाव।
१५७. नपुंसके – एतं इच्चादि।
१५८. इम, सि।
‘‘अनपुंसकस्सायं सिम्ही’’ति इमस्स अयं। सिलोपो। अयं, इमे। इमं, इमे।
‘‘अनिमि नाम्हि चे’’ति इमस्स अनो, इमि च। अनेन, इमिना।
‘‘सब्बस्सिमस्से वा’’ति सुनंहिसु एवा। एहि, इमेहि। वा स्मासस्मिंसंसास्वत्तन्त्वेव।
इमसद्दस्स च।
सस्मास्मिंसंसासु इमस्स अत्तं वा होति। अस्स, इमस्स। एसं, एसानं, इमेसं, इमेसानं। अस्मा, इमम्हा, इमस्मा। एहि, इमेहि। अस्मिं, इमम्हि, इमस्मिं। एसु, इमेसु।
अत्तपक्खे – ‘‘न तिमेहि कताकारेही’’ति स्मास्मिन्नं म्हाम्हि न सिज्झन्ते।
१५९. इत्थियं – अयं। सेसं एताव, संसास्वत्तंव विसेसो।
१६०. नपुंसके – सविभत्तिस्स वात्वेव।
‘‘इमस्सिदमंसिसु नपुंसके’’ति इमस्स इदं वा। इदं, इमं इमे, इमानि। एवं दुतिया।
१६१. अमु , सि।
वा अनपुंसकस्स सिम्हित्वेव।
‘‘अमुस्स मो सं’’ति मस्स सो वा, सिलोपो। असु।
‘‘सब्बतो को’’ति सब्बनामतो कागमो। ‘‘सो’’ति ओ, अमुको, पक्खे – अमु। अमू, अमुयो।
पुब्बेव योनं वोकारो न। अमुं। अमू, अमुयो। सेसं भिक्खूव सब्बादिकारियाञ्ञत्र।
१६२. इत्थियं – असु। सेसं यागुसमं। विसेसोयं – अमुस्सा, अमुया। अमूसं, अमूसानं। अमुस्सं, अमुयं। अमूसु।
१६३. नपुंसके – सविभत्तिस्स अंसिसु नपुंसकेत्वेव।
‘‘अमुस्सादुं’’ति अदुं। अदुं। अमू, अमूनि। एवं दुतिया।
१६४. ‘‘सेसेसु चे’’ति सब्बत्थ किस्स को। को, का, कं इच्चादि। लिङ्गत्तये सब्बसमो।
१६५. तुम्ह , सि, अम्ह, सि।
सविभत्तिस्स तुम्हम्हानन्त्यधिकारो।
त्वमहं सिम्हि च।
सिम्हि सविभत्तीनं तुम्हम्हानं त्वं अहं होन्ति। चसद्देन तुम्हस्स तुवं च। त्वं, तुवं, अहं। यो – तुम्हे।
‘‘मयं योम्हि पठमे’’ति अम्हस्स मयं होति। मयं।
१६६. ‘‘तंममम्ही’’ति अम्हि तं मं होन्ति।
‘‘तवं ममञ्च नवा’’ति अम्हि तवं ममञ्च नवा।
‘‘तुम्हस्स तुवं त्वमम्ही’’ति तुम्हस्स तुवं, त्वञ्च। तं, तवं, तुवं, त्वं, मं, ममं।
आकन्त्वेव।
‘‘वा योप्पठमो’’ति दुतियायोस्स आकं वा। तुम्हाकं, तुम्हे। अम्हाकं, अम्हे।
१६७. ‘‘नाम्हि तया मया’’ति नाम्हि तया मया होन्ति। ‘‘तयातयीनं तकारो त्वत्तंवा’’ति तस्स त्वो वा। त्वया, तया, मया। तुम्हेहि, अम्हेहि।
१६८. ‘‘तव मम से’’ति से तव मम होन्ति।
‘‘तुय्हं मय्हं चे’’ति से तुय्हं मय्हञ्च।
‘‘सस्सं’’ति सस्स अं वा।
‘‘अम्हस्स ममं सविभत्तिस्स से’’ति से अम्हस्स ममं च। तव, तुय्हं, तुम्हं, मम, मय्हं, अम्हं, ममं।
‘‘तुम्हम्हेहि नमाकं’’ति नंवचनस्स आकं। तुम्हाकं, अम्हाकं। स्मानाव।
१६९. ‘‘तुम्हाम्हानं तयि मयी’’ति स्मिम्हि तयि मयि होन्ति। त्वे कते - त्वयि, तयि, मयि, तुम्हेसु, अम्हेसु। लिङ्गत्तये समं।
१७०. नवात्वेव।
पदतो दुतिया चतुत्थी छट्ठीसु वोनो।
अत्थज्जोतका वण्णा पदं, दुतिया चतुत्थी छट्ठी बहुवचनेसु परेसु पदस्मा परेसं सविभत्तीनं तुम्हाम्हानं वोनोकारा नवा होन्ति।
रक्खतु वो, पस्सतु नो, ददाति वो, ददाहि नो, सद्धा वो, सत्था नो।
नवाति किं, एसो अम्हाकं सत्था।
१७१. पदतोत्यधिकारो।
‘‘तेमेकवचनेसु चे’’ति चतुत्थीछट्ठेकवचनेसु ते मे होन्ति। ददामि ते, ददाहि मे, इदं ते, अयं मे।
‘‘नअम्ही’’ति अम्हि निसेधो। पस्सेथ तं, अजिनि मं।
‘‘वा ततिये चे’’ति ततियेकवचने ते मे वा होन्ति। कतं ते तया वा। कतं मे मया वा।
‘‘बहुवचनेसु वोनो’’ति ततियाबहुवचनेसु वो नो होन्ति। बहुवचने पठमे योम्हि च। कतं वो, कतं नो, गामं वो गच्छेय्याथ, गामं नो गच्छेय्याम।
सङ्ख्या
१७२. सङ्ख्या वुच्चते।
एकसद्दो सब्बनामेसु वुत्तो।
१७३. द्वादयो अट्ठारसन्ता बहुवचनन्ता।
सविभत्तिस्स, इत्थिपुमनपुंसकसङ्ख्यन्ति चाधिकारो।
‘‘योसु द्विन्नं द्वे चे’’ति द्विस्स द्वे होति। द्वे, द्वे, द्वीभि, द्वीहि।
नो च द्वादितो नम्हि।
नम्हि द्वादितो नकारागमो होति। द्विन्नं, द्वीसु, लिङ्गत्तये समं।
१७४. तिचतुन्नं तिस्सो चतस्सो तयो चत्तारो तीणि चत्तारि।
योसु इत्थिपुमनपुंसकेसु सविभत्तीनं तिचतुन्नं तिस्सो चतस्सो आदयो होन्ति। तयो, तयो, तीभि, तीहि, तिन्नं।
‘‘इण्णमिण्णन्नं तीहि सङ्ख्याही’’ति तिसद्दतो नंइच्चस्स इण्णं इण्णन्नं च। तिण्णं, तिण्णन्नं, तीसु।
१७५. इत्थियं-तिस्सो , तिस्सो, तीभि, तीहि।
‘‘नो चा’’दो चकारेन नम्हि स्संआगमो, वग्गन्तेतिस्सनं, तीसु।
१७६. नपुंसके-तीणि, तीणि, तीहि।
१७७. चत्तारो।
‘‘ओसरे चे’’तीह चकारेन योसु उस्स उरो। ‘‘ततो योनमोतू’’तीह तुकारेन योनं ओ। चतुरो। एवं दुतिया। चतूहि, चतुन्नं, चतूसु।
१७८. इत्थियं , चतस्सो, चतस्सो, चतूहि। पुब्बेव स्संआगमो। यदादिना उस्स अत्तं। चतस्सन्नं, चतूसु।
१७९. नपुंसके, चत्तारि, चत्तारि।
१८०. ‘‘पञ्चादीन मकारो’’ति योसु सविभत्तिस्स पञ्चाद्यन्तस्स अत्तं। पञ्च, पञ्च।
‘‘पञ्चादीन मत्तं’’ति सुनंहिसु पञ्चाद्यन्तस्स अत्तं। एदीघानमपवादोयं। पञ्चहि, पञ्चन्नं, पञ्चसु। लिङ्गत्तये समं।
१८१. एवं छ सत्त अट्ठ नव दसादयो अट्ठारसन्ता।
१८२. वीसत्यादयो आनवुतिया इत्थिलिङ्गा एकवचनन्ता, वीसति रत्तीव। एवं तिंसति।
चत्तालीसं पञ्ञासं सद्देहि परासं सब्बासं विभत्तीनं ‘‘सब्बासमा’’दोतीह आदिसद्देन लोपो, सट्ठि वीसती व। एवं सत्तति असीति नवुति।
सतं नपुंसकमेकवचनन्तं। एवं सहस्सादि।
कोटि वीसतीव।
१८३. रासिभेदे तु सब्बत्थ बहुवचनम्पि। यथा-द्वेवीसतियो बुद्धदन्ता। तिस्सो वीसतियो दिनघटिका। एवमञ्ञत्र।
एसेसो एतन्तिप्पसिद्धि, लोकस्स होति यत्थत्थेसु।
थीपुमनपुंसकानित्युच्चन्ते, तानिमानि लोकेनात्था।
अलिङ्ग
१८४. अलिङ्गा वुच्चन्ते।
क्वचि तो पञ्चम्यत्थे।
लिङ्गतो पञ्चम्यत्थे क्वचि तोप्पच्चयो होति।
‘‘त्वादयो विभत्तिसञ्ञायो’’ति तोप्पभुतिदान्यन्तानं विभत्तिसञ्ञा। तस्मा तदन्तानम्पि विभत्यन्तत्ता पदत्तं सिद्धन्ति न पुन विभत्ति। चोरस्मा चोरतो। एवं पितितो, एत्थ ‘‘पितादीन मसिम्हि’’ त्यत्रासिम्हिग्गहणेन तोम्हि पितादीनं उस्स इ।
इमस्सि थन्दानिहतोधेसु च।
थंआदीसु परेसु इमस्स इ होति। इतो।
‘‘सब्बस्सेतस्साकारो वा’’ति तोथेस्वेतस्स अत्तं वा, अतो, एत्तो। पक्खे- ‘‘सरलोपा’’दिना अकारलोपो।
‘‘त्रतोथेसु चे’’ति किस्स कु। कुतो।
‘‘क्वचि तो’’ति सुत्तद्विधाकरणेन सत्तम्यत्थे च तो होति, आदिस्मिं, आदितो।
१८५. ‘‘त्रथ सत्तमिया सब्बनामेही’’ति सत्तम्यत्थे त्रथप्पच्चया होन्ति। सब्बस्मिं, सब्बत्र, सब्बत्थ, द्वित्तं। एवं अत्र, अत्थ। एत्थ ‘‘त्रे निच्च’’न्ति पुब्बे एतस्स अ। कुत्र, कुत्थ।
‘‘सेसेसु चे’’ति कादेसे-कत्थ।
१८६. ‘‘किस्मा वो चे’’ति वप्पच्चयो। ‘‘किस्स क वेचे’’ति को, ककाराकारलोपो। क्व।
१८७. ‘‘हिं हं हिञ्चन’’न्ति कस्मा हिं आदिपच्चया। ‘‘कु हिं हंसु चे’’ति किस्स कु। चकारेन हिञ्चनं दाचनंसु च। कुहिं, कुहं, कुहिञ्चनं।
१८८. ‘‘तम्हा चे’’ति हिंहं। तहिं, तहं।
१८९. ‘‘यतो हिं’’ति हिं। यहिं।
१९०. ‘‘इमस्मा हधा चे’’ति हधा। इह, इध।
१९१. ‘‘सब्बतो धी’’ति धि। सब्बधि।
१९२. कालेत्यधिकारो।
‘‘किंसब्बञ्ञेकयकुहि दादाचन’’न्ति किं आदितो दा, दाचनं च। कस्मिं काले कदा, कुदाचनं।
‘‘सब्बस्स सो दाम्हि वा’’ति सब्बस्स सो वा। सदा, सब्बदा।
१९३. ‘‘तम्हा दानि चे’’ति दानि, दा च। तदानि, तदा।
१९४. यदादिना इमसद्दा, समानापरेहि च यथासङ्ख्यं ज्ज ज्जुप्पच्चया, इम, समानानं अ, सा च। अज्ज, सज्जु, अपरज्जु।
१९५. ‘‘इमस्मा रहिधुनादानि चे’’ति रह्यादिप्पच्चया। ‘‘एत रहिम्ही’’ति इमस्स एतो। एतरहि।
‘‘अ धुनाम्हि चे’’ति इमस्स अ। अधुना, इदानि।
१९६. लोपं इत्वेव।
सब्बासमावुसोपसग्गनिपातादीहि च।
एतेहि परा सब्बा विभत्ती लुप्यन्ते। त्वं आवुसो, तुम्हे आवुसो।
उपसग्गनिपात
१९७. उपसग्गनिपाता वुच्चन्ते।
प परा नि नी उ दु सं वि अव अनु परि अधि अभि पति सु आ अति अपि अप उप एते वीसत्युपसग्गा।
च न व वा मा हि धि चि कु तु नु चे रे हे स्वे वे वो खो नो तो यं नं तं किं हन्द किर एव कीव याव ताव वत वथ अथ अङ्ग इङ्घ तग्घ आम नाम नून पुन पन आह सह सक्का लब्भा हेट्ठा आरा दूरा दिवा नवा विना नाना अद्धा मुधा मिच्छा पच्छा आवि सक्खि सच्चि सच्छि बहि यदि इति किन्ति अत्थि सोत्थि खलु ननु किमु अस्सु यग्घे सचे हवे सुवे अरे पुरे नमो तिरो अधो अथो अहो रहो हीयो भीयो अन्तो पातो सुदं कल्लं एवं धुवं अलं हलं सयं सायं समं सामं कामं पारं ओरं चिरं हुरं अहं सहं उच्चं नीचं सकिं सद्धिं, अथवा अन्तरा आरका बाहिरा बहिद्धा यावता तावता समन्ता सामन्ता आमन्ता सम्मुखा चरहि तरहि सम्पति आयति उपरि यावदे तावदे तिरियं सनिकं ससक्कं एत्तावता परम्मुखा कित्तावता एतरहि अञ्ञदत्थु सेय्यथिदं अप्पेवनाम भीयोसोमत्ताय इच्चादयो निपाता।
१९८. सदिसा ये तिलिङ्गेसु, सब्बासु च विभत्तीसु।
वचनेसु च सब्बेसु, ते निपाताति कित्तिता।
यथा – उच्चं रुक्खो, लता, घरं वा, उच्चं रुक्खो। हे रुक्ख, रुक्खं, रुक्खेन, रुक्खस्स, रुक्खस्मा, रुक्खे वा इच्चादि। उच्चं रुक्खो, रुक्खा वा इच्चादि। एवं लता, घरानि।
१९९.
उभयेसु विभत्यत्त -
क्रियदेस समय दिसागुणत्थेहि।
सब्बापि यथायोगं,
विभत्तियोञ्ञेहि तुप्पठमा॥
तं यथा – अधिअन्तोसद्देहि सत्तमी। सयंसद्दा ततिया, छट्ठी च। नमोसद्दा पठमा, दुतिया च। पारंसद्दा सत्तमी। दिवासद्दा पठमा, दुतिया, सत्तमी च। हेट्ठासद्दा सत्तमी। उच्चंसद्दा सब्बापि। पसद्दा च चसद्दा च पठमा, हेसद्दा आलपने पठमा। तथाञ्ञेहिपि।
२००. उपसग्गा सब्बेपि सद्दन्तरेन सह पयुज्जन्ते। निपाता तु केचि विसुम्पि। यथा – पहारो, पहरति, सा च सो च भासति वा करोति वा, सोत्थित्यादि।
२०१. एकेकलिङ्गं द्विलिङ्गं, तिलिङ्गं चाप्यलिङ्गिकं।
चतुधेति नामं नामं, नमत्यत्थन्ति कित्तितं।
नामिकं।